Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 45

Main Teri Heer – 45

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

DIG सर के फैसले से शक्ति को बहुत दुःख हुआ , जिस केस को लेकर शक्ति इतनी मेहनत कर रहा था , उसकी एक गलती की वजह से DIG सर ने वो केस उसी के जूनियर पंकज को दिया। शक्ति इस बात पर इतना हैरान नहीं था कि केस किसी और को दिया गया था बल्कि केस पंकज को मिला है सुनकर शक्ति को ज्यादा हैरानी हुई।
शक्ति ने DIG सर को सैल्यूट किया और वहा से बाहर निकल गया। अपने केबिन में आकर शक्ति कुर्सी पर आ बैठा हालाँकि वह आज ड्यूटी पर नहीं था क्योकि उसके हाथ और सर पर चोट लगी हुई थी।

शक्ति सोच में डूबा हुआ था तभी कॉन्स्टेबल उसके लिये चाय ले आया और टेबल पर रखते हुए कहा,”सर आपको ड्यूटी पर नहीं आना चाहिए आपको आराम करना चाहिए,,,,,,,,,,!!”
शक्ति की तंद्रा टूटी उसने कॉन्स्टेबल की तरफ देखा तो कॉन्स्टेबल ने थोड़ा धीमे स्वर में कहा,”सर DIG सर ने जान बूझकर आपको इस केस से हटाकर पंकज सर को ये केस दिया है,,,,,,,,,,,!!”
“मतलब ?”,शक्ति ने हैरानी से कहा


“सर DIG सर आज सुबह सुबह ही यहाँ चले आये थे , एक आदमी उनसे मिलने आया था और मैंने खुद सुना वो आदमी DIG सर से आपको इस केस से हटाने के लिये कह रहा था।”,कॉन्स्टेबल ने धीमी आवाज में कहा
कॉन्स्टेबल की बात सुनकर शक्ति की आँखे हैरानी से फ़ैल गयी और उसने कहा,”क्या तुम जानते हो वो आदमी कौन था ?”
“विक्रम अरोड़ा इस शहर के जाने माने बिजनेसमैन”,कॉन्स्टेबल ने कहा


“इसका मतलब आसिफ की भागने में मदद भी इन लोगो ने,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,शक्ति खुद में ही बड़बड़ाया
“सर अच्छा ही हुआ कि आप इस केस से बाहर हो गए , विक्रम अरोड़ा बहुत पावरफुल आदमी है वो कुछ भी कर सकता है। आप बहुत अच्छे इंसान है बस इसलिये मुझे आपकी परवाह है , हो सके तो आप इस केस से दूर रहिये सर”,कॉन्स्टेबल ने कहा और चाय का खाली कप लेकर शक्ति के केबिन से बाहर चला गया  

 कॉन्स्टेबल जैसे ही बाहर आया बाहर खड़े पंकज ने उसके हाथ में 500 का नोट थमाकर धीरे से कहा,”मैंने जो सिखाया था वो सर से कहा तुमने ?”
“हाँ सर मैंने सब वैसे ही कहा,,,,,,,,,,,!!”,कहकर कॉन्स्टेबल वहा से चला गया
पंकज ने अपनी वर्दी को सही किया और शक्ति के केबिन का दरवाजा खटखटाया तो अंदर बैठे शक्ति ने कहा,”यस कम इन”


पंकज अंदर आया , पंकज को वहा देखकर शक्ति ने कठोरता से कहा,”ये हम क्या सुन रहे है पंकज ? जिस केस में तुम हमारे अंडर काम कर रहे थे अब उस केस को तुम देखने वाले हो , क्या सच में ? इसे हम क्या समझे तुम्हारी काबिलियत या तुम्हारी गद्दारी जो तुमने हमारे साथ की है,,,,,,,,,,,,,!!”

पंकज शक्ति के पास आया और कहा,”सर ! ये कैसी बातें कर रहे है आप ? मैं भला ऐसा क्यों करूंगा ? कल रात तक तो मैं आपके साथ था मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता,,,,,,,,,,,,,मैं सच कह रहा हूँ सर मेरा विश्वास कीजिये।”
पंकज की बातें सुनकर शक्ति मन ही मन उलझकर रह गया और खुद में ही बड़बड़ाया,”अगर सर ने विक्रम अरोड़ा के कहने पर हमे इस केस से हटाया है तो इसका मतलब कबीर इसमें शामिल है और अपने बेटे को बचाने के लिये उसने ऐसा किया है,,,,,,,,,,,,!!”


