Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 13

Love you Zindagi
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Love You Zindagi – 13

रुचिका फोन लेने कमरे में आयी नैना को सोया देखकर उसने अपना फोन उठाया और देखा नैना ने 1 मिनिट से ज्यादा बात नहीं की थी ! रुचिका फोन लेकर बाहर आयी और वापस उस नंबर पर फोन लगाया ! दूसरी और से लड़के ने फ़ोन उठाया तो रुचिका ने कहा,”और बताओ क्या बात हुई हमारी नैना से ?
“अपनी दोस्त को डॉक्टर को दिखाओ और दोबारा मुझे फोन मत करना !”,कहकर लड़के ने फ़ोन काट दिया !
रुचिका समझ गयी की नैना ने जरूर फिर कोई गड़बड़ की है ! रुचिका वापस कमरे में आयी और नैना को देखकर ही बड़बड़ाने लगी,”कितने आराम से सो रही है ये लड़की , क्या होगा इसका ? हे भगवान किसी को तो भेज दो जो हमारी इस झल्ली नैना को सम्हाल सके !”
घूमते हुए शीतल वहा आयी रुचिका को बड़बड़ाते देख शीतल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”क्या हुआ ? यहाँ क्यों खड़ी हो ?”
“नैना,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये लड़की कभी नहीं सुधरेगी !”,रुचिका ने कहा
“अब क्या किया इसने ?”,शीतल ने कहा
“आज मॉल में जो लड़का मिला था न उसने फोन किया था नैना से बात करने को , पता नहीं इसने उसे ऐसा क्या कहा है वो भड़क रहा था फोन पर और कहा है की आज के बाद फोन मत करना !”,रुचिका ने कहा
“अब नैना ने क्या कहा है ये तो कल सुबह नैना ही बताएंगी !”,शीतल ने कहा और फिर दोनों सोने चली गयी !

अगली सुबह शीतल ने जल्दी उठकर फ्लेट की साफ सफाई की ! राज को फोन किया तो उसने बताया की वह 11.00 बजे तक आएगा ! शीतल बहुत खुश थी कितने दिनों बाद वो राज से मिलने वाली थी ! राज 11 बजे आएगा सोचकर उसने नैना और रुचिका को नहीं जगाया बल्कि नहाने के बाद वह खुद ही उनके लिए नाश्ता बनाने लगी ! संडे था और नैना देर तक सोई रही रुचिका उठ चुकी थी और किचन में अपने लिए कॉफी बनाने लगी ! 9 बजे नैना भी उठकर कमरे से बाहर आयी तब तक रुचिका और शीतल नाश्ता कर चुकी थी !
“गुड़ मॉर्निंग !”,नैना ने उबासी लेकर सोफे पर बैठते हुए कहा
“गुड़ मॉर्निंग मैडम कल रात क्या हुआ जरा बताएंगी आप हमे ?”,रुचिका ने कहा
“कल रात क्या हुआ था ?”,नैना ने कहा
“वाह इसे तो याद भी नहीं , उस लड़के से ऐसा क्या कहा तुमने जो वो इतना भड़क गया”,रुचिका ने फिर कहा
“मैंने तो कुछ भी नहीं कहा , वही अजीब तुतला के बोल रहा था तो शायद मैंने कुछ बोला होगा , मुझे याद नहीं”,नैना ने कहा
“वो प्यार की भाषा है !”,रुचिका ने मुंह बनाकर कहा
“अपन को नहीं समझ आती ऐसी भाषा , और किस गधे ने कहा था उसे इतनी रात को फ़ोन करने को”,नैना ने कहा
“तुम दोनों बैठो मैं नैना के लिए चाय बना देती हु !”,शीतल इस बहस का हिस्सा बनना नहीं चाहती थी इसलिए उसने उठते हुए कहा वह तो बस राज से मिलने के बारे में सोच रही थी ! शीतल नैना के लिए चाय बनाने लगी उधर नैना और रुचिका में बहस जारी थी रुचिका ने कहा,”नैना ऐसे बिहेव रखोगी तो कोई लड़का तुम्हारे आस पास भी नहीं आएगा , थोड़ा तो सॉफ्ट बनना होगा न उनके सामने !”
