Love You जिंदगी 44
Love You Zindagi – 44

आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
मिसेज आहूजा की बातो से आहत होकर मिसेज शर्मा शीतल को अपने साथ लेकर घर चली आयी। मिस्टर शर्मा और सार्थक दोनों ही घर में नहीं थे। सार्थक अपने नए घर के लिए बाहर गया हुआ था और मिस्टर शर्मा आज संडे था तो अपने कुछ पुराने दोस्तों से मिलने गए थे। मिसेज शर्मा ने दरवाजा बंद किया और शीतल के सामने आकर कहा,”शीतल ! तुमने मिसेज आहूजा की बेटी को मिलने के लिए क्यों बुलाया था ?”
शीतल ने मिसेज शर्मा को देखा तो मिसेज शर्मा ने थोड़ा कठोरता से कहा,”देखो शीतल , बात क्या है मुझे सब सच सच बताओ,,,,,,,,,,आखिर क्यों मिलना चाहती थी तुम उस से,,,,,,,,,,,!!”
“मम्मी बिट्टू ही मुझसे मिलना चाहती थी , आज सुबह उसने मुझसे कहा कि उसे मेरी मदद चाहिए,,,,,,,,!!”,कहकर शीतल ने मिसेज शर्मा को सारी बात बता दी मिसेज शर्मा ने सुना तो परेशानी के भाव उनके चेहरे पर झिलमिलाने लगे और उन्होंने कहा,”बाकि सब ठीक है लेकिन वो राज यहाँ क्या लेने आया था और गार्ड ने उसे किस की परमिशन से अंदर आने दिया ?”
“ये सब मिसेज आहूजा कर रही है ताकि वो आपको और मुझे नीचा दिखा सके , वरना राज की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती कि वह अपार्टमेंट में आ सके,,,,,,,,!!”,शीतल ने थोड़ा गुस्से से लेकिन शांत स्वर में कहा
मिसेज शर्मा ने शीतल की तरफ देखा और कहा,”देखो शीतल , इस अपार्टमेंट में बहुत से लोग जानते है कि राज तुम्हारा अतीत है और मैं नहीं चाहती उसकी वजह से लोग तुम पर ऊँगली उठाये,,,,,,,,,!!”
“मैं कुछ समझी नहीं,,,,,,,!!”,शीतल ने असमझ की स्तिथि में कहा
“सोसायटी में कौन आता है कौन जाता है तुम्हे इस से कोई मतलब नहीं रखना है और ना ही तुम मिसेज आहूजा की बेटी की कोई मदद करोगी”,मिसेज शर्मा ने कठोरता से कहा
“ठीक है,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने कहा उसे बिट्टू की मदद ना कर पाने का दुःख था
मिसेज शर्मा शीतल के पास आयी और अपना हाथ शीतल के सामने करके कहा,”ऐसे नहीं कसम खाकर कहो तुम इन सब में नहीं पड़ोगी , तुम किसी राज को नहीं जानती और ना ही राज से तुम्हारा कोई रिश्ता है”
शीतल कुछ देर तक मिसेज शर्मा को देखते रही और फिर कसम खाकर उन्हें वचन दिया कि वह ऐसा ही करेगीमिसेज शर्मा ने सुना और अपने कमरे में चली गयी। शीतल भी उदास सी किचन में आकर काम करने लगी। वह राज को बहुत अच्छे से जानती थी कि वह कितना बुरा इंसान है , कही शीतल से फिर से बदला लेने के चक्कर में वह बिट्टू की जिंदगी ना बर्बाद कर दे सोचकर ही शीतल को डर लग रहा था लेकिन अब वह मिसेज शर्मा को वचन दे चुकी थी और उसे निभाने के अलावा उसके पास कोई दुसरा रास्ता नहीं था।
मिसेज शर्मा की बातो से गुस्सा होकर मिसेज आहूजा अपने फ्लेट में चली आयी। जैसे ही वे अंदर आयी बिट्टू उन्हें देखकर घबराकर सोफे से उठ खड़ी हुई। मिसेज शर्मा और शीतल का गुस्सा मिसेज आहूजा ने बिट्टू पर निकाला वे उसके पास आयी और गुस्से में उसकी बांह पकड़कर उसे झिड़कते हुए कहा,”क्या जरूरत थी तुम्हे उस शीतल से मिलने की ? खुद को बहुत होशियार समझने लगी हो तुम हाँ,,,,,,,,,,,,!!”
