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Haan Ye Mohabbat Hai – 33 ( Love Story )

Haan Ye Mohabbat Hai – 33

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

ICU के बाहर बैठी मीरा का चेहरा उदासी से घिरा हुआ था। सही वक्त पर पहुंचकर डॉक्टर ने अमर जी को बचा लिया। अमर जी अब ठीक थे लेकिन मीरा उन्हें एक पल के लिये भी अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। उसी शाम ऑफिस के बाद सोमित जीजू और अर्जुन विजय जी के कहने पर मीरा से मिलने हॉस्पिटल चले आये। लिफ्ट से दोनों ऊपर आये , दोनों मीरा से मिलते इस से पहले ही सौंदर्या उन दोनों के सामने आयी और कहा,”तुम दोनों यहाँ क्या रहे हो ?”
“ये मैं आपको बताना जरुरी नहीं समझता”,अर्जुन ने सौंदर्या को देखकर गुस्से से लेकिन दबी आवाज में कहा  


 सोमित जीजू ने अर्जुन की तरफ देखा और ना में गर्दन हिला दी। सौंदर्या ने सुना तो मुंह बनाते हुए कहा,”वाह क्या बात है , एक भाई यहाँ जख्म देने आता है और दुसरा भाई मरहम लगाने”
“”आप कहना क्या चाहती है ?”,इस बार सोमित जीजू ने पूछा
सौंदर्या ने सोमित जीजू की तरफ देखा और कहा,”यही की व्यास फॅमिली ने ये क्या तमाशा लगा रखा है ,,तुम्हारा वो छोटा साला यहाँ आया था ,, यहाँ आकर उसने कितना ड्रामा किया,,,,,,,,,,,,,,क्या ये बात उसने आपको नहीं बताई ?”
सोमित जीजू ने सूना तो हैरानी से अर्जुन की तरफ देखा।

अर्जुन भी ये सोचकर हैरान था कि अक्षत आज हॉस्पिटल आया था। अर्जुन ने सौंदर्या की बात नजरअंदाज करते हुए कहा,”मुझे नहीं पता आशु यहाँ क्यों आया था ? मैं यहाँ सिर्फ मीरा से मिलने हु”
“मीरा तुम लोगो से मिलना नहीं चाहती,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“ये फैसला करने वाली आप कौन होती है ? साइड हटिये हम लोगो को जाने दीजिये,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा


“तुम लोगो को मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा रुको मैं मीरा से ही कहलवा देती हूँ।”,सौंदर्या ने कहा और पलटकर बेंच पर बैठी मीरा से कहा,”मीरा बेटा , ये लोग तुमसे मिलने आये है।”
सौंदर्या की आवाज सुनकर मीरा उठी और उनकी तरफ आने लगी मीरा को अपनी ओर आता देखकर अर्जुन और सोमित जीजू मुस्कुरा उठे। मीरा कुछ दूर आकर रुक गयी और सौंदर्या से कहा,”भुआ जी ! इन से कह दीजिये यहाँ से चले जाए और आज के बाद व्यास फॅमिली से कोई यहाँ न आये”


मीरा की बात सुनकर सौंदर्या मुस्कुरा उठी उसने अर्जुन और सोमित की तरफ देखा जो कि हैरान परेशान से मीरा को देख रहे थे। उन्हें यकीन नहीं हुआ ये बात खुद मीरा कह रही थी।
“लेकिन मीरा,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहना चाहा लेकिन मीरा उनकी बात सुने बिना ही वहा से चली गयी।
“अब खड़े खड़े मेरा मुंह क्या देख रहे हो जाओ यहाँ से ,, व्यास फॅमिली के लिये मीरा के दिल के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो चुके है।”,सौंदर्या ने कहा और वहा से चली गयी।

“जीजू मीरा ऐसा कैसे कर सकती है ? मैं अभी जाकर से बात करता हूँ”,अर्जुन ने कहा तो सोमित जीजू ने उसकी बाँह पकड़कर उसे रोक लिया और कहा,”नहीं अर्जुन ! मीरा ने खुद मना किया है कि हम लोगो से मिलना नहीं चाहती,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आशु यहाँ आया था इसका मतलब जरूर कुछ बात हुई है। हमे पहले घर चलना चाहिए”
 सोमित की बात सुनकर अर्जुन ने हामी भर दी और दोनों वहा से घर के लिये निकल गए।

