Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 21

Tere Ishq Me – 21

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

बेहोशी की हालत में साहिबा ICU वार्ड में लेटी हुई थी। उसका हाथ थामे पार्थ वही पास में ही बैठा था। साहिबा के साथ बिताये पल एक एक करके उसकी आँखों के सामने आते जा रहे थे। कुछ देर बाद नर्स आती है और पार्थ को बाहर जाने के लिए कहती है। पार्थ उठा और बाहर चला आया।
“कैसी है साहिबा ?”,प्रिया ने पार्थ से पूछा
“ठीक नहीं है”,पार्थ ने उदास स्वर में कहा और जाकर कुछ ही दूर पड़ी बेंच पर बैठ गया। प्रिया और रुबीना एक एक करके अंदर गयी और साहिबा को देखकर वापस आ गयी। साहिबा की ये हालत किसी से देखी नहीं जा रही थी। तीनो ख़ामोशी से बाहर बैठे थे। कुछ देर बाद मेहुल अश्विनी , पल्लवी और ध्रुव के साथ वहा आया। पल्लवी ने पार्थ को देखा तक नहीं और सीधा ICU की तरफ बढ़ गयी। अंदर आकर जब उसने साहिबा को देखा तो उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। उसका दिल भर आया। वह आकर साहिबा के बगल में पड़ी कुर्सी पर बैठी और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहने लगी,”मुझे माफ कर दो साहिबा , तुम्हारी इस हालत की जिम्मेदार मैं हूँ ,, काश मैंने तुम्हे समझा होता , काश मैंने एक बार तुम्हारे दिल की बात सुनी होती तो आज ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी खुशियों के लिए मैं इतनी खुदगर्ज हो गयी की मैंने तुम्हे भुला दिया। तुम हमेशा मुझसे कहती रही की तुम मुझे अपनी फॅमिली समझती हो लेकिन मैं कभी तुम्हे अपना ही नहीं पाई,,,,,,,,,,,,,,मैंने तुम्हे बहुत तकलीफ दी है साहिबा,,,,,,,,,,,,,प्लीज उठ जाओ मैं वादा करती हूँ सब भूलकर हम सब फिर से एक नयी जिंदगी की शुरुआत करेंगे ,, हमारी दोस्ती इतनी भी कमजोर नहीं है साहिबा , तुम मेरी दोस्त थी हो और हमेशा रहोगी,,,,,,,,,,,,,,कुछ तो बोलो , मुझे तुम्हारी आवाज सुननी है , तुमसे बातें करनी है। कल जब तुम घर से जा रही थी तो दिल किया तुम्हे रोक लू,,,,,,,,,,काश तुम्हे रोक लिया होता। अपनी गलतियों के लिए मैं तुमसे जितनी बार माफ़ी मांगू कम होगी शायद , मैंने तुम्हारा दिल दुखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी,,,,,,,,,,,,,,मुझे माफ कर दो साहिबा , मुझे माफ़ कर दो”
कहते हुए पल्लवी साहिबा का हाथ अपने ललाट से लगाकर रोने लगी। पल्लवी के आंसू साहिबा के हाथ को भिगाने लगे। दरवाजे के बाहर खड़ा अश्विनी सब देख रहा था जब उसने पल्लवी को इमोशनल देखा तो अंदर आया और उसे उठाते हुए कहा,”हिम्मत रखो पल्लवी कुछ नहीं होगा इसे , इस साहिबा को आराम की सख्त जरूरत है प्लीज बाहर चलो”
“लेकिन अश्विनी साहिबा,,,,,,,,,,,उसकी ये हालत मेरी वजह,,,,,,,,,,,,,!”,कहते कहते पल्लवी फिर रो पड़ी
“पल्लवी तुम ये सब मत सोचो , साहिबा ठीक हो जाएगी डॉक्टर ने कहा है ना ,, चलो बाहर चलो”,कहते हुए अश्विनी पल्लवी को बाहर ले आया। पल्लवी के बाहर आते ही रुबीना और प्रिया ने उसे सम्हाला। पल्लवी उन दोनों के गले लगकर रो पड़ी। कुछ देर पल्लवी उनके गले लगी रही और फिर दूर हुई तो नजर कुछ ही दूर बेंच पर उदास बैठे पार्थ पर चली गयी। पल्लवी ने अश्विनी की तरफ देखा तो अश्विनी ने पल्लवी से पार्थ के पास जाने का इशारा किया। पल्लवी ने अपने आंसू पोछे और पार्थ की तरफ बढ़ गयी। पल्लवी आकर पार्थ के बगल में बैठ गयी। पार्थ की आँखों में आंसू थे और चेहरा दर्द से भरा हुआ था।

