कितनी मोहब्बत है – 56
Kitni mohabbat hai – 56
“कितनी मोहब्बत है”
By Sanjana Kirodiwal
अक्षत और मीरा के साथ सभी घरवालों की नए साल की शुरुआत हो चुकी थी ! देर रात सभी सोने चले गए ! अगली सुबह मीरा उठी नहाकर निचे आयी सभी नाश्ते के लिए साथ बैठे थे , विजय और अर्जुन ने नाश्ता किया और ऑफिस के लिए निकल पड़े ! दादू भी टहलने चल दिए , नीता और राधा किचन के कामो में व्यस्त थी और निधि अपने फोन में अक्षत अभी तक सो रहा था !! मीरा अपने कमरे में चली आयी कॉलेज के तीन साल पुरे हो चुके थे अब वह क्या करे ? घर में रहकर वह बोर हो जाती थी उसने निधि से इस बारे में बात की तो निधि ने कहा,”तुम सिविलस की तैयारी क्यों नहीं करती ? वैसे भी तुम्हे समाज सेविका बनना है तो सिविलस में जाकर तो तुम और अच्छा कर पाओगी !”
मीरा ने निधि की बात सुनकर मन ही मन कहा,”तुम्हे कैसे बताये की हमारे पास पहले से इतना सब है की हमे नौकरी करने की जरूरत ही नहीं है ! जो पैसे है उन्हें दुसरो के भले के लिए इस्तेमाल करना चाहते है !”
“अच्छा तुम ये सोच रही होगी की पढाई का खर्चा कहा से आएगा ? है ना , तो चिंता मत करो पापा है ना वो कर देंगे सब अरेंज वैसे भी अब तुम इस घर की बहु हो !”,निधि ने कहा
“तुम्हे बड़ी जल्दी है मेरी शादी की !”,मीरा ने घूरते हुए कहा
“तुम्हारी होगी तब ना मेरा नंबर आएगा”,निधि ने बड़बड़ाते हुए कहा
“क्या कहा ?”,मीरा ने कहा
“अरे कुछ नहीं , अच्छा बताओ तुम्हारा क्या प्लान है ?”,निधि ने कहा
“कुछ बच्चे अडॉप्ट करके उन्हें एक अच्छी जिंदगी देना चाहते है !”,मीरा ने कहा
“तुम जरूर करोगी , हम सब तुम्हारी इसमें मदद करेंगे !”,निधि ने उसे गले लगाते हुए कहा ! दोनों बाते करती रही मीरा ने देखा घडी में सुबह के 11 बज रहे है और अक्षत का अभी तक कुछ अता पता नहीं , वह उठकर कमरे से बाहर आयी और देखा अक्षत का रूम अभी भी बंद ही था ! मीरा अक्षत के रूम के सामने आयी और दरवाजा खोलकर अंदर आयी , अक्षत सो रहा था मीरा मुस्कुराई और जाकर खिड़की से परदे हटा दिए धुप सीधा आकर अक्षत के ऊपर गिरी तो उसने नींद में खलल पड़ने से कम्बल मुंह पर डाल ली जो की आधी बेड के साइड में लटक रही थी , मीरा को लगा अक्षत उठ गया होगा लेकिन वो तो फिर सो गया था मीरा जैसे ही उसकी और आयी उसका पैर कम्बल में उलझा और वो सीधा अक्षत की बगल में जा गिरी अक्षत के मुंह से कम्बल निचे आ गया तो मीरा उसके चेहरे को प्यार से निहारने लगी सोते हुए कितना मासूम लगता था वो लड़का , उस पर मीरा उसे इतने करीब से देख रही थी , उसने अक्षत की आँखों पर आते हुए बालो को जैसे ही हटाया अक्षत ने नींद में उसका हाथ पकड़ा और गाल के निचे लगाकर सोते हुए कहा,”सोने दो ना मीरु !”
“11 बज रहे है , इतनी देर तक कौन सोता है ?”,मीरा ने धीरे से कहा
“अह्ह्हम्म्म , चुप करो !”,अक्षत ने कहा और फिर से सो गया !
मीरा मुस्कुराते हुए सोचने लगी,”कितने अजीब है ना ये भी इतनी खूबसूरत लड़की इनके सामने है और ये सोने की बाते कर रहे है आलसी कही के !!”
मीरा उठी और उठकर जाने लगी तो अक्षत ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया ! मीरा ने मुड़कर देखा तो वह अधखुली आँखों से उसे ही देख रहा था !
