Love You जिंदगी – 54
Love You Zindagi – 54
रुचिका का फोन आने के बाद नैना थोड़ा अपसेट हो गयी। वह बीकानेर जाने की तैयारी करने लगी और अवि को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। अभी तक अवि ने ना नैना को उसकी बीमारी के बारे में बताया था न ही वह विहान से मिला। नैना ने बैग में अपने कपडे रखे और अवि के सामने आकर कहा,”तुमने कहा था अवि कि तुम मुझे मेरे दोस्तों से मिलने से कभी नहीं रोकोगे। रुचिका प्रॉब्लम में है मुझे उसके पास जाना ही होगा और अगर आज तुम रोको भी तो मैं नहीं रुकने वाली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसकी जिंदगी में मोंटी को लाने वाली मैं थी , मेरी चॉइस इतनी गलत नहीं हो सकती। मुझे वहा जाकर सब ठीक करना ही होगा क्योकि वो दोनों ही मेरे दोस्त है। मुझे जाना होगा”
“नैना तुम समझ नहीं रही है,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“मुझे फ़िलहाल कुछ समझने की जरूरत नहीं है अवि , अगर तुम मेरे साथ नहीं आना चाहते तो इट्स ओके मैं अकेले मैनेज कर लुंगी”,नैना ने कहा
“हर बार अपने दोस्तों की लाइफ के प्रॉब्लम सॉल्व करना तुम्हारी रिस्पॉनबिलिटी नहीं है नैना”,अवि ने थोड़ा गुस्से से कहा
“तो किस की रिस्पॉन्सिब्लिटी है ? पडोसी यार वो लोग दोस्त है मेरे,,,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने भी थोड़ा गुस्सा होकर कहा
“वो लोग दोस्त है तो फिर हम दोनों क्या है नैना ? तुम्हे ये समझना होगा कि तुम्हारे दोस्तों के अलावा भी एक दुनिया है जिसमे तुम और मैं साथ रहते है। क्या तुम्हे अपनी या मेरी परवाह है ? दोस्त सिर्फ दोस्त होते है उन्हें फॅमिली मत बनाओ”,नैना की बात पर अवि ने बिफरते हुए कहा
“वो सिर्फ दोस्त नहीं है मेरे , मेरी लाइफ का मेरी फॅमिली का एक हिस्सा है,,,,,,,,,,,,,,,,तुम उनके लिए इस तरह बात नहीं कर सकते”,नैना ने अवि की आँखों में देखते हुए कहा
नैना इस वक्त अवि की बात नहीं समझ रही थी और यही बात अवि को बुरी लगी वह नैना के करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”एक काम करो तुम रहो अपने दोस्तों के साथ”
“पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,!”,नैना ने कहना चाहा लेकिन तब तक अवि कमरे से बाहर निकल गया
अवि नीचे आया और गाड़ी लेकर घर से बाहर निकल गया। कुछ देर बाद ब्रिज पर आकर उसने सड़क किनारे गाड़ी रोकी। नीचे उतरा और बाहर निकलकर अपना हाथ गुस्से से गाड़ी के बोनट पर मारते हुए कहा,”क्या हो गया है तुझे ? तू नैना पर गुस्सा कैसे कर सकता है ? वो इस वक्त बीमार है उसे तुम्हारी जरूरत है और तुम उसे अकेला छोड़ आये। वो तो ये तक नहीं जानती कि वो अंदर ही अंदर किस बीमारी से झुंझ रही है ,,,,,,,,,,,,,तू इतना सेल्फिश कैसे हो सकता है यार ? नैना इस वक्त कुछ सुनना समझना नहीं चाहती उसके लिए अपनी जिंदगी से बढ़कर दोस्त है और उसके वो दोस्त उन्हें तो शायद ये तक नहीं पता नैना खुद किस हाल में है बस सबको अपनी प्रोब्लेम्स दिखती है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन मुझे नैना को ऐसे अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था मुझे उसके साथ रहना चाहिए , मुझे उसे जाने से रोकना चाहिए।”
अवि ने मन ही मन फैसला किया और गाड़ी लेकर वापस घर चला आया। अवि अंदर आया देखा हॉल में सोफे पर बैठी निबेदिता कोई बुक पढ़ रही है। अवि सीधा ऊपर अपने कमरे में चला आया लेकिन कमरे में ना नैना थी ना ही उसका बैग अवि समझ गया कि नैना जा चुकी है। वह वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़ा उसकी नजर ड्रेसिंग टेबल पर रखे पेपर पर चली गयी। अवि ने उसे उठाया और पढ़ने लगा
“पडोसी !!
