Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

Haan Ye Mohabbat Hai – 40

Haan Ye Mohabbat Hai – 40

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अमर जी के ऑफिस आकर अक्षत ने एक डील पर साइन किये और यहाँ उसे वरुण से एक पेन मिला जो कि उसे उस आदमी तक पहुंचा सकता था। अक्षत अभी भी उलझन में था कि अमर जी ने अपनी कम्पनी के 50 परसेंट शेयर्स अक्षत के नाम क्यों किये ? अक्षत अपनी गाडी के पास आए और जैसे ही दरवाजा खोलने लगा मैनेजर ने उसके पास आकर कहा,”अक्षत सर,,,,,,,,,!!”
अक्षत मैनेजर की तरफ पलटा तो मैनेजर ने कहा,”यहाँ आने के लिये थैंक्यू सो मच , अंदर वरुण जी के सामने मैं कुछ कह नहीं पाया लेकिन मुझे आपको कुछ बताना है सर,,,,,,,,,!!”


“क्या ?’,अक्षत ने कहा
मैनेजर ने इधर उधर देखा और कहने लगा,”सर 2 महीने से अमर सर ऑफिस नहीं आ रहे थे पूछने पर पता चला वे किसी बिजनेस ट्रिप पर शहर से बाहर गए है लेकिन सर अमर जी की हर बिजनेस मीटिंग और डील मैं खुद फिक्स करता हूँ और उनके हर बिजनेस ट्रिप के बारे में मुझे जानकारी रहती है लेकिन पहली बार सर बिना किसी को बताये इतनी लम्बी ट्रिप पर शहर से बाहर गए थे वो भी तब जब आपके और मीरा जी के जीवन में कुछ सही नहीं चल रहा था ये बात थोड़ी अजीब लगी।

तब से ना सर ऑफिस आये और ना मेरी उनसे बात हुई , ऑफिस का स्टाफ और बाकि लोग अपने हिसाब से कम्पनी और इसके काम  सम्हाले हुए है और अमर लौटे भी तो इस हाल में,,,,,,,,,,ये हादसा नहीं हो सकता सर ये किसी की सोची समझी चाल है , कोई तो है जो उन्हें मारना चाहता है।”
मैनेजर की बात सुनकर अक्षत हैरानी से उसकी  तरफ देखने लगा और कहा,”आप इतना यकीन से कैसे कह सकते है ?”

मैनेजर ने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”क्योकि कुछ दिन पहले अमर जी के छोटे भाई और उनकी बहन यहाँ आये थे वो इस कम्पनी के सभी शेयर्स बेचना चाहते थे लेकिन मैंने मना कर दिया क्योकि बिना अमर जी के साइन के इस कम्पनी के शेयर्स बेचना तो दूर उन्हें यहाँ से वहा भी नहीं किया जा सकता। अमर जी की गैर मौजूदगी में सिर्फ आप और मीरा मैडम इस कम्पनी के हक़ में फैसले ले सकते है बाकी ये हक़ किसी को नहीं है। ये बात सुनकर वे लोग काफी परेशान भी हो गए थे।

सर मैं स्योर तो नहीं हूँ पर हो सकता है अमर सर के एक्सीडेंट के पीछे इन्ही लोगो का हाथ हो.,,,,,,,,,,,,, आपको क्या लगता है सर ?”
अक्षत ने पूरी बात सुनी और कुछ देर शांत रहने बाद कहा,”मुझे नहीं लगता वो लोग ऐसा करेंगे , दुनिया का कोई भी भाई अपने भाई के साथ ऐसा करने का नहीं सोचेगा,,,,,,,,,,,आपको शायद गलत फहमी हुई है।”
“आप ये कैसे कह सकते है ?”,मैनेजर ने पूछा


“क्योकि मैं भी किसी का भाई हूँ , अब मैं चलता हूँ मुझे कुछ जरुरी काम है।”,अक्षत ने गाड़ी का दरवाजा खोलते हुए कहा
“जी सर”,मैनेजर ने हाथ बांधे कहा और अक्षत वहा से चला गया।

