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कितनी मोहब्बत है – 54

Kitni mohabbat hai – 54

“कितनी मोहब्बत है”

By Sanjana Kirodiwal

Kitni mohabbat hai – 54

अर्जुन के जाने के बाद अक्षत के कन्धो पर एक नयी जिम्मेदारी आ चुकी थी ! अक्षत ऑफिस के लिए निकल चुका था जैसे ही ऑफिस पहुंचा सभी उसे देखकर हैरान थे ! क्योकि आज से पहले अक्षत ऐसे फॉर्मल ड्रेस में ऑफिस तो नहीं आया था ! अर्जुन की सेकेरेट्री वंदना उसके पास आयी और कहा,”सर आप यहाँ ?”
“हां भाई एक हफ्ते के लिए बाहर काम मैं देखूंगा , तुम सॉरी आप , उनके जाने के बाद आप उनका काम देख रही थी ना तो चलकर मुझे उनका केबिन और काम समझा दीजिये !”,अक्षत ने कहा
“जी सर , आईये !”,कहकर वंदना अक्षत के साथ अर्जुन के केबिन में चली आयी ! उसने अक्षत को अर्जुन का काम और कुछ पेंडिंग फाइल्स दी ! सारा काम समझा कर जैसे ही वंदना जाने लगी अक्षत ने कहा,”मीरा मेरे लिए एक कप कोफ़ी भिजवा दोगी प्लीज !”
वंदना चौंक कर पलटी और अक्षत से कहा,”सर मेरा नाम वंदना है !”
“ओह्ह आई ऍम सॉरी , वंदना आप एक कप कोफ़ी भिजवा देंगी प्लीज”,अक्षत ने झेंपते हुए कहा !
“जी सर !”,कहकर वंदना मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी !! अक्षत ने फाइल अपने सर पर दे मारी मीरा के प्यार में वो इतना खो चुका था की अब हर किसी के लिए उसके मुंह से मीरा ही निकल रहा था ! अक्षत ने काम पर कोंस्ट्रेट किया और काम करने लगा ! पियोंन कोफ़ी रखकर चला गया ! ऑफिस में घूमते हुए विजय की नजर अक्षत पर पड़ी उसे काम करते देखकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा था और ख़ुशी भी हुई ! उधर घर में मीरा का अक्षत के बिना मन नहीं लग रहा था कई बार उसने अक्षत का नंबर डॉयल किया और हटा दिया वो उसे परेशान करना नहीं चाहती ! निधि अपनी दोस्त के साथ बाहर गयी हुई थी मीरा लग रहा था वह ऊपर अक्षत के कमरे में चली आयी ! उसने देखा अक्षत का कमरा फैला हुआ है तो उसने उसे समेटना शुरू कर दिया हर सामान को वह एक एक करके व्यवस्तिथ करती जा रही थी ! उसे ये सब करना अच्छा भी लग रहा था ! उसने अक्षत के कबर्ड में सारे कपडे समेटकर रखे ! जो कपडे धुलकर आये थे उन्हें प्रेस करके रखा ! सब काम खत्म हो गया मीरा कमरे से जाने लगी तो नजर कमरे के उस कोने पर गयी जहा अक्षत ने अपना कोई प्रोजेक्ट बना रखा था ! मीरा बड़े ध्यान से उसे देख रही थी वो किसी कम्पनी का प्रोजेक्ट था जो की काफी उलझा हुआ बना था और उसके बीचो बिच इंग्लिश में लिखा हुआ था “अमायरा” , वो कोई डायमंड ब्रांड जैसा था , मीरा उसे समझने की कोशिश कर रही थी लेकिन नहीं समझ आ रहा था ! खैर काम खत्म करके वह कमरे से बाहर चली आई !
उधर ऑफिस में अक्षत सबके साथ मीटिंग में था विजय सबको किसी नए प्रोजेक्ट के बारे में समझा रहे थे जो की उनका सालो से सपना था अब वो इस पर काम शुरू करना चाहते थे ! अक्षत मीरा की यादो में खोया हुआ था तभी विजय ने कहा,”अक्षत प्रोजेक्ट का लोगो तैयार हुआ ?”
