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मैं तेरी हीर – 12

Main Teri Heer – 12

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 12

गौरी से बात करते हुए मुन्ना ने एकदम से गाड़ी को ब्रेक लगाया। सामने ही सड़क किनारे एक महिला खड़ी लिफ्ट मांग रही थी और अचानक से मुन्ना की गाड़ी के सामने आ गयी थी। मुन्ना ने सीट पर रखा और जीप से उतरकर नींचे आया। जीप के अचानक ब्रेक मारने से महिला भी घबरा गयी और मुन्ना को देख रही थी। ये महिला कोई और नहीं बल्कि उर्वशी ही थी जिस से आप पहले भी रूबरू हो चुके है।


उर्वशी ने अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरुस्त किया और मुन्ना की तरफ आकर कहा,”दरअसल वो मेरी गाड़ी खराब हो गयी है , और मैं इस शहर में नयी हूँ यहाँ ज्यादा किसी को जानती नहीं तो क्या तुम मुझे लिफ्ट दे सकते हो प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,!”
मुन्ना ने उर्वशी को एक नजर देखा और साइड में देखते हुए कहा,”क्या हम आपकी गाड़ी देख सकते है ?”
“हाँ जरूर , वो वहा रही,,,,,,,,,,,!!”,उर्वशी ने कहा


मुन्ना उर्वशी की बताई गाड़ी की तरफ बढ़ गया। उसने गाड़ी का बोनट खोला और उसे देखने लगा ,कार्बोरेटर में कचरा फंस जाने की वजह से गाड़ी जाम हो गयी थी और बिना मेकेनिक के उसे चालू करना मुश्किल था इसलिए मुन्ना ने कहा,”ये जाम हो गयी है , बिना मेकेनिक के इसे ठीक करना मुमकिन नहीं है ,, हम आपके लिए रिक्शा का बंदोबस्त कर देते है आप उस से घर चली जाईये ,, हम शहर जाकर किसी मेकेनिक को भेज देंगे वो आपकी गाड़ी ठीक करके ले आएंगे।”


मुन्ना ने क्या कहा उर्वशी को कुछ समझ नहीं आया वह तो बस प्यार भरी नजरो से मुन्ना को देखे जा रही थी। बनारस में आने के बाद कितने ही लड़के और अधेड़ उम्र के आदमी थे जो उर्वशी की एक मुस्कान के पीछे अपना सब कुछ लुटाने को तैयार थे और वही एक मुन्ना था जिसने उसे देखा तक नहीं।
उर्वशी को खामोश अपनी और देखता पाकर मुन्ना सड़क की तरफ चला आया और रिक्शा वाले की राह देखने लगा लेकिन सुबह सुबह इस सड़क पर रिक्शा मिलना मुश्किल था


“मुझे नहीं लगता यहाँ से कोई रिक्शा मिलेगा , एक काम करो तुम जाओ मैं मैनेज कर लुंगी।”,उर्वशी ने मुन्ना के पास आकर कहा
मुन्ना को एक महिला को ऐसे मुसीबत में छोड़कर जाना अच्छा नहीं लगा और उसने कहा,”एक काम कीजिये आप हमारे साथ चलिए हम आपको शहर तक छोड़ देते है।”
“आर यू स्योर ?”,उर्वशी ने अपनी आँखों को बड़ा करते हुए पूछा क्योकि कुछ देर पहले मुन्ना ने उसे लिफ्ट के नाम पर कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया था


“जी , आईये !”,मुन्ना ने कहा और अपनी जीप की तरफ बढ़ गया।
उर्वशी जैसे ही मुन्ना के बगल में बैठने को हुई मुन्ना ने कहा,”माफ़ कीजियेगा ये गाड़ी हमारे पापा की है और ये सीट हमारी माँ के लिए है , आप पीछे बैठ जाईये।”
उर्वशी ने सूना तो उसके चेहरे पर नफरत के भाव आये लेकिन अगले ही पल वह मुस्कुराई और कहा,”हाँ जरूर !”
उर्वशी पीछे आ बैठी मुन्ना ने जीप स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी।

