“तेरे इश्क़ में” – 18
Tere Ishq Me – 18
उधर पार्थ और लक्ष्य के कहने के बाद लड़के ने साहिबा के नाम से अनाउसमेंट की और उसे रिसेप्शन पर आकर मिलने को कहा। साहिबा ने सूना तो उठी और रिसेप्शन पर चली आयी। लड़के ने साहिबा को अपना टिकट देने को कहा। उसने साहिबा का टिकट लेकर उसे केंसल करते हुए साइड में रख दिया और दूसरा टिकट जिसकी फ्लाइट 3 घंटे बाद थी साहिबा को दे दी और कहा,”आई ऍम सॉरी मेम आपकी फ्लाइट तीन घंटे लेट है , कुछ इमरजेंसी की वजह से इस फ्लाइट के सभी पैसेंजर्स को अगली फ्लाइट से जाना होगा , आई ऍम सॉरी फॉर दिस”
साहिबा ने सूना और कहा,”इट्स ओके”
“योर वेलकम मेम”,साहिबा ने टिकट अपने पर्स में रखा और वहा से आकर वेटिंग एरिया में बैठ गयी। लड़के ने लक्ष्य को फोन लगाकर बताया तो लक्ष्य ख़ुशी से भर गया। अब सभी को बस दिल्ली पहुँचने की जल्दी थी। उधर साहिबा अकेले बैठे बैठे बोर हो गयी तो वह उठी और बुक शॉप की तरफ चली आयी। किताबे देखते हुए साहिबा ने रॉ में रखी एक किताब उठायी। किताब के कवर पेज पर एक मुस्कराती हुई लड़की की ब्लैक & व्हाइट तस्वीर थी जिसकी आँखो में चमक थी। उसी तस्वीर से लगकर किताब का नाम लिखा हुआ था “तेरे इश्क़ में”
साहिबा ने उस किताब को खरीदा और आकर वापस वेटिंग एरिया में बैठ गयी। साहिबा कई देर तक उस कवर पेज को देखते रही। किताब पर लिखे उस नाम को पढ़कर साहिबा को एक बार फिर पार्थ का ख्याल आने लगा। कही ना कही वह भी तो उसके इश्क़ में ही थी,,,,,,,,,,,,,,साहिबा बैठकर किताब पढ़ने लगी। पढ़ते पढ़ते कब दो घंटे निकल गए उसे पता ही नहीं चला। किताब भी लगभग खत्म हो चुकी थी किताब का आखरी पन्ना खाली देखकर साहिबा ने अपने पर्स से पेन निकाला और किताब के पहले पन्ने पर कुछ लिखने लगी। लिखते हुए सहसा ही उसके हाथ काँप रहे थे और आँखे नम थी पर साहिबा ने लिखना जारी रखा।
लिखने के बाद साहिबा ने किताब बंद की और साइड में रखे अपने बैग पर रख ली।
पार्थ सबके साथ दिल्ली पहुँच चुका था। लक्ष्य जैसे ही जीप एयरपोर्ट जाने वाले रास्ते की तरफ घुमाई प्रिया ने रोक दिया और कहा,”हम एयरपोर्ट नहीं जायेगे”
“क्यों ?”,मेहुल ने कहा और बाकि सब भी उसके साथ प्रिया को हैरानी से देखने लगे।
“पार्थ साहिबा से कितना प्यार करता है ये पार्थ ने दिखा दिया लेकिन साहिबा के मन में पार्थ के लिए जो फीलिंग्स है उनका भी बाहर आना जरुरी है। एयरपोर्ट पर पार्थ और हम सब जाकर उस से मिले तब भी वो नहीं रुकेगी।”,प्रिया ने कहा
“मैं कुछ समझा नहीं”,पार्थ ने कहा
“पार्थ जितना प्यार तुम साहिबा से करते हो , साहिबा भी तुमसे उतना ही प्यार करती है लेकिन पल्लवी की वजह से उसने अपनी फीलिंग्स को रोक रखा है। हमे ऐसी सिचुएशन पैदा करनी होगी जिस से साहिबा पार्थ के सामने अपनी फीलिंग्स जाहिर कर दे। एक बार उसने ऐसा कर दिया तो वह वापस नहीं जा पायेगी”,प्रिया ने कहा
“बात तो तुम सही कह रही हो प्रिया लेकिन कही ये सब से साहिबा और हर्ट ना हो जाये”,रुबीना ने कहा
