Main Teri Heer – 24
Main Teri Heer – 24
ऑटो में बैठी निशि वंश की बाँहो में थी और वंश ने अपने हाथ ऊपर हवा में उठा रखे थे। अगले ही पल निशि को होश आया और उसने वंश से दूर होते हुए कहा,”तुमने जान बूझकर किया”
“मैंने क्या किया ? ऑटो वाले ने ब्रेक लगाया,,,,,,,,,,,,,अब ये मत बोलना ऑटो वाला मुझसे मिला हुआ है।”,वंश ने चिढ़ते हुए कहा
“हाँ हाँ तुम तो बहुत शरीफ हो ना,,,,,,,,,,!!”,निशि ने वंश को आँखे दिखाते हुए कहा
“यस आई ऍम,,,,,,!!”,वंश ने कहा अकड़ते हुए कहा
“अच्छा अगर तुम इतने ही शरीफ होते ना तो बनारस में वो नहीं करते,,,,,,,,,!!”,निशि ने पुरानी बाते याद करते हुए कहा
“वो क्या ?”,वंश ने कहा
“वो ही,,,,,,,,!!”,निशि ने खीजते हुए कहा
“अरे तो लेकिन वो ही क्या ?”,वंश ने थोड़ा गुस्से से कहा
“तुम मुझे किस नहीं करते,,,,,,,,,,!!”,निशि ने भी गुस्से से कहा
“अह्ह्ह्हह तुम्हे लगता है मैंने वो जानबूझकर किया था ? ऐसा कुछ नहीं था वो बस हो गया इसमें मेरी कोई गलती नहीं है। इतनी ही दिक्कत है न मुझसे तो उधर खिसक कर बैठो,,,,,!!”,वंश ने कहा तो निशि मुंह बनाकर साइड में खिसक गयी और दोनों बाहर की तरफ देखने लगे।
बाहर देखते हुए निशि मन ही मन खुद से कहने लगी,”हाह ! समझता क्या है खुद को ? खुद को बहुत बड़ा हीरो समझता है इसे लगता है सब लड़किया इसके पीछे पागल है , मुन्ना भैया ने कहा मैं इसके नार्मल पेश आउ लेकिन ये , ये तो सीधे मुंह बात तक नहीं करता,,,,,,,,,,,,,मैं ही गधी थी जो उस दिन इस गधे को बचाया,,,,,,,,,,ऊपर से मेरी जिंदगी का पहला किस मैंने इस चिरकुट को किया,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्हह इसके साथ रहूंगी तो पागल हो जाउंगी मै”
दूसरी तरफ वंश ऑटो से बाहर देखते हुए खुद में बड़बड़ाने लगा,”क्या अजीब लड़की है ? जब देखो तब बस झगड़ने को तैयार रहती है ,, जबान तो ऐसे है जैसे कड़वा करेला,,,,,,,,,,मेरे बारे में कितनी गलत राय रखती है ये मैं भला इसका फायदा क्यों उठाऊंगा ? बनारस में क्या लड़कियों की कमी थी पर मैं हमेशा रहा ना अपनी हद में और इसे लगता है मैं हर लड़की पर लाइन मारता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,बनारस में जो हुआ वो सब अनजाने में हुआ मैंने जानबूझकर किस थोड़ी किया था इसे , एक तो मैं इसे बचाने के लिये पानी में कूदा और ये मुझे ही गलत बोल रही है ,, ऊपर से मेरा पहला किस भी बेकार चला गया,,,,,,,,,,,,,,!!”
वंश और निशि दोनों ख़ामोशी से मन ही मन खुद में बड़बड़ा रहे थे कि तभी वंश का फोन बजा। वंश ने फोन कान से लगाया और हाँ हूँ करने के बाद ऑटो वाले से कहा,”भैया यही रोक दीजिये”
निशि ने सुना तो हैरानी से वंश की तरफ देखने लगी क्योकि दोनों अभी घर नहीं पहुंचे थे। वंश नीचे उतरा और ऑटोवाले को किराया देकर कहा,”मैडम का किराया मैडम से ले लेना,,,,,,,,,,,,,!!”
