Haan Ye Mohabbat Hai – 98
Haan Ye Mohabbat Hai – 98
छवि फटी आँखों से विक्की को देखे जा रही थी। कुछ देर पहले विक्की ने जो किया छवि ने उसकी कल्पना भी नहीं की थी। छवि को अहसास हुआ कि मंदिर में खड़े होकर विक्की ने उसकी माँग सिंदूर भरा है तो उसने अपने हाथ से उस सिंदूर को जैसे ही पोछना चाहा मंदिर के पुजारी जी ने छवि को रोकते हुए कहा,”नहीं बिटिया ! ऐसा अनर्थ ना करना,,,,,,,,,भगवान खुद साक्षी है इस नए रिश्ते के,,,,,,,इस सिंदूर को अपनी मांग से ना पोछो बिटिया !!”
छवि ने सुना तो उसकी आँखों में आँसू भर आये। भीगी आँखो से वह विक्की की तरफ देखने लगी तो विक्की उसके पास आया और कहा,”आज के बाद कोई तुम्हे अकेली नहीं समझेगा , मैं ढाल बनकर तुम्हारे सामने खड़ा रहूंगा छवि”
“ये सही नहीं है , ये सही नहीं है,,,,,,,,,,,,तुम्हे ये नहीं करना चाहिए था”,छवि ने रोते हुए कहा और वहा से चली गयी
“छवि , छवि मेरी बात सुनो , छवि मैंने कुछ गलत नहीं किया है , छवि रुको”,कहते हुए विक्की उसके पीछे आया
छवि रोते हुए तेज कदमो से चली जा रही थी और विक्की उसे रोकते हुए उसके पीछे।
विक्की ने देखा छवि उसकी बात नहीं सुन रही है तो वह दौड़कर छवि के सामने आया और हाँफते हुए कहा,”छवि ! छवि कम से कम एक बार मेरी बात तो सुन लो,,,,,,!!”
“दूसरे मर्दो की तरह तुमने भी मुझ पर ये अहसान कर दिया ,, मुझे नहीं चाहिए था किसी का साथ फिर तुमने ये सब ये सब क्यों किया ? क्यों किया मुझ पर ये अहसान सिर्फ इसलिए कि तुम अपनी गलतियों पर पर्दा डाल सको अपनी शर्मिंदगी को कम कर सको। मुझे तुम्हारा ये अहसान नहीं चाहिए,,,,,,,!!”,छवि ने गुस्से से तड़पकर कहा
“क्या तुम पागल हो छवि ? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो ? मैंने तुम पर कोई अहसान नहीं किया है बल्कि मैं तुमसे,,,,,,,,,,,,,मैं तुमसे प्यार करता हूँ , हाँ ये सच है मैंने कोई तरस खाकर या तुम्हे अकेली समझकर ये नहीं किया है बल्कि सिर्फ इसलिये कि तुम एक अच्छी लाइफ डिजर्व करती हो। किसी और की गलती की सजा तुम खुद को देना बंद करो। जो कुछ हुआ वो एक हादसा था जिसे भूलकर तुम्हे आगे बढ़ना होगा,,,,,,,,,,मेरी एक गलती की वजह से आज तुम इन हालातों में हो और मेरी जिम्मेदारी बनती है कि मैं अब जिंदगीभर तुम्हारा ख्याल रखु ताकि फिर कोई विक्की तुम्हारी जिंदगी में न आये।
मैं जानता हूँ मेरा तरिका गलत है लेकिन ये तुम पर कोई अहसान नहीं है छवि,,,,,,,,,,,,मैं सच में तुम्हे पसंद करता हूँ और मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हारा पास्ट क्या है ? मैं ये सब भूलकर तुम्हे अपना स्वीकार करता हूँ छवि इसके बाद भी अगर तुम्हे लगता है कि मैं तुम्हारे लायक नहीं तो तुम बेशक यहाँ से जा सकती हो मैं तुम्हे नहीं रोकूंगा,,,,,,,,!!”
