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Main Teri Heer – 54

Main Teri Heer – 54

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

अपनी किट्टो मौसी को वहा देखकर गौरी उनके पास आयी और गले लगते हुए कहा,”मैं आपसे बहुत नाराज हूँ आपने आने में इतनी देर क्यों की ? पता है हमारी सगाई हो भी चुकी है,,,,,,,,,!!”
“आई ऍम सो सॉरी माय लव मैं ट्रेफिक में फंस गयी थी इसलिये लेट हो गयी,,,,,,,,,,,,रिंग सेरेमनी हो गयी तो क्या हुआ सगाई की शाम तो अभी बाकि है ना,,,,,,,,दामाद जी से नहीं मिलवाओगी ?”,किट्टो ने गौरी के हाथो को थामकर कहा


गौरी किट्टो मौसी का हाथ थामे उन्हें मुन्ना के पास लेकर आयी और कहा,”मान ये किट्टो मौसी मैंने तुम्हे बताया था फोन पर,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने किट्टो के पैर छूने चाहे तो उन्होंने उसे रोक दिया और गले लगाते हुए कहा,”ये पैर वैर छूना ओल्ड फैशन हो चुका है दामाद जी , आप तो सीधा गले मिलिए”
“किट्टो ये क्या कर रही हो ?”,नंदिता ने दबी आवाज में कहा क्योकि वहा इतने सारे मेहमान थे उनके बीच नंदिता किट्टो को डांट भी तो नहीं सकती थी।

किट्टो कोई और तमाशा ना करे सोचकर नंदिता उसके पास आयी और उसे मुन्ना के सामने से साइड लाते हुए कहा,”किट्टो आओ मैं तुम्हे मानवेन्द्र जी के घरवालों से मिलवाती हूँ,,,,,,,,,,!!”
मुन्ना ने देखा गौरी अकेले खड़ी है तो वह उसके बगल में चला आया और धीरे से कहा,”गौरी,,,,,,,,,,,क्या तुम हम से नाराज हो ?”
“नहीं ! किसने कहा मैं तुम से नाराज हूँ ?”,गौरी ने भी सामने देखते हुए धीमे स्वर में कहा
“तो फिर तुम हमारी तरफ देख क्यों नहीं रही हो ?”,मुन्ना ने धीरे से कहा


“मान आज हमारी नयी जिंदगी का सबसे ख़ास दिन है और आज के दिन भी तुमने मेरा दिल तोड़ दिया , मेरा दिल रखने के लिये ही सही तुम मेरी पसंद के कपडे पहन लेते,,,,,,,,,,,,,अगर तुम्हे पसंद नहीं थे तो तुम मुझसे कह सकते थे। इन कपड़ो में भी तुम बहुत अच्छे लग रहे हो , इतने अच्छे कि मैं तुम्हे देखना चाहती हूँ लेकिन हर बार खुद को रोक लेती हूँ क्योकि मैं तुम से नाराज हूँ,,,,,,,,उफ़ मैं तो ठीक से तुम पर गुस्सा भी नहीं कर पा रही हूँ”,कहते कहते गौरी का गला रुंध गया और उसकी आँख से टपककर आँसू की एक बूंद मुन्ना के हाथ पर आ गिरी।


गौरी की आँखों में आँसू देखकर मुन्ना का दिल कट सा गया , गौरी अपनी जगह सही थी उसने मुन्ना से ज्यादा कुछ नहीं माँगा था मुन्ना चाहता तो उसे साफ़ मना भी कर सकता था लेकिन उसने अनजाने में गौरी का दिल दुखा दिया। मुन्ना ने अपने हाथ को ऊपर उठाया जिस पर आँसू की बूंद गिरी थी। गौरी ने नम आँखों से मुन्ना की तरफ देखा तो मुन्ना ने गौरी की आँखों में देखते हुए उस बूंद को अपने होंठो से छूकर कहा,”इसके लिये तुम हमे जो सजा दोगी हमे मंजूर है,,,,,,,,,,,!!”

