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Haan Ye Mohabbat Hai – 34 ( Love Story )

Haan Ye Mohabbat Hai – 34

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

कॉन्स्टेबल ने अक्षत को गिरफ्तार किया और वहा से ले गए। विजय जी धड़ाम से सोफे पर आ बैठे , उनके दिल की धड़कने बढ़ गयी। अक्षत ने अमर जी को मारने   की कोशिश की है ये बात विजय जी के साथ घर का कोई भी सदस्य मानने को तैयार नहीं था। अर्जुन पुलिसवालों के पीछे पीछे आया और कहा,”इंस्पेक्टर , इंस्पेक्टर मेरी बात सुनिए ,, आपको जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है ,, मेरा भाई ऐसा नहीं कर सकता,,,,,,,,,,,मीरा , मीरा अक्षत की पत्नी है अक्षत मीरा के पापा के साथ ऐसा क्यों करेगा ?”


“ये सब बातें आप पुलिस स्टेशन आकर कीजिये , हमारे पास इन्हे अरेस्ट करने के लिये सख्त आर्डर है हम कुछ नहीं कर सकते।”,इंस्पेक्टर ने विनम्रता से कहा
अर्जुन को परेशान देखकर अक्षत ने कहा,”भाई ! आप प्लीज जाईये , पापा को सम्हालिए मुझे कुछ नहीं होगा।”
“आशु लेकिन ये सब हो क्या रहा है ? क्या तूने सच में अमर अंकल को,,,,,,,,,,,,,,,,?”,अर्जुन ने अक्षत की तरफ देखकर पूछा


अक्षत ने कहा कुछ नहीं बस धीरे से ना में अपनी गर्दन हिला दी। इतना तो अर्जुन को अपने भाई पर भरोसा था कि अक्षत भले ही कितना भी गुस्से वाला हो वह कभी किसी को नुकसान पहुँचाने का नहीं सोच सकता। पुलिस अक्षत को वहा से लेकर चली गयी। अर्जुन अंदर आया देखा विजय जी बदहवास से सोफे पर  बैठे थे। अर्जुन उनके पास आया और उनके सामने घुटनो पर बैठकर उनके हाथो को अपने हाथो में लेकर कहने लगा,”पापा , पापा आशु ऐसा नहीं कर सकता ? वो कभी इतनी घटिया हरकत नहीं कर सकता।

मीरा और उसके घरवालों को जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है ,,, आशु ऐसा नहीं कर सकता।”
“वो कर सकता है अर्जुन,,,,,,,,,,,,,,,,,वो कुछ भी कर सकता है।”,विजय जी तड़पकर तेज आवाज में कहा
अर्जुन ने सूना तो हैरानी से विजय जी को देखने लगा। विजय जी की आँखों में आँसू और आवाज में कम्पन्न था। उन्होंने अर्जुन को देखा और कहा,”वो कुछ भी कर सकता है
उसका गुस्सा और मीरा के प्रति उसकी नफरत उस से कुछ भी करवा सकती है। उसे कुछ होश नहीं है उसने कितनी बड़ी गलती की है।

क्या उसकी जिंदगी में परेशानिया कम थी जो वह और परेशानिया को न्योता दे रहा है। वो हॉस्पिटल क्यों गया ? और मीरा , मीरा ने ऐसा किया ,, ये सब करने से पहले उसने एक बार भी इस घर के बारे में हम सब के बारे में नहीं सोचा,,,,,,,,,,,,,,,,,ये क्या हो गया है इन दोनों को , आखिर क्यों ये दोनों एक दूसरे के दुशमन बन बैठे है ?”
विजय जी को तकलीफ में देखकर सोमित जीजू उनके पास आये और उन्हें शांत करते हुए कहा,’शांत हो जाईये मौसाजी , सब ठीक हो जाएगा। मीरा ने ऐसा क्यों किया ये तो नहीं पता आशु ऐसा नहीं कर सकता। उसे फसाया जा रहा है,,,,,,,!!”


