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Haan Ye Mohabbat Hai – 49

Haan Ye Mohabbat Hai – 49

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सूर्या मित्तल ने एक बहुत ही मामूली सा सवाल पूछा और ये केस सुर्खियों में आ गया। इंस्पेक्टर रॉबिन को वहा से लेकर चले गए। चोपड़ा जी भी अपने असिस्टेंट के साथ अदालत से बाहर चले आये और उनके पीछे पीछे विक्की और सिंघानिया जी भी चले आये। चलते चलते विक्की की नजरे छवि की नजरो से जा मिली। विक्की ने छवि को देखकर पहली बार अपनी नजरें झुका ली और वहा से निकल गया।

सूर्या मित्तल ने अपने सभी पेपर्स और फाइल उठाये और छवि के सामने  आकर कहा,”कोन्ग्रेचुलेशन छवि , जज साहब ने इस केस को आगे बढ़ाने की परमिशन दे दी है। दस दिन बाद इस केस की कार्यवाही फिर से है और वो दिन दूर नहीं जब तुम्हे इंसाफ मिलेगा और असली गुनहगार को सजा मिलेगी। तुम सच में एक बहुत स्ट्रांग लड़की हो,,,,,,,,,,,,!!”
“थैंक्यू सर , मुझे उम्मीद है इस बार मुझे इंसाफ मिल जायेगा”,छवि ने कहा


“मिलेगा नहीं छवि बल्कि मैं तुम्हे इंसाफ दिलाऊंगा , जो अक्षत व्यास नहीं कर पाया वो मैं करके दिखाऊंगा और उसे बताऊंगा केस कैसे लड़ा जाता है और कैसे विक्टिम को इंसाफ दिलवाया जाता है। मैं अक्षत व्यास की तरह हवा में बातें नहीं करता छवि , जो कहता हूँ वो करके दिखाता हूँ। अगली तारीख पर वक्त से आ जाना अभी मैं चलता हूँ।”,सूर्या मित्तल ने कहा और वहा से चला गया।


माधवी छवि के बगल में आयी और कहा,”ज़रा सम्हलकर छवि , गरजने वाले बादल अक्सर बिना बरसे रह जाते है।”
“आप चिंता मत कीजिये माँ सब सही होगा,,,,,,,,,,आईये घर चलते है।”,छवि ने कहा और माधवी के साथ वहा से निकल गयी।

“चोपड़ा आखिर ये सब क्या है ? मैंने तुझे इतनी बड़ी रकम इसलिए नहीं दी कि फिर से मैं अपने बेटे को सलाखों के पीछे जाता देखू,,,,,,,,,,,,जब इस केस का फैसला हो चुका है तो फिर तुमने इस केस को फिर से ओपन होने क्यों दिया ?”,चोपड़ा जी के केबिन में घुसते ही सिंघानिया जी गुस्से से फट पड़े
“अरे मुझे क्या पता था वो सूर्या ऐसा कोई सवाल करेगा ? और आपके घर के नौकर को क्या इतना भी नहीं पता आपका फार्म हॉउस कहा है ?”,चोपड़ा जी ने कहा


“पता नहीं रॉबिन को क्या हो गया है ? आखिर उसे इतनी छोटी सी बात उसे कैसे याद नहीं है ?”,सिंघानिया जी ने परेशानी भरे स्वर में कहा
विक्की जो काफी टाइम से खामोश था बोल पड़ा,”लेकिन डेड रॉबिन सही कह रहा है उसे कैसे पता होगा फार्म हॉउस कहा है ? वह कभी वहा गया ही नहीं और ना ही उसने छवि के साथ,,,,,,,,,,,,!!”
विक्की आगे कुछ कहता इस से पहले ही सिंघानिया जी ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,”तुम चुप रहो विक्की , कुछ नहीं बोलोगे तुम,,,,,,,,,,,,तुम्हारी वजह से ही ये सब,,,,,,,,,,,,,,,इसलिए प्लीज  चुप रहो और मुझे सोचने दो मैं क्या कर सकता हूँ ?”


सिंघानिया जी को गुस्से में देखकर विक्की खामोश हो गया। चोपड़ा जी सिंघानिया जी के पास आये और कहा,”शांत हो जाईये सिंघानिया जी , अदालत ने अभी 10 दिन की मोहलत दी है और उस एक सवाल से ये तो साबित नहीं हो जाता ना कि रोबिन बेकसूर है सो शांत रहिये मैं कुछ सोचता हूँ। मैं अदालत में ये साबित कर दूंगा कि छवि दीक्षित बदचलन है और सिर्फ आपसे पैसे ऐठने के लिये उसने आपको केस रीओपन करने की धमकी दी और जब आपने उसको पैसे नहीं दिए उसने आपको बदनाम करने के लिये फिर से ये केस रीओपन करवा दिया।”


“बहुत सही चोपड़ा एक बार ये साबित हो जाये उसके बाद मैं उस लड़की का वो हाल करूंगा कि इस अदालत में तो क्या इस शहर में दिखाई नहीं देगी”,सिंघानिया जी ने गुस्से से कहा
चोपड़ा जी की बात सुनकर विक्की को अच्छा नहीं लगा , ना जाने क्यों पर छवि के लिये ऐसे शब्द सुनना उसे तकलीफ दे रहा था। विक्की चोपड़ा जी के पास आया और कहा,”अगर छवि की जगह आपकी अपनी बेटी होती तब भी क्या आप यही करते ?”