मीरा ने सोमित जीजू और अर्जुन से मिलने से मना कर दिया और ये हुआ सौंदर्या भुआ की वजह से,,,,,,,,,,,,,, वेंटिलेटर का तार सौंदर्या भुआ ने निकाला लेकिन सही मौके पर अक्षत को फंसा दिया। मीरा उस वक्त इतनी कन्फ्यूज थी कि उसने मान भी लिया ये सब अक्षत ने किया है। अक्षत के जाने के बाद सौंदर्या ने मीरा को उलटा सीधा भड़का कर अक्षत और व्यास फॅमिली के खिलाफ भड़का दिया। ICU के बाहर खड़ी मीरा शीशे की खिड़की से अंदर लेटे अमर जी को देख रही थी।

अमर अब ठीक थे और खतरे से बाहर थे। उन्हें देखते हुए मीरा मन ही मन खुद से कहने लगी,”क्यों अक्षत जी ? आखिर क्यों किया आपने ऐसा ? पापा ने तो आपको अपना बेटा माना था और आपने , आपने उनकी जान लेने की कोशिश की,,,,,,,,,,,,हमारा दिल अब भी ये मानने को तैयार नहीं है अक्षत जी कि आपने ऐसा किया,,,,,,,आपने एक बार कहा होता हम ख़ुशी ख़ुशी अपनी जान आपके कदमो में रख देते लेकिन पापा के साथ ऐसा करके आपने हमारा दिल तोड़ दिया,,,,,,,आपने हमारा गुरुर तोड़ दिया अक्षत जी , हमे तोड़ दिया।”


सोचते हुए मीरा की आँखों से आँसू झर झर बहने लगे। वह समझ ही नहीं पा रही थी  कि जो हो रहा है वो किस्मत का खेल है या अपनों की सोची समझी साजिश। मीरा को वहा खड़े देखकर सौंदर्या भुआ उसके पास आयी और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए,”मीरा ! आओ चलो घर चलते है।”
मीरा सौंदर्या की तरफ पलटी और उदासी भरे स्वर में कहा,”नहीं भुआजी ! हम घर नहीं जायेंगे,,,,,,,,,,,आज जब हम यहाँ नहीं थे तब पापा के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया। नहीं , हम उन्हें इस हाल में अकेला नहीं छोड़ेंगे,,,,,,,,,,!!”


“कैसी बाते कर रही हो मीरा ? क्या भाईसाहब मेरे कुछ नहीं लगते ? मैं भी उनका ख्याल रख सकती हूँ और फिर वरुण भी यही है। सुबह से तुम यहाँ हो तुमने कुछ खाया भी नहीं है,,,,,,,,ऐसे तो तुम बीमार पड़ जाओगी मीरा। मेरी बात मानो और घर चलो।”,सौंदर्या ने मीरा को समझाते हुए कहा
मीरा पर सौंदर्या की बात का कोई असर नहीं हुआ और उसने कहा,”नहीं भुआजी ! अब हमे किसी पर भरोसा नहीं रहा है , जब तक पापा घर नहीं आते हम उनके साथ यही रहेंगे।

हम एक पल के लिये भी उन्हें अकेला नहीं छोड़ सकते। अपने सुख के लिये हम उनकी जान को खतरे में नहीं डाल सकते”
मीरा का सीधा सीधा इशारा अक्षत की तरफ था जिसे समझते सौंदर्या को ज्यादा देर नहीं लगी। सौंदर्या कुछ देर खामोश रही और कहा,”भाईसाहब पर आने वाले खतरे को कैसे रोकना है ये तुम मुझ पर छोड़ दो मीरा,,,,,,,!!”
“हम कुछ समझे नहीं भुआजी,,,!!”,मीरा ने असमझ की स्तिथि में कहा सौंदर्या के नापाक इरादों से वह अभी तक अनजान जो थी।


