Love You जिंदगी – 4
Love You जिंदगी – 4

अनुराग को लगा नैना उसे यहाँ देखकर डर जाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि नैना के तेवर अभी भी वैसे ही थे बल्कि नैना पहले से ज्यादा समझदार हो चुकी थी। वह अच्छे से जानती थी कि उसे कहा अपना नैना वाला रूप दिखाना है कहा संस्कारी बहू बनना है। अनुराग को छोटा सा ट्रेलर दिखाकर नैना बाथरूम से बाहर चली आयी। वह हॉल में सबके बीच आकर ऐसे बैठ गयी जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
शीशे के सामने खड़ा अनुराग अभी भी नैना के बारे में सोच रहा था और गुस्से से उसका चेहरा लाल हो रहा था।
उसने वहा रखे तौलिये को उठाया और मुंह पोछकर उसे फेंकते हुए खुद में बड़बड़ाया,”तुम आखिर खुद को समझती क्या हो नैना ? अवि के लिए तुमने मुझे ठुकरा दिया , मुझे अनुराग मित्तल को,,,,,,,,,,पर तुम मुझे खुद से दूर कर सकती हो नैना अपनी सोच से नहीं ,, आज से हर वक्त मैं तुम्हारे जहन में सवार रहूंगा,,,,,,,,,,आज के बाद मैं तुम्हे खून के आंसू पीने पर मजबूर कर दूंगा नैना,,,,,,,,,,,जस्ट वेट एंड वाच नैना,,,,,,,,,,,अनुराग मित्तल इज बेक,,,,,,,, मैं तुम्हारी जिंदगी को नर्क बना दूंगा”
“ऐनी ! बेबी आर यू ओके ?”,निबी की आवाज अनुराग के कानो में पड़ी तो उसकी तंद्रा टूटी वह अपने ख्यालो से बाहर आया। उसने अपने बालो को सही किया और दरवाजा खोला। सामने हैरान परेशान सी निबेदिता खड़ी थी।
“क्या हुआ तुम ठीक हो ना ?”,निबी ने परेशानी भरे स्वर में पूछा
“यस बेबी ! आई ऍम फाइन,,,,,,,,!!”,अनुराग ने अपने होंठो पर मुस्कान लाकर कहा
अनुराग और निबेदिता एक बार फिर हॉल की तरफ चले आये। अवि नहीं चाहता था नैना यहाँ और रुके इसलिए कहा,”नैना ! विहान का फोन आ रहा है आज तुम्हारा अपॉइंटमेंट है हमे चलना चाहिए,,,,,,,!!”
“ओह्ह्ह हाँ नैना ! तुम ये कैसे भूल सकती हो बेटा , तुम्हारा विहान से मिलना बहुत जरुरी है,,,,,,,,,,,,अवि तुम अभी नैना को लेकर जाओ मैं थोड़ी देर में तुम से वही मिलती हूँ”,सौंदर्या ने कहा
“इट्स ओके मॉम,,,,,,,,,,,मैं विहान से बाद में मिल लुंगी,,,,,,,,,,उस से पहले मुझे आपसे कुछ जरुरी,,,,,,,,,,!!”,नैना ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी करती इस से पहले ही अवि ने नैना का हाथ पकड़ा और उसे उठाते हुए कहा,”तुम्हारी हेल्थ से ज्यादा इम्पोर्टेन्ट फ़िलहाल कुछ भी नहीं है नैना , चलो”
“पडोसी,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने धीमे स्वर में कहा क्योकि सौंदर्या के सामने वह अवि को इस नाम से बुलाना नहीं चाहती थी
“इट्स माय रिक्वेस्ट नैना प्लीज,,,,,,,,!!”,अवि ने मयूसीभरे स्वर में कहा
अवि का चेहरा देखकर नैना पिघल गयी और कहा,”ओके फाइन,,,,,,,,,,,,मॉम आप वहा आ रही है ना ?”
