हाँ ये मोहब्बत है – 5
Haan Ye Mohabbat Hai – 5
सुबह के 9 बज रहे थे एक बड़ी सी आलिशान गाड़ी आकर व्यास हॉउस के सामने रुकी। रघु इस वक्त लॉन में लगे पोधो में पानी दे रहा था गाड़ी को देखकर वह मेन गेट की तरफ आया और दरवाजा खोल दिया। गाड़ी अंदर चली आयी। सौंदर्या गाडी से नीचे उतरी उसने एक बहुत ही महंगी और खूबसूरत साड़ी पहनी थी ,वे कीमती गहनों से लदी थी और उनके हाथ में एक बहुत ही महंगा पर्स था। सौंदर्या ने एक नजर घर को देखा और ड्राइवर से कहा,”तुम यही रुको मैं व्यास फॅमिली से मिलकर आती हूँ।”
“जी मैडम !”,ड्राइवर ने कहा और गाड़ी को साइड में लगाकर बाहर आ गया। सौंदर्या घर की तरफ चली गयी और ड्राइवर गाड़ी के पास खड़े होकर उनका इंतजार करने लगा। रघु ने देखा तो वह ड्राइवर की तरफ आया और गाड़ी के अंदर देखने लगा पर अंदर कोई दिखाई नहीं दिया
“ए क्या देख रहे ?”,ड्राइवर ने कहा
“वो मैडम जी मीरा दीदी की रिश्तेदार है ना ?”,रघु ने पूछा
“हाँ , अमर साहब की छोटी बहन है।”,ड्राइवर ने कहा
“तो क्या मीरा दीदी उनके साथ नहीं आयी है ?”,रघु ने फिर पूछा
“नहीं !”,ड्राइवर ने छोटा सा जवाब दिया
“मीरा दीदी ठीक तो है ना ? पता चला यहाँ से जाने के बाद वो बीमार है ! सोमित जीजू और अर्जुन बाबू उनसे मिलने गए थे लेकिन पता चला उन्हें मिलने नहीं दिया,,,,,,,,,,,,,ऐसा क्यों ?”,रघु ने धीमे स्वर में पूछा
“वहा जाने की किसी को परमिशन नहीं है। अमर साहब ने मना किया है और,,,,,,,,,,,,,,!!”,ड्राइवर ने इतना ही कहा कि तभी सौंदर्या की कड़कदार आवाज उन दोनों के कानो में पड़ी
उन्होंने अपने ड्राइवर से कहा,”ए यहाँ खड़े होकर क्या बकवास कर रहे हो तुम ? कितनी बार कहा है तुम से अनजान लोगो से घर की बातें मत किया करो। चलो जाओ यहाँ से और जब हम बुलाये तब आना।”
रघु इस घर में पिछले कई सालों से काम कर रहा था लेकिन इस घर के लोगो ने आज तक उसे पराया नहीं समझा। सौंदर्या भुआ का का यू अनजान कहना रघु भैया को अच्छा नहीं लगा वे उनके पास आये और कहा,”मेमसाहब इस घर में रहने वाले सब लोग हमे इस घर का सदस्य मानते है फिर आपने हमे अनजान क्यों कहा ?”
रघु की बातें सुनकर सौंदर्या भुआ की त्योरिया चढ़ गयी और उन्होंने बड़े ही घमंड भरे स्वर में कहा,”इस घर के लोगो को तो आदत है राह चलते लोगो को भी मुंह लगाने की ,
इस घर के लोग घर के नौकरो को अपने सर पर बैठाते होंगे मैं नहीं,,,,,,,,,,,,,,और हाँ आगे से याद रहे तुम्हारी अभी इतनी औकात नहीं है कि तुम मुझसे “सौंदर्या सिंह परिहार” से सवाल करो।”
रघु ने सूना तो सौंदर्या को देखता ही रह गया उसने आगे कुछ नहीं कहा। सौंदर्या वहा से चली गयी और रघु भी वापस अपने काम की तरफ चला गया। सौंदर्या का ये बदला रूप देखकर रघु को भी अजीब लग रहा था। वह मन ही मन भगवान से मीरा को जल्दी से इस घर में वापस भेजने की प्रार्थना करने लगा।
सौंदर्या भुआ अंदर आयी। हॉल में विजय जी और दादू बैठकर सुबह का अख़बार पढ़ रहे थे। नीता और तनु किचन में थी। राधा घर के मंदिर के सामने खड़ी भगवान से सब सही करने की प्रार्थना कर रही थी। काव्या और चीकू नाश्ता कर रहे थे वो दोनों स्कूल ड्रेस में थे और उनकी स्कूल बस थोड़ी देर में आने वाली थी। सौंदर्या जी को देखकर विजय ने अख़बार रखा और उठते हुए कहा,”नमस्ते ! आप सुबह सुबह यहाँ , सब खैरियत तो है ?”