“हां वो मीरा ने कर दिया था !”,अक्षत ने यादो में खोये हुए कहा सब अक्षत का जवाब सुनकर हैरान थे साथ ही सोच रहे थे की आखिर वो किस मीरा की बात कर रहा है !
“अक्षत मैं प्रोजेक्ट की बात कर रहा हु !”,विजय ने उसे घूरते हुए कहा
“सो सॉरी वो वो लोगो एक दो दिन में तैयार हो जाएगा पापा !”,अक्षत ने एक बार फिर झेंपते हुए कहा और उसके बाद अपना पूरा ध्यान मीटिंग में लगा लिया ! मीटिंग ख़त्म होने के बाद सभी उठ उठ कर बाहर चले गए ! अक्षत ने अपना लेपटॉप और फाइल को समेटा और जैसे ही जाने लगा विजय ने कहा,”पहला दिन है बेटा काम का इतना लोड मत लो दिमाग पर की मीरा और प्रोजेक्ट में अंतर भी न कर पाओ !”
“सॉरी पापा”,अक्षत ने कहा
“इट्स ओके , शाम को मिलता हु !”,कहकर विजय अपनी फाइल के साथ वहा से चले गए
अक्षत केबिन में आया और मीरा को फोन लगाया
हेलो
“पता है आज क्या हुआ ?”
क्या हुआ ?
अक्षत ने सुबह कॉफी वाली बात से लेकर मीटिंग वाली बात मीरा को बता दी तो मीरा जोर जोर से हसने लगी ! उसे हँसता देखता अक्षत ने चिढ़ते हुए कहा,”तुम भी मेरा मजाक उड़ा रही हो !”
“अरे नहीं नहीं , हमे बस आपकी बातो पर हंसी आ रही , आप वहा है लेकिन आपका मन तो अभी तक घर में अटका पड़ा है ! “,मीरा ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा !
“क्या मीरा तुम भी , पापा प्रोजेक्ट के ‘लोगो’ के बारे में पूछ रहे थे और मैं बेवकुफो की तरह उन्हें तुम्हारा नाम बता रहा था !”,अक्षत ने कहा
“अमायरा , यही नाम है ना !”,मीरा ने सजहता से कहा
“तुम्हे कैसे पता ? वेट तुम मेरे रूम में गयी थी !”,अक्षत ने हैरानी कहा
“सॉरी लेकिन घर में अकेले मन नहीं लग रहा था तो हमने आपका रूम साफ कर दिया , काफी फैला हुआ था वो बस उसी वक्त आपके उस प्रोजेक्ट को देखा था , आपको बुरा लगा तो आई ऍम सॉरी”,मीरा ने कहा
“बुरा नहीं लगा बल्कि अच्छा लग रहा है , तुम मेरे लिए ये सब कर रही हो , और वो प्रोजेक्ट पापा का सपना है जिसे मैं और भाई पूरा करना चाहते है , पापा के लिए वो सबसे बड़ा सरप्राइज होगा !!”
ये तो बहुत ख़ुशी की बात है , आप जरूर कामयाब होंगे !”
“थैंक्यू मिस राजपूत
खाना खाया आपने ?
“हम्म्म हा बहुत अच्छा था , उसके लिए भी थैंक्यू
अभी आप काम कीजिये , हम निचे जा रहे है !!