“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। एक के बाद एक मुसीबते इस घर पर आ रही है। पुलिसवाले मेरे आशु को ले गए पता नहीं वो उसके साथ क्या करेंगे ?”,राधा ने रोते हुए कहा
अर्जुन ने राधा को रोते देखा तो उनके पास चला आया और उन्हें गले लगाते हुए कहा,”माँ , माँ कुछ नहीं हुआ है आशु को ,, मैं और जीजू जा रहे है पुलिस स्टेशन हम ले आएंगे उसे आप प्लीज रोना बंद कीजिये।”
“मुझे मेरा बेटा वापस चाहिए अर्जुन , उसने कुछ नहीं किया है ,, उसने कुछ नहीं किया,,,,,,!!”,राधा ने कहा


उन्हें रोते देखकर विजय जी उठे और उनके पास आकर उन्हें चुप कराते हुए कहा,”राधा , राधा होंसला रखो कुछ नहीं हुआ है अक्षत को वापस आ जाएगा वो,,,,,!!!”
“अमायरा इस घर से गयी थी फिर कभी वापस नहीं आयी , मीरा गयी वो भी वापस नहीं आयी और अब आशु,,,,,,,,,,,,,आशु भी उन लोगो की तरह कभी वापस नहीं आया तो,,,,,,,,,,,,,,नहीं नहीं मुझे मेरे बेटे के पास जाना है।

मुझे अक्षत के पास जाना है।”,राधा ने बदहवास सी हालत में कहा और उठकर जैसे ही जाने को हुई विजय जी ने उसे रोक लिया और पकड़ते हुए कहा,”राधा , राधा होश में आओ राधा,,,,,,,,,,,,,,अक्षत वापस आ जाएगा उसे कुछ नहीं हुआ है। नीता , बेटा इन्हे अंदर कमरे में लेकर जाओ।”
तनु और नीता राधा को वहा से लेकर चले गए। विजय जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था परेशान से वे सोफे पर आ बैठे।

सोमित जीजू ने अर्जुन की तरफ देखा और कहा,”अर्जुन हमे देर नहीं करनी चाहिए ,, अभी वक्त है हमे अक्षत को छुड़ाना होगा,,,,,,,,,,,,,आओ मेरे साथ आओ।”
अर्जुन ने गाड़ी की चाबी उठाई और सोमित जीजू के साथ घर से चला गया।

 पुलिस स्टेशन आकर इंस्पेक्टर ने अक्षत को हवालात में बंद कर दिया और आकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
“इंस्पेक्टर मैंने उन्हें मारने की कोशिश नहीं की है मैं तो उन्हें बचाने के लिये वहा गया था। मैंने कुछ नहीं किया है मेरा यकीन कीजिये,,,,,,,,,!!”,सलाखों के पीछे खड़े अक्षत ने कहा
“ठीक है लेकिन आगे से आर्डर आये है तुम्हे 24 घंटे के लिये हवालात में रहना ही होगा उसके बाद तुम अपने निर्दोष होने का सबूत पेश कर दो , मैं तुम्हे छोड़ दूंगा।”,इंस्पेक्टर ने फाइल देखते हुए कहा


अक्षत समझ गया कि उसे जान बूझकर फंसाया गया है लेकिन FIR मीरा ने की है सोचकर अक्षत का दिल टूटा जा रहा था। उसे यकीं नहीं हो रहा था उस से मोहब्बत करने वाली मीरा उसके साथ ऐसा करेगी। अक्षत ने जब देखा इंस्पेक्टर उसकी बात नहीं सुन रहा है तो ख़ामोशी से एक तरफ खड़े हो गया क्योकि अक्षत समझता था ये वक्त गुस्से और जोश का नहीं बल्कि शांत रहकर सिचुएशन को समझने का है। इस वक्त अक्षत को शांत रहना ज्यादा सही लगा  


 सोमित जीजू और अर्जुन पुलिस स्टेशन पहुंचे। सोमित जीजू ने अक्षत को सलाखों के पीछे देखा तो उन्हें बहुत दुःख हुआ लेकिन इस वक्त उनके हाथ में कुछ नहीं था। अर्जुन इंस्पेकटर के पास आया और कहा,”सर सर आपको ग़लतफ़हमी हुयी है अक्षत ऐसा नहीं कर सकता है। वो किसी को मारना तो दूर किसी जानवर तक को चोट नहीं पहुंचा सकता। सर उसे छोड़ दीजिये प्लीज , पहले ही उसकी जिंदगी में बहुत परेशानिया है,,,,,,,,,,,,,महीने भर पहले उसने अपनी बेटी को खोया है सर प्लीज”


“ए ! क्या लगा रखा है ये ? छोटी मोटी चोरी का इल्जाम नहीं लगा है उस पर,,,,,,,,,,,,,अटेम्प्ट टू मर्डर का इल्जाम लगा है इसका मतलब जानते हो ना तुम ?”,इंस्पेकटर ने अर्जुन पर भड़कते हुए कहा
“सॉरी सर , इसका छोटा भाई है इसलिए भावनाओ में आकर इसने कुछ ज्यादा बोल दिया लेकिन सर अक्षत ऐसा नहीं कर सकता वो खुद एक वकील है। कानून के बारे में सब अच्छे से जानता है वो ऐसी गलती कभी नहीं कर सकता।”,सोमित जीजू ने अर्जुन को साइड करके कहा