विजय जी की आवाज पर राधा ने पलटकर देखा सौंदर्या को वहा देखकर आज पहली बार उनका मन भी बेचैनी से घिर गया वे हॉल की तरफ चली आयी।
दादू ने भी अख़बार समेट कर रख दिया और उठ खड़े हुए हालाँकि दादू को इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन इस घर के संस्कार ही इस घर के लोगो को सबसे अलग बनाते थे।
सौंदर्या भुआ मुस्कुरायी और हाथ जोड़ते हुए कहा,”जी नमस्ते ! अब आप लोग तो अपनी प्यारी बहू की खैर खबर लेने आये नहीं इसलिए मुझे आना पड़ा।”
सौंदर्या की बात सुनकर सब एक दूसरे को देखने लगे। सबके चेहरे से हंसी और ख़ुशी दोनों गायब थी। तनु और नीता भी किचन से बाहर चली आयी।
सबको खामोश देखकर सौंदर्या ने हँसते हुए कहा,”अरे ! मैं बस मजाक कर रही हूँ। आप बताईये विजय जी क्या मैं इस घर में बिना बुलाये नहीं आ सकती ?”
“कैसी बाते कर रही है आप ? आप बिल्कुल आ सकती है ये घर भी आपका अपना है बेटा।”,विजय जी के कहने से पहले ही दादू ने कहा
“हाँ पापा ने ठीक कहा , आईये बैठिये।”,इस बार विजय ने कहा तो सौंदर्या हॉल में पड़े सिंगल सोफे पर आकर बैठ गयी।
नीता पानी का ग्लास ले आयी लेकिन सौंदर्या ने हाथ आगे कर मना करते हुए कहा,”हमारे यहाँ बेटियों के ससुराल में पानी भी नहीं पीया जाता।”
राधा और नीता को सौंदर्या का ये व्यवहार अजीब लगा लेकिन उस वक्त दोनों खामोश रही। राधा को खड़े देखकर दादू ने कहा,”राधा ! बेटा तुम खड़ी क्यों हो आओ बैठो !”
दादू के कहने पर राधा दूसरे खाली पड़े सोफे पर आ बैठी।
किसी अनहोनी के डर से वे अपने हाथ में पकडे साड़ी के पल्लू को बार बार अपने सीने से लगा ले रही थी। सौंदर्या ने देखा राधा इस वक्त बिल्कुल साधारण साड़ी में थी और ना ही कोई सज श्रृंगार किया हुआ था। सौंदर्या कुछ कहती इस से पहले ही राधा ने कहा,”मीरा कैसी है ? वो ठीक है न सौंदर्या ?”