“बाय
जल्दी आना
“आये हाये अब तो शाम का इंतजार करना पडेगा मुझे
मीरा हसने लगी और फोन काट दिया ! फोन रखकर वह कमरे से बाहर आयी दोपहर के 3 बज रहे थे ! मीरा निचे चली आयी दादी माँ के कमरे में और उनके पास बैठकर बाते करने लगी !! शाम को अक्षत आया तो काफी थका हुआ था ऑफिस का पहला दिन और उस पर इतना काम अब उसे समझ आ रहा था की अर्जुन और पापा के कंधो पर कितनी जिम्मेदारियां थी ! अक्षत फ्रेश होकर निचे चला आया राधा ने खाना लगाया खाना खाने के बाद वह सीधा अपने कमरे में आकर लेट गया ! लेटते ही नींद आ गयी मीरा कुछ देर बाद ऊपर आयी कमरे का दरवाजा खुला देखकर वह अक्षत के कमरे में आयी अक्षत सो चुका था , मीरा उसके पास आयी निचे गिरा कम्बल उठाया और अक्षत को ओढ़ा दिया ! कमरे की लाइट बंद कर वह अपने कमरे में चली आई ! अक्षत से उसकी कुछ बात ही नहीं हो पायी ! अगली सुबह से फिर वही रूटीन चालू हो गया , अक्षत का डायनिंग टेबल पर आकर मीरा से चाय मांगना , नाश्ता करना और ऑफिस चले जाना ! मीरा और अक्षत की इस वजह से अब बहुत कम बाते हो पाती थी लेकिन मीरा खुश थी अक्षत को मेहनत करते देखकर !! देखते देखते एक हफ्ता गुजर गया अर्जुन और नीता के वापस आने का टाइम हो चुका था लेकिन राधा ने बिच में ही उन्हें सिद्धि विनायक जाकर माथा टेककर आने को कहा ! जिस से वे लोग दो दिन के लिए वही रुक गए अक्षत को अब तक ऑफिस का काम समझ भी आने लगा था ! विजय उसकी म्हणत से खुश थे लेकिन दिन में एक दो बार वह वंदना को मीरा के नाम से पुकार ही लेता था अब तक तो पुरे ऑफिस वालो को पता चल चुका था की अक्षत की जिंदगी में कोई मीरा है !!
एक शाम मीरा किचन में सबके लिए शाम की चाय बना रही थी ! उसने दादा और दादी को चाय दी और राधा की चाय लेकर उसके कमरे में आयी लेकिन राधा वहा नहीं थी मीरा ने चाय का कप टेबल पर रखा और प्लेट से ढक दिया जैसे ही वह जाने के लिए मुड़ी उसकी नजर टेबल पर रखे खत पर गयी ! हालाँकि मीरा कभी इस तरह बिना इजाजत किसी की निजी चीजे नहीं पढ़ती थी पर उस खत में ऊपर ही ऊपर अपना नाम देखकर उसे उठाने के लिए मजबूर हो गयी ! मीरा ने खत उठाया और पढ़ने लगी
“प्रिय मीरा ,
ये मेरा तुम्हे आखरी खत है इसके बाद शायद अब कोई और खत लिखने की जरूरत नहीं पड़ेगी ! मीरा मैं जानती हु मेरे जाने के बाद तुमने बहुत परेशानिया देखी होगी और तुम्हे काफी बुरे वक्त से भी गुजरना पड़ा होगा लेकिन अब गम के वो बादल छंट चुके है ! मैं तुम्हे एक मजबूत और महफूज हाथो में सौंपने जा रही हु ! हां मीरा , और वो मजबूत हाथ है मेरी सहेली ”राधा विजय व्यास” का ! तुम्हे जानकर हैरानी होगी की जिस घर में तूम इस वक्त रह रही हो वो घर मेरी सहेली का है , हाँ मीरा राधा और मैं कॉलेज में साथ पढ़े है , वही मेरी और राधा की मुलाकात हुई थी ,, मैंने अपने जीवन की अधिकांश बाते राधा से बांटी है उसने हमेशा अच्छे बुरे वक्त में मेरा साथ दिया है और आज भी दे रही है ,,
इसके बाद खत खाली था मीरा की आँखों से आंसू टपक कर खत पर आ गिरा ! उसके हाथ काँप रहे थे उसे एक धक्का सा लगा की आज से पहले जितने भी खत उसे मिले वो उसकी माँ ने नहीं बल्कि राधा ने लिखे थे ! मीरा बूत बनी उस खत को देखते रही , वो समझ नहीं पा रही थी की आखिर राधा ने उस से ये सब बाते क्यों छुपाई ?
“अरे मीरा तुम कब आयी ?”,राधा ने बाथरूम से बाहर आते हुए कहा !