गौरी कुछ कहती इस से पहले काशी ने आकर कहा,”ये आप दोनों के बीच क्या खुसर पुसर चल रही है ?”
“कुछ नहीं गौरी कह रही है कि इन कपड़ो में हम बहुत अच्छे लग रहे है , और वो चाहती है शादी के बाद हम ऐसे ही कपडे पहने,,,,,,,,,,,,,,!”,मुन्ना ने एकदम से कहा जिसकी उम्मीद गौरी को भी नहीं थी उसने हैरानी से मुन्ना को देखा तो मुन्ना दूसरी तरफ देखने लगा


“मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर गौरी जैसे ही जाने को हुई मुन्ना ने गौरी का हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”अब तुम हम से दूर नहीं जा सकती हो गौरी शर्मा,,,,,,,,,हमने हमेशा हमेशा के लिये फंसा लिया है तुम्हे”
गौरी ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मुन्ना के हाथ की पकड़ इतनी मजबूत थी कि गौरी वहा से आगे नहीं बढ़ पायी , कुछ देर बाद पंडित जी ने दोनों को वापस बैठने को कहा और दोनों एक दूसरे की बगल में आ बैठे।

नंदिता किट्टो को मुन्ना के घरवालों से मिलवाने लगी। इस उम्र में भी किट्टो काफी खुशमिजाज और चंचल थी। वह आई बाबा , शिवम् सारिका और अनु से मिली , बाकि मेहमानो से मिलकर नंदिता किट्टो को साथ लेकर मुरारी के पास आयी। मुरारी जिसका दिल अभी भी जोरो से धड़क रहा था और अपनी धड़कनो पर काबू पाने के लिये मुरारी पानी पर पानी पिये जा रहा था।


“समधी जी,,,,,,,,,,,,,,,समधी जी”,नंदिता ने कहा तो मुरारी ने अपनी छाती पर हाथ रखकर एक गहरी साँस ली और पलट गया। सामने किट्टो मौसी और नंदिता खड़ी थी। नंदिता ने अपनी बहन की तरफ इशारा करके कहा,”ये मेरी बहन गौरी की मौसी किट्टो,,,,,,,,,,,!!”
“नमस्ते,,,,,,,,,,,,,,समधी जी”,किट्टो ने अपने दोनों हाथो को जोड़कर मुरारी की तरफ देखकर कहा


मुरारी कुछ कहता इस से पहले ही नंदिता को किसी ने आवाज दी और वह वहा से चली गयी। नंदिता के जाते ही मुरारी ने भी जैसे ही वहा से निकलने की कोशिश की किट्टो ने कहा,”क्या बात है मिसिर जी,,,,,,,,,,,,,,हमारी नमस्ते का जवाब भी नहीं देंगे ?”
मुरारी ने फिर एक गहरी साँस ली और बिना कुछ कहे वहा से चला गया। किट्टो जाते हुए मुरारी को देखकर मुस्कुराइ और खुद से कहा,”लगता है कलेजे के किसी कोने में मोहब्बत आज भी ज़िंदा है”
किट्टो वहा से दूसरी तरफ चली गयी।

वंश ने देखा निशि फिर गायब हो गयी है। वह निशि को ढूंढते हुए यहाँ वहा घूमने लगा लेकिन वो उसे कही दिखाई नहीं दी। कुछ देर बाद वंश मुन्ना और गौरी की तरफ जाने लगा तो उसकी नजर निशि पर चली गयी। गेस्ट हॉउस की गैलरी में खड़ी निशि अपनी साड़ी की सलवटों को सही करने की नाकाम कोशिश कर रही थी। वंश ने देखा तो निशि के पास आया और उस से कुछ दूरी बनाकर खड़े हो गया। निशि को ध्यान नहीं रहा वह बस अपनी सलवटों को सही करने में लगी थी।

“मैं कुछ मदद करू ?”,वंश ने निशि को परेशान होते देखकर कहा
वंश की आवाज सुनकर निशि ने चौंककर सामने देखा , वंश खड़ा था निशि को तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। निशि को हैरान परेशान देखकर वंश ने कहा,”क्या हुआ ? कोई भूत देख लिया क्या ? देखो मैं बस जेनुअन पूछ रहा हूँ,,,,,,,,,,,बाकि तुम्हे मेरी मदद नहीं चाहिए तो मैं चलता हूँ”
कहते हुए वंश जैसे ही जाने के लिये मुड़ा निशि ने कहा,”अह्ह्ह्ह सुनो”


वंश के होंठो पर एक बड़ी सी मुस्कान तैर गयी। वह निशि की तरफ पलटा और कहा,”जी निशि जी,,,,,,!!”
वंश के मुंह से आज शहद टपकते देखकर निशि को तो अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन फ़िलहाल उसके लिये जरुरी था वंश की मदद लेना इसलिये उसने कहा,”क्या तुम ये कर सकते हो ? आई मीन ये करते हुए तुम्हारा मेल ईगो तो बीच में नहीं आयेगा ना,,,,,,,,,,?”