“ये क्या बकवास कर रहे हो तुम ? मत भूलो विक्की ये केस तुम छवि दीक्षित के खिलाफ लड़ रहे हो उसके सपोर्ट में नहीं,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे बचाने के लिये उसे क़ुरबानी देनी ही पड़ेगी,,,,,,,,,,,,,,सिंघानिया जी लेकर जाईये इसे और समझाइये वरना अपनी हार का जिम्मेदार ये खुद ही बनेगा।”,चोपड़ा जी ने गुस्से से कहा
“विक्की चलो यहाँ से,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए सिंघानिया जी ने विक्की का हाथ पकड़ा और उसे वहा से लेकर चले गए।

कोर्ट से बाहर आकर सिंघानिया जी विक्की के साथ गाड़ी में आ बैठे। ड्राइवर ने गाडी आगे बढ़ा दी
“दिमाग ख़राब हो गया है तुम्हारा , जो आदमी तुम्हे बचाने के लिए ये सब कर रहा है तुम उसी से उलझ रहे हो”,सिंघानिया जी ने गुस्से से विक्की से कहा
“आप बहुत गलत कर रहे है डेड , मुझे बचाने के लिये आप किसी और जिंदगी दांव पर लगा रहे हो।”,विक्की ने बेबसी से कहा


“मैं ऐसा क्यों कर रहा हूँ तुम्हे ये अभी समझ नहीं आएगा,,,,,,,,,,, जिस दिन तुम बाप बनोगे उस दिन समझ आएगा अपनी औलाद की सलामती के लिये एक बाप किस हद तक चला जाता है।”,सिंघानिया जी ने विक्की की तरफ देखकर कहा
“मैं साबित कर दूंगा कि मैंने छवि का रेप नहीं किया है और ना ही रॉबिन ने,,,,,,,,,,,,,,,,वो कोई और है जिसने हम सबकी जिन्दगी जहन्नुम बना दी है और मैं उसे ढूंढकर रहूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,ड्राइवर गाड़ी रोको”,विक्की ने आखरी शब्द गुस्से से कहे तो ड्राइवर ने गाड़ी साइड में रोक दी।


सिंघानिया जी के साथ गाड़ी में बैठे विक्की को घुटन होने लगी। उसने गाड़ी का दरवाजा खोला और नीचे उतर गया। उसने गुस्से में जोर से दरवाजा बंद किया और वहा से चला गया। सिंघानिया जी ने रुकने के लिये आवाज दी लेकिन विक्की नहीं रुका और वहा से चला गया।
“चलो !”,सिंघानिया जी ने कहा तो ड्राइवर ने गाडी आगे बढ़ा दी।

चोपड़ा जी और अपने पापा की बातो से विक्की काफी आहत था। वह पैदल ही फुटपाथ पर चल पड़ा और चलते चलते एक ओपन रेस्त्रो की कुर्सी पर आकर बैठा। वेटर के पूछने पर विक्की ने अपने लिये एक कॉफी आर्डर कर दी। कुछ देर बाद कॉफी आयी और विक्की उसे पीते हुए बीती जिंदगी के बारे में सोचने लगा। कितने कम वक्त में विक्की की जिंदगी बदल चुकी थी। छवि के साथ उसने जो किया उसका पश्चाताप उसे अंदर ही अंदर खाये जा रहा था

सूर्या आज की सुनवाई से बहुत खुश था और अपने केबिन में बैठा आगे की योजना बनाने लगा। सुनवाई के वक्त अक्षत भी अदालत में मौजूद था ये बात किसी को पता नहीं थी और किसी को पता चलती इस से पहले ही अक्षत वहा से उठकर चला गया। उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये सिर्फ वही जानता था। अक्षत माथुर साहब से मिलने उनके केबिन में आया तो देखा चित्रा वही है अक्षत ने एक नजर चित्रा को देखा और जैसे ही वापस जाने के लिये मुड़ा माथुर साहब ने कहा,”अरे अक्षत ! क्या हुआ आओ ना ?”


