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कितनी मोहब्बत है – 7

Kitni mohabbat hai – 7

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

मीरा ने जैसे ही सूना मोनालिसा अक्षत की गर्लफ्रेंड है तो उसे यकीन नहीं हुआ ! उसे सोचता देखकर निधि ने कहा,”आओ बताती हु सब !”
निधि मीरा दोनों आकर सीढ़ियों पर बैठ गयी तो निधि कहने लगी,”भाई जब कॉलेज में थे तबसे मोना हाथ धोकर उनके पीछे पड़ी थी लेकिन भाई ने कभी उसे भाव नहीं दिया ! कॉलेज के आखरी साल में न जाने क्या हुआ ? भाई उसके साथ वक्त बिताने लगे और धीरे धीरे वो भाई की GF बन गयी ! घर में वो किसी को पसंद नहीं है यहाँ तक के रघु को भी नहीं ,, पता नहीं भाई को उसमे ऐसा क्या दिख गया ? घर में सिर्फ मम्मा भी बस भाई की ख़ुशी के लिए मोना से बात करती है बाकि कोई उसके आस पास भी नहीं फटकता !”
“ऐसा क्यों ?”,मीरा ने पूछा
“देखा नहीं तुमने उसको , कितनी अजीब है वो ना कपडे पहनने का ढंग ना बात करने का ! हुंह्ह !”,निधि ने मुंह बनाकर कहा !
मीरा को एक अजीब सी ख़ुशी का अहसास हुआ ये जानकर की घर में कोई भी मोना को पसंद नहीं करता , उसने निधि से कहा,”अक्षत को वो क्यों पसंद है फिर ?”
“अक्षत भैया कहा नार्मल है , वो भी तो अजीब ही है ! कभी कभी लगता है दोनों एक दूसरे के लिए सही है झेल लेंगे एक दूसरे को !”,निधि ने कहा !
ये सुनकर मीरा की ख़ुशी पल भर में गायब हो गयी और उसने चिढ़कर कहा,”झेलने से तुम्हारा क्या मतलब है ? जिंदगी क्या ऐसे कट जाएगी ?”
“क्या बात है तुम्हे आज अक्षत भैया की बड़ी परवाह हो रही है ! मोना के नाम से कही जल तो नहीं रही ना तुम ?”,निधि ने छेड़ते हुए कहा !
“हम क्यों जलेंगे ! जिस तरह के बद्तमीज वो है ना उनके लिए ये मोना ही ठीक है !”,मीरा ने कहा
“हम्म्म्म ! इतना भी बुरा नहीं है यार , तुमने अभी उसे ठीक से जाना नहीं ना इसलिए बोल रही हो !”,निधि ने कहा
“उन्हें जानने में हमे कोई दिलचस्पी नहीं है ! हमारे पास और भी बहुत से काम है”,मीरा ने चिढ़ते हुए कहा ! ये चिढ और गुस्सा अक्षत की जिंदगी में मोना के आने से था या फिर किसी और वजह से मीरा भी नहीं जानती थी ! निधि बस ख़ामोशी से उसके चेहरे पर आते जाते भावो को देख रही थी ! निधि को खामोश देखकर मीरा वहा से चली गयी मीरा के जाने के बाद निधि ने मन ही मन कहा,”कुछ तो गड़बड़ है !”
“निधि बेटा वहा क्या कर रही हो ? चलो चलकर नाश्ता करो”,दादाजी ने पास से गुजरते हुए कहा ! निधि उठी और दादाजी की बांह पकड़कर कहा,”हां दादू चलिए !”
“तुम्हारा बचपना अभी तक गया नहीं !”,कहते हुए दादू और निधि नाश्ता करने आ गए ! विजय पहले ही ऑफिस के लिए निकल चुके थे अर्जुन भी साथ ही चला गया था ! नाश्ते की टेबल पर सिर्फ दादा-दादी , मीरा और निधि थे ! राधा सबके लिए नाश्ता परोस रही थी ! दादी ने देखा और कहा,”बहु विजय और अर्जुन कहा है ?”
“माजी वे दोनों सुबह ही निकल गए ! आप खाइये !”,राधा ने प्लेट उनकी और बढाकर कहा !