“हाँ बेटा मुझे बस थोड़ा काम है उसके बाद मैं तुम दोनों को सीधा विहान के हॉस्पिटल में ही मिलूंगी,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा तो नैना ने राहत की साँस ली और अवि के साथ जाने लगी
“अरे ! आप दोनों कही जा रहे हो क्या ?”,अनुराग ने अवि और नैना को जाते देखा तो टोक दिया
अवि को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन नैना ने उसकी बाँह पकड़ ली अवि समझ गया और पलटकर बहुत ही सहजता से कहा,”ये हमारे घर का मामला है , और तुम्हे ये जानने का कोई हक़ नहीं है।”
अपने भाई को अपने पति से ऐसे बात करते देखकर निबी को अच्छा नहीं लगा तो उसने थोड़ा उखड़े स्वर में कहा,”भाई,,,,,,,,,आप इस घर के दामाद से ऐसे बात नहीं कर सकते,,,,,,,,,,,!!!”
अवि ने निबी को देखा और कहा,”मैंने अभी इसे इस घर के दामाद के रूप में एक्सेप्ट नहीं किया है और ना ही डेड ने,,,,,,,,,,,,,मैं चलता हूँ मॉम”
इतना कहकर अवि नैना को साथ लेकर वहा से चला गया , निबी ने गुस्से में अवि और नैना को देखा और सौंदर्या की तरफ देखकर कहा,”मॉम देखा ना आपने भाई ने कैसे बात की अनुराग से ?”
सौंदर्या उठी और सधे हुए स्वर में कहा,”पर उसने गलत क्या कहा निबी ? तुम्हारी इस शादी को सिर्फ मैंने एक्सेप्ट किया है क्योकि मैं एक माँ हूँ तुम्हारे भाई और डेड ने नहीं,,,,,,,,,,,,,,अनुराग को कुछ खिला दो काफी भूखा लग रहा है।”
“मॉम,,,,,,,,,,,मॉम,,,,,,,,,,!!”,निबी ने हैरानी से कहा लेकिन सौंदर्या वहा से चली गयी।
अपनी मॉम का बर्ताव निबी समझ नहीं पा रही थी , वह अनुराग की तरफ पलटी और कहा,”बेबी चलो यहाँ से , हम यहाँ नहीं रहेंगे,,,,,,,,,,,,हम कोई दुसरा घर ले लेंगे और वहा एक नयी जिंदगी शुरू करेंगे,,,,,,,,,,,पता नहीं इन सब लोगो को क्या हो गया है ? ये तुम्हारे साथ ऐसा बिहेव कैसे कर सकते है ? हम हम यहाँ नहीं रहेंगे अभी चले जायेंगे,,,,,,,,,,,,,!!!”
अनुराग ने सुना तो उसके चेहरे के भाव बदल गए वह इस घर में क्या सोचकर आया था और निबी उसे इस घर से चलने को कह रही थी। अपने प्लान पर पानी फिरता देखकर अनुराग ने निबी के कंधो को थामा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”जान ! तुम इतनी जल्दी हार कैसे मान सकती हो ? तुम अच्छे से जानती हो मेरे पास किसी चीज की कमी नहीं है मैं ऐसे 10 आलिशान घर तुम्हारे लिए खरीद सकता हूँ पर मैंने तुम से क्या कहा था बिना तुम्हारे पेरेंट्स के आशीर्वाद के हम अपनी मैरिड लाइफ शुरू नहीं करेंगे,,,,,,,,,,,,,कहा था या नहीं ?”
