Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 14

Tere Ishq Me – 14

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

“क्या मैं अंदर आ सकती हूँ ?”,साहिबा ने सहजता से कहा
“यस प्लीज”,पार्थ ने साइड होकर कहा। उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था की साहिबा खुद उस से बात करने आयी है। साहिबा अंदर चली आयी तो पार्थ ने दरवाजा बंद कर दिया। पार्थ ने साहिबा को बैठने को कहा तो साहिबा ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से उसे देखते रही। साहिबा का इस तरह देखना उसे बैचैन कर रहा था। कुछ देर बाद साहिबा ने कहा,”यहाँ क्यों आये पार्थ ? ये जानते हुए भी की हमे साथ देखकर परेशानिया बढ़ सकती है फिर भी तुम चले आये , क्यों ?”
“साहिबा वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने कहना चाहा तो साहिबा ने अपना हाथ उसके सामने करके उसे कहने से रोक दिया और खुद कहने लगी,”पार्थ मैं नहीं चाहती की परेशानिया फिर से बढे , इसलिए चाहती हूँ की कल सुबह तुम यहाँ से चले जाओ”
“साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,पार्थ ने कहना चाहा तो साहिबा ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”तुम्हारी कही हुयी बातो का मुझ पर कोई असर नहीं होगा पार्थ , 5 साल पहले जो कुछ भी हुआ है वो सब भूलकर मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हूँ और चाहती हूँ की तुम भी वो सब भूल जाओ,,,,,,,,,,,,,, कल सुबह यहाँ से चले जाना पार्थ”
कहकर साहिबा बिना पार्थ का जवाब सुने वहा से चली गयी। पार्थ की आँखे एक बार फिर नम हो चुकी थी वह ना साहिबा को समझ पा रहा था ना अपनी फीलिंग्स को। साहिबा ने उस से जो कुछ भी कहा था वो सच था या झूठ लेकिन पार्थ का दिल ये मानने को तैयार नहीं था की साहिबा सब भूलकर आगे बढ़ चुकी है। वह आकर बिस्तर पर लेट गया आंसू उसकी आँखों से होते हुए उसकी कनपटी को भीगा गए।
शाम में मेहुल और प्रिया ने सबके साथ “बार” जाने का प्लान बनाया सब तैयार होकर नीचे आ चुके थे बस पार्थ नहीं था। लक्ष्य ने देखा तो कहा,”मैं उसे बुलाकर लाता हु।”
कुछ देर बाद ब्लैक शर्ट और पेंट पहने पार्थ लक्ष्य के साथ नीचे चला आया। उसे देखकर साहिबा को महसूस हुआ की पार्थ पर उसकी बातो का कोई असर नहीं हुआ है। साहिबा ने अपनी नजरे घुमा ली। सभी होटल से बाहर आये और जीप में बैठकर वहा से निकल गए। 15 मिनिट बाद सभी “द लेजी डॉग बार” पहुंचे जो की मनाली का सबसे फेमस बार था। सभी अंदर चले आये। रुबीना और प्रिया साहिबा को साथ लेकर डांस करने चली गयी। मेहुल , पार्थ और लक्ष्य आकर काउंटर के पास पड़ी कुर्सियों पर आकर बैठ गए। मेहुल ने तीन ड्रिंक आर्डर की लेकिन पार्थ ने मना कर दिया और सिर्फ सॉफ्ट ड्रिंक देने को कहा।
डांस करते हुए किसी ने आकर साहिबा के कंधे पर हाथ रखा। साहिबा पलटी तो देखा एक अच्छा खासा दिखने वाला लड़का खड़ा है। लड़के ने साहिबा की तरफ अपना हाथ बढाकर कहा,”डांस ?”
साहिबा ने देखा काउंटर पर बैठा पार्थ उसे ही देख रहा है। पार्थ को ये यकीन दिलाने के लिए की वह अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी है और खुश है उसने लड़के का हाथ थामकर हामी भर दी। लड़का साहिबा के साथ डांस करने लगा , पार्थ ने कोई रिएक्शन नहीं दिया और अपनी ड्रिंक पीता रहा। कुछ देर बाद पार्थ की नजरे फिर साहिबा पर चली गयी , लड़के ने जैसे ही साहिबा की कमर पर अपना हाथ रखा पार्थ का खून जल गया उसने काउंटर पर देखे बिना ही लक्ष्य की ड्रिंक उठायी और एक साँस में पी गया।
“भाई ये वोदका,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,लक्ष्य बस इतना ही कह पाया की इतने में पार्थ उसकी ड्रिंक पी चुका था। उसे वहा घुटन सी महसूस होने लगी तो वह वहा से निकलकर बाहर लॉन में चला आया। साहिबा ने देखा पार्थ वहा नहीं है तो वह लड़के को एक्सक्यूज मी बोलकर काउंटर की तरफ चली आयी और कहा,”एक ग्लास पानी”
“साहिबा तुम ऐसा क्यों कर रही हो ?”,लक्ष्य ने कहा
“क्या ?”,साहिबा ने अनजान बनते हुए कहा
“पार्थ को हर्ट क्यों कर रही हो ?”,लक्ष्य ने कहा
“मेरी लाइफ है लक्ष्य मैं कुछ भी करू , उस से अगर कोई हर्ट हो रहा है तो उसमे मेरी गलती नहीं है”,साहिबा ने कहा
“या यू आर राईट , 5 सालो में कुछ ज्यादा ही बदल गयी हो साहिबा ,,, एन्जॉय”,कहकर लक्ष्य वहा से चला गया
“आई ऍम सॉरी लक्ष्य मेरे ये सब करने के पीछे की वजह तुम नहीं समझ पाओगे , आज मैंने जो किया उस से वो इंसान सिर्फ एक बार हर्ट होगा ताकि उसे जिंदगी भर हर्ट ना होना पड़े”,साहिबा ने मन ही मन कहा और वहा रखा पानी का गिलास पीकर बाहर चली आयी।

