“हाँ ये मोहब्बत है” – 18
Haan Ye Mohabbat Hai – 18
Haan Ye Mohabbat Hai – 18
दादू-दादी , राधा-विजय जी , अर्जुन-नीता , सोमित जीजू-तनु और हनी-निधि अपने अपने सरप्राइज के लिए घर से निकल गए। घर में रह गयी सिर्फ मीरा और उसके साथ तीनो बच्चे साथ में रघु भी था। मीरा किचन में थी और बच्चो के लिए खाना बना रही थी , तीनो बच्चे दादू के कमरे में बैठकर कार्टून देख रहे थे। अमायरा काव्या की गोद में बैठी थी और चीकू सोफे पर,,,,,,,,,,!!
“पता नहीं अक्षत जी कहा होंगे ? अब तक तो उन्हें आ जाना चाहिए था , एक काम करते है बच्चो के साथ साथ उनके लिए भी खाने का कुछ बना देते है”,मीरा कहते हुए जैसे ही फ्रीज की तरफ आयी लाइट चली गयी।
“इस लाइट को भी अभी जाना था , हमे बच्चो के पास जाना चाहिए वो अकेले है अँधेरे में डर जायेंगे”,कहते हुए मीरा किचन से बाहर आयी। हलकी रौशनी थी और फिर मीरा कितने सालो से इस घर में थी उसके लिए घर अनजान नहीं था। वह डायनिंग के पास आयी मोमबत्ती उठायी लेकिन माचिस नहीं मिली।
“पूजाघर में होगी”,कहते हुए मीरा जैसे ही हॉल में आयी कोई एकदम से उसके सामने आ गया। एक पल के लिए मीरा का दिल धड़का लेकिन अगले ही पल उसे महसूस हुआ की वो शख़्स जाना पहचाना है। उसने धीरे से कहा,”अक्षत जी ये आप है ?”
सामने खड़े शख़्स ने कुछ नहीं कहा। उसने हाथ में पकड़ी माचिस की तीली जलाई , रौशनी में उसे मीरा का चमकता चेहरा नजर आ रहा था और मीरा को उसका,,,,,,,,,,,,वो अक्षत ही था। अक्षत ने मीरा के हाथ पकड़ी मोमबत्ती को जलाया तो रौशनी थोड़ी और बढ़ गयी। अक्षत ख़ामोशी से एकटक उसे देखे जा रहा था। मीरा भी अपनी नजरे नहीं झुका पाई वह अक्षत की आँखों में देखने लगी आज एक अलग ही आकर्षण नजर आ रहा था उसे अक्षत की आँखों में।
“छोटी मामी आप कहा हो ? दादू के कमरे में बहुत अन्धेरा है”,काव्या ने आवाज दी तो मीरा की तंद्रा टूटी और उसने धीरे से कहा,”बच्चे अकेले है हम अभी आते है”
कहते हुए मीरा जैसे ही जाने के लिए आगे बढ़ी अक्षत ने उसकी कलाई पकड़कर उसे रोक लिया बस कहा कुछ नहीं। मीरा कुछ देर के लिए शांत खड़ी रही और फिर अक्षत ने एकदम से उसका हाथ छोड़ दिया।
मीरा दादू के कमरे की तरफ चली गयी लेकिन जैसे ही कमरे में दाखिल हुई लाइट आ गयी। चीकू और काव्या ख़ुशी से उछल पड़े। उन्हें देखकर अमायरा भी बिस्तर पर कूदने लगी। मीरा ने मोमबत्ती बुझा दी और तीनो को वही छोड़कर वापस बाहर चली आयी। मीरा ने देखा अक्षत हॉल में नहीं है। उसने ऊपर देखा लेकिन वो वहा भी नहीं था।
“शायद चेंज करने गए हो”,खुद से कहते हुए मीरा किचन की तरफ चली आयी। जैसे ही मीरा किचन में आयी थोड़ा हैरान हो गयी अक्षत किचन में था और मीरा की तरफ पीठ करके खड़ा था। मीरा ने हैरानी से कहा,”आप किचन में क्या कर रहे है ?”
अक्षत जैसे ही मीरा की तरफ पलटा मीरा उसे देखते ही रह गयी। ब्लैक शर्ट , ऊपर के दो बटन खुले हुए जिस से अक्षत का सीना साफ नजर आ रहा था। शर्ट के बाजू फोल्ड किये हुए , बिखरे बाल , गहरी आँखे , सुर्ख होंठ और उन पर मुछे,,,,,,,,,,,,,
मीरा को अपना वही पुराना अक्षत याद आ गया जब वह पहली बार उस से मिली थी। मीरा अक्षत को देखते ही रह गयी। मीरा को खामोश देखकर अक्षत ने कहा,”सब घरवाल्रे कहा है ?”