गाड़ी चलाते हुए अक्षत उस पेन को हाथ में लेकर देखने लगा। ये पेन अक्षत पहले भी कही देख चुका था लेकिन कहा और किस के पास अक्षत को ये याद नहीं आ रहा था  
अक्षत ने अपने दिमाग पर जोर डाला और याद करने की कोशिश की एकदम से उसे कुछ साल पहले की बात याद आयी। अक्षत के जहन में मीरा की कही बात कोंध गयी जब उसने कहा था,”अक्षत जी ये पेन आप हमे दे दीजिये , इसे हम हमारे मैनेजर अखिलेश जी को देंगे”


“लेकिन मीरा ये पेन बहुत कीमती है और इसे मैं सिर्फ तुम्हे देना चाहता था ,, ये मुझे एडवोकेट सिन्हा जी से मिला है,,,,,,,,खैर तुम्हारा मन है तो तुम इसे अखिलेश को दे सकती हो।”,अक्षत ने कहा
अक्षत को जैसे ही ये बात याद आयी उसने एकदम से गाड़ी को ब्रेक लगाया और पेन को अपने सामने करके कहा,”इसका मतलब ये पेन अखिलेश का हैं , उस रात अखिलेश मीरा से मिलने हॉस्पिटल आया था और उस से ये पेन गिर गया तो क्या वो अखिलेश है जो अब तक मेरे साथ ये खेल खेल रहा था , क्या उसने अमायरा को,,,,,,,,,,,,,,,,,,!


 ये ख्याल दिमाग में आते ही अक्षत का चेहरा लाल हो गया और आँखों में गुस्से के भाव तैरने लगे। अक्षत ने गाड़ी घुमाई और जितनी तेज चला सकता था चलाने लगा। आँखों के सामने छवि के साथ हुआ अन्याय घूमने लगा , अमायरा के जाने का दर्द उसकी आँखों में झलकने लगा और मीरा का उसकी जिंदगी से चले जाना ,  पिछले दो महीनो में अक्षत ने जो सहा वो सब किसी फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने घूमने लगा और अंत में जाकर रुका अखिलेश पर,,,,,,,,,,,,,,,

अक्षत को अखिलेश पहले भी पसंद नहीं था लेकिन वह मीरा का मैनेजर था इसलिए अक्षत ने कभी उस से कुछ कहा नहीं लेकिन इस बार अखिलेश ने जो किया वो ना भूल जाने के काबिल था ना ही माफ़ी के,,,,,,,,,,,,,,,,,!!

चाइल्ड होम अभी दूर था लेकिन अक्षत जानता था अखिलेश उसे इस वक्त चाइल्ड होम ही मिलेगा। अक्षत ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी और कुछ वक्त बाद ही कार चाइल्ड होम के बाहर थी। अक्षत गाड़ी से नीचे उतरा और सीधा अंदर चला आया। बच्चे लॉन में खेल रहे थे कुछ स्टाफ यहाँ वहा घूम रहा था लेकिन अखिलेश कही दिखाई नहीं दिया। अक्षत ने  गुस्से से कहा,”अखिलेश , अखिलेश,,,,,,,,,!”
अक्षत को वहा देखकर गौरी वहा आयी और कहा,”सर अखिलेश सर अपने केबिन में है।”


अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस गुस्से में तेजी से वहा से निकल गया। अक्षत को वहा ऐसे आया देखकर बाकी सब आपस में खुसर पुसर करने लगे। अक्षत अखिलेश के केबिन में आया। अखिलेश उस वक्त अपनी टेबल के पास खड़ा कोई फाइल देखने में बिजी था। किसी के आने की आहट हुई तो अखिलेश पलटा अक्षत को वहा देखकर हैरान हुआ लेकिन जैसे ही उसने अक्षत को गुस्से में देखा उसने फाइल बंद करके टेबल पर रख दी और कहा,”आप यहाँ ?”