वंश ने एक नजर निशि को देखा और जाने लगा तो निशि ने कहा,”ए तुम कहा जा रहे हो ?”
“मैं तुम्हे बताना जरुरी नहीं समझता,,,,,,,,,!!”,कहकर वंश वहा से चला गया
निशि ने मायूस होकर ऑटोवाले से कहा,”चलिए भैया”
निशि के कहने पर ऑटोवाला आगे बढ़ गया।
प्रताप का घर , बनारस
अपने पिताजी से शादी की बात सुनकर राजन अपने कमरे में चला आया। शादी के नाम से ही राजन का मन बेचैन हो गया। राजन ने अपने कमरे में आकर कबर्ड खोला और जल्दी जल्दी उसमे कुछ ढूंढने लगा। ऐसा करते हुए कबर्ड में रखा सामान बाहर गिरने लगा लेकिन राजन को इन सब की परवाह नहीं थी।
कुछ देर बाद राजन के हाथ एक किताब लगी जिसे देखते ही राजन की आँखे चमक उठी। उसने किताब को लिया और बिस्तर पर आ बैठा।
राजन ने धड़कते दिल के साथ किताब को खोला उसके बीचोंबीच एक तस्वीर रखी थी राजन ने तस्वीर को उठाया
और अपने हाथ में लेकर देखने लगा। तस्वीर एक लड़की की थी जो देखने में 12-13 साल की लग रही थी। राजन उस तस्वीर को एकटक देखता रहा और फिर खुद से कहने लगा,”तुम से आखरी बार स्टेशन पर मिले थे जब तुमहू जे शहर छोड़कर जा रही थी , हम ही जानते है तुम्हे जाते देखकर अपनी आँखों में आंसुओ को हमने कैसे रोका था ?
हमहू लोगो के सामने बहुते कठोर , बद्तमीज और गुंडे बनते है लेकिन तुम्हरे सामने कभो न बने ,, हमे लगा हम तुम से दोबारा नहीं मिलेंगे पर जाते जाते तुमने पलटकर देखा तो एक उम्मीद हमरे दिल में रह गयी तुम्हरे लौटकर आने की। जब से हॉस्पिटल से आये है सब बदला बदला सा लगता है , लगता है जैसे हमहू अपनी यादास्त खो दिए है पर देखो तुमहू अब भी याद हो हमको,,,,,,,,,,,,,हम आज भी तुम्हरे इंतजार में है , लौट आओ”
“रजनवा,,,,,,!!”,प्रताप की आवाज राजन के कानो में पड़ी तो राजन ने जल्दी से तस्वीर को किताब के बीच में रखा और उठ खड़ा हुआ लेकिन कमरे में आते हुए
प्रताप ने राजन को हड़बड़ी में किताब रखते हुए देख लिया था।
“जी पिताजी,,,,,,!”,राजन ने कहा
“हमहू जे कह रहे थे कि जब तक तुमरे कमरे मा रंग रोगन होता है तुमहू नीचे वाले कमरे में ठहर जाओ,,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा
“पिताजी हमको सादी नहीं करनी है।”,राजन ने हिम्मत कर धड़कते दिल के साथ कहा
“अरे तो का हम जे सब आने वाली बहू के लिये कह रहे है , अरे तुम इकलौते बेटे हो हमरे तुम्हरे खातिर भी तो जे सब कर सकते है। कारपेंटर नीचे उह कुछो डिजाइन बता रहा है जाकर देखो और पसंद करो,,,,,,सादी वाला मेटर बाद में देखी है,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा
“ठीक है पिताजी,,,,,,,,,,,,,!!”,राजन ने राहत की साँस लेकर कहा और ख़ुशी ख़ुशी वहा से चला गया
प्रताप ने टेबल पर रखी किताब को उठाया और उसे खोलकर देखा तो उसमे रखी तस्वीर देखकर खुद में ही बड़बड़ाया,”हम्म्म तो जे बात है , बिरजू का सक सही निकला,,,,,,,,,,,,जे रजनवा तो बहुते फ़ास्ट निकले , तो जे है तुम्हरे सादी ना करने की वजह”
प्रताप ने उस तस्वीर को अपने कुर्ते की जेब में रखा और किताब को वापस वही रखकर कमरे से बाहर निकल गया।
मुरारी का घर , बनारस
रात का निकला मुरारी सुबह 10 बजे अपने घर पहुंचा। मुरारी ने बाहर पोधो में पानी देते किशना से पूछा,”तुम्हरी भाभी कहा है ?”
