Sanjana Kirodiwal

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Love You जिंदगी – 27

Love You Zindagi – 27

Love You Zindagi - Season 2
Love You Zindagi – Season 2

सार्थक ने जब शीतल और राज को साथ साथ देखा तो उसका दिल टूट गया और वह अंदर रिसोर्ट चला आया। सार्थक अंदर आकर अपने कमरे के सामने खाली पड़ी सीढ़ियों पर आ बैठा उसने अपना चेहरा अपने हाथो में छुपा लिया। इस वक्त वह गुस्से और तकलीफ के मिले जुले भावो से गुजर रहा था। सार्थक को शीतल से ये उम्मीद नहीं थी उसे लगा शीतल राज को भूल चुकी है लेकिन आज शीतल को राज के साथ देखकर सार्थक को बहुत तकलीफ हो रही थी। सार्थक ने अपने हाथो को हटाया और गहरी साँस लेकर मन ही मन खुद से कहने लगा”,क्यों शीतल आखिर तुमने ऐसा क्यों किया ? क्या कमी रह गयी थी मेरे प्यार में जो तुम आज फिर अपने अतीत के साथ हो ?,,,,,,,,,,,,,,मैंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक लड़की को पसंद किया सिर्फ एक लड़की से प्यार किया और शादी भी उसी से की लेकिन तुम शायद अभी तक मुझे पूरी तरह अपना ही नहीं पायी हो। राज से तुम्हारा यू छुपकर मिलना इस बात की साफ गवाही दे रहा है कि तुम्हे आज भी उस से प्यार है , आज भी तुम्हारे दिल में उसके लिए फीलिंग्स है जिन्हे मैं कभी नहीं बदल सकता। क्यों शीतल क्यों तुमने मेरी फीलिंग को नहीं समझा क्यों मेरे प्यार का मजाक बनाया ? आज तुम्हे राज के साथ देखकर मुझे कितनी तकलीफ हो रही है ये तुम नहीं जानती और कभी जान भी नहीं पाओगी क्योकि तुम कभी मुझे समझ ही नहीं पायी। खुद से ज्यादा भरोसा किया मैंने तुम पर और तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे सोचकर ही तकलीफ हो रही है कि मैंने तुम से प्यार किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
सार्थक इस वक्त बहुत परेशान था दोस्तों के पास वापस जाकर वह उन्हें परेशान करना नहीं चाहता था इसलिए वही बैठा रहा। वही मोंटी रुचिका अवि नैना ने सार्थक-शीतल को वहा ना देखकर ये मान लिया कि दोनों इस वक्त साथ होंगे। वे चारो बाकि सबके साथ बाहर ही थे।
शीतल राज के सामने खड़ी गुस्से से उसे देख रही थी राज ने जब शीतल को वहा देखा तो मुस्कुराते हुए उसके पास आया और कहा,”मैं जानता था तुम जरूर आओगी , आखिर तुम मेरा पहला प्यार जो हो पर मुझे लगा नहीं था कि मुझसे मिलने के लिए तुम इतनी बेकरार हो जाओगी की मेरे बुलाने पर तुरंत चली आओगी”
“तुम आखिर मुझसे चाहते क्या हो ?”,शीतल ने गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा
“ओह्ह गुस्सा,,,,,,,,,,,,,,,,,शीतल मेरी जान गुस्सा तुम पर सूट नहीं करता तुम वो सहमी हुई सी मासूम सी शीतल ही अच्छी लगती हो। वैसे शादी के बाद तुम में इतनी हिम्मत देखकर अच्छा लग रहा है”,राज ने शीतल को देखते हुए कहा
“मैं यहाँ तुम्हारी बकवास सुनने नहीं आयी हूँ राज , तुम आखिर मेरे पीछे क्यों पड़े हो ? मैं तुमसे प्यार नहीं करती ना ही मेरे दिल में अब तुम्हारे लिए कोई भावनाये है तो फिर क्यों तुम बार बार मेरी जिंदगी में लोट आते हो ? देखो राज मैं सार्थक के साथ बहुत खुश हु और अपनी नयी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हूँ प्लीज मेरा पीछा करना बंद कर दो”,शीतल ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“पर मैं तुमसे आज भी प्यार करता हूँ शीतल मैं तुम्हे भूल नहीं पा रहा , झगड़ा किस के बीच नहीं होता यार पर क्या एक झगडे से कोई सब रिश्ते खत्म कर देता है ? हमारे बीच कितने भी झगडे हो बहस हो कुछ वक्त बाद सब ठीक हो जाता था ना फिर इस बार तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम मुझे छोड़कर उस सार्थक को कैसे चुन सकती हो ?”,राज ने तकलीफ और गुस्से से भरकर कहा
