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“हाँ ये मोहब्बत है” – 15

Haan Ye Mohabbat Hai – 15

Haan Ye Mohabbat Hai
Haan Ye Mohabbat Hai

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Haan Ye Mohabbat Hai – 15

VS ग्रुप एंड कम्पनीज
शाम की मीटिंग में सिंघानिया जी अपने क्लाइंट्स के साथ बैठे थे। वही दिवार के पास साइड में छवि खड़ी थी। आज की मीटिंग में उसके सीनियर ने उसे भेजा था ताकि छवि कुछ नया देख और सीख सके। मीटिंग खत्म होने के बाद सिंघानिया जी वहा से चले गए। छवि वहा रखे सभी पेपर्स और फाइल्स जमा करने लगी। वह अपना काम कर ही रही थी की उसका सीनियर वैभव मीटिंग रूम में आया और कहा,”सो कैसा रहा तुम्हारा फर्स्ट मीटिंग एक्सपीरियंस ?”


“ये काफी अच्छा था सर , थैंक्यू”,छवि ने मुस्कुरा कर कहा। वैभव फाइल्स उठाने में उसकी मदद करने लगा साथ ही कहा,”वेरी गुड अगर तुम ऐसे ही मन लगाकर काम करती रही तो जल्दी ही ये जॉब परमानेंट हो जाएगी”
“थैंक्यू सर”,छवि ने कहा और फिर वैभव के साथ मीटिंग रूम से बाहर चली आयी। छवि वैभव के साथ लिफ्ट के सामने आयी तो वैभव ने कहा,”छवि तुम चलो मैं HR से मिलकर आता हूँ”


“ओके सर”,छवि ने कहा तो वैभव दूसरी तरफ चला गया। लिफ्ट आकर छवि के सामने रुकी छवि फाइल्स सम्हाले जैसे ही अंदर आयी उसकी भँवे तन गयी। लिफ्ट के अंदर विक्की खड़ा था। छवि ने उसे एक नजर देखा और लिफ्ट के एक कोने में खड़ी हो गयी।
विक्की लिफ्ट की दिवार से पीठ लगाये खड़ा था। उनसे छवि को देखा और कहा,”ओह्ह्ह तुम हो , उस दिन डेड के आने की वजह से तुम बचकर निकल गयी थी , क्या कहा था उस दिन तुमने ?”


छवि ने सूना तो अपने हाथो में पकड़ी फाइल्स को अपने सीने से लगाया और सामने देखते हुए कहा,”देखिये सर मैं इस ऑफिस में एक एम्प्लॉय हूँ और ये जॉब मुझे बहुत मेहनत से मिली है इसलिए बेहतर होगा आप मुझसे दूर रहे”
विक्की ने सूना तो छवि को घूरने लगा वह एकदम से छवि के करीब आया और उखड़े स्वर में कहा,”अकड़ बहुत है तुम में , तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की तुम्हारे जैसी 36 घूमती है मेरे पीछे,,,,,,,,,,,,,तुम्हे लगता है मैं तुम्हारे पीछे आऊंगा”


विक्की आगे कुछ कहता इस से पहले ही लिफ्ट का दरवाजा खुला छवि ने उसे साइड करते हुए कहा,”आपके पीछे घूमने वाली उन 36 लड़कियों जैसी मैं नहीं हूँ आईन्दा से अगर आपने मेरा रास्ता रोकने की कोशिश की तो मैं आपका लिहाज बिल्कुल नहीं करुँगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,नाउ एक्सक्यूज मी प्लीज”
सिंघानिया जी के ऑफिस में काम करने वाली एक मामूली सी लड़की विक्की को उसकी सही जगह दिखाकर चली गयी। विक्की ने गुस्से से अपना हाथ लिफ्ट की दिवार पर मारा और वहा से चला गया।  

छवि ने फाइल्स रखी और वाशरूम चली आयी। विक्की की बातो और उसके करीब आने की हरकत से छवि का मन काफी विचलित था। वह वाशबेसिन के सामने खड़ी शीशे में खुद को देखे जा रही थी। इस ऑफिस में आये उसे अभी कुछ ही वक्त हुआ था और विक्की के रूप में एक बड़ी समस्या उसके सामने खड़ी थी। छवि ने दो तीन बार अपना मुंह धोया और फिर टिशू से पोछते हुए मन ही मन खुद से कहने लगी,”तुम्हे उस से डरने की जरूरत नहीं है छवि , अगर वो फिर से ऐसा कुछ करे तो बिना डरे उसका जवाब देना।

