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कितनी मोहब्बत है – 59

Kitni mohabbat hai – 59

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

कितनी मोहब्बत है – 59

अक्षत और मीरा की जिंदगी में ये बड़ा मोड़ आया था ! मीरा को पाने और अपने प्यार को सही साबित करने के लिए अक्षत ने अमर की सभी शर्ते मान ली !! वह जीजू और अर्जुन के साथ घर चला आया , उसका मन अब शांत था और एक उम्मीद थी की मीरा अब उसकी है लेकिन जीजू और अर्जुन कही ना कही घबरा रहे थे की अक्षत इतनी जल्दी ये सब कैसे करेगा ? ,, घर आकर अक्षत राधा से मिला और उन्हें सारी बाते बताई तो राधा ने कहा,”अमर इतना गिर जायेगा मैंने सोचा भी नहीं था , मुझसे बदला लेने के लिए मेरे बच्चो को परेशान क्यों कर रहा है ?”
“माँ वो गलत नहीं है , एक हद तक उनका सोचना सही है जब मैं मीरा से दो दिन दूर नहीं रह पाया तो उन्होंने तो पुरे 22 साल उसके बिना निकाले है , तकलीफ तो होगी ना उनको , पर आप चिंता मत कीजिये मैं उनकी सारी शिकायते दूर दूंगा माँ।, उन्होंने वादा किया है वो मीरा को मेरे साथ भेज देंगे ! लेकिन उसके लिए मुझे उनकी वो सारी शर्ते पूरी करनी होगी !”,अक्षत ने कहा
“कैसी शर्ते ?”,विजय ने कहा
अक्षत ने राधा और विजय को अमर की शर्त के बारे में बताया ! विजय और राधा ने सूना तो परेशान हो गए और फिर राधा ने कहा,”लेकिन ये सब करेगा कैसे ? उनकी बराबरी करना आसान नहीं है वो करोडो के मालिक है !”
“ऐसी अजीब शर्त क्यों रखी है उन्होंने ? हमारे पास इतना सब तो है की मीरा को भविष्य में यहाँ कोई तकलीफ नहीं होगी !”,विजय ने कहा
“वो मुझे आजमाना चाहते है पापा , मुझे नहीं लगता की ये सब उन्होंने पैसो के लिए या फिर मेरी हैसियत जानने के लिए कहा है , वो देखना चाहते है मैं मीरा के लिए क्या कर सकता हु , और मैं करूंगा पापा मैं वो सब करूंगा जिस से मीरा मेरी हो जाये”,अक्षत ने कहा
“आज तुझे देखकर लग रहा है जैसे मेरा बेटा बड़ा हो गया है !”,विजय ने अक्षत को गले लगाते हुए कहा !
“पापा मैं आपका और माँ का सर कभी झुकने नहीं दूंगा , मेहनत करूंगा और उस मुकाम तक जरूर पहुंचूंगा ,, बस आप लोगो का साथ और आशीर्वाद चाहिए !”,अक्षत ने कहा
“हम दोनों हमेशा तुम्हारे साथ है बेटा !”,विजय ने कहा ! अक्षत को पहले जैसा पाकर राधा खुश थी !!
रात के खाने के समय सभी मौजूद थे अक्षत की नजर सामने खाली पड़ी कुर्सी पर चली गयी जहा मीरा बैठा करती थी वह एक टक उस कुर्सी को निहारता
रहा जीजू ने देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”बहुत जल्द वो हम सबके साथ होगी !”