विक्की की बाते सुनकर छवि उसकी आँखों में देखने लगी जिनमे उसे अपने लिये बेइंतहा मोहब्बत नजर आ रही थी। छवि भीगी आँखों से एकटक विक्की को देखते रही और फिर उसके गले आ लगी। छवि ने विक्की को स्वीकार कर लिया था। छवि को ये अहसास हो चुका था कि विक्की की भावनाये उसके लिए झूठी नहीं थी। विक्की ने देखा तो उसने छवि को अपनी मजबूत बाँहो में कस लिया और उसका सर सहलाने लगा।
अक्षत की गाड़ी तेजी से आकर हॉस्पिटल के बाहर रुकी। अक्षत गाड़ी से उतरा और भागते हुए अंदर आया। मीरा को जिस कमरे में रखा गया था वो कमरा दूसरी मंजिल पर था अक्षत ने लिफ्ट का इंतजार नहीं किया और भागते हुए ऊपर आया। कमरे के बाहर ही उसे अर्जुन , राधा और विजय जी मिल गए।
“मीरा कहा है ?”,अक्षत ने घबराये हुए स्वर में पूछा
“कल से हम लोग मीरा के साथ ही थे , तुम्हारे पापा डॉक्टर से मीरा को घर ले जाने के बारे में पूछने गए हुए थे। नर्स आयी और मीरा को इंजेक्शन लगाने का बोलकर मुझे कमरे से बाहर निकाल दिया। कुछ देर बाद मैंने अंदर जाकर देखा तो मीरा वहा नहीं थी , वो कमरे में नहीं थी बेटा,,,,,,,,!”,कहते हुए राधा रो पड़ी
अक्षत ने सुना तो अपना सर पकड़ लिया और वही बैठ गया। विजय जी ने देखा तो कहा,”अक्षत ये सब क्या हो रहा हैं ? हमे इन सब घटनाओ को हलके में नहीं लेना चाहिए , हमे पुलिस की मदद लेनी चाहिए।”
“क्या कर लेगी आपकी पुलिस?”,अक्षत गुस्से में आकर जोर से चिल्लाया , उसका गुस्सा इतना तेज था कि विजय जी भी सहमकर पीछे हट गए। अर्जुन भी कुछ बोल नहीं पाया। अक्षत गुस्से में उठा और कहा,”क्या कर लेगी आपकी पुलिस ? अमायरा के समय भी क्या कर लिया आपकी पुलिस ने ? वो जो भी है उसे कोई फर्क नहीं पड़ता पुलिस से,,,,,,,,,,,,,,,उसका मकसद है सिर्फ मुझे बर्बाद करना और मैं उसे ढूंढकर रहूंगा।”
कहते हुए अक्षत कमरे में आया और यहाँ वह देखने लगा इस उम्मीद में कि मीरा से जुड़ा कोई क्लू उसे मिल जाये अगले ही पल अक्षत की नजर खिड़की के शीशे पर पड़ी जहा एक चिट लगी थी। अक्षत उसके पास आया और उस चिट को उतारकर देखा जिस पर लिखा था “स्टार्ट फ्रॉम द बिगिनिंग”
अक्षत ने उस कागज को अपनी जेब में डाला और कमरे से बाहर आकर कहा,”आप सब लोग घर जाईये , मैं मीरा को लेकर आता हूँ।”
“लेकिन तुम अकेले,,,,,,,,,,,,,,मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ।”,अर्जुन ने कहा
“मैंने कहा आप लोग घर जाईये,,,,,,,,,,!”,अक्षत ने एक बार फिर गुस्से से चिल्लाकर कहा तो विजय जी ने अर्जुन के कंधे पर हाथ रखकर उसे रोक लिया
अक्षत के चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और उसने धीमे लेकिन दर्दभरे स्वर में कहा,”प्लीज आप लोग घर जाईये प्लीज,,,,,,,,,,मैं मीरा को लेकर आता हूँ।”
कहकर अक्षत वहा से चला गया। अर्जुन ने विजय जी की तरफ देखा और कहा,”लेकिन पापा,,,,,,,,,,,!!”