सौंदर्या भुआ को राधा का उसे यू सीधे सीधे सौंदर्या कहकर बुलाना ना जाने क्यों अच्छा नहीं लगा ? इंदौर आने के बाद से ही उनका रूतबा बदल चुका था और अब वह खुद को थोड़ा बढ़कर समझने लगी थी
इसलिए हर किसी से वे बहुत ज्यादा मान सम्मान की उम्मीद करती थी।
“नहीं वो ठीक नहीं है , दामाद जी ने उसे ठीक रहने लायक छोड़ा कहा है ?”,सौंदर्या ने कठोर भाव से कहा
“ये क्या कह रही है आप ? अक्षत ने क्या किया ? क्या उसने समधी जी के घर जाकर कुछ बदतमीजी की आप मुझे बताईये मैं अभी उस से बात करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत , अक्षत,,,,,,,,,,,!”,विजय जी ने थोड़ा गुस्से से कहा और अक्षत को आवाज दी।
“रहने दीजिये विजय जी , दामाद जी को अभी यहाँ मत बुलाइये। मैं चाहती हूँ ये सब बाते हम बड़ो के बीच ही हो।”,सौंदर्या ने कहा
“हम्म्म , देखिये अक्षत की तरफ से मैं माफ़ी मानता हूँ अगर उसने गुस्से में कुछ कह भी दिया तो बच्चा समझ कर भूल जाईये। उसका गुस्सा बहुत तेज है उसके गुस्से के कारण ही तो आज ये सब बिखरा हुआ है।”,विजय जी ने कहा
“अरे नहीं नहीं समधी जी आप क्यों माफ़ी मांग रहे है , मैं इन सब बातो से अनजान थोड़ी हूँ। मैं जानती हूँ दामाद जी काफी गुस्से वाले है एक बार उन्हें गुस्सा आये तो फिर वो किसी की नहीं सुनते,,,,,,,,,,,,,!”,सौंदर्या ने कहा
“सौंदर्या मुझे बताओ मीरा कैसी है ? मुझे उसकी बहुत परवाह हो रही है , तुम उसे अपने साथ क्यों नहीं लायी ?”,राधा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“मीरा की तबियत खराब है , अमायरा के जाने के सदमे से वो ठीक से बाहर भी नहीं निकल पायी कि दामाद जी ने उसे दुसरा दर्द दे दिया,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने पहेलियाँ बुझाते हुए कहा
“मैं समझी नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने कहा
“दामाद जी मीरा से तलाक लेना चाहते है !”,सौंदर्या ने बिना किसी भाव के कहा तो राधा का हाथ अपने मुँह पर चला गया उन्हें यकीन ही नहीं हुआ कि अक्षत ने ऐसा कुछ चाहा है। वो अक्षत जो अपनी मीरा से बेइंतहा मोहब्बत करता है वो उसे छोड़ने का ख्याल भी मन में कैसे ला सकता है ?
“ये आप क्या कह रही है ? अक्षत तलाक चाहता है वो भी मीरा से,,,,,,,,,,,,,,,,आपको जरूर कोई गलतफहमी हुयी है
, मीरा ने ही कल सुबह तलाक के कागज घर भेजे थे उन्हें पढ़कर ही तो अक्षत गुस्से से अमर जी के घर गया था। वहा क्या हुआ ये हम में से कोई नहीं जानता ?”,दादू ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा
विजय जी के मुंह से कोई शब्द नहीं फूटे उनका तो दिल बैठा जा रहा था।
“मीरा ने कागज भेजे ? वो इतनी मजबूर है कि उठकर खुद से अपने लिए एक गिलास पानी नहीं ले सकती वो लड़की अपने तलाक के कागज यहाँ भेजेगी।
जो मीरा ने दामाद जी से शादी करने के लिए पूरी दुनिया से लड़ गयी वो मीरा अपने ही तलाक के कागज खुद भेजेगी,,,,,,,,,,,,,,,,मैं नहीं मानती , मैं मान ही नहीं सकती,,,,,,,,,,,,,,,ये सब बकवास है।”,सौंदर्या ने अपने हाथो को हवा में नचाते हुए कहा
सौंदर्या की बातें सुनकर दादू , विजय जी और राधा तीनो फिर हैरान थे। नीता और तनु किचन के पास खड़ी सब सुन रही थी उन्हें भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये सब हो क्या रहा है ?
“पापा क्या आप तैयार है , हमे आज अमर अंकल के घर चलना था न उनसे मिलने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,ओह्ह्ह नमस्ते , आप यहाँ कर रही है ?”,अर्जुंन ने हॉल में आते हुए विजय जी से कहा लेकिन जब सोफे पर बैठी सौंदर्या को देखा तो उसके चेहरे के भाव बदल गए और उसने उन्हें भी नमस्ते कह दिया और एक बार फिर विजय जी की तरफ देखकर उनसे कहा,”आप चल रहे है न ?”