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा , राधा ने सबके लिए खाना लगा दिया सभी खाना खाने लगे , बड़ी मुश्किल से खाना अक्षत के गले से निचे उतरा !! खाना खाकर अक्षत ऊपर चला आया चलते हुए नजर निधि के कमरे की और चली गयी अक्षत की आँखों के सामने मीरा का चेहरा आ गया , मीरा की कमी उसे खल रही थी वह चुपचाप बालकनी की और चला आया अँधेरा हो चुका था ! ठण्ड बढ़ने लगी थी अक्षत आसमान को देखते हुए मीरा के साथ बिताये पलो के बारे में सोच रहा था ! ठंडी हवा का झोंका जब उसे छूकर गुजरा तो अक्षत ने अपनी आँखे मूंद ली , महसूस किया जैसे मीरा उसके पास ही है और उसे से कुछ कहे जा रही है , अक्षत ने जैसे ही आँखे खोली वहा कोई नहीं था उसकी आँखे नम हो गयी , वह अपने कमरे में चला आया कमरा व्यवस्तिथ था शायद राधा ने करवाया हो सोचकर अक्षत बिस्तर पर लेट गया ,, उसका मन मीरा की यादो में उलझता गया और वह नींद के आगोश में चला गया !
उधर मीरा जो कुछ हुआ उस से बहुत दुखी थी , उसने सोचा नहीं था उसके पापा अक्षत के सामने ऐसी शर्त रख्नेगे ! मीरा घुटनो में सर छुपाये बैठी रो रही थी की सौंदर्या उसके कमरे में आयी और आकर उसकी बगल में बैठ गयी , मीरा को रोता देखकर उसका दिल पसीज गया उसने मीरा के सर पर अपना हाथ फेरते हुए प्यार से कहा,”मीरा !!”
मीरा ने गर्दन उठाकर देखा समाने सौंदर्या भुआ थी , मीरा ने अपने आंसू पोछे और कहा,”आप यहाँ ?”
“उठो !”,कहते हुए भुआ ने उसे उठाया और बिस्तर पर बैठने का इशारा किया मीरा बिस्तर पर बैठी तो भुआ उसके पास बैठकर कहने लगी,”तुम परेशान क्यों हो ? हम सब है ना तुम्हारे साथ !
“हमे ये सब नहीं चाहिए , कुछ सही नहीं हो रहा है हमारे साथ !”,मीरा ने भर्राये गले से कहा !
“मैं तुम्हारा दर्द समझ सकती हु मीरा , आज जो कुछ भी हुआ उसके बाद तुम्हारे मन पर क्या बीत रही है मैं अच्छी तरह जानती हु ! पर तुम हिम्मत मत हारो , मुझे पूरा यकीन है वो लड़का जरूर आयेगा !”,बुआ ने मीरा से कहा !
मीरा खामोश हो गयी तो भुआ ने अपने साथ लायी खाने की प्लेट मीरा की और करते हुए कहा,”लो खाना खा लो !”
“हमे भूख नहीं है”,मीरा ने कहा
“अपनों से लड़ने के लिए ताकत और हिम्मत की भी तो जरूरत होगी ना मीरा , खा लो तुम खुश रहोगी तो वहा अक्षत भी खुश रहेगा ,, मुस्कुराते हुए उसका इंतजार करो ना की उसके जाने के गम में खुद को तकलीफ दो ,, खुद को तकलीफ दोगी तो दर्द उसे भी होगा !”,सौंदर्या ने कहा तो मीरा उसकी और देखने लगी !
मीरा को अपनी और देखता पाकर उन्होंने कहा,”ऐसे दुखी रहकर आधी बाजी तो तुम पहले ही हार जाओगी , जब तक अक्षत वापस आता है तुम अपने सपने पुरे कर सकती हो मीरा , ये घर , यहाँ के लोग सब तुम्हारे है उन्हें जान पहचान सकती हो , तुम्हारे पापा जिन्होंने हमेशा तुम्हारा इंतजार किया उनके बारे में और अच्छे से जान सकती हो !”
“हमे नहीं जानना उनके बारे में वो बहुत बुरे इंसान है , नफरत करते है हम उनसे उन्होंने अक्षत जी को कितना दुःख पहुंचाया है , उन्होंने ऐसा क्यों किया ? उनकी क्या गलती थी , बताईये ?”,मीरा ने रोते हुए कहा
“उसकी गलती है उसका घमंड”,अमर ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा तो मीरा उठकर उनके सामने आयी और कहा,”आप उन्हें समझ ही नहीं पाए , वो कितने अच्छे इंसान है आप नहीं जानते !”
