Haan Ye Mohabbat Hai – 47
Haan Ye Mohabbat Hai – 47
बारिश में भीगने के बाद मीरा जैसे ही भागते हुए नीचे आयी और रोते हुए अपने कमरे में चली गयी। हॉल में व्हील चेयर पर बैठे अमर जी ने उसे देख लिया। पिछले 5 महीनो से अमर जी इस घर में बस ख़ामोशी से तमाशा देख रहे थे लेकिन उन्होंने कभी मीरा को अपने सामने रोते नहीं देखा क्योकि मीरा हमेशा उनके सामने खुश रहने का नाटक जो किया करती थी। आज जब उन्होंने मीरा को इस हाल में देखा तो उनका दिल कटने लगा।
आस पास कोई था नहीं जिसे अमर जी मदद करने के लिये कह सके इसलिए खुद ही व्हील चेयर का बटन दबाने की कोशिश करने लगे। अपना हाथ उठाने की उन्होंने बहुत कोशिश की लेकिन नहीं उठा पा रहे थे। मीरा के रोने की आवाजे हॉल तक आ रही थी और अमर जी को तकलीफ देने के लिये ये काफी था। अमर जी ने पूरी कोशिश की , उन्हें काफी तकलीफ हो रही थी और वो तकलीफ उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी।
अमर जी ने कोशिश की और आखिरकार उनका हाथ व्हील चेयर के बटन तक चला गया। अमर जी ने उसे दबाया और मीरा के कमरे तक पहुंचे लेकिन अब कमरा खुलवाए कैसे ? न वो बोल सकते थे ना उनमे अभी इतनी जान थी कि वो उठकर दरवाजा खटखटा सके लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत की और ऐसा करते हुए वे व्हील चेयर से नीचे आ गिरे।
अपने कमरे से बाहर आती सौंदर्या ने देखा तो वह चिल्लाई,”भाईसाहब ! रघु , किशना , मंजू कहा मर गए सब के सब ?”
सौंदर्या की एक आवाज पर सभी नौकर दौड़े चले आये उन्होंने जब अमर जी को नीचे गिरे देखा तो उन्हें सम्हाला। बाहर शोर सुनकर मीरा ने दरवाजा खोला और बाहर आयी। अमर जी को नीचे गिरे देखा तो जल्दी से उनके पास आयी और उन्हें सम्हालते हुए कहा,”पापा , पापा क्या हुआ आपको ? पापा ,, पापा यहाँ कैसे आये ?”
“पता नहीं मैडम सौंदर्या मैडम चीखी तो हम सब आये , देखा मालिक यहाँ नीचे गिरे है।”,घर के नौकर रघु ने कहा
“अरे बातें क्या कर रहे हो ? उठाओ इन्हे और इनके कमरे में लेकर चलो,,,,,,,,,,,मीरा मैं तब तक डॉक्टर को फोन करती हूँ।”,सौंदर्या ने परेशानी भरे स्वर में कहा और वहा से हॉल की तरफ चली गयी।
अमर जी अपने कमरे में बिस्तर पर बेहोशी की हालत में लेटे थे। उनके बगल में बैठी मीरा घबराई हुई सी उनकी हथेली को रगड़े जा रही थी। सभी नौकर हाथ बांधे वही खड़े थे। किसी को नहीं पता था अमर जी मीरा के कमरे के सामने कैसे पहुंचे ? डॉक्टर को फोन कर सौंदर्या अमर जी के कमरे में आयी और अमर जी के दूसरी तरफ बैठते हुए नोकरो पर भड़क उठी,”मुझे समझ नहीं आता आखिर भाईसाहब ने तुम्हे इस घर में रखा क्यों है ?