“अच्छा तो आप सो नहीं रहे थे !”,मीरा ने कहा
“बैठो !”,अक्षत ने उठकर बैठते हुए कहा हालाँकि मीरा का हाथ अभी भी उसके हाथ में था ! मीरा बैठ गयी और अक्षत के बालो को सही करते हुए कहने लगी,”इतनी देर तक सोते रहेंगे तो आपके क्लाइंट केस बंद करके भाग जायेंगे वकील साहब !”
“अभी बना कहा हु , कल बात हुई थी यूनिवर्सिटी में एक दो दिन में रिजल्ट आने वाला है उसके बाद , वापस दिल्ली ,, लेकिन इस बार मैं अकेले नहीं जाऊंगा !”,अक्षत ने कहा
“फिर ?”,मीरा ने कहा
“तुम्हारे साथ !”,अक्षत ने प्यार से अपना सर मीरा की गोद में रखते हुए कहा और उसका हाथ अपने सर पर रख लिया मीरा अपनी उंगलिया उसके बालो में घुमाने लगी तो अक्षत ने कहा,”तुम्हारी जिम्मेदारी अब मुझपे है और मैं तुम्हे यहाँ अकेले नहीं छोड़ना चाहता ! जीजू और दी से बात हो गयी थी मेरी तुम्हारे वहा आने की बात सुनकर वो भी बहुत खुश है , मैं वहा रहकर अपनी पढाई कम्प्लीट करूंगा !”
“और हम क्या करेंगे ?”,मीरा ने कहा
“तुम मेरा ख्याल रखोगी जैसे यहाँ रखती हो , वैसे तुम वहा अपने पर काम भी कर सकती हो !”,अक्षत ने हक़ जताते हुए कहा
“हम बहुत लकी है !”,मीरा ने अक्षत का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा
“वो कैसे ?”,अक्षत ने कहा
“हमे आप जो मिले , हमने कभी सोचा नहीं था कोई ऐसा भी होगा हमारी जिंदगी में जो हमे इतना सपोर्ट करेगा और हमारी भावनाओ को समझेगा !”,मीरा ने सहजता से कहा
“मीरु , हम दोनों एक दूसरे के लिए लकी है ! तुम मेरी जिंदगी में ना आयी होती तो मैं कभी जान ही नहीं पाता की मैं अपनी जिंदगी से क्या चाहता हु ? तुमने मुझे खुद पर भरोसा करना सिखाया है , मुझे प्यार करना सिखाया है और सबसे मोस्ट वैल्यूड की तुमने मुझे परिवार से जुड़ना सिखाया है ! मैं अकेला रहता था , किसी की बात नहीं सुनता था लेकिन तुम्हारे साथ रहकर मैंने परिवार और रिश्तो की अहमियत समझी है मीरा !!”,अक्षत ने कहा
“ये सब खुबिया आप में पहले से ही है बस आप देख नहीं पाए !”,मीरा ने कहा
“मैंने ये सब तुम्हारी आँखों से देखा है !”,अक्षत ने गोद से सर हटाकर उठते हुए कहा
“और मैंने ये सब आपकी आँखों में देखा है ! पता है आप उतने भी लापरवाह नहीं है जितना मैं समझती थी “,मीरा ने शरारत से कहा
“हां थोड़ा सा हु तुम्हारे प्यार में !”,अक्षत भी कहा पीछे रहने वाला था ! उसने ऐसे कहा तो मीरा एकटक उसकी आँखों में देखते हुए कहने लगी,”जब प्यार है तो फिर इतना गुस्सा क्यों ?”
“क्योकि जो मेरा है वो सिर्फ मेरा है , किसी और का हक़ नहीं हो सकता उस पर !”,अक्षत ने कहा
“मत करो इतना प्यार हमसे अक्षत जी की हम आपके अलावा कुछ और सोच ही ना पाए !”,मीरा ने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा
“तुम्हारे दिल में अपने लिए इतना प्यार भर दूंगा मीरा की तुम कभी मुझे भूल नहीं पाओगी , तुम्हारी आँखों में अगर कुछ नजर आएगा तो सिर्फ मैं और मेरा प्यार ! आशिक़ तो बहुत देखे होंगे तुमने अपनी जिंदगी में पर मेरे जैसा सरफिरा आशिक़ नहीं मिलेगा , अगर तुम्हारे लिए जान दे सकता हु तो याद रखना जिस दिन तुमने मुझे भूलने की कोशिश की तुम्हारी जान ले भी सकता हु !!”,अक्षत थोड़ा सीरियस हो गया !