“क्या आप हमारी माँ की दोस्त है ?”,मीरा ने भीगी आँखों के साथ राधा को देखते हुए कहा
मीरा के मुंह से ये बात सुनकर राधा थोड़ा चौंकी और फिर शांत हो गयी क्योकि वह जानती थी एक ना एक दिन ये सच मीरा के सामने आना ही था उन्हें खामोश देखकर मीरा ने उनके पास आकर कहा,”बोलिये ना आंटी चुप क्यों है आप ? क्या आप हमारी माँ की दोस्त है ? हमे जो खत मिलते थे वो क्या आपने ही लिखे है ? आपने हमसे ये सब क्यों छुपाया आंटी ? बताईये न !”
मीरा की आँखों में नमी और आवाज में दर्द देखकर एक पल को राधा का दिल भी भर आया उसने मीरा के हाथ से खत लिया और उसे फाड़कर डस्टबिन में फेंकते हुए कहा,”इस खत की अब शायद जरूरत नहीं पड़ेगी ! तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हे मिलेगा मीरा पहले तुम शांति से यहाँ बैठो !”
राधा ने उसका हाथ पकड़कर उसे बेड पर बैठाया और खुद उसके सामने चेयर लेकर बैठ गयी ! उसने कुछ पल मीरा की आँखों में देखा और फिर कहने लगी

“सावित्री से मेरी मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुयी थी और वही हम दोनों अच्छे दोस्त बने वो मुझसे कभी कुछ नहीं छुपाती थी , उस वक्त मेरे पिताजी भोपाल में ही रहते थे ,, सावित्री पढ़ने में अच्छी थी लेकिन धीरे धीरे उसका पढाई से ध्यान हटने लगा ,, पता लगाया तो उसने मुझसे एक बात छुपाई थी वो उसी कॉलेज में साथ पढ़ने वाले किसी राजपूत लड़के से प्यार करती थी , हमारे जमाने में प्रेम विवाह को मंजूरी मिलना नामुमकिन ही था उस पर सावित्री का ब्राह्मण परिवार से होना !! मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी , अमर तुम्हारे पिता के प्यार में वो इतनी अंधी हो चुकी थी की उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ! और फिर एक दिन घरवालों के खिलाफ जाकर उसने अमर से शादी कर ली , इस सदमे से तुम्हारे नानाजी गुजर गए और कुछ समय बाद तुम्हारी नानी भी ! उसकी शादी के बाद कई सालो तक मैं उस से मिल नहीं पाई , मेरी शादी विजय से हो चुकी थी और फिर कुछ सालो बाद सावित्री मुझे भोपाल में मिली , मैं बहुत खुश हु पर जब उसने अमर के धोखे के बारे में बताया तो मुझे बहुत गुस्सा आया , हां तुम्हारे पिता ने तुम्हारी माँ को धोखा दिया था शादी के कुछ वक्त बाद जब अमर के घरवालों ने तुम्हारी माँ को अपना लिया तब अमर किसी और औरत के चक्कर में पढ़कर अय्याशी और नशा करने लगा था , वह इतना गिर गया की उसने कई सालो तक सावित्री की कोख सुनी रखी ! सावित्री हमेशा हमेशा के लिए वो सब छोड़कर भोपाल चली आयी तब तुम बहुत छोटी थी , उस वक्त तुम्हारे पिता सावित्री और तुम्हे ढूंढते हुए वहा आ पहुंचे , सावित्री ने उस वक्त बताया की तुम्हरे दादाजी ने तुम्हारे पिता के हिस्से की जायदाद तुम्हारे नाम कर दी है और तुम्हारे पिता तुम्हे उस से हथियाना चाहते है ,, उसने मुझसे मदद मांगी , आर्थिक मंदी के कारण मैं अर्जुन और आशु के साथ उस वक्त अपने पीहर में ही रह रही थी , मैंने उसे अपने किराये के घर में रखा , तबी उसने मुझे अपनी सारी कहानी सुनाई और फिर मैं