Love You जिंदगी – 56

Love You Zindagi – 56

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

नैना जहा रुचिका को लेकर परेशान हो रही थी वही रुचिका रेलवे स्टेशन पर बैठी बड़े मजे से चीज बर्गर खा रही थी। ये देखकर नैना ने हाथ में पकड़ा पानी का बोतल फेंककर रुचिका को मारा। रुचिका के हाथ से आधा बर्गर निचे जा गिरा उसने हैरानी से देखा तो नैना को देखकर हताश होकर कहा,”तुमने मेरा बर्गर गिरा दिया”
“बर्गर की बच्ची तेरी तो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,कमीनी तेरी चक्कर में मैं कितना परेशान होकर इधर आयी हूँ और तू है के मजे से बर्गर खा रही है। तुझे तो मैं,,,,,,,,,,,,!”,कहते हुए नैना रुचिका की तरफ आयी और उसे दो-तीन मुक्के जड़ दिए
“नैना छोडो उसे क्या कर रही हो ?”,अवि ने बीच-बचाव करते हुए कहा
“मैं पागल हूँ जो इतनी दूर से तुम्हारे लिए यहाँ आयी हू,,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने बिफरते हुए कहा
“नैना ये पब्लिक प्लेस है हम लोग बाहर चलकर बात करते है”,कहते हुए अवि नैना और रुचिका दोनों को बाहर ले आया। तीनो स्टेशन के पास ही एक रेस्त्रो में आये अवि ने अपने और रुचिका के लिए कॉफी और नैना के लिए चाय आर्डर कर दी। तीनो खामोश थे और नैना पिछले 5 मिनिट से बस रुचिका को घूरे जा रही थी। रुचिका ने देखा तो थोड़ा असहज होते हुए कहा,”मुझे ऐसे घूरना बंद करो नैना”
“सबसे पहले तो तुम मुझे ये बताओ कि ये सब चल क्या रहा है ? तुम्हारे और मोंटी के बीच झगड़ा होगा तो क्या तुम ऐसे घर छोड़कर कही भी चली जाओगी,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे पता भी है कितने लोग तुम्हारी वजह से परेशान हो रहे है”,नैना ने गुस्से से कहा
“किसी को मेरी परवाह नहीं है नैना,,,,,,,,,,!”,रुचिका ने रूखे स्वर में कहा
“हाँ हम लोग तो चू#या है जो तुम्हारे लिए यहाँ आये है।”,नैना ने भी रुचिका को देखकर गुस्से से कहा
“नैना शांत हो जाओ , एटलीस्ट उसे अपनी बात कहने का मौका तो दो”,अवि ने कहा
“कैसे शांत हो जाऊ यार मैं इन सब ने मिलकर मेरी अच्छी खासी जिंदगी में चरस बो दी है। एक को सम्हालो तो दूसरा हाथ से निकल जाता है , दूसरे को सम्हालो तो पहला रं#-रोना शुरू कर देता है। मुझे समझ नहीं आ रहा आखिर तुम दोनों एक दूसरे से चाहते क्या हो ?”,नैना ने एकदम से चिल्लाकर टेबल पर हाथ मारते हुए कहा। गनीमत था इस वक्त रेस्त्रो में ज्यादा लोग नहीं थे।
“मैं अब मोंटी के साथ और नहीं रह सकती”,रुचिका ने नैना को देखकर कठोरता से कहा
“साथ नहीं रह सकती मतलब ?,,,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे क्या लगता है शादी गुड्डे गुडियो का खेल है के जब दिल किया खेला जब दिल किया खत्म,,,,,,,,,,,,,मत भूलो रूचि तुमने और मोंटी ने लव मैरिज की है फिर क्या रीजन दोगी उसे छोड़ने का ?”,नैना ने कहा
“तुम नहीं जानती उसने मेरे साथ क्या किया है ?”,रुचिका ने आँखों में आँसू भरकर कहा
“रूचि अक्सर सच वो नहीं होता जो हम अपनी आँखों से देखते है , हर सिक्के के दो पहलु होते है हम एक तरफ़ा फैसला नहीं ले सकते”,नैना ने दार्शनिक अंदाज में कहा