“मम्मा , मम्मा छोड़िये मुझे दर्द हो रहा है प्लीज,,,,,,,,!!”,बिट्टू ने कराहते हुए कहा लेकिन मिसेज आहूजा इस वक्त इतने गुस्से में थी कि उन्हें फर्क नहीं पड़ा और उन्होंने एक थप्पड़ बिट्टू के गाल पर जड़ दिया। बिट्टू रोने लगी तो मिसेज आहूजा ने उसकी बांह पकड़कर उसे घूरते हुए कहा,”आइंदा से मैंने तुम्हे उस शीतल के आस पास भी देखा तो जान ले लुंगी तुम्हारी और अगर आज के बाद मुझसे पूछे बिना घर से बाहर गयी तो टाँगे तोड़ दूंगी तुम्हारी,,,,,,,,,,समझी”
“आप ये जो सब कर रही हो सही नहीं कर रही हो मम्मा , वो राज , वो अच्छा लड़का नहीं है मम्मा,,,,,,,,,!!”,बिट्टू ने रोते हुए कहा
“क्या सही है और क्या गलत ये तुम मुझे मत सिखाओ समझी , अपने कमरे में जाओ और जाकर पढाई करो”,मिसेज आहूजा ने गुस्से से कहा तो बिट्टू सहम गयी और सुबकते हुए अपने कमरे की ओर चली गयी।
मिसेज आहूजा ने डायनिंग पर रखे पानी के बोतल को उठाया और गिलास में भरते हुए बड़बड़ाई,”इन दोनों सास बहु ने तो मेरे नाक में दम करके रख दिया है ,
एक बार सोसायटी की लीडर बन जाऊ उसके बाद सबसे पहले इनसे ही निपटूंगी,,,,,,,,,सोसायटी में रहने के लिए तरसा ना दिया तो मेरा भी नाम शालू नहीं,,,,,,,,लेकिन उस से पहले इस राज नाम की मुसीबत का कुछ करना पडेगा जिसे मैंने खुद ही मोल लिया है”
छुट्टी का दिन था इसलिए मिस्टर आहूजा भी बाहर से घूमकर घर चले आये। उन्होंने अपनी पत्नी को अकेले में बड़बड़ाते देखा तो कहा,”क्या हुआ , अकेले में किस से बातें कर रही हो ?”
मिसेज आहूजा पलटी , अपने पति को देखकर उनका मुंह बन गया और उन्होंने कहा,”इस घर में और कौन है जिस से मैं बात करू ? एक बेटी है जिसे पढाई से फुरसत नहीं और दुसरा बाप है जिसे मेरी बात सुननी नहीं,,,,,,,,,,!!”
“अरे तुम्हारी बातो में कोई लॉजिक हो तो आदमी सुने , अब बिना सर पैर की बात करोगी तो भला किसे समझ आएगी ? अच्छा सुनो एक कप चाय बना दो और नाश्ते में क्या है बहुत भूख लगी है ?”,मिस्टर आहूजा ने वाशबेसिन के सामने आकर हाथ धोते हुए कहा
“हाँ इसी काम के लिए तो रह गयी हूँ मैं , चाय बना दो , नाश्ता बना दो , मैं पूछती हूँ आखिर मेरी भी कोई जिंदगी है या नहीं,,,,,,,,,!!”,मिसेज आहूजा ने चिढ़ते हुए कहा
“अरे बाबा नाराज क्यों होती हो ? चलो बैठो आज मैं तुम्हारे लिए चाय बनाता हूँ,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मिस्टर आहूजा किचन की तरफ चले गए और मिसेज आहूजा बैठी। वे राज और शीतल के बारे में सोचने लगी , मिसेज आहूजा कोई ऐसा उपाय सोचने लगी जिस से उनके रास्ते के ये दोनों कांटे एक साथ ही निकल जाये
चंडीगढ़ , अवि का घर
सौंदर्या से बहस करने के बाद निबी अपने कमरे में चली आयी। उसने बिस्तर पर रखा अपना फोन उठाया और एक नंबर डॉयल करके फोन कान से लगा लिया। कुछ देर रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से एक महिला की आवाज आयी,”हेलो ! हाँ निबी , कैसी हो ? वहा सब ठीक तो है न ?”