पल्लवी ने बेंच पर रखे पार्थ के हाथ पर हाथ रखा तो पार्थ कहने लगा,”पता है दी जब मैंने उस से कहा की मैं उस से बहुत प्यार करता हूँ तो उसने क्या कहा ? उसने कहा की वो आपसे इतना प्यार करती है की आपके लिए मुझे भी छोड़ देगी। साहिबा आपसे बहुत प्यार करती है दी , इतना जितना शायद वो मुझसे भी नहीं करती। आज भी जब वो शादी के लिए घर से निकलने वाली थी तब उसने सबसे पहले आपको फोन लगाया , उसने कहा की वो आपके बिना ये शादी नहीं कर सकती।”
“मैंने तुम दोनों का प्यार समझने में बहुत वक्त लगा दिया पार्थ , उसकी दोस्त होकर भी मैं कभी समझ नहीं पाई की उसके मन में क्या है ? साहिबा हमेशा मुझसे कहती थी की उसका इस दुनिया में मेरे सिवा कोई भी नहीं है फिर भी मैंने खुद को उस से दूर कर दिया , उसे अकेला छोड़ दिया। मैं कभी अच्छी दोस्त नहीं बन पाई पार्थ , ना एक अच्छी बहन , मैंने तुमसे तुम्हारा प्यार छीन लिया , साहिबा से उसके जीने की वजह छीन ली,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,उसे समझने में मैंने बहुत देर कर दी पार्थ,,,,,,,,बहुत देर कर दी”
कहकर पल्लवी सुबकने लगी। पार्थ ने पल्लवी को रोते देखा तो उसे अपने सीने से लगाकर कहा,”मैं उसे कुछ नहीं होने दूंगा दी , उसे कुछ नहीं होगा”
“मुझे माफ़ कर दो पार्थ , मुझे माफ़ कर दो,,,,,,,,,मैं साहिबा को खोना नहीं चाहती”,पल्लवी ने रोते हुए कहा
“इसमें आपकी कोई गलती नहीं है , प्लीज चुप हो जाईये”,पार्थ ने पल्लवी को चुप कराते हुए कहा
ध्रुव पास ही खड़ा उदासी से अपनी माँ और पार्थ को देख रहा था। पार्थ ने ध्रुव की तरफ देखा और उसे अपने पास आने का इशारा किया तो ध्रुव ने पार्थ के पास आकर कहा,”मामू क्या हुआ आप और मम्मा क्यों रो रहे हो ? हम यहाँ क्यों आये है ?”
पार्थ ने कुछ नहीं कहा बस ध्रुव के सर पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ कर उसके बालो को होंठो से छू लिया। पार्थ के सीने से लगी पल्लवी को ध्रुव ने रोते देखा तो अपनी नन्ही नन्ही उंगलियों से उसके आंसू पोछते हुए कहा,”मत रोईए मम्मा , सब ठीक हो जाएगा ,, Buddy ठीक हो जाएगी”
ध्रुव की बातें सुनकर पार्थ की आँखों में फिर आंसू आ गए वह वहा से उठकर चला गया।
सुबह से शाम होने को आयी लेकिन साहिबा को होश नहीं आया। मेहुल के कहने पर अश्विनी पल्लवी और ध्रुव को लेकर घर चला गया। रुबीना प्रिया और मेहुल भी रुबीना के फ्लेट पर चले गए। पार्थ के साथ लक्ष्य रुक गया , मुश्किल से उसने पार्थ को चाय और कुछ बिस्किट खिलाये। शाम में जब डॉक्टर राउंड अप के लिए आया तो पार्थ ने उनसे साहिबा के होश में आने की बात पूछी।
“पेशेंट को हाई डोज इंजेक्शन लगे है इसलिए थोड़ा वक्त लगेगा पर सुबह तक होश आ जाएगा आप परेशान मत होईये”,कहकर डॉक्टर वहा से चला गया
डॉक्टर के जाने के बाद लक्ष्य और पार्थ बेंच पर आ बैठे। नर्स की जगह अब दूसरा स्टाफ आ चुका था। पार्थ ने जब साहिबा के पास जाने की बात की तो वार्ड बॉय ने मना कर दिया। पार्थ ने बहुत रिक्वेस्ट की लेकिन उसे साफ साफ मना कर दिया क्योकि ICU में इस तरह पेशेंट के पास रुकना हॉस्पिटल के रूल्स के खिलाफ था। पार्थ मायूस सा वही दरवाजे के पास दिवार से पीठ लगाकर बैठ गया और साहिबा को देखने लगा। वार्ड बॉय को पार्थ पर दया आ गयी और उसने पार्थ को वहा बैठने दिया। लक्ष्य वही बेंच पर बैठे बैठे ही सो गया , लेकिन पार्थ रात भर जागता रहा। एक पल भी ऐसा नहीं गुजरा था जब पार्थ ने नींद ली हो। सुबह तक वह उसी दरवाजे के पास बदहवास सा बैठा साहिबा को देखता रहा।