“वो तो ठीक है पर अक्षत कहा है ? आज नाश्ता नहीं करेगा वो ?”,दादी ने कहा
“भाई ऊपर अपनी मोना के साथ बीजी है दादी माँ !”,निधि ने कहा तो राधा ने उसे घूरकर देखा और फिर दादी से कहा,”शायद मोनालिसा आयी होगी , ऊपर होगा उन दोनों का नाश्ता मैं रघु के साथ ऊपर ही भिजवा दूंगी !”
“उस लड़की का मुझे तो कुछ समझ नहीं आता राधा , माना उसकी दोस्त है पर इस तरह घर आना जाना और अकेले में साथ रहना क्या सही लगता है तुम्हे ?”,दादी ने सोचते हुए कहा !
“अरे तुम भी ना , बच्चे है बच्चो को प्रायवेसी चाहिए !”,दादाजी ने कहा !
“माजी आसु को मोनालिसा पसंद है , ऐसे में आप और हम क्या कर सकते है ?”,राधा ने सहजता से बिना किसी भाव के कहा !
“अक्षत को पसंद है लेकिन उसके लिए क्या सही है और क्या नहीं ये तो तुम बता सकती हो ना बहु !”,दादी ने कहा
“नाश्ता ठंडा हो रहा है माजी , आप लोग खाइये मैं चाय लेकर आयी !”,कहते हुए राधा माजी के सवाल को नजरअंदाज करते हुए वहा से चली गई !
चारो चुपचाप नाश्ता करने लगे ! मीरा के मन में कई सवाल थे की आखिर ये जानते हुए भी की मोना अक्षत के लिए ठीक नहीं है फिर क्यों वो चुप थी ?
खैर सभी नाश्ता कर ही रहे थे की तभी अक्षत और मोना वहा आये ! मीरा की नजर उन दोनों पर गयी तो अंदर ही अंदर उसे एक चुभन का अहसास हुआ ! मोना ने अक्षत के हाथ में अपना हाथ डाला हुआ था और वो मोना से बिल्कुल चिपक कर चल रहा था ! दोनों आकर नाश्ते के लिए बैठ गए ! राधा सबके लिए चाय ले आयी ! उसने सबको चाय दी और अक्षत मोना के लिए नाश्ता रखने लगी ! राधा ने जो प्लेट अक्षत को दी थी मोना ने उसे दोनों के बिच रखकर राधा से कहा,”आंटी रहने दो एक से खा लेंगे , है ना बेबी !”
“हम्म्म !”,अक्षत ने धीरे से कहा !
राधा ने दूसरी प्लेट वैसे ही रख दी ! वह भी बैठकर नाश्ता करने लगी ! मीरा ने नजर भर मोना को देखा और मन ही मन कहा,”इस सडु ने इसे पसंद किया है , सोचकर ही हंसी आ रही है ! बिल्कुल बंदरिया लग रही है ये ऊपर से हक़ तो ऐसे जमा रही है जैसे बीवी हो इनकी !”
मीरा को खोया हुआ देखकर निधि ने उसे कोहनी मारी तो मीरा को होश आया वरना वो तो मोना को मन ही मन में कितनी गालिया आलरेडी दे चुकी थी ! नाश्ता करते हुए मोना ने एक हाथ पर अक्षत का हाथ रख लिया दादी माँ ने देखा तो उन्हें बहुत ख़राब लगा ! वे नाश्ता बिच में ही छोड़कर चली गयी !