भाईसाहब वहा तक पहुंचे कैसे ? वो खुद तो अपनी व्हील चेयर चला नहीं सकते तुम में से ही किसी की लापरवाही है ये,,,,,,,,,,,,,,,,अगर इन्हे कुछ हो गया तो किसी को बख्शूंगी नहीं मैं”
“भुआ जी शांत हो जाईये,,,,,,,,,,,आपने डॉक्टर को फोन किया कब तक आ जायेंगे वो ?”,मीरा ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“हाँ मैंने उन्हें फोन कर दिया है वो बस आते ही होंगे,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“मुझे तो लगता है ये सौंदर्या मैडम ने ही धक्का दिया होगा साहब जी की व्हील चेयर को,,,,,,,,,!”,मंजू ने फुसफुसाते हुए रघु से कहा
“हाँ मुझे से कब से शक है इन पर लेकिन बन ऐसे रही है जैसे इनसे ज्यादा मालिक की परवाह किसी को नहीं है। बेचारी हमारी मीरा मैडम वो तो इतनी सीधी है कि इनकी बदनीयत को भी नहीं पहचान पा रही,,,,,,!!”,किशना ने कहा
सौंदर्या ने उन्हें खुसर पुसर करते देखा तो कहा,”ए ! ये खुसर फुसर लगा रखी है तुम लोगो ने,,,,,,,,,,,,जाओ यहाँ से और अपना काम करो”
सौंदर्या को गुस्से में देखकर तीनो वहा से चुपचाप चले गए।
कुछ देर बाद अमर जी का फॅमिली डॉक्टर वहा आया और अमर जी का चेकअप किया। उन्होंने इंजेक्शन लगाया और अमर जी को आराम करने देने की बात कहकर कमरे से बाहर चला आया। मीरा और सौंदर्या भी उनके पीछे चली आयी और मीरा ने कहा,”अंकल अब पापा कैसे है ?”
“वे अभी ठीक है , घबराने की कोई बात नहीं है चक्कर आने की वजह से वे बेहोश हो गए। मुझे एक बात बताईये उन्होंने खुद से कोई मूवमेंट करने की कोशिश की है क्या ? जैसे अपना हाथ उठाने या उठकर चलने की ?”,डॉक्टर ने मीरा से पूछा
मीरा कुछ कहती इस से पहले ही सौंदर्या बोल पड़ी,”नहीं नहीं डॉक्टर , मीरा तो अपने कमरे में थी और मैं जब हॉल में आयी तब मैंने देखा भाईसाहब व्हील चेयर से नीचे गिरे हुए है,,,,,,,,,,,,,,आपने ऐसा क्यों पूछा कही भाईसाहब की तबीयत पहले से,,,,,,!!”
“अरे नहीं ! बल्कि मैं तो इसे कुदरत का चमत्कार ही कहूंगा,,,,,,,,,,अमर जी ने जरूर खुद से कोई मूवमेंट किया है जिस से उनकी कुछ नसें एक्टिवेट हुयी है मुझे लगता है जल्दी ही वे चलने फिरने लगेंगे,,,,,,,,,,,!”,डॉक्टर ने कहा
मीरा ने सूना तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसने हैरानी से कहा,”क्या ? क्या कहा आपने ? आप आप सच कह रहे है अंकल ? क्या पापा सच में पहले जैसे हो जायेंगे , पहले जैसे हम से बात करने लगेंगे , कितने महीनो से उन्होंने हमे मीरा कहकर नहीं पुकारा , हम उनकी आवाज सुनने को तरस गए है।”
कहते कहते मीरा की आँखों में आँसू भर आये।
डॉक्टर ने मीरा के सर पर हाथ रखा और कहा,”चिंता मत करो मीरा अमर जी की रिकवरी का चांस अब बढ़ गए है। इस संडे तुम उन्हें रूटीन चेकअप के लिये हॉस्पिटल ले आना। उनका ख्याल रखो और अपना भी ऐसे बात बात में रोते नहीं है।”
मीरा ने अपनी आँखों को पोछा और कहा,”ये तो ख़ुशी के आँसू है अंकल , एंड थैंक यू सो मच”
“ठीक है अब मैं चलता हूँ कोई जरूरत हो तो फोन करना”,कहकर डॉक्टर वहा से चला गया
डॉक्टर के जाने के बाद मीरा सौंदर्या के पास आयी और उनके हाथो को थामते हुए कहा,”भुआ जी आपने सूना ना डॉक्टर अंकल ने क्या कहा ? उन्होंने कहा है पापा अब ठीक हो जायेंगे,,,,,,,,,,वो जल्दी ठीक हो जायेंगे,,,,,,,,,,,हम आज बहुत खुश है भुआजी , बहुत खुश है। हम पापा को बताकर आते है।”
कहकर मीरा अंदर कमरे में चली गयी और सौंदर्या ने अफ़सोस भरी साँस लेकर कहा,”हाह मैं अपने रास्ते से काँटों को हटा रही हूँ और किस्मत मेरे रास्ते में उन्ही काँटों को बार लेकर आ रहे है। जब इस खेल में जीत मोहब्बत से हो सकती है तो फिर ये खून खराबा किसलिये,,,,,,,,,,,भाईसाहब नयी जिंदगी मुबारक हो लेकिन उनके बोलने से पहले मुझे इस खेल को जल्द से जल्द ख़त्म करना होगा।”