i know मेरा इस तरह जाना तुम्हे बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा लेकिन मेरा जाना बहुत जरुरी है। मेरे दोस्तों ने मुझे हमेशा एक फॅमिली की तरह सपोर्ट किया है फिर आज जब उन्हें मेरी जरूरत है तो मैं उन्हें अकेला कैसे छोड़ सकती हूँ ? तुम अभी गुस्से में हो इसलिए मेरी बात नहीं समझ पाओगे , मैं बीकानेर जा रही हूँ रूचि के पास जल्दी लौट आउंगी,,,,,,,,,,,,,,,तुम साथ आते तो मुझे अच्छा लगता but चिंता मत करो मैं ठीक कर दूंगी
मैं तुम पर चिल्लाई उसके लिए i am sorry
नैना”
अवि ने जैसे ही नैना का लिखा खत पढ़ा उसका दिल तुरंत पिघल गया। उसने पेपर मोड़कर जेब में रख लिया और मन ही मन खुद से कहा,”काश तुम इतनी जिद्दी ना होती नैना”
अवि को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह एक बार फिर घर से निकल गया। दूसरी तरफ नैना एयरपोर्ट आयी उसकी किस्मत अच्छी थी की 1 घंटे बाद ही उसे तत्काल में ही नॉनस्टॉप फ्लाइट का एयर टिकट मिल गया। नैना को तसल्ली हुई और अपना बोर्डिंग पास लिए वह रिसेप्शन की तरफ चली आयी। फ्लाइट एक घंटे बाद थी इसलिए नैना वेटिंग एरिया में चली आयी। उसका मन भारी होने लगा था , सर भी हल्का दर्द कर रहा था। ऐसा पहली बार हुआ जब अवि उसके साथ नहीं था। उसने आसभरी नजरो से एंट्री गेट की तरफ देखा ये सोचकर की शायद उसे रोकने के बहाने से ही सही अवि वहा आ जाये लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नैना ने बैग को अपने गोद मे रखा और अपना गाल उस पर टिका लिया। उसका चेहरा उदासी से घिरने लगा था। उसे रुचिका की फ़िक्र हो रही थी साथ ही दिल्ली में घटी वो घटना एकदम से उसकी आँखों के सामने आ गयी जब रुचिका ने सचिन के कारण अपने हाथ की नस काट ली थी। ये सब सोचकर किसी अनहोनी के डर से नैना का दिल धड़कने लगा। उसे बेचैनी होने लगी और उसने अपनी आँखे मूंद ली। थकान का असर था या दिमाग में चल रहे टेंशन का नैना की आँख लग गयी और वह वही बैठे बैठे सो गयी। आधा घंटा गुजर गया लेकिन नैना ऐसी सोई की उठी ही नहीं। नीदं में उसने अपना सर उठाया और बगल में बैठे लड़के के कंधे पर टिका दिया। नैना नींद में थी उसने ध्यान नहीं दिया उसके बगल में कोई और नहीं बल्कि अवि ही बैठा था। नैना को नींद में देखकर वह हल्का सा मुस्कुराया और मन ही मन खुद से कहा,”मेरे बिना घर से बाहर नहीं जाती चंडीगढ़ से क्या खाक बाहर जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,,,पागल लड़की , इसकी फ्लाइट का टाइम हो चुका है लेकिन ये बेफिक्र होकर सो रही है। आह्ह पता नहीं कब बड़ी होगी ?”