दादू और राधा समझ चुके थे लेकिन कुछ कहा नहीं ! मीरा और निधि ने नाश्ता किया और दोनों कॉलेज के लिए निकल गयी ! रास्ते भर मीरा के दिमाग में अक्षत और मोना ही घूमते रहे ! कॉलेज में क्लासेज ख़त्म होने के बाद मीरा बेंच पर बैठी कोई बुक पढ़ रही थी ! कुछ देर बाद चपरासी आया और एक लिफाफा मीरा को थमा दिया ! मीरा को बड़ी हैरानी हुई की आखिर ये किसने भेजा होगा एक माँ ही थी जो हर हफ्ते उसके लिए खत भेजा करती थी पर अब माँ तो रही नहीं तो फिर ये खत ! मीरा ने लिफाफा खोलकर देखा उसमे एक चिट्ठी थी मीरा ने चिट्ठी निकाली और उसे पढ़ना शुरू किया –
प्रिय मीरू ! ( मीरा की माँ सावित्री उसे हमेशा इसी नाम से तो बुलाया करती थी ) मीरा का दिल तेजी से धड़क रहा था उसने आगे पढ़ना शुरू किया,”जब तक तुम ये खत पढ़ोगी मैं इस दुनिया से जा चुकी होगी ! जाते जाते मैंने तुम्हारे लिए कई अनगिनत सवाल छोड़े है जिनका जवाब तुम भी जानना चाहती होगी ! मैं कभी तुम्हे खुद से दूर रखना नहीं चाहती थी मीरु पर हालातो के आगे मजबूर होकर मुझे करना पड़ा ! जिस लाइलाज बीमारी से मैं जुंझ रही थी मैं नहीं चाहती थी तुम्हे उसके बारे में पता चले ! मैंने हमेशा तुम्हे उसूलो में बांधे रखा ! उनके पीछे की वजह तुम्हे जरूर बताउंगी !! मेरे जाने के बाद तुम कैसे रहोगी ? कहा रहोगी ? इसका कोई अंदाजा मुझे नही है पर मैं जानती हु तुम उतनी जल्दी हार नहीं मानोगी जितनी जल्दी मैंने मानी थी ! तुम्हे एक बहुत बड़ा इंसान बनना है मीरा है और अपने सपनो को पूरा करना है ! मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा ! ये खत मिलने के एक महीने बाद तुम्हे दुसरा खत मिलेगा जिसमे तुम्हारे सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा !! तुम सोच रही हो अभी क्यों नहीं ? माँ हु तुम्हारी जानती हु इस वक्त तुम्हारे एग्जाम्स होने और तुम्हे पढ़ने की बहुत जरूरत है !! मन लगाकर पढ़ना मीरु और हां अपना ख्याल रखना !!”
तुम्हारी माँ – सावित्री शर्मा !!”

मीरा की आँखों से आंसू बहकर खत पर गिरने लगे ! उसे समझ नहीं आया आखिर कोनसे राज है जो माँ उसे बताना चाहती है ! आज माँ उसके साथ ना होकर भी उसके साथ थी इन खतो के सहारे ! लेकिन इन खतों का क्या मतलब है अब ? मीरा सोच ही रही थी तभी वहा निधि आयी और उसके पास बैठते हुए कहा,”यार आज तो बड़ा मजा आया पुनीत सर की क्लास में !”
मीरा ने कुछ नहीं कहा बस नम आँखों से खत को देखते रही ! निधि ने देखा तो कहा,”क्या हुआ ? और तुम्हारे हाथ में क्या है ये दिखाओ ?” कहते हुए उसने मीरा के हाथ से खत लिया और पढ़ने लगी ! पढ़ते हुए निधि के चेहरे के भाव एक जैसे ही थी लेकिन आखिर में भेजने वाले का नाम पढ़कर उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और उसने मीरा से कहा,”ये खत आंटी ने भेजा है ?”
“बहुत पहले भेजा था जब वो ज़िंदा थी पर आज मिला है !”,मीरा ने भारी आवाज के साथ गया ! आंसूओ की वजह से उसका गला रुंध गया था ! निधि को कुछ समझ नहीं आया तो उसने मीरा से कहा,”मीरा तुम तो राजपूत हो ना फिर आंटी ने अपने नाम के आगे शर्मा क्यों लिखा है ?”
“यही बात तो हम जानना चाहते है निधि , की हम राजपूत क्यों है ? हमारे अंदर राजपूतो वाले गुण ना होने के बाद भी हमारे नाम के आगे राजपूत लगता है ! क्या तुमने कभी देखा है ऐसा राजपूत जो हर बात पर डरता है , सहमता है , दुसरो पर निर्भर रहता है ! हम ऐसे ही है निधि ,, ये सब क्यों है ? माँ ने क्यों हमसे छुपाया हम नहीं जानते ?”,कहते हुए वो सिसक पड़ती है ! निधि उसे सम्हालते हुए कहती है,”लेकिन जल्दी ही तुम्हे इन सब के बारे में पता चल जाएगा ना मीरा , जैसा आंटी ने खत में लिखा है ! और किसने कहा तुम राजपूत नहीं हो ? तुम ना तो डरपोक हो ना ही दुसरो पर निर्भर ! तुम्हारे हाव भाव , बात करने का तरिका , तुम्हारा हर चीज को देखने का नजरिया , तुम्हारी सादगी और तुम्हारी पर्सनालिटी राजपूतो वाली ही है ! बस तुम थोड़ी शांत रहने वाली लड़की हो पर इसका मतलब ये तो नहीं है ना की तुम राजपुत नहीं हो !”