कहते हुए सौंदर्या वहा से चली गयी।
मीरा रातभर अमर जी के कमरे में बैठी रही उसकी आँखों में नींद नहीं थी। वह एक पल के लिये भी अमर जी को अकेले छोड़ना नहीं चाहती थी। सुबह होते होते मीरा की आँख लग गयी जब आँख खुली तो उसने देखा अमर जी को होश आ गया है। मीरा अमर जी की पास आयी और उन्हें सब बताया जिसे सुनकर अमर जी की आँखे ख़ुशी से चमक उठी। उन्होंने कोशिश की तो पाया उनका दाया हाथ धीरे धीरे मूवमेंट करने लगा है।
मीरा देखकर बहुत खुश हुई और उसने अमर जी से कहा,”आज हम बहुत खुश है पापा और देखियेगा जल्दी ही आप एकदम ठीक हो जायेंगे। आप सही सलामत है इसके लिये हम मंदिर जाकर महादेव का शुक्रिया अदा करना चाहते है पापा ,, हम जाकर आये पापा ?”
मीरा की बात सुनकर अमर जी ने अपनी पलकें झपका दी। मीरा ख़ुशी से उनके सीने से आ लगी और मंजू से उनका ख्याल रखने को कहकर अपने कमरे में चली आयी।
मीरा नहाकर तैयार हुई। उसने कॉटन की बहुत ही सुन्दर साड़ी पहनी। वह बहुत प्यारी लग रही थी। ललाट पर छोटी लाल बिंदी ,, होंठो पर हलके रंग की लिपस्टिक लगायी और अपना फोन और पर्स लेकर कमरे से बाहर चली आयी।
आज मीरा जल्दी जल्दी में सिंदूर लगाना भूल गयी और उसका ध्यान भी नहीं गया |
सौंदर्या ने देखा तो मीरा की बलाये लेते हुए कहा,”थू थू थू किसी की नजर ना लगे बिल्कुल अपनी माँ जैसी लग रही हो मीरा,,,,,,,,,,,,,,तुम्हे देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि तुम शादीशुदा हो ,, अरे ! तुम चाहो तो आज भी लाखो लड़के तुम से शादी करने को तैयार है।”
“भुआजी ! ये कैसी बाते कर रही है आप ? हम पहले से किसी की पत्नी है हम किसी और से शादी के बारे में कैसे सोच सकते है ?”,मीरा ने नाराज होकर कहा
“तुम सोचो ना सोचो मीरा लेकिन मैं तो तुम्हे फिर से शादी के जोड़े में देखना चाहती हूँ।”,सौंदर्या ने आँखों में चमक भरते हुए कहा
मीरा ने सूना तो उसे बहुत दुःख हुआ और उसने कहा,”इस जन्म में तो क्या अगले 7 जन्म में भी ऐसा नहीं होगा भुआजी,,,,,,,,,,हम किसी और की अमानत है।”
मीरा को गुस्से में देखकर सौंदर्या ने कुछ नहीं कहा बस मुंह बनाया और वहा से चली गयी।
मीरा का अच्छा खासा मूड सौंदर्या ने सुबह सुबह खराब कर दिया था लेकिन मीरा को मंदिर जाना था इसलिये वह चली गयी।
बीती रात मीरा के बारे में बात करके राधा ने कही न कही अक्षत का दिल दुखा दिया था। राधा को अक्षत से बात करनी थी लेकिन कैसे करती अक्षत सुबह जल्दी निकल जाता और रात में देर से घर आता। राधा ने आज सुबह के नाश्ते की जिम्मेदारी तनु और नीता को सौंप दी और खुद मंदिर जाने की तैयारी करने लगी। राधा चाहती थी कि अक्षत और मीरा की गलतफहमियां दूर हो जाये और दोनों एक दूसरे को माफ़ कर फिर से इस घर में साथ साथ रहे।
यही सोचते हुए राधा ने पूजा की थाली तैयार की उन्होंने माँ गौरी को भेंट चढाने के लिये थाली में 16 श्रृंगार की चीजे और चुनरी रखी। उस थाली में सिंदूर भी रखा था। राधा ने थाली को अच्छे से ढका और हॉल में पड़े सोफे पर आकर बैठ गयी। उन्हें सिर्फ अक्षत के साथ ही जाना था इसलिये बाकी सब ऑफिस चले गए।
कुछ देर बाद अक्षत अपना कोट और बैग लेकर नीचे आया। वह दरवाजे की तरफ जाने लगा तो राधा ने कहा,”आशु ! क्या तुम मुझे शिव गौरी मंदिर के सामने छोड़ दोगे ? मैंने मन्नत मांगी थी इसलिए माँ को श्रृंगार का ये सामान चढ़ाना है आज अच्छा दिन है तो क्या मैं तुम्हे साथ चलू ?”