“सब बाहर गए है”,मीरा ने किचन के प्लेटफॉर्म की तरफ आते हुए कहा
अक्षत भी उसके बगल में चला आया और कहा,”ये तो और भी अच्छा है”
मीरा ने सूना तो अक्षत की तरफ पलटी अक्षत धीरे धीरे उसके करीब आने लगा , वही अहसास मीरा को एक बार फिर हो रहा था। अक्षत उसका पति था फिर भी आज उसकी नजदीकियों पर मीरा की नजरे झुकी जा रही थी और उसका दिल धड़क रहा था। अक्षत ने मीरा की तरफ हाथ बढ़ाया तो पीछे खिसकने की वजह से मीरा की पीठ प्लेटफोर्म से जा लगी।
मीरा अक्षत के चेहरे की तरफ देखे जा रही थी वह समझ नहीं पा रही थी अक्षत आज इतना खामोश क्यों है ? अक्षत ने मीरा के पीछे रेंक में रखे कॉफी के डिब्बे को उठाया और पीछे हटते हुए कहा,”आज मेरा कॉफी पीने का मन है”
मीरा ने एक गहरी साँस ली और कहा,”लाईये हम बना देते है”
“नहीं मैं खुद बनाऊंगा तुम पिओगी ?”,अक्षत ने गैस पर पतीला रखते हुए कहा
“नहीं हम बच्चो के लिए कुछ बना देते है”,कहते हुए मीरा गुंथे हुए आटे से पराठे बनाने लगी। अक्षत के बगल में खड़ी मीरा ख़ामोशी से अपना काम कर रही थी। अक्षत अपने लिए कॉफी बना रहा था। मीरा के बालो की कुछ लटें उसके गाल पर झूल रही थी अक्षत ने देखा तो अपने हाथ से उन्हें साइड कर दिया। अक्षत की छुअन ने एक बार फिर मीरा का दिल धड़का दिया। वह तवे पर रखा पराठा भूल गयी और एक बार फिर अक्षत की तरफ देखने लगी। मीरा को अपनी ओर देखता पाकर अक्षत ने कहा,”क्या हुआ तुम मुझे ऐसे क्यों देख रही हो ?”
मीरा की तंद्रा टूटी उसने देखा तवे पर रखा पराठा जल रहा है तो वह जल्दी से उसे उतारने लगी और ऐसे में उसकी उंगलिया जल गयी।
“मीरा ध्यान से , कर क्या रही हो तुम छोडो इसे यहाँ आओ”,कहते हुए अक्षत ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे लेकर वाशबेसिन की तरफ आया। अक्षत ने नल चालू किया और अपने हाथ में पकड़ा मीरा का हाथ नल के नीचे करते हुए बड़े प्यार से कहा,”सबका ख्याल रखती हो लेकिन अपने मामले में कितनी लापरवाह हो तुम,,,,,,,,,,,,,अभी ठीक लग रहा है ?”