“उसकी जरूरत नहीं है , भाईसाहब अभी शहर से बाहर गए हुए है उनसे मिलना नहीं हो पायेगा।”,सौंदर्या ने कहा
“उनसे मिलने के लिए हमे आपकी परमिशन की जरूरत नहीं है,,,,,,,,,,,,!”,अर्जुन ने पलटकर थोड़ा गुस्से से कहा
“अर्जुन ! ये क्या तरिका है बड़ो से बात करने का,,,,,,,,,,,अभी के अभी इनसे माफ़ी मांगो !”,अर्जुन की बदतमीजी देखकर विजय जी ने कहा
अपने पापा की बात का मान रखते हुए अर्जुन ने कहा,”मुझे माफ़ कर दीजिये !”
“अब जाओ यहाँ से,,,,,,,!”,अर्जुन के माफ़ी मांगने के बाद विजय जी ने कहा
“लेकिन पापा,,,,,,,,,,!!,”अर्जुन ने कहा
“मैंने कहा ना जाओ यहाँ से,,,,,,,,,,,,!!”,विजय जी ने थोड़ा गुस्से से कहा तो अर्जुन वहा से चला गया। विजय जी को गुस्से में देखकर नीता किचन में चली गयी और तनु दोनों बच्चो का बैग उठाये उन्हें छोड़ने बाहर चली गयी
सौंदर्या भुआ का घर आना अर्जुन को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। गुस्से में भुनभुनाते हुए अर्जुन हॉल से निकल कर जा रहा था कि सामने से आते सोमित जीजू से टकरा गया।
“अरे अर्जुन ! क्या हुआ इतना परेशान क्यों हो ?”,सोमित जीजू ने अर्जुन को रोककर कहा
“वो यहाँ क्यों आयी है ?”,अर्जुन ने चिढ़ते हुए कहा
“कौन ? तुम किस की बात कर रहे हो ?”,सोमित जीजू ने पूछा
“वो मीरा की भुआ जी , वो यहाँ क्यों आयी है। आप जानते हो ना उस दिन यही थी जिन्होंने हमे मीरा से मिलने नहीं दिया था और अब भी ये यहाँ बैठकर पापा से ना जाने पापा से क्या कह रही है।”,अर्जुन ने गुस्से से दबी आवाज में कहा
“मुझे जरूर कुछ गड़बड़ लग रही है अर्जुन , कल रात मैं मीरा के घर गया था , घर में गार्ड्स पहरा दे रहे है। आखिर अमर अंकल ने अपने ही घर में मीरा को कैद क्यों किया है ? ना वो उस से किसी को मिलने दे रहे ना हम में से किसी को घर के अंदर जाने दे रहे। मुझे तो ये सब अक्षत और मीरा के खिलाफ किसी की सोची समझी साजिश लगती है।”,सोमित जीजू ने हॉल में बैठी सौंदर्या भुआ की तरफ देखकर कहा
“क्या ? कल रात आप मीरा के घर गए थे ?”,अर्जुन ने हैरानी से पूछा
“हाँ अर्जुन ! मुझसे रहा नहीं गया , मैं एक बार मीरा से मिलना चाहता था ताकि उसे बता सकू कि जो हो रहा है उसमे आशु की कोई गलती नहीं है।”,सोमित जीजू ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“मुझे अब बहुत डर लग रहा है जीजू,,,,,,,,,,,,,,,,,,आखिर ये सब लोग अक्षत मीरा के पीछे क्यों पड़े है ? उन्हें चैन से जीने क्यों नहीं देते ?”,अर्जुन ने दर्द भरे स्वर में कहा तो सोमित जीजू ने उसके कंधे पर हाथ रखा और कहा,”सब्र रखो सब ठीक हो जाएगा,,,,,,,,,,,
हम सब है ना अक्षत मीरा के साथ , हम उन्हें ऐसे अलग होने नहीं देंगे,,,,,,,,,,,,,,और ऐसे लोगो की वजह से तो हरगिज नहीं।”
कहते हुए सोमित जीजू हॉल में बैठी सौंदर्या भुआ को देखने लगे और फिर अर्जुन को साथ लेकर वहा से चले गए।
विजय जी और राधा दिल थामे सौंदर्या की बातें सुन रहे थे उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर में विजय जी ने कहा,”मैं कुछ नहीं जानता , मैं आज ही अपनी बहू को लेने अमर जी के घर जा रहा हूँ। मीरा इस घर की बहू है अक्षत की पत्नी है।”
