Love You जिंदगी – 57
Love You Zindagi – 57
संडे का दिन था और नैना अपनी टोली के साथ मातारानी के जयकारे लगाती हुयी चंदा इक्क्ठा कर रही थी। कुछ लोगो को नैना का ये नया रूप पसंद आया तो कुछ लोगो को समझ नहीं आ रहा था की हमेशा काटने को दौड़ने वाली नैना आज इतनी सुधर कैसे गयी ? खैर नैना ने 1st और 2nd फ्लोर से काफी सारा चंदा इक्क्ठा कर लिया था। अब बारी थी थर्ड फ्लोर की नैना सबके साथ ऊपर आयी सबसे पहले उसने अपने ही फ्लैट से शुरू किया और फिर सबसे आखिर मे पहुंची अवि के फ्लैट के सामने। नैना ने बेल बजा दी। अवि अंदर अपने अगले एग्जीबिशन के लिए फोटोज सेलेक्ट कर रहा था , बेल सुनकर आया उसने दरवाजा खोला तो सामने ढेर सारे बच्चो को देखकर चौंक गया और फिर भँवे उचकाई।
“अंकल अपार्टमेंट में दुर्गा स्थापना होगी ना इसलिए हम सब चंदा इकट्ठा कर रहे है ,, आप भी दो”,उनमे से एक लड़के ने कहा
“अच्छा उस से मुझे क्या मिलेगा ?”,अवि ने बच्चो से मजाक करते हुए कहा
“अंकल मातारानी आपकी हर विश पूरी करेगी , जो आप बोलोगे”,एक बहुत ही क्यूट सी बच्ची ने कहा
“क्या सच में ? अच्छा तो फिर अपनी मातारानी से कहना मेरी एक विश पूरी कर दे”,अवि ने कहा
“कौनसी विश ?”,बच्ची ने फिर पूछा
अवि ने उन सबको थोड़ा पास आने को कहा और निचे झुककर धीरे से कहने लगा,”वो जो मेरी सामने वाली पड़ोसन है न , वो मुझे बहुत तंग करती है। अपनी मातारानी से कहना की उसे थोड़ी सदबुद्धि दे।”
नैना जो की साइड में ही खड़ी थी लेकिन अवि की नजर उसपर नहीं गयी वह सामने आयी और अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर अवि को खा जाने वाली नजरो से देखने लगी। बेचारा अवि उसकी तो हवा टाइट हो गयी , नैना ने सब सुन लिया जानकर अवि जैसे ही जाने लगा नैना ने उसे रोककर कहा,”चंदा !”
“अच्छा वो वेट”,कहकर अवि अंदर गया अपना पर्स लेकर आया और उसमे सिर्फ 500 का एक नोट था क्योकि अवि हमेशा पे कार्ड से ही करता था उसने वह नोट निकालकर नैना की और बढ़ा दिया। नैना ने लिया और डिब्बे में डालते हुए कहा,”कंजूस”
वह सबको लेकर जाने लगी तो अवि ने पीछे से कहा,”अच्छा मैं भी इसमें ज्वाइन कर सकता हूँ क्या ?”
“अरे हां अंकल बहुत मजा आएगा , आप भी आ जाओ”,एक लड़के ने नैना के कहने से पहले ही बोल दिया। नैना ने अपने दोनों हाथ उचकाए तो अवि ने कहा,”तुम लोग चलो मैं आता हूँ।”
सभी निचे आ गए और गार्डन में जमा हो गए नैना बेंच पर बैठी थी बाकि सब उसे घेरे खड़े थे। नैना के दिमाग में क्या चल रहा था ये तो सिर्फ नैना ही जानती थी ? लेकिन कुछ तो खिचड़ी उसके दिमाग में पक रही थी। कुछ देर बाद उन बच्चो में मौजूद सबसे बड़े बच्चे ने कहा,”नैना हम दरबार कहा बनाएंगे ?”
नैना ने बच्चे के मुंह से सीधा नैना नाम सूना तो चौंकी और कहा,”हैं दीदी से सीधा नैना , अबे बच्चे हाइट देखी है अपनी”
“हां तो क्या हुआ ? और मैं बच्चा नहीं हूँ”,लड़के ने कहा
“हां सही है , बच्चे तुम जैसे कहा होते है ,, तुम्हारे अंदर से तो दो चार पुरे मर्द निकलेंगे”,नैना ने घूरते हुए कहा तो बेचारा लड़का डर गया उसे साइड करके लड़की आगे आयी और कहा,”दीदी इन पैसो का क्या करेंगे ?