“भौजी तो अंदर है भैया,,,,,,,,,,!”,किशना ने कहा
“बहुते गुस्से में होगी ?”,मुरारी ने घर का माहौल जानने की कोशिश करते हुए कहा
“नहीं भाभी तो आज बहुते खुश है,,,,,,,,,,,नाश्ते में जलेबी और कचौड़िया बनी है , घर में सबको मिली है खाने को,,,,,,,,,,,,,,!!”,किशना ने कहा
“सच कह रहे हो ?”,मुरारी को यकीन नहीं हुआ
“अरे भैया आपके सर की कसम , हम काहे झूठ बोलेंगे,,,,,,,,,आज भाभी बहुते खुश है,,,,!!”,किशना ने कहा
“हमरे सर की कसम खा खा के इक ठो गंजा कर दी हो तुम सब मिलके हमका”,मुरारी ने खीजते हुए कहा
“का मजाक करते है भैया ?”,किशना ने दाँत दिखाते हुए कहा
“तुम हमरी साली लगे हो जो मजाक करेंगे तुमसे,,,,,,,,,और भूलो मत बेटा तुम्हरी भौजी का दिमाग शांत है हमरा नहीं , जियादा बकैती करोगे तो यही पटक के
पेल देंगे,,,,,,,!!”,मुरारी ने किशना को घूरते हुए कहा और वहा से चला गया
बेचारा किशना मुंह लटका कर चुपचाप अपना काम करने लगा।
मुरारी जैसे ही अंदर आया कचौड़ियो की खुशबु ने उसका ध्यान अपनी ओर खींचा और मुरारी के कदम किचन की तरफ बढ़ गए। अनु कोई गाना गुनगुनाते हुए बड़े इत्मिनान से कचौड़िया तल रही थी। मुरारी अंदर आया और जैसे ही कचौड़ी उठाने के लिये अपना हाथ बढ़ाया अनु ने मुरारी के हाथ पर हल्की सी चपत मारते हुए कहा,”पहले नहाकर आओ , उसके बाद मैं तुम्हारे लिये नाश्ता लगा देती हूँ।”
“एक तो खा ही सकते है,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी ने एक कचौड़ी उठायी और गप से उसका एक टुकड़ा मुँह रख लिया। जैसा कि किशना ने कहा था कचौड़िया वाकई बहुत स्वाद बनी थी उस पर उसमे हींग के तड़के ने स्वाद को दुगुना कर दिया था।
” अह्ह्ह्हहममम बहुते गजब बनी है मैगी , ऐसी कचौड़ी तो हमने पुरे बनारस में ना खाई,,,,,,,,,वैसे तुमहू कितना पियार करती हो यार हमसे , हमे दो दिन से कचौड़ी खाने का बहुते मन था और तुमने,,,,,,,,,,,,,!!”,मुरारी इतना ही कह पाया कि अनु ने उसकी तरफ पलटकर कहा,”ये मैंने मुन्ना के लिये बनायीं है , आज मुन्ना मुंबई से वापस आ रहा है ना,,,!!”
मुरारी ने जैसे ही सुना बेचारे का दिल टूट गया और उसने कहा,”तो मतलब तुमहू हमसे पियार नाही करती ?”