सुबह 6 बजे डॉक्टर जब राउंड पर आये तो पार्थ उठा और साइड ही गया। डॉक्टर ने साहिबा का चेकअप किया , कुछ देर पहले ही साहिबा को होश आया था। उन्होंने आगे का ट्रीटमेंट लिखा और ICU से बाहर आकर पार्थ से कहा,”उन्हें होश आ गया है आप जाकर उनसे मिल सकते है”
डॉक्टर ने जैसे ही कहा पार्थ जल्दी से अंदर गया उसने देखा साहिबा को होश आ गया है , वह अधखुली आँखों से पार्थ को देख रही थी। पार्थ कुर्सी पर आ बैठा और साहिबा के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा,”तुम ठीक हो ना ?”
पार्थ की आवाज में दर्द था जो साहिबा महसूस कर सकती थी उसने धीरे से तकलीफ से भरकर कहा,”पार्थ , मुझे नहीं लगता मेरे पास ज्यादा वक्त है”
“शशशशशशश ऐसा मत कहो , मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा”,पार्थ ने अपना हाथ साहिबा के होंठो पर रखते हुए कहा। मॉनिटर लगे हाथ से साहिबा ने पार्थ के हाथ को अपने मुंह से हटाया और कहा,”मुझे माफ़ कर दो मैं तुम्हे कोई ख़ुशी नहीं दे पाई , हमारा मिलना किस्मत,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”
“ऐसी बाते मत करो साहिबा प्लीज,,,,,,,प्लीज,,,,,,,,,,,,,प्लीज”,कहते हुए पार्थ ने साहिबा के हाथ को अपने दोनों हाथो में लेकर अपने ललाट से लगाते हुए कहा। साहिबा ने पार्थ को सिसकते देखा तो अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया। उसकी आँखों से आंसू बहकर गिरने लगे। पार्थ ने उसके हाथो को थामे रखा और कहने लगा,”तुम्हारी आँखों में मैंने हमेशा जीने की चाह देखी है साहिबा तुम मुझे ऐसे अकेले छोड़कर नहीं जा सकती”
“पार्थ,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,साहिबा ने अपने आंसू पोछे और चेहरा पार्थ की तरफ घुमाते हुए कहा
“हाँ हाँ साहिबा”,पार्थ ने कहा
“एक बार मुझे सबसे मिलना है , मिलवाओगे”,साहिबा ने कहा
“हम्म्म्म “,पार्थ ने हाँ में गर्दन हिला दी और अपना सर साहिबा के बगल में टिकाते हुए कहा,”पहले मुझसे वादा करो की तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी , मुझे छोड़कर कही नहीं जाओगी”
“ऐसे वादे किस काम के पार्थ जिन्हे पूरा ना किया जा सके,,,,,,,,,,!”,साहिबा ने दार्शनिक अंदाज में कहा
पार्थ की आंखों में फिर नमी तैरने लगी वह उठा और ICU से बाहर आ गया। साहिबा की ऐसी बातो से उसे अजीब सी बेचैनी होने लगी , लगा जैसे वह हमेशा हमेशा के लिए उस से दूर जाने वाली है। पार्थ खड़ा ये सब सोच ही रहा था की रुबीना और प्रिया वहा चली आयी। उन्होंने पार्थ को देखा तो उसके पास आकर कहा,”सब ठीक है ना पार्थ ?”

“साहिबा आप दोनों से मिलना चाहती है”,पार्थ ने कहा तो रुबीना और प्रिया अंदर चली आयी। साहिबा को होश में आया देखकर दोनों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा दोनों के चेहरे खिल उठे। रुबीना ने आकर साहिबा को साइड हग करते हुए कहा,”तुम्हे होश आ गया मैं बहुत खुश हूँ”
“कैसी हो साहिबा ?”,प्रिया ने साहिबा के बगल में बैठते हुए कहा
“हम्म्म्म ठीक हूँ”,साहिबा ने मुश्किल से कहा
प्रिया मुस्कुराई और कहा,”तुझे पता है कितना डर गए थे हम सब , पार्थ तो कल से सोया नहीं है लक्ष्य बता रहा था की रातभर जाग रहा था।”
प्रिया की बात सुनकर साहिबा ने सामने दरवाजे की तरफ देखा। शीशे के बाहर खड़ा पार्थ उसे ही देख रहा था। साहिबा ने प्रिया की और देखा और उसे अपने पास आने का इशारा किया। प्रिया साहिबा के करीब आयी तो साहिबा ने धीरे से कहा,”मेरे जाने के बाद उसका ख्याल रखना , मुझे यकीन है की तुम उसे सम्हाल लोगी”
प्रिया ने जैसे ही सूना उसके चेहरे से ख़ुशी एकदम से गायब हो गयी। उसने साहिबा से कुछ कहने के लिए जैसे ही मुंह खोला साहिबा ने अपनी ऊँगली अपने होंठो पर रखकर कुछ ना कहने का इशारा किया। प्रिया की आँखों में आंसू झिलमिलाने लगे जिन्हे उसने अपनी आँखों में ही रोक लिया। उसे अपने गले में एक तेज दर्द और घुटन महसूस होने लगी। साहिबा की बातो का क्या मतलब था वह समझने की कोशिश कर रही थी। साहिबा ने दूसरी तरफ खड़ी रुबीना उसे ही देखकर मुस्कुरा रही है तो साहिबा ने उसे बैठने का इशारा किया और कहा,”मुझसे एक वादा करोगी ?”
“जाओ दिया”,रुबीना ने खुश होकर कहा
“लक्ष्य को अपने दिल की बात बोल देना , तुम दोनों में मैंने हमेशा खुद को और पार्थ को देखा है। तुम दोनों भी जानते हो की तुम दोनों एक दूसरे को चाहते हो ,,, देर हो इस से पहले उस से कह देना रुबीना”,साहिबा ने दर्दभरी मुस्कान के साथ कहा तो रुबीना ने अपना सर उसके कंधे से लगाकर कहा,”तुम्हे सब दिखता है ना साहिबा , डोंट वरी मैं जल्दी ही उसे बोल दूंगी”
साहिबा उन दोनों से बात कर ही रही थी की तभी अश्विनी और ध्रुव के साथ पल्लवी वहा आयी। पल्लवी को देखकर साहिबा मुस्कुराने लगी , उसकी आँखों में नमी थी और मुस्कुराहट से दर्द साफ झलक रहा था। ध्रुव साहिबा की तरफ आया और मासूमियत से उसे देखने लगा तो साहिबा ने अपने हाथ का पंच बनाकर ध्रुव की तरफ करके कहा,”हे Buddy”
ध्रुव मुस्कुराया और धीरे से अपने हाथ का पंच साहिबा के हाथ से छूकर कहा,”Buddy घर चलो ना , यहाँ अच्छा नहीं लग रहा”
साहिबा ने अपनी ऊँगली अपने गाल पर रख कर ध्रुव को इशारा किया तो ध्रुव उसके पास आया और उसके गाल पर किस करके कहा,”मैंने तुम्हे बहुत मिस किया Buddy”
“आई मिस यू टू एंड आई लव यू”,साहिबा ने मुश्किल से कहा उसे इस वक्त बोलने में बहुत तकलीफ हो रही थी
“आई लव यू टू”,कहते हुए ध्रुव ने इस बार साहिबा के माथे पर किस किया। साहिबा ने आँखे मूंद ली। अश्विनी ने देखा तो कहा,”ध्रुव साहिबा को परेशान मत करो , इधर आओ”
“अश्विनी,,,,,,,,,,,,,,,मुझे पल्लवी से कुछ बात करनी है , थोड़ी देर के लिए सब बाहर जाओगे”,साहिबा ने कहा तो सब पल्लवी को वही छोड़कर ICU से बाहर आ गये। साहिबा ने पल्लवी को बैठने का इशारा किया। पल्लवी आकर साहिबा के बगल में पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी !

साहिबा कुछ देर तक पल्लवी को एकटक देखते रही और फिर कहने लगी,”तुम सिर्फ मेरी दोस्त नहीं थी पल्लवी , बल्कि मेरी फॅमिली थी , मैंने कभी तुम्हे तकलीफ पहुँचाने का नहीं सोचा ना कभी सोच सकती हूँ ,, 5 साल पहले जब तुमने मुझ पर भरोसा नहीं किया वो पल मेरे लिए मरने जैसा था (गहरी साँस लेती है और आँखों में आंसू झिलमिलाने लगते है लेकिन उन्हें आँखों में ही रोक लेती है) मुझे सब मंजूर था , तुम अगर जान देने के लिए भी कहती तो मैं हँसते हँसते दे देती वैसे बुरा नहीं लगा बस थोड़ा दर्द हुआ की जिसे मैं अपना सबकुछ समझती थी उसी ने मुझे नहीं समझा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
साहिबा की बात सुनकर पल्लवी ने उसके हाथ को थाम लिया और कहा,”मुझे माफ़ कर दो साहिबा मैं तुम्हारा और पार्थ का प्यार समझ नहीं पाई ,, मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी साहिबा,,,,,,,,मैंने अपनी दोस्त का दिल दुखाया”
“याद है पल्लवी तुमने कहा था की मैं और पार्थ कभी एक हो नहीं हो सकते , कभी साथ नहीं रह सकते। तुम्हारा कहा सच हो गया पल्लवी”,साहिबा ने दर्द भरे स्वर में कहा
साहिबा ने सूना तो उसे बहुत दुःख हुआ उसने साहिबा की तरफ देखकर कहा,”मेरा वो मतलब नहीं था साहिबा , उस वक्त कुछ समझ नहीं आया तो मैंने कह दिया लेकिन तुम्हारे साथ ऐसा हो ये मै कभी नहीं चाहती थी”
साहिबा के होंठो पर दर्दभरी मुस्कान तैर गयी और उसने आँखों में आंसू भरकर कहा,”दोस्तों की दुआ भले ना लगे पर बद्दुआ लग जाती है पल्लवी”
साहिबा की बात सुनकर पल्लवी की आँखों से आंसू बहने लगे। वह आगे कुछ बोल ही नहीं पाई और उठकर ICU से बाहर चली आयी। उसे रोता देखकर अश्विनी ने उसे सम्हाला तो पल्लवी अश्विनी के सीने से लग फूट फूट कर रो पड़ी। पार्थ दरवाजे के इस पार खड़ा साहिबा को देखता रहा। साहिबा की आँखों में आंसू थे जैसे जी उसकी नजरे पार्थ से मिली उसने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया। पेशेंट से मिलने का समय पूरा हो चुका था इसलिए नर्स ने सबको वहा से जाने को कहा।
पल्लवी बूत बनी बेंच के एक तरफ बैठी थी पास ही अश्विनी उसका हाथ थामे बैठा था और उसे हिम्मत दे रहा था। उनके सामने पड़ी बेंच पर लक्ष्य , रुबीना , प्रिया बैठे थे। पार्थ और मेहुल खड़े थे। सब खामोश थे , किसी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे ना ही कोई ख़ुशी थी बस सब उदास खड़े थे। सुबह से दोपहर होने को आयी। नर्स ICU में आयी तो साहिबा की हालत देखकर उसने तुरंत एमरजेंसी में फोन किया और डॉक्टर को भेजने को कहा। अगले ही पल डॉक्टर और उसकी टीम तुरंत ICU में आयी। डॉक्टर को जल्दी में देखकर पार्थ भी उनके पीछे आया लेकिन उसे बाहर ही रोक दिया सभी। ICU के दरवाजे पर चले आये पार्थ ने देखा साहिबा को साँस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी। पार्थ से ये देखा नहीं गया तो वह अपनी आँखों को पोछते हुए साइड में आ गया। उसने देखा सामने बैठी पल्लवी ख़ामोशी से बस जमीन को घूरे जा रही है। कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आये उनके चेहरे से मायूसी टपक रही थी।
“क्या हुआ डॉक्टर सब ठीक है ?”,अश्विनी ने पूछा
“एक्सीडेंट की वजह से दिमाग की नस में ब्लॉकेज हो चुका है जो किसी भी वक्त फट सकता है”,डॉक्टर ने कहा
“मतलब ?”, अश्विनी ने घबराकर कहा
“आई ऍम सॉरी उनके पास अब ज्यादा वक्त नहीं है”,डॉक्टर ने अश्विनी के कंधे पर हाथ रखकर कहा और अपनी टीम के साथ वहा से चला गया। जैसे ही सबने सूना सकते में आ गये। प्रिया अपने मुंह पर हाथ रखकर रोने लगी। रुबीना की आँखों से भी आंसू बहने लगे ,मेहुल साहिबा से पहली बार अपनी शादी में मिला था लेकिन ये खबर सुनकर उसकी भी आँखे नम हो गयी। कुछ दूर खड़ा पार्थ नीचे देख रहा था। उसे अभी ये पता नहीं था शायद वह सबके पास आया और कहा,”क्या कहा डॉक्टर ने साहिबा ठीक तो हो जाएगी ना ? आप सब चुप क्यों हो ? क्या कहा डॉक्टर ने ?”