“नहीं कुछ ठीक नहीं है , आपने जैसा कहा था मैंने वैसा ही किया। मुझे अनुराग की मौत का सदमा लगा है ऐसा दिखाकर मैंने उस नैना को खूब सुनाया लेकिन उसके कानों पर जू तक नहीं रेंगी ,
उसने मुझसे कुछ नहीं कहा , ना मुझसे झगड़ा किया ना कोई सफाई दी उलटा उसे मेरी परवाह हो रही थी,,,,,,,,,,,,,आपने तो कहा था मेरी बातो से नैना हर्ट हो जाएगी और खुद को अनुराग की मौत का जिम्मेदार मानकर इस घर से चली जाएगी,,,,,,,,,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ”,निबी एक साँस में सब कह गयी
महिला ने सुना और कहा,”अब वो कहा है ?”
“भाई उसे लेकर हॉस्पिटल गए है उसके कीमोथेरपी के लिए,,,,,,,,,!!”,निबी ने कहा
“यही सही मौका है निबी अपने मॉम-डेड को अपनी साइड करने का , नैना और तुम्हारा भाई दोनों इस वक्त घर से बाहर है और शायद कुछ दिन बाहर ही रहेंगे जब तक वो वापस आये तुम्हे अपने घरवालों को अपनी साइड करना है,,,,,,,,,,,,स्पेशली तुम्हारी मॉम को , जब सब उस नैना के खिलाफ हो जायेंगे तो उसे तोड़ना आसान हो जाएगा और ऐसे हम अनुराग की मौत का बदला ले पाएंगे आखिर उस नैना की वजह से ही तो ये सब हुआ है , फिर हम उसे कैसे चैन से जीने दे सकते है ,, तुम समझ रही हो ना मैं क्या कह रही हूँ ?”,महिला ने कहा जो कि अनुराग की बड़ी बहन थी
“हाँ दीदी मैं समझ गयी , मैं उस नैना को इस घर से निकालकर ही रहूंगी उसके बाद ही अनुराग की आत्मा को शांति मिलेगी”,निबी ने नफरत भरे स्वर में कहा
देखते ही देखते एक हफ्ता गुजर गया।
बीकानेर , मोंटी का पुराना ऑफिस
बीते एक हफ्ते में मोंटी ने रुचिका की मदद से अपना नया काम शुरू करने के लिए खूब मेहनत की। उसने एक कार्ट खरीद ली जिस पर वह अपना छोटा सा बिजनेस शुरू कर सके , घर के रेंट और बाकि खर्चे रुचिका ने सम्हाल लिए हालाँकि उसने मोंटी को बताया नहीं लेकिन ये पैसे उसे अपने पापा से मिले थे उन्होंने ही बुरे वक्त में मोंटी की मदद के लिए रुचिका को पैसे भेजे और मोंटी से ना बताने को कहा। सब तैयारियां हो चुकी थी , कार्ट को डिजाइन मोंटी ने खुद किया था और उसका बोर्ड रुचिका ने बनाया था
जिस पर अपनी कलाकारी दिखाते हुए उसने काफी स्टाइलिश तरिके से सजाया जो लोगो का ध्यान अपनी तरफ खींच सके। किस्मत से मोंटी को कार्ट लगाने की जगह भी मिल गयी उसने जान बुझकर ये जगह चुनी जो कि उसके पुराने ऑफिस के ठीक सामने थी , और मोंटी जानता था कि शाम के वक्त यहाँ काफी भीड़ और चहल पहल रहती है। सुबह सुबह ही मोंटी ने अपना कार्ट ऑफिस के सामने लगा लिया , रुचिका की मदद से मोंटी ने सब सामान जमाया और अपने बिजनेस का बोर्ड कार्ट के सामने लगा दिया जिसका नाम था “The Real Foody”
रुचिका का एक नयी कम्पनी में इंटरव्यू था इसलिए उसने मोंटी को बेस्ट ऑफ़ लक बोला और वहा से चली गयी। मोंटी ने स्टोव ऑन किया और उस पर कड़ाही चढ़ा दी। वडा पाव् बनाने के लिए सबसे पहले वड़े बनाना जरुरी था। चटनियाँ वड़े का मसाला मोंटी घर से बनाकर लाया था। उसने कड़ाही में तेल डाला और गर्म होने के लिए छोड़ दिया। एक बड़े बर्तन में बेसन लगा।