“मुझे कुछ नहीं बनना और सुबह सुबह तुम मुझे ये लेक्चर देना बंद करो !”,नैना ने कहा और सर सोफे से लगाकर चाय बनाती शीतल को देखते हुए कहा,”क्या बात है आज तुम्हारे चेहरे पर रोजाना से कुछ ज्यादा ही चमक है ?”
शीतल मुस्कुराई और कहा,”बताया था ना आज राज आने वाला है यहाँ मुझसे मिलने !”
“ओह्ह तेरी मैं भूल गयी थी , वैसे कब आ रहा है वो ? हम लोगो को भी मिलवाने का इरादा है की नहीं उस से ?”,नैना ने एकदम से कहा
“बिल्कुल मिलवाउंगी , तुम दोनों अब मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो तुम्हे मेरे बारे में जानने का पूरा हक़ है !”,शीतल ने कहा
“तुमने इतना बोल दिया काफी है , बस तुम खुश रहो और ऐसे ही मुस्कुराती रहो !”,नैना ने कहा तो शीतल मुस्कुरा उठी ! नैना ने सामने पड़ी नॉवेल उठायी और कहा,”मेरी माया , काफी यूनिक नेम है ना माया !”
“इसकी कहानी भी बहुत यूनिक है कभी पढ़ना तुम !”,शीतल ने चाय का कप लाकर उसके सामने रखते हुए कहा और सामने पड़े सोफे पर बैठ गयी !
“मुझे नहीं पढ़ना मैंने कभी कोर्स की किताबे नहीं पढ़ी , ये तो मेरे बस से बाहर है तुम्हे ही मुबारक !”,नैना ने किताब शीतल की और बढ़ा दी तो शीतल ने कहा,”मैंने कल रात ही इसे पूरा पढ़ा है , खैर छोडो आज संडे का क्या प्लान है तुम दोनों का ?”
“मैं तो ख़ुशी के साथ शॉपिंग पर जा रही हु , उसने बताया था की उसके घर के पास सेल लगी है !”,रुचिका ने हाथो पर नेलपेंट लगाते हुए कहा
“और तुम नैना ?”,शीतल ने कहा
“मैं मैं कही नहीं जा रही , संडे है फूल सोना है आज मुझे !”,नैना ने चाय पीते हुए कहा
शीतल रुचिका की तरफ देखने लगी रुचिका समझ गयी शीतल क्या कहना चाहती है ? तो उसने नैना से कहा,”नैना तुम भी चलो ना मेरे साथ”
“मैं क्यों जाऊ ? मेरे पास ऑलरेडी इतने कपडे है और मुझे नहीं पसंद ये भीड़ भाड़ में घूमना , तू ही जा !”,नैना ने कहा
“नैना तुम समझती नहीं हो , शीतल को राज के साथ क्वालिटी टाइम बिताना है तुम यहाँ कबाब में हड्डी बनना क्यों चाहती हो ?”,रुचिका ने कहा
“तो मैं कहा जाऊ ?”,नैना ने कहा
“एक काम करो तुम ये दोनों नोवेल्स लायब्रेरी में वापस कर देना ! वो जो हमारे अपार्टमेंट में लड़का रहता है सार्थक वो वही काम करता है !”,शीतल ने कहा
“लेकिन आज तो संडे है ना और लायब्रेरी बंद रहेगी !”,नैना ने कहा
“उसने बताया था संडे को 2 बजे तक खुली रहती है वो , बाकि दिन शाम को बंद होती है ! प्लीज वैसे भी इन्हे लाये एक हफ्ते से ज्यादा हो चुका है , कर दोगी ना”,शीतल ने बड़े प्यार से कहा
“मैंने आज तक कभी लायब्रेरी नहीं देखी है , पर सिर्फ तुम्हारे लिए चली जाउंगी !”,नैना ने चाय ख़त्म करते हुए कहा
“थैंक्यू नैना , राज 11 बजे आएगा , तुम लोग 10.30 तक निकल जाना !”,शीतल ने कहा
“वाह सही है लवर आ रहा है तो दोस्तों को भगाने में लगी हो !”,नैना ने उठते हुए कहा
“ऐसा कुछ नहीं है तुम दोनों हमेशा मेरी दोस्त रहोगी , शाम को सभी डिनर पर चलेंगे मेरी और राज की तरफ से”,शीतल ने कहा
“ओके , मैं नहाकर आती हु !”,कहकर नैना चली गयी !