“डॉक्टर ने कहा की साहिबा के पास अब ज्यादा वक्त नहीं है”,मेहुल ने हिम्मत करके पार्थ को सच कह दिया। पार्थ ने जैसे ही सूना घुटनो के बल नीचे जा गिरा आँखे पथरा गयी , उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। अश्विनी ने उसे सम्हाला तो पार्थ अपने दोनों हाथो में अपना चेहरा छुपाकर फूट फूट कर रोने लगा। उसे रोता देखकर वह खड़े सबकी आँखों से आंसू बहने लगे। किसी को खोने का दर्द क्या होता है ये साफ दिखाई दे रहा था।
अश्विनी ने पार्थ को गले लगाया और उसे चुप कराते हुए कहा,”आखरी बार उस से मिलना चाहोगे”
पार्थ ने सूना तो गुस्से से उठा और ICU में चला आया। उसने आकर साहिबा से कहा,”उठो , हम यहाँ से दूसरे हॉस्पिटल जायेंगे , मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा चलो यहाँ से,,,,,,,,,,,,,वो डॉक्टर कहता है की तुम्हारे पास सिर्फ कुछ वक्त है,,,,,,,,,,,,,नहीं मैं नहीं मानता झूठ कह रहा है वो , तुम तुम चलो मेरे साथ”
पार्थ बिलख पड़ा साहिबा ने पार्थ को इस हाल में देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ उसने पार्थ की कलाई पकड़ी और उसे अपने पास बैठने का इशारा किया। पार्थ उसके बगल में आ बैठा और उसका हाथ अपने हाथो में लेकर कहा,”मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा साहिबा , तुम मुझे ऐसे छोड़कर नहीं जा सकती”
“पार्थ,,,,,,,,,,,,,,,मेरा सफर यही तक था , हमारा मिलना शायद किस्मत में ही नहीं लिखा था,,,,,,,,,,,,,पर एक बात सच है जो मैं तुमसे कहना चाहती हूँ और वो ये है की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,खुद से भी ज्यादा”
कहते हुए साहिबा की आँखों में आंसू आ गए और आँखों से लुढ़क कर कनपटी को भिगाने लगे। पार्थ ने सूना तो उसके हाथ को अपने होंठो से लगा लिया। उसने बहुत कोशिश की लेकिन उसकी आँखों ने उसका साथ नहीं दिया और वो बहने लगी। साहिबा ने देखा तो कहा,”पार्थ तुम्हे पता है इस दुनिया में मुझे सबसे बुरा क्या लगता है ? तुम्हारी आँखों में ये आँसू , जब भी तुम्हारी आँखों ये आँसू देखती हूँ तो बहुत तकलीफ होती हैं मुझे , मैं सिर्फ तुम्हे खुश देखना चाहती हूँ पार्थ,,,,,,,,,,,,,,,हमेशा”
पार्थ ने सूना तो उसे महसूस हुआ की ये सब कहते हुए साहिबा को बहुत तकलीफ हो रही थी उसने साहिबा की तरफ देखा और कहा,”तो मत जाओ ना साहिबा , तुम्हारे बिना मैं खुश नहीं रह पाऊंगा। मुझे तुम्हारी जरूरत है साहिबा मुझे अकेला छोड़कर मत जाओ प्लीज”
साहिबा ने सूना तो उसका दिल भर आया और आँखों से आँसू बहने लगी भीगी आँखों से उसने पार्थ को देखते हुए कहा,”जिंदगी जब हम कुछ देती है तो बदले में हमसे बहुत कुछ लेती है पार्थ , इस जिंदगी में भले मुझे दिन कम दिए हो पर इन 48 घंटो में मैंने तुम्हारे साथ पूरी जिंदगी जी ली,,,,,,,,,,,,,,,,,अब मुझे जाना होगा”
“शशशशशश ऐसा मत कहो प्लीज प्लीज प्लीज”,पार्थ ने अपना सर झुकाते हुए कहा साहिबा की आँखों मे देखने की उसकी हिम्मत नहीं थी। साहिबा ने एक गहरी साँस ली और कहा,”जाने से पहले मेरी विश पूरी करोगे ?”
“ह्म्म्मम्म”,पार्थ ने अपने होंठ को दाँतो तले दबाकर कहा वो इतना दर्द में था की कुछ बोलने की हिम्मत नहीं हुई
“मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है , वादा करो मेरे मरने के बाद मेरी चिता को अग्नि तुम दोगे ,, मेरी फॅमिली बनकर”,कहते हुए साहिबा की आवाज धीमी पड़ गयी उसकी आँखों से आँसू बहने लगे ,वह आगे कुछ बोलने की कंडीशन में नहीं थी। उसे अहसास हो चुका था की उसके पास अब चंद साँसे ही बची है। पार्थ ने सूना तो उठा और साहिबा को कसकर गले लगाते हुए कहा,”कही नहीं जा रही हो तुम”
। साहिबा के हाथ की पकड़ ढीली हो चुकी थी। उसकी आँखे मूँद चुकी थी , साँसो का कारवाँ रुक गया था और शरीर शिथिल पड़ चुका था। पार्थ के हाथ से जब साहिबा का हाथ छूटकर नीचे जा गिरा तो पार्थ बदहवास सा उठा और कहने लगा,”साहिबा , साहिबा बहुत हो गया। अब उठो ,, साहिबा मैं तुमसे कह रहा हूँ बंद करो ये सब उठो और मेरे साथ चलो,,,,,,,,,,,,,,,,तुम जवाब क्यों नहीं दे रही हो ? नाराज हो मुझसे ?,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ठीक है नाराज रहो लेकिन प्लीज चलो यहा से,,,,,,,,,,,,,हम यहाँ से बहुत दूर चले जायेंगे”
कहते हुए पार्थ ने साहिबा का हाथ उठाया जो की ठंडा पड़ चुका था। पार्थ की नजरे मॉनिटर मशीन पर गयी जिसमे हार्टबीट बंद थी और सीधी लाइन चल रही थी। पार्थ साहिबा के पास आया उसका चेहरा अपने हाथो में लिया और कहने लगा,”साहिबा , साहिबा , उठो साहिबा , साहिबा आज हमारी शादी है ,, साहिबा उठो साहिबा तुम जवाब क्यों नहीं दे रही हो ?,,,,,,,,,,,,,,,साहिबा”