“सर , मुझे आपके साथ रहकर काम करना है , मैं आपको बहुत मानता हूँ सर मैं अभी जाकर DIG सर से इस केस के लिये मना कर देता हूँ , मैं नहीं चाहता आप मुझे गलत समझे,,,,,,,,,,,!!”,पंकज ने कहा तो शक्ति अपने ख्याल से बाहर आया और उसे रोकते हुए कहा,”पंकज हमे तुम पर भरोसा है हमारे बिना भी तुम उन लोगो तक पहुँच जाओगे,,,,,,,,!!”
“लेकिन आपके बिना सर , ये तो आपका सपना था ना अपने कितनी मेहनत की है इसके लिये और आप चाहते है,,,,,,,,,,,,,,!!”,पंकज ने भावुक होकर कहा


शक्ति अपनी जगह से उठा और पंकज के सामने आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”पंकज हमने कहा ना हमे तुम पर भरोसा है,,,,,,,,!!”
पंकज ने सुना तो एक रहस्य्मयी मुस्कान उसके होंठो पर तैर गयी जिसे शक्ति नहीं देख पाया।
शक्ति ने टेबल पर रखा अपना फोन उठाया और जाने लगा तो पंकज ने कहा,”तो आज शाम आप सगाई में जा रहे है ना सर ?”


शक्ति पलटा और मुस्कुराकर कहा,”सारी खुदाई एक तरफ , जोरू का भाई एक तरफ,,,,,,,,,,,,,हम चलते है , फॉक्स ऑन योर वर्क,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू सर,,,,,डोंट वरी सर मैं जल्दी ही फिर से आसिफ को पकड़ लूंगा”,पंकज ने कहा तो शक्ति मुस्कुरा कर वहा से चला गया।

 बनारस , प्रताप का घर
राजन को लेकर प्रताप उलझन में था वह समझ नहीं पा रहा था आखिर राजन चाहता क्या था ? बिरजू प्रताप के लिये चाय का कप लेकर आया और प्रताप के सामने टेबल पर रखते हुए कहा,”मालिक हो ना हो राजन बौआ जे कच्चे आम काशी के लिये ही लेकर आये होंगे”
“का सबेरे सबेरे भांग वांग खा लिये हो का ? काशी के लिये काहे लाएंगे ? एक तो साला जे समझ ना आ रहो के रजनवा के दिमाग में का चल रहो ऊपर से तुमहु और उलझा रहे”,प्रताप ने बिरजू को झिड़कते हुए कहा


“अरे आप ही तो कहे रहे कि राजन बौआ के जीवन मा एक ही लड़की थी और उह थी काशी,,,,,,,,,,,,,तो का ऐसा नहीं हो सकता कि शिवमवा से बात कर के आप काशी  माँग ले राजन बौआ के लिये,,,,,,,,,,,,!!”,बिरजू ने कहा
“तुम हमको जे बताओ बिरजू भांग में और का का मिलाये हो तुम आज ? नहीं मतलब पूरा बनारस जानता है हमरी और शिवमवा की दुश्मनी के बारे में , उसके बाद हमने माफ़ी मांगकर जे दुश्मनी को खत्म भी कर दिया और तुमको याद हो तो काशी का रिश्ता हो चुका है उह भी इन्स्पेक्टर से,,,,,,,,,,,,तुम का चाहते हो अपना बुढ़ापा हमहू जेल में बिताये ?”,प्रताप ने कहा


प्रताप की बात सुनकर बिरजू को याद आया कि काशी की सगाई तो पहले ही हो चुकी है उस पर शिवम से राजन के लिये काशी का हाथ मांगना बेवकूफी होगी। उसने खिंसियाते हुए कहा,”हीहीही हमका माफ़ करि दयो , का है कि उम्र हो गयी है न तो कुछो याद ह नहीं रहता है। अब तो आपकी समस्या का एक ही इलाज है मालिक है,,,,,,,,,,,!!”
“उह का है ?”,प्रताप ने पूछा


“अपनी जात बिरादरी में कोनो लड़की देखकर ब्याह कर दयो राजन बौआ का,,,,,,,,,,,,,,एक ठो बार ब्याह हो जाही तो काशी को अपनेआप भूल जाही है।”,बिरजू ने कहा
“हम लगता है अब यही तरिका अपनाना पडेगा,,,,,,,,,,,,,,,हमहू आज ही बड़े भाईसाहब से बात करके रजनवा के लिये रिश्ता देखने को कहते है।”,प्रताप ने चाय का कप उठाते हुए कहा और बिरजू वहा से चला गया    