रुचिका भी तैयार होने चली गयी और फिर ख़ुशी के साथ चली गयी ! नैना तैयार होकर आयी तो शीतल का मुंह खुला का खुला रह गया कटी फटी जींस , ऑफ शोल्डर लाल रंग का टॉप उस पर जींस की शार्ट जैकेट और बालो को समेटकर उनमे कलेचर खोंस रखा था उसने ,, होंठो पर गहरा लाल रंग , आँखे उसकी बिना मेकअप के भी कातिलाना लगती थी क्योकि उसकी बायीं भौं हमेशा चढ़ी रहती थी ! शीतल को ऐसे देखकर नैना ने कहा,”क्या हुआ अच्छी नहीं लग रही !”
“बहुत खतरनाक , ऐसे बाहर मत जाओ प्लीज !”,शीतल ने कहा
“क्यों क्या प्रॉब्लम है ?”,नैना ने खुद को साइड मिररर में देखकर कहा
“लड़के पीछे पड़ जायेंगे तुम्हारे”,शीतल ने कहा
“किसमें इतनी हिम्मत है जो मुझे छेड़े उसकी वाट ना लगा दू मैं !”,नैना ने कहा
“मेरा मतलब है की ऐसे लायब्रेरी जाओगी , इन कपड़ो में ?”,शीतल ने कहा
“तुम में और सोसायटी की आंटियो में बस एक फर्क है”,नैना ने चिढ़ते हुए कहा
“वो क्या ?”,शीतल ने कहा
“यही की तुम मेरी दोस्त हो और वो सब मेरी दोस्त नहीं है ! मैं चेंज करके आती हु !”,कहकर नैना अंदर गयी और लूज टीशर्ट पहनकर आयी और कहा,”ये ठीक है ?”
“परफेक्ट !”,शीतल ने मुस्कुरा के कहा
नैना ने टेबल पर रखी दोनों बुक्स उठायी और शीतल को हग करते हुए कहा,”अपना ख्याल रखना”
“तुम भी और सुनो !”,शीतल ने कहा
“हां हां मालूम है आराम से आएंगे डिस्टर्ब नहीं करुँगी तुम दोनों को , मैं लंच बाहर कर लुंगी !”,कहते हुए नैना चली गयी ! लिफ्ट के सामने आयी लिफ्ट खुला वह अंदर गयी और जैसे ही निचे जाने के लिए बटन दबाया अवि आया और लिफ्ट में घुसते हुए कहा,”सॉरी वो मुझे थोड़ी जल्दी थी !” नैना ने उसकी बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और जैसे ही बटन दबाने को हाथ बढ़ाया उसी वक्त अवि ने भी हाथ बढ़ाया और अनजाने में दोनों के हाथ एक दूसरे को छू गए ! अवि को तो जैसे 440 वॉल्ट का झटका लगा हो लेकिन नैना को ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ उसने अवि से कहा,”तुम कर लो पहले !”
“नहीं आप कर लीजिये !”,अवि ने कहा उसकी धड़कने इस वक्त बहुत तेज थी जिन्हे सामान्य करने की वह नाकाम कोशिश कर रहा था , नैना के कपड़ो से आती परफ्यूम की भीनी भीनी खुशबु अवि को बहुत अच्छी लग रही थी ! काश ये पल यही रुक जाये सोचकर उसने मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना की ! अवि की प्रार्थना का असर था या लिफ्ट की सर्विस की कमी सेकेण्ड फ्लोर तक आते ही लिफ्ट बिच में रुक गयी ! लिफ्ट में अन्धेरा हो चुका था ! नैना शांति से खड़ी रही अवि ने जेब से फोन निकाला और लाइट ऑन करके नैना से कहा,”आप ठीक हो ना ?”
नैना ने कोई जवाब नहीं दिया तो अवि ने मुंह घुमा लिया और खुद से मन ही मन कहा,”ये ऐसी क्यों है ? कुछ तो रिस्पॉन्स देना चाहिए ना ,, मैं इतना बुरा दिखता हु क्या सोचकर उसने फोन का केमेरा ऑन किया और साथ ही फ्रंट फलेश लाइट भी उसमे खुद को देखकर मन ही मन कहा,”बुरा तो नहीं दिखता !”