“जाने दो उसे इस वक्त वो किसी की नहीं सुनेगा क्योकि,,,,,,,,,,,,,,,सवाल मीरा का है , जिसके लिये वो पूरी दुनिया से अकेला लड़ सकता है।”,विजय जी ने बुझे स्वर में कहा और राधा , अर्जुन के साथ आगे बढ़ गए।
अक्षत हॉस्पिटल से बाहर आया और अपनी गाड़ी लेकर वहा से निकल गया अक्षत अब भी नहीं समझ पा रहा रहा था उसे कहा जाना है क्या करना है ? उसकी आँखों के सामने बस बार बार मीरा का चेहरा आ रहा था। गाडी सड़क पर तेजी से दौड़े जा रही थी। अक्षत को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे उसे ध्यान नहीं रहा कि वह रोंग साइड में गाडी चला रहा है। एकदम से अक्षत को कानो में सामने से आते ट्रक के हॉर्न की आवाज पड़ी तो उसे होश आया और उसने गाड़ी का स्टेयरिंग घुमाया।
ट्रक गाड़ी के बिल्कुल पास से निकला , अक्षत मरते मरते बचा। कुछ दूर जाकर गाड़ी ब्रेक के साथ रुकी। अक्षत का दिल तेजी से धड़कने लगा गाड़ी इस वक्त पुल पर थी और इसी पुल के ऊपर रेलवे ट्रेक था जहा से ट्रेन गुजर रही थी। अक्षत गाड़ी से बाहर आया वह इतना गुस्से और तकलीफ में था कि जोर से चिल्लाया , वह जितना तेज चिल्ला सकता था चिल्लाया,,,,,,,,,,,,,,वह अपने अंदर भरे इस गुस्से को निकाल फेंकना चाहता था।
ट्रेन गुजर चुकी थी और इसी के साथ अक्षत का गुस्सा भी कुछ हद तक कम हो चुका था। वह गाड़ी के पास आया और उसमे रखी पानी की बोतल उठायी। उसने कुछ पानी पीया और बाकि पानी अपने मुंह पर डाल लिया। अक्षत ने अपना मुंह पोछा और खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”कुछ तो है जो मैं मिस कर रहा हूँ , कुछ तो ऐसा जो मुझसे जुड़ा है जिसे मैं इग्नोर कर रहा हूँ।”
कहते हुए अक्षत ने अपने जेब से उस चिट को निकाला और देखकर कहा,”स्टार्ट फ्रॉम द बिगिनिंग”
अक्षत ने अपनी आँखे मूंद ली और दो तीन बार इस लाइन को बड़बड़ाया। बीते वक्त की घटनाये अक्षत की आँखों के सामने चलने लगी। छवि दीक्षित केस , अमायरा की किडनेपिंग , अमायरा की मौत , मीरा का अक्षत की जिंदगी से जाना , सौंदर्य भुआ , अखिलेश का सच लेकिन ये सब सोचकर अक्षत को कोई क्लू नहीं मिला। अक्षत गाड़ी में आ बैठा उसने गाड़ी का ड्रॉवर जैसे ही खोला उसमे रखे पेन पर अक्षत की नजर पड़ी। अक्षत ने उस पेन को उठाया और बड़े गौर से देखने लगा। अक्षत को याद आया कि ये पेन उसे एडवोकेट सिन्हा से मिला था
अक्षत उस पेन को हाथ में लेकर घुमाने लगा। अक्षत ने शादी के बाद ये पेन मीरा को दिया था और मीरा ने अखिलेश को,,,,,,,,,अक्षत को ये पेन हॉस्पिटल से मिला था जब मीरा एडमिट थी लेकिन अखिलेश वो आदमी नहीं हो सकता जिसने अमायरा को मारा है,,,,,,,,,,अक्षत फिर सोच में पड़ गया और एकदम से उसे याद आया कि ऐसा ही एक और पेन एडवोकेट सिन्हा ने “शुभ” को भी दिया था।
अक्षत का हाथ एकदम से रुक गया और उसकी आँखों के सामने एकदम से शुभ का चेहरा आ गया। अक्षत को वो पल याद आया जब वह आखरी बार शुभ से मिला था और शुभ ने उस से कहा था,”क्या हुआ मिस्टर व्यास तुम डर गए क्या ? अभी तो खेल शुरू हुआ है।”
अक्षत को याद आया उसके कुछ दिन बाद से ही सब घटनाये घटने लगी थी। अक्षत ने थोड़ा और सोचा तो उसे याद आया कि कॉलेज के टाइम में शुभ आवाज बदलने में माहिर था और वह कई बार लोगो को परेशान किया करता था।
सच्चाई अक्षत की आँखों के सामने थी , दूसरे लोगो में वह इतना उलझा कि शुभ का ख्याल उसके दिमाग में आया ही नहीं। अक्षत की आँखों के सामने शुभ के साथ बिताया वक्त आने लगा। कॉलेज में उसकी शुभ से दोस्ती , शुभ के साथ घूमना फिरना , दोनों का वकालत को लेकर सपना देखना , शुभ के सामने मीरा के लिए अपनी भावनाये जाहिर करना , शुभ का मीरा को ब्लेकमैल करना और मीरा को मारने की कोशिश करना ये सब घटनाये अक्षत की आँखों के सामने आने लगी।
अक्षत ने धड़कते दिल के साथ कहा,”तो क्या वो शुभ है ?”