विजय के साथ इंदौर चली आयी वो घर जो भोपाल में है वो मैंने सावित्री के लिए छोड़ दिया लेकिन उसके बाद से मैं हमेशा उसके संपर्क में बनी रही ! सावित्री अपनी पहचान बदलकर रहने लगी और वैसे ही तुम्हे रखा लेकिन उसने तुम्हे तुम्हारे पिता का उपनाम दिया क्योकि वो उन्हें भूली नहीं थी ! कुछ वक्त बाद हमारा संपर्क सिर्फ खतों में सिमटकर रह गया और मैं अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गयी ! एक समय बाद उसने मुझे बताया की तुम इंदौर के किसी कॉलेज में पढ़ती हो , लेकिन व्यवस्तताओ के चलते मैं उसके खत का जवाब नहीं दे पाई ! कुछ वक्त बाद पता चला की वह अपनी जिंदगी के आखरी पलो में है तो मैं उस से मिलने भोपाल चली आयी ! उसने हमेशा तुम्हे खुद से दूर रखा ताकि तुम्हे उसकी बीमारी और परेशानियों के बारे में पता ना चले ! उस शाम जब मैं भोपाल पहुंची तो देखा वो काफी कमजोर हो चुकी थी , उसका चेहरा पीला पड़ चुका था , उसकी सांसे उखड़ चुकी थी !! उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरा हाथ अपने हाथो में लेकर मुझसे एक वादा लिया की उसके जाने के बाद मैं तुम्हारा ख्याल रखु !!” कुछ देर बाद वो जा चुकी थी और जाते जाते वो एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी मेरे कंधो पर डाल गयी थी !! अगली सुबह मैंने तुम्हे वहा पहली बार देखा था तुम बिल्कुल अपनी माँ जैसी ही हो मीरा , लेकिन तुम मुझे देख नहीं पाई और मैं वापस इंदौर चली आयी यहाँ आकर तुम्हारे बारे में पता किया तो पता चला की तुम निधि की दोस्त हो ! उस वक्त मैं तुम्हे ये सब बताती तो शायद तुम्हे विश्वास नहीं होता और फिर निधि से तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला की तुम काफी स्वभाविमानी लड़की हो इतनी आसानी से मेरी मदद नहीं लोगी ! !
मैंने ही तुम्हारी वार्डन से बात करके तुम्हे वहा से निकलवाया था ताकि निधि मदद के बहाने तुम्हे इस घर में ले आये और तुम हमेशा मेरी निगरानी में रहो !! जब तुम इस घर में आयी तो सिर्फ तुम ही नहीं आयी थी बल्कि अपने साथ अच्छा वक्त और खुशिया लेकर आयी थी ! घर में सब तुमसे खुश रहने लगे , विजय भी तुम्हे बहुत चाहते है , तुम्हारा सम्मान करते है ! अर्जुन जो अपने पापा से अपने और नीता के रिश्ते की बात कभी खुलकर नहीं कह पाता उसे आसान कर दिया तुमने , मोना का सच सामने ले आयी , घरवालों के साथ साथ तुमने हर किसी का दिल जीत लिया मीरा और मेरा आशु उसे बदल दिया तुमने , आज वो हसंता है , मुस्कुराता है सबसे बात करता है ये सब तुम्हारी वजह से ही मुमकिन हुआ और तब जाकर मुझे अहसास हुआ की कुछ वक्त के लिए क्यों ? क्या हमेशा हमेशा के लिए मैं तुम्हे इस घर में नहीं रख सकती ? “
राधा ने आखरी बात मीरा की आँखों में देखते हुए कहा !
“हम समझे नहीं !”,मीरा ने कहा
“इस घर की छोटी बहु बनोगी ?”,राधा ने उसका हाथ थामते हुए कहा तो मीरा का दिल तेजी से धड़क रहा था वह कुछ बोल ही नहीं पाई उसे खामोश देखकर राधा ने कहा,”मुझे कोई जल्दी नहीं है मीरा , तुम आराम से अपना फैसला ले सकती हो !”
