Main Teri Heer – 47
Main Teri Heer – 47
मुन्ना अपनी बहनो को गौरी के घर छोड़ने आया था लेकिन गौरी ने उसे फंसा दिया और इस वजह से बेचारे मुन्ना को घर में आना पड़ा। मुन्ना थोड़ा शरमा रहा था लेकिन गौरी और उसके घरवाले बहुत खुश थे। अंदर आकर मुन्ना ने कुछ बड़ो के पैर छुए। वंश ने मुन्ना को देखा तो सोफे से कूदकर मुन्ना की तरफ आया और धीमे स्वर में कहा,”क्या बात है भाईसाहब , भाभी से दूर नहीं रहा जा रहा”
“घर चलो तुम से तो हम वहा बात करेंगे,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने भी फुसफुसाते हुए धीमे स्वर में कहा
वंश ने मुस्कुराते हुए जैसे ही मुन्ना के पीछे देखा उसे निशि नजर आयी। एक बारगी वंश को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ उसने अपनी आँखों को मसला और मुन्ना के पीछे देखा लेकिन तब तक निशि काशी के साथ वहा से जा चुकी थी।
“अह्ह्ह्ह लगता है मैं कोई सपना देख रहा हूँ,,,,,,,,,,!”,वंश बड़बड़ाया
“वंश भैया आप दिन में भी सपने देखते है क्या ?”,मुन्ना के पास खड़ी अंजलि ने वंश का मजाक उड़ाते हुए कहा
“ओह्ह्ह छोटी चुहिया तुम भी आयी हो , वैसे तुम्हे यहाँ किसने इन्वाइट किया ?”,वंश ने निशि के बालो को खींचकर कहा
“आह्ह ! देखिये ना मुन्ना भैया वंश भैया मेंरे बाल खींच रहे है।”,अंजलि ने कहा
“अंजलि को छोडो तुम बताओ , तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? तुम्हे नानाजी के घर में होना चाहिए,,,,,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने अपने दोनों हाथो को बांधकर वंश की तरफ देखते हुए कहा
वंश ने देखा गौरी मुन्ना के लिये चाय लेकर आ रही है तो उसने गौरी के कंधो पर अपना हाथ रखकर कहा,”मैं यहाँ अपनी होने वाली भाभी से मिलने आया था,,,,,,,,,,,,तुम्हे कोई दिक्कत है मुन्ना ?”
“नहीं हमे क्यों दिक्कत होगी ?”,मुन्ना ने कहा
गौरी ने चाय मुन्ना की तरफ बढ़ा दी और प्यार भरी नजरो से उसे देखने लगी। मुन्ना और गौरी को साथ देखकर वंश ने अंजलि से चलने का इशारा किया। मुन्ना और गौरी घर के हॉल में खड़े थे। मुन्ना गर्म चाय को फूंक मार रहा था और गौरी प्यार से उसे देख रही थी। घर में और लोग भी थे लेकिन सब अपने अपने कामो में व्यस्त थे गौरी और मुन्ना का किसी पर ध्यान ही नहीं था।
मुन्ना ने जैसे ही चाय पीने के लिये कप अपने होंठो से लगाया उसने देखा गौरी उसे ही देख रही है तो मुन्ना ने कहा,”तुम हमे ऐसे देखते रहोगी तो हम ये चाय नहीं पी पाएंगे,,,,,,,,,,,!!”
“मैं क्या करू , सुबह सुबह कोई इतना सुन्दर कैसे लग सकता है ? हाहहहहहह लगता है मैं फिर से तुम्हारे प्यार में पड़ जाउंगी”,गौरी ने अपने दोनों हाथो को गालों से लगाकर कहा
मुन्ना ने सुना तो मुस्कुराया और चाय पीने लगा हालाँकि गौरी की बातें मन ही मन उसे गुदगुदा रही थी लेकिन उसने अपनी भावनाओ को अपने चेहरे पर आने नहीं दिया।
मुन्ना ने चाय खत्म की और नंदिता से विदा लेकर जाने लगा। गौरी उसे दरवाजे तक छोड़ने आयी और जैसे ही मुन्ना जाने लगा उसे कुछ याद आया उसने जेब से अपना फोन निकाला और गौरी के साथ अपनी एक तस्वीर लेने लगा।
“क्या कर रहे हो मैं अभी तक नहायी भी नहीं हूँ”,गौरी ने मेहँदी से रंगे हाथो से अपना चेहरा छुपाते हुए कहा
“हमे फर्क नहीं पड़ता , हम तुम्हे मुरझाये चेहरे और उलझे बालो में भी बेइंतहा पसंद करेंगे,,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कैमरे में देखते हुए अपने बालों में से हाथ घुमाकर कहा।
मुन्ना की बात सुनकर गौरी प्यार से मुन्ना को देखने लगी और मुन्ना ने कैमरे में देखते हुए उस तस्वीर को कैद कर लिया। ये अब तक कि सबसे खूबसूरत तस्वीर थी। मुन्ना ने फ़ोन जेब में रखा और कहा ,”अच्छा हम चलते है,,,,,,,,,,,!!”