शुभ के अलावा कोई नहीं था जो अक्षत के इतना करीब रहा और एक शुभ ही था जिसकी दोस्ती वक्त के साथ दुश्मनी में बदल गयी।
इस पुरे खेल के पीछे अक्षत का अपना दोस्त शुभ था ये बात अक्षत जान चुका था। वही था जो अक्षत को बर्बाद करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता था। लेकिन इस वक्त शुभ कहा है ये बात अक्षत नहीं जानता था। मीरा मुसीबत में थी और शुभ उसके साथ कुछ भी कर सकता है इस ख्याल से ही अक्षत का दिल धड़क उठा। अक्षत ने अपने दिमाग पर जोर डाला और सोचने की कोशिश की तो एक बार फिर उसके जहन में शुभ के कहे शब्द गूंजे “स्टार्ट फ्रॉम द बिगिनिंग”
अक्षत ने अपनी आँखे बंद की तो उसकी आँखों के सामने आया नेशनल कॉलेज जहा वह शुभ के साथ पढाई किया करता था लेकिन अक्षत शुभ से पहली बार नेशनल कॉलेज में नहीं बल्कि नेशनल कॉलेज के पीछे वाली खंडरनुमा जगह पर मिला था जब रैगिंग कर रहे लड़को से उसने शुभ को बचाया था। वो अक्षत की शुभ से पहली मुलाकात थी,,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो जगह याद आते ही अक्षत को याद आया बीती रात उस जगह पर देखा गया वो बोर्ड जिस पर अक्षत का नाम लिखा था वो याद आते ही अक्षत के जहन में शुभ की कही बात कौंधी “ये जगह हमारी दोस्ती की शुरुआत का सबूत रहेगी , जब भी मुझे मौका मिला मैं ये जगह खरीदूंगा और इस पर तुम्हारे नाम का बोर्ड जरूर लगाऊंगा”
ये याद आते ही अक्षत ने गाडी स्टार्ट की और जितनी तेज चला सकता था चलाने लगा। गाड़ी चलाते हुए अक्षत के जहन में शुभ की कही अब तक की सारी बातें कोंध रही थी साथ ही मीरा का ख्याल,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत जल्द से जल्द उस जगह पहुंचना चाहता था।
कुछ ही देर में अक्षत वहा पहुंचा। अक्षत गाड़ी से उतरा और भागते हुए अंदर आया। ये एक बड़े हॉल जैसी जगह थी जहा कबाड़ का सामान रखा था। अक्षत ने देखा उसे मीरा नजर नहीं आयी। वह जोर से चिल्लाया,”मीरा आआआआ”
अगले ही पल ताली बजाते हुए काला कोट पहने एक आदमी खम्बे के पीछे से निकलकर बाहर आया और कहा,”बहुत बढ़िया मिस्टर व्यास , दाद देता हूँ तुम्हारे दिमाग की आखिर तुम मुझ तक पहुँच ही गए।”
अक्षत ठीक से उसका चेहरा नहीं देख पाया और कहा,”मीरा कहा है ?”
“तुमने आने में थोड़ी देर कर दी अक्षत , मीरा को मैंने उसकी बेटी के पास भेज दिया है।”,आदमी ने जैसे ही कहा अक्षत का दिल एक पल के लिये धड़कना बंद हो गया। वह बदहवास सा आदमी को देखता रहा। अक्षत के उड़े हुए होश देखकर आदमी जोर जोर से हसने लगा और अक्षत की ओर आते हुए कहा,”क्या हुआ ? तुम तो डर गए,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे तुम्हारे पास अभी भी 5 मिनिट है , ढूंढ सकते हो तो ढूंढ लो अपनी मीरा को,,,,,,,,,,,,!!”