“आपसे एक बात पूछे ?”,मीरा ने रुंधे हुए गले से कहा
“हां !”,राधा ने कहा
“क्या हमारे पापा सच में बहुत बुरे इंसान थे ?”,मीरा ने कहा
“शायद !”,राधा इस बात का फैसला नहीं कर पा रही थी
“नहीं आंटी शायद नहीं , अगर वो बुरे इंसान होते तो माँ हमे उनका उपनाम क्यों देती ? वो बुरे इंसान होते तो उस डायरी में उनका सच क्यों लिखती ? वो हमे उनसे अनजान भी तो रख सकती थी !”,मीरा ने लगभग रुआंसा होकर कहा
“मीरा उस रिश्ते की हकीकत तो मैं भी नहीं जानती पर इतना जानती हु की तुम्हारी माँ गलत नहीं थी !”,राधा ने कहा
“क्या आप मेरे पापा को जानती है ?”,मीरा ने कहा
राधा खामोश हो गयी तो मीरा ने कहा,”बताईये ना आंटी क्या आप उन्हें जानती है ? हम उनसे एक बार मिलना चाहते है , उनसे पूछना चाहते है की उन्होंने हमारी माँ के साथ ऐसा क्यों किया ?”

मीरा को परेशान देखकर राधा ने मीरा का हाथ अपने हाथ में लिया और कहा,”उस रात जिसने तुम्हे बचाया था वही है ‘अमर प्रताप सिंह’ तुम्हारे पिता !
“क्या ?”,मीरा ने हैरानी से कहा
“हां मीरा , उस रोज मार्किट में जब तुमने उन्हें देखा था और मैं तुम्हे वहा से ले आयी थी , मैं नहीं चाहती थी उसे पता चले की तुम उसकी और सावित्री की बेटी हो ! पर किस्मत उस रात एक बार फिर उन्हें तुम्हारे सामने ले आयी , उन्होंने ना बल्कि तुम्हारी जान बचाई बल्कि हॉस्पिटल में रुककर उन्होंने तुम्हारे फॉर्म में भी अपना नाम दिया पिता के रूप में ! वो इंसान चाहे लाख अच्छाईया करे लेकिन मैं उसे कभी माफ़ नहीं कर सकती क्योकि उसकी वजह से मेरी सावित्री ने इतने दुःख देखे थे !!”
मीरा ये सच सुनकर अवाक् थी उसके पापा दो बार उसके सामने थे और वह उन्हें पहचान ही नहीं पायी , उसकी आँखों से आंसू बहने लगे तो राधा ने कहा,”मुझे माफ़ कर दो मीरा मैंने तुम्हे उनसे दूर सिर्फ इसलिए रखा है क्योकि वो अच्छा इंसान नहीं है जिस दिन उसे ये पता चला की तुम उसकी बेटी हो वो तुम्हे यहाँ से हमेशा के लिए ले जाएगा !!”
मीरा ने अपने आंसू पोछे और कहा,”हम कही नहीं जायेंगे आंटी ! हम हमेशा आपके साथ रहेंगे , हमे नहीं चाहिए उनकी करोडो की दौलत , उनका स्टेटस और उनका ये उपनाम , हम नफरत करते है उनसे , सिर्फ नफरत !!” कहते हुए वह राधा के गले से आ लगी और फुट फुट कर रो पड़ी ! राधा उसका सर सहलाती रही आज मीरा को सच बताकर उसके मन का बोझ हल्का हो गया !! उसने मीरा को चुप करवाया और उठकर टेबल पर रखा पानी लाकर उसकी और बढ़ा दिया ! मीरा ने पानी पीया राध टेबल की तरफ आयी और चाय का कप देखा तो पाया की चाय ठंडी हो चुकी थी उसने कप वापस रखते हुए कहा,”चाय तो ठंडी हो गयी !”
मीरा उठी और कहा,”हम दूसरी बनाकर ले आते है आंटी !” राधा मीरा के पास आई उसके गाल को छूकर कहा,”आंटी नहीं माँ , तुम हमे माँ कहकर बुला सकती हो !” मीरा मुस्कुरा दी और राधा के लिए चाय लेने चली गयी राधा ने चैन की साँस ली और आकर अलमारी खोली उसके दर्ज में रखी अपनी और सावित्री की बरसो पुरानी तस्वीर देखकर कहा,”मैंने अपना वादा पूरा किया सावित्री , तुम्हारी बेटी मेरे घर की बहु बनेगी , छोटी बहु !”