“तुम उस प्यार कहते हो राज ? वो प्यार जिसमे मुझे सिर्फ दर्द मिला , तकलीफ मिली , आँसू मिले। वो प्यार जो गलियों से शुरू होकर मेरे जिस्म को नोचने पर खत्म होता था। वो प्यार जिसके लिए मैंने अपना घर , अपना परिवार , अपने दोस्त और अपने सपने छोड़े उस प्यार ने मुझे ही जलील किया। तुम कभी मुझे समझ ही नहीं पाए राज ना ही मेरे प्यार को,,,,,,,,,,,,,,,,क्या नहीं किया मैंने अपना प्यार बचाने के लिए जैसा तुमने कहा मैंने वैसा किया , कभी किसी से बात करना तो दूर कभी किसी की तरफ देखा तक नहीं। हमेशा खुद को ये समझाती रही कि एक दिन,,,,,,,,,,,,,,,,एक दिन हमारे बीच सब ठीक हो जाएगा लेकिन नहीं,,,,,,,,,,,,,,तुम्हारी बुरी आदतों और बढ़ते गुस्से ने सब खत्म कर दिया। हमारा रिश्ता , हमारा भरोसा , हमारा प्यार और मेरा सब्र भी,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे बुलाने पर यहाँ नहीं आयी हूँ बल्कि ये सब हमेशा हमेशा के लिए खत्म करने आयी हूँ क्योकि अब मैं तुम से कोई रिश्ता रखना नहीं चाहती। मैं सिर्फ और सिर्फ सार्थक से प्यार करती हूँ। तुम मेरे तो क्या किसी के प्यार के लायक नहीं हो ?”,शीतल ने आखिर शब्द गुस्से से भरकर कहे तो राज उसके पास आया
और उसकी बांह पकड़ते हुए कहा”,ये तुम नहीं उस नैना का भरा जहर बोल रहा है तुम्हारी जबान से,,,,,,,,,,,,,,,,वो लड़की मुझे जरा भी पसंद नहीं है उसी ने ये सब किया है उसे तो मैं छोड़ने वाला नहीं हूँ”
“नैना ने कोई जहर नहीं घोला है बल्कि उस लड़की ने मेरी आँखों पर बंधी प्यार नाम की पट्टी को खोला और मुझे ये दिखाया की तुम कितने घटिया और बेकार इंसान थे जिसके लिए मैंने अपनी जिंदगी बर्बाद की”,शीतल ने गुस्से से राज की आँखों में देखते हुए कहा
शीतल का नजर मिलाकर बात करना राज से कहा बर्दास्त होता उसने उसकी बांह छोड़ी और गुस्से से कहा,”तुम उस दो कौड़ी की नैना के लिए मुझे घटिया बोल रही हो ? उस नैना की तो मैं वो हालत,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
राज इतना ही कह पाया कि शीतल ने खींचकर एक तमाचा राज के गाल पर रसीद किया किया और कहा,”खबरदार अगर तुमने अपनी गन्दी जबान से नैना के बारे कुछ भी कहा तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,दो कौड़ी की नैना नहीं तुम हो। नैना मेरी दोस्त है , ऐसी दोस्त जिसने मुझे सर उठाकर जीना सिखाया , अपने हक़ के लिए बोलना सिखाया और ये सिखाया की ये जिंदगी मेरी है इसे कैसे जीना है ये फैसला कोई राज नहीं कर सकता बल्कि मैं करुंगी पर तुम जैसा वाहियात और घटिया इंसान क्या समझेगा दोस्ती का मतलब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अगर आज के बाद तुम मेरे या मेरे दोस्तों के आस पास भी दिखाई दिए तो मैं तुम्हे पुलिस के हवाले कर दूंगी और भूल जाउंगी की मैंने कभी तुम से प्यार किया था”