“करते है मुरारी,,,,,,,,,,,और प्यार का कचौड़ियो से क्या कनेक्शन है ?”,अनु ने वापस अपना ध्यान काम में लगाते हुए कहा
“काहे नहीं है , कनेक्शन है , अरे हम बनारसियों का पहला प्यार है कचौड़ी और आलू सब्जी,,,,,,,,,,,जे कहके ना तुमहू दिल तोड़ दी हो हमरा अनु,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने झूठ मुठ का नाराज होते हुए कहा
“शुक्र मनाईये मिश्रा जी आपकी टांगे नहीं तोड़ी मैंने वरना जो कांड आप करके आ रहे है उसके लिये आपका दिल नहीं आपकी,,,,,,,,,,,,,खैर जाने दीजिये जाकर नहा लीजिये,,,,,,,नाश्ता लगाती हूँ आपके लिए,,,,,,,!!”,अनु ने कहा
अनु के मुंह से कांड का नाम सुनते ही मुरारी का दिल धक् धक् करने लगा और उसने मन ही मन खुद से कहा,”जरूर हमरी जान की दुश्मन आई ने बताया है,,,,,,,पर सब जान के भी अनु इतना सांत कैसे है ? जे तो और भी जियादा चिंता की बात है ऊपर से नाश्ता लगाने की बात कर रह है।
मत भूलो मुरारी बकरे की बलि देने से पहिले उसको भी खूब खिलाया पिलाया जाता है,,,,,,,,,,और फिर उसके बाद एक ही झटके मा उह की गर्दन धड़ से अलग,,,,,,,,,,,,,,!!”
“नाहीईई , हमहू कुछो न करी है ? हमरी गर्दन ना काटो,,,,,,,,,!!”,मुरारी एकदम से चिल्लाया
“क्या हुआ मुरारी ? पागल हो गए हो क्या ? ऐसे क्यों चिल्ला रहे हो ? और कौन काट रहा है तुम्हारी गर्दन ?”,अनु ने मुरारी की तरफ पलटकर पूछा
मुरारी होश में आया देखा वह अनु के साथ किचन में खड़ा है। उसने जल्दी से अपनी गर्दन को छूकर देखा तो उसे तसल्ली मिली कि उसकी गर्दन अभी है।
“बोलोगे कुछ ?”,अनु ने कहा
“अह्ह्ह्हह कुछ नहीं हम नहाकर आते है तुमहू नाश्ता लगाओ,,,,,,,!!”,कहते हुए मुरारी वहा से चला गया
“मुरारी भी ना कभी कभी बहुत अजीब बिहेव करता है , अब भला एक अचार का मर्तबान तोड़ने पर क्या बेचारी आई मुरारी का गला काट देगी ? ऐसा होता तो अब तक सेंकडो बार तुम्हारा गला कट चुका होता मुरारी,,,,,,,,,,,,,,!!”,अनु ने कचौड़िया तलते हुए कहा
फ्लाइट की विंडो सीट पर बैठा मुन्ना बाहर के नज़ारे देखते हुए अपनी सोच में डूबा हुआ था। मुन्ना के बैग में वो लिफाफा था जो उसे उस आदमी से मिला था जो पिछले कुछ महीनो से मुन्ना की मदद कर रहा था और इस बार उसकी मुन्ना से आखरी मुलाकात थी। मुन्ना ने मुरारी से वादा किया था कि वह मुरारी के दोस्त के पास बैंगलोर जाकर बिजनेस स्किल्स सीखेगा लेकिन अब मुन्ना के सामने नयी समस्या खड़ी थी और वो थी मुरारी को हमेशा के लिये राजनीति के दलदल से बाहर निकालना और इसके लिये मुन्ना का बनारस में रहना बहुत जरुरी था।