“माँ आप भाई के साथ चले जाईये मुझे कोर्ट जाने में देर हो जाएगी।”,अक्षत ने कहा
“कोई देर नहीं होगी बेटा वो मंदिर तुम्हारे कोर्ट जाने वाले रास्ते में ही तो पड़ता है और अर्जुन भी ऑफिस चला गया। अगर तुम नहीं छोड़ सकते तो कोई बात नहीं ऑटो से चली जाउंगी”,राधा ने उदास होने का नाटक करते हुए कहा
“गाड़ी होते हुए आप ऑटो से क्यों जाएँगी ? आईये मैं छोड़ देता हूँ।”,अक्षत ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया
जाते जाते राधा ने किचन के बाहर खड़ी नीता और तनु को देखा तो दोनों मुस्कुरा दी क्योकि राधा की चालाकी दोनों समझ चुकी थी। राधा भी मुस्कुराई और वहा से चली गयी।
बाहर आकर अक्षत ने राधा के लिये गाड़ी का दरवाजा खोला। राधा आगे वाली सीट पर आ बैठी अक्षत भी ड्राइवर सीट पर आ बैठा और गाड़ी स्टार्ट कर आगे बढ़ा दी।
रास्तेभर अक्षत और राधा खामोश रहे। अक्षत ने राधा को शिव मंदिर के बाहर छोड़ा और वहा से चला गया। इत्तेफाक से मीरा भी इसी मंदिर में आयी थी। राधा सीढ़ियों से ऊपर मंदिर चली आयी। महादेव और माँ गौरी के सामने खड़े होकर राधा प्रार्थना करने लगी,”हे महादेव माँ गौरा जैसे आप दोनों हमेशा साथ रहे मेरे अक्षत मीरा को भी साथ कर दीजिये। उनके दिलो की नफरत को खत्म कर उनमे मोहब्बत भर दीजिये महादेव्”
कुछ ही दूर खड़ी मीरा हाथ जोड़े आँखे मूंदे अमर जी के ठीक हो जाने के लिये महादेव का शुक्रिया अदा कर रही थी। मीरा ने अपनी आँखे खोली और महादेव गौरी माँ को देखकर कहने लगी,”हमने कभी नहीं सोचा था महादेव कि हमारी जिंदगी में ऐसा भी लम्हा आएगा जब हमे अक्षत जी के बिना जीना होगा , उन्हें देखे बिना , उन्हें सुने बिना , उन्हें महसूस किये बिना , एक एक दिल हमारे मन पर एक एक साल जैसे गुजरता है महादेव,,,,,,,,,,,,,,,,
उनके सामने जाकर हम उनके भरे हुए जख्मो को फिर से कुरेदना नहीं चाहते लेकिन ये आँखे , ये आँखे उन्हें देखने के लिये तरस गयी है महादेव,,,,,,,इत्तेफाक से ही सही क्या ऐसा नहीं हो सकता वो हम से टकरा जाये,,,,,,,,,,,बस एक बार उन्हें जी भरकर देख ले इस से ज्यादा हमे आपसे और कुछ नहीं चाहिए।”
कहते हुए मीरा की आँखों में ठहरे आँसू उसके गालों पर बह गए
अक्षत मंदिर से कुछ ही दूर गया था कि उसकी नजर गाड़ी की पिछली सीट पर रखी पूजा की थाली पर गयी जिसे राधा ने जान बूझकर वहा छोड़ा था। अक्षत ने गाड़ी वापस घुमाई और मंदिर के सामने लाकर रोक दी। अक्षत ने राधा को फोन किया लेकिन उनका फोन भी घर पर था। अक्षत ने थाली उठायी और खुद ही लेकर सीढिया चढ़ते हुए मंदिर की तरफ जाने लगा।
महादेव से प्रार्थना करते हुए मीरा की आँखो से आँसू बहने लगे वह वहा से बाहर आ गयी।
“मीरा,,,!”,राधा की नजर एकदम से मीरा पर पड़ी तो वो बड़बड़ाई ,, वे मीरा को रोकने उसकी तरफ आने लगी लेकिन मंदिर में भीड़ होने की वजह से वे मीरा को रोक नहीं पायी