एक नौकरी के लिए तुम्हे अपना आत्मसम्मान कम करने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। तुम्हे वैभव सर की मदद लेनी चाहिए उनसे इस बारे में बात करोगी तो वो जरूर तुम्हारी हेल्प करेंगे”
सोचते हुए छवि वाशरूम से बाहर निकलकर अपने केबिन की तरफ चली आयी। घर जाने का समय हो गया था इसलिए छवि ने भी अपना जरुरी सामान बैग में रखा और वैभव के केबिन की ओर देखने लगी ताकि वह उस से बात कर सके। वैभव घर जाने के लिए जैसे ही निकला छवि ने उसके पास आकर कहा,”सर मुझे आपसे कुछ बात करनी है”


वैभव ने छवि के चेहरे को देखा जिस पर परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे।
“चलो केंटीन में बैठकर बात करते है”,वैभव ने कहा और छवि के साथ केंटीन एरिया में चला आया। उसने छवि को बैठने को कहा और खुद दो कप कॉफी ले आया उसने एक कप छवि के सामने रखा और दुसरा खुद लेकर उसके सामने पड़ी कुर्सी पर आ बैठा। छवि ने वैभव को सारी बातें बतायी

जिन्हे सुनकर वैभव् कुछ देर सोच में डूबा रहा और फिर कहा,”देखो छवि बड़ी कम्पनीज में ये चीजे कॉमन है तुम्हे इन्हे ज्यादा सीरियस लेने की जरूरत नहीं है। वैसे भी तूम पहली लड़की हो जिसे विक्की सर ने इतना भाव दिया है वरना वो ऑफिस की लड़कियों की तरफ देखते तक नहीं”
“मैं कुछ समझी नहीं सर”,छवि ने हैरानी से कहा


“मैं ये कह रहा हूँ की अगर विक्की सर तुम्हे भाव दे रहे है तो तुम्हे भी उनसे बनाकर रखनी चाहिए , कम्पनी के मालिक के बेटे से दोस्ती करना गलत नहीं है ये तुम्हारे प्रमोशन में काम आएगा”,वैभव ने प्रेक्टिकल होते हुए कहा
छवि ने सूना तो उसे हैरानी हुई , वह उठी और थोड़ा गुस्से से कहा,”मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी सर , ये नौकरी मैंने अपनी मेहनत से हासिल की है किसी की सिफारिश से नहीं,,,,,,,,,!!”


वैभव ने छवि की बात सुनी तो खामोश हो गया। छवि ने अपना बैग उठाया और वहा से चली गयी। ऑफिस के बाहर आयी तो पाया शाम हो चुकी है और धीरे धीरे अन्धेरा भी होने लगा है। छवि ने ऑटो वाले से पूछा लेकिन कोई भी उस तरफ जाने को तैयार नहीं था जिस तरफ उसका घर था। सड़क पार कर अगले मोड़ पर बस स्टेण्ड था छवि उस तरफ चल पड़ी। फुटपाथ पर पैदल चलते हुए छवि सोच में डूबी थी। उसकी आँखों के सामने बार बार विक्की का बर्ताव आ रहा था।

उसके घर के हालात काफी बुरे थे और ऐसे में नौकरी छोड़ना उसे और मुश्किल में डाल सकता था। छवि सोच में डूबी चली जा रही थी वह फुटपाथ से नीचे उतर कर सड़क क्रॉस करने लगी , उसे ध्यान नहीं रहा तभी एक गाड़ी एकदम से आकर रुकी। छवि घबरा गयी उसे लगा गाड़ी उसे उड़ा देगी , घबरा कर उसने अपने हाथो को आगे कर दिया और आँखे मींच ली। गाड़ी अक्षत की थी और वह घर जा रहा था , छवि के कारण उसने एकदम से ब्रेक लगा लिया। वह गाड़ी से नीचे उतरा और छवि के पास आकर कहा,”हे तुम ठीक हो ? तुम्हे ऐसे रोड क्रॉस नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,,,,साइड में आओ”


छवि ने देखा वह बिल्कुल ठीक है वह अपना बैग सम्हाले साइड में आ गयी अक्षत ने अपनी गाड़ी को साइड में लगाया और पानी का छोटा बोतल लेकर छवि के पास आया और उसकी तरफ बढाकर कहा,”ये पी लो”
छवि का दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था , अगर अक्षत ने ब्रेक नहीं लगाया होता तो उसका एक्सीडेंट हो सकता था। उसने पानी पीया और बोतल अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”थैंक्यू सर”
“तुम ठीक हो ?”,अक्षत ने फिर सवाल किया