“और आप अपने पिता को नहीं समझ पायी ! हमने सूना आप हमसे नफरत करती है सिर्फ इसलिए की हमने उस लड़के को हमारी बराबरी करने को कहा”,अमर ने सहज भाव से कहा
“नहीं , हम आपसे नफरत करते है क्योकि आपकी वजह से हम हमेशा अपनी माँ से दूर रहे , हम आपसे नफरत करते है क्योकि राधा माँ से बदला लेने के लिए आपने अक्षत जी के साथ गलत व्यवहार किया , हम आपसे नफरत करते है क्योकि अपने अहम् की वजह से आपने दो प्यार करने वालो को दूर कर दिया ! इसके बाद भी जब आपका मन नहीं भरा तो हमारे और उनके बिच कभी ना भरने वाली पैसो की खाई खोद दी आपने , इतना सब करने के बाद आप खुद को अच्छा इंसान कैसे कह सकते है ?”,मीरा ने गुस्से से कहा !
“हां नहीं है हम अच्छे इंसान , हमने वही किया जो एक पिता करता है ,, आप हमारी बेटी है और आपको ऐसे ही किसी के साथ जाने नहीं दे सकते , अगर वह सच में आपको अपनी जिम्मेदारी समझता है तो वह जरूर वापस आएगा”,अमर ने कहा !
“लेकिन राधा माँ की इन सब में क्या गलती थी ? उन्हें क्यों परेशान किया अापने !”,मीरा ने कहा
“हमने किसी को परेशान नहीं किया है मीरा , राधा से हमने वो माँगा जो हमारा था , उस लड़के ने सबके सामने हमारी कॉलर पकड़ी तो हमने उसे जेल भेज दिया , एक पिता होने के नाते एक अच्छे घर में आपका रिश्ता तय किया और जब आपने उनके साथ जाने की बात कही तो हमने उन्हें जिम्मेदार बनने को कहा ,, अब बताईये कहा गलत है हम ?”,अमर ने कहा
मीरा को अहसास हुआ कही ना कही अमर अपनी जगह सही थे ! मीरा इसके आगे कुछ नहीं बोल पाई तो अमर ने कहा,”सालो पहले जो गलती हमने की वो फिर से नहीं दोहराना चाहते मीरा ! उम्मीद है कभी तो आप हमे समझेंगी और उस दिन का हम इंतजार करेंगे ,, उस लड़के से हमने जो वादा किया है वो हम जरूर निभाएंगे अगर वक्त पर उसने अपना कहा पूरा किया तो , रात बहुत हो चुकी है खाना खा लीजिये !”
अमर वहा से चला गया !
मीरा ने खाना खाया और भुआ की गोद में सर रखकर लेट गयी , भुआ उसका सर सहलाते हुए उसे बीते वक्त की बाते बताने लगी जिन्हे सुनकर मीरा को अच्छा लग रहा था , देर रात उसे नींद आ गयी भुआ भी उसे सुलाकर उसकी बगल में लेट गयी !!
अगली सुबह अमर को सबने समझाया की अक्षत को अपना ले लेकिन अमर ने सबको अपना कठोर फैसला सूना दिया ! घर के सभी सदस्य एक एक करके वहा से अपने अपने घरो के लिए निकल गए , पर जाने से पहले सब मीरा से मिले और उसे ढेर सारे कीमती तोहफे दिए , उन सबको अमर ने मीरा से मिलने के लिए ही बुलाया था और सबको वापस भी जाना था इसलिए मीरा ने उनसे रुकने की ज्यादा जिद नहीं की !! भुआ को कुछ दिन के लिए अमर ने मीरा के खातिर वही रोक लिया ! इतने बड़े घर में सिर्फ अमर , मीरा , भुआ और कुछ नौकर बचे थे ! मीरा अब इस घर में अपनी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू करने जा रही थी , सबके जाने के बाद अपने कमरे में आयी तो चार नौकर वहा पहले से खड़े थे एक के हाथ में कुछ जोड़े आलिशान कपडे थे , एक के हाथ में गहनों के डिब्बे थे , एक के पास जूतों और सैंडिलों का सेट था और आखरी के पास एक बड़ा सा डिब्बा जिसमे मीरा की जरूरतों का सारा सामान था !! मीरा ने उन्हें देखा तो उनमे से एक ने कहा,”ये मालिक ने आपके लिए भिजवाया है , आपको कुछ और चाहिए तो बता दीजिये !”