“हम ठीक है अक्षत जी , आपकी वजह से हमारा पराठा जल गया”,मीरा ने अक्षत के हाथ से अपना हाथ छुड़ाकर कहा
“अच्छा मेरी वजह से ?”,अक्षत ने हैरानी से कहा
“क्योकि जब भी हम आपकी आँखों में देखते है हम सब भूल जाते है”,मीरा ने धीरे से कहा अक्षत ने सूना तो मुस्कुरा उठा उसने हल्के से मीरा के ललाट पर मारा और गैस की तरफ चला गया। उसने पतीला नीचे उतारा और कॉफी को कप में छान लिया। मीरा गैस की तरफ आयी तो अक्षत ने गैस बंद कर दिया और कहा,”ये सब छोडो मैं कर दूंगा”
“आप करेंगे ?”,मीरा ने हैरानी से पूछा
“क्यों मैं नहीं कर सकता क्या ? वैसे आज मेरा खाना बनाने का मूड है,,,,,,,,,,,,,और मैंने सूना है आज कोई खास दिन है तो इसलिए मुझे भी तुम्हारे लिए कुछ खास करना चाहिए”,अक्षत ने कॉफी पीते हुए कहा
“तब तक हम क्या करेंगे ?”,मीरा ने फिर हैरानी से पूछा तो अक्षत ने कप रखा और मीरा के करीब आया
उसने मीरा को गोद में उठाया और प्लेटफॉर्म पर बैठाते हुए कहा,”तुम यहाँ बैठकर मुझे देखोगी , जब तक मैं खाना बनाऊ तब तक तुम मुझे जी भर कर देख सकती हो एंड बेस्ट पार्ट इज की तुम कुछ भूलोगी भी नहीं”
“चाची मुझे फ्रूट खाना है”,चीकू ने किचन में आते हुए कहा। चीकू को वहा देखकर अक्षत मीरा से दूर हटा और कहा,”चीकू तुम बाहर बैठो मैं लेकर आता हूँ”
“ओके चाचू”,चीकू ने खुश होकर कहा और चला गया।
“अक्षत जी हम कर देते है”,मीरा ने जैसे ही नीचे उतरना चाहा अक्षत ने उसे थोड़ा सा लुक दिया और कहा,”चुपचाप यहाँ बैठो , आज तुम कुछ नहीं करोगी”
मीरा को अक्षत की बात माननी पड़ी , कभी कभी अक्षत को समझना उसके लिए सच में मुश्किल हो जाता था। वह ख़ामोशी से बैठी अक्षत की ओर देखने लगी। अक्षत ने टेबल पर रखे कुछ फल उठाये और उन्हें लेकर मीरा के बगल में खड़े होकर काटने लगा।
मीरा प्यार से अक्षत को काम करते हुए देखते रही। अक्षत ने सेब का एक टुकड़ा उठाकर मीरा की तरफ बढ़ा दिया , मीरा ने जैसे ही खाने के लिए मुंह खोला अक्षत ने उसे खुद खा लिया और मुस्कुराने लगा। मीरा ने मुंह बना लिया तो अक्षत ने एक टुकड़ा फिर उठाया लेकिन इस बार उसे अपने होंठो के बीच रखा और मीरा की तरफ करके अपनी भँवे उचकाई। अक्षत के साथ रहते हुए मीरा भी थोड़ी शरारती तो हो ही चुकी थी।
उसने उस टुकड़े को अपने होंठो से ही खाया और ऐसा करते हुए उसके होंठ अक्षत के होंठो को छू गए। कुछ पल के लिए अक्षत ने अपनी आँखे मूंद ली और फिर अपना सर झटककर एकदम से कहा,”तुम मुझे डिस्ट्रेक्ट कर रही हो मीरु,,,,,,,,,,,,,मुझे काम करने दो”
अक्षत की बात सुनकर मीरा मुस्कुरा उठी उसने अक्षत के बिखरे बालो को सही किया और एक बार फिर उसे प्यार से देखने लगी। खामोश बैठकर अक्षत को देखना मीरा को बहुत पसंद था।
दादू दादी को लेकर सनशाइन होटल पहुंचे। दोनों कैब से नीचे उतरे। दादी ने देखा ये तो वही होटल था जब शादी के बाद दादू पहली बार उन्हें लेकर यहाँ आये थे। दादी माँ को पुराने दिन एकदम से याद आ गए वे दादू की तरफ पलटी और कहा,”आपको ये जगह अभी तक याद है ?”