“पर हमे ये करना होगा रुबीना अगर नहीं किया तो साहिबा कभी भी उन सब फीलिंग्स को बाहर निकाल नहीं पायेगी और घुटते रहेंगी उनके साथ ,, हमे ये करना होगा ,, तुम्हारा दिल क्या कहता है पार्थ ?”,प्रिया ने पार्थ के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए कहा
“मुझे सिर्फ साहिबा अपने साथ चाहिए , वैसी ही जैसी वो मुझसे 5 साल पहले मिली थी”,पार्थ ने कहा
“लक्ष्य जीप रुबीना के फ्लैट की तरफ मोड़ दे , साहिबा अब वही आएगी”,प्रिया ने कुछ सोचते हुए कहा। सभी वही दिल्ली में रुबीना के फ्लैट पर चली आये। फ्लैट पर आकर प्रिया साहिबा को फोन लगाने लगी। पार्थ का मन बैचैन था उसने प्रिया के पास आकर कहा,”दी हम सही तो कर रहे है ना ? मैं फिर से साहिबा को हर्ट नहीं करना चाहता”
“पार्थ ट्रस्ट मी तुमने भले साहिबा से प्यार किया हो पर हम सब भी उसके दोस्त है , हम में से कोई भी उसे हर्ट करने की नहीं सोचेगा”,प्रिया ने कहा तो पार्थ ने हाँ में गर्दन हिला दी।
“पार्थ कॉफी”,रुबीना ने पार्थ को कॉफी का कप देते हुए कहा।
प्रिया ने साहिबा को फोन लगाया। एक दो रिंग के बाद साहिबा ने फोन उठाया और कहा,”प्रिया प्लीज , मैं जानती हूँ मैं जो कर रही हूँ सही नहीं कर रही लेकिन
मुझे जाना होगा। पल्लवी ने मुझे माफ़ कर दिया इस से ज्यादा मुझे अपनी जिंदगी में और कुछ,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“साहिबा पार्थ को,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!”,प्रिया ने जानबूझकर बात अधूरी छोड़ दी
साहिबा ने जैसे ही सुना घबराकर कहा,”क्या हुआ पार्थ को ? प्रिया तुम चुप क्यों हो बताओ ना क्या हुआ ? पार्थ ठीक तो है ना,,,,,,,,,,,,,प्रिया कुछ तो बोलो”
साहिबा की आवाज से डर और घबराहट साफ़ झलक रही थी। प्रिया ने शांत भाव से कहा,”साहिबा मैं एड्रेस सेंड करती हूँ तुरंत वहा पहुंचो फोन पर मैं तुम्हे ये सब नहीं बता सकती”
“हाँ हाँ मैं आती हु”,साहिबा ने काँपते होठो से कहा। प्रिया ने फोन काट दिया और सबसे कहा,”साहिबा आ रही है , तुम सबको पता है ना क्या करना है ?”
“ह्म्मम्म्म्म”,सबने एक साथ कहा
साहिबा ने जब पार्थ का नाम सूना तो घबरा गयी उसे लगा पार्थ खतरे में हो या उसके साथ कुछ गलत हुआ हो सोचकर साहिबा ने जल्दी जल्दी में अपना फ़ोन और किताब हैंड बैग में डाला और लेकर वहा से निकल गयी ,जल्दी जल्दी में साहिबा ने अपना सूटकेस और अपनी किताब वही छोड़ दी। साहिबा को जाते देखकर लक्ष्य का दोस्त उसके पीछे भी आया लेकिन तब तक साहिबा वहा से जा चुकी थी। प्रिया ने उसे जो एड्रेस भेजा था साहिबा तुरंत वहा के लिए निकली। दिल्ली में इतने साल रही थी वो दिल्ली की सड़को और गलियों से अनजान नहीं थी। साहिबा बार बार ऑटो वाले से जल्दी चलने को कह रही थी। घबराहट और डर के मारे साहिबा के होंठ काँप रहे थे। इतने सालो बाद वह पार्थ से मिली थी जाते जाते वह उसे लेकर कुछ भी गलत नहीं सुनना चाहती थी। बेचैनी से वह अपनी उंगलियों को तोड़ने मरोड़ने लगी। ऑटोवाले ने देखा मिरर में देखा तो कहा,”मैडम आप ठीक तो है ना ?”