दूसरी तरफ मुन्ना गौरी के साथ एक नए रिश्ते में बंधने जा रहा था और यहाँ से मुन्ना की जिंदगी में जिम्मेदारियां बढ़ने वाली थी। अपनी नयी जिंदगी में मुन्ना जहा खुश था वही उसे मुरारी की भी चिंता थी आखिर दोनों ही रिश्ते मुन्ना की जिंदगी में बहुत अहमियत रखते थे। मुन्ना ने निशि को भी अपनी सगाई में इंदौर आने के लिये कहा जिस से वंश और निशि के बीच की गलतफहमियां हमेशा के लिये दूर कर सके क्योकि बनारस में मुन्ना ने उन दोनों की आँखों में मोहब्बत देखी थी
लेकिन मुंबई आने के बाद वंश के बचपने और निशि के गुस्से में वो मोहब्बत कही दबकर रह गयी और मुन्ना जानता था निशि ही एक ऐसी लड़की है जो वंश को थोड़ा समझदार और जिम्मेदार बना सकती है। मुन्ना के दिमाग में कई चीजे एक साथ चल रही थी और यही वजह थी कि मुन्ना ज्यादातर समय हमेशा खामोश ही रहता था। काशी और शक्ति को लेकर मुन्ना निश्चिंत था क्योकि दोनों ही समझदार थे।
सबके बारे में सोचते हुए मुन्ना को गौरी का ख्याल आया और सहसा ही उसके होंठो पर मुस्कराहट तैर गयी। मुन्ना को मुस्कुराते देखकर एयर होस्टेस उसके पास आयी और कहा,”सर आप कुछ लेंगे ?”
“क्या हमे एक कप चाय मिल सकती है ?”,मुन्ना ने सहजता से कहा
“जी सर,,,,,!!”,एयरहोस्टेस ने मुस्कुराकर कहा और वहा से चली गयी।
मुन्ना को गौरी की याद आ रही थी लेकिन उसका फोन फ्लाइट मोड पर था ऐसे में गौरी से बात करना मुश्किल था। मुन्ना ने अपने फोन का कैमेरा ऑन किया और अपनी एक प्यारी सी तस्वीर क्लिक की। गौरी जबसे उसकी जिंदगी में आयी थी मुन्ना ये सब चीजे करने लगा था। उसने कुछ और तस्वीरें ली ताकि वह गौरी को भेज सके। चाय आयी मुन्ना चाय पीते हुए खिड़की के बाहर उड़ते बादलों को देखने लगा। उसका मन बहुत शांत और खुश था आखिर दो दिन बाद वह अपनी मोहब्बत से जो मिलने वाला था।
नेशनल कॉलेज , इंदौर
गौरी काशी को लेकर कॉलेज पहुंची। मैनेजमेंट कोर्स के एंट्री फॉर्म की आज लास्ट डेट थी। काशी और गौरी दोनों अंदर आयी तो काशी ने गौरी से कहा,”तुम हमारा इंतजार करो हम फॉर्म सबमिट करके आते है।”
“अह्ह्ह्ह लेकिन मैं अकेले यहाँ क्या करुँगी ?”,गौरी ने कहा
“हमने सुना है इस कॉलेज के केंटीन की कोल्ड कॉफी बहुत अच्छी है और बटर टोस्ट भी,,,,,,,,,,,,,तुम जाकर वो ट्राय क्यों नहीं करती ? फॉर्म सबमिट करने के बाद हम तुमसे वही मिलते है।”,काशी ने अपने बैग में सामान ढूंढते हुए कहा
“हम्म्म ठीक है,,,,,!!”, गौरी ने फॉर्म सब्मिशन के लिये लगी लम्बी लाइन देखकर कहा
“ए काशी तुम यहाँ खड़ी हो चलो हमे देर हो जायेगी,,,,,,,,,,!!”,काशी की एक दोस्त ने कहा जो काशी के साथ इस कॉलेज में एडमिशन ले रही थी। काशी उसके साथ वहा से चली गयी
कॉलेज काफी बड़ा था और गौरी अकेले इसलिए वह केंटीन की तरफ चल पड़ी हालाकिं गौरी के आस पास से गुजरते लोग आज उसे ही देख रहे थे। उसने स्क्रेच्ड जींस , टॉप , जूते और बालों का मेसी बन जिस से एक दो लटें निकलकर उसके गालो पर झूल रही थी।