“बिल्कुल याद है इस जगह को मैं कैसे भूल सकता हूँ मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी ख़ुशी यही तो मिली थी मुझे,,,,,,,,,,,,,!”,दादू ने मुस्कुरा कर कहा
“ओह्ह्ह आपने तो मुझे हमारे पुराने दिन याद दिला दिए,,,,!!”,दादी माँ ने आँखों में ख़ुशी भरकर कहा
“तो फिर चले मिसेज व्यास ?”,दादू ने एक बार फिर अपना हाथ अपनी कमर पर रखते हुए कहा
दादी माँ ने उनकी बांह थामी और उनके साथ आगे बढ़ गयी किसी प्रेमिका की तरह। दादू दादी माँ के साथ होटल के लॉन में आये जहा कई कपल टेबल्स लगे थे और उन्ही में से एक दादू ने अपने और दादी माँ के लिए बुक किया था।
दादू दादी को लेकर अपनी बुक की हुयी टेबल के पास आये उन्होंने कुर्सी खींची और दादी से बैठने को कहा , बिल्कुल वैसे ही जैसे एक अच्छा प्रेमी करता है। दादी माँ भी किसी 18 साल की प्रेमिका की तरह कुर्सी पर आ बैठी और प्यार से दादू का शुक्रिया अदा किया। दादू टेबल के दूसरी तरफ उनके सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठे।
जैसे की आज वेलेंटाइन था और होटल में ख़ास इंतजाम था इसलिए दादू और दादी के बैठने के साथ ही वेटर आया और एक बहुत ही खूबसूरत ट्रे टेबल पर लाकर रखा जिसमे एक वाइन की बोतल थी , एक रेड बेल्वेट केक था , कुछ चॉकलेट्स थे , एक गुलाब का खूबसूरत बुके था और साथ ही कुछ सूखे मेवे रखे थे ताकि कपल्स उन सब चीजों के साथ अपना वेलेन्टाइन सेलेब्रेट कर सके। वेटर चला गया दादू दादी के बगल में आ बैठे।
दादू ने दादी के लिए जो ख़ास इंतजाम किया था दादू को उसी का इंतजार था,,,,,,,,,,,,,कुछ देर बाद ही 5 लोगो का एक ग्रुप आया जिनके हाथ में ग्रामोफोन , गिटार वगैरह थे उन्होंने एकदम से बहुत ही प्यारा गाना गुनगुनाना शुरू कर दिया।
“देखिये ना ये लोग,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ये कहा गए ?”,दादी ने दादू की तरफ पलटकर कहा लेकिन दादू तो उनकी बगल में थे ही नहीं दादी माँ ने गाने वालो की तरफ गर्दन घुमाई तो देखा दादू के हाथ में माइक है
और उन्होंने दादी माँ की आँखों में देखते हुए गाना शुरू किया “सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था,,,,,,,,,,,,,,आज भी है और कल भी रहेगा”
दादू के मुंह से अपना पसंदीदा गाना सुनकर दादी माँ की आँखों में ख़ुशी के आँसू झिलमिलाने लगे। हालाँकि दादू गाने के मामले में बहुत बेसुरे थे लेकिन पीछे खड़े लड़को को अपने म्यूजिक सिस्टम के साथ उनका साथ देना पड़ा क्योकि उन्होंने पैसे दिए थे।
उसी होटल के लॉन में कुछ दूर लगी टेबल के पास बैठे विजय जी राधा का हाथ अपने हाथो में लेकर जैसे ही कुछ कहने को मुँह खोला उनके कानो में किसी के गाने की आवाज पड़ी जो की सुनने लायक तो बिल्कुल नहीं थी। उसे सुनते ही विजय जी का मुंह बन गया और उन्होंने कहा,”ये कौन है जो इतना बेसुरा गा रहा है ? लगता है आज तो ये हमारे कानो से खून निकाल कर रहेगा”
विजय जी उठे और आवाज वाली दिशा में चल पड़े , उन्हें रोकने राधा भी उनके पीछे पीछे चल पड़ी। विजय जी उस जगह पहुंचे जहा गाना चल रहा था उन्होंने म्यूजिक ग्रुप के लड़को के बीच से निकलते हुए कहा,”अरे बंद करो , कौन है जो इतना बेसुरा,,,,,,,,,,,,,,,,,,,पापा आप ? आप यहाँ क्या कर रहे है ?”