कुछ वक्त और गुजरा और फ्लाइट की अनाउंसमेंट होने लगी। अवि ने नैना के कंधे को थपथपाते हुए कहा,”हेलो मिसेज नैना चौधरी,,,,,,,,,,,,,ये आपका घर नहीं है एयरपोर्ट है”
“आह्ह्ह्हह्ह भोला भैया एक कप चाय मिलेगी क्या ? मेरा सर बहुत दुःख रहा है”,नैना ने नींद में कुनमुनाते हुए कहा अपना गाल फिर अपनी गोद में रखे बैग से लगाकर आँखे मूँद ली। उसने ध्यान ही नहीं दिया कि उसके बगल में अवि बैठा है और वो दोनों एयरपोर्ट पर है। उलटा वह अवि को भोला भैया समझकर चाय के लिए बोल रही थी
“और तुम्हारा सर क्यों दुःख रहा है ?”,अवि ने पूछा
“मत पूछो यार ! लोगो की जिंदगी में टेंशन होता है और मेरी टेंशन में थोड़ी सी जिंदगी है। मेरी किस्मत लोहे के पेन से घिस घिस कर लिखी है तभी फट के हाथ में आ गयी है। अरे ! पता नहीं कौनसी मनहूस घडी में मैंने पडोसी को आई लव यू बोला था,,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरी अक्ल पर पत्थर पड़े थे जो मैंने अपनी लंका खुद लगा ली उस से शादी करके,,,,,,,,,,,,,,वो आदमी सच में मेरी समझ से बाहर है। शादी के बाद तो जैसे कोई लाइफ ही नहीं रही है बस सबकी सुनो,,,,,,,,,,,,,,मैंने अपनी लाइफ में किसी की इतनी नहीं सुनी होगी लेकिन पडोसी,,,,,,,,,,,,,,,,,उसकी हर बात सुनती हूँ फिर भी वो आदमी पता नहीं मुझसे क्या चाहता है ? कभी कभी इतना झिलाता है ना दिल करता है उसका गला,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नींद में बड़बड़ाते हुए नैना ने उठकर जैसे ही अपने बगल में देखा आगे के शब्द उसके गले में ही अटक गए और साँस रुक गयी। जिसकी तारीफ में वह इतने अच्छे शब्द कह रही थी वह उसके बगल में ही बैठा था
नैना को लगा वह कोई सपना देख रही है इसलिए उसने जल्दी जल्दी अपनी आँखे मसली और दोबारा अपने बगल में देखा तो अंदर ही अंदर उसका दिल रो पड़ा वो अवि ही था और बड़े प्यार से नैना को देख रहा था। नैना ने डरते डरते अवि को हाथो को अपनी ऊँगली से टच किया और धीरे से कहा,”क्या तुम सच में यहाँ हो ?”
“हम्म्म , मैं तुम्हे अकेले कैसे जाने दे सकता हूँ ?”,अवि ने उतने ही प्यार से नैना को देखते हुए कहा तो नैना ने दूसरी तरफ गर्दन घुमाकर अपना सर पीटते हुए धीमी आवाज में कहा,”आह ये हमेशा मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? एक तो ये पहले से गुस्सा है ऊपर से मैंने जो कहा वो तो इसने पक्का सूना होगा। इतने प्यार से मुझे देख रहा है मतलब पक्का थोड़ी देर में इसके गुस्से का बम फटेगा और स्वाहा हो जाएगा। मुझे भी इसके बारे में ऐसे टाइम पर बकवास करनी थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,एक दिन अपनी ही जबान काट देनी है मैंने , मेरी लंका लगने के पीछे इसी का हाथ है”
“हेलो,,,,,,,,,,,,,,अकेले में क्या बड़बड़ा रही हो ?”,अवि ने नैना के सामने चुटकी बजाते हुए कहा
“अगर सीधा जवाब दिया तो ये ज्यादा टॉर्चर करेगा,,,,,,,,,,,,,एक काम करती हूँ थोड़ा रूड हो जाती हूँ ऐसे दिखाती हूँ कि मैं इस से नाराज हूँ,,,,,हाँ ये सही रहेगा”,नैना फिर बड़बड़ाई
“हेलो मिस बड़ बड़ अगर तुम थोड़ी देर ऐसे और बैठे रही तो तुम्हारी फ्लाइट मिस हो जाएगी”,अवि ने उठते हुए कहा
“ओह्ह शिट मैं ये कैसे भूल गयी ?”,नैना ने एकदम से कहा और अपना बैग उठाये वहा से चली गयी। अवि उसके पीछे पीछे चल पड़ा। अवि को अपने पीछे आते देखकर नैना फिर बड़बड़ाने लगी,”ये पडोसी किसी सस्ते आशिक़ की तरह मेरा पीछा क्यों कर रहा है ? अगर मुझे रोकने के लिए आया है तो रोक क्यों नहीं रहा ? वैसे भी ये कब क्या करे कुछ पता नहीं चलता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पर ये इतना शांत क्यों है ? अब तक तो इसके अंदर का ज्वालामुखी फट के बाहर आ जाना चाहिए था,,,,,,,,,,,,आह पता नहीं इसके दिमाग में क्या खिचड़ी पक रही होगी ? लेकिन मैं भी रुकने वाली नहीं हूँ मैं रुचिका के पास जाकर रहूंगी पता नहीं इस वक्त वो किस हाल में होगी ?”