“आई ऍम ओके”,छवि ने कहा
“ये बहुत पॉश रोड है तुम्हे क्रॉस करते वक्त ध्यान देना चाहिए , वैसे तुम्हे कहा जाना है ?”,अक्षत ने पूछा वह छवि को देखकर समझ गया की इस वक्त वह बहुत परेशान है।
“मुझे शास्त्री नगर जाना है लेकिन ऑटो नहीं मिला तो मैं बस के लिए उस साइड जा रही थी”,छवि ने हताश होकर कहा


“ओह्ह्ह एक मिनिट मैं कुछ करता हूँ”,कहकर अक्षत छवि के साथ दूसरी ओर आया उसने उसके लिए एक टेक्सी रुकवाई और उस से शास्त्री नगर जाने की रिक्वेस्ट की। अक्षत की बात का प्रभाव था शायद जिस से टेक्सी वाला भी मान गया। अक्षत ने छवि से बैठने को कहा और ध्यान से घर जाने को कहा। एक अनजान आदमी को मदद करते देखकर छवि से रहा नहीं गया तो उसने अक्षत से पूछ लिया,”सर डोंट माइंड क्या मैं जान सकती हूँ आप मेरी मदद क्यों कर रहे है ?”


अक्षत हल्का सा मुस्कुराया और कहा,”मेरी एक बहन है उसकी उम्र तुम्हारे जितनी ही होगी , उसकी शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल है,,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे देखकर मुझे उसकी याद आ गयी इसलिए मैंने तुम्हारी हेल्प की,,,,,,,,,,,,,,,,हम एक दूसरे को नहीं जानते है इसलिए इस मदद को यही भूल जाना,,,,,,,,,,,ध्यान से जाना”
अक्षत कहकर अपनी गाडी की तरफ चला गया और वहा से निकल गया। एक ही दिन में छवि दो तरह के लोगो से मिल रही थी। वह टेक्सी में आ बैठी और घर के लिए निकल गयी

छवि घर पहुंची। छवि की माँ माधवी दीक्षित घर के दरवाजे पर खड़ी उसका इंतजार कर रही थी। छवि को देखते ही उन्होंने कहा,”आज तुमने आने में इतनी देर क्यों कर दी ?  ऊपर से तुम्हारा फोन भी नहीं लग रहा पता है मैं कितना परेशान हो गयी थी”
“माँ मैं सिर्फ एक घंटा लेट हुयी हूँ , आज ऑफिस में थोड़ा काम ज्यादा था इसलिए देर हो गयी”,छवि ने अंदर आकर बैग रखा और वाशबेसिन की तरफ बढ़ गयी


“हाँ समझ गयी लेकिन तुझे पता है ना आजकल के लोगो का कोई भरोसा नहीं है , तुझे थोड़ी सी देर हो तो मन घबराने लगता है,,,,,,,,,,,,,तेरे ऑफिस में भी लड़किया कम है और लड़के ही लड़के भरे है,,,,,,,,,,,,,,,,किसी की गलत नजर का क्या पता चलेगा ये सब मर्द एक जैसे ही होते है”,छवि की माँ ने डायनिंग टेबल पर खाना लगाते हुए कहा
“सब लड़के एक जैसे नहीं होते माँ”,कहते हुए छवि की आँखों के सामने अक्षत का चेहरा आ गया और वह मुस्कुरा उठी


“तुम्हे अभी इतनी समझ नहीं है बाहर की दुनिया के लोग उतने अच्छे भी नहीं जितना तुम समझती हो,,,,,,,,,,,,,,,,,आओ बैठो खाना खा लो। आज तुम्हारे पापा ज़िंदा होते तो तुम्हे ये नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ती”,माधवी ने उदास होकर कहा
छवि ने उनका हाथ थामा और कहा,”माँ आपकी बेटी बहुत स्ट्रांग है , मैं अपना ख्याल रखूंगी और अब से वक्त से घर आ जाउंगी”


“सॉरी बेटा मैं कुछ ज्यादा ही परेशान हो गयी , चलो खाना लो”,कहकर माधवी खाना परोसने लगी और फिर छवि के साथ बैठकर खाने लगी।