“हाँ , हाँ हां भैया आप प्लीज थोड़ा जल्दी चलिए प्लीज”,साहिबा ने ऑटो ड्राइवर से कहा और फिर खुद में बड़बड़ाने लगी,”तुम्हे कुछ नहीं होगा पार्थ , मैं तुम्हे बहुत तकलीफ दे रही हूँ लेकिन मैं कभी नहीं चाहूंगी की मैं पल्लवी की नजरो में खटकू ,, 5 साल बाद उसने मुझे माफ़ कर दिया लेकिन तुम्हे हर्ट करने के लिए मैं खुद को आज भी माफ़ नहीं कर पाई हूँ। हम दोनों एक दूसरे के लिए नहीं बने है पार्थ दोस्ती और प्यार के रिश्ते में से कभी कुछ छोड़ना पड़े तो प्यार को छोड़ देना चाहिए,,,,,,,,,!! मैंने भी वही किया है लेकिन इसकी कीमत तुम्हे चुकानी पड़े मैं ये कभी नहीं चाहूंगी,,,,,,,,,,,,,,आई हॉप की तुम ठीक हो !”
“मैडम पहुँच गए”,ऑटोवाले ने कहा तो साहिबा जल्दी से ऑटो से उतरी किराया दिया और तेज तेज कदमो से बिल्डिंग की तरफ चली आयी।
साहिबा ऊपर 3rd पर आयी और आकर फ्लैट की बेल बजा दी। दरवाजा खुला साहिबा जल्दी से अंदर चली आयी , अंदर बहुत अँधेरा था दरवाजा बंद हो गया। साहिबा ने पलटकर देखा लेकिन कोई नहीं था।
“प्रिया , प्रिया”,साहिबा ने काँपते होंठो से कहा
कोई जवाब नहीं आया बल्कि एक हल्की नीली रौशनी चारो और फ़ैल गयी। साहिबा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था , धीमी आवाज में कोई बहुत ही सेड रोमांटिक धुन बजने लगी। अगले ही पल साहिबा की नजर सामने गयी रुबीना और लक्ष्य खड़े थे दोनों उन सारे मोमेंट्स को दिखा रहे थे जो पार्थ और साहिबा ने साथ साथ जिए थे। पहली बार उनका एक दूसरे से टकराना , ट्रेन में एक दूसरे के सामने बैठकर एक दूसरे को चोरी छुपे देखना , पार्थ का साहिबा को रोल ऑफर करना , साहिबा को देखकर पार्थ का सिगरेट फेकना , साहिबा का हल्दी वाले हाथो को पार्थ के सीने पर लगना , चाय पीते हुए साहिबा का अपने फोन से पार्थ का फोटो लेना , साहिबा का पार्थ को तोहफा देना , साहिबा का डांस , उसका पार्थ के साथ बारिश में भीगना , पार्थ का उसे अपनी जैकेट देना , अकेले में फिर साहिबा का उस जैकेट को छूकर मुस्कुराना,,,,,,,,,,,,,,,,,ये सब मोमेंट्स रुबीना और लक्ष्य ने बहुत ही खूबसूरती से बयां किये। साहिबा बस अपलक उन दोनों को देखे जा रही थी उसकी आँखों में नमी और होंठो पर मुस्कुराहट थी। मेहुल और प्रिया के साथ खड़ा पार्थ साहिबा के चेहरे को देख रहा था।
इतने मोमेंट्स के बाद रुबीना और लक्ष्य एकदम से गायब हो गए और उसके बाद मेहुल और प्रिया आये। एक बहुत ही सेड धुन के साथ उन्होंने साहिबा और पार्थ की कहानी के मोमेंट्स दिखाने शुरू किये जिसमे दोनों का बिछड़ना , 5 साल में दोनों का अकेलापन , 5 साल बाद वापस मिलना , एक दूसरे के लिए परवाह और प्यार सब शामिल था। साहिबा ने ये सब देखा तो अपनी आँखों में भरे आंसुओ को रोक नहीं पायी , उसके दोस्तों ने जो मोमेंट्स दिखाए थे वो सिर्फ कुछ मोमेंट्स नहीं थे बल्कि साहिबा का बिता हुआ कल था जिसे साहिबा आज भी भूल नहीं पायी थी।