उसे इस तरह देखकर मीरा ने अपना सर उसके सीने से लगाकर कहा,”हम आपको छोड़कर कहा जायेंगे ? हम हमेशा आपके पास रहेंगे ,, देखिये कितनी जोरो से धडक रहा है आपका दिल , आपकी इन्ही बातो से डर लगता है हमे !”
“और मैं सिर्फ तुम्हे खोने से डरता हु मीरा !”,अक्षत ने उसे बांहो में समेटते हुए कहा
“इतना चाहते है हमे ?”,मीरा ने आंखे मूंदे हुए कहा वो अक्षत के सीने की धड़कने अभी भी साफ सुन पा रही थी !
“हाँ , खुद से भी ज्यादा !”,अक्षत ने कहा
मीरा उसके सीने से लगी रही साल का पहला दिन था और उसकी शुरुआत इतनी प्यारी थी ! कुछ देर बाद अक्षत का फोन बजा अक्षत मीरा से दूर हुआ और फोन पर बात करने लगा , उसे किसी काम से बाहर जाना था इसलिए मीरा से चाय का बोलकर अक्षत नहाने चला गया ! मीरा निचे चली आयी उसने अक्षत के लिए चाय बनाई नाश्ता पहले से तैयार था अक्षत निचे आया ! उसने नाश्ता किया और राधा को बोलकर घर से बाहर निकल गया आज अक्षत के लिए बहुत बड़ा दिन था पिछले कई दिनों से वह किसी जरुरी काम में लगा हुआ था और आज वह पूरा होने जा रहा था !! दिनभर वह लोगो से मिलता रहा और काम करता रहा !
उसी शाम राधा , नीता और दादी माँ हॉल में बैठकर अर्जुन की शादी का एल्बम देख रहे थे , विजय और अर्जुन ऑफिस से आ चुके थे और शाम की चाय पि रहे थे ! मीरा भी वही सबके साथ बैठी थी तभी डोरबेल बजी अक्षत होगा सोचकर मीरा ने कहा,”हम खोल देते है !”
मुस्कुराते हुए मीरा दरवाजे की और बढ़ी सुबह के बाद से ना उसने अक्षत को देखा था ना ही उस से कोई बात हुई थी मीरा ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने एक रोबीला आदमी खड़ा था और उसके साथ कुछ पुलिस वाले और एक काळा कोट पहने वकील था ! मीरा कुछ समझ पाती इस से पहले वो रोबीला इंसान साइड हटा और मीरा की नजर उसके पीछे खड़े इंसान पर पड़ी जो की “अमर प्रताप सिंह” ही था उसे वहा देखकर मीरा का दिल धक से रह गया !!
“मीरा क्या हुआ बेटा कौन है ?”,विजय ने हॉल से ही आवाज लगाकर कहा
मीरा की आवाज जैसे उसके गले में ही अटक गयी उस से कुछ बोला ही नहीं गया ! वह फटी आँखों से अमर को देखती रही अमर के चेहरे पर कोई भाव नहीं था वह बस ख़ामोशी से मीरा को देख रहे थे
अमर और बाकि सब अंदर आये अमर को वहा देखते ही राधा का मन किसी अनहोनी के डर से घबराने लगा था ! विजय ने पूछा,”जी कहिये , आप लोग इस तरह ?”
“ये है मिस्टर “अमर प्रताप सिंह” इस शहर के जाने माने आदमी और “प्रताप इंडस्ट्रीज” के मालिक ! इन्होने दावा किया है कि आपके घर में रह रही लड़की “मीरा सिंह राजपूत” इनकी बेटी है और इन पेपर्स से ये प्रूव भी होता है ! आपने गैरकानूनी तरीके से इनकी बेटी को अपने साथ रखा हुआ है !”,पास खड़े वकील ने कहा
विजय ने सूना तो हैरान रह गए और राधा की और देखकर कहा,”राधा , क्या कह रहे है ये लोग ?”
राधा अमर के सामने आयी और गुस्से से कहा,”आखिर क्या चाहते हो तुम अमर ? सावित्री को तो तुम पहले ही मार चुके हो अब यहाँ क्यों आये हो ?”