“सर लगता है वकील साहब को सामने बात करने में परेशानी हो रही होगी , मैं थोड़ी देर के लिये बाहर चली जाती हूँ।”,चित्रा ने अक्षत को ताना मारते हुए कहा
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है तुम बैठो,,,,,,,,,,,,सर मुझे आपसे किसी केस को लेकर डिस्कस करना था क्या हम वहा बैठे ?”,अक्षत ने अंदर आकर सोफे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“हाँ क्यों नहीं ,, तुम बैठो मैं आता हूँ,,,,,,,,,,,,!!”,माथुर साहब ने कहा तो अक्षत सोफे की तरफ बढ़ गया।

माथुर साहब थोड़ा सा चित्रा की तरफ झुके और कहा,”ये सब क्या है चित्रा ? मत भूलो अक्षत तुम्हारा सीनियर रह चुका है उसे रिस्पेक्ट नहीं दे सकती तो कम से कम उसके साथ ऐसे भी पेश मत आओ”
माथुर साहब की बात सुनकर चित्रा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने कहा,”सॉरी सर,,,,,,,,,,,,!!”
” मुझसे नहीं अक्षत से कहो,,,,,,,,,,,,,,तुम उसे बाद में भी कह सकती हो।”,कहते हुए माथुर साहब उठे और अक्षत की तरफ चले गए।

माथुर साहब के साथ बैठा अक्षत किसी केस को लेकर डिस्कस करने लगा। जितने वक्त तक अक्षत वहा रहा चित्रा का ध्यान अपने काम में कम और अक्षत पर ज्यादा रहा। अक्षत की नज़रे भी एक आध बार चित्रा से जा टकराई लेकिन उसने चित्रा पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और थोड़ी देर बाद वहा से चला गया।
अक्षत को वहा से जाते देखकर चित्रा उसके पीछे आयी। कॉरिडोर में जाते हुए अक्षत को चित्रा ने आवाज दी लेकिन अक्षत ने नहीं सुना वह आगे बढ़ता रहा।


चित्रा भागकर अक्षत के सामने आयी तो अक्षत को रुकना पड़ा। उसने ख़ामोशी से चित्रा की तरफ देखा तो चित्रा ने कहा,”आई ऍम सॉरी”
“इट्स ओके”,अक्षत ने कहा और जैसे ही साइड से निकलने को हुआ चित्रा फिर उसके सामने चली आयी ये देखकर अक्षत को गुस्सा आया लेकिन उसने अपने गुस्से को रोक लिया और कहा,”ये सब क्या है ?”
“क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया ? देखो अगर आपको मेरा सॉरी पसंद नहीं आया तो मैं कान पकड़कर आपसे माफ़ी मांगती हूँ।

अक्षत जी प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये,,,,,,,,,,,,,,,,,प्लीज प्लीज प्लीज”,चित्रा ने अपने दोनों कानो को पकड़कर बचकानी हरकत करते हुए कहा
ये सब देखकर अक्षत को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। आसपास खड़े वकील और लोग भी उन दोनों को देखकर मुस्कुरा रहे थे। अक्षत ने चित्रा की बांह पकड़कर उसे साइड किया और कहा,”इस उम्र में 16 साल वाली लड़कियों की तरह बिहेव करना बंद करो।”


इतना कहकर अक्षत वहा से चला गया। चित्रा मुस्कुरा कर उसे जाते हुए देखते रही और फिर अपने हाथ की सबसे छोटी ऊँगली का नाख़ून कुतरते हुए कहा,”एक 24 साल की लड़की इस उम्र में 16 साल की लड़की की तरह बिहेव क्यों कर रही है क्या तुम इतना भी नहीं समझते ?”
ये सच था कि चित्रा को अक्षत से एकतरफा प्यार हो चुका था और यही वजह थी कि अक्षत चित्रा पर कितना भी गुस्सा करे वह बार बार उसके करीब जाने की कोशिश करते रहती थी।    


मीरा घर लौट आयी और सीधा अपने कमरे में चली आयी एक तरफ जहा इतने दिनों बाद अक्षत को देखकर मीरा खुश थी वही अक्षत की आँखों में अपने लिए आज भी गुस्सा और नफरत देखकर मीरा का दिल टूट गया।  मीरा का दिल अंदर ही अंदर ये सोचकर टूटते जा रहा था कि उसने राधा और बाकी घरवालों का कितना दिल दुखाया है। राधा चाहती थी मीरा घर वापस आ  जाये लेकिन मीरा एक जिद कर बैठी थी

जब तक अक्षत खुद उसे वापस उस घर में लेकर नहीं जाएगा तब तक मीरा कही नहीं जाएगी और मीरा का जिद करना भी कही ना कही जायज था क्योकि बिना पति के सम्मान और प्रेम के एक पत्नी का ससुराल में निबाह मुश्किल है फिर चाहे वो ससुराल व्यास फॅमिली जैसा ही क्यों न हो ?
अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी मीरा काफी देर तक रोते रही। उसके सीने में एक बोझ था जो आंसुओ के रूप में बह रहा था। उसकी आँखों के सामने बार बार अक्षत का चेहरा आ रहा था।