“उल्लू के पट्ठे ये बता तू यहाँ क्या कर रहा है और बेसुरा किसे कहा तूने ?”,दादू ने गाना बंद कर विजय जी को घूरते हुए पूछा
“वो मैं,,,,,,,,,,,,,मेरा छोड़िये आप यहाँ क्या कर रहे है ?”,विजय जी ने सामने से सवाल किया
“सुनिए जी वो मैं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माजी , पिताजी आप”,राधा ने एकदम से आकर कहा लेकिन दादू दादी को वहा देखकर थोड़ा हैरान हो गयी।
म्यूजिक ग्रुप चुपचाप वहा से निकल गया। दादू , दादी , विजय जी और राधा चारो आमने सामने खड़े थे। विजय जी ने दादू की तरफ देखा और खिंसियाते हुए कहा,”पापा लगता है आप माँ के साथ इसी होटल में आये है , अपना वेलेंटाइन सेलेब्रेट करने , सॉरी मैंने आपको डिस्टर्ब कर दिया,,,,,,,,,,,,,,,राधा चलो हम लोग चलते है”
“अरे लेकिन,,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने कहना चाहा लेकिन तब तक विजय जी उन्हें अपने साथ लेकर वहा से चले गए।
“इस विजय को भी यही जगह मिली थी बहू के साथ आने की,,,,,,,,,,!!”,दादू ने उखड़े स्वर में कहा
“छोड़िये ना आईये बैठिये आपने मेरे लिए इतना किया ये देखकर ही मेरा मन खुश हो गया , आईये बैठिये”,दादी माँ ने प्यार से दादू का हाथ थामकर उन्हें कुर्सी पर बैठाते हुए कहा और खुद भी उनके पास पड़ी कुर्सी पर आ बैठी।
“पापा को भी यही होटल मिला था आने के लिये,,,,,,,,,,!!”,राधा का हाथ थामे आगे बढ़ते हुए विजय जी ने चिढ़ते हुए कहा
“उन्हें थोड़े पता था हम लोग यहाँ होंगे , चलिए हम दूसरी जगह चलते है”,राधा ने विजय जी की परेशानी भाँपते हुए कहा
“राधा बात वो नहीं है आज के सेलेब्रेशन के लिए मैंने पुरे 3 हजार रूपये खर्च किये है मैं नहीं जाऊंगा दूसरी जगह,,,,,,,,,,,,,,,,,,छोडो ये सब आओ बैठते है मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”,कहते हुए विजय जी अपनी बुक की हुई टेबल के पास आ बैठे और राधा से बात करने लगे।
“सोमित ये होटल तो काफी महंगा नजर आ रहा है”,सनशाइन होटल के लॉन में आते हुए तनु ने सोमित से कहा
“हाँ लेकिन तुम्हारी ख़ुशी के सामने ये कुछ भी नहीं , तुम कई दिनों से यहाँ आना चाहती थी ना इसलिए मैंने आज स्पेशल तुम्हारे लिए ये सरप्राइज रखा है। तुम्हे यहाँ का रेड बेल्वेट केक पसंद है ना मैंने वो भी आर्डर किया है”,सोमित जीजू ने बड़े प्यार से कहा
“मैंने कभी सोचा नहीं था आप मेरी इतनी परवाह करते है , थैंक्यू सोमित वैसे मैं भी आपके लिए कुछ लेकर आयी हूँ”,तनु ने कहा
“क्या सच में ? जल्दी दिखाओ ना तनु क्या है ? कितने सालो से मुझे तुम्हारी तरफ से कोई गिफ्ट नहीं मिला है,,,,,,,,,,,,,,जल्दी दो मुझसे रहा नहीं जा रहा”,जीजू ने एक्साइटेड होकर कहा तो तनु के चेहरे से भी ख़ुशी झलकने लगी उन्होंने चलते चलते अपने पर्स से एक छोटा सा बॉक्स निकाला और जीजू की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”काफी दिनों से आप ये घडी खरीदना चाहते थे ना”
जीजू ने सूना तो उनकी ख़ुशी दुगुनी हो गयी वो डिब्बा लेकर जैसे ही आगे बढे सामने कार्पेट में उनका पैर उलझा और उनके हाथ से डिब्बा ऊपर उछल गया।
“सुरेखा जी मैं आपसे ये कहना चाह रहा था कि,,,,,,,,,,,,,,,,,”,दादू ने दादी माँ का हाथ अपने हाथो में थामे इतना ही कहा
धप्प्प,,,,,,,,,,!”,एक छोटा डिब्बा आकर उनके सामने रखे बेल्वेट केक पर आकर गिरा और केक के छिछड़े दादू और दादी माँ पर आ गिरे साथ ही यहाँ वहा भी फ़ैल गए। दादू ने चश्मे पर लगे केक को साफ किया तो उन्हें सामने बचे हुए केक में पड़ा डिब्बा दिखाई दिया और उनका चेहरा गुस्से से लाल-पीला हो गया
“ये देखो तनु ये यहाँ आ गिरा , मैं इसे उठा लेता हूँ”,जीजू ने केक में गिरे डिब्बे को जैसे ही उठाना चाहा दादू ने उनकी कलाई पकड़ ली। जीजू ने हैरानी से बगल में देखा तो धक्का सा लगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,चाहे तो इसे माइनर अटैक भी कह सकते है। जीजू ने दादू के चश्मे के दूसरे ग्लास को साफ कर डरते हुए कहा,”दादू आप यहाँ ?”