“हमे तो कुछ समझ नहीं आ रहा निधि”,मीरा ने उसकी और देखते हुए कहा !
“फ़िलहाल कुछ समझने की जरूरत नहीं है , एग्जाम्स आ रहे है ना तो दोनों मिलकर पढाई करेंगे और टॉप में आएंगे ! आगे का आगे देख्नेगे मैं हु ना तुम्हारे साथ !”,निधि ने मीरा को गले लगाते हुए कहा और मन ही मन सोचने लगी,”अभी तुमसे इस बारे में बात करना बिल्कुल सही नहीं होगा मीरा क्योकि एग्जाम्स सर पर है और तुम इन बातो में उलझकर रह जाओगी ! जिसका सीधा सीधा असर तुम्हारी पढाई पर पडेगा !! मामला बहुत पेंचीदा है तुम्हारा अतीत शायद ऐसा है जो तुम्हे हिलाकर रख देगा और इस वक्त मैं ऐसा कुछ नहीं चाहती ! कुछ भी हो मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी मीरा !!”
मीरा को कुछ राहत मिली तो वह निधि से दूर हुई और कहा,”तुम बहुत अच्छी हो , निधि !”
“क्या सच में ?”,निधि ने चहककर कहा !
“हां सच में , तुमने हमारे लिए जो कुछ किया वो हम कभी नहीं भूल सकते !”,मीरा ने कहा
“तुम फिर शुरू हो गयी ! मीरा हम दोस्त है ना और दोस्ती में ये सब चलता है ! अच्छा विनीत के बारे में तुमने क्या सोचा है ?”,निधि ने कहा
“हमे वो नहीं पसंद है निधि !”,मीरा ने कहा
“मतलब तुम्हारा मेरी भाभी बनना पक्का”,निधि ने बड़बड़ाते हुए कहा !
“क्या ?”,मीरा ने शक भरी नजरो से देखते हुए कहा
“कुछ नहीं ऐसे ही ! चलो घर चलते है !”,कहते हुए निधि मीरा का हाथ पकड़कर खड़ी हुई और दोनों कॉलेज से बाहर आ गयी !!

घर आकर दोनों ने खाना खाया और उसके बाद निधि अपने कमरे में चली गयी ! मीरा बाहर बगीचे में आकर बैठ गयी दादी को अकेले बैठा देखकर मीरा उनके पास आयी और कहा,”दादी माँ आप यहाँ अकेले क्यों बैठी है ?”
“अरे मीरा ! आओ आओ बैठो !”,दादी ने चौंकते हुए कहा !
मीरा निचे उनके पास सीढ़ी पर बैठ गयी और कहा,”अब बताईये आप यहाँ ?”
“बस ऐसे ही थोड़ा मन परेशान था तो यहाँ चली आयी इन पेड़ पोधो को देखकर मन को अच्छा लगता है इसलिए यहाँ चली आयी ! “,दादी ने कहा
“और आपका मन क्यों परेशान है ?”,मीरा ने अपनेपन से कहा
“सुबह जो लड़की घर आयी थी वो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है , जब देखो तब वो घर आ जाती है !! राधा भी उसे कुछ नही कहती है”,दादी ने चिढ़ते हुए कहा !
“दादी माँ वो अक्षत जी की निजी जिंदगी है , उन्होंने जब खुद उन्हें चुना है तो आप और आंटी क्या कर सकती है ?”,मीरा ने कहा
“ऐसा नहीं है मीरा , अक्षत की चॉइस ऐसी कभी नहीं हो सकती ?”,दादी ने कहा
“दादी माँ वैसे देखा जाए तो हो भी सकती है वो इतनी अकड़ू और सडु है ना , उनके लिए तो मोनालिसा ही ठीक है !”,मीरा ने पहली बार दादी के सामने अपने मन की बात कह दी ! दादी मुस्कुराई और कहा,”तुम उसे समझ नहीं पाई , वो वैसा बिल्कुल नहीं है जैसा वो दिखता है”
“मतलब ?”,मीरा ने हैरानी से कहा !