“क्या तुम्हे याद है मीरा ने एक बार तुम्हे एक पेन दिया था।”,अक्षत ने कहा
“हाँ लेकिन दो दिन पहले वो मुझसे कही गिर गया और अभी तक नहीं मिला”,अखिलेश ने कहा
“क्या ये वो पेन है ?”,अक्षत ने जेब से पेन निकालकर अखिलेश के सामने करते हुए पूछा
“हाँ यही है , ये आपको कहा मिला ?”,अखिलेश ने खुश होकर अक्षत की तरफ आते हुए कहा
“उस रात तुम मीरा से मिलने क्यों गए थे ?”,अक्षत ने पेन वापस अपने जेब में रखते हुए कहा


“मीरा मैडम से मिलने ? मैं तो पिछले कई दिनों से उनसे मिला तक नहीं हूँ,,,,,,,,,,,,,आप ऐसा क्यों पूछ रहे है ?”,अखिलेश ने हैरानी से कहा
अक्षत ने खींचकर एक थप्पड़ अखिलेश को मारा और कहा,”झूठ मत बोलो अखिलेश,,,,,,,,,अमायरा का किडनेप करने वाले तुम ही थे , उसे मारने वाले भी तुम ही थे , मीरा के पापा को मारने की कोशिश करने वाले भी तुम ही थे और अब तक जो खेल तुमने खेला है उसके असली कल्प्रिट भी तुम ही हो,,,,,,,,,,,,,,क्यों किया तुमने ऐसा ? क्यों किया ? क्या बिगाड़ा था मैंने और मेरी फॅमिली ने तुम्हारा,,,,,,,,,,,आखिर तुम ऐसी घटिया कैसे कर सकते हो ?”


अखिलेश अपने बचाव में कुछ कह पाता या अक्षत को रोक पाता इस से पहले ही अक्षत ने उसे बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया। अखिलेश के होंठो से , नाक से खून निकलने लगा था , वह अधमरा हो चुका था। झगडे और अखिलेश की आहें सुनकर स्टाफ दौड़ा चला आया लेकिन अक्षत को गुस्से में देखकर किसी ने उसे  रोका नहीं और अखिलेश अक्षत से मार खाता रहा। स्टाफ में से एक ने पुलिस को फोन करने की कोशिश की तो वहा के दूसरे स्टाफ ने कहा,”अरे रहने दो , इसके साथ यही होना चाहिए।

मैडम के जाने के बाद इसने इस चाइल्ड होम को बिजनेस होम बना दिया हैं। अपनी मनमर्जिया चला कर पुरे चाइल्ड होम को बर्बाद कर रखा है। अगर मैडम के पति इतना गुस्से में है तो जरूर इसने कोई ऐसी हरकत की होगी,,,वरना अक्षत सर तो कितने अच्छे इंसान है कभी किसी से ज्यादा बात तक नहीं करते।”
लड़का पुलिस को फोन करने से रुक गया।    

अखिलेश को गुनहगार समझकर अक्षत उसे पीटता रहा और आखिर में अखिलेश धड़ाम से नीचे जमीन पर आ गिरा। अक्षत ने गुस्से में इधर उधर देखा तो एक टेबल पर रखा एक बड़ा सा स्टेच्यू उसे दिखाई दिया अक्षत ने उसे दोनों हाथो से उठाया और जैसे ही अखिलेश पर फेकने को हुआ उसकी आँखों के सामने हंसती मुस्कुराती अमायरा का चेहरा सामने आ गया। अक्षत ने महसूस किया जैसे अमायरा का साया उसे ये गुनाह करने से मना कर रहा हो। उसने उस स्टेच्यू को साइड में फेंक दिया जिसके टुकड़े पुरे केबिन में फ़ैल गए।