लिफ्ट 2 मिनिट रुकी रही और इन दो मिनिट में नैना और अवि के बिच कुछ भी बात नहीं हुई , कुछ देर बाद गार्ड आया और आधी फंसी हुई लिफ्ट की जाली से झांकते हुए कहा,”बस सर अभी चालू हो जाएगी !”
अवि ने सूना तो उसकी जान में जान आयी और उसने नैना की और देखकर कहा,”अभी चल जाएगी , आपको डर लगे तो आप मुझे बता देना !”
“मुझे अँधेरे से डर नहीं लगता !”,नैना ने सधी हुयी आवाज में कहा
“जिस से पूरा अपार्टमेंट डरता हो उसे भला किसी से क्या डर लगेगा !”,अवि मन ही मन बड़बड़ाया और फिर नैना से कहा,”मैं भी इन सब चीजों से नहीं डरता मैं तो ना जाने कितनी बार लिफ्ट में फंसा हु !”
नैना ने कोई जवाब नहीं दिया बस लिफ्ट के सही होने का इंतजार करने लगी तभी लिफ्ट को झटका लगा और निचे जाने के बजाय वह तेजी से ऊपर चली गयी ! अवि ने डरकर आँखे मींच ली और नैना के बगल ने आ गया , जैसे ही लिफ्ट निचे आयी डर के मारे उसने नैना का हाथ कसकर पकड़ लिया ,, नैना को गुस्सा तो आया लेकिन उस वक्त अवि की शक्ल देखकर वह भूल गयी ,, अवि आँखे बंद किये डरा हुआ 10 साल का मासूम बच्चा लग रहा था ! नैना ने कुछ नहीं कहा उलटा जब अवि ने जब डर के मारे राम राम रटना शुरू किया तो नैना मुस्कुरा उठी और शांति से अपनी जगह खड़ी रही ! लिफ्ट निचे आकर रुकी गेट खुल गया ! लिफ्ट रुकते ही अवि ने आँखे खोली और नैना से कहा,” देखा मैंने कहा था ना डरने की कोई बात नहीं है , नार्मल होता है ये सब तो !” हालाँकि उसके माथे पर पसीने की बुँदे उभर आयी थी !
“मेरा हाथ !”,नैना ने अवि की और देखकर कहा जिसे अवि ने अभी तक पकड़ा हुआ था , खिंसियाकर उसने हाथ छोड़ दिया तो नैना लिफ्ट से बाहर निकली और गार्ड के पास आकर कहा,”अगर मेंटिनेंस नहीं करवा सकते तो इसे भंगार में बेच दो अच्छे पैसे मिल जायेंगे !”
“सॉरी मैडम !”,गार्ड ने कहा
नैना का सुबह सुबह मूड ख़राब हो चुका था ! वह वहा से आगे बढ़ गयी तभी सामने से आते शुभ ने नैना को रोका और कहा,”हे नैना देखो मेरा कुत्ता !”
शुभ अपने पालतू कुत्ते को सुबह सुबह घुमा रहा था लेकिन नैना को देखते ही वह उसके पास आ खड़ा हुआ ! नैना थोड़ा सा झुकी और कुत्ते से कहा,”कहा जा रहे हो इस गधे के साथ ?”
“अरे नैना वो कुत्ता है गधा नहीं !”,शुभ ने कहा
नैना ने शुभ को देखा और कहा,”मैंने कुत्ते से ही पूछा है !”
शुभ को फिर भी समझ नहीं आया उसे सोच में डूबा देख नैना आगे बढ़ गयी गेट के बाहर निकलते ही उसे ऑटो मिल गया ! नैना ने उसे लायब्रेरी का एड्रेस बताया और चलने को कहा ! रस्ते भर वह किताबो को हाथ में घुमाते रही ! कुछ देर बाद ही वह लायब्रेरी पहुंची और अंदर गयी शीतल ने सही कहा था यहाँ संडे के दिन भी लायब्रेरी ओपन थी ! नैना ने रिसेप्शन पर आकर सार्थक के बारे में पूछा तो लड़की ने कहा,”आप थोड़ी देर वेट कीजिये वो अंदर सर के साथ है !”
“या इट्स ओके”,कहकर नैना वही काउंटर पर पड़ी किताबो को देखने लगी !