बाहर मेहुल ने खाने का अरेजमेंट किया था सभी वहा आकर बैठ गए। पार्थ कुछ ही दूर अपसेट खड़ा था मेहुल ने उसे आवाज लगाई तो पार्थ ने कहा,”मेरा मन नहीं है तुम सब खाओ”
“मैं उसे लेकर आती हूँ”,प्रिया ने उठने की कोशिश करते हुए कहा तो मेहुल ने उसका हाथ पकड़कर उसे वापस बैठा लिया और कहा,”नहीं प्रिया इन दोनों को अपना रिश्ता खुद समझने दो , यहाँ साहिबा को परेशान होना चाहिए तुम्हे नहीं। खाना खाओ”
मेहुल एक बहुत ही समझदार लड़का था साहिबा और पार्थ बीच जो फीलिंग्स थी उनसे वह भी अनजान नहीं था लेकिन इस बार वह चाहता था की दोनों अपनी अपनी फीलिंग्स खुद जाहिर करे बिना किसी की मदद के। सभी खाना खाने लगे , साहिबा को अंदर ही अंदर बुरा लग रहा था लेकिन उसने खुद को सख्त रखा ,, हालाँकि निवाले उसके गले से नीचे नहीं उतर रहे थे। कुछ देर बाद वह लड़का आया जो कुछ देर पहले साहिबा के साथ डांस कर रहा था उसने आकर कहा,”हे गाइज सॉरी तो डिसट्रब यू बट इट्स माय बर्थडे एंड आज का ये बिल मैं पे करना चाहता हूँ इफ यू डोंट माइंड ?”
“हैप्पी बर्थडे”,साहिबा को छोड़कर सबने एक साथ कहा। साहिबा का पूरा ध्यान इस वक्त पार्थ पर था जो अपने दिल की तकलीफ को अपने चेहरे पर आने देना नहीं चाहता था और बार बार अपने होंठो को दबाकर अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।
“थैंक्यू , क्या मैं आप सबको ज्वाइन कर सकता हूँ ?”,लड़के ने पूछा
“यस प्लीज”,मेहुल ने कहा तो लड़का साहिबा के बगल में पड़ी खाली कुर्सी पर आ बैठा। उसने सबको अपना इंट्रो दिया और फिर सबसे उनका नाम पूछकर साहिबा की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”ऋत्विक एंड यू ?”
“साहिबा सिंह”,साहिबा ने कहा लेकिन हाथ नहीं मिलाया तो ऋत्विक ने अपना हाथ नीचे कर लिया। उसने वेटर से कहकर एक शेम्पेन मंगवाई और सबके साथ शेयर की। साहिबा बस ख़ामोशी से सब देखे जा रही थी। पार्थ को खाली खड़े देखकर लक्ष्य उठा उसने शैम्पेन का एक ग्लास उठाया और पार्थ की तरफ बढ़ गया उसके पास आकर गिलास उसकी तरफ बढाकर लक्ष्य ने कहा,”ये लो इस से तुम्हे तकलीफ थोड़ी कम होगी”
पार्थ ने लक्ष्य की बात सुनी और उस से ग्लास ले लिया लेकिन पी नहीं , वह बस साहिबा को देखे जा रहा था। खाना खाते हुए जरा सा खाना साहिबा के होंठो के साइड में लग गया। ऋत्विक ने देखा तो उसे अपने हाथ से हटा दिया और ये बात पार्थ को इतनी तकलीफ दे गयी की उसने हाथ में पकडे कांच के गिलास को हाथ में भींच दिया जिस से ग्लास टूट गया और उस से पार्थ के हाथ में चोट लग गयी और खून बहने लगा। साहिबा ने देखा तो उठी और जल्दी से पार्थ की तरफ आकर उसका हाथ अपने हाथ में लेकर देखते हुए कहा,”पागल हो क्या ? कितना खून बह रहा है”
पार्थ ने देखा ये कहते हुए साहिबा के होंठ डर से काँप रहे रहे थे और आँखे आंसुओ से भरी हुई थी। मेहुल , प्रिया और रुबीना भी वहा चले आये। पार्थ ख़ामोशी से बस साहिबा को देख रहा था। साहिबा ने पास खड़े लक्ष्य से कहा,”देख क्या रहे हो अपना रुमाल दो”