“मतलब ये की अक्षत को आज तक कोई समझ ही नहीं पाया , उसे समझ पाना इतना आसान भी नहीं है मीरा वो शांत रहने वाला लड़का है ज्यादा बात नहीं करता ! उसे दिखावा करना बिल्कुल पसंद नहीं है वो सादगी को ज्यादा पसंद करता है पता नहीं मोना जैसी एडवांस लड़की को उसने कैसे पसंद कर लिया ? बचपन में जब मैं उसे कहानिया सुनाती थी तो वो हमेशा कहता था,”दादी मेरे लिए जो राजकुमारी आएगी ना देखना वो इतनी सुंदर होगी की उसे हर कोई पाना चाहेगा लेकिन वो तो मेरी होगी !” पगला उसे कभी अपनी बात को लफ्जो में कहना ही नहीं आया ! बचपन में बहुत था जिद्दी था जो उसका था उसे कभी किसी और को नहीं देता था ! पर जैसे जैसे बड़ा हुआ सब बदल गया !!!”
मीरा ने सूना तो मुस्कुरा उठी और कहा,”चिंता मत कीजिये दादी माँ सब सही हो जाएगा ! उनकी जिंदगी में उनकी राजकुमारी जरूर आएगी जो की सबसे खूबसूरत होगी !” दादी भी मुस्कुरा उठी और कहा,”तूने खाना खाया !”
“हां दादी माँ , और कुछ ज्यादा ही खा लिया ! देखो “,मीरा ने अपना पेट दिखाते हुए कहा तो दादी उसके इस बचपने पर हंस पड़ी ! मीरा भी साथ साथ हसने लगी ! मीरा हंसती हुई बड़ी प्यारी लग रही थी जब वो हंसती तो उसकी आँखे बंद हो जाती और उसके होंठो के पास गड्डे पड़ जाते जो की बहुत ही प्यारे लगते !! मीरा दादी के पास बैठकर उन्हें कॉलेज के बारे में बताने लगी ! दादी को मीरा बहुत अच्छी लगती थी उसकी सादगी उसका प्यार से बात करना दादी को बहुत भाता था ! कुछ देर बाद दोनों अंदर चली आयी !
दादी माँ अपने कमरे में चली गयी और मीरा किचन में राधा के पास चली आयी ! मीरा ने हिम्मत करके कहा,”आंटी आपसे कुछ पूछ सकते है ?”
“मोनालिसा के बारे में !”,राधा ने पलटकर कहा !
“आपको कैसे पता ? क्या आपको भी वो पसंद नहीं है ?”,मीरा ने झिझकते हुए कहा !
“मेरे पसंद होने ना होने से क्या फर्क पड़ता है बेटा ? बच्चो की ख़ुशी में ही सबकी भलाई है !”,कहते हुए राधा फिर से काम में लग गयी ! मीरा उनके पास आयी और कहा,”लेकिन ऐसी ख़ुशी का क्या आंटी जो आपके चेहरे पर मुस्कराहट की जगह उदासी ले आये !”
मीरा ने ये पूछकर राधा की दुखती रग पर हाथ रख दिया था ! राधा काम करते करते रुक गयी और कहा,”कुछ रिश्ते और कुछ लोग हमारे ना चाहने के बाद भी हमारी जिंदगी में शामिल होते है , जिन्हे ना हम छोड़ सकते है ना ही साथ रख सकते है !”
“सॉरी आंटी ! मुझे आपसे ये सब नहीं पूछना चाहिए था !”,मीरा ने उदास होकर कहा !
“इट्स ओके , एक काम करोगी !”,राधा ने कहा !
“जी ! बताईये ना”,मीरा ने कहा
“अक्षत ऊपर है उसके लिए एक कप कॉफी बना दोगी ,,!”,राधा ने कहा
“हम्म्म !”,कहते हुए मीरा प्लेटफॉर्म की और गयी और कॉफी बनाने लगी ! कॉफी बनाते हुए मीरा सोचने लगी,”दादी सही कहती है , इस घर में हम किसी को समझ ही नहीं पा रहे है ! हर हँसते हुए चेहरे के पीछे कोई ना कोई दर्द छुपा है ! हमने खामखा आंटी को पूछकर परेशान किया ! हे शिव भगवान सब ठीक कर दो ना इस घर में प्लीज !”
आज अक्षत के लिए कॉफी बनाते हुए मीरा को जरा भी गुस्सा नहीं आ रहा था ! उसने कॉफी बनाई और राधा को दी तो राधा ने कहा,”एक काम और कर दो , इसे अक्षत को दे आओगी !”