पार्थ को ऐसे देखकर सभी भागकर अंदर आये। साहिबा जा चुकी थी प्रिया ने मॉनिटर मशीन पर हार्टबीट की सीधी लाइन देखी तो पीछे खड़े मेहुल के गले लगकर रो पड़ी | अश्विनी पार्थ के पास आया उसे सम्हाला तो पार्थ ने कहा,”देखो ना जीजू ये जवाब नहीं दे रही है , मैं कब से इस से बात करने की कोशिश कर रहा हूँ , इसे कहो ना मुझसे बात करे”
“पार्थ साहिबा अब इस दुनिया में नहीं रही , वो जा चुकी है”,अश्विनी ने अपना दिल कडा करके कहा
“ह ह नहीं ऐसे कैसे जा सकती है वो ? उसने मुझसे वादा किया था वो हमेशा मेरे साथ रहेगी , आप आप कुछ भी मत बोलो”,पार्थ ने पहले हँसते हुए कहा और फिर एकदम से सीरियस हो गया।
पार्थ एक बार फिर साहिबा की तरफ जाने लगा तो अश्विनी ने उसकी बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ किया और थोड़ी तेज आवाज में कहा,”जा चुकी है वो”
पार्थ ने जैसे ही सूना उसका दिल टूट गया , आँखे पथरा गयी , साँसे कुछ पल के लिए हलक में ही अटक गयी। जब होश आया तो वह बड़बड़ाया,”झूठ , झूठ बोल रहे है आप , साहिबा मुझे छोड़कर नहीं जा सकती , नहीं जा सकती”
“पार्थ वो जा चुकी है , वो हम सबको छोड़कर जा चुकी है”,प्रिया ने आकर पार्थ से कहा तो उसने साहिबा के मृत शरीर को देखा , उसकी आँखों के आँसू आँखो में ही रह गए। वह कुछ बोल ही नहीं पाया लगा जैसे किसी ने एकदम से उसके सीने से दिल निकाल लिया हो। वह दिवार के सहारे खड़ा पथराई आँखों से साहिबा को देखता रहा। कुछ देर बाद डॉक्टर और नर्स आये। उन्होंने साहिबा के मरने की पुष्टि की और उसका चेहरा सफ़ेद चददर से ढक दिया। माहौल काफी दुखद था सबकी आँखों से आँसू बहने लगे। पल्लवी बूत बनी बाहर बेंच पर बैठी थी। साहिबा के मृत शरीर को ले जाने लगे तो ध्रुव पल्लवी के पास आया और कहा,”मम्मा Buddy मर गयी है क्या ?”