“मान,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा तो मुन्ना रुक गया गौरी उसके पास आयी और अपने होंठो से उसके गाल को छूकर कहा,”जल्दी आना , मैं तुम्हारा इंतजार करुँगी,,,,,,,,,,!!”
गौरी के होंठो का मुन्ना के गाल को , मुन्ना को कम्पन का अहसास दे गया उसने धीरे से हामी में सर हिलाया और वहा से चला गया। गौरी भी मुस्कुरा कर अंदर चली गयी।
DIG सर ने शक्ति को एक हफ्ते के लिये उसके काम से दूर कर दिया लेकिन शक्ति ने इस पर कोई प्रतिक्रया नहीं दी वह चुपचाप अपने घर चला आया। घर के लॉन में खड़ा शक्ति किसी सोच में डूबा हुआ था। जिस केस को लेकर वह पिछले कई महीनो से छान बीन कर रहा था और सच्चाई के करीब था उसी वक्त उसे इस केस से हटा दिया गया। शक्ति जानता था ये कुछ लोगो की सोची समझी चाल है लेकिन अभी वह इन सबको लेकर खामोश था। आसिफ उसके हाथ से निकल चुका था और जॉर्डन का कुछ अता पता नहीं था।
कबीर को लेकर शक्ति को शक जरूर था लेकिन उसके खिलाफ वह पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाया इसलिए कबीर को उसने कुछ वक्त के लिये ऐसे ही छोड़ दिया।
शक्ति गहरी सोच में डूबा था तभी उसका फोन बजा। शक्ति ने फोन देखा और उठाकर कान से लगा लिया। दूसरी तरफ से किसी की आवाज आयी और शक्ति ने कहा,”हमे एक हफ्ते के लिये पुलिस डिपार्टमेंट से सस्पेंड कर दिया गया है , हम कुछ नहीं कर सकते”
“अरे सर ! आप कब से डिपार्टमेंट के हिसाब से चलने लगे ,, DIG सर ने सिर्फ आपको लोगो की नजर में सस्पेंड किया है , बाहर वालो को क्या पता ? शांत रहकर भी तो आप अपना काम कर सकते है न,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे जानकर मिली है एक बड़ी तस्करी लेकर जॉर्डन माल रोड से शहर से बाहर जा रहा है। आपके पास ये अच्छा मौका है उसे पकड़ने का , एक बार जॉर्डन हाथ आ गया तो आपके लिये दूसरे लोगो तक पहुंचना आसान हो जायेगा”,एक मर्दाना आवाज शक्ति के कानों में पड़ी
शक्ति ने सुना तो कुछ देर शांत रहा और फिर कहा,”हम्म्म ठीक है ,हम पहुँचते है”
शक्ति ने फोन काट दिया और अपने कमरे की तरफ चला गया। खुद को सही साबित करने का ये सबसे अच्छा मौका उसके पास था।
अधिराज जी के घर में हंसी ख़ुशी वाला माहौल था। सभी घरवाले साथ थे मेहमान अपने अपने हिसाब से बैठकर बातें कर रहे थे , खा पी रहे थे और कुछ कमरों में आराम कर रहे थे। मुरारी ने देखा फूफाजी कब से पीछे आँगन में टहल रहे थे। मुरारी सबके बीच से उठा और पीछे आँगन में आया। परेशान फूफाजी टहलते हुए मुरारी से टकरा गए तो मुरारी ने कहा,”का गोद में चढ़ोगे का हमाई ?”
फूफाजी रुक गए उनके चेहरे से ही साफ पता चल रहा था कि परेशान है तो वो तो मुरारी ने कहा,”का हुआ ? कुछो बताओगे,,,,,,,,,,,जे बिगड़े ब्याह में नाइ बनकर काहे घूम रहे है ?”
“छोटे दामाद जी , ब्रेड पकोड़ा लीजिये,,,,,,,,,,,!!”,घर के नौकर ने आकर मुरारी से कहा तो मुरारी ने एक उठाया और एक टुकड़ा खाकर फूफाजी से कहा,”आप लेंगे ?”
“अह्ह्ह नहीं नहीं तुम जाओ,,,,,!!”,फूफाजी ने नौकर से कहा तो वह वहा से जाने लगा। मुरारी ने ट्रे में रखी हरी चटनी की कटोरी उठा ली और पकोड़े के साथ खाने का सोचकर जैसे ही डुबाया फूफाजी ने कहा,”ए मुरारी सुनो न,,,,,,,,,,,,!!”