मोंटी पुरे मन से अपना काम कर रहा था तभी उसके कानों एक आवाज पड़ी,”अरे मानव ! तो ये था जॉब छोड़ने के बाद तुम्हारा बिजनेस प्लान,,,,,,,,,,,,वैसे अच्छा है कम से कम तुम्हारी डिग्री लोगो के हाथ पोछने के काम आएगी,,,,,,,,,,,बट तुम कोई अच्छा काम शुरू कर सकते थे ये रोड साइड ठेला लगाना तुम्हे सूट नहीं करता”
मोंटी ख़ामोशी से अपने एक्स बोस की बात सुनता रहा और आखिर में कहा,”आपकी गुलामी करने से तो कई गुना अच्छा है सर , आप वड़ा पाव खाएंगे आपके लिए पैक कर दू,,,,,,,,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह नहीं नहीं मै ये रोड साइड बनने वाला खाना नहीं खाता,,,,,,,,,,,यू नो माय स्टेंडर्ड और क्लास , मुझे देर हो रही है मैं तुम्हारी तरह फ्री नहीं हु न,,,,,,,,,!!”,कहते हुए मोंटी का बोस वहा से चला गया और मोंटी अपने काम में लग गया
सुबह से मोंटी के पास मुश्किल से 4 कस्टमर आये होंगे बेचारा मोंटी पहले दिन ही ऐसे रिस्पॉन्स से मायूस हो गया। उसने मसाले चटनी ज्यादा बना ली थी और बेसन भी ज्यादा घोला जा चुका था। सब खराब हो जाएगा सोचकर मोंटी कार्ट के पास बने फुटपाथ पर आ बैठा , भूख का अहसास हुआ तो उसने अपना बनाया वडा पाव लिया और बैठकर खाने लगा। रुचिका की कही बाते उसे अब समझ आ रही थी,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन पहले दिन ही मोंटी हार नहीं मान सकता था वह वही बैठकर कस्टमर का इंतजार करने लगा।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
दो दिन बाद सोसायटी इलेक्शन था जिसकी तैयारियां जोरो शोरो से चल रही थी। मिसेज बंसल और मिसेज तिवारी तो इलेक्शन से पहले ही हार मान कर अपना नाम वापस ले चुकी थी अब बस मिसेज आहूजा और मिसेज शर्मा आमने सामने थी। मिसेज शर्मा को जहा मिसेज आहूजा से कोई दुश्मनी नहीं थी वही मिसेज आहूजा मिसेज शर्मा को अपना कट्टर दुशमन मानती थी और उन्हें हराना अब उनके लिए इज्जत का सवाल हो चुका था।
मिसेज शर्मा को वचन देने के बाद शीतल अपने काम से काम रखने लगी , जैसा उसने सोसायटी के सब लोगो से वादा किया था वह सुबह सुबह एक घंटा सबको योग सिखाती उसके बाद अपनी कत्थक क्लासेज के लिए चली जाती , शाम में सोसायटी के बच्चो के साथ मिलकर गार्डन में पौधे लगाती और उनकी देखभाल करती। इस बीच बिट्टू ने कई बार शीतल से बात करने की कोशिश की लेकिन मिसेज शर्मा की वजह से वह बिट्टू की कोई मदद नहीं कर पा रही थी।
उसी शाम शीतल ने बच्चो के साथ मिलकर सबसे अच्छे पौधे को विजेता घोषित किया और एक छोटा सा गिफ्ट उसे दिया जिस से बाकी बच्चो में अपने अपने पौधे को और अच्छा बनाने की भावना जाग उठी , शीतल के इस एक कदम से सोसायटी का ये गार्डन जैसे खिल उठा था और पहले से काफी खूबसूरत लगने लगा था। आज तो उसे बच्चो के साथ वक्त का पता ही नहीं चला गार्डन की लाइट जली तब शीतल को अहसास हुआ कि हल्का अन्धेरा हो चुका है। वह वहा से चली गयी।