राधा की आवाज गुस्से से कांप रही थी और वह लगातार अमर को घूरे जा रही थी ! अमर ने सहजता से कहा,”सावित्री के जाने का दुःख मुझे भी उतना ही है जितना तुम्हे है ! पिछले 22 सालो से मैं तुमसे पूछते आ रहा हु की मेरी पत्नी और बेटी कहा है ? मुझे उस से मिलने दो पर तुमने मुझे सावित्री और अपनी बेटी से मिलने नहीं दिया ! तुमने जो देखा सूना उसे तुमने सच मान लिया और ये फैसला भी कर लिया की मैं बुरा इंसान हु ! सालो बाद मुझे सावित्री के गुजर जाने की खबर मिली और उसके बाद मैं अपनी बेटी के मिलने की उम्मीद खो चुका था ! उस रात जब तुमने हॉस्पिटल में कहा की मीरा तुम्हारी बेटी है तो मुझे तुम्हारी बात पर बिल्कुल भरोसा नहीं हुआ था और मैंने अपने स्तर पर छानबीन करवाई थी ! खोज से पता चला की तुम्हारी सिर्फ एक बेटी है और मीरा उसकी दोस्त है ! कॉलेज में पूछताछ की तो पता चला की मीरा कोई और नहीं बल्कि मेरी और सावित्री की बेटी है ! उसका पिता होने के हक़ से मैं उसे लेने आया हू !!”
“मीरा कही नहीं जाएँगी !”,राधा ने गुस्से से कहा
“ये फैसला करने वाली तुम कौन होती हो ? इसे इतने साल मुझसे दूर रखकर तुम पहले ही बहुत ज्यादतिया कर चुकी हो अब और नहीं , मीरा को मैं लेकर जा रहा हु !”,अमर ने राधा की आँखों में देखते हुए कठोरता से कहा !
“हम कही नहीं जायेंगे !”,मीरा ने कहा
“हमने आपकी राय नहीं मांगी है मीरा , अपना फैसला सुनाया है !”,अमर ने मीरा की और देखकर कहा
“आप कौन होते है हम पर हक़ जताने वाले , जब इतने सालो में कभी आपने हमारे बारे में जानने की कोशिश नहीं की तो फिर आज क्यों आये है आप ? हम आपके साथ नहीं जायेंगे हम बालिग है और कानून हम भी जानते है , बिना हमारी मर्जी के आप हमे यहाँ से नहीं ले जा सकते !”,मीरा की आवाज डर और गुस्से से कांप रही थी !
“सूना तुमने , अब जाओ यहाँ से ,, मीरा कही नहीं जाएगी और तुम्हारे साथ तो बिल्कुल भी नहीं !”,राधा ने कहा
अमर ने एक नजर मीरा को देखा और फिर राधा से कहा,”जोर जबरदस्ती करके मैं उसे यहाँ से लेकर जाना भी नहीं चाहता , वो मेरी बेटी है मैं उस से अकेले में बात करना चाहता हु उसके बाद वो जो फैसला करेगी मुझे मंजूर है !”
राधा को विश्वास था की मीरा अमर के साथ नहीं जाएगी उसने मीरा की और देखा तो मीरा ने पलके झपकाकर बात करने की परमिशन दे दी ! विजय मीरा के साथ बालकनी की और चला आया शीशे के उस पार जहा से बाकि सब उन दोनों को ना देख पा रहे थे ना सुन पा रहे थे ! राधा बार बार मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी की सब ठीक हो जाये और मीरा कोई गलत फैसला ना ले ! उसे बैचैन देखकर विजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उसे शांत रहने का इशारा किया ! वकील ने एक पेपर विजय बढाकर कहा,”अगर मीरा उनके साथ जाने के लिए तैयार हो जाती है तो आप सभी जेल जाने के लिए तैयार हो जाईये क्योकि इन पेपर्स के मुताबिक आप लोगो ने मिस्टर प्रताप की बेटी को गैरकानूनी तौर से अपने घर में अगवा करके रखा है !”
“पर ये सच नहीं है , मीरा यहाँ अपनी मर्जी से रह रही थी”,अर्जुन ने कहा
“ये सब दलीले आप कोर्ट में दीजियेगा !”,वकील ने कहा !
अर्जुन के साथ साथ बाकि घरवालों के चेहरे पर भी चिंता के भाव उभर आये थे ! परेशानिया ख़त्म होने का नाम नहीं ले रही थी एक के बाद एक बस आती जा रही थी ! उधर अमर और मीरा के बिच बातचीत चलती रही और इधर सब घरवाले बेचैनी से उसके आने का इंतजार करते रहे ! लगभग 15 मिनिट बाद अमर और मीरा हॉल में आये ! राधा के साथ साथ सभी मीरा का फैसला जानना चाहते थे राधा उसके पास आयी और कहा,”मीरा कह दो इन लोगो से की तुम इनके साथ नहीं जा रही हो ! तुम्हे किसी से डरने की जरूरत नहीं है !”