पल्लवी ने जैसे ही सूना उसने ध्रुव को खींचकर अपने सीने से लगाया और फूट फूट कर रोने लगी। अश्विनी उसके पास आया उसे सम्हाला। मेहुल ने लक्ष्य से सबको घर ले जाने को कहा और खुद अश्विनी के साथ साहिबा की बॉडी लेने चला गया। पार्थ थके कदमो से बदहवास सा ICU के बाहर आया उसे देखकर वहा खड़ी नर्स का भी मन भारी हो गया। पार्थ को कोई होश नहीं था वह वहा से जाने , उसकी आँखों के सामने साहिबा के साथ बिताये पल एक एक करके आने लगे और कानो में साहिबा की कही बातें गूंजने लगी। चलते हुए वह सामने से आते किसी से टकराया। टकराने वाले ने उसे सॉरी भी बोला लेकिन पार्थ बिना ध्यान दिए आगे बढ़ गया। नीचे आकर वह वेटिंग एरिया में बैठ गया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था , चेहरे पर दर्द साफ नजर आ रहा था , आँखे रोने की वजह से लाल हो चुकी थी और आंसुओ से भरी थी। दो घंटे बाद उन्हें साहिबा की बॉडी मिल गयी। अश्विनी और मेहुल पार्थ और साहिबा की बॉडी को लेकर अश्विनी के घर चले आये। पल्लवी , प्रिया और रुबीना रो रोकर थक चुकी थी , उनके चेहरे उदासियों से घिरे हुए थे और आँखों से आंसू बहते जा रहे थे। साहिबा के पार्थिव शरीर को आँगन में लेटाया गया। पार्थ एक तरफ जाकर खड़ा हो गया , उसकी आँखों से एक भी आँसू नहीं निकला। अश्विनी ने साहिबा के रिश्तेदारों को फोन किया जो दिल्ली में थे लेकिन उन्होंने कहा की उनके पास टाइम नहीं है और फोन काट दिया।
अश्विनी ने पल्लवी के मम्मी पापा को फोन कर दिया उन्हें पता चला तो वे तुरंत वहा चले आये। उन्हें देखते ही पल्लवी फूट फूट कर रोने लगी जैसे तैसे उन्होंने पल्लवी को सम्हाला। ध्रुव को अश्विनी ने पास ही अपने दोस्त के घर भेज दिया। दोहर बाद साहिबा के क्रियाकर्म का इंतजाम किया गया। उसकी अर्थी बनाने का काम पार्थ ने खुद अपने हाथो से किया। जिन हाथो से वह साहिबा की माँग भरने वाला था उन्ही हाथो से वह उसकी अर्थी बना रहा था सबने देखा तो उनकी आँखों में आँसू भर आये लेकिन पार्थ की आँख से एक आँसू नहीं निकला। साहिबा के पार्थिव शरीर को अर्थी पर लेटाया गया। उसे कंधा पार्थ के पापा , लक्ष्य , अश्विनी और मेहुल ने ही दिया। पार्थ उनके आगे आगे अग्नि लेकर चल रहा था। पल्लवी उनके पीछे आयी और कहा,”मुझे भी जाना है”
“बेटा लड़किया नहीं जाती है”,पल्लवी के पापा ने कहा
“मुझे भी चलने दीजिये पापा , आखरी बार साहिबा से माफ़ी मांगना चाहती हूँ शायद इस से मेरे गुनाह कुछ कम हो जाये , प्लीज पापा”,पल्लवी ने रोते हुए कहा पार्थ ने सूना तो उसने हामी भर दी। पल्लवी भी उनके साथ चली आयी।