शीशे में उर्वशी को मुन्ना का चेहरा नजर आ रहा था और वह बड़े ही प्यार से उसे देखे जा रही थी। मुन्ना की जगह कोई और होता तो शायद वह उस जीप में ना बैठती लेकिन बात यहाँ मुन्ना की थी और उर्वशी बस ये जानना चाहती थी कि आखिर ये कौन है जिसके दिल में उर्वशी ने हलचल नहीं मचाई ?
बनारस पहुंचकर मुन्ना ने उर्वशी के बताये होटल के सामने अपनी जीप रोक दी और नींचे उतर आया।

उर्वशी को देखते ही होटल के बाहर खड़ा मैनेजर दौड़कर जीप के पास आया और अपना हाथ उर्वशी की तरफ बढ़ाकर उसे जीप से उतारते हुए कहा,”अरे मैडम आप और मुन्ना भैया की जीप में , आपकी गाड़ी कहा है ?”
“एक्चुली वो मेरी कार रास्ते में खराब हो गयी थी , इसलिए मुझे इनसे लिफ्ट मांगनी पड़ी।”,उर्वशी ने मुन्ना को खा जाने वाली प्यार भरी नजरो से देखते हुए कहा।

उर्वशी का ऐसे देखना ना जाने क्यों मुन्ना को असहज कर रहा था उसने नजरे घुमा ली। कमर लचकाते हुए उर्वशी मुन्ना के सामने आयी और अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा,”मेरा नाम उर्वशी है , मदद के लिए तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया।”
मुन्ना ने हाथ की तरफ देखा , हल्का सा मुस्कुराया और अपने हाथ जोड़ते हुए कहा,”माफ़ कीजियेगा हमारे बनारस में बड़ो से हाथ नहीं मिलाया जाता बल्कि दोनों हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया जाता है। हर हर महादेव,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर मुन्ना वापस अपनी सीट पर आकर बैठा और वहा से निकल गया।


मुन्ना की बात सुनकर उर्वशी का बचा खुचा खून भी जल गया वह जलती आँखो से मुन्ना की जाती हुई जीप को देखते रही। मैनेजर ने सूना तो वह उर्वशी के पास आया और कहा,”मैडम वो मुन्ना भैया है हमारे यहां बनारस के जो पूर्व विधायक थे उनका बेटा , बहुत ही सीधा और होनहार लड़का है,,,,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,,,ये गाड़ी की चाबी , मेकेनिक को भेजकर मेरी गाड़ी मंगवा लीजिये , मंगवाएंगे ना ?”,उर्वशी ने अपनी नाजुक ऊँगली को मैनेजर के गाल पर घुमाते हुए कहा


“हाँ हाँ मैडम क्यों नहीं , आपके लिए तो कुछ भी,,,,,,,,,,,,,,बस आप हुकुम करे।”,मैनेजर ने उर्वशी की छुअन से झनझनाते हुए कहा
उर्वशी ने एक नजर आँखों से ओझल हो चुकी जीप की तरफ देखा और अंदर चली गयी।

जीप लेकर मुन्ना घर जाने वाले रास्ते की और बढ़ गया। गाड़ी चलाते हुए एकदम से मुन्ना को उर्वशी का ख्याल आया और वह मन ही मन सोचने लगा,”वो महिला कुछ अजीब थी , आज से पहले तो उन्हें बनारस में कभी नहीं देखा। उनके देखने और बात करने का तरिका काफी अजीब है ऐसे लग रहा जैसे किसी खास मकसद से वो इस शहर में आयी हो लेकिन हम हमे क्या हो गया था ?