“हाँ एक मिनिट”,कहकर लक्ष्य ने अपने जेब से रुमाल निकाला और साहिबा की तरफ बढ़ा दिया। गनीमत थी की चोट ज्यादा गहरी नहीं लगी थी बस कट लगने से खून बह रहा था। साहिबा ने रुमाल को उसके हाथ के चारो और लपेटा और कहने लगी,”दिमाग ठीक है तुम्हारा क्यों किया ये ? तुम्हे गहरी चोट लग सकती थी , हाथ की नस कट सकती थी , पार्थ बच्चे नहीं हो तुम जो ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मत करो ये सब तक़लीफ होगी तुम्हे”
कहते हुए साहिबा की आँखों में फिर आंसू झलक आये पार्थ ने देखा लेकिन खामोश रहा इस वक्त वह कुछ भी कहना नहीं चाहता था बस ख़ामोशी से देख रहा था की साहिबा को उसके दर्द से कितनी तकलीफ़ पहुँचती है। पार्थ को खामोश देखकर साहिबा वहा से थोड़ी दूर चली गयी आँखों में भरे आंसू जब नहीं रोक पाई तो वे गालो पर आ गए। वह सब कुछ देख सकती थी लेकिन पार्थ को दर्द में नहीं।
प्रिया साहिबा के पीछे चली आयी उधर मेहुल पार्थ को समझाने लगा। प्रिया ने आकर साहिबा के कंधे पर हाथ रखा तो साहिबा ने पलटकर तकलीफ भरे स्वर में कहा,”प्रिया प्लीज मुझे यहाँ से लेकर चल , मैं उसे ऐसे तकलीफ में नहीं देख सकती देखा ना तूने उसने क्या किया ? उसे गहरी चोट लग सकती थी,,,,,,,,,,,,,,प्रिया चल यहा से मैं नहीं देख पा रही हूँ ये सब,,,,,,,,,,,,,,!!”
“साहिबा पार्थ तुमसे बहुत प्यार करता है”,प्रिया ने कहा
“मुझसे प्यार करके सिवाय तकलीफ के उसे कुछ नहीं मिलेगा”,साहिबा ने एकदम से कठोर होकर कहा
“साहिबा एक बार उसे अपनी बात रखने का मौका तो दो”,प्रिया ने तड़पकर कहा
“मेरी वजह से पहले भी वो अपनी बहन और घरवालो की नजरो में गिर चुका है मैं नहीं चाहती दोबारा ऐसा हो”,साहिबा ने प्रिया की आँखों में झांकते हुए कहा
“साहिबा ऐसा कुछ भी नहीं है पल्लवी को हम सब समझायेंगे वो समझ जाएगी”,प्रिया ने कहा
“5 साल पहले भी वो कहा समझी थी ? जो अहसास मर चुके है उन्हें फिर से जिन्दा करने की कोशिश मत करो प्रिया ,, इस रिश्ते में सिवाय बर्बादी के और कुछ भी नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!!”,साहिबा ने तड़पकर कहा
“साहिबा,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,प्रिया ने कहना चाहा तो साहिबा ने उसके सामने हाथ करके उसे रोक दिया और फिर मेहुल की तरफ आकर कहा,”मेहुल जो कुछ भी हुआ है उसके लिए आई ऍम सॉरी , प्लीज सब चलकर खाना खा लो”
मेहुल सबको साथ लेकर आ बैठा ऋत्विक ये सब ड्रामा देखकर पहले ही जा चुका था। पार्थ साहिबा के बगल में ही बैठा था। सभी खामोश थे , रुबीना ने सबको खाना परोसा। सबने खाना शुरू किया , पार्थ ने कुछ देर पहले जो बेवकूफी की थी उसका उसे बहुत दुःख था उसके एक हाथ में रुमाल बंधा था दूसरे हाथ से उसने खाने की कोशिश की ,, परेशान था इसलिए उसका हाथ काँप रहे था। साहिबा ने देखा तो उसने अपना दूसरा हाथ पार्थ के रुमाल बंधे हाथ पर रख दिया। पार्थ को लगा जैसे किसी ने उसके जख्मो पर मरहम रख दिया हो। उसने साहिबा को देखा जो की ख़ामोशी से बस खाना खा रही थी।

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क्रमश – Tere Ishq Me – 15

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