मीरा ने महसूस किया सब बदल चुका था , अक्षत का रहन सहन , उसके कपडे पहनने का तरिका , उसका लुक जो कि पहले से गंभीर हो चूका था बस नहीं बदला था तो उसकी गहरी आँखों का खालीपन,,,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा ही खालीपन मीरा ने अक्षत की आँखों में तब देखा था जब वह अक्षत से पहली बार मिली थी उसके बाद तो इन आँखों में मीरा को हमेशा मोहब्बत ही नजर आयी। मीरा कुछ देर वही बैठी अक्षत और अपने रिश्ते के बारे में सोचते रही और फिर उठकर बाथरूम की तरफ बढ़ गयी।

सौंदर्या ने नोकरो से कहकर डायनिंग पर खाना लगवा दिया था और बैठकर मीरा के आने का इंतजार करने लगी। सौंदर्या मीरा के लिये जाल बुन चुकी थी और मीरा धीरे-धीरे उस जाल में फंसते चली जा रही थी। मीरा कपडे बदलकर हॉल में आयी और कुर्सी खिसकाकर खाना खाने बैठ गयी। सौंदर्या के सुबह के बर्ताव से मीरा थोड़ा उदास थी इसलिए उसने सौंदर्या से कोई बात नहीं की और चुपचाप खाना खाकर अमर जी के कमरे में चली गयी। मंजू अमर जी को खाना पहले ही खिला चुकी थी।

मीरा अमर जी के पास आयी देखा वे जाग रहे है तो मीरा ने बुक रेंक में से एक किताब उठायी और वही अमर जी के बगल में बैठकर उन्हें सुनाने लगी। कुछ देर बाद अमर जी को नींद आ गयी। मीरा ने देखा तो किताब को बंद करके रखा और उनका सर सहलाने लगी वैसे ही जैसे एक माँ अपने बच्चे का सर सहलाया करती है।
मीरा ने पास पड़ी चद्दर अमर जी और ओढ़ाई और वही सोफे पर लेटकर किताब को आगे पढ़ने लगी। मीरा किताब के 2 पन्ने भी पुरे नहीं पढ़ पाई और उसे भी नींद आ गयी। किताब मीरा के चेहरे पर ही आ लगी और मीरा उसे हाथो में पकडे पकडे ही सो गयी।

दो दिन गुजर गए शाम के 4 बज रहे थे। चाइल्ड होम की किसी मीटिंग के सिलसिले में मीरा को 2 दिन के लिये शहर से बाहर जाना था। सौंदर्या ने मीरा को अकेले ना भेजकर अखिलेश को भी अपने साथ ले जाने को कह दिया। आखिरकर एक लम्बी बहस के बाद मीरा को सौंदर्या की बात माननी ही पड़ी उसने अखिलेश को फोन लगाया और कहा,”अखिलेश जी आप घर मत आईये , हम सीधा चाइल्ड होम ही आ रहे है हमे वहा से कुछ जरुरी डॉक्युमेंट्स लेने है। उसके बाद वहा से साथ ही दिल्ली के लिये निकल जायेंगे।”


“ठीक है मैडम , मैं आपका इंतजार करूँगा”,कहकर अखिलेश ने फोन काट दिया और खुद में बड़बड़ाया,”आज मैं मीरा मैडम से अपने दिल की बात कह दूंगा”
मीरा ने अखिलेश से बात करके फोन काटा और अपना जरुरी सामान गाड़ी में रखवाकर अमर जी से मिलने चली आयी। मीरा अमर जी को अकेले छोड़कर जाना नहीं चाहती थी लेकिन उसका जाना जरुरी था उसने मंजू और रघु से अमर जी का ख्याल रखने को कहा और जल्दी वापस आने की बात कहकर वहा से चली गयी।

मीरा घर से बाहर आयी गाड़ी में बैठी और गाड़ी वहा से निकल गयी। अभी कुछ दूर ही चली होगी कि मीरा के फोन पर एक अनजान नंबर से फोन आया। मीरा गाड़ी चला रही थी इसलिये उसने फोन को स्पीकर पर डाल दिया और कहा,”हेलो !”
“हाय ! आज भी आपकी आवाज में वही कशिश है मीरा जी”,दूसरी तरफ से एक मर्दाना आवाज उभरी जिसे सुनकर मीरा ने एकदम से गाड़ी को ब्रेक लगाया। आवाज सुनकर ही मीरा के दिल की धड़कने बढ़ गयी वह आगे कुछ बोल ही नहीं पायी

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