अक्षत घर आया , घर आते ही उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा। हॉल में सभी घरवालों के साथ साथ हनी , निधि भी मौजूद थे और राधा की गोद में था उनका 7 महीने का बच्चा। अक्षत ख़ुशी ख़ुशी उनकी तरफ आया उसे देखते ही दादू ने कहा,”लो अक्षत भी आ गया”
निधि ने पलटकर अक्षत को देखा वह उठी और अक्षत के सामने आकर कहा,”कितने बुरे हो ना आप मुझे याद तक नहीं किया”


“शादी के बाद भी तुम में कोई सुधार नहीं है , जीजाजी आपसे भी ये ऐसे ही बात करती है क्या ?”,अक्षत ने हनी की तरफ देखकर कहा
“मुझे आदत हो चुकी है साले साह,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मतलब अक्षत भैया”,हनी ने अक्षत को सीधा साले साहब बोलना चाहा लेकिन पास बैठे सोमित जीजू पर नजर पड़ी तो तुरंत बात पलट दी।
“माँ देखो ना भाई कैसी बातें कर रहा है ?,निधि ने हमेशा के जैसे बच्चो की तरह मचलते हुए कहा


अक्षत ने निधि की बाँह पकड़कर उसे अपनी तरफ किया और गले लगाते हुए कहा,”मैंने तुम्हे बहुत मिस किया पागल , तुम्हारे जाने के बाद समझ आया की इस घर की असली रौनक तुमसे थी”
निधि ने सूना तो मुस्कुरा उठी अक्षत के गले लगे हुए उसे बहुत सुकून मिल रहा था उसने कहा,”मैंने भी आपको बहुत मिस किया”


निधि अक्षत से दूर हुई और उसके पास खड़े होकर कहा,”आप अपने भांजे से मिले बिल्कुल आप पर गया है”
अक्षत ने सूना तो राधा की तरफ चला आया। राधा ने बच्चा अक्षत को दे दिया अक्षत वही पास पड़े सोफे पर बैठ गया। अमायरा उसके पास चली आयी और बच्चे के हाथ को छूकर कहा,”ये मेरे साथ खेलेगा”
“अमु जब ये बड़ा हो जाएगा तब खेलेगा अभी ये छोटा है न”,अक्षत ने प्यार से कहा


“ये ट्यूट है न पापा”,अमायरा ने उसके गाल को छूकर कहा उसकी प्यारी प्यारी बातें सुनकर सभी हंस पड़े। मीरा और नीता भी चली आयी। अक्षत बच्चे को देखता रहा ,बच्चा भी उसकी गोद में सहज था। मीरा ने उसे दुलार किया और कहा,”निधि इसका नाम क्या रखा है ?”
“इसका नाम “नक्ष” रखा है मीरा कैसा है ?”,निधि ने मीरा के पास आकर कहा
“बहुत प्यारा नाम है और नक्ष बाबू भी बहुत क्यूट है”,मीरा ने मुस्कुरा कर कहा  


“निधि मीरा तुम्हारी भाभी है उसे नाम से बुलाना बंद करो”,अक्षत ने निधि की तरफ देखकर कहा
“भाभी बनने से पहले ये मेरी दोस्त है समझे आप,,,,,,,,,,,और अगर मैं नहीं होती तो आपकी ये मीरा जी भी नहीं होती,,,,,,,,,आपको तो मुझे थैंक्स बोलना चाहिए लेकिन नहीं बस जब देखो तब सड़ते रहते है”,निधि ने मीरा के कंधो पर अपनी बाँहे डालकर कहा
“थोड़े सडु है ना इसलिए”,मीरा ने निधि की तरफ देखकर धीरे से कहा लेकिन अक्षत ने सुन लिया और घूरते हुए कहा,”मीरा”


“जीजू आप सब चाय लेंगे हम ले आते है , और हनी जी आप क्या लेंगे ?”,मीरा ने तुरंत बात बदलते हुए कहा
“आप जो पिलाये मैं तो आपके हाथ से कुछ भी पी लूंगा”,हनी ने कुछ ज्यादा ही प्यार से कहा तो अक्षत और जीजू ने एक साथ उसकी ओर देखा। बेचारा हनी झेंप गया और धीरे से कहा,”मेरी भाभी जैसी है वो”
अक्षत नक्ष को गोद में उठाये उठा और कहा,”चीकू अमु चलो नक्ष को घर दिखाते है”