अक्षत अखिलेश को ऐसे नहीं छोड़ सकता था इसलिए उसने उसे पुलिस के हवाले करने का सोचा और जैसे ही अपना फोन निकाला उसके फोन पर नवीन का फोन आया। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगाता दूसरी तरफ से नवीन ने कुछ ऐसा कहा जिस से अक्षत के चेहरे का रंग उड़ गया। अक्षत ने एक नजर अखिलेश को देखा और तेजी से वहा से निकल गया।

जमीन पर अधमरी हालत में गिरे अखिलेश ने अपना सर बांयी तरफ घुमाया तो उसकी नजर टेबल के नीचे पड़े अपने उस पेन पर चली गयी जिसे अखिलेश पिछले दो दिन से ढूंढ रहा था। अखिलेश दर्द में भी हल्का सा मुस्कुराया और फिर बेहोश हो गया। वहा मौजूद स्टाफ को अखिलेश की ये हालत देखकर दया आयी तो उन्होंने अखिलेश को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया लेकिन अखिलेश को मिले सबक से कही ना कही सब खुश थे।


अक्षत के पास जो पेन था वो अखिलेश का नहीं था इसका मतलब उस रात मीरा के कमरे में जो आदमी आया था और जो अक्षत के पीछे पड़ा था वो शख्स अखिलेश नहीं बल्कि कोई था।

नवीन के फोन करने पर अक्षत तुरंत उसके पास पहुंचा। अक्षत को अपने केबिन में देखकर नवीन ने उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया और अपना लेपटॉप अक्षत की तरफ घुमाकर कहा,”तूने मुझे जो नंबर दिए थे उनमे से ये एक नंबर कल रात से एक्टिव आ रहा था और अभी भी एक्टिव है हो सकता है उस आदमी ने ये नंबर बंद ना किया हो इसे नंबर को ट्रेस करके तुम उस आदमी तक पहुँच सकते हो।”
“क्या तुम इसे मेरे लिए ट्रेस कर सकते हो ?’,अक्षत ने उम्मीद भरे स्वर में कहा


“लेकिन,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा क्योकि कही ना कही ये सब करके वह किसी मुसीबत में नहीं पड़ना चाहता था
“प्लीज नवीन मेरे लिए,,,,,,,मेरी बेटी के लिये,,,,,!!”,अक्षत ने नवीन के सामने हाथ जोड़कर मिन्नते करते हुए कहा
नवीन ने उसके हाथो को थामा और कहा,”क्या कर रहा है यार ? मैं करता हूँ पर सिर्फ तेरे लिए,,,,,,,,!!”
नवीन उस नंबर को ट्रेस करने लगा , लगभग आधे घंटे की कड़ी मेहनत के बाद नवीन ने आख़िरकार उस नंबर को ट्रेस कर लिया और खुश होकर कहा,”यस , यस , आई डन इट,,,,,,,,,,,,,,,,वेट लेकिन ये आगे नहीं हो पा रहा यार,,,,,,,,,,,,इस वक्त ये आदमी शिव नगर में है लेकिन शिव नगर तो बहुत बड़ा है तुम इसे कैसे ढूंढोगे ?”


नंबर ट्रेस हो गया लेकिन एक परेशानी अब भी अक्षत के सामने थी। अक्षत कुछ देर सोचता रहा और नवीन से उसका फोन लेकर वह नंबर लेकर डॉयल किया। एक दो रिंग जाने के बाद दूसरी तरफ से किसी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो !”
वो आवाज सुनते ही अक्षत ने अपनी आँखे मूँद ली इस आवाज को भला अक्षत कैसे भूल सकता था ? उसने अपनी आँखे खोली और कहा,”अक्षत व्यास”
इस बार चौकने की बारी उस आदमी की थी।


वह सकपकाया और कहा,”तुम्हारे पास मेरा नंबर कैसे आया ?”
अक्षत मुस्कुराया और कहा,”तू ये मत सोच मेरे पास नंबर कैसे आया ? तू सोच अगर मैं तेरा नंबर पता लगा सकता हूँ तो तुझ तक भी पहुचं सकता हूँ।”