“हम इनके साथ जा रहे है आंटी !”,मीरा ने जैसे ही कहा राधा की जान हलक में आ गयी उसने मीरा की बांह पकड़कर अपनी और करके कहा,”ये ये क्या कह रही हो तुम ? मीरा ये आदमी तुम्हे भटका रहा है , तुम तुम इसकी बातो का यकीन मत करो मीरा”
“ये हमारे पिता है आंटी , हमारा बुरा नहीं सोचेंगे ! आज तक आप लोगो ने हमारा साथ दिया आज भी दीजिये ,, हमे इनके साथ जाने दीजिये !”,मीरा ने हाथ जोड़कर नजरे झुकाते हुए कहा !
राधा बदहवास सी विजय के पास आयी और लगभग रोते हुए कहा,”विजय देखो ना , पागल हो गयी है ये लड़की , कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है , वो अच्छा आदमी नहीं है विजय मैं मीरा को उसके साथ जाने नहीं दे सकती !”
विजय ने राधा को सम्हाला और मीरा से कहा,”मीरा ये क्या कर रही हो तुम ? मानता हु वो तुम्हारे पिता है लेकिन जल्दबाजी में कोई गलत फैसला मत लो ! एक बार राधा की बात सुन लो हो सकता है वो सही हो”
“आंटी अपनी जगह सही है और ये अपनी जगह ! हमने बहुत सोच समझकर फैसला किया है अंकल हमे इनके साथ जाना होगा !”,मीरा ने कहा
मीरा की बाते सुनकर राधा की आँखों से आंसू बहने लगे थे ! अर्जुन को मीरा का अचानक से किया फैसला कुछ समझ नहीं आ रहा था वह उसके पास आया और कहा,”ये क्या कर रही हो तुम मीरा ? हम सब तुम्हारे साथ है इनसे डरने की जरूरत नहीं है तुम्हे !!”
“हमने ये फैसला अपनी मर्जी से लिया है अर्जुन जी किसी दबाव में आकर नहीं !”,मीरा ने कहा
“लेकिन ये सही नहीं है , तुमने सोचा भी है अक्षत भाई का क्या होगा ? ऐसे कैसे तुम एकतरफा फैसला कर सकती हो ?”,निधि ने गुस्से से मीरा के सामने आकर कहा !
“ये सब मत कहो निधि हम कमजोर पड़ जायेंगे , हमे जाने दो इसी में सबकी भलाई है !”,कहते हुए लगभग मीरा की आँखों में आंसू आ गए !
निधि ने उसके हाथो को थाम लिया और कहा,”तुमने मुझसे वादा किया था मीरा , तुम भाई को छोड़कर नहीं जाओगी फिर क्यों जा रही हो ? मत जाओ मीरा प्लीज़ !”
मीरा ने मुश्किल से आंसुओ को अपनी आँखों में रोक लिया और निधि से अपने हाथ छुड़ाते हुए कहना,”हमे माफ़ कर देना निधि हम तुमसे किया वादा नहीं निभा पाए !” कहते हुए मीरा विजय और राधा के पास आयी और उनके पैर छूते हुए कहा,”आप दोनों ने हमे इस घर में बहुत प्यार दिया , सम्मान दिया उसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे ! आप दोनों इतने अच्छे है की हम अगली बार आप दोनों की बेटी बनकर इस दुनिया में आना चाहेंगे ! अनजाने में कभी हमने आप लोगो का दिल दुखाया हो तो हमे माफ़ कर दीजियेगा !”
मीरा ने दादू और दादी के पैर छुए और जैसे ही अर्जुन की और आयी अर्जुन की आँखों में आंसू आ गए उसने ना में गर्दन हिलाते हुए कहा,”मत जाओ मीरा प्लीज” मीरा ने अर्जुन का हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”आप हमे दोस्त मानते है ना तो फिर हमारी मज़बूरी भी समझिये !” अर्जुन इसके बाद कुछ बोल ही नहीं पाया उसकी आँखों से बहकर आंसू गालो पर आ गए ! मीरा ने निधि से बात करनी चाही तो निधि ने उसे पीछे धकेला और रोते हुए ऊपर चली गयी उसे विश्वास नहीं हो रहा था मीरा ऐसे सबको छोड़कर जाएगी ! नीता जो अब तक चुप थी मीरा के पास आयी और कहा,”एक बार अक्षत से मिल लो मीरा उन्हें पता चला तुम ऐसे जा रही हो तो वो बर्दास्त नहीं कर पाएंगे , उन्हें सम्हालना मुश्किल होगा हम सबके लिए !”