“हाँ नैना तुम तो ये कहोगी ही क्योकि मोंटी तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड जो है”,रुचिका ने आहत भरे स्वर में कहा तो नैना ख़ामोशी से उसकी तरफ देखने लगी। नैना को खामोश देखकर अवि ने रुचिका की तरफ पलटकर कहा,”रूचि क्या हुआ है मुझे बताओ ? हो सकता है तुम दोनों के बीच कोई बड़ी मिसअंडरस्टैंडिंग हो”
रुचिका ने अवि को सारी बात बता दी जिसे सुनते हुए अवि के चेहरे पर कई भाव आये और गए। माला को लेकर अवि को पहले से शक था कि वह मोंटी और रुचिका के बीच दूरिया लाएगी लेकिन ये सब इतनी जल्दी होगा अवि ने बिल्कुल नहीं सोचा था।
“रूचि तुम स्योर हो उन दोनों के बीच,,,,,,,,,,,,,,!”,अवि कहते कहते रुक गया
“मैंने खुद अपनी आँखों से उन दोनों को मॉल के बाहर साथ देखा था और आज तो मैंने उन्हें रंगे हाथ पकड़ा था। मोंटी ने मुझे धोखा दिया उसने उस माला के लिए मेरे साथ,,,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते रुचिका रोने लगी। नैना ने सब डिटेल में सूना तो उसका सर घूम गया उसे मोंटी पर इतना गुस्सा आ रहा था कि अगर वह उसके सामने होता तो नैना उसका सर फोड़ देती।
रुचिका को रोते देखकर अवि उसे चुप करवाने लगा। वेटर चाय कॉफी रखकर चला गया। अवि ने एक कप रुचिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”लो कॉफी पीओ”
नैना ने अपनी चाय उठायी और जैसे ही घूंठ भरा उसका मुंह बन गया। नैना अपनी कुर्सी से उठी और चाय का कप लिए काउंटर की ओर चली आयी। उसने काउंटर पर बैठे लड़के से पूछा,”ये क्या है ?”
“चाय है मेडम”,लड़के ने कहा
नैना ने कप हाथ पर उड़ेलकर हाथ धोते हुए कहा,”ये चाय है ? इस से अच्छा गर्म पानी में शक्कर डालकर दे देता ना”
नैना ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा जिसे सुनकर अवि अपनी कॉफी रखकर उसकी तरफ चला आया।
“मैं दूसरी बनवा देता हूँ,,,,,,,,,,,,छोटू,,,,,,,,,,,,!”,लड़के ने अपने फोन की स्क्रीन पर नजरे जमाये जैसे ही कहा। नैना ने खाली कप काउंटर पर रखते हुए कहा,”बाबू/शोना से फुर्सत मिले तब ना,,,,,,,,,,,,,,सब के सब बस रिलेशनशिप में घुसे पड़े है। रिलेशनशिप में घुसने का नतीजा वो होता है वैसा,,,,,,,,,,,,,,,,फिर बैठकर उन गलतियों के लिए हाय तोबा करो जो तुमने की ही नहीं है।”,नैना ने रुचिका की तरफ इशारा करके कहा
“अरे मेडम एक चाय के लिए आप इतना क्यों भड़क रही है मैं दूसरी बनवा देता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,छोटू”,लड़के ने फिर फोन में नजरे गड़ाए हुए कहा।
“छोटू इस मनहूस आदमी के मुंह पर एक जग पानी मारो तो इसको होश आये,,,,,,,,,,,,,,,अबे इधर देखो , साले जब चाय के पैसे पुरे लिए है तो जे पानी क्यों थमा दिया हाथ में,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने काउंटर पर पड़े रिसीवर को जोर से पटक कर कहा तो लड़के ने फोन से नजरे हटाई और नैना को देखा। नैना को गुस्से में देखकर लड़के ने झेंपते हुए फोन जेब में रख लिया और मुस्कुरा दिया।
एक तो नैना पहले से उसकी वजह से गुस्से में थी और ऊपर से उसे मुस्कुराते वह और चिढ गयी। नैना जैसे ही लड़के की तरफ लपकी अवि ने आकर नैना को कमर से उठाया और बाहर ले जाते हुए कहा,”सॉरी ब्रो ये अभी थोड़ा टेंशन में है”
“पडोसी कहा ले जा रहे हो,,,,,,,,,,,,,,छोडो मुझे”,नैना ने अवि की बांहो में मचलते हुए कहा
रुचिका ने भी अपनी कॉफी रखी और काउंटर पर आकर बिल चुकाते हुए कहा,”सॉरी भैया वो थोड़ा परेशान है इसलिए उसने,,,,,,,,,,,,,,!!”