राज ने सूना तो हैरानी से शीतल को देखने लगा। वो शीतल जो उसके सामने हमेशा डरी और सहमी रहती थी आज वह उस से नजरे मिलाकर बात कर रही थी। राज का खून खौल उठा और तो और शीतल ने उसे घटिया कहा और थप्पड़ भी मारा ये सोचकर राज जैसे ही शीतल की तरफ आने लगा नैना एकदम से उसके और शीतल के बीच आयी और राज के सीने पर हाथ रखकर पीछे करते हुए कहा,”ना मुन्न्ना ना नो वायलेंस”
“अच्छा हुआ तुम खुद ही यहाँ चली आयी , पहले तो तुम से ही हिसाब चुकता करना है मुझे। इन सब के पीछे तुम्हारा ही हाथ है ना तुमने ही भड़काया है शीतल को मेरे खिलाफ”,राज ने गुस्से से भरकर कहा
“अबे मरगिल्ले मेंढक की बांयी आँख,,,,,,,,,,,,,,,,,मेरा हाथ क्या मैं खुद पूरी की पूरी इस काण्ड में शामिल हूँ। तू कितना पानी में है ये तो बेटा मैंने तेरे एक फोन कॉल से ही पता लगा लिया था पर बात दोस्त की जिंदगी की थी इसलिए तुम्हे तो सबक सीखाना ही था,,,,,,,,,,,,,,,और साले कौनसे हिसाब की बात कर रहा है तू हाँ,,,,,,,,,,,,,,,,,बनिया लगा है तू जो तेरे नमक मिर्च का उधार बाकि है मेरा,,,,,,,,,,,,,अबे कुत्ते की दुम सोचा दुर्गा पूजा वाले कांड के बाद तू सुधर जाएगा लेकिन नहीं साले हमाये रिश्तेदार एक बारगी सुधर भी जाए तुमहू ना सुधरी हो। अब अपने गोबर जैसे दिमाग में हमरी बात कीड़े की तरह घुसाय ल्यो कि शीतल और सार्थक से दूर रहो वरना इतना पेलेंगे ना तुमको की शीशे में शक्ल नहीं पहचान पाओगे अपनी और जे ज्यादा गर्म होने की जरूरत नहीं है वरना अभी दुई कंटाप में ठंडा कर देंगे,,,,,,,,,,,,,,,,,प्यार से समझा रहे है समझ जाओ”,नैना ने अपने पुराने टोन में राज को समझाते हुए कहा पर गुस्से से भरे राज को भला ये सब कहा समझ आता उसने नैना को खा जाने वाली नजरो से देखा और कहा,”जबान बहुत चलती है तुम्हारी”
“बेटा हाथ ज्यादा चलते है और दिमाग का तो तुम पूछो ही मत,,,,,,,,,,,,,,,,अभी दिमाग का दही मत करो निकलो यहाँ से साले मर मुरा जाओगे हमारे हाथ से और भरी जवानी में हम जे वाला कांड तो बिल्कुल नहीं करना चाहते है,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने कहा लेकिन राज तो ढीठ था वह जैसे ही नैना की तरफ आया नैना ने जोरदार लात राज के पैरो के बीचों-बीच मारी राज दर्द से करहाते हुए घुटनो के बल नीचे जा गिरा।
“अबे बोले थे ना मत लो पंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,अब क्या जवाब देंगे तुम्हारी होने वाली बीवी को ? साला सब अच्छा खासा चल रहा होता है जिंदगी में के तुम जैसे चिलगोजो को चूल मचती है और आ जाते हो चरस बोने,,,,,,,,,,,,,,,,अबे पहले से इस जिंदगी में इतनी परेशानिया है साला उनका हल नहीं निकल रहा और तुमको अलग से रोना मचाना है,,,,,,,,,,,,,,कान खोल के सुन बे लकड़बग्घे आज के बाद अगर तूने ऐसा कोई भी ड्रामा किया या शीतल को तंग किया तो बेटा इंदौर तक मय्यत निकाल देनी है मैंने तेरी,,,,,,,,,,,,उसके बाद तेरी बिगड़ी हुई जिंदगी का जिम्मेदार तू खुद होगा ये जान ले। मैंने बहुत से लापचेड़ देखे है पर तेरे जैसा नहीं,,,,,,,,,,,,,,,ये लास्ट वार्निंग है”,नैना ने राज की तरफ देखते हुए कहा
“नैना-शीतल तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो ?”,अवि ने आकर कहा
अवि जैसे ही नैना के पास आया राज को वहा देखकर हैरान हो गया और कहा,”ये यहाँ क्या कर रहा है ?”