चलते चलते नैना ने सामने ध्यान नहीं दिया और जैसे ही उसका सर सामने लोहे के पिल्लर से टकराने वाला था अवि उसे बचाने तेजी से आगे बढ़ा लेकिन अवि की बुरी किस्मत नैना का सर उस से टकराये इस से पहले ही नैना बड़बड़ाते हुए लेफ्ट साइड चली गयी और उसे बचाने के चक्कर में अवि का सर उस पिल्लर से जा टकराया वो भी इतना तेज कि 10 सेकेण्ड तक तो अवि को समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या ? अवि को होश आया तो वह अपना ललाट सहलाते हुए फ्लाइट की ओर चला गया। नैना फ्लाइट में जा चुकी थी अवि भी पीछे पीछे चला आया। अवि की सीट नैना के बगल में ना होकर उसके साथ वाली रॉ में थी लेकिन अवि की किस्मत आज उस पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी उसके बगल साथ वाली सीट पर एक खूबसूरत लड़की थी।
अवि ख़ुशी ख़ुशी अपनी सीट पर आ बैठा। लड़की अवि को देखकर मुस्कुराई तो अवि भी मुस्कुरा दिया और फिर बगल वाली सीट के पास खड़ी नैना को देखा जो कि अपना बैग ऊपर रखने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अवि ने नैना को परेशान होते देखा तो उठा और उसके हाथ से बैग लेकर रखते हुए कहा,”तुम मुझे हेल्प के लिए बोल सकती हो”
“नो थेंक्यू,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने अवि के हाथ से बैग छीनकर कहा और जैसे ही लड़खड़ाई अवि ने उसे सम्हाल लिया। नैना उसकी आँखों में देखने लगी।
“ए भाई जरा साइड होवो ने,,,,,,,,,,,,,सू करे छे ?”,अवि के पीछे से आते आदमी ने दोनों को साइड करते हुए कहा
जिस से अवि और नैना एक दूसरे के और करीब आ गए। नैना ने देखा सब उन्हें ही देख रहे है तो उसने अवि को पीछे धकेलते हुए कहा,”तुम यहाँ क्यों आये हो ?”