“उनसे मिले तो सच में नहीं जा पाएंगे , और आप सब है ना उनके साथ सम्हाल लेंगे उन्हें !”,मीरा ने बमुश्किल अपने आंसुओ को रोकते हुए कहा !
“चले मीरा !”,अमर ने कहा
“जी !”,मीरा कहते हुए उनके साथ चल पड़ी , सभी घरवाले उसे रोकने की मिन्नते करते रहे पर मीरा ने जैसे अपने सीने पर पत्थर रख लिया हो वो किसी की भी नहीं सुन रही थी बस चली जा रही थी ! राधा के आंसू तो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ! सभी घर से बाहर आये तभी सामने से बाइक पर अक्षत आया उसने देखा पुलिस और कुछ अनजान चेहरे वहा है तो उसने बाइक को स्टेण्ड पर भी नहीं लगाया और ऐसे ही छोड़कर उनके पास आकर कहा,”मीरा को कहा लेकर जा रहे हो ?”
“ये मीरा के पिता है और पिता होने के हक़ से ये उसे अपने साथ लेकर जा रहे है !”,इंस्पेक्टर ने कहा
“मीरा पर किसी का कोई हक़ नहीं बनता , ये सिर्फ मेरी है इसे ऐसे कोई लेकर नहीं जा सकता !”,अक्षत ने गुस्से से कहा
“ये फैसला खुद मीरा ने किया है , हमने इसके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं की !”,अमर ने कहा
“मैं आपसे बात नहीं कर रहा सो यू जस्ट शट अप (कहते हुए मीरा के सामने आता है और कहता है) तुम इतना बड़ा फैसला कैसे ले सकती हो मीरा ? तुम जानती हो हम दोनों एक दूसरे को चाहते है फिर ये सब क्यों ?”,अक्षत ने कहा
मीरा खामोश रही तो अक्षत अपने पापा के पास आया और कहा,”पापा , पापा रोको उसे वो ऐसे कैसे जा सकती है ? उसने कहा था वो हमेशा मेरे साथ रहेगी फिर वो ऐसे मुझे अकेल छोड़ के कैसे जा सकती है ?”
“वो फैसला कर चुकी है !”,विजय ने हताश होकर कहा
“ऐसे फैसला कैसे कर सकती है वो ?”,अक्षत गुस्से से मीरा की और आया और थोड़ी ऊँची आवाज में कहा,”हर बार तुम्हारी मनमर्जी नहीं चलेगी मीरा , तुम ऐसा कैसे कर सकती हो ?”
“आवाज निचे वो हमारी बेटी है !”,अमर ने अक्षत से कठोरता से कहा
अमर के इन शब्दों ने अक्षत के गुस्से को और बढ़ावा दिया और उसने सबके सामने दोनों हाथो से अमर की कॉलर पकड़ ली और गुस्से से उन्हें घूरते हुए कहा,”आपकी बेटी होगी बाद में पहले वो मेरी मीरा है और उसे इस तरह कोई नहीं ले जा सकता !”
अक्षत के कॉलर पकड़ने से सभी घरवाले घबरा गए उसके गुस्से से सब वाकिफ थे लेकिन अक्षत ने उन्हें नहीं छोड़ा , कॉन्स्टेबल्स ने अक्षत को दूर करने की कोशिश की लेकिन अक्षत ने उसे ही एक घुसा दे मारा ! सबके सामने कॉलर पकड़ने से अमर को गुस्सा आ गया और उसने इंस्पेक्टर से कहा,”अरेस्ट कर लो इसे ये जानता नहीं है इसने किसकी गिरेबान पर हाथ डाला है !”
इंस्पेकटर ने अक्षत को उनसे दूर करने की कोशिश की लेकिन अक्षत उन्हें छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था ! अर्जुन और विजय ने उसे दूर किया तो उसने उन्हें भी धक्का दे दिया और मीरा के पास आकर कहा,”मीरा मीरा मत जाओ , मैं सब सही कर दूंगा मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा प्लीज मत जाओ ! तुमने कहा था हम साथ रहेंगे , मेरी तरफ देखो मीरा प्लीज एक बार मेरी आँखों में देखो , देखो ना ! (लगभग रो पड़ा था अक्षत पर मीरा ने एक बार भी उसकी और नहीं देखा था वह बस गर्दन झुकाए खड़ी रही ) इंस्पेक्टर ने अक्षत की कॉलर पकड़ कर उसे अपनी साइड किया तो अक्षत ने गुस्से से हवा में उनकी और हाथ उठाया लेकिन वह मार पाता इस से पहले ही कॉन्स्टेबल ने एक घुसा उसे दे मारा और वह जमीन पर जा गिरा !