सावित्री की तस्वीर को देखते हुए वह अपने पुराने दिनों को याद करने लगी कुछ देर बाद मीरा उनके लिए चाय ले आयी ! उसने राधा को चाय दी और वही बैठ गयी ! राधा ने चाय का कप लिया और पिने लगी मीरा देख रही थी आज राधा के चेहरे पर एक अलग ही सुकून था ! चाय पीते हुए राधा ने गुनगुनाना शुरू किया,”रात अकेली है , बुझ गए दिए ,, आके मेरे पास कानो में मेरे “
“जो भी चाहे कहिये , जो भी चाहे कहिये”,आगे का गाना मीरा ने पूरा किया तो राधा मुस्कुराने लगी !
“माँ और आप ये गाना कॉलेज में गाते थे ना , एक साथ !”,मीरा ने कहा
“हां हम दोनों अक्सर ये गाना गुनगुनाया करते थे ,, ये फिल्म हमारी पसंदीदा भी थी !!”,राधा ने चाय पीते हुए कहा !
“आगे सुनाईये ना आंटी”,मीरा ने बड़े प्यार से कहा
“सावित्री के बिना अकेले इस गाने को गाने का मन नहीं करता अब”,राधा ने उदास होकर कहा
“हम है ना माँ की जगह हम गाएंगे”,मीरा ने कहा
“तुम्हे आता है ये गाना ?”,राधा ने हैरानी से कहा
“हां , हमने कई बार माँ को गुनगुनाते सुना था जब वो हमारे साथ थी !”,मीरा ने कहा
“क्या सावित्री भी गाती थी ये गाना ?”,राधा ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
“हां लेकिन खुलकर नहीं बस , गुनगुनाती थी ,, आप सुनाईये ना आगे”,मीरा ने कहा
राधा ने आगे गाना शुरू किया -: तुम आज मेरे लिए रुक जाओ , रुत भी है फुर्सत भी है ,, तुम्हे ना हो न सही , मुझे तुमसे मोहब्बत है !
“तुम आज मेरे लिए रुक जाओ , रुत भी है फुर्सत भी है ,, तुम्हे ना हो न सही , मुझे तुमसे मोहब्बत है !”,मीरा ने भी वही लाइन दोहराई तो राधा ने मुस्कुराते हुए कहा,”मोहब्बत की इजाजत है , तो चुप क्यों रहिये ? जो भी चाहे कहिये ! जो भी चाहे कहिये !!”
दोनों हंसती मुस्कुराती रही !! शाम होने लगी थी अक्षत के आने का वक्त भी हो गया था मीरा अपने कमरे में चली आयी लेकिन अभी भी उसका मन बैचैन था वह शीशे के सामने आकर खड़ी हो गयी और खुद को देखने लगी तो उसे अपने मन की आवाज सुनाई देने लगी !
“मीरा ये तू क्या कर रही है ? तू जानती है वो आदमी तुम्हे यहाँ से ले जाएगा , तुम्हे कुछ तो ऐसा करना होगा जिस से वो तुम्हे यहा से ना ले जा सके पर क्या ? सोचो मीरा ऐसा क्या है ? जो तुम्हे इस घर में रोक सकता है !!”
मीरा अपने ही अंतर्मन से झुंझती रही और कुछ देर बाद उसके कानो में अक्षत के बाइक की आवाज पड़ी अक्षत आ चूका था मीरा एक फैसला लेकर निचे चली आयी !! अक्षत घर आया आज उसे देर हो चुकी थी खाना खाकर वह ऊपर चला आया बालकनी में खड़ा वह फोन पर किसी से बात कर रहा था की मीरा वहा आयी ! मीरा को वहा देखकर अक्षत ने उसे कुछ देर रुकने का इशारा किया और फोन पर बात करता रहा ! अक्षत ने फोन जेब में रखा और मीरा की और पलटा उसे परेशान देखकर अक्षत ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी और किया और कहा,”क्या हुआ मीरा ? तुम्हारा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों है ?