छोटा बच्चा भला अक्षत की बात को क्या समझता लेकिन अक्षत को वहा से उठने का बहाना चाहिए था इसलिए वह चला गया और अपने साथ बाकि बच्चो को भी ले गया। निधि अर्जुन के पास आ बैठी तो अर्जुन ने कहा,”अच्छा निधि इस बार तो तुम रुकोगी ना ? या पिछली बार की तरह दो दिन में भाग जाओगी”
“अर्जुन भैया मैं इंदौर शिफ्ट हो रहा हूँ अपना खुद का बिजनेस स्टार्ट कर रहा हूँ”,हनी ने निधि के बोलने से पहले ही बोल दिया


“अरे ! आपने इन्हे क्यों बताया ? मैं इन सबको सरप्राइज देने वाली थी”,निधि ने मचलते हुए कहा
“तुम्हारे हनी बनी ने तो तुम्हारा सरप्राइज खराब कर दिया निधि”,जीजू ने छेड़ते हुए कहा
“क्या जीजू हनी बनी मैं बस शादी से पहले था अब तो बस नक्ष की मम्मी बन गया हूँ”,हनी ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा तो निधि उसे घूरकर देखने लगी


“वो मुझे वाशरूम जाना है मैं अभी आया”,कहकर हनी वहा से बचकर निकल गया। निधि अर्जुन और सोमित जीजू के साथ बैठी बातें करने लगी। कुछ देर बाद नीता और तनु भी शामिल हो गयी। विजय जी अभी ऑफिस से आये नहीं थे। मीरा सबके लिए चाय ले आयी। उसने सबको चाय दी देखा हनी बालकनी के पास खड़ा है वह उसके लिए चाय लेकर चली आयी और कहा,”हनी जी आपकी चाय”


“थैंक्यू भाभी , शादी के बाद मैंने इस घर की चाय को बहुत मिस किया सच में,,,,,,,,,,,,,,,,यहाँ आकर एक सुकून मिलता है। इतनी अच्छी फॅमिली , इतने अच्छे लोग और सबसे बड़ी बात यहाँ रहने वाले लोगो का एक दूसरे पर भरोसा,,,,,,,,,,ये सब मिलकर इस घर को स्वर्ग बनाते है और मैं बहुत लकी हूँ की मैं इस घर का हिस्सा हूँ”,हनी ने प्यार से कहा
“बिल्कुल ये घर आपका भी है आप जब चाहे तब निधि के साथ यहाँ आ सकते है”,मीरा ने कहा


“यार भाभी आप सच में बहुत स्वीट हो,,,,,,,,,,,!!”,हनी ने कहा अक्षत भी अपनी चाय लेकर उधर ही चला आया और कहा,”जीजाजी वो मैं ये कह रहा था की अब जब आप आ ही गए है तो क्यों ना कुछ दिन यही रुक जाईये”
“हाँ हनी जी हमे भी निधि के साथ कुछ वक्त मिल जाएगा”,मीरा ने कहा


“अक्षत भैया मैं निधि और नक्ष के साथ परमानेंट यहाँ शिफ्ट हो रहा हूँ , मम्मी पापा के साथ उनके घर में”,हनी ने कहा तो अक्षत मुस्कुरा उठा। राधा ने मीरा को आवाज दी तो मीरा जाने लगी और जाते जाते अक्षत की बाँह छूकर धीरे से कहा,”यहाँ काफी ठण्ड है थोड़ी देर बाद अंदर आ जाईयेगा”
“हम्म्म !”,अक्षत ने कहा तो मीरा वहा से चली गयी। हनी अक्षत को अपने बिजनेस के बारे में बताने लगा , अक्षत को हनी का आइडिआ काफी पसंद आया और उसने कहा,”काफी अच्छा आइडिआ है आप शुरू कीजिये और किसी भी तरह की हेल्प चाहिए तो बेझिझक कहना”


“मुझे बस आपसे एक ही फेवर चाहिए”,हनी ने एकदम से कहा
“हां कहिये ना”,अक्षत ने कहा
“प्लीज मुझे जीजाजी बुलाना बंद कीजिये , आप मुझसे बड़े है आप मुझे सबकी तरह हनी कहकर बुलाइये ना,,,,,,,,,,,,,!!”,हनी ने मासूमियत से कहा तो अक्षत मुस्कुरा उठा और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,”हमारा रिश्ता जीजा साले का ही रहेगा क्योकि हमने आपको अपनी बहन दी है , चलिए अंदर चलते है”

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