“ये सब सामान वापस ले जाईये और उनसे कहिये हमे इनकी जरूरत नहीं है !”,मीरा ने सहज भाव से कहा
चारो वापस चले गए कुछ देर बाद ही अमर वहा आया और कहा,”हमने जो सामान आपके लिए भेजा उसे आपने वापस भेज दिया !”
“क्योकि हमे वो नहीं चाहिए , ये सब देकर अगर आपको लगता है आप हमारा भरोसा जीत लेंगे तो आप गलत सोचते है ! नहीं चाहिए हमे ये ऐशो आराम की जिंदगी !”,मीरा ने कहा
“मत लीजिये , आपको जो ठीक लगे वो कीजिये”,अमर ने कहा और जाने लगा तो मीरा ने कहा,”हमारा सामान अक्षत जी घर में है क्या हम वो ला सकते है ?”
“आप खुद नहीं जाएँगी !”,अमर ने कठोरता से कहा उसकी नफरत अभी ख़त्म नहीं हुई थी ! तभी भुआ ने कमरे में आते हुए कहा,”मीरा नहीं जा सकती मैं तो जा सकती हु ना ?”
“जैसा तुम्हे ठीक लगे , बस मीरा उस घर में नहीं जाएगी !”,कहकर अमर वहा से चला गया ! भुआ मीरा के पास आयी और कहा,”मैं तुम्हारे लिए जाउंगी तुम बताओ कुछ भेजना है अक्षत के लिए”
“हम उन्हें देखना चाहते है , हमारी हर सुबह की शुरुआत उन्हें देखने से होती थी”,मीरा ने आँखों में आंसू भरकर कहा
“तुम तो जानती हो अमर तुम्हे वहा नहीं जाने देगा , और कही तुम्हारे जाने से परेशनिया और बढ़ जाये , मैं चली जाती हु तुम्हे कुछ कहना है तो बता दो मैं उसे कह दूंगी”,भुआ ने प्यार से मीरा को समझाते हुए कहा
मीरा की आँखों में आंसू बहकर गालो पर आ गए वो आज इतनी मजबूर हो चुकी थी की अक्षत से मिलना भी नसीब नहीं हुआ ! उसने अपने आंसू पोछे और अपने गले में पहना एक काला धागा निकालकर भुआ को देते हुए कहा,”भुआ आप ये उन्हें दे देना , अक्षत जी खुद को लेकर बहुत लापरवाह है ना ही वो अपने बारे में सोचते है ना ही प्रार्थनाओ में उनका विश्वास है ,, ये धागा उनकी रक्षा करेगा !! और राधा माँ से कहना की हमे माफ़ कर दे !”
मीरा से ये सब ठीक से बोला भी नहीं जा रहा था ! भुआ मुस्कुरा दी और उसके हाथ से धागा लेकर कहा,”जिसे तुम्हारे जितना प्यार करने वाली प्रेमिका मिली हो उसे कुछ नहीं हो सकता !”