“हमे आपसे कुछ जरुरी बात करनी है !”,मीरा ने कहा
“हां कहो ना !”,अक्षत ने कहा
“आप हमसे कितना प्यार करते है ?”,मीरा ने कहा
“ये कैसा सवाल है ? तुमसे प्यार है बस है इसमें क्या कितना किसलिए ?”,अक्षत ने कहा
“शादी करेंगे हमसे ?”,मीरा ने कहा
“प्यार किया है तो शादी तो करूंगा ना मीरा”,अक्षत ने प्यार से कहा
“अभी कर सकते है ?”,मीरा ने बैचैन होकर कहा
“ये तुम्हे क्या हो गया है मीरा ? अभी शादी कैसे हो सकती है ?”,अक्षत ने कहा
“प्यार करते है तो शादी कर सकते है ना”,मीरा ने कहा
“हा लेकिन अभी कैसे कर सकता हु मीरा ? अभी मुझे तुम्हारे साथ वक्त बिताना है , बाकि लोगो की तरह बाहर जाना है तुम्हारे साथ , ड्राइव्स पर जाना है , साथ में मूवी देखनी है , अच्छे मोमेंट्स शेयर करने है तुम्हारे साथ !”,अक्षत ने मीरा को समझाते हुए कहा
“ये सब शादी के बाद भी कर सकते है अक्षत जी !”,मीरा ने कहा
अक्षत ने मीरा का चेहरा अपने हाथो में लिया और प्यार से उसे अपने करीब लाकर कहा,”क्या हुआ है तुम्हे मीरा ? तुम जानती हो इस वक्त में ऑफिस के कामो में इतना उलझा हुआ हु पापा को मुझसे बहुत उम्मीदे है , जैसे ही भाई आता है मैं सारा काम उन्हें सौंपकर पापा से हमारे रिश्ते की बात कर लूंगा ,, वैसे भी अभी मैं शादी जैसी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार नहीं हु , मेरे एग्जाम का रिजल्ट बाकि है !”
“वो ले जायेगे हमे”,मीरा ने लगभग रोते हुए कहा
“कौन ? कौन ले जाएगा तुम्हे ? तुम सिर्फ मेरी हो ऐसे कैसे कोई तुम्हे ले जा सकता है !!”,अक्षत ने कहा
“आप समझ नहीं है रहे है , अगर हमारी शादी हो गयी तो फिर उनका कोई हक नहीं बनता हम पर ,, कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता !”,मीरा रो पड़ी उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ! अक्षत ने उसे सम्हाला और कहा,”मीरा , मीरा मेरी बात सुनो , मेरे होते हुए कोई तुम्हे नहीं ले जा सकता ! तुम सिर्फ मेरी हो और मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा ट्रस्ट मी मीरा !!”
मीरा ने कुछ नहीं कहा और वहा से जाने लगी अक्षत की बातो से पहली बार उसका विश्वास डगमगाने लगा था ! जैसे ही मीरा जाने लगी अक्षत ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”मीरा ऐसे मत जाओ”
मीरा रुक गयी अक्षत उसके सामने आया उसके आंसू पोछे और कहने लगा,”बस कुछ वक्त की मोहलत चाहिए मीरा , मैं सब सही कर दूंगा ,, तुम्हे कही नहीं जाने दूंगा हम हमेशा साथ रहेंगे , खुश रहेंगे बस कुछ वक्त मैं ऐसे एकदम से पापा से हमारी शादी की बात नहीं कर सकता मीरा , अपनी मोहब्बत को सही साबित करने का एक मौका तो दो ,, मैं नहीं जानता वो कौनसा डर है जिससे तुम इतना परेशान हो रही हो पर मैं तुम्हे ऐसी हालत में नहीं देख सकता
मीरा ने अक्षत की आँखों में देखा और कहा,”अगर नहीं देख सकते तो फिर कर लीजिये न शादी !”
अक्षत खामोश हो गया वह खुद नहीं समझ पा रहा था की ऐसी स्तिथि में वह क्या करे ? मीरा ने उसे चुप देखा तो वहा से चली गयी और इस बार अक्षत ने उसे नहीं रोका !!

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संजना किरोड़ीवाल

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