हम क्यों उन्हें ऐसे देख रहे थे,,,,,,,,ये हम से कैसा पाप हो गया , हमारी जिंदगी में गौरी है और उसके अलावा किसी को देखना तो दूर हमारे मन में किसी का ख्याल भी नहीं आना चाहिए,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ये सब सोच ही रहा था कि जीप अस्सी घाट की तरफ से गुजरी। मुन्ना ने जीप रोकी और नीचे सीढ़ियों पर चला आया। सीढ़ियों पर खड़े होकर मुन्ना ने अपने हाथ जोड़े , आँखे मुंदी और कहा,”हे गंगा मैया हमें माफ़ करना , हम कभी किसी पर स्त्री का ख्याल अपने मन में नहीं ला सकते ,

हम माफ़ी मांगते है उन्होंने हमे जिस नजर से देखा वो नजरे और भाव सही नहीं थे। हमे माफ़ कर दो।”
कहकर मुन्ना ना जाने क्यों गंगा में कूद गया शायद ऐसा करके वह अपने पलभर के लिये मैले हुए मन को धोना चाहता था।
दिल्ली एयरपोर्ट के वेटिंग एरिया में बैठा वंश झुंझला रहा था। किसी वजह से मुंबई जाने वाली उसकी फ्लाइट को दिल्ली एयरपोर्ट पर रुकना पड़ा और वहा से वंश को दूसरी फ्लाइट से मुंबई जाना था जो की 4 घंटे देरी से थी।

11 बज रहे थे और वंश को भूख भी लगने लगी थी उसने अपना बैकबैग उठाया और एयरपोर्ट लाउंज की तरफ चला आया।  वंश ने वहा बैठकर नाश्ता किया और अपना फोन भी चार्ज किया। अगली फ्लाइट में अभी वक्त था इसलिए वंश एयरपोर्ट से बाहर चला आया।
दिल्ली जहा लोगो की भीड़ होती है और हर कोई जल्दी में होता है ये देखकर वंश थोड़ा उलझन में पड़ गया और सोचने लगा कि बाहर जाये या न जाये। क्योकि वंश दिल्ली पहली बार ही आया था और यहाँ के बारे में वह ज्यादा कुछ जानता भी नहीं था ना ही उसे यहाँ कि ज्यादा जानकारी थी।


“मुन्ना ने कहा था मुझे बेवजह की परेशानियों में नहीं पड़ना है , वैसे भी यहाँ मैं किसी को जानता नहीं एक काम करता हूँ वापस अंदर जाता हूँ। हाँ ये थोड़ा बोरिंग है लेकिन इसके अलावा मैं और कर भी क्या सकता हूँ,,,,,,,,,,यही सही रहेगा।”,वंश खुद में ही बड़बड़ाया और वापस अंदर जाने के लिये मुड़ गया
चलते चलते वंश को याद आया कि उसने नवीन और मेघना के लिए तो कोई तोहफा लिया ही नहीं। वंश ने इधर उधर देखा उसके दांयी और कुछ ही दूर एक बहुत ही बड़ा और आलिशान मॉल दिखा।


“फ्लाइट में तो अभी बहुत टाइम है क्यों ना तब तक मॉल ही घूम लिया जाये।”,कहते हुए वंश के कदम खुद ब खुद मॉल की तरफ बढ़ गए
मॉल में आकर वंश काफी देर तक यहाँ वहा घूमता रहा लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आया कि वह नवीन और मेघना के लिये क्या खरीदे ? जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने काशी को फोन लगा दिया लेकिन काशी कही व्यस्त थी उसने वंश का फोन नहीं उठाया।