दिल्ली , चौहान साहब का घर
“यादव ! मुझे एक बात बताओ मैं तुम्हे तनख्वाह काम करने की देता हूँ या बहाने बनाने की,,,,,,,,,,,,,,,,,मैंने तुमसे कहा था बनारस से सबूत लिये बिना वापस नहीं लौटना लेकिन तुम खाली हाथ आये हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उस उर्वशी का क्या हुआ ?”,चौहान साहब ने यादव पर भड़कते हुए कहा
“उर्वशी ने ये काम करने से मना कर दिया , उसने कहा वो मुरारी मिश्रा और उसके परिवार को नुकसान नहीं पहुंचा सकती,,,,,,,,,,,,,,,!!”,यादव जी ने अफ़सोस भरे स्वर में कहा


“ये उर्वशी के पर कुछ ज्यादा ही निकल आये है , लगता है इन्हे काटना ही पडेगा,,,,,,,,,,उसे मैं बाद में देख लूंगा अभी के लिये अर्जेन्ट में इंदौर के लिये कोई फ्लाइट है तो उसे बुक करो,,,,,,,,,!!”,चौहान साहब ने अपनी घडी में समय देखते हुए कहा
“आप इंदौर जा रहे है , ऐसे अचानक ?”,यादव जी ने हैरानी से कहा


“हाँ ! अरोरा के लौंडे का एक्सीडेंट हुआ है और सुनने में आया है कि ड्रग केस में फंसा है वो,,,,,,,,,,,,मेरे अरोड़ा से अच्छे संबंध है और इसके चलते उसके बेटे से भी,,,,,,,,,,,,,इलेक्शन आने वाले है और मैं इन सब में फंसना नहीं चाहता , मेरे इंदौर जाने का इंतजाम करो और हाँ उर्वशी से बात करो और मनाओ उसे,,,,,,,,,,,,,,,,क्योकि बनारस में वही है जो मुरारी मिश्रा को अपनी अदाओ में फंसाकर उस से कुछ भी निकलवा सकती है,,,,,,,,,,,,,,ये सब उसके लिये मुश्किल नहीं है।”,चौहान साहब ने कहा


“उर्वशी बनारस में नहीं है , उसके नौकर ने बताया वो किसी जरुरी काम से इंदौर गयी है,,,,,,,,,,,आप भी इंदौर जा रहे है तो क्यों ना उर्वशी के साथ एक मीटिंग रख ली जाये,,,,,,,,,,,आप कहेंगे तो शायद वो आपकी बात ना ताले , वरना हम जैसो को तो वह कुछ नहीं समझती है,,,,,,,,,,,!!”,यादव जी ने कहा
“ठीक है मैं खुद उस से बात करता हूँ,,,,,,,,,,!!”,कहकर चौहान साहब वहा से चले गए।

इंदौर , गौरी का घर
मुन्ना से बात करने के बाद वंश घर के अंदर आया। गौरी हॉल में ही थी और किसी बात पर जय के साथ बहस कर रही थी। गौरी ने जैसे ही वंश को देखा जय को साइड कर ख़ुशी से चहकते हुए कहा,”वंश , तुम कब आये ?”
वंश जो कि गौरी का अच्छा दोस्त था लेकिन रिश्ते में अब गौरी का देवर बनने वाला था इसलिये उसे शरारत सूझी और उसने आकर सबके सामने सीधा गौरी को गले लगाते हुए कहा,” भाभीईईईईई , आपको देखकर अच्छा लगा कैसी है आप ?”


बेचारी गौरी जिसे वंश से इसकी उम्मीद नहीं था हैरान रह गयी , उस पर उसकी हैरानी तब और बढ़ गयी जब वंश ने उसे भाभी और आप कहकर बुलाया।
वंश गौरी से दूर हटा तो गौरी ने कहा,”मैं मैं ठीक हूँ , तुम कैसे हो ? काफी अच्छे लग रहे हो और फिट भी,,,,,,,,,,,!!”
“मैं तो कहता हूँ अभी भी टाइम है , भाग चलो मेरे साथ मुन्ना को मैं बाद में समझा दूंगा,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने गौरी के करीब आकर धीरे से फुसफुसाते हुए कहा


गौरी ने हल्का सा मुक्का वंश के सीने पर मारा और कहा,”फिट होने के साथ साथ शरारती भी हो गए हो,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम अकेले आये हो ?”
“ये सब बाद में मुझे बहुत भूख लगी है पहले कुछ खिलाओ,,,,,,,,,,!!”,वंश ने अपनी पीठ से बैग उतारकर नीचे रखते हुए कहा
“लो बेटा ये खाओ आज नाश्ते में छोले भटूरे बने है,,,,,,,,,!!”,नंदिता ने आकर प्लेट वंश की तरफ बढ़ाते हुए कहा