साहिबा की अर्थी को चिता पर लेटाया गया। अंतिम संस्कार की सभी क्रियाये पार्थ ही कर रहा था। उसने अपने कंधे पर मटका रखा और साहिबा की चिता के चारो और चक्कर काटकर उसे गिरा दिया। पंडित ने पार्थ जलती हुई लकड़ी देनी चाही तो पल्लवी ने कहा,”रुक जाईये”
सभी का ध्यान पल्लवी की तरफ चला गया। वही पार्थ के पास आयी और अपनी हथेली उसके सामने करके कहा,”साहिबा की आखरी इच्छा पूरी नहीं करोगे”
पार्थ ने देखा पल्लवी की हथेली पर सिंदूर की डिब्बी थी ये देखकर पार्थ का दिल भर आया , उसकी आँखे डबडबाने लगी , पल्लवी ने इशारा किया तो पार्थ ने डिब्बी से सिंदूर उठाया और आकर साहिबा की माँग भर दी। पंडित जी ने अग्नि लाकर पार्थ को दी और चिता को अग्नि देने को कहा। पार्थ ने चिता को अग्नि दी , और ये चिता को अग्नि देने वाले हाथ पल्लवी के बी भाई के नहीं बल्कि साहिबा के पति के थे।
पल्लवी पार्थ के पास आयी और उसने गले लगकर फफक पड़ी। उन दोनों ने क्या खोया था ये सिर्फ वो दोनों जानते थे। सभी घर आ गए। उस शाम किसी ने खाना नहीं खाया। पल्लवी की मम्मी ने जबरदस्ती पल्लवी को सुलाया और फिर पार्थ के पास आकर उसका सर सहलाने लगी। पार्थ की आँखों में नींद नहीं थी।
अगली सुबह लक्ष्य और रुबीना अपने घर चले गए , प्रिया और मेहुल को अश्विनी ने भेज दिया क्योकि उनकी नयी नयी शादी हुई थी और वह नहीं चाहता था दोनों ऐसे माहौल में रहे। पल्लवी के मम्मी पापा कुछ दिन वही रुक गए। पार्थ भी उनके साथ ही था।

साहिबा को गए एक हफ्ता गुजर गया लेकिन पार्थ उसकी यादों से बाहर नहीं निकल पाया। इन 7 दिनों में उसकी आँखों से एक आँसू नहीं निकला और सबको यही डर था की पार्थ गम में ना चला जाये। एक शाम सभी बैठे थे। पल्लवी के मम्मी पापा पार्थ को समझा रहे थे की वह सब भूलकर एक नयी शुरुआत करे तभी बेल बजी। पार्थ उठा और दरवाजा खोला तो सामने लक्ष्य खड़ा था। पार्थ ने उसे अंदर आने को कहा। लक्ष्य अंदर चला आया उसके हाथ में एक सूटकेस और एक बैग था। उसने दोनों पार्थ की तरफ बढाकर कहा,”ये साहिबा का सामान है”
पार्थ ने सूटकेस और बैग लिया और कमरे की तरफ बढ़ गया चलते हुए बैग उसके हाथ से छूटकर गिर गया उसने बैग उठाया तो उसमे रखी एक किताब जमीन पर आ गिरी। पार्थ ने उसे उठाया। वर्ड्स से बनी का लड़की की तस्वीर जिसकी आँखे काफी चमकदार थी। पार्थ ने किताब का आखरी पन्ना खोला जैसा की वह हमेशा करता था। आखरी पन्ने पर कुछ लिखा हुआ था जिसे देखकर पार्थ की आँख से पहली बार आँसू गिरा। उस आखरी पन्ने पर लिखा था

अपनी जिन्दगी के आखरी के पलों में
मैं सिर्फ तुमसे मिलना चाहूंगी
तुम्हे बताना चाहूंगी की कितना पसंद थे तुम मुझे
घर की दीवारों से लेकर फोन की स्क्रीन तक पर
मैंने तुम्हारी तस्वीरों को सजाया हुआ था
उन आखरी पलों में मैं तुम्हे बताना चाहूँगी
की तुम्हे लेकर मैं हमेशा ना जाने कितनी ही
कविताये , कहानियाँ लिखा करती थी
उन कहानियों के किरदार बिल्कुल तुम्हारी
तरह ही होते थे “दिलकश”
मेरी आँखों में नमी आने लगेगी
साँसे उखड़ने लगेगी
जुबान लड़खड़ायेगी
और हाथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाथ ठंडे पड़ चुके होंगे
पर तुम घबराना मत ,
बस मेरे ठंडे पड़ चुके हाथो को अपने हाथो की गर्माहट में
थामे रखना और सुनना मुझे !
उन आखरी पलों में कुछ ख़ास नहीं चाहिए मुझे तुमसे
जब आँखे बंद होने लगे तो बस इतना सा करना
की अपने सीने से लगा लेना
वो
आखरी अहसास काफी होगा मेरे लिए
और लगेगा जैसे मैंने तुम्हे पा लिया था
‘इस दुनिया से उस दुनिया में जाने से पहले ——————– साहिबा सिंह

पार्थ ने जैसे ही ये पढ़ा अब तक जो आँसूओ का सैलाब उसने अपनी आँखों में रोक रखा था वो बह गया। पार्थ ने रोते हुए किताब के उस आखरी पन्ने को अपने काँपते होठों से छू लिया , सबने आकर पार्थ को सम्हाला तो पार्थ ने किताब पल्लवी को थमा दी। पल्लवी ने पढ़ा तो उसकी आँखों मे भी आँसू भर आये उसने पार्थ को गले लगाते हुए कहा,”वो कही नहीं गयी है यही है हमारे दिलों में”
पार्थ ने अपने आँसू पोछे और पल्लवी के गले लगे हुए दर्द भरी आवाज में कहा,”मौत भी कितनी अजीब है ना दी , मेरी जिंदगी ले गयी”

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समाप्त

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संजना किरोड़ीवाल

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