“इट्स ओके मेडम , वैसे वो बहुत गुस्से वाली है उनसे दूर ही रहना आप”,लड़के ने दबी आवाज में कहा तो रुचिका उसे घूरने लगी और फिर वहा से बाहर चली आयी।

“पडोसी क्या है ये सब ? तुम मुझे वहा से क्यों ले आये मैं उसका मुंह तोड़ने वाली थी,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने गुस्से से बिफरते हुए कहा
“हाँ तोड़ दो,,,,,,,,,,,,सबका मुंह तोड़ दो,,,,,,,,,,,,,,बहुत बड़ी गुंडी हो ना तुम जो जब देखो तब किसी को मारने-पीटने पर उतारू हो जाती हो। नहीं पसंद आयी चाय तो दूसरी मंगवा लेते उस पर चिल्लाने की क्या जरूरत थी ? नैना हर जगह गुस्सा और झगड़ा नहीं चलता है इस बात को समझो तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने नैना पर गुस्सा होते हुए कहा
“मैं तुम्हारी तरह आदर्शवादी नहीं हूँ , ना ही मैं मम्मा बॉय हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,जो जैसा है उस से उसी की भाषा में बात करना आता है मुझे और मैं करुँगी”,नैना ने भी गुस्सा होते हुए कहा
नैना रुचिका बहस कर ही रहे थे कि इतने में रुचिका भी वहा चली आयी वह दोनों को कुछ समझाती इस से पहले ही अवि ने कहा,”ऐसा है तो फिर जिसका गुस्सा है उस पर जाकर निकालो , अपने ईगो के लिए दुसरो को नीचा मत दिखाओ”
अवि की बात सुनकर नैना की आँखों के सामने एकदम से मोंटी का चेहरा आ गया। नैना की आँखे सिकुड़ गयी और खून उबाल मारने लगा क्योकि ये जो कुछ भी हो रहा था उसमे सबसे बड़ी गलती मोंटी की ही थी। उसने अवि को देखा और कहा,”तो फिर चलो”
नैना ने वहा से गुजरते ऑटो को रुकवाया और अवि रुचिका की तरफ बैठते हुए कहा,”बैठो”
“नैना हम लोग कहा जा रहे है ?”,रुचिका ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“रूचि चुपचाप आकर बैठ , इस वक्त मेरा दिमाग बहुत गर्म है अगर तूने कोई सवाल जवाब किया तो मै तेरा मुंह तोड़ दूंगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,और तुम्हारा भी”,कहते हुए नैना ने अवि की तरफ देखा।
नैना को गुस्से में देखकर दोनों चुपचाप ऑटो में आ बैठे पीछे जगह नहीं थी इसलिए नैना ने अगर बैठे ऑटो चालक से कहा,”दादा खिसको”
“आप यहाँ बैठेंगी ?”,ऑटो चालक ने हैरानी से पूछा
“काहे जेठ लगते हो हमाये ? अमा खिसको यार एक तो जिंदगी के पहले से L लगे हुए है और तुमको बकैती अलग से करनी है। अब चलो भी का मुहूर्त निकलवाए”,नैना ने ऑटोचालक के बगल में बैठते हुए कहा। गुस्से और परेशानी में अक्सर नैना की टोन चेंज हो जाती थी जिसका असर उसकी बातो में साफ नजर आता था। नैना आगे बैठी थी और पीछे बैठे अवि रुचिका एक दूसरे को देखकर मन ही मन ये दुआ कर रहे थे कि नैना बस शांत हो जाये।

आशीर्वाद , अपार्टमेंट दिल्ली
शाम में सार्थक और मिस्टर शर्मा साथ साथ घर आये। जैसे ही दोनों घर में दाखिल हुए खाने की खुशबु ने उनका ध्यान अपनी तरफ खींचा ,
“क्या बात है मिसेज शर्मा आज कुछ खास है क्या ?”,मिस्टर शर्मा ने हॉल की तरफ आते हुए कहा जहा मिसेज शर्मा बैठी थी। शीतल किचन में खाना बना रही थी। सार्थक भी जूते निकालकर हॉल की तरफ चला आया और कहा,”हाँ मम्मी आज खाने में कुछ स्पेशल बना है क्या ? कही आपके रिश्तेदार तो नहीं आ रहे या फिर आपकी अपार्टमेंट वाली सहेलिया ?”