“ग्रेट मिस्टर व्यास अब जब तुम इतना आगे आ ही गए हो तो आज मैं तुम्हे खुद तक पहुँचने का एक मौका देता हूँ। एक घंटा है तुम्हारे पास ढूंढ सकते हो तो ढूंढ लो,,,,,,,,,बेस्ट ऑफ़ लक मिस्टर व्यास”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया
अक्षत ने कुछ नहीं कहा वह बस ख़ामोशी से आदमी की बात सुन रहा था लेकिन उसी के साथ उसका ध्यान कही और भी था। आदमी के फोन काटते ही अक्षत ने कहा,”ट्रेस हुआ ?”


“नहीं यार अक्षत , इस से आगे अगर ट्रेस करने की कोशिश की तो ये नहीं हो पायेगा लेकिन ये इस वक्त शिव नगर में है।”,नवीन ने कहा
अक्षत ने कुछ सोचा और कहा,”शिव नगर में टोटल कितने मंदिर होंगे ?”
नवीन ने चेक किया और कहा,”8 मंदिर है”
“यहाँ से शिव नगर जाने में 40 मिनिट लगेंगे , 20 मिनिट में सब मंदिर देखना नामुमकिन है,,,,,,,!”अक्षत बड़बड़ाया और एक बार फिर आँखे बंद कर उस आदमी की कही बात ध्यान से सोचने लगा।

आदमी जब अक्षत से बात कर रहा था तब बैकग्राउंड से मंदिर की घंटियों की आवाज आ रही थी। अक्षत ने थोड़ा और ध्यान दिया तो फोन रखते वक्त ट्रेन के वहा से गुजरने की आवाज थी जो अक्षत ने सुनी थी। वह एकदम से नवीन की तरफ पलटा और कहा,”नवीन इन मंदिरो में से कोई ऐसा मंदिर है जिसके आस पास रेलवे ट्रेक हो ?”
नवीन ने फिर चेक किया और कहा,”हाँ एक पुराना शिव मंदिर है जो रेलवे ट्रेक के बिल्कुल पास ही में है।”
अक्षत को उम्मीद की एक किरण नजर आयी। उसने नवीन को गले लगाया और तुरंत वहा से निकल गया।

शिव नगर पहुँचने में अक्षत को 40 मिनिट लगे लेकिन मंदिर तक पहुँचते पहुँचते उसे 10 मिनिट और लग गए। अक्षत शिव मंदिर पहुंचा लेकिन वहा काफी लोग थे। इतने लोगो में अक्षत भला उस आदमी का पता कैसे लगाता ? अक्षत पैनी नजरो से सबको देखने लगा लेकिन ऐसा कोई नहीं था जिस पर अक्षत को शक हो वह मंदिर के अंदर चला आया और हाथ जोड़कर महादेव से प्रार्थना करने लगा।

अक्षत मंदिर से बाहर आया वह परेशान सा यहाँ वहा देख ही रहा था कि तभी काले रंग का कोट पहने एक आदमी पर उसकी नजर गयी जिसने चेहरे को मास्क से ढका हुआ था। आदमी बड़े ध्यान से अक्षत को ही देख रहा था। अक्षत को पहचानते देर नहीं लगी ये वही आदमी है अक्षत जैसे ही उसकी तरफ भागा आदमी भी वहा से भागने लगा। अक्षत उसका पीछा करने लगा। आदमी आगे और अक्षत पीछे दोनों के बीच सिर्फ एक हाथ का फ़ासला था।  बार बार वह अक्षत के हाथ आते आते बच जाता। भागते हुए दोनों रेलवे ट्रेक की तरफ चले आये।