“अच्छा वकील है तो मैं क्या करू ? मुझे इन्हे गिरफ्तार करने के आर्डर ऊपर से मिले है। आप इनकी जमानत के पेपर ले आईये मैं इन्हे अभी छोड़ दूंगा।”,इंस्पेक्टर ने कहा
“जमानत के पेपर ? लेकिन इस वक्त तो सब कोर्ट बंद हो चुके है।”,अर्जुन ने परेशानी भरे स्वर ने कहा
“तो कल करवा लेना , तब तक आज की रात हवालात में गुजारने दो इन्हे,,,,,,,,,,,,वैसे भी बहुत गर्मी है इनमे , एक रात यहाँ रहेगा तो निकल जाएगी”,इंस्पेक्टर ने अक्षत को घूरकर देखते हुए कहा  


इंस्पेक्टर की बात सुनकर अर्जुन परेशान हो गया उसने निराश होकर सोमित की तरफ देखा लेकिन सुबह तक का इंतजार करने के अलावा दोनों के पास और कोई चारा भी नहीं था।

विजय जी को जब पता चला कि अक्षत के खिलाफ FIR  मीरा ने करवाई है तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। मीरा को उन्होंने हमेशा अपनी बेटी समझा लेकिन आज मीरा के इस फैसले ने उनका दिल तोड़ दिया। विजय जी अक्षत को जेल में भी नहीं देख सकते थे इसलिए वे उठे और बिना किसी को कुछ बताये घर से निकल गए। विजय जी सीधा हॉस्पिटल आये जहा अमर जी एडमिट थे। शाम का वक्त था और सूरज धीरे धीरे अब ढलने जा रहा था। विजय जी ICU के बाहर आये देखा मीरा सर झुकाये सोफे पर बैठी है। उसी के बगल में सौंदर्या बैठी थी।

सौंदर्या ने जब विजय जी को वहा देखा तो उठकर उनके पास आयी और कहा,”अब आप यहाँ क्या लेने आये है ? यहाँ तमाशा करके आपके बेटे का मन नहीं भरा जो अब आपको यहाँ भेज दिया।”
“ये कैसी बाते कर रही है आप ? मैं यहाँ मीरा से मिलने आया हूँ। उसे बताने आया हूँ कि अक्षत पुलिस ले गयी है उनका कहना है अक्षत ने अमर जी को मारने की कोशिश की हैं पर ये सच नहीं है बहिन जी , मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता , अक्षत ऐसी घटिया हरकत कभी नहीं कर सकता। मीरा को समझाइये वो बहुत बड़ी गलती कर रही है।”,विजय जी ने विनम्र भाव से कहा


” ओह्ह्ह तो अब आप समझायेंगे क्या सही है क्या गलत ? भाईसाहब अगर आज मैं सही वक्त पर नहीं पहुँचती तो अक्षत ने तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया होता,,,,,,,,,,बेचारी मेरी बच्ची मीरा आखिर उसने क्या बिगाड़ा है अक्षत का जो वह उसे इतना दर्द दे रहा है।”,सौंदर्या ने तुनकते हुए कहा
“आपको जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है बहन जी अक्षत ऐसा नहीं कर सकता। मैं उसकी तरफ से माफ़ी मांगता हूँ लेकिन उसे इतनी बड़ी सजा भी मत दीजिये।  मीरा से कहिये वो अपनी FIR  वापस ले और अक्षत को जेल से बाहर निकाले मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूँ।”,विजय जी ने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा


“मीरा अपनी FIR वापस नहीं लेगी , अरे सड़ने दीजिये उसे जेल में ,,  बहुत अकड़ है ना उसे एक रात हवालात में रहेगा तो सारी अकड़ निकल जाएगी”,सौंदर्या ने अक्षत के लिये अपनी नफरत जाहिर करते हुए कहा
“बहन जी,,,,,,,,,,,,,,!”,इस बार विजय जी ने तेज आवाज में गुस्से से कहा
मीरा के कानो में विजय जी की आवाज पड़ी तो उसने सर उठाकर देखा। विजय जी को सौंदर्या भुआ के साथ देखकर मीरा उठी और उनकी तरफ चली आयी।


विजय जी को वहा देखकर मीरा थोड़ी उलझन में थी। विजय जी मीरा के पास आये और कहा,”मीरा ये सब क्या बेटा ? मैं कभी सोच भी नहीं सकता तुम ऐसा करोगी , तुम इतनी समझदार और सुलझी हुई लड़की हो तुम ऐसा बचकाना फैसला कैसे ले सकती हो मीरा ? आखिर आशु की गलती क्या है ?”