लायब्रेरी के बाहर बाइक आकर रुकी ! अवि उतरा और अंदर आया जैसे ही वह अंदर आया उसकी नजर रिसेप्शन पर खड़ी नैना पर गयी अवि का दिल फिर धड़क उठा ! उसने सोचा नहीं था इतनी जल्दी नैना से उसकी फिर मुलाकात होगी , लेकिन वह नैना के पास ना जाकर सीधा किताबो रॉ के पास चला गया और वही से नैना को देखने लगा ! जिस तरह नैना किताबे उठाकर देखती और फिर उन्हें वापस रख देती , अवि को वह बड़ी प्यारी लग रही थी ! अवि उसकी तस्वीर लेना चाहता था लेकिन आज उसका केमेरा उसके पास नहीं था ! अवि बस नैना को देखता रहा कुछ देर बाद सार्थक वहा आया ओर नैना से मिला नैना ने अपने साथ लायी दोनों किताबे सार्थक को दी और रजिस्टर में साईंन करके चली गयी ! नैना के जाते ही अवि सार्थक के पास आया और कहा,”हे लिस्टन अभी उस लड़की ने जो बुक्स आपको दी थी वो मुझे चाहिए !”
सार्थक ने अवि को देखा तो कहा,”आप तो मेरे ही अपार्टमेन्र्ट में रहते है शायद ?”
“तुम आजाद नगर में रहते हो , आशीर्वाद आपर्टमेंट में ?”,अवि ने कहा
“जी हां सेकेण्ड फ्लोर , मैंने एक दो बार आपको वहा देखा है !”,सार्थक ने कहा
“मैं वही रहता हु , तुम तो पडोसी निकले , प्लीज वो बुक्स”,अवि ने कहा जिसे नैना की रिटर्न की हुई बुक्स में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी थी !
“ओह्ह हां , ये लीजिये !”,कहते हुए सार्थक ने अवि को दोनों किताबे थमा दी !
“क्या मैं इन्हे कुछ दिन के लिए रख सकता हु ?”,अवि ने कहा
“हां क्यों नहीं ? यहाँ साइन कर दीजिये और कुछ अमाउंट देना होगा बस !”,सार्थक ने उलझन भरे भावो के साथ कहा
“या स्योर !”,कहकर अवि ने सारी फॉर्मेलिटी पूरी की और बुक्स लेकर बाहर आ ! “मेरी माया , ह्म्म्मम्म साउंड इंट्रस्टिंग और दूसरी द डार्क लव”,अवि ने दोनों किताबो के नाम पढ़े और फिर कहा,”तुम इतनी भी सख्त नहीं हो जितना खुद को दिखाने की कोशिश करती हो !”
अवि ने बुक्स को चूमा और वहा से चला गया ! पीछे खड़े सार्थक ने जब ये देखा तो परेशान हो गया और अंदर आकर बैठकर सोचने लगा,”ये बुक्स शीतल लेकर गयी थी , उन्ही बुक्स को इस बन्दे ने क्यों लिया ? और तो और बुक्स को चुम भी रहा है ,,, कही ये शीतल का बॉयफ्रेंड तो नहीं ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नहीं वो तो जबसे यहाँ आयी है तबसे नैना और रुचिका के साथ रही है , इसके साथ तो मैंने उसे कभी नहीं देखा ,,,,,,,,,,,तो फिर कही ये उसमें इंट्रेस्टेड तो नही है ,, इसलिए ये वही बुक्स लेने आया था जो शीतल ने ली थी ! कुछ कर सार्थक ऐसे तो तू शीतल को खो देगा !”
अपनी ही सोच में गुम सार्थक किताबो को रॉ में ज़माने लगा उसे किताबे जमाते देख साथ वाली लड़की ने कहा,”सार्थक ध्यान कहा है तुम्हारा ? गलत रॉ में किताबे जमा रहे हो ,, साइड हटो मैं कर देती हु !”
लड़की के कहने पर सार्थक साइड हट गया उसके दिमाग में अभी भी वही सब चल रहा था !किताबे रॉ में रखने के बाद वह लड़की भी सार्थक की बगल में आ बैठी और कहा,”क्या हुआ आज इतना परेशान क्यों है तू ?”