“एक काम और देंगी हमारा”,मीरा ने झिझकते हुए कहा
“हां बताओ !”,भुआ ने कहा
“आते वक्त उनकी एक तस्वीर ले आएँगी हमारे लिए !”,मीरा ने कहा
“जरूर !”,भुआ ने मीरा का गाल छूकर कहा और वहा से चली गयी ! मीरा मन ही मन अक्षत के प्रार्थना करने लगी ! भुआ ड्राइवर के साथ घर से निकल गयी ! उधर अक्षत जब उठा तो बहुत खालीपन महसूस कर रहा था , आँखे मसलते हुए वह कमरे से बाहर आया सुबह के 11 बज रहे थे किसी ने उसे उठाया तक नहीं था , जैसे ही कमरे से बाहर आया नजर अपने आप निधि के कमरे की और चली गयी , अक्षत उदास आँखों से एकटक उस कमरे को देखता रहा पता नहीं क्यों उसे ऐसा लग रहा था जैसे मीरा वहा से निकलकर आएगी ? कुछ देर बाद गाड़ी की आवाज उसके कानो में पड़ी तो उसने पलटकर बालकनी की और देखा एक आलिशान गाड़ी घर के बाहर आकर रुकी !
अक्षत निचे चला आया , निचे हॉल में दादू और जीजू बैठकर चाय पि रहे थे ! पापा और अर्जुन ऑफिस जा चुके थे , राधा किचन में थी निधि और नीता बाहर गार्डन में थी , गाड़ी से सौंदर्या उतरी और घर के अंदर चली आयी उसे देखकर निधि और नीता उनके पास चली आयी सौंदर्या ने उनसे अक्षत के बारे में पूछा तो दोनों उन्हें लेकर अंदर चली आयी ! सौंदया जैसे ही अंदर आयी राधा और बाकि सब घरवाले उसके पास चले आये , राधा ने उन्हें नमस्ते की और कहा,”आप ?
“माँ मैं इन्हे जानता हु ये मीरा की भुआजी है”,अक्षत ने उन्हें देखकर कहा
“अरे तो फिर आप यहाँ क्यों खड़ी है , आईये बैठिये ना !”,राधा ने सोफे की तरफ इशारा करके कहा !
राधा सोफे पर आ बैठी दादू और जीजू को उन्होंने नमस्ते किया , राधा उसके पास आयी और कहा,”मैं आपके लिए चाय या कोफ़ी कुछ ले आती हु !”
“नहीं शुक्रिया मैं दरअसल किसी जरुरी काम से यहाँ आयी हु (राधा के चेहरे पर परेशानी के भाव झलक आये तो सौंदर्या ने आगे कहा) घबराईये मत , मैं यहाँ मीरा का सामान लेने आयी हु”,सौंदर्या ने कहा
“कैसी है मीरा ?”,राधा ने बेचैनी से कहा
“अच्छी है , आप सबको बहुत याद करती है !”,सौंदया ने कहा
राधा की आँखों में नमी तैर गयी तो सौंदर्या ने उनके हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा,”दिल छोटा मत कीजिये इस घर की अमानत उस घर में सुरक्षित है , बाहत जल्द वो इस घर में वापस आएगी !!”
सौंदर्या की बाते सुनकर राधा के दिल को थोड़ी तसल्ली मिली उसने आँखों के किनारे पोछते हुए कहा,”हम्म्म्म हम सब उसके आने का इंतजार करेंगे !”
सौंदर्या ने कुछ देर सबसे बाते की और फिर अक्षत से कहा,”मीरा का कमरा कहा है ? मैं उसका सामान ले लेती हु !”
“जी आईये !”,अक्षत ने कहा तो सौंदर्या उठकर उसके साथ चल दी , सौंदर्या ने जान बूझकर अक्षत से कहा ताकि मीरा का सन्देश उस तक पहुंचा सके ! अक्षत उन्हें लेकर निधि के कमरे में आया जहा मीरा रहती थी ! अक्षत ने बैठने के लिए सौंदर्या को कुर्सी दी और खुद ही मीरा का सामान पैक करने लगा ! उसने सूटकेस में उसके कपडे , किताबे उसका जरुरी सामान रखा ! कबर्ड से सारा सामान उसने पैक कर दिया ! कबर्ड का ड्रावर खोला तो उसमे घुंघरू वाली पाजेब रखी हुई थी अक्षत ने उन्हें अपने हाथ में लिया तो उसे वो सुबह याद आ गयी जब मीरा उन्हें पहनकर घूम रही थी और अक्षत ने डांट दिया था ! वह एक तक उन्हें निहारता रहा तो सौंदर्या ने कहा,”ये भी मीरा की है !”