“हाँ बताओ का समस्या है आपको ?”,मुरारी ने एक निवाला खाते हुए कहा
“लेट्रिन नहीं लग रहा है हमको,,,,,,,,,,,,लगता है कब्ज हो गया है , एक ठो सिगरेट का जुगाड़ हो जाई तो,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने धीरे से कहा
पकोड़े का निवाला मुरारी के मुंह में ही था और उस पर फूफाजी के मुंह से लेटरिंग की बात सुनकर मुंह का निवाला मुंह में ही रह गया। मुरारी ने खा जाने वाली नजरो से फूफाजी को देखा तो उन्होंने खिंसियाते हुए कहा,”जे चटनी हमने भी खाई थी कल रात में बस तभी से प्रेशर नाही बन रहा है , कुछो उपाय है तो बताओ मुरारी,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने जैसे ही सुना नफरत भरी नजरो से चटनी को देखा और फिर उलटी करने के ख्याल से मुंह के निवाले को साइड में निकाल दिया। मुरारी ने फूफाजी को वही रुकने का इशारा किया और चले गए। फूफाजी फिर बरामदे में चक्कर लगाने लगे।
मेहमानो से भरे घर में मुरारी फूफाजी के लिये सिगरेट का इंतजाम कैसे करे ? वह घर से बाहर चला आया आस पास कोई दुकान भी नहीं थी और शिवम् के डर से मुरारी खुद भी अपनी सिगरेट नहीं लाया था। मुरारी ने यहाँ वहा देखा घर के बाहर उसे एक रिक्शा वाला नजर आया मुरारी उसकी तरफ चला आया देखा रिक्शा वाला बीड़ी होंठो से लगाए गहरी सोच में डूबा था। मुरारी ने उसके होंठो से बीड़ी निकाली और कहा,”चचा जे हमहू रख लेते है तुमहू दूसरी जलाय ल्यो”
“अरे अरे ये क्या ? कौन हो भाई तुम ? अरे एक ही थी हमारे पास,,,,,,,,,,,,!!”,रिक्शा वाला कहते रह गया लेकिन मुरारी चला गया।
बीड़ी लेकर सीधे रस्ते से जाएगा तो सब देख लेंगे सोचकर मुरारी पीछे के रस्ते से जाने लगा। जाते जाते वह रुका और खुद से कहा,”बहुते दिन हो गए बीड़ी पिये हुए एक दो कश लगा लेते है,,,,,,,,,,,,!!”
मुरारी ने एक दो कश लगाए लेकिन मुरारी जहा हो और वहा कांड ना हो ऐसा भला हो सकता है। किसी काम से साइड में आये अधिराज जी की नजर मुरारी पर पड़ गयी उन्होंने मुरारी को कुछ पीते देखा तो उसकी तरफ चले आये हालाँकि मुरारी उनकी तरफ पीठ किये खड़ा था।
अधिराज जी ने मुरारी के पीछे आकर कहा,”दामाद जी , आप यहाँ क्या कर रहे है ?”
अधिराज जी की आवाज सुनकर मुरारी को काटो तो खून नहीं , उसने जल्दबाजी में हाथ में पकड़ी बीड़ी को बिना बुझाये अपने कुर्ते की जेब में रख लिया और गहरी साँस लेकर पलटते हुए कहा,”हाँ पापा ! क्या हुआ कुछ कह रहे थे आप ?”
“हमने देखा आप सिगरेट पी रहे थे,,,,,,,,!!”,अधिराज जी ने उलझन भरे कहा
“हहहहह ये क्या कह रहे है आप , हम भला क्या पिएंगे ? आपको क्या हम अब भी वही रंगबाज बनारसी लगते है ससुर जी ?”,मुरारी ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा तो अधिराज जी की नजर मुरारी के सीने की तरफ गयी जहा से हल्का हल्का धुँआ निकल रहा था। उन्होंने चौंकते हुए कहा,”लेकिन ये धुँआ ?”
मुरारी ने देखा तो जल्दी से अपना हाथ सीने पर रखा और कहा,”अरे जे तो आपकी बातो से हमरा दिल जला है उसका धुँआ है , आप आज भी हमको अनु के लायक नहीं समझते है ना ससुर जी,,,,,,,,,,,,,!!”