“कुछ नहीं अमिता बस ऐसे ही !”,सार्थक ने छुपाने की कोशिश की लेकिन उसके चेहरे से सब साफ झलक रहा था जिसे अमिता ने भांप लिया था ! पिछले 1 साल से वह सार्थक की अच्छी दोस्त थी उसने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”तू उस लड़की के बारे में सोचकर परेशान है ना , जो उस दिन बुक्स लेकर गयी थी ! वो काफी दिनों से आयी नहीं है तो याद आ रही होगी ना उसकी !”
“ऐसा कुछ नहीं है वो मेरे ही अपार्टमेंट में रहती है !”,सार्थक ने कहा
“क्या ? सच में फिर तो तू उस से रोज मिल सकता है , बात कर सकता है !”,अमिता ने कहा
“कहा यार एक ही अपार्टमेंट में रहते हुए भी उस से बात नहीं हो पाती वो मुझसे ऊपर वाले फ्लोर पर रहती है !”,सार्थक ने कहा
“कैसे होगी बात ? उसके सामने आते ही तो तेरी बोलती बंद हो जाती है !”, अमिता ने सार्थक का मजाक उडाते हुए कहा जो की सही भी था सार्थक ने कुछ नहीं कहा तो अमिता ने कहा,”तूने उसे बताया तू उसे पसंद करता है !”
“नहीं !”,सार्थक ने कहा
“फिर कैसे बात होगी ? और जब तक तू बताएगा नहीं उसे कैसे पता चलेगा किसी के दिल में उसके लिए फीलिंग्स भी है !”,अमिता ने कहा
“मैं कैसे बताऊ यार ? उसे बुरा लग गया तो ?”,सार्थक ने कहा
“देखो लड़कियों को परपोज़ करो तो उन्हें कभी बुरा नहीं लगता हां वो मना कर देती है या एक्सेप्ट कर लेती है लेकिन बुरा नहीं लगता !”,अमिता ने
कहा
“तुम्हे कैसे पता ?”,सार्थक ने बचकाना सवाल किया
“स्टुपिड मैं भी तो एक लड़की हु ! तू जा और उसे बता दे की तू उसे लाइक करता है उसके बाद तेरी किस्मत !”, अमिता ने कहा तो सार्थक को थोड़ी हिम्मत मिली !

दोपहर में लायब्रेरी बंद होने के बाद सार्थक घर के लिए निकल गया ! 11 बजे राज शीतल के पास पहुंचा इतने दिनों बाद शीतल ने जब उसे देखा तो दौड़कर उसके गले लग गयी ! राज ने भी काफी देर उसे गले लगाए रखा वह बहुत अच्छे मूड में था ! पहली बार शीतल को उस से डर नहीं लगा था ! वह शीतल के लिए ढेर सारे तोहफे लेकर आया था दोनों साथ बैठकर उन्हें देखने लगे ! राज का साथ पाकर शीतल बहुत खुश थी , दोनों ने अपने बिच के जितने भी गीले शिकवे थे सब दूर किये ,, साथ बैठकर दिल्ली आने से लेकर अब तक की सारी बाते शीतल ने राज को बताई सिर्फ सार्थक के बारे में नहीं बताया क्योकि वह नहीं चाहती थी राज कुछ गलत समझे और फिर से झगड़ा हो ! दोपहर में राज ने नैना के लिए अपने हाथो से खाना बनाया और दोनों ने साथ मिलकर खाना खाया ! शीतल राज के सीने पर सर रखे सोफे पर बैठी थी तभी डोरबेल बजी !
“शायद नैना और रुचिका होंगी , मेरी रूममेट्स !”,शीतल ने कहा
“तुम रुको मैं दरवाजा खोलता हु !”,कहकर राज उठा और जैसे ही दरवाजा खोला सामने सार्थक खड़ा था ! राज को वहा देखकर वह थोड़ा उलझन में पड़ गया और एक लड़के को दरवाजे पर देखकर राज भी हैरान था ! सार्थक को चुप देखकर राज ने कहा,”हां कहो !”
“वो मैं शीतल , शीतल जी है यहाँ ?”,सार्थक ने कहा
“शीतल से क्या काम है ?”,राज ने शकभरे स्वर में कहा
“आप कौन है ?”,सार्थक ने कहा !
“गर्लफ्रेंड है वो मेरी !”,राज ने थोड़ा अकड़कर कहा ! जैसे ही सार्थक ने ये सूना उसका दिल और हिम्मत दोनों टूट गए वह कुछ बोल ही नहीं पाया !!

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