मीरा ने हां में गर्दन हिलायी और कॉफी का मग लेकर ऊपर आ गयी ! अक्षत के कमरे के सामने आकर वह रुक गयी अंदर जाये या न जाये सोचने लगी और फिर आधी खुले दरवाजे से अंदर झांककर देखने लगी की वो वहा है या नहीं ! तभी किसी ने पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखा !

मीरा डरकर जैसे ही पीछे पलटी पीछे खड़े अक्षत से टकरा गयी ! उसके हाथ में पकड़ी कॉफी अक्षत के हाथ पर आ गिरी तो वह धीरे से चीखा,”आउच !”
मीरा ने देखा कॉफी अक्षत के हाथ पर गिरी है तो उसने कप निचे रखा और कहा,”आई ऍम सो सॉरी वो गलती से गिर गयी ! आई ऍम सॉरी !”
“मेरे रूम के बाहर क्या कर रही हो ?”,अक्षत ने हाथ को फूंक मारते हुए कहा !
“वो आंटी ने कॉफी भिजवाई थी !”,मीरा ने धीरे से कहा और फिर अक्षत के हाथ की और देखकर कहा,”आप बैठिये मैं दवा लेकर आती हु !”
अक्षत को हाथ पर काफी जलन महसूस हो रही थी साथ ही मीरा की बेवकूफी पर गुस्सा भी आ रहा था ! वह वही कमरे के बाहर पड़े सोफे पर बैठ गया ! कुछ देर बाद मीरा आयी वह घुटनो के बल जमीन पर ही बैठ गयी उसने ट्रे निचे रखा और अक्षत का हाथ पकड़कर उसे ठन्डे पानी के बर्तन में डुबो दिया ! अक्षत को कुछ आराम मिला लेकिन कॉफी गर्म होने की वजह से हाथ की त्वचा लाल हो चुकी थी ! पानी से बाहर निकालते ही जलन फिर से होने लगी तो उसने वापस हाथ पानी में रख लिया ! मीरा ने हाथ वापस निकाला और फूंक मारते हुए अपने दुपट्टे से उसे पोछने लगी ! अक्षत ख़ामोशी से मीरा को देखता रहा ! मीरा ने हाथ को सुखाया और फिर दवा लेकर धीरे धीरे उसके हाथ पर लगाने लगी ! हाथ जले नहीं इसलिए वो फूंक मारती जा रही थी ! अक्षत ने देखा बालो की एक बड़ी लट्ट उसके गालो पर झूल रही थी ! जिसे मीरा बार बार अपने कंधे से साइड करने की कोशिश करती और वह जिद्दी सी लट्ट वापस उसके गालो पर झूलने लगती ! ना चाहते हुए भी अक्षत का हाथ मीरा के गाल की और बढ़ गया उसने अपनी उंगलियों से मीरा के बालो को कान के पीछे कर दिया ! मीरा ने ख़ामोशी से अक्षत की और देखा तो अक्षत दूसरी और देखने लगा ! दवा लगाने के बाद मीरा ने कहा,”थोड़ी देर जलेगा फिर ठीक हो जाएगा !” अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस मीरा को देखता रहा उसका इस तरह मीरा को देखना मीरा के दिल की धड़कने बढ़ा गया ! उसने उठते हुए कहा,”हम आंटी जी कहकर आपके लिए दूसरी कॉफी बनवा देते है !” मेरे जैसे ही जाने लगी अक्षत ने पीछे से कहा,”एक्सक्यूज मी ! कॉफी तुम बनाकर लाओगी , अपने हाथो से और वो भी जल्दी !”
मीरा पलटी तो अक्षत अपने हाथ को देख रहा था ! मीरा बड़बड़ाते हुए वहा से निकल गयी ! कुछ देर बाद वापस आयी तो देखा अक्षत वही सोफे पर लेटा सो चुका था ! मीरा ने देखा तो धीमी आवाज में कहा,”अजीब इंसान है हमसे कॉफी बनवाकर खुद सो गए ! ये तो ना फुल टॉर्चर है हमारे लिए , अब कॉफी का क्या करे ,, जी तो कर रहा है यही कप दे मारे जोर से इनके सर पर ,, खैर हम ही पि लेते है !! “
मीरा ने एक घूंठ भरकर कहा,”यक्क ! इस से अच्छी तो अदरक वाली चाय होती है !!’ कहते हुए मीरा ने कॉफी से भरा कप वही टेबल पर रखा और वहा से चली गयी !!

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