निशि की बात सुनकर वंश निशि की तरफ आया और घुटनो पर बैठकर निशि की साड़ी की सलवटों को सही करते हुए कहा,”दुनिया के सामने अकड़कर चलने वाला लड़का अगर झुककर तुम्हारी साड़ी की सलवटें सही करे तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
इतना कहकर वंश रुक गया , वंश के इन चंद शब्दों ने निशि के दिल को धड़का दिया वह एकटक वंश की तरफ देखने लगी और कहा,”तो ?”


“तो समझो लड़का वेला है उसके पास कोई काम नहीं हैं,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने निशि की साड़ी को सही किया और उठ खड़ा हुआ। निशि उसे देखते ही रह गयी इतनी अच्छी बात को वंश ने इतने बेकार तरीके से खत्म जो किया था।

निशि को उलझन में देखकर वंश ने कहा,”ओह्ह्ह हेलो ज्यादा मत सोचो , मेरे पापा बहुत स्ट्रिक्ट है लिखे अ स्ट्रांग पर्सनालिटी,,,,,,,,,,,जिनके सामने कोई ज्यादा बात नहीं करता लेकिन मैंने हमेशा पापा को माँ के लिये उनकी साड़ी सही करते देखा है,,,,,,,,,,,,,,,उस वक्त वो बिल्कुल मोम की तरह नजर आते है उनके चेहरे पर कोई टफनेस नहीं होती,,,,,,,,,,,,,,मैंने जब माँ से पूछा ऐसा क्यों है तो उन्होंने बताया कि मर्द अपनी पसंदीदा औरत के लिये ये कर सकता है।”


“तो क्या मैं तुम्हारी पसंदीदा औरत हूँ ?”,निशि ने खोये हुए स्वर ने कहा
“नहीं पर तुम चाहो तो बन सकती हो,,,,,,,,,,,!”,वंश ने निशि के करीब आकर कहा और उसे एकटक देखने लगा। वंश का यू देखना निशि के दिल की धड़कने बढ़ा रहा था लेकिन वह खामोश खड़ी थी। वंश ने निशि की आँख के किनारे से धीरे से कहा,”कहते है जब कोई बहुत सुंदर लगे तो उसे काला टिका लगा देना चाहिए ताकि उसे किसी की नजर ना लगे,,,,,,,,,,,,,!!”


“क्या मैं इतनी सुंदर लग रही हूँ ?”,निशि ने हैरानी से कहा
“तुम नहीं मैं अपनी बात कर रहा हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश ने इतराते हुए काजल अपने कान के पीछे लगाया और वहा से चला गया
निशि ने सूना तो झल्लाकर कहा,”अह्ह्ह्ह चिरकुट,,,,,,,,,,,,तुम कभी नहीं सुधर सकते,,,,,,,,,,,,!!”
निशि ने कहा लेकिन अफ़सोस के वंश निशि के कहे शब्द नहीं सुन पाया , निशि भी वहा से चली गयी।

गौरी की किट्टो मौसी कोई और नहीं बल्कि मुरारी की वही प्रेमिका थी जिसकी बात फूफाजी कर रहे थे और जिनके लिये मुरारी ने अपनी नस काट ली थी। मुन्ना की होने वाली दुल्हिन मुरारी की प्रेमिका की भांजी होगी मुरारी ने ये कभी सपने में भी नहीं सोचा था। पहले मुरारी अनु से छुपता फिर रहा था अब उसे किट्टो मौसी से भी छुपना पड़ रहा था।  


डेकोरेशन एरिया में रखे बड़े से फ्लावर पॉट के पीछे छुपा मुरारी इधर उधर देख ही रहा था कि तभी किसी का हाथ उसके कंधे पर पड़ा। मुरारी की सांसे  हलक में अटक गयी।
मुरारी धड़कते दिल के मन ही मन महादेव से प्रार्थना कर रहा था कि आज एक बार फिर वे उसे बचा ले क्योकि उसकी पीठ पीछे अनु या किट्टो मौसी के रूप में मौत जो खड़ी थी।

मुरारी इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था कि हाथ ने फिर से मुरारी के कंधे को थपथपाया। मौत का बुलावा आ चुका है सोचकर मुरारी हाथ जोड़कर बिलबिलाते हुए पलटा और कहा,”अरे हमका माफ़ करि दयो हमहू कुछो ना किये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हैं फूफा तुम , तुम हिया का कर रहे हो ?”
कहते हुए मुरारी ने सामने देखा  