“तुम बीकानेर रुचिका के लिए जा रही हो ताकि उसे सम्हाल सको , लेकिन जब तुम दोनों लड़किया मिलकर बेचारे मोंटी पर हावी हो जाओगी तो उसे बचाने वाला भी तो कोई चाहिए ना इसलिए मैं अपने भाई के लिए जा रहा हूँ”,अवि ने सहजता से कहा
“वो मोंटी एक नंबर का चू,,,,,,,,,,,,,,,,,कमीना है तुम्हे उसकी साइड लेने की जरूरत नहीं है। उसने रूचि के साथ अच्छा नहीं किया”,नैना ने गुस्सा होते हुए कहा
“गलती सिर्फ मोंटी की है तुम ये कैसे कह सकती हो ? तुम्हारी दोस्त भी तो गलत हो सकती है ना ?”.अवि ने भी नैना को घूरते हुए कहा
“मुझे तुम से बहस नहीं करनी,,,,,,,,,,,,जाओ मरो अपनी सीट पर”,नैना ने अवि को पीछे करते हुए कहा और आकर अपनी सीट पर बैठ गयी। खिड़की वाली सीट उसी गुजराती आदमी की थी जो अभी अभी नैना और अवि के पास से गुजरा था। वह आकर नैना के बगल में बैठ गया और खुश होकर खिड़की से बाहर देखने लगा।
अवि अपनी सीट पर आकर बैठा जो कि नैना की तरफ ही थी।
“एनी प्रॉब्लम ?”,लड़की ने बड़े प्यार से अवि से पूछा क्योकि जब नैना और अवि झगड़ रहे थे तब उसका ध्यान उन दोनों पर ही था।
“नो , वो इनके दिमाग का स्क्रू थोड़ा ढीला है”,अवि ने नैना की तरफ इशारा करके कहा तो लड़की खी खी करके हसने लगी और अपने हाथ से हल्का सा पंच अवि के कंधे पर मारते हुए कहा,”यू आर सो फनी”
“हाँ तो पार्सल बांध के घर ले जाओ ना,,,,,,,,,,!!”,नैना ने थोड़ा ऊँची आवाज में कहा जो कि लड़की के कानो में भी पड़ी लेकिन उसने इग्नोर कर दिया।
नैना ने आँखे मूँद कर सर सीट से लगा लिया अवि का यू साथ आना अब मन ही मन उसे परेशान कर रहा था।
बीकानेर , मोंटी का घर
“पिक अप द फोन रूचि,,,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज फोन उठाओ”,मोंटी कमरे में घूमते हुए खुद में ही बड़बड़ा रहा था
मोंटी पिछले कई घंटो से रुचिका को फोन कर रहा था लेकिन रुचिका ना उसका फोन उठा रही थी ना ही उसके मैसेज का जवाब दे रही थी। रुचिका इस वक्त कहा थी मोंटी ये बात नहीं जानता था। जब इस बार भी रुचिका ने फोन नहीं उठाया तो मोंटी ने फोन टेबल पर रखा और बाइक की चाबी लेकर फ्लेट से निकल गया। जल्दबाजी में वह अपना फोन फ्लेट में ही भूल गया। मोंटी बाइक लेकर अपार्टमेंट से निकल गया और सीधा रुचिका के बैंक चला आया लेकिन रुचिका वहा नहीं थी। बीकानेर में रुचिका के ज्यादा दोस्त भी नहीं थे सिर्फ मधु थी जिसे रुचिका के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। दोपहर से शाम हो गयी मोंटी रुचिका को ढूंढते रहा लेकिन वह नहीं मिली। थककर मोंटी फुटपाथ पर पड़ी बेंच पर आकर बैठ गया। उसकी जिंदगी में एकदम से मुसीबतो का पहाड़ टूट पड़ा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ऐसे में वह क्या करे ? मोंटी को नैना का ख्याल आया एक नैना ही थी जो ऐसे वक्त में उसकी बात सुन सकती थी और उसे इन सबसे बाहर निकाल सकती थी। मोंटी ने अपनी जेब टटोली तो याद आया उसका फोन घर पर ही है।
मोंटी परेशान सा रुचिका को ढूंढता रहा लेकिन रुचिका नहीं मिली। थक हारकर मोंटी वापस फ्लेट लौट आया उसने एक बार फिर रुचिका को फोन मिलाया लेकिन इस बार फोन बंद आ रहा था।
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क्रमश – Love You Zindagi – 55
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संजना किरोड़ीवाल
Naina ka to koi jawab hi nhi ,tooo cute❤️❤️❤️❤️❤️😘😘😘😘
Nice please next part
Monti aur Ruchi k bich Sab thik hoga
Nice story
Very nice
Naina aur avi ki Jodi to mst h ekdm
Kitna pyar krta h padosi naina se…wo Naina ko uske bhale k liye hi bolta h but naina to naina h use nhi sun ni kisi ki…