“जब से काशी का उस शक्ति के साथ रिश्ता हुआ है वो लड़की अपने बड़े भाई को तो भूल ही चुकी है। उसने मेरा फोन तक नहीं उठाया , अब क्या मुझे मुन्ना को फोन करना चाहिए ? नहीं नहीं उसे फोन किया तो वो पूछेगा , क्यों ? कैसे ? किसलिए ? वैसे भी आजकल मुन्ना मुझसे कुछ ज्यादा ही सवाल करने लगा है। लेकिन अब मैं किस की हेल्प लू,,,,,,,,,,,,,,,,,,अरे हाँ वो है ना मेरी बेस्ट फ्रेड गौरी , मैं उसी को कॉल लगाता हूँ,,,,,,,,,!”,कहते हुए वंश मुस्कुराया और गौरी का नंबर डॉयल करने लगा


इसे वंश की किस्मत कहे या उसकी गौरी के साथ बॉन्डिंग एक रिंग के बाद ही गौरी ने फोन उठा लिया और कहा,”हेलो हीरो आज तुम्हे मेरी याद कैसे आ गयी ?”
“ओह्ह्ह थैंक गॉड गौरी तुमने मेरा फोन उठा लिया , मुझे तुम्हारी हेल्प चाहिए।”,वंश ने एकदम से कहा
“हेल्प तो मैं जरूर करुँगी लेकिन तुमने अभी मुझे क्या कहा ? गौरी ? मैं तुम्हारी होने वाली भाभी हूँ समझे तुम,,,,,,,,,,,,,,,पहले मुझे प्यार से और इज्जत से भाभी कहो उसके बाद मैं सोचूंगी,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने वंश को झिड़कते हुए कहा


“इसे क्या हो गया है ? मुन्ना के साथ रहकर ये भी मुन्ना जैसी हो गयी है,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश मन ही मन बड़बड़ाया
“तुम बोल रहे हो या मैं फोन रख दू ?”,गौरी की आवाज से वंश की तंद्रा टूटी
“हाँ हाँ लिस्टन , गौरी भाभी क्या आप मेरी हेल्प करेंगी प्लीज ?”,वंश ने जरूरत से ज्यादा स्वीट बनते हुए कहा
गौरी तो वंश के मुंह से अपने लिए भाभी सुनकर ही खुश हो गयी और कहा,”हाँ क्यों नहीं देवर जी बताईये क्या करना है ?”


“एक्चुअली मुझे 2 गिफ्ट्स चाहिए और मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या लू ? तो क्या तुम इस में मेरी हेल्प करोगी ? अभी मैं एक मॉल में हूँ और यहाँ काफी कुछ है”,वंश ने अपनी परेशानी गौरी को बताई
“हम्म्म ठीक है तुम्हे कुछ फ्रूट्स या स्वीट्स खरीदनी चाहिए।”,गौरी ने कहा
“ए गौरी मैं क्या किसी रिश्तेदार के घर जा रहा हूँ जो ये सब खरीदू , कुछ ढंग का बताओ ना।”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा


“तो फिर तुम्हे कोई अच्छा परफ्यूम या बैग ले लेना चाहिए अगर सामने वाली कोई लड़की है तो ?”,गौरी ने असमझ की स्तिथि में कहा
“लड़की नहीं वो दोनों मेरी माँ की उम्र के है , उन्हें परफ्यूम और बैग देते अच्छा लगूंगा मैं,,,,,,,,,,कुछ ढंग का बताओ ना यार ?”,वंश ने कहा
“हाह तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे तुम्हे ये गिफ्ट्स अपने ससुराल वालो को देने है,,,,,,,,!!”,गौरी ने वंश का मजाक उड़ाते हुए कहा


ससुराल का नाम सुनकर वंश की आँखो के सामने एकदम से नवीन और मेघना के चेहरे आ गए और वह मुस्कुराया लेकिन अगले ही पल ही निशि का ख्याल आया और उसका मुंह बन गया और वह बड़बड़ाया,”ससुराल तो ठीक है लेकिन वो निशि एज अ वाइफ मैं कभी नहीं झेल पाऊंगा , नो नेवर,,,,,,,!!”
“वंश , वंश , अच्छा सुनो तुम खुद ही देख लो मैं फोन रख रही हूँ एक्चुली हम सब शक्ति के घर पर है और इस वक्त फोन पर मैं काफी वियर्ड लग रही हूँ , बाय बाद में फोन करती हूँ।”,वंश को खामोश पाकर गौरी ने कहा