“जी हां !”,अक्षत ने उन्हें पैकेट में डालते हुए कहा और फिर उसे भी बाकि सामान के साथ सूटकेस में रख दिया ! अक्षत ने सब सामान रखा बस दिवार पर लगी मीरा की वो तीन फोटो फ्रेम जो उसने मीरा को भेजी थी वो नहीं उतारी आखिर कुछ तो निशानी रहनी चाहिए थी इस घर में उसकी !! अक्षत उन तस्वीरों को देख रहा था तो सौंदर्या उठी और उसके पास आकर कहा,”अपना हाथ आगे करो !”
अक्षत ने अपना हाथ आगे कर दिया तो सौंदर्या ने मीरा का दिया धागा अक्षत के कलाई पर बांधना शुरू कर दिया और बांधकर कहा,”ये मीरा ने मुझसे तुम्हे देने को कहा था , उसका मानना है ये हमेशा तुम्हारी रक्षा करेगा !”
सौंदर्या की बाते सुनकर अक्षत की आँखों में नमी उतर आयी उसने भीगी आँखों से सौंदर्या की और देखा तो उन्होंने उसके गाल को छूकर कहा,”वो इन धागो में बहुत यकीन रखती है , और तुम्हे बेइंतहा मोहब्बत करती है !”
अक्षत ने चेहरा घुमा लिया सौंदर्या के सामने वह रोना नहीं चाहता था ! अक्षत को देखकर एक पल के लिए उसका भी दिल पसीज गया उसने आँखों के किनारे साफ करते हुए कहा,”दोनों के दोनों पागल है ,खुद भी रोते हो और सामने वाले को भी रुला देते हो ! अच्छा सुनो मीरा को तुम्हारी एक तस्वीर चाहिए और हमे देर हो रही है सूटकेस भारी होगा प्लीज इसे निचे तक पहुंचा दो !”
अक्षत ने अपने आंसू पोछे और कहा,”हम्म चलिए !”
दोनों मीरा के सामान के साथ निचे चले आये तब तक राधा सौंदर्या के लिए नाश्ता लगा चुकी थी ! राधा और बाकि घरवालो के जिद करने के बाद सौंदर्या ने नाश्ता किया ! राधा ने मीरा के लिए अपने हाथो से बने लड्डू और नमकीन डिब्बे में रखकर सौंदर्या को थमा दिए ! सभी उसे गेट तक छोड़ने बाहर आये सौंदर्या चली गयी ! अक्षत अंदर चला आया और उदास सा आकर सोफे पर बैठ गया ! जीजू उसके पास आकर बैठे और कहा,”चेहरा क्यों उतरा है ?”
“ऐसे ही !”,अक्षत ने बात को टालना चाहा
“चलो !”,जीजू ने कहा
“कहा ?”,अक्षत ने हैरानी से कहा
और और
“मीरा से मिलने”,जीजू ने उठते हुए कहा अक्षत ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें वापस बैठाते हुए कहा,”भूल गए उसके पापा ने क्या कहा था ? अगर मैं उस से मिला तो कही ये परेशानिया और न बढ़ जाये !”