“ये पैसे किसी जिम्मेदार इंसान को दे देते है जो यहाँ सारा सेट अप कर दे ,, और हम सब मिलके गार्डन की सफाई करेंगे क्योकि दरबार भी यही बनेगा। तुम सब करोगे ना मेरी हेल्प ?”,नैना ने सबसे पूछा तो सब तैयार हो गए।
“हम भी करेंगे”,नैना के पीछे खड़ी रुचिका और शीतल ने कहा।
वे दोनों भी उन सब में शामिल हो गयी। नैना ने सबको काम बाँट दिया और खुद सारे पैसे लेकर वहा की देखभाल करने वाले करीम चाचा के पास आयी और उन्हें सारे देकर कहा,”देखो चच्चा कुछ दिन बाद यहाँ होनी है दुर्गा पूजा और उसका सारा बंदोबस्त करना है आपको , मतलब काम सारा हम लोग कर लेंगे बस आपको इन पैसो से हिसाब किताब देखना है।”
“अरे मैडम ! आप ये मुझे क्यों दे रही है ? अपार्टमेंट में इतने सारे लोग है कोई भी ये काम कर लेगा , मैं कहा सम्हाल पाऊंगा ये सब वैसे भी मैं मुस्लिम हूँ ये सब काम करूंगा तो कही अपार्टमेंट वालो को बुरा न लग जाये”,करीम ने कहा
“देखो चच्चा पहले तो मैडम बोलना बंद करो हमारे लखनऊ में लड़कियों को बोलते है बिटिया तो उसी नाम से बुलाया करो ,, रही बात अपार्टमेंट के लोगों की तो कोई बुरा नहीं मानेगा जब बनाने वाले ने कोई भेदभाव् नहीं किया तो हम “लेकिन बिटिया ?”,करीम ने बोलना चाहा तो नैना ने सारे पैसे उनको थमाकर कहा,”लेकिन वेकिन कुछ नहीं ये पकड़ो और हां सबको अच्छी सी चाय पीला दो बस , मै जा रही हूँ सामने”,नैना ने जाते हुए कहा
करीम चाचा को बड़ी हैरानी हुई क्योकि पिछले 10 सालो से वो इस अपार्टमेंट की देखभाल कर रहे है लेकिन आज से पहले किसी ने उन्हें एक कप चाय तक नहीं पूछी और नैना उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी देकर चली गयी। वे उसे देखकर मुस्कुरा उठे। नैना गार्डन में आयी और खुद भी सबकी हेल्प करने लगी कही से घूमते घामते शुभ आया नैना की नजर जैसे ही उस पर पड़ी नैना ने उसे गार्डन में आने का इशारा किया। शुभ आया तो नैना ने उसे भी काम पर लगा दिया लेकिन अवि उसे कही दिखाई नहीं दिया और नैना फिर अपने काम में लग गयी। करीम नैना , शीतल , रुचिका और शुभ के लिए चाय और बाकि बच्चो के लिए शेक ले आया सबने पीया और फिर से काम में लग गए दो घण्टे में सबने मिलकर गार्डन का हुलिया ही चेंज कर दिया। सब बेंचो पर बैठकर सुस्ताने लगे और रुचिका ने कहा,”वाओ यार गार्डन कितना अच्छा दिख रहा है।”
“बेटा मेहनत है हम सबकी , अच्छा बच्चा पार्टी कल से तो तुम सबको स्कूल जाना होगा , इसलिए हम लोग अपना काम करेंगे शाम 5 बजे बाद ओके”,नैना ने कहा
“ओके”,सभी बच्चो ने एक साथ कहा
“लेकिन इसके बदले हम सबको क्या मिलेगा ?”,शुभ ने कहा
“हम्म्म्म ये भी सही है तो फिर आज शाम को तुम सबके लिए पार्टी मेरी तरफ से”,नैना ने कहा
“येहहहहह !”,सभी बच्चे ख़ुशी से उछलने लगे। अपार्टमेंट में रहने वाले लोगो ने जब गार्डन को देखा तो सभी खुश भी थे और हैरान भी क्योकि आज से पहले अपार्टमेंट का ये एरिया इतना अच्छा कभी नहीं लगा था। मिसेज मेहता और मिसेज गुप्ता उधर से गुजरी लेकिन गार्डन के सामने आकर रुक गयी और मिसेज मेहता ने खुश होकर कहा,”यहाँ कोई किट्टी पार्टी होने वाली है क्या ?”