“हे गौरी मेरी बात,,,,,,,,,,,,,,अरे।”,वंश ने कहा लेकिन गौरी ने उसकी बात सुने बिना ही फोन काट दिया
वंश ने अपना फोन जेब में रखा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। उसने अब किसी और को फोन ना करके खुद से कुछ लेने का सोचा और मॉल में घूमने लगा। वंश ने नवीन के लिए एक बहुत ही सुन्दर घडी ली लेकिन मेघना के लिये क्या खरीदे उसे अभी भी समझ नहीं आ रहा था।


चलते चलते वंश की नजर एक शॉप पर गयी जहा बहुत ही खूबसूरत साड़ीया थी। वंश उस दुकान में चला आया।
“जी सर क्या दिखाऊ ?”,लड़के ने वंश को कहा
“अह्ह्ह्ह एक्चुली मुझे , मुझे एक साड़ी , पर मुझे इसकी कोई नॉलेज नहीं है आई मीन मुझे खरीदनी नहीं आती,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने झिझकते हुए कहा
“कोई बात नहीं सर आप अपना बजट बताये मैं आपकी इस में हेल्प कर देती हूँ।”,शॉप में ही काम करने वाली लड़की ने कहा तो वंश उसके साथ चल पड़ा


वंश का बजट जानने के बाद लड़की ने कुछ साड़िया वंश को दिखाई वंश ने उनमे से एक गुलाबी रंग की साड़ी को पसंद किया और पैक करने को कहा।
लड़की ख़ुशी ख़ुशी उस साड़ी को लेकर चली गयी। वंश वही बैठकर दुकान को देखने लगा तभी उसकी नजर दुकान में रखे स्टेच्यू पर जाकर ठहर गयी जिसने एक बहुत ही सुन्दर बनारसी साड़ी पहन रखी थी। वंश एकटक उसे देखता रहा और अगले ही पल उस स्टेच्यू में उसे निशि नजर आयी।

वंश ने अपना सर झटका , अपनी आँखों को साफ किया और एक बार फिर स्टेच्यू को देखा लेकिन ये क्या अभी भी उसे वहा उस साड़ी में लिपटी निशि ही नजर आ रही थी। वंश को अपनी आँखों पर यकींन नहीं हुआ वह उठा और धीरे धीरे स्टेच्यू की तरफ बढ़ने लगा। निशि मुस्कुराते हुए उसे ही देख रही थी। वंश स्टेच्यू के पास आया और उसे देखने लगा जैसे ही उसने निशि को छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया पास खड़े आदमी ने कहा,”ये 12 हजार की है पैक कर दू ?”


“हहहह अह्ह्ह नहीं नही मैं बस देख रहा था,,,,,,,,,,थैंक्यू !!”,वंश ने चौंककर कहा
“सर आपकी साड़ी,,,,,,!!”,लड़की ने बैग लाकर वंश को दे दिया
वंश ने बिल चुकाया और शॉप से बाहर चल दिया। चलते चलते वंश बड़बड़ाया,”ये क्या हो गया है मुझे , मुझे हर जगह वो छिपकली क्यों दिखाई दे रही है ? वैसे मैंने सिर्फ अंकल आंटी के लिए गिफ्ट लिया है क्या मुझे उसके लिए भी कुछ,,,,,,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह नहीं अगर मैंने उसे कुछ दिया तो उसे लगेगा मैं चेप हो रहा हूँ , रहने देता हूँ ,

हम्म्म्म लेकिन अगर नहीं दिया तो उसे लगेगा मैं कंजूस हूँ और मैंने उसे चिढ़ाने के लिए उसे कुछ नहीं दिया,,,,,,,,,,,,,,,एक काम करता हूँ उसके लिए भी कुछ ले लेता हूँ वरना बाद में ताने मार मार कर मेरा जीना हराम कर देगी वो।”
वंश वापस पलटा और दुकान में अकार उसी लड़की को अपने पास बुलाया जिसने कुछ देर पहले वह की साड़ी खरीदने में मदद की थी। लड़की वंश की तरफ आयी तो वंश ने कहा,”क्या आप मेरी एक छोटी सी मदद और करेंगी ?”