“छुपम छुपाई खेल रहा है हमारे साथ”,नैना ने अवि की तरफ देखकर कहा
“क्या ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब ?”,अवि ने सूना तो उलझन भरे स्वर में कहा
“अमा यार पडोसी तुमको हर बात का मतलब जानना होता है। दिखता नहीं हम से मार खा के पड़ा है यहाँ,,,,,,,,,,,,,,,,और साले उठो तुम अब क्या घर बसा लोगे यहाँ , निकलो यहाँ से”,कहते हुए नैना ने राज को कोलर पकड़कर उठाया और वहा से धकियाते हुए कहा। अवि को वहा देखकर राज ने भी कोई हरकत नहीं की और चुपचाप चला गया। राज के जाने के बाद नैना ने अपना हाथ सर से लगाया और एक गहरी थकान भरी साँस लेकर जैसे ही पलटी सामने अवि खड़ा था और उसे ही देख रहा था।
“आह्ह अब इसे कौन जवाब देगा ?”,नैना अपना सर खुजाते हुए बड़बड़ाई
“क्या मैं जान सकता हूँ यहाँ ये सब क्या हो रहा है ?”,अवि ने शीतल और नैना को देखते हुए कहा
अवि और नैना के बीच फिर से कोई झगड़ा या गलतफहमी ना हो सोचकर शीतल नैना के बगल में आयी और कहा,”अवि इसमें नैना की कोई गलती नहीं है वो राज,,,,,,,,,,,,!!”
शीतल आगे कुछ कहती इस से पहले ही नैना ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”अरे वो हरामी राज,,,,,,,,,,,,,,,उसे लगता है वो आकर शीतल को बहलाएगा , चार प्यार भरी बाते करेगा और ये उस चूतिया के पीछे चली जाएगी,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ इसकी अक्ल पर पत्थर जो पड़े है कि ये उसके प्यार में अंधी होकर फिर उसके पीछे भागने लगेगी। मैंने अपनी जिंदगी में इतने लौंडे देखे है पर राज जैसी फफूंद ना देखी फ़ैवीकोल की तरफ चिपक गया है वो इस से अगर मैं वक्त पर नहीं आती तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखो पडोसी शीतल इनोसेंट है इन सब में इसकी कोई गलती नहीं है वो हरामी,,,,,,,,,,,!!
“नैना,,,,,,,,,,!!”,अवि ने नैना की तरफ देखकर कहा तो नैना को याद आया कि उसने दो बार अवि के सामने गाली दी इसलिए धीरे से कहा,”सॉरी”
अवि कुछ बोलता इस से पहले नैना फिर बोलने लगी,”लेकिन मैं उसे छोडूंगी नहीं पडोसी उसका तो मैंने जीना हराम कर देना है आखिर कब तक वो शीतल को ऐसे टॉर्चर करेगा,,,,,,और ये महान आत्मा अकेले उस से मिलने चली आयी , खुद को मेरी दोस्त कहती है लेकिन अपनी प्रॉब्लम बताना तक जरुरी नहीं समझ आज अगर कुछ हो जाता तो,,,,,,,,,,,!!”