“इतनी फ़िक्र है तुम्हे उसकी ?”,जीजू ने ताना मारते हुए कहा
“ऐसे क्यों पूछे रहे हो , खुद से भी ज्यादा फ़िक्र मुझे मीरा की है ! “,अक्षत ने कहा
“अच्छा तो सोचो अगर मीरा यहाँ होती और तुम्हे इस हाल में देखती तो क्या उसे अच्छा लगता ? नहीं ना ,, देख आशु उसके पापा को तू चेलेंज करके आ चुका है , पर जब ऐसे मर मर कर ही उस चेलेंज को पूरा करना है तो क्या फायदा ? जैसे तुमने सबके सामने मीरा को अपना कहा है वैसे ही अब उसके पापा का दिल जीत तब आएगा मजा ! पर ये सड़ी हुई शक्ल लेकर नहीं !”,जीजू ने कहा
अक्षत मुस्कुराने लगा वह समझ गया था की वे क्या बोल रहे है ? अक्षत उठा और जैसे ही जाने लगा रघु बाहर से आया और एक लिफाफा अक्षत को देकर कहा,”अक्षत बाबा ये आपके लिए आया है !”
अक्षत ने लिफाफा खोलकर देखा तो उसकी ख़ुशी चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रही थी उसने वो लेटर जीजू की और बढ़ा दिया ! जीजू ने जैसे ही लेटर देखा ख़ुशी से उछल पड़े और कहा,”आशु ये तो तेरे एंट्रेस का रिजल्ट है , तूने यूनिवर्सिटी में टॉप किया है !”
“हम्म्म्म !”,अक्षत ने ख़ुशी से कहा उसकी आँखों के सामने मीरा का चेहरा ही आ रहा था , वो ये खबर सुनती तो कितनी खुश होती ! जीजू ने उसे गले लगाया और बधाई देते हुए कहा,”सब तेरी मेहनत का फल है !”
अक्षत ने अपना हाथ उठाया और कलाई पर बंधे उस धागे को देखते हुए कहा,”कुछ असर उनकी प्रार्थनाओ का भी है जीजू !”
सौंदर्या घर पहुंची उसने मीरा का सामान उसके कमरे में रखा और चहकते हुए कहा,”तुम्हारे लिए मेरे पास कुछ खास है !”
“क्या ?”,मीरा ने कहा
“तुम्हारी राधा माँ के हाथ के बने लड्डू !”,सौंदर्या ने लड्डू का डिब्बा आगे करते हुए कहा !
मीरा ने डिब्बा लेकर अपने नाक के पास लायी वही महक थी , इस घर में आने के बाद पहली बार उसके होंठो पर सौंदर्या ने मुस्कराहट देखी थी ! उसे मुस्कुराता देखकर उन्होंने कहा,”मुस्कुराते हुए कितनी प्यारी लगती हो तुम !”
मीरा ने उनकी और देखा और कहा,”ये हमारे लिए है ?”
“हां सब तुम्हारे लिए है , तुम रख लो !”,सौंदर्या ने कहा ! अगले ही पल अमर कमरे में दाखिल हुआ उसने मीरा के हाथ में लड्डुओं का डिब्बा देखा तो उन्होंने सौंदर्या से कहा ,”उस घर का बना कोई भी सामान इस घर मे लाना मना है , मीरा ये सब नहीं खायेगी उठाकर बाहर फेंक दो इन्हे !”
मीरा ने उनकी बात सुनी तो उसमे से एक लड्डू उठाया और अमर की और देखते हुए खाने लगी , अमर कुछ नहीं कर पाया बस मीरा को देखता रहा निचे गली से गुजरते हुए फ़क़ीर के गाने की आवाज उन तीनो के कानो में पड़ रही थी
इश्क़ जुनूँ जब हद से बढ़ जाए
इश्क़ जुनूँ जब हद से बढ़ जाए
हँसते-हँसते आशिक सूली चढ़ जाए
इश्क़ का जादू सर चढ़कर बोले
इश्क़ का जादू सर चढ़कर बोले
खूब लगा लो पहरे, रस्ते रब खोले
यही इश्क़ की मर्ज़ी है, यही रब की मर्ज़ी है
तेरे बिन, जीना कैसा, हाँ, खुदगर्ज़ी है
तूने क्या कर डाला
मर गई मैं, मिट गई मैं
हो जी, हाँ-हाँ जी, हो गई मैं
तेरी दीवानी, दीवानी
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संजना किरोड़ीवाल

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