“आंटी जितनी आपकी उम्र है आपको नहीं लगता आपको पूजा अर्चना में ध्यान लगाना चाहिए”,आज पहली बार जवाब रुचिका ने दिया नैना को बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ी। रुचिका का जवाब सुनकर मिसेज मेहता ने मुंह बना लिया और कहा,”हां हां अभी हमारी उम्र ही क्या है ? तुमसे कुछ ही साल ज्यादा होगी बस”
“उस हिसाब से तो आपके बच्चे आपकी गोद में खेलते होंगे नई”,रुचिका ने कहा तो नैना की हंसी निकल गयी लेकिन उसने खुद को रोक लिया। नैना के साथ रहते रहते रुचिका में भी उसका असर आने लगा था और आज रुचिका कुछ ज्यादा ही फोम में थी।
“कैसे कैची की तरह जबान चलती है इन लड़कियों की ? इसके साथ रह रह के न ये दोनों भी ऐसी ही हो गयी , मुंहफट”,मिसेज गुप्ता ने कहा
“आप जैसी छोटी सोच वाले लोगो के साथ रहने से कई गुना बेहतर है इसके साथ रहना , और मुझे समझ नहीं आता आप लोगो को नैना से प्रॉब्लम क्या है ? वो छोटे कपडे पहनती है , मुंहफट है या फिर आप लोगो को मुंह पर जवाब दे देती है ये। आप लोगो की न नैना को लेकर एक राय बन चुकी है जो कभी नहीं बदल सकती वो कुछ बुरा करे तो प्रॉब्लम , कुछ अच्छा करे तब भी प्रॉब्लम ,, आप लोगो के पास और कोई काम नहीं होता क्या ? यहाँ मातारानी का दरबार लगेगा आपको दर्शन करना हो तो आईयेगा वरना मत आईयेगा।”,शीतल ने कहा
शीतल के मुंह से ये सब सुनकर तो दोनों की शक्ल देखने लायक थी मतलब जो लड़की सबसे मुस्कुराकर , शालीनता से बात करती थी आज वो ऐसे जवाब दे रही थी। दोनों का चेहरा देखकर नैना ने मिसेज मेहता और मिसेज गुप्ता से कहा,”आंटी आईयेगा जरूर , क्या है ना इस उम्र में सदबुद्धि की बहुत जरूरत पड़ती है , किट्टी पार्टी समझ के आ जाईयेगा वैसे भी आप लोगो को करना क्या है ? चार बाते ही तो करनी है यहाँ कर लीजियेगा”
रुचिका और शीतल ऑलरेडी उन्हें इतना सब सूना चुकी थी उस पर रही सही कसर नैना ने पूरी कर दी। शुभ तो गायब ही हो गया क्योकि मिसेज मेहता उसकी ही मम्मी थी और वह नहीं चाहता था उसकी माँ उसे नैना के साथ देखे। दोनों वहा से चली गयी।
कुछ देर बाद करीम आया और कहा,”बिटिया बता दो क्या क्या इंतजाम करवाना है मैं करवा देता हूँ ?”
“चच्चा शाम को मैं आपको लिस्ट दे दूंगी उस हिसाब से अरेंजमेंट करना होगा बस वैसे 8-10 दिन का टाइम है हम लोगो के पास ज्यादा लोड मत लो आप दिमाग पर”,नैना ने कहा और बच्चो को पार्टी में आने का बोलकर खुद शीतल और रुचिका के साथ ऊपर चली आयी। ऊपर आकर सबसे पहले नैना नहाने चली गयी उसके बाद शीतल रुचिका भी फ्रेश हुयी और तीनो ने मिलकर खाना खाया। खाना खाने के बाद नैना सोफे पर बैठी लिस्ट बना रही थी तो शीतल ने उसके पास आकर कहा,”नैना अब तो बता दो यार क्या करने वाली हो तुम ?”
“मेरा छोड़ तू बता आज तुझमे कोई माता वाता आ गयी थी क्या ? मतलब दी ग्रेट साइलेंट शीतल मिश्रा आज आंटियो से भीड़ गयी ,, हाउ ?”,नैना ने गोद में रखा सामान साइड में रख दिया।
“अरे वो यार जब देखो तब बकवास करती रहती है सबके बारे में , किसने क्या पहना ? किसने क्या किया ? कौन कहा जा रहा है ? सब जानना होता है उन्हें ,, मतलब किसी का खुश रहना देखा नहीं जाता ना इन लोगो से और कोई भी इंसान उनके हिसाब से क्यों जिएगा ?”,शीतल ने कहा
नैना ने अपनी उंगलियों से शीतल के माथे और गाल को छूकर देखा और कहा,”तेरी तबियत तो ठीक है ना बाबू , आज तू शीतल नहीं लग रही मुझे”
“तुमने असली शीतल को अभी देखा ही कहा है ?”,शीतल ने कहा
“हां तो दिखाओ ना हम लोग तो खुद देखना चाहते है द लीजेंड शीतल मिश्रा को”,रुचिका ने पास बैठते हुए कहा
“वैसे आज तुम ये संस्कारो वाली बाते छोड़कर मेरी लाइन में कैसे आ गयी ?”,नैना ने कहा
“बात संस्कारो की नहीं है नैना , संस्कार तो हम सब में है लेकिन कोनसे संस्कार कहा यूज करने है ये कोई नहीं जानता ? हर इंसान में हिम्मत भी होती है और डर भी ,, आज उन्होंने जो कहा मुझे अच्छा नहीं लगा कब तक कोई कुछ भी कहेगा और हम सुनेंगे।”,शीतल ने कहा !