मीरा कुछ ज्यादा ही भावुक हो गयी इसलिये रोते हुए सीढ़ियों से नीचे जाने लगी। इसे इत्तेफाक कहे या मेरे महादेव् का आशीर्वाद अक्षत भी उन्ही सीढ़ियों से होकर ऊपर आ रहा था जिनसे मीरा नीचे आ रही थी। दोनों एक दूसरे के सामने थे और दोनों ने ही एक दूसरे को नहीं देखा मीरा जैसे ही अक्षत के बगल से गुजरने लगी पास से गुजरते लड़के का हाथ अक्षत के हाथ से जा लगा और उसके हाथ पकड़ी थाली हवा में उछल गयी
जिस से थाली में रखा सिन्दूर उछलकर मीरा की सुनी मांग में जा गिरा। मीरा और अक्षत जैसे ही एक दूसरे की तरफ पलटे दोनों का दिल एक धड़क उठा। उन दोनों के फिर से एक होने की घोषणा महादेव अपने मंदिर में जो कर चुके थे।
Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47Haan Ye Mohabbat Hai – 47
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संजना किरोड़ीवाल
Finally something is good going to happen.
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Dil khush ho gya
Wha…last wala bilkul tv serial k jaisa seen tha.. but achcha tha, quki humari favourite jodi ek hogi juda nhi…issi bahane se Akshat aur Meera mil bhi liye…bas jaldi se Amar ji thik ho jaye to fir wo Soundrya bua ko ghar se nikal kar Akshat aur Meera ko ek karenge… bhagwan unki Soundrya bua se raksha kare
Very nice part
💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫💫
Bua ji kar lagne laga hai.. accha hai amar ji jaldi theek ho jaye..
ha ye last wala sean TV serial ki tarah laga but dono n ek dusare ko dekha .. meera ki ikcha puri hui bechari raat se pareshan hai….
Amar ji Meera ko rote hue dekh kar unhe accha nahi laga aur voh Meera ke pass janne lage aur utne ki koshish karte hue behosh hogaye toh Dr aye unke check up ke baad kaha ki voh jald tikh hojayenge jisse sunkar Meera kush aur Soundarya jald hi kuch karne ka sochene lagi…Radha ki Zid ki wajahse unhe Mandir chotna pada aur voh jankar Thali Gadi me chod diya takhi Akshat mandir asake aur Meera bi issi mandir ne ayi hai aur Mahadev se pray kiya ek bar Akshat ki jalk dekhne ko mil jaye aur Mahdev ne uski sunli aur Akshat Radha ko thali lautane ussi sidhiyo se araha jis sidhiyo Meera niche utar rahi hai aur ek ladke ke dhakka dene ki wajahse Akshat hath ki thali chut gayi aur usme jo sindur tha voh Meera ki Manga per gir gaya aur is tarah Mahadev ka Aashirvaad bi mil gaya dono ko aur dono ek dusre ko dekhne lage…interesting part Maan♥♥♥♥
Mahadev aur ma gauri bhi nahi chahti ki wo dono alag hon.amer ji thik ho jayenge aur saundarya lakh chahe dono milkar rahenge