“अरे भाड़ में जाए रिश्तेदार और अपार्टमेंट की सहेलिया,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने डायनिंग की तरफ आते हुए कहा
मिसेज शर्मा की बात सुनकर मिस्टर शर्मा और सार्थक हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे तो मिसेज शर्मा ने आगे कहा,”बल्कि आज का खाना तो मैंने और शीतल ने मिलकर बनाया है अपने परिवार के लिए,,,,,,,,,,,,!!”
“क्या बात है मम्मी ये चमत्कार कैसे हुआ ? मतलब सास बहू में इतना प्यार,,,,,,,,,,,,,!!”,सार्थक ने डायनिंग टेबल की कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा क्योकि खाने की खुशबु से ही उसके मुंह में तो पानी आने लगा था
“देखा माँ हमारे प्यार से सिर्फ अपार्टमेंट के लोग ही नहीं घर के लोग भी जलने लगे है”,शीतल ने किचन से बाहर आते हुए कहा तो सार्थक मुस्कुरा उठा
“कोई जले या ना जले पर आज मुझे ये घर घर जैसा लग रहा है,,,,,,,,,,,,,,,,,,आज से पहले इतना सुकून तो मुझे इस घर में कभी नहीं दिखा”,मिस्टर शर्मा ने भी कुर्सी पर बैठते हुए कहा
“क्या मतलब है आपका ? इतने साल आपने इस घर में ऐसे ही बिता लिये ?”,मिसेज शर्मा ने झूठ मुठ का नाराज होते हुए कहा तो मिस्टर शर्मा आने उनका हाथ पकड़कर उन्हें पास पड़ी कुर्सी पर बैठाते हुए कहा,”अरे मिसेज शर्मा आपके बिना ये घर , घर थोड़ी है,,,,,,,,,,,,,,अब जल्दी से अपने हाथो से बना खाना परोसिये भूख से हमारी जान निकली जा रही है”
मिसेज शर्मा मुस्कुराई और खाना परोसने लगी। शीतल भी सार्थक के सामने आ बैठी और चारो बातें करते हुए खाना खाने लगे। शीतल और मिसेज शर्मा की नजरे जब एक दूसरे से मिली तो दोनों मुस्कुरा उठी। खाना खाते हुए मिसेज शर्मा ने सबके सामने शीतल के कत्थक क्लास को लेकर बात की। शीतल का मन देखते हुए मिस्टर शर्मा ने उसे परमिशन दे दी साथ ही मिसेज शर्मा को भी ज्वाइन करने को कहा।
“मैं इस उम्र में कत्थक,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं ये आप क्या कह रहे है ?”,मिसेज शर्मा ने कहा
“क्यों नहीं कर सकती ? सपने पुरे करने की कोई उम्र नहीं होती है मिसेज शर्मा”,मिस्टर शर्मा ने खाना खाते हुए कहा
“आपको कैसे पता ये मेरा सपना,,,,,,,,,,,,,,,,,!”मिसेज शर्मा कहते कहते एक बार फिर रुक गयी
“मैं जताता नहीं इसका मतलब ये नहीं है कि मैं आपकी और अपने परिवार की परवाह नहीं करता,,,,,,,,,,,,,शीतल के साथ तुम भी कल से क्लास जाना शुरू कर दो,,,,,,,,,,और अपने सपने को पूरा करो”,मिस्टर शर्मा ने कहा तो मिसेज शर्मा की आँखों में नमी उतर आयी। सच तो ये था कि आज तक उन्होंने कभी मिस्टर शर्मा से अपने सपने के बारे में बात ही नहीं की थी पर आज उनके मुंह से ये सब सुनकर उन्हें बहुत ख़ुशी मिल रही थी
शीतल ने मिसेज शर्मा की आँखो में नमी देखी तो अपना हाथ उनके हाथ पर रख दिया और अपनी पलके झपका दी। मिसेज शर्मा ने भी अपनी पलकें झपकाई और खाना खाने लगी। खाना खाने के बाद चारो हॉल में बैठकर कुछ देर बातें करते रहे उसके बाद शीतल किचन में चली आयी। सार्थक अपने कमरे में चला गया और मिस्टर शर्मा मिसेज शर्मा के साथ बाहर घूमने निकल गए। आज चारो का मन बहुत अच्छा था और घर का माहौल भी खुशनुमा था।