“क्या तुम सबने मेरी आज की शाम बर्बाद करने की ठान ली है ?”,दादू ने गुस्से से कहा तो जीजू सहमकर पीछे हट गए , उन्होंने डिब्बे को भी केक पर ही छोड़ दिया।
तनु तो दादी माँ की तरफ चली आयी और उन पर लगा केक साफ करने लगी। दादू ने सोमित जीजू को घुरा और कहा,”पुरे इंदौर में आपको भी यही होटल मिला था ?”
“अरे दादू हमे क्या पता आप भी यही है , वैसे आप यहाँ ?”,सोमित जीजू ने पूछा तो दादू सोमित जीजू को घूरने लगे। उन्हें देखकर सोमित जीजू समझ गए इसलिए झेंपते हुए कहा,”शायद मैंने गलत सवाल पूछ लिया , मुझे चलना चाहिए,,,,,,,,,,,,तनु आओ चलते है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं ये बॉक्स ले लेता हूँ”
जीजू ने बॉक्स लेना चाहा उनकी नजर दादू के गुस्से से भरे चेहरे पर चली गयी उन्होंने डिब्बे को वही छोड़ दिया और कहा,”मैं इसे बाद में ले लूंगा , तनु आओ चलते है”
जीजू तनु के साथ वहा से चले गए। विजय जी की तरह सोमित जीजू ने भी आज के लिए टेबल बुक किया था और वो भी कही और नहीं जा सकते थे। दोनों अपने टेबल की तरफ जाने लगे की चलते चलते जीजू पलट गए और वापस जाने लगे। तनु को कुछ समझ नहीं आया वह भी जीजू के साथ आयी और कहा,”क्या हुआ आप वापस क्यों जा रहे है ?”
“अरे सामने मौसाजी और मौसी बैठे है , वे लोग भी यहाँ आये है मुझे तो शक है कही अर्जुन नीता भी यही कही ना हो”,सोमित जीजू ने कहा और सामने से आते होटल के मैनेजर को रोककर कहा,”सर क्या आप मेरी टेबल चेंज कर सकते है ?”
“सॉरी सर इस वक्त सभी टेबल्स बुक है बस वो कोने वाली टेबल वाला कपल अभी आया नहीं है , तो अगर आप उनके साथ स्वाइप करना चाहे तो शायद हो सकता है , वो बाथरूम एरिया में है अभी आते होंगे”,मैनेजर ने कहा
“थैंक्यू”,जीजू ने राहत की साँस लेते हुए कहा और फिर पूछा,”वैसे क्या आप मुझे बता सकते है वो लास्ट टेबल किस नाम से बुक हुआ है ?”
“जी मिस्टर अर्जुन व्यास और नीता व्यास के नाम से,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नाउ एक्सक्यूज मी प्लीज”,कहकर मैनेजर वहा से चला गया। जीजू और तनु हैरानी से एक दूसरे की तरफ देखने लगे। वो आखिर टेबल दादू की टेबल के पास ही थी दुसरा वो अर्जुन ने बुक की थी इसलिए जीजू उतरा हुआ मुंह लेकर तनु के साथ अपनी टेबल की तरफ चले आये। विजय जी उन्हें ना देख ले इसलिए उन्होंने अपना चेहरा मेन्यू कार्ड से ढक लिया।
सब अपना वेलेंटाइन सेलेब्रेट करने आये थे लेकिन सब एक ही होटल में मौजूद थे और ये वेलेंटाइन कम फॅमिली डिनर ज्यादा लग रहा था।
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क्रमश – Haan Ye Mohabbat Hai – 19
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संजना किरोड़ीवाल
Dadu ka velentine pura kharab ho gya sare log sath me milkar family dinner kar le bahut mja aaya Aaj ke part padh kar
Sabne mil Kar dadu ka valentine kharab Kar diya😄😄😄
Maza aa gaya ❤️❤️❤️🍫🍫🍫
In logo se acha valentine to akshat aur Meera n hi mna liya
Bechare…🤣😂
Bechare somit ji
Best valentine to hamari meeru ka rha
Bechare somit ji
Best valentine to hamari meeru mana rhi hai apne akshat ji k sath kitchen me
Superbb Part Maam, Sabne ek hi jagah book ki apne specail one ek liye, is case me Akshat lucky hai kuch special na karke bi sab kuch kar diya,
Sahi kaha ye valentine km family dinner jyada lag rha h…itne bade Indore m sabko ek hi hotel mila tha…best valentine to hamre sadu hi celebrate karenge apni meeru k sath
Aree aree vyas family is so magnetic… Alg rhh hi nhi paate 🤣🤣