गौरी झूमते हुए केंटीन की तरफ चली जा रही थी उसे कौन देख रहा है कौन नहीं उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। केंटीन की तरफ जाते हुए गौरी को मुन्ना से हुई पहली मुलाकात याद आ गयी जब वह अपने कॉलेज में मुन्ना से टकराई थी और मुन्ना को उस से पहली नजर में ही प्यार हो गया था। मुन्ना के ख्यालों में खोयी गौरी चले जा रही थी कि तभी सामने से आते लड़के से टकरा गयी।
टकरा कर गौरी जैसे ही पलटी उसे सब धुंधला नजर आने लगा और साफ़ दिखाई दे रहा था सामने मुस्कुराता हुआ खड़ा मुन्ना , गौरी को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ कि मुन्ना उसके सामने खड़ा है। गौरी मुस्कुराते हुए मुन्ना के पास आयी और जैसे ही उसे छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया किसी ने एकदम से उसका हाथ नीचे किया।
कुछ देर पहले गौरी को जो धुंधला दिखाई दे रहा था वो अब एकदम से साफ दिखाई देने लगा
“अंधी हो क्या , देखकर नहीं चल सकती ?”,लड़के से पहले उसके साथ खड़ी लड़की की आवाज गौरी के कानों में पड़ी।
गौरी मुन्ना के ख्यालो से बाहर आयी , अपनी गलती गौरी मान ले ये भला कैसे हो सकता था उसने तुनकते हुए कहा,”हाँ मैं अंधी हूँ लेकिन तुम लोगो के पास तो आँखे है ना , तुम देखकर चल सकती हो।”
“एक तो मेरे बॉयफ्रेंड को धक्का मारती है ऊपर से ऐटिटूड दिखा रही है , तुझे तो मैं,,,,,,,,,,,,,,!!”,लड़की ने गुस्से से गौरी को ऊँगली दिखाते हुए कहा और उसके सामने आयी
गौरी ने उसकी ऊँगली में अपनी ऊँगली डालकर उसे नीचे किया और कहा,”देखो बाबू ऐसा है , मैंने जान बूझकर इसे धक्का नहीं मारा वो गलती से लगा और दूसरी बात दोबारा मुझे ये ऊँगली दिखाई ना तो तोड़कर तुम्हारे हाथ में रख दूंगी,,,,,,,,,,,!!”
“ए तुम ज्यादा बोल रही हो,,,,,,,,,,,,”,लड़की के साथ खड़े लड़के ने कहा
गौरी ने उसे देखा और कहा,”ए किसको बोल रहा है बे ? अभी खींच के देंगे ना दुई कंटाप बिलबिला जाओगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”
गौरी की बात लड़के को समझ नहीं आयी और लड़की के ऊपर से गयी उसने लड़के को वहा से ले जाते हुए कहा,”पता नहीं कैसे कैसे लोग है इस कॉलेज में ? स्टूंडेंट काम और गुंडे ज्यादा लग रहे है।”
“लगता है तुम भी एक कंटाप खाकर ही मानोगी,,,,,,,,,,,,!!”,गौरी ने चिल्लाते हुए कहा लेकिन तब तक लड़का लड़की वहा से जा चुके थे।
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संजना किरोड़ीवाल
Very👍👍👍👍👍🤔🤔 good
Gouri abhi se Banaras ke rang me rang gayi hai…Munna bi Gauri ke khayal me hi khoya hua hai….Vansh ko achank kiska ph aya jo voh Nishi chod kar utar gaya…Bichara Murari ka dil toot gaya jab usse Anu ne kaha ki usne yeah kachoriya Munna ke liye banay hai aur voh gabragaya khan wali baad sunkar…interesting part Maam♥♥♥♥♥♥
Gauri apne sasur ji pe gayi hai
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