“जी कहिये।”,लड़की ने कहा
“मुझे एक गिफ्ट और चाहिए था अह्ह्ह एक लड़की के लिए , वो समथिंग मेरी ऐज की ही है तो क्या आप बता सकती है मुझे क्या लेना चाहिए ?”,वंश ने झिझकते हुए कहा
वंश की बात सुनकर लड़की मुस्कुराने लगी और फिर उसे बगल वाली शॉप पर ले आयी जहा काफी सारे आइटम थे लेकिन वंश की नजर जा रुकी झुमको से भरे बोर्ड पर और वंश के कदम अपने आप ही उस और बढ़ गए। वंश को सफ़ेद डायमंड से बने एक जोड़ी झुमके बहुत पसंद आये उसने वह खड़े लड़के से देने को कहा तो साथ आयी लड़की बोल पड़ी,”लेकिन ये तो बहुत सस्ते है यही कोई 100-150 के होंगे।”


“मुझसे एक बार मेरे भाई ने कहा था “झुमके अनमोल नहीं होते , उन्हें पहनने वाला शख्स अनमोल होता है।”,लड़की से कहकर वंश वापस दुकान वाले लड़के की तरफ पलटा और कहा,”इसे पैक कर दीजिये।”
“जी सर”,कहकर लड़के ने झुमके की उस जोड़ी को एक बहुत ही सुन्दर डिब्बे में रखा और वंश की तरफ बढ़ा दिया। वंश ने पैसे दिए और वहा से बाहर आ गया।
वंश की मदद कर लड़की वापस अपनी शॉप की तरफ जाने लगी तो वंश ने कहा,”अह्ह्ह एक्सक्यूज मी , थैंक्यू सो मच।”


लड़की ने सूना तो मुस्कुरायी और कहा,”शी इज सो लकी,,,,,,,,,,,!!”
लड़की वहा से चली गयी और वंश मुस्कुराये बिना ना रह सका उसने हाथ में पकडे डिब्बे को देखा और धीरे से कहा,”बट शी इज नॉट माइन,,,,,,,!!”
वंश मॉल से बाहर आया और एयरपोर्ट की तरफ बढ़ गया क्योकि उसकी अगली फ्लाइट का वक्त हो चुका था

इंदौर , शक्ति का घर
अधिराज जी , अम्बिका , शक्ति , काशी , ऋतू , प्रिया और गौरी के साथ साथ शक्ति के कुछ दोस्त भी उसके घर में जमा थे। अपने नए घर पर शक्ति ने आज इन सबको लंच पर बुलाया था। अधिराज जी और अम्बिका हॉल में बैठकर शक्ति के दोस्तों से बात कर रहे थे।  ऋतू प्रिया घर में घूमकर सब जगह देख रही थी। काशी किचन में शक्ति की मदद कर रही थी और गौरी वो लॉन में ना जाने किस के साथ फ़ोन पर बातों में लगी हुई थी।


“काशी ये हम कर लेते है , तुम सबके लिए ये जूस लेकर जाओ।”,शक्ति ने ट्रे काशी को देते हुए कहा
“भैया आप भी जाईये ये मैं कर दूंगी , इतने बड़े पुलिसवाले होकर आप ये सब करते अच्छे नहीं लगते , आप जाईये।”,रमा ने कहा जो की शक्ति की पड़ोसन थी और शक्ति को अपना छोटा भाई मानती थी।
शक्ति मुस्कुराया उसने रमा के सर पर हाथ रखा और मुस्कुराते हुए काशी के साथ किचन से बाहर चला गया।
“अरे शक्ति ! बेटा आओ हमारे साथ बैठो तब से बस सबकी खातिरदारी में लगे हो ,