निबी ने हाँ में सर हिला दिया तो अनुराग आगे कहने लगा,”तो फिर तुम इतनी जल्दी हार कैसे मान सकती हो ? मैं हूँ ना , यहाँ रहकर मैं इन सबको मना लूंगा , ट्रस्ट मी निबी तुम्हारे डेड भी मान जायेंगे,,,,,,,,,,,,और उसके बाद ख़ुशी ख़ुशी हम अपनी नयी जिंदगी शुरू करेंगे”
निबी अनुराग की बातो में आ गयी या यू कह लीजिये निबी की आँखों पर अनुराग ने प्यार के नाम की पट्टी बांध दी
अनुराग ने निबी के सर को अपने होंठो से छुआ और कहा,”ट्रस्ट मी बेबी मैं सब ठीक कर दूंगा”
“मुझे तुम पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है,,,,,,,,,,,,तुम्हे भूख लगी होगी मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने को ले आती हूँ”,कहकर निबी जैसे ही जाने लगी अनुराग ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”आई हेव अ सरप्राइज फॉर यू”
“व्हाट ?”,निबी ने चमकती आँखों से अनुराग की आँखों में देखकर पूछा
“मैंने तुम्हारे लिए सरप्राइज डिनर प्लान किया है,,,,,,,,,,,,तुम रेडी हो जाओ उसके बाद हम बाहर चलेंगे,,,,,,,,,,,,सिर्फ तुम और मैं,,,,,,,,,,!!”,अनुराग ने बहुत ही रोमांटिक अंदाज में कहा
निबी ने सुना तो उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी। वह ख़ुशी ख़ुशी तैयार होने चली गयी और अनुराग घूमकर घर देखने लगा।
गाड़ी के बाहर खड़ा अवि गुस्से में बड़बड़ाते हुए यहाँ वहा घूम रहा था और पिछले 2 मिनिट से नैना बस उसे ऐसे घूमते हुए देख रही थी। जब नैना से नहीं रहा गया तो वह अवि के सामने आ गयी और अवि को रुकना पड़ा। अवि नैना से भी गुस्सा था कि आखिर वह चुप क्यों है ? वह क्यों नहीं अनुराग की सच्चाई उसकी मॉम को बता देती ? नैना को खामोश देखकर अवि को खीज होने लगी तो उसने कहा,”मुझे समझ नहीं आ रहा नैना आखिर तुम चुप क्यों हो ? और मॉम,,,,,,,,,,,उन्हें क्या हो गया है वो अनुराग को कैसे एक्सेप्ट कर सकती है ?”
नैना ने कुछ नहीं कहा बस आगे बढ़कर अवि को गले लगा लिया , अगले 4 सेकेण्ड में अवि का गुस्सा एकदम शांत हो गया और वह पिघल गया उसने नैना को गले लगाया और कहा,”ये सब ठीक नहीं हो रहा नैना , निबी ने अपने लिए बहुत गलत हमसफ़र चुना है,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“आई नो पडोसी लेकिन इन हालातो में हमें सोच समझकर फैसला लेना है , हम निबी की फीलिंग्स को हर्ट नहीं कर सकते,,,,,,,,,,,अनुराग की असलियत मॉम-डेड के सामने लाने में मुझे सिर्फ 2 मिनिट लगेंगे लेकिन इस से निबी का दिल टूट जायेगा और उसके दिल में हम सबके लिए नफरत पैदा हो जाएगी , और मैं ऐसा नहीं चाहती। मुझे थोड़ा वक्त दो पडोसी मैं सब ठीक कर दूंगी,,,,,,,,,,,,आई प्रॉमिस”,नैना ने धीमे स्वर में कहा
“तुम कब से इतनी समझदार हो गयी नैना ?”,अवि ने नैना के चेहरे को अपने हाथो में लेकर कहा
“वो क्या कहते हो तुम ? हाँ संगत का असर,,,,,,,,,,ये तुम्हारी संगत का असर है पडोसी,,,,,,,,,,अब चलो हमे घर वापस भी आना है”,नैना ने कहा तो अवि ने हामी में गर्दन हिला दी और गाड़ी की तरफ जाने लगा।