फूफा को अपने सामने देखकर मुरारी हैरान था। फूफा ने मुरारी को घबराया देखा तो कहा,”का हो मुरारी ? हिया काहे छुपे फिर रहे हो तुमहू ?”
मुरारी ने खा जाने वाली नजरो से फूफा को देखा और कहने लगा,”एक नंबर के चुड़ैल आदमी हो तुम फूफा , आग लगे तुम्हरी जबान को साला तुमने ही मधुबाला का जिक्र करके मनहूसियत फैलाई है हमरे जीवन में,,,,,,,,,,,,,,,तुमहू साला नाम लिये और उह हाजिर,,,,,,,,,,,अरे तुम्हरे चक्कर में अभी हमरी फू फा हो जाती ,, साला जबसे सगाई में आये हो हमरी जिंदगी में कुंडली मार लिये हो ,

किसी दिन हार्ट अटैक देकर मानोगे हमका,,,,,,,,,,,,फटी में टांग अड़ाने की आदत तो इतनी है कि कौन का कर रहा है ? काहे परेशान है ? सब जानना है तुमको,,,,,,,,,,,,,मेहमान बनकर आये हो तो मेहमान बनकर रहो ना हमरे बाप बनने की कोशिश काहे कर रहे हो ? और किस से छुपेंगे हम , तुम से छुप रहे है,,,,,,,,,,का है कि हमरा क्रियाकर्म करने का सारा पिरोगराम बनारस से बनाकर चले हो तुम,,,,,,,,,,,,एक मुन्ना की सगाई तुम्हरे कहने पर नहीं किये तो का इसका बदला तुमहू ऐसे लोगे हमसे,,,,,,,,,,,हमायी छाती पर हल चलाकर,,,,,,,,,,

साला हम ही चू ,, भंड आदमी है जो तुमको जे सगाई में न्योता दिया ,, लक्षण तो तुमरे फांके मारने वाले भी नहीं है,,,,,,,,,,,,अगर आज कुछो गड़बड़ हुई ना फूफा तो कसम बनारसी पान की रसगुल्ला में जहर मिलाकर आधा खिला देंगे तुमको और बाकी बचा खुद खा लेंगे का है कि तुमहू जो रायता फ़ैलाने का सोचे हो उह हमसे तो नाही समेटा जायेगा,,,,,!!”


“मुरारी , मुरारी , अरे का हुआ ? ऐसे मुँह फाड़े हमका काहे देख रहे हो ? अरे ठीक हो तुमहू ?”,फूफाजी ने मुरारी को झंझोड़ते हुए कहा तो मुरारी होश में आया

अब तक मुरारी ने जो कहा वो बस अपने मन में कहा वरना उस बेचारे की इतनी हिम्मत कहा कि फूफाजी को इतना सब सुना सके। मुरारी होश में आया और फूफा को साइड में लाकर फुसफुसाते हुए कहा,”जे मधुबाला हिया का कर रही है ?”


“हमे का पतो तुम्हायी सेटिंग,,,,,,,,,,,,,!!”,फूफा ने इतना ही कहा कि मुरारी ने फूफा को दबोचते हुए कहा,”एक ठो काम करो पर्चे छपवाय दयो पुरे इंदौर में हमरे नाम के,,,,,,,,,,,और जे सेटिंग का होती है फूफा ? इज्जत से नाम ल्यो हमायी पहली मोहब्बत रह चुकी है उह,,,,,,!!”


“हमको तो लगता है थोड़ी मोहब्बत आज भी बची है मुरारी,,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने मुरारी को छेड़ते हुए कहा
“बकवास ना करो फूफा , मैग्गी को अगर इसकी खबर भी हुई ना तो हम नहीं हमरी अस्थिया जाएँगी बनारस उह भी लौटे में,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने परेशानी भरे स्वर में कहा

“मुरारी मधुबाला तुम्हरा अतीत है और अनु बिटिया तुम्हरा वर्तमान पर तुमहू साले लंगोट के ढीले यहा अपने भविष्य के जुगाड़ में लगे हो”,फूफाजी ने कहा
“मतलब ?”,मुरारी ने हैरानी से पूछा
“मतलब जे कि देखा हमने नाजुक हाथो से जलेबी खाते तुमको,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा तो मुरारी मन ही मन झल्लाया , आखिर उसे कांड करते ऐसे लोग ही क्यों देखते है जिनसे उसे सबसे ज्यादा खतरा हो।

मुरारी मुस्कुराया और बात सम्हालते हुए कहा,”अरे फूफा वो तो बस ऐस ही,,,,,,,,,!!”
“सम्हल जाओ मुरारी वरना चाशनी बिखरते देर नहीं लगेगी,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा और वहा से चले गए मुरारी ने चैन की साँस ली और अगले ही पल फिर किसी का हाथ मुरारी के कंधे पर पड़ा और मुरारी की जान फिर हलक में अटक गयी।

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