अधिराज जी को लगा उन्होंने मुरारी को गलत समझ लिया है इसलिये कहा,”अरे नहीं नहीं कैसी बाते कर रहे है आप , आईये अंदर आईये सब आपको पूछ रहे है और हमने आपको गलत समझा उसके लिये हम माफ़ी चाहते है।”
“आप चलिये हमहू आते है”,मुरारी ने कहा तो अधिराज जी वहा से चले गए और मुरारी भागा पीछे बरामदे की तरफ , उसने जेब से बीड़ी निकाली और फूफा की तरफ बढाकर कहा,”ल्यो सार ल्यो और फटाफट फारिग हो इस से पहिले कोनो और हमका देखे हम निकलते है।”
“अरे पर जे तो बीड़ी है,,,,,,,,,,,,!!”,फूफाजी ने कहा
“अच्छा,,,,,,,,,,,,,,हुक्का लगवाय दे आपके लिये , मुन्ना की सगाई में आये हो हमायी बारात में नाही , जे भी बहुते मुश्किल से मिला है चाहिए तो रखो वरना इधर दो”,मुरारी ने झुंझलाकर कहा
“नहीं नहीं ये ठीक है , आज आज इसी से काम चला लेते है”,कहते हुए फूफाजी वहा से चले गए।
मुरारी ने देखा बीड़ी को जेब में रखने की वजह से कुर्ते का के जेब में छेद हो चुका है उसने अफ़सोस से अपना सर झटका और आसमान में देखकर कहा,”और कोनो कलेश बाकी रखो है हमाई जिंदगी मा तो उह भी इह जन्म मा ही दिखाई दयो महादेव का है कि अगले जन्म मा जे सब न झेल पाई है।”
इतना कहकर मुरारी वहा से चला गया लेकिन उस बेचारे को कहा पता था असली कलेश तो उसकी जिंदगी में होना अभी बाकी था।
प्रताप का घर , बनारस
सुबह सुबह भूषण नया कुर्ता जींस पहने , आँखों पर काला चश्मा लगाये , मुंह में पान दबाये और पान से रंगे दांतों से बतीसी दिखाते हुए प्रताप के घर में पूरी चौड़ में चला आ रहा था। बिरजू ने जब भूषण को अंदर आते देखा तो उसके पास आया और कहा,”ए भूषणवा हिया काहे आये हो बे ? याद नहीं मालिक ने तुमको हिया आने से मना किया था , ओके बाद भी चले आये। हमरी बात मानो हिया से चले जाओ”
भूषण ने कुछ नहीं कहा उसने कुर्सी खिसकाई और उस पर आ बैठा , उसने अपने दोनों हाथो को बांधकर अपने सर के पीछे लगाया और अपने एक पैर को दूसरे पैर पर रखकर धुप सेंकने लगा।
बिरजू ने देखा उसकी बात का भूषण पर कोई असर नहीं हुआ है तो उसने फिर कहा,”हम तुमसे कुछो कह रहे है , का सुनाई नहीं दे रहा है का ? अगर मालिक ने तुमको हिया देखा तो बवाल हो जायेगा,,,,,,,,,,वैसे भी जबसे राजन बाबा की यादस्त गयी है मालिक भड़के हुए है तुम पर,,,,,,,,,,!!”
भूषण ने अपनी आँखों से चश्मा हटाया और पान की पीक वही आँगन में थूककर कहा,”का बवाल हो जायेगा बे ? प्रतापवा खुद हमको हिया बुलाये है ,, बोले कि कुछो पर्सनल बात करनी है,,,,,,,,,,,,,पर्सनल का मतलब समझते हो ना ?”
बिरजू ने सुना तो पहले हैरान हुआ और फिर हाँ में गर्दन हिला दी।
“तो हिया हमरे सर पर काहे खड़े हो जाओ जाकर दुइ कप चाय भिजवाओ और हाँ मीठा थोड़ा ज्यादा , का है कि कड़वे तो ज़माने के बोल ही बहुत है,,,,,,,,,,,चलो जाओ।”,भूषण ने कहा और एक बार फिर धुप सेंकने लगा
बिरजू वहा से चला गया लेकिन प्रताप का खुद भूषण को अपने घर बुलाना उसे आने वाले खतरे का संकेत लग रहा था। उसने पलटकर एक नजर आराम फरमाते भूषण को देखा और चला गया।
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संजना किरोड़ीवाल
Yeh Munna aur Guri ki love story kitni pyari hai… Munna ki sadgi aur Guri ki bachpan milkar dono ko Prem kahani ko behetreen banate hai… Munna bahot achcha hai…par usse bhi badhiya kirdar hai uske father sahab Murari…fufa ji ki baat padhkar mujhe kafi hasi aai…’humko letring nhi aai🤣🤣🤣 Murari ka pakoda bhi gaya… aur Murari ka kurta bhi .. bahot badhiya
Very very👍👍👍👍🤔🤔🤔🤔🤔
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