साहिबा अपना चेहरा अपने हाथो में छुपाकर रोने लगी , सभी लाइट्स एकदम से जल उठी प्रिया जो करना चाहती थी वो हो चुका था। साहिबा जिसने अब तक खुद को रोक रखा था , आज पहली बार सबके सामने फूट फूट कर रो रही थी। उसकी आँखे और चेहरा लाल हो चुका था। पार्थ उसके सामने आया और उसके हाथो को उसके चेहरे से हटाया। साहिबा ने देखा उसके सामने पार्थ खड़ा था , चेहरे पर उदासी और अपनी आँखों में ढेर सारा प्यार लिए। पार्थ ने साहिबा के आंसू पोछे और उसके चेहरे को अपने हाथो में लेकर सर्द आवाज में कहने लगा,”पता है ये 5 साल ऐसे क्यों गुजरे,,,,,,,,,,,,,,,,,,क्योकि हम कभी देख ही नहीं पाए थे की हमारे दिलो में एक दूसरे के लिए इतना प्यार है इतनी सारी फीलिंग्स है। हो सकता है मैं तुम्हारे लिए परफेक्ट नहीं हूँ लेकिन मैं जिंदगी में कभी तुम्हे अकेले नहीं छोडूंगा , हमेशा तुम्हारा साथ दूंगा , तुम्हे हर ख़ुशी दूंगा।”
ये सब कहते हुए पार्थ की आँखों में आँसू भर आये और उसकी आवाज भी उदासी से भर गयी। साहिबा की आँखों से आंसू फिर बहने लगे उसका चेहरा और नाक लाल हो चुके थे उसने पार्थ की आँखों में देखते हुए कहा,”रिश्ते कभी परफेक्ट नहीं होते पार्थ उन्हें परफेक्ट बनाना पड़ता है”
साहिबा की बात सुनकर पार्थ को लगा साहिबा फिर से उसे ना कह देगी और इस बार वह उसकी ना नहीं सुनना चाहता था , उसने अपनी आँखे मूँद ली जिस से आंसू उसके गालो पर लुढ़क आये और धीरे से कहने लगा,”प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज प्लीज,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज”
“Marry Me पार्थ”,साहिबा ने दर्दभरी आवाज में कहा पार्थ ने जैसे ही सूना उसने अपनी आँखे खोली साहिबा भीगी आँखों से उसे ही देख रही थी।
“तुमसे मिलना मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत सच है और इस सच को मैं झुठला नहीं सकती”,साहिबा ने कहा तो पार्थ ने कुछ नहीं कहा बस आगे बढ़ कर साहिबा को गले लगा लिया और अपनी आँखे मूँद ली। दोनों की आँखों से आँसू बहने लगे , वो आँसू जिन्हे अब तक दबा रखा था।
उन्हें देखकर मेहुल , प्रिया , लक्ष्य और रुबीना की भी आँखे भर आयी। प्रिया तो मेहुल के गले आ लगी। “प्यार” दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है सबने सूना था पर आज उस खूबसूरती को सब देख भी रहे थे। साहिबा और पार्थ कई देर तक एक दूसरे के गले लगे रहे। उन्हें साथ देखकर सभी खुश थे
Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18 Tere Ishq Me – 18
क्रमश – Tere Ishq Me – 19
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संजना किरोड़ीवाल
Kya hoga Pallavi ka reaction in dono ko sath dekh
Hope so pallavi inki feelings aur emotions ko smjhe as a sister bhi aur as a friend bhi🧿
Kya ye itne jaldi khatam ho jayegi
Beautiful❤❤❤❤❤❤❤
Part 💙💙💙💙💙💙💙💙
Finally aaj dono ne except kr liya apne pyar ko
Pta nhi palllavi is Baar bhi samjhegi ya nhi
Maja aa gya Aaj ka part padhke finally sahiba confessed pallavi tho thik ho hi jayegi.