पटरियों के बीच आकर अक्षत ने आदमी को पकड़ लिया और उसका मास्क हटाने की कोशिश करने लगा लेकिन आदमी ने एक हाथ से अक्षत के एक हाथ को पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से अक्षत का गला।
आदमी की आँखे बिल्कुल भूरी थी और वह नफरत से अक्षत को देखे जा रहा था।  
अक्षत ने अपनी जी जान लगा दी लेकिन वह उस आदमी का मास्क नहीं हटा पा रहा था। अक्षत बस एक बार उस चेहरे को देखना चाहता था।

अक्षत की आँखों में गुस्सा और उस आदमी के लिए नफरत साफ झलक रही थी। दोनों एक दूसरे को जकड़े वही खड़े थे तभी सामने से आती ट्रेन देखकर अक्षत ने कहा,”हटो यहाँ से तुम मर जाओगे,,,,,,,,,,,,,!!”
आदमी ने कुछ नहीं कहा बस एकटक अक्षत को देखता रहा। ट्रेन धीरे धीरे नजदीक आ रही थी अक्षत के लिये उस आदमी का ज़िंदा रहना बहुत जरुरी था लेकिन उस आदमी के दिमाग में ना जाने क्या चल रहा था वह वहा से नहीं हटा।


“मैं तुम्हे ऐसे मरने नहीं दूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे जानना है क्यों मारा तुमने मेरी बेटी को ? तुम्हे बदला लेना था मुझसे लेते उसकी जान क्यों ली तुमने ?”,अक्षत ने गुस्से से कहा
आदमी ने देखा ट्रेन अब बहुत पास आने वाली है तो उसने अक्षत का गला और हाथ छोड़कर उसे पीछे धकियाते हुए कहा,”गुड बाय मिस्टर व्यास,,,,,,,,,,,,इस  जन्म में तो तुम ये पता नहीं लगा पाओगे कि तुम्हारी बर्बादी के पीछे कौन था ?”


अक्षत पटरियों से दूर जा गिरा वह कुछ कर पाता इस से पहले ही ट्रेन आदमी को कुचलते हुए वहा से आगे बढ़ गयी। वह आदमी अक्षत के सामने था लेकिन अक्षत उसका चेहरा नहीं देख पाया। अमायरा की मौत हमेशा के लिये एक रहस्य बनकर रह गयी।  
अक्षत वहा से चला गया , चलते चलते आँखों के सामने फिर वही भूरी आँखे आ रही थी। अक्षत जैसे इन आँखों को पहले देख चुका था लेकिन अभी वह कुछ याद नहीं कर पा रहा था।

अमायरा को मारने वाला इंसान इस दुनिया से जा चुका था लेकिन अक्षत के दिल को अब भी तसल्ली नहीं थी चलते चलते उसी मंदिर के सामने से गुजरा उसकी नजर महादेव की मूर्ति पर पड़ी तो अक्षत ने अपने हाथ जोड़े और कहा,”अमायरा के कातिल ने खुदखुशी कर ली , मैं नहीं देख पाया वो कौन था ?  उसकी वजह से अमायरा आज हमारे साथ नहीं है ,, आज शायद उसकी आत्मा को थोड़ा सुकून मिले,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर अक्षत वहा से चला गया।

समाप्त

क्या हुआ घबरा गए,,,,,,,,,,,,,,,सोच रहे होंगे अभी तो कहानी में कितने सारे अनसुलझे ट्विस्ट है और मैंने कहानी को ऐसे ही खत्म कर दिया। तो नहीं ऐसा नहीं है कहानी अभी बहुत बाकि है और कई सारे राज से पर्दा भी उठना है। कहानी जारी रहेगी लेकिन अगले भाग में कहानी एक नए ट्विस्ट के साथ शुरू होगी जिसे पढ़ना और भी रोमांचक होगा तो बने रहिये मेरे साथ “हाँ ये मोहब्बत है” Season 3 में,,,,,,,,,,!

Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40

Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40 Haan Ye Mohabbat Hai – 40

Continue With Part Haan Ye Mohabbat Hai – 41

Read Previous Part Haan Ye Mohabbat Hai – 38

Follow Me On instagram

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

One Comment

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!