 “ये आप हम से पूछ रहे है पापा , आप जानते भी उन्होंने क्या किया उन्होंने हमारे पापा की जान लेने की कोशिश की पापा,,,,,,,,,,,,,,,हमे नफरत दिखाने के लिए वो इतना गिर गए कि उन्होंने हमारे पापा को हम से छीनने की कोशिश की। क्या उन्होंने आपको ये नहीं बताया पापा,,,,,,,हम कभी सपने में भी नहीं सोच सकते अक्षत जी हमारे पापा के साथ ऐसा करेंगे,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने आँखों में आँसू भरकर कहा


“मीरा मीरा बेटा तुम्हे जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है , मैं अक्षत को बहुत अच्छे से जानता हूँ , मैं मानता हूँ उसका गुस्सा तेज है लेकिन गुस्से में भी वो कभी किसी की जान लेने की नहीं सोचेगा,,,,,,,,,,,,,,वो भी तुम्हारे पापा की , मैं मान ही नहीं सकता मीरा ,, अरे वो तो अमर जी को मुझ से भी ज्यादा मानता है। वो उनकी जान कैसे ले सकता है ? नहीं मीरा आशु ऐसा नहीं कर सकता,,,,,!!”,विजय जी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा


सौंदर्या खामोशी से सब सुन रही थी उसने कुछ नहीं कहा वह चाहती थी मीरा खुद ही इस बार व्यास फैमिली को हमेशा हमेशा के लिये खुद से दूर कर दे। अखिलेश भी कुछ सामान लेने नीचे गया हुआ था अभी तक आया नहीं था।
“उन्होंने ऐसा किया है पापा हमने खुद अपनी आँखों से देखा है,,,,,,,,,,,,,,!!”,मीरा ने तड़पकर कहा
“और इसलिए तुमने अक्षत के खिलाफ FIR कर दी , उसे जेल भेज दिया। तुमने एक बार भी नहीं सोचा मीरा वो तुम्हारा पति है।”,विजय जी ने निराशा भरे स्वर में कहा


मीरा ने जैसे ही सूना उसे अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ क्योकि मीरा ने तो किसी के खिलाफ कोई भी कंप्लेंट नहीं की थी। वह विजय जी की तरफ आने लगी लगी और कहा,”FIR ? लेकिन हमने कोई,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या ने बात को बिगड़ते देखा तो मीरा को रोकते हुए कहा,”अरे मीरा ! तुम क्यों इनके मुंह लग रही हो ? इन सबकी तो आदत रही है मीठा बोलकर गला काटने की , अक्षत ने आज जो घटिया हरकत की ना वो भूलने लायक है ना माफ़ी के लायक है,,,,,,,,,,,,,!!”


मीरा आगे कुछ बोल ही नहीं पायी उसके जहन में बस यही चल रहा था कि अक्षत जेल में है। मीरा हैरानी से विजय जी को देखने लगी तो विजय जी ने आँखों में आँसू भरकर कहा,”तुमने आज सबका दिल तोड़ दिया मीरा , तुम्हे लगता है अक्षत गलत है और उसे जेल भेजकर तुम जीत जाओगी तो हाँ मीरा तुम जीत चुकी हो ,  नफरत की इस जंग में तुम जीत चुकी हो आज तुम्हारा प्यार , तुम्हारा भरोसा , तुम्हारा अक्षत बेकसूर होने के बाद भी जेल की सलाखों के पीछे खड़ा है तो हाँ तुम जीत चुकी हो लेकिन ये जीत हासिल करके तुमने उसे हार दिया,,,,,,,,,,,,,,,तुमने अक्षत को हार दिया मीरा।”


विजय जी कहते कहते मीरा के सामने चले आये। घूमते घामते अखिलेश भी वहा आ पहुंचा। अखिलेश को देखकर सौंदर्या ने उस से इशारा किया तो अखिलेश विजय जी और मीरा की तरफ चला आया। अखिलेश ने विजय जी को पीछे धकियाते हुए कहा,”ए दूर हटो मीरा से,,,,,,,!!”
विजय जी का बैलेंस बिगड़ा और वे निचे फर्श पर जा गिरे। मीरा ने उनकी तरफ जाना चाहा तो सौंदर्या ने  मजबूती से उसकी कलाई पकड़ी और उसे खींचते हुए वहा से ले गयी। मीरा चाहकर भी कुछ कर नहीं पायी और विजय जी नीचे फर्श पर गिरे बेबस निगाहो से मीरा को देखते रहे।

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