वैसे भी हम सब यहाँ खाना खाने नहीं आये है बल्कि तुम्हे बधाई देने आये है।”,अधिराज जी ने कहा तो सब हंस पड़े और शक्ति भी आकर उनके बीच बैठ गया।
काशी ने सबको जूस दिया और हॉल में सब तरफ देखकर कहा,”ये गौरी कहा है ? कही नजर नहीं आ रही।”
“वो वहा है लॉन में , शायद फोन पर है।”,शक्ति ने खिड़की के बाहर देखते हुए कहा


“ये लड़की सच में पागल हो गयी है , दिनभर हमारे भैया के साथ फोन पर चिपकी रहती है,,,,,,,,,,,,,,इसे तो हम अभी बताते है वो यहाँ तुम से मिलने आयी है या फोन पर बाते करने,,,,,,,,,,,,!!”,बड़बड़ाते हुए काशी हॉल से बाहर चली आयी
“तुम्हारे फोन का कभी बिल नहीं आता क्या ?”,काशी ने गौरी के सामने आकर ताना मारते हुए कहा
गौरी ने सूना तो अपने दाँत दिखाने लगी। काशी ने उसका हाथ पकड़ा और उसे अंदर ले जाते हुए कहा,”चलो सब तुम्हे बुला रहे है।”


अंदर आकर गौरी ने भी अपना जूस का ग्लास उठाया और फिर सबके बीच बैठकर बाते करने लगी। गौरी की बनारस वाली बातें सुनकर तो शक्ति के दोस्तों के पेट में हंस हंस कर बल पड़ गए।
दोपहर में सबने साथ मिलकर लंच किया। लंच के बाद अधिराज जी और अम्बिका जी घर के लिये निकल गए। शक्ति के दोस्त भी उसे नए घर और सगाई की शुभकामनाये देकर चले गए। बाकि सब शक्ति के साथ लॉन में आ बैठे और बाते करने लगे। कुछ देर बाद ऋतू न अपना फोन निकालते हुए कहा,”हे गाईज एक सेल्फी हो जाये ?”


“हाँ क्यों नहीं ? लाओ हम लेते है।”,शक्ति ने कहा
“ओह्ह्ह वाओ जीजू , यू आर सो कूल”,ऋतू ने अपना फोन शक्ति की ओर बढ़ाकर कहा
शक्ति ने फोन का केमेरा ऑन किया और चारो लड़किया उसके पास चली आयी। काशी और गौरी उसके अगल बगल थी शक्ति ने सेल्फी लेने के लिये अपना हाथ हवा में उठाया और बाकि सब पाउट और स्माइल करने लगी।

शक्ति सेल्फी ले पता तभी एक गोली तेजी से आकर शक्ति के सर के बगल से निकली और जाकर सीधा घर की खिड़की पर लगी। सभी घबरा गए , क्या हुआ किसी को कुछ समझ नहीं आया और शक्ति की आँखों में किसी अनहोनी का भाव तैरने लगा। ये गोली किस पर चली थी शक्ति पर , काशी पर या कोई और था निशाना,,,,,,,,,,,,,,,,?”

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संजना किरोड़ीवाल  

After everyone sat down, Gauri joined in and picked up her glass of juice. Amidst the conversations, Gauri’s tales of Banaras amused Shakti’s friends, leaving them in fits of laughter. Following a group lunch, Adhiraj and Ambika left for home. Shakti’s friends bid her farewell, extending their good wishes for her new home and engagement. The rest of them settled in the lawn with Shakti, engaging in more conversations. After a while, Ritu took out her phone and suggested, Hey guys, let’s take a selfie?

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