“आशु !”,राधा चीखी लेकिन इंस्पेक्टर ने उसे आगे आने नहीं दिया और कहा,”एक बड़े आदमी की कॉलर पकड़ने , क़ानूनी काम में दखल देने और पुलिस पर हाथ उठाने के जुर्म में मैं इसे गिरफ्तार करता हु !”
“इंस्पेक्टर वो थोड़ा गुस्सैल किस्म का है अनजाने में उस से ये सब हुआ है , प्लीज़ उसे माफ़ कर दीजिये ! “,विजय ने कहा
“हवालात में अच्छे अच्छा का गुस्सा निकल जाता है इसका भी निकल जाएगा ! कॉन्स्टेबल गिरफ्तार करो इसे !”,इंस्पेक्टर ने लगभग आदेश दिया ! अक्षत जमीन से उठा गिरने की वजह से उसके होंठ के साइड से खून आने लगा था , कॉन्स्टेबल ने उसे धर लिया लेकिन वह छूटने की कोशिश करता रहा वह चिल्लाता रहा , मीरा से मिन्नते करता रहा लेकिन मीरा ने जैसे कुछ ना सुनने की कसम खा ली थी , उसकी आँखो के सामने से मीरा अमर के साथ गुजरी तो अक्षत ने उसका हाथ पकड़ लिया ! पुलिस वालो की पकड़ की वजह से वह घुटनो के बल था उसने मीरा का हाथ इतनी मजबूती से पकड़ा हुआ था की कोई छुड़ा नहीं पाया ! वह लगातार उस से ना जाने के लिए बोल रहा था , इंस्पेक्टर ने उस से मीरा का हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं छुड़ा पाया तो उसने अपने डंडे से अक्षत के हाथ पर पांच छः बार मारा तो अक्षत की पकड़ ढीली होने से मीरा का हाथ छूट गया और वह अमर के साथ चली गयी !
अमर मीरा को वहा से लेकर जा चुका था ! इंस्पेक्टर ने अक्षत को उठाया और पुलिस की जीप में डालकर ले गए ! राधा को तो ये सब देखकर चक्कर आने लगे थे ! उसने रोते हुए विजय से कहा,”इन बच्चो ने किसी का क्या बिगाड़ा था जो ये सब हो रहा है इनके साथ , सारी परेशानिया सारे दुःख इनकी जिंदगी में क्यों ? मुझे मेरा आशु वापस चाहिए और मेरी मीरा भी ,, मैं अपने दोनों बच्चो को इस दर्द में नहीं देख सकती ! “
राधा की हालत देखकर विजय और नीता की आँखों में भी आंसू आए गए !
“पापा आप माँ को लेकर अंदर जाईये मैं वकील से बात करता हु , आशु को कुछ नहीं होगा !”,अर्जुंन ने कहा और फिर नीता के पास आकर माँ का ख्याल रखने को कहा और खुद वहा से गाड़ी लेकर निकल गया ! जीप में बैठे अक्षत की आँखों के सामने बस मीरा से छुटता अपना हाथ नजर आ रहा था ! उसके होंठो पर लगा खून अब सुख चुका था ! अक्षत का दिमाग सुन्न हो चुका था मीरा ने ऐसा क्यों किया ? बस वह यही सोच रहा था कुछ ही देर बाद जीप पुलिस थाने में आकर रुकी , कॉन्स्टेबल ने उसे निचे उतारा और अंदर लाकर हवालात में बंद कर दिया !! अक्षत गुस्से से इंस्पेक्टर को घूरे जा रहा था इंस्पेक्टर अंदर आया और अक्षत की बुरी तरह पिटाई कर दी लेकिन उसके मुंह से एक आह तक नहीं निकली ! इंस्पेक्टर चला गया अक्षत निचे जमीन पर पर गिरा हुआ था , उसके मुंह से खून निकल रहा था , आँख के ऊपरी हिस्से पर चोट आयी थी , कंधे पर चोट लगी थी बाल बिखरे हुए थे , और आँखे आंसुओ से भरी हुई थी लेकिन ये आंसू मीरा को खो देने के थे !
उधर अमर की गाड़ी में मीरा उनकी बगल में सर झुकाये बैठी थी ! ड्राइवर के साथ वाली सीट पर वही रोबीला इंसान बैठा था जो की अमर का बॉडीगार्ड था गाड़ी तेज रफ़्तार से सड़को पर दौड़े जा रही थी , अमर ने मीरा की और देखा और कहा,”हमे ख़ुशी हुई की आपने एक सही फैसला किया , इस फैसले से आपकी जिंदगी की सभी परेशानिया ख़त्म हो जाएगी ऐसा मेरा मानना है !”