अपने फ्लेट में जाने के लिए शीतल सीढ़ियों की तरफ आयी तभी उसके कानों में जानी पहचानी आवाज पड़ी जो कि लिफ्ट की तरफ से आ रही थी। शीतल आवाज वाली दिशा में आयी उसने देखा राज बिट्टू का हाथ पकडे उसे रोककर वह खड़ा है ये देखकर शीतल के चेहरे पर गुस्से के भाव उभर आये और उसने राज के पास आकर कहा,”बिट्टू का हाथ छोडो राज”
“तुम यहाँ क्या कर रही हो ? ये तुम्हारा मेटर नहीं है जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,!!”,राज ने बेरुखी से कहा जैसे वह शीतल को जानता तक नहीं हो
“तुम्हारे सारे मेटर मैं बहुत अच्छे से जानती हु राज , बिट्टू को जाने दो”,शीतल ने गुस्से से कहा
” शीतल जाओ यहाँ से मुझे अभी मिसेज आहूजा से हिसाब किताब करना है,,,,,,,,,,,,और उनकी बेटी से अच्छा हिसाब किताब और क्या हो सकता है ?”,कहते हुए राज ने जैसे ही बिट्टू को छूने के लिए अपना हाथ बढ़ाया शीतल ने राज को धक्का देकर पीछे किया और कहा,”खबरदार जो तुमने इसे हाथ भी लगाया”
घबराकर बिट्टू शीतल के पीछे आ छुपी और उसके सूट को कसकर पकड़ लिया वह कुछ बोल पाने की हालत में नहीं थी।
शीतल बिट्टू की तरफ पलटी और कहा,”बिट्टू जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,!!”
बिट्टू वहा से जाती इस से पहले मिसेज आहूजा एक बार फिर मिसेज शर्मा और दूसरे लोगो के साथ वह पहुँच गयी और मिसेज शर्मा से कहा,”देख लिया मिसेज शर्मा , क्या कहा था मैंने आपसे आपकी बहू ही है जो मेरी बेटी को बिगाड़ने पर तुली है,,,,,,,,,,,,शादीशुदा होकर भी ये खुलेआम सोसायटी में अपने आशिक से मिल रही है , अरे कोई लाज शर्म है कि नहीं,,,,,,,,,,,,,,ये शरीफो की सोसायटी है,,,,,,,,!!”
मिसेज शर्मा ने शीतल , राज और बिट्टू को एक साथ वहा देखा तो गुस्से से उनकी आँखे लाल हो उठी वे शीतल के पास चली आयी
“मम्मी आप जो समझ रही,,,,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने अपनी सफाई में जैसे ही कुछ कहना चाहा मिसेज शर्मा ने आव देखा ना ताव और सबके सामने खींचकर एक थप्पड़ शीतल के गाल पर रसीद कर दिया।
मिसेज आहूजा और राज को ये देखकर सुकून मिला और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए।
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संजना किरोड़ीवाल


Yr teeno dosto m se 2 dosto ki life m kitna siyapa ho raha hai…yakeen nhi hota ki Nibi apne swarth m Inti andhi ho chuki hai ki apni hee bhabhi ko ghar se bahar nikalne pe tuli hui hai….wo bhi uss Anurag ki behan k khane per… marne k baad bhi yeh Anurag Naina ko chain se jeene nhi de rha hai…jabki nibi jatni hai ki Naina ko Cancer hai, fir bhi ..lagta hai ki Nibi ko apne maa-paa aur Bhai se koi pyar nhi hai…aur ek din khud inn rishto se haath doo baithegi…aur dusri taraf yeh Raj fir se Sheetal ko preshan krne k liye usko neecha dikha rha hai aur wo bhi Mrs Ahuja k sath milkar…ek mamulee jeet k liye kitna neeche gir gai hai Mrs Ahuja…khar ab to yaha Bitti ko apna muh kholna hoga…nhi to sach m Raj uska peecha nhi chodega