कहते कहते आदमी अक्षत के सामने के सामने आ खड़ा हुआ। अक्षत ने नजरे उठाकर सामने देखा तो पाया कि वो शख्स कोई और नहीं बल्कि उसका अपना दोस्त शुभ शर्मा था। अक्षत का दिल टूट गया उसने कभी सोचा नहीं था ये सब के पीछे शुभ का हाथ है। उसने नफरत भरे स्वर में कहा,”क्यों किया ये सब ?”
“वो सब मैं तुम्हे इत्मीनान से बताऊंगा फ़िलहाल तुम्हारे पास 4 मिनिट 30 सेकेण्ड है , मैंने मीरा को एक बॉक्स में बंद किया है जिस्मे नाइट्रोजन गैस है जो कि इंसानो के लिये बहुत खतरनाक साबित होती है ,, कुछ सेकेण्ड में आदमी बेहोश और कुछ मिनटों में मौत,,,,,,,,,,,
अक्षत ने सुना तो उसे अहसास हुआ कि इस वक्त उसके लिये मीरा को बचाना ज्यादा जरुरी है। वह भागा और मीरा को ढूंढने लगा। बदहवास सा अक्षत यहाँ से वहा भाग रहा था और मीरा को ढूंढ रहा था लेकिन मीरा उसे नहीं मिली। वक्त बीत रहा था और शुभ अक्षत को ऐसे तकलीफ में देखकर खुश हो रहा था। उसने सिगरेट जलाई और अपने मुँह में रखकर कुर्सी पर आ बैठा। अक्षत पसीने से तर बतर हो चुका था लेकिन मीरा उसे नहीं मिली।
“आखिर कहा हो तुम ? कुछ तो हिंट दो मीरा प्लीज,,,,,,,,,,,मैं जानता हूँ तुम मुझे सुन सकती हो , महसूस कर सकती हो,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने तकलीफभरे स्वर में कहा
“दो मिनिट बचे है,,,,,,,,,!!”,शुभ ने ऊँची आवाज में कहा
अक्षत ने सुना तो फिर मीरा को ढूंढने दौड़ पड़ा। इस बार अक्षत वह पड़े डिब्बों में एक एक को देख रहा था। मीरा जिस डिब्बे में थी अक्षत उसके सामने से दो बार गुजर चुका था लेकिन उसने उस डिब्बे को देखा ही नहीं।
मीरा के हाथ पैर बंधे थे पर मुँह पर भी कपड़ा बंधा था इसलिए मीरा ना बोल पा रही थी ना हिल पा रही थी। एक मिनिट और बचा था मीरा अब धीरे धीरे बेहोश होने लगी थी। उसे साँस नहीं आ रही थी और उसकी आँखे मूंदने लगी तभी उसके कानो में अक्षत के चीखने की आवाज पड़ी।
मीरा ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की और लुढ़क गयी। अक्षत के पीछे रखा वो बॉक्स एकदम से लुढ़क कर साइड गिरा अक्षत को अंदाजा हो गया कि इसी में मीरा है। वह भागकर उसकी तरफ गया लेकिन अक्षत बॉक्स तक पहुँच पाता इस से पहले ही शुभ के बुलाये चार आदमी वहा आये और घुसा मारकर अक्षत को पीछे गिरा दिया।
“प्लीज हट जाओ , मीरा उस डिब्बे में है वो मर जाएगी,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने गिड़गिड़ाते हुए कहा
आदमियों ने अक्षत की नहीं सुनी और उसे मारने लगे। अक्षत मार खाता और जैसे ही मीरा की तरफ जाने लगता आदमी उसे फिर पीछे धकेल देते। अक्षत ने देखा उसके पास ज्यादा वक्त नहीं है तो वह शुभ की तरफ देखकर जोर से चिल्लाया,”वो मर जाएगी,,,,,,,,,,,तुम्हे जो करना है मेरे साथ करो लेकिन मीरा को छोड़ दो , उसने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है”
उधर मीरा की तबियत बिगड़ने लगी और आँखे मूंदने लगी। शुभ ने अक्षत की बात को अनसुना कर दिया वह मस्त आराम से बैठकर सिगरेट के कश लगाता रहा। तभी शुभ के आदमियों में से एक की आवाज अक्षत के कानो मे पड़ी,”अरे मरती है तो मर जाये,,,,,,,,,,,दुनिया में ओरतो की कमी है क्या ?”