“मैं डर गयी थी नैना,,,,,,,!!”,शीतल ने रोआँसा होकर कहा तो नैना उसके पास आयी और उसे गले लगाकर उसका सर सहलाते हुए कहा,”तुम्हे राज जैसे लोगो से डरने की जरूरत नहीं है शीतल , वो तुम्हारा पास्ट है उस से तुम्हारा प्रजेंट इफ़ेक्ट नहीं होना चाहिए। तुम जितना उसे उसकी हरकतों को रिस्पॉन्स दोगी वो तुम्हे उतना ही टॉर्चर करेगा इसलिए स्ट्रांग बनो और सामना करो और अगर फिर भी ना समझे तो दो रख के कंटाप कान के नीचे”
“तुम्हारा ये कंटाप हर प्रॉब्लम का हल नहीं है नैना”,अवि ने शांत लहजे में कहा तो नैना शीतल को छोड़कर अवि की तरफ पलटी और कहा,”हाँ लेकिन टेढ़े लोगो के लिए ये बेस्ट सोल्यूशन है , कुछ लोगो को सीधे तरीके से समझ नहीं आता है”
“सार्थक को इस बारे में पता है ?”,अवि ने नैना को साइड कर शीतल से पूछा
“नहीं उसे नहीं पता”,शीतल ने धीरे से कहा
“इट्स ओके जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ और अंदर चलो,,,,,,,,,,,,,रात बहुत हो चुकी है”,अवि ने कहा और जैसे ही जाने लगा नैना ने कहा,”अवि”
अवि पलटा तो नैना ने आगे कहा,”मुझे तुमसे कुछ बात करनी है , शीतल तुम चलो हम लोग आते है”
“हम्म्म ठीक है”,शीतल ने नैना की बाँह छूकर कहा और वहा से चली गयी। अवि नैना से कुछ दूरी बनाये खड़ा था नैना उसके सामने आकर खड़ी हो गयी वह अवि से कुछ कहना चाहती थी लेकिन समझ नहीं आ रहा था कहा से शुरू करे। उसे खामोश और उलझन में देखकर अवि ने कहा,”तुम्हे कुछ बात करनी थी मुझसे”
“हाँ,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने कहा
“हां तो कहो,,,,,,,,,,!”अवि ने अपने दोनों हाथ बांधकर कहा
“रुको ना सोच रही हूँ ना क्या बोलना है ?”,नैना ने झुंझलाकर कहा तो अवि को मन ही मन हंसी आयी लेकिन उसे चेहरे पर आने नहीं दिया और कहा,”हम्म्म ओके”
नैना अपने होंठ चबाने लगी , अपनी उंगलियों को तोड़ने मरोड़ने लगी लेकिन आगे बोल नहीं पायी तो अवि ने कहा,”तुम शायद मुझसे सॉरी कहना चाहती हो”
“हैं,,,,,,,,,,,,,,,बिल्कुल नहीं मैं सॉरी वोररी नहीं बोलने वाली वो तो मैं बस तुम्हे,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“मुझे क्या ?”,अवि ने नैना के थोड़ा करीब आकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा
“वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,मैं मेरा मतलब वो,,,,,,,,,,,,,!!”,अवि की आँखों में देखते ही नैना का दिल धड़क उठा वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। नैना को ऐसे देखकर अवि ने कहा,”जल्दी बोलो मुझे सोने जाना है”
“क्या ? यहाँ मैं इतनी इम्पोर्टेन्ट बात करने के लिए रुकी हूँ और तुम्हे सोना है,,,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने चिढ़ते हुए कहा
“नींद इंपोर्टेंट है बाबू”,अवि ने नैना की तरह बात करते हुए कहा तो उसने अपने दोनों हाथो से अवि की बांह पर मारते हुए कहा,”आह्ह तुम मुझसे मेरी तरह बात नहीं कर सकते”
“अच्छा बताओ क्या कह रही थी तुम ?”,अवि ने कहा
नैना ने एक गहरी साँस ली और कहा,”मोंटी सिर्फ मेरा अच्छा दोस्त है और सिर्फ इसलिए वो मुझे ऐसे ट्रीट करता है क्योकि हम दोनों बचपन से एक दूसरे के साथ रहे है इसके अलावा हम दोनों की कोई गलत इंटेंशन नहीं है इसलिए तुम मोंटी से चिढ़ना बंद करो प्लीज”
नैना एक साँस में सब कह गयी अवि ने सूना तो हल्का सा मुस्कुराया और नैना का हाथ पकड़कर उसे गले लगाकर कहा,”आई ऍम सॉरी”
नैना बस ख़ामोशी से अवि के गले लगी रही वो समझ नहीं पा रही थी अवि पर गुस्सा करे या अपनी किस्मत पर अफ़सोस जताये क्योकि यहाँ तो उसका पडोसी उसे गुस्सा होने का मौका भी नहीं दे रहा था।

शीतल अंदर आयी उसने कमरे के बाहर सीढ़ियों पर बैठे सार्थक को देखा तो उस तरफ चली आयी हालाँकि मन में अभी भी राज को लेकर कई सारी बाते चल रही थी। शीतल जैसे ही सार्थक के सामने आयी सार्थक ने उठते हुए पूछा,”कहा थी तुम ?”
“वो मैं,,,,,,,,,,,,नैना के साथ थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं चेंज करके आती हूँ”,शीतल ने झूठ कहा और जैसे ही कमरे में जाने लगी सार्थक ने कहा,”राज से मिलकर आ रही हो ?”
शीतल ने जैसे ही सूना उसका दिल धड़कने लगा और चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये।

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संजना किरोड़ीवाल

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