“डेट्स द पॉइंट शीतल जो मैं तुम्हे समझाना चाहती हूँ , अपनी वेल्यू को समझो। मैं तुम्हे बदलने के लिए नहीं कह रही ना ही मैं तुम्हे मेरे जैसा बनने के लिए कह रही हूँ मैं बस इतना कह रही हूँ की संस्कारो की आड़ में तुम फेक बनकर मत रहो तुम्हारी रियल पर्सनालिटी कुछ और है और देखना एक दिन वो जरूर सामने आएगी”,नैना ने कहते हुए उसे गले लगा लिया रुचिका भी आकर उन दोनों से चिपक गयी।
कुछ देर बाद नैना सोने चली गयी शाम को उठी तो उसे याद आया की उसने बच्चो को पार्टी के लिए कहा था। नैना शीतल और रुचिका तीनो मिलकर तैयारी करने लगी नैना ने बच्चो के लिए पेस्ट्री , समोसे और जूस आर्डर कर दिया। रुचिका ने कुछ बैलून्स लगाए , लाइटिंग लगाई , शालिनी किचन में सबके लिए कोई डिश तैयार कर रही थी। शाम 5 बजे सभी बच्चे चले आये। सभी बहुत खुश हो गए। नैना शीतल और रुचिका उनके साथ मिलकर मस्ती कर रही थी। रुचिका उन्हें अपनी बातो से खूब हंसा रही थी। शीतल उनके साथ डांस कर रही थी नैना उन सबको छोड़कर बालकनी में आयी और कुछ देर फोन चलाकर वापस चली आयी। कुछ देर बाद बेल बजी नैना ने शीतल के पास आकर कहा,”शीतल वो झालर सही लगा दे ना निचे गिर रही है”
“हां मैं करती हू”,कहते हुए शीतल कुर्सी पर चढ़कर उसे सही करने लगी।
नैना दरवाजे की और लपकी उसने गेट खोला सामने सार्थक खड़ा था उसे देखकर नैना मुस्कुरा दी और कहा,”आजा।”
“यहाँ क्या कोई पार्टी चल रही है ?”,सार्थक ने अंदर आते हुए कहा
“हां , बच्चा पार्टी ,, अपार्टमेंट के बच्चे है सभी तू भी आजा”,कहते हुए नैना शीतल के करीब से गुजरी और जान बूझकर कुर्सी हिला दी जैसे ही शीतल गिरने को हुई सार्थक का ध्यान चला गया और उसने उसे गिरने से बचा लिया। नैना मुस्कुराते हुए दोनों को छोड़कर आगे बढ़ गयी। शीतल और सार्थक एक दूसरे को देखे जा रहे थे। नैना जैसे ही रुचिका के पास पहुंची रुचिका ने उसे कहा,”तूने ये जान बूझकर किया ना ?”
“हम्म्म हां !”,नैना ने कहा
“सुधरेगी नहीं तू”,रुचिका ने घुरा तो नैना ने कहा,”सब्र कर बेटा वक्त आने पर तेरे लिए भी करुँगी” इतना कहकर नैना ने साउंड सिस्टम पर गाना चेंज कर दिया और बच्चो के साथ मस्ती करने लगी। सार्थक शीतल से दूर हुआ और वे दोनों भी रुचिका के पास चले आये और नैना को देखने लगे वह बच्चो के साथ मस्ती में डांस कर रही थी और सिस्टम पर गाना बज रहा था – अरे अभी-अभी प्यारा सा चेहरा दिखा है
जाने क्या कहूँ उसपे क्या लिखा है
गहरा समंदर, दिल डूबा जिसमें
घायल हुआ मैं, उस पल से इसमें
नैणा दा क्या कसूर, वे कसूर वे कसूर
नैणा दा क्या कसूर, वे कसूर वे कसूर
( और यहाँ नैना का कोई कसूर नहीं था )
क्रमश – love-you-zindagi-58
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संजना किरोड़ीवाल !