“पडोसी,,,,,,,,,!!”,नैना ने आवाज दी और उसके पास आकर उसके होंठो को अपनी उंगलियों से फैलाकर कहा,”तुम ऐसे उदास उदास अच्छे नहीं लगते,,,,,,,,,,मुस्कुराते रहा करो”
अवि ने सुना तो एक प्यारी सी मुस्कान उसके होंठो पर खिल उठी। उसने नैना के लिए दरवाजा खोला और फिर खुद ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया। दोनों वहा से हॉस्पिटल के लिए निकल गए। हॉल की खिड़की के पास खड़ा अनुराग उन्हें गुस्से और नफरत भरी नजरो से देख रहा था।
आशीर्वाद अपार्टमेंट , दिल्ली
कुमार नंदन मिसेज आहूजा के फ्लेट से निकलकर जैसे ही जाने लगे अपने दरवाजे पर खड़ी मिसेज शर्मा की नजर उन पर पड़ गयी। नंदन ने उन्हें देखा तो मज़बूरी में उन्हें नमस्ते कहा और तेजी से वहा से निकल गया।
“क्या हुआ माँ आप दरवाजे पर क्यों खड़ी है ?”,शीतल ने आकर मिसेज शर्मा से कहा
“ये कुमार नंदन अभी अभी मिसेज आहूजा के घर से निकलकर गया है , इस वक्त मिसेज आहूजा ने इसे अपने घर क्यों बुलाया होगा ? कही सोसायटी के इलेक्शन में वो अपना तो नहीं दे रही है,,,,,,,,!!”,मिसेज शर्मा ने अंदाजा लगाते हुए शीतल से कहा
“छोड़िये ना माँ ! वैसे भी पूरा अपार्टमेंट उन्हें अच्छे से जानता है अगर वो इलेक्शन में खड़ी होती भी है तो उनके जीतने के चांस बिल्कुल कम है,,,,,,,,,,,,,,आज शाम ही बगल वाली मिसेज तिवारी की बहू बता रही थी कैसे मिसेज आहूजा ने उसके साथ बदतमीजी की और बदले में तिवारी आंटी ने उन्हें सबके सामने सुना दिया। मिसेज आहूजा इन दिनों सोसायटी में खुद ही अपनी इमेज खराब कर रही है,,,,,,,,,,,,!!”,शीतल ने कहा
“अरे शीतल बेटा , तुम दोनों दरवाजे पर क्या कर रही हो ?”,मिस्टर शर्मा ने आवाज दी तो मिसेज शर्मा अंदर आयी और शीतल ने घर का दरवाजा बंद कर अंदर आते हुए कहा,”अह्ह्ह कुछ नहीं पापाजी वो सोसयटी में इलेक्शन हो रहे है ना तो बस उसी के बारे में बात हो रही थी,,,,,,,,,,!!”
“अरे भई मैंने सूना है इस बार इलेक्शन में तुम्हारी सास भी भाग ले रही है क्या ये सच है भाग्यवान ?”,मिस्टर शर्मा ने चश्मे से झाँकते हुए पूछा
“भाग ले रही हूँ ? अरे ये कहो इस बार सोसायटी के इलेक्शन में लीडर मैं ही बनूंगी,,,,,,,,उसके बाद बताउंगी मैं उस मिसेज आहूजा को कि सोसायटी में कैसे रहा जाता है ?”,मिसेज शर्मा ने कहा
शीतल ने सुना तो मुस्कुरा उठी क्योकि इस बार मिसेज शर्मा का नाम इलेक्शन में उसी ने तो दिलवाया था। वह रात के खाने की तैयारी करने किचन में चली गयी
और मिसेज शर्मा भी आकर उसकी मदद करने लगी। सास बहू को साथ में काम करते देखकर मिस्टर शर्मा मुस्कुरा उठे और फिर टीवी ऑन कर न्यूज देखने लगे।
बीकानेर , राम सर्किल
“भैया एक गर्मागर्म वडापाव लगा दीजिये और हाँ चटनी एक्स्ट्रा”,मोंटी ने ठेले वाले से कहा जिसके यहाँ पहले से बहुत भीड़ लगी थी। ठेलेवाले ने मोंटी को 5 मिनिट इंतजार करने को कहा और अपने काम में बिजी हो गया। राम सर्किल पर शाम के वक्त चाट चौपाटी लगती थी जहा तरह तरह का खाना मिलता था और अक्सर शाम 5 बजे के बाद यहाँ काफी भीड़ देखने को मिल जाया करती थी। मोंटी हर संडे रुचिका के साथ यहाँ आया करता था। मोंटी के ठीक सामने ही एक प्यारा सा कपल खड़ा था जिनकी शायद अभी नयी नयी शादी हुई थी।