मीरा ने कोई जवाब नहीं दिया उसने बस अपनी गर्दन झुकाये रखी जैसे वह अब कुछ देखना ही नहीं चाहती हो ! गाड़ी एक बड़े से आलिशान घर के सामने आकर रुकी , किसी ने गेट खोला और गाड़ी घर के अंदर अमर गाड़ी से निचे उतरा मीरा भी निचे उतरी और उसके साथ घर के मैन गेट पर आयी लेकिन अमर ने उसे वही रोक दिया ! कुछ देर बाद ही तीन औरते सजी धजी पूजा की थाली लेकर दरवाजे पर आयी , उनके साथ ही दो बड़ी लड़किया जिन्होंने राजपूती ड्रेस पहन रखी थी और एक उनसे कुछ छोटी लड़की थी साथ में तीन आदमी थे और 3 लड़के थे जिनमे से दो किसी रियासत के राजकुमार जैसे दिखाई पड़ रहे थे और छोटा वाला लड़का था वह भी बहुत प्यारा था ! पर ये सब कौन थे मीरा नहीं जानती थी ! उन औरतो में जो सबसे बड़ी औरत थी पूजा की थाली लेकर आगे आयी उसने मीरा के माथे पर तिलक लगाया और उसकी आरती उतारने लगी ! सभी मीरा के साथ अंदर चले आये ! जैसे ही मीरा अंदर आयी उस घर को देखकर उसकी आँखे चुंधियाने लगी , घर बड़ा आलीशान था , महंगा फर्नीचर , फानूस , शो पीस , सोफे सब देखकर मीरा हैरान थी साथ ही हैरानी थी उन सब लोगो को देखकर जिन्हे वह जानती नहीं थी !! सभी आकर सोफों पर बैठे , सबके चेहरे ख़ुशी से भरे हुए थे और मीरा खामोश खड़ी थी अमर उसके पास आया और बड़े आदमी और औरत की और इशारा करके कहा,”ये आपके ताऊजी और ताईजी है श्री सूरज प्रताप सिंह , श्रीमती लाड कँवर , मीरा ने सूना तो हैरानी से उनकी और देखा उसे माँ की डायरी वाली तस्वीरे याद आने लगी ! उसने उन्हें देखकर हाथ जोड़ दिए ,, अमर ने उनकी बगल में बैठे जोड़े की और इशारा करके कहा,”ये आपके चाचा और चाची है विवान सिंह राजपूत , रतन कँवर” मीरा ने उन्हें भी इशारे से नमस्ते की अमर ने अपनी दांयी तरफ बैठे बड़े लड़को की और हाथ करके कहा,”ये आपके बड़े भाई है अखिल और वैभव इनके साथ खड़ी ये दोनों आपकी भाभी सा है नूतन और पूर्णिमा !
मीरा बस उन सबको देखती रही और बाकि सब मुस्कुराते हुए मीरा को ! अमर ने अपने बांयी और हाथ करके छोटे लड़के की और इशारा करके कहा,”ये आपके बड़े भाई है करण सिंह और इनके साथ जो है बैठी है ये आपकी बहन है वृंदा राजपूत , और इनके बिच जो बैठी है वो है आपकी भुआ सा – सौंदर्या बाईसा !!” ये आपका परिवार है मीरा जिसमे सिर्फ आपकी माँ की कमी है !”,कहते हुए अमर की आवाज कुछ भारी हो गयी !!
सौंदर्या मीरा के पास आयी और उसके चेहरे को हाथ में लेकर कहा,”बिल्कुल मंझली भाभीसा पर गयी हो , आपको किसी की नजर ना लगे !”
मीरा को समझ ही नहीं आ रहा था की वो क्या प्रतिक्रया दे ? वह बस ख़ामोशी से सबको देखती रही !! सभी उसकी आव भगत में लग गए इतना सब देखकर मीरा को ना जाने क्या हुआ वह भागते हुए वहा से एक कमरे की और गयी और उसे अंदर से बंद करके पीठ दरवाजे से लगा ली !! वह रोना चाहती थी , चिल्लाना चाहती थी , सवाल करना चाहती थी पर सारा दर्द उसकी आँखों में सिमट कर रह गया !
किस्मत उसे किस मोड़ पर ले आयी थी ??
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संजना किरोड़ीवाल
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