बर्तन धोने के बाद शीतल हॉल में चली आयी उसने अपना फोन उठाया तो स्क्रीन पर लगी अपनी नैना और रुचिका की तस्वीर देखकर उसे उन दोनों की याद आ गयीं। शीतल की नजर नैना के चेहरे पर ठहर गया और वह मन ही मन कहने लगी,”तुम से मिलकर तुम्हे कसकर गले लगाना है एक बार और तुम्हे थैंक्यू कहना है। तुम ही हो नैना जिसने मेरे अंदर ये भरोसा जगाया की मैं अपने हक़ के लिए अकेले लड़ सकती हूँ। तुम्हारे साथ और भरोसे ने मुझे हिम्मत दी और देखो आज सब ठीक हो गया। थैंक्यू नैना तुम एक दोस्त नहीं बल्कि मेरे परिवार का वो हिस्सा हो जो मुझे मजबूत बनाता है”
“मुझे नैना को फोन करना चाहिए”,कहते हुए शीतल ने नैना का नंबर डॉयल किया और मुस्कुराते हुए उसके फोन उठाने का इंतजार करने लगी। शीतल नैना को बताना चाहती थी कैसे उसने अपार्टमेंट के टॉक्सिस लोगो को सबक सिखाया है लेकिन नैना ने फोन नहीं उठाया। उदास होकर शीतल ने फोन रख दिया और अपने कमरे में चली गयी।
ऑटो एक अपार्टमेंट के बाहर आकर रुका नैना ने रुचिका और अवि से उतरने को कहा और पैसे चुकाकर अपार्टमेंट के अंदर चली आयी।
“नैना हम वहा क्यों जा रहे है ?”,रुचिका ने नैना के पीछे चलते हुए धीरे से कहा
“थोड़ी देर में तुम्हे तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे”,नैना ने लिफ्ट के सामने आकर बटन दबाते हुए कहा। तीनो लिफ्ट में चले आये नैना अब शांत थी उसके चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था। वह खामोशी से खड़ी लिफ्ट को ऊपर जाते देख रही थी। अवि बस नैना को देख रहा था वह जानता था नैना की ये ख़ामोशी आने वाले तूफ़ान का संकेत है। लिफ्ट ऊपर आकर खुली नैना रुचिका और अवि तीनो वहा से अगर बढ़ गए। मोंटी के फ्लेट के सामने आकर नैना ने बेल बजायी। एक बार बेल बजाने से दरवाजा नहीं खुला तो नैना ने बेल बजाना जारी रखा। कुछ देर बाद मोंटी ने दरवाजा खोला उसने नैना अवि और रुचिका को साथ देखा तो हैरानी से उसकी आँखे फ़ैल गयी वह कुछ कहता इस पहले ही नैना उसे धकियाते हुए अंदर लेकर आयी और अंदर आते आते एक घुसा उसके मुंह पर दे मारा।
“नैना मेरी बात तो सुनो”,मोंटी ने कहा लेकिन नैना ने ना कोई जवाब दिया न ही कोई भाव उसके चेहरे पर आये उसने मोंटी को पीटना जारी रखा। पहले पहल तो रुचिका चुप रही लेकिन जब मोंटी को दर्द में देखा तो कहा,”नैना मत मारो उसे,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
नैना ने सूना तो उसके चेहरे पर दर्द और तकलीफ के भाव उभरे उसने मोंटी की कोलर पकड़ कर उसे उठाते हुए कहा,”देखा तेरे इतना सब करने के बाद भी उसे तेरी परवाह हो रही है और तूने क्या किया ? तूने सबके सामने उस पर हाथ उठाया,,,,,,,,,,,,,,,,,,औरत पर हाथ उठाना मर्दानगी नहीं होती है मोंटी”
नैना की बात सुनकर मोंटी को अहसास हुआ कि उसने रुचिका पर हाथ उठाकर गलती की थी उसने रुचिका की तरफ देखा तो पाया रुचिका की आँखों में आँसू भरे हुए थे। मोंटी का दिल चीरने के लिए आँसू काफी थे।

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संजना किरोड़ीवाल

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