वंश ने नंदिता को देखा तो उनके पैर छुए और कहा,”कैसी है आप ? वैसे खुश ही होंगी कुछ दिनों बाद ये तूफान हमेशा के लिये आपके घर से जो जा रहा है”
“हाहाहाहाहा सही कहा , गिव मी अ हाई फाइव ब्रो,,,,,,,,,,,!!”,वंश की बात सुनकर जय को बड़ा मजा आया उसने वंश की तरफ आकर कहा तो वंश ने उसे हाई फाइव दिया और जैसे ही गौरी की तरफ देखा पाया गौरी उसे खा जाने वाली नजरो से देख रही है।


वंश ने गौरी को बड़ी सी स्माइल दी और नंदिता के हाथ से प्लेट लेकर कहा,”थैंक्यू आंटी !”
“आराम से बैठो इसे अपना ही घर समझो , गौरी तुम यही बैठो और देखना वंश को कुछ चाहिए हो तो,,,,,,,,,,,!!”,कहकर नंदिता वहा से चली गयी  

गौरी वंश के बगल में आ बैठी , वंश छोले भटूरे खाने लगा।
“मुझे लगा तुम मान और बाकि फॅमिली के साथ आओगे,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने कहा
“वो लोग बनारस से आ रहे है और मैं मुंबई में था तो नवीन अंकल , मेघना आंटी और उस छिपकली के साथ मुंबई से सीधा यहाँ चला आया ,, मैं तो नानू के घर भी नहीं गया क्योकि मुझे सबसे पहले तुम से मिलना था,,,,,,,,,,,,,,!!”,वंश ने खाते हुए कहा


“तुम निशि को अभी भी छिपकली बुलाते हो ?”,गौरी ने हैरानी से कहा क्योकि कुछ दिन पहले ही उसने मुन्ना से सुना था कि वंश और निशि के बीच सब ठीक हो गया है।
वंश ने सुना तो गौरी की तरफ पलटकर चिढ़ते हुए कहा,”तो तुम क्या चाहती हो मैं उसे बाबू , बेबी , निशु बुलाऊ ? वो लड़की मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।  हाह ! कितना घमंड है उस में,,,,,,,,,,,,!!”


गौरी समझ गयी कि वंश फिर निशि से झगड़ा करके आया है वह वंश का मूड खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए कहा,”ए तुम कितने बेकार हो , यहाँ मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया है और तुम अकेले सब ठुसे जा रहे हो,,,,,,,,,,,,,क्या तुम्हारा फर्ज नहीं बनता अपनी प्यारी भाभी को खिलाने का,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह सॉरी मैं तो भूल ही गया था,,,,,,,,,,,,,,एक काम करो जाकर दूसरी प्लेट ले लो”,वंश ने साइड में होते हुए कहा तो गौरी ने मुंह बना लिया और जैसे ही जाने लगी वंश ने उसका हाथ पकड़कर उसे बैठा लिया और कहा,”रुको , बैठो,,,,,,,,!!”


वंश ने जैसे ही निवाला तोड़कर गौरी को अपने हाथ से खिलाना चाहा गौरी का फोन बजा , वंश ने गौरी से फोन उठाने का इशारा किया। गौरी ने देखा मुन्ना का विडिओ कॉल है तो उसने जल्दी से उठाकर कहा,”मैं जानती थी तुम्हे इंदौर आने की बहुत जल्दी है , अब तुम मुझसे दूर नहीं रह पा रहे होंगे,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा ही है ना ? ओह्ह्ह्ह मैं जानती थी”


वंश ने सुना तो मुस्कुराने लगा और निवाला गौरी की तरफ बढ़ा दिया। गौरी ने मुन्ना से विडिओ कॉल पर बात करते हुए वंश के हाथ से निवाला खा लिया। मुन्ना ने देखा गौरी को खाना खिलने वाला हाथ जाना पहचाना है तो उसने कहा,”तुम्हारे पास कौन है ?”


“खुद ही देख लो,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए गौरी ने अपना फोन वंश की तरफ कर दिया तो वंश ने मुन्ना को देखकर मुस्कुराते हुए कहा,”हर हर महादेव भाईसाहब”
मुन्ना कुछ जवाब देता इस से पहले वंश को नजर गौरी के गाल पर गयी और उसने गौरी के गाल पर लगे कचरे को हटा दिया ये देखकर मुन्ना को एक मीठी सी जलन का अहसास हुआ और उसने फोन काट दिया।”

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