अक्षत ने सुना और गर्दन आदमी की तरफ घुमाकर कहा,”क्या बोला तूने ? फिर से बोलना जरा,,,,,,,,,,!!”
“मैंने बोला मरती है तो मर,,,,,,,!!”,आदमी अपनी बात पूरी कर ही नहीं पाया कि अक्षत ने खींचकर एक घुसा आदमी के मुंह पर दे मारा और वह नीचे जा गिरा।
इसके बाद अक्षत ने उन चारो को मारना शुरू किया , वह खुद लहू लुहान था लेकिन उन्हें नहीं बक्शा,,,,,,,,,,,चारो जमीं पर पड़े कराह रहे थे। अक्षत धड़कते दिल के साथ लड़खड़ाते हुए उस बॉक्स के पास पहुंचा वह घुटनो पर आ गिरा और जल्दी जल्दी बॉक्स को खोलने लगा।
अक्षत ने जैसे ही बॉक्स खोला मीरा को उसमे देखकर अक्षत की जान में जान आयी। मीरा लगभग बेहोश हो चुकी थी अक्षत ने उसे बाहर निकाला और उसके गाल थपथपाते हुए कहा,”मीरा , मीरा उठो , मीरा , मीरा मैं हूँ अक्षत मीरा,,,,,,,,,,!!”
“अह्हह्ह्ह,,,,,,,,,,,,,,!”,एक गहरी साँस मीरा को आयी और अक्षत ने देखा मीरा को होश आ गया गया था। अक्षत ने मीरा को सम्हालकर वही बैठाया और पीठ पीछे पड़े ड्रम से लगा दी।
अक्षत गुस्से में उठा , उसके ललाट पर खून के धारे बहते हुए जम चुके थे। चलते हुए उसने वहा पड़ा लोहे का रॉड उठाया और शुभ के सामने आकर जैसे ही उसे मारने के लिये उठाया शुभ ने अपने हाथ में पकड़ी आधी खत्म हुई सिगरेट अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”पी लो इस वक्त तुम्हे इसकी जरूरत सबसे ज्यादा है , मुझे बाद में मार लेना,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने लोहे का रॉड फेंका और सिगरेट लेकर होंठो के बीच रख ली। उसका चेहरा खून से लथपथ था और वह दिवार से पीठ लगाए शुभ के ठीक सामने बैठा था
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संजना किरोड़ीवाल
Akshat bahut sochne ke baad usse samajh agaya ki iske piche kaun hai ..Finally Akshat Shubh tak paunch gaya aur Akshat ko samaj nahi araha hai ki usne uske saath aise kyu kiya aur usne sahi waqt per Meera ko bi bacha liya…Chavi ne Vicky ko accept kar liya kyu ki uski batao ne usse sachaai nazar ayi i hope Madhavi ji ki Vicky ko accept karle Chavi ke Kushi ke liye….interesting part Maam♥♥♥♥♥♥
Bhut dil dhadakne wala part the first half jitna achaa tha second half utna hi thrilling… Shub ko akshat ne mara tha meera ko marne ki koshish or uske sath battimiji krne ki wajah se or yhi se shub akshat se nafrat krne lg gya or aj uski nafrat ginhona roop le chuki hh ki usne ek bachii ki jaan le li 😔😔😔😔 bhut hi ghatiya ho tum shub bhut ghatiya … Thankgod akshat ne meera ko bachaa liya pr ab shub ki bari hh usse sab janne k bad kya hal krega akshat shub ka.. pr kya amarya usse wapis aa jayegi…meera akshat ki zindagi me hmesha k liye ek jagah khali rhh jayegi 😭😭😭😭
O no…Yeh Shubh nikla jisne yeh sab kiya…dost ne hee dhoka diya…kya mila Shubh ko yeh sab krke… Akshat Amarya ko to nhi bacha paya, lakin usne Meera ko to bacha liya… Ab Shubh ko jawab dena hoga ki usne yeh sab kyu kiya
I feel ki Akshata ko hamesh se doubt tha ki shubh hai… lakin uske aisa karne se mujhe samjh aaya ki isse kuch pata ni.
I think shubh abhi bhi kuch plan karke baitha isliye relax hai.
Ab kya hoga akhyat to subh ke sath Beth kar cigeratte pi rha h
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