लड़का अपने हाथो से लड़की को खाना खिला रहा था और ये देखकर मोंटी को वो शाम याद आ गयी जब वह पहली बार रुचिका को यहाँ लेकर आया था और रुचिका बड़े प्यार से उसे अपने हाथो से खिला रही थी। वो पल याद आते ही मोंटी का मन बैचैन हो उठा। उसे रुचिका की याद आने लगी और उसने मन ही मन कहा,”मुझे रुचिका को अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था , वो जैसे भी है लेकिन है तो मेरी वाइफ,,,,,,,,,,,,,मैं भी ना गुस्से गुस्से में चला आया। एक काम करता हूँ उसे फोन करता हूँ और सॉरी बोल देता हूँ,,,,,,,,,,,,,और कहूंगा कल सुबह की ट्रेन से वो वापस बीकानेर आ जाये , मैं उसके बिना नहीं रह सकता”
खुद में बड़बड़ाते हुए मोंटी ने अपनी जेब से फोन निकाला और जैसे ही रुचिका का नंबर डॉयल करने लगा ठेलेवाले की आवाज उसके कानों में पड़ी,”भैया आपका वडा पाव,,,,,,,!!”
“हाँ,,,,,,,,,लाईये , थैंक्यू भैया”,मोंटी ने प्लेट ली और साइड में आ गया उसने एक हाथ में वडा पाव उठाया और दूसरे हाथ से एक बार फिर रुचिका का नंबर डॉयल करने लगा लेकिन इस बार भी मोंटी रुचिका को फोन लगा पाता उस से पहले ही उसके फोन की स्क्रीन पर मिश्रा जी का फोन आया। आज अचानक अपने पापा का नंबर देखकर को थोड़ी हैरानी हुई। उसने फोन उठाया और फोन कान से लगाकर कहा,”हेलो ! हांजी पापा”
“हेलो के बच्चे , बहू कहा है ?”,मिश्रा जी ने गुस्से से पूछा
अपने पापा के मुंह से ये सवाल सुनकर मोंटी खामोश हो गया उसे समझ नहीं आया क्या बोले तभी उसके पापा ने गुस्से से फिर कहा,”अरे बोलेगा कुछ , बहु कहा है ?”
“वो रुचिका अपने पापा के घर है पापा,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने लड़खड़ाती जबान में कहा
“वो गयी या तुम उसे वहा छोड़कर आये हो,,,,,,,,,,,,,,,,,अब क्या इतने बड़े हो गए हो तुम जो अपनी शादी शुदा जिंदगी के फैसले खुद लेने लगे हो।”,मोंटी के पापा ने गुस्से से कहा
“पापा मैं आपको समझाता,,,,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने कहा लेकिन वह अपनी बात पूरी कर पाता इस से पहले उसके पापा ने कहा,”क्या समझाओगे तुम ? तुम तो मेरी नाक कटवाने पर तुले हो , समधी जी का फोन आया था उन्होंने सब बता दिया है मुझे ,, कल सुबह तुम चित्रकूट आ रहे हो,,,,,,,,,!!”
मोंटी ने सुना तो रुचिका के लिए थोड़ी देर जगी भावना फिर से गुस्से में बदल गयी। मोंटी को लगा रुचिका ने ही अपने पापा से कहा होगा उसके घर पर सब बताने के लिए , उसने डरते डरते कहा,”पापा आप जैसा समझ रहे है वैसा कुछ नहीं है ये बस एक छोटी सी गलत,,,,,,,,,!!”
“मुझे कुछ नहीं सुनना तुम कल सुबह चित्रकूट आ रहे हो,,,,,,,,!!”,कहकर मोंटी के पापा ने फ़ोन काट दिया
मोंटी का अच्छा खासा मूड एक फोन में ही खराब हो चूका था। रुचिका के लिए उसका गुस्सा पहले से ज्यादा बढ़ गया उसने हाथ में पकड़ा वडा पाव कचरे के डिब्बे में फेंका और वहा से चला गया।
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