“हाँ ये सही कह रहे है सौंदर्या मीरा यहाँ आएगी तो सब ठीक हो जाएगा। सब सही हो जाएगा,,,,,,,,,,,,,,,आशु और उसके बीच जरूर कोई गलतफहमी हुई है तलाक तो दूर की बात है ये दोनों एक दूसरे के बिना जीने की सोच भी नहीं सकते,,,,,,,,,
मैं मैं भी आपके साथ चलूंगी , मैं उसे मनाकर लाऊंगी ,, उसने मुझे माँ कहा है ना , अपनी माँ को वो कभी मना नहीं करेगी,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने सौंदर्या से कहा और फिर विजय जी की तरफ देखने लगी
सौंदर्या ने सूना तो उसके चेहरे के भाव एकदम से बदल गए और वह मुँह लटकाकर बैठ गयी। उसे ऐसे देखकर विजय जी ने कहा,”क्या हुआ ? क्या आप खुश नहीं है ? क्या आप नहीं चाहती मीरा इस घर में ना रहे ?”
“अब मैं आपसे क्या कहू ? मीरा को इस घर में आने से किसी ने नहीं रोका ,
भाईसाहब तो खुद चाहते थे कि मीरा यहाँ वापस आ जाये और आप लोगो के साथ रहकर अपनी गृहस्थी सम्हाले,,,,,,,,,,,,,,,,,लेकिन !”,कहते कहते सौंदर्या ने बात अधूरी छोड़ दी
“लेकिन क्या सौंदर्या,,,,,,,,,,!!”,राधा ने बेचैनी भरे स्वर में पूछा
“मीरा खुद अब यहाँ नहीं आना चाहती,,,,,,,,,,,,,,,दामाद जी ने जो किया उसके बाद मीरा टूट सी गयी है उसने एक अजीब ही जिद पकड़ ली है कि व्यास फॅमिली में फिर से नहीं आएगी,,,,,,,,,,
और तो और मुझे ये कहते हुए बड़ा अफ़सोस हो रहा है कि वो अब आप सबसे नफरत करने लगी है,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
राधा ने सूना तो उसे यकीं नहीं हुआ विजय जी और दादू भी हैरान थे कि आखिर मीरा ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
“नहीं मीरा ऐसा नहीं कर सकती,,,,,,,,,,,,,,,,,,सावित्री ने भले उसे जन्म दिया हो ,
लेकिन शादी के बाद उसे संस्कार मैंने दिए है। मेरी मीरा इतना कठोर नहीं हो सकती , वो इस घर के लोगो से नफरत नहीं कर सकती,,,,,,,,,,,ये सब झूठ है , मैं नहीं मानती इस बात को,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने रोते हुए कहा और वहा से उठकर चली गयी।
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संजना किरोड़ीवाल
Logo ko kisi ki khushi bardasht hi nahi hoti……😠😠😠😠😠😠😠
Soundrya bua ji abhi jitna rayta failana hai, faila lo….jitni sajish krni lo …quki jis din aapke paap ka ghada futega na …uss din aap ya to jail m hogi ya hospital m… Akshat aur Meera ko alag krne ki jo aap planing kar rhi hai na, wo ab sabko samaj aa rhi hai….jaldi to nhi but kuch time baad aapki bahut achche se band bajegi… aur wo Akshat bajayega aapki band😡😠🤬
Saundarya bua toh bht zada chant nikali ho na ye sab wo property k wajah se kar rahi…
Paisa Babu bhaiya Paisa ache achho ko bigaad deta…
Ise kehte he achhi khasi romantic story ki band bajana. Dekhte he aage kya hota he.