“कुछ नहीं मीरा मैं सब सम्हाल लुंगी,,,,,,,,,,,,, तुम बैठो मैं डॉक्टर से मिलकर आती हूँ।”,कहकर सौंदर्या वहा से चली गयी और मीरा सोफे पर आकर बैठ गयी।  उसने अपना हाथ सोफे के हत्थे पर टिकाया और सर से लगा लिया। रातभर ठीक से ना सोने और सुबह से अब तक परेशान रहने की वजह से मीरा की आँखे भारी होने लगी और मीरा ने सोफे पर बैठे बैठे अपनी आँखे मूँद ली।  

नींद में जैसे ही मीरा का सर नीचे गिरने को हुआ सामने से आते अखिलेश ने अपना कंधा  मीरा के सर के पास किया और वही उसके बगल में आ बैठा। मीरा इतनी गहरी नींद में थी कि उसे अहसास नहीं हुआ उसके बगल में बैठा इंसान उसका मैनेजर अखिलेश है।  

चित्रा अपने कमरे में औंधे मुँह बिस्तर पर लेटे हुए थी। आज अक्षत की बातो ने उसका बहुत दिल दुखाया था। छवि का केस चित्रा अक्षत की तरफ से दोबारा लड़ना चाहती थी ताकि अक्षत को उसकी खोई हुई इज्जत और पोजीशन वापस दिला सके लेकिन अक्षत ने वह केस खुद लेने के बजाय अपने दुश्मन वकील सूर्या मित्तल को दे दिया।  यही बात चित्रा को बार बार खटक रही थी कि आखिर अक्षत ने ऐसा क्यों किया ? चित्रा अक्षत से प्यार करने लगी थी और अब वह अक्षत के दर्द को भी अपना दर्द मानने लगी थी लेकिन अक्षत ने चित्रा को दोबारा अपने घर आने से और मिलने से मना कर दिया।


चित्रा ने सर उठाकर देखा शाम हो चुकी थी। वह उठी और हाथ मुंह धोकर किचन में चली आयी। उसने अपने लिये चाय बनायीं और लेकर घर के बरामदे में चली आयी। छवि वहा पड़ी आराम कुर्सी पर आ बैठी आज उसका मन बहुत उदास था और ये उदासी उसके चेहरे से साफ झलक रही थी। चित्रा ख़ामोशी से बैठकर अपनी चाय पीने लगी। चित्रा ने चाय पीकर कप साइड में रखा ही था कि तभी सामने से उसे माथुर साहब आते दिखाई दिए।


माथुर साहब बरामदे में आये तो चित्रा अपनी कुर्सी से उठी और कहा,”अरे सर आप यहाँ ? कुछ काम था तो मुझे कहा होता मैं कोर्ट चली आती आपने आने की तकलीफ क्यों की ?”
माथुर साहब मुस्कुराये और कहा,”चित्रा सर मैं तुम्हारे लिये सिर्फ कोर्ट में हूँ , यहाँ तुम मुझे अंकल कहकर बुला सकती हो।”
“ठीक है , आप खड़े क्यों है बैठिये ना ,, मैं आपके लिये चाय लेकर आती हूँ।”,चित्रा ने माथुर साहब को कुर्सी की तरफ इशारा करके कहा और खुद अंदर चली गयी।


माथुर साहब कुर्सी पर आ बैठे और सामने बने खूबसूरत गार्डन को देखने लगे। चित्रा ने कई सारे प्यारे प्यारे पौधे और बेल उस बगीचे में लगा रखी थी। घर के आस पास काफी हरियाली फैली थी जिसे देखकर माथुर जी का मन भी खिल उठा। कुछ देर बाद ही चित्रा उनके लिये चाय ले आयी और उन्हें देकर सामने पड़ी  कुर्सी पर आ बैठी।
चाय पीने के बाद माथुर जी ने कप साइड में रखा और गंभीरता से कहा,”तुम्हे आज अक्षत व्यास के घर नहीं जाना चाहिए था।”


चित्रा ने माथुर जी के मुंह से ये बात सुनी तो हैरानी से उन्हें देखने लगी कि उन्हें इस बारे में कैसे पता ? चित्रा ने सवाल नहीं किया और कहा,”उन के घर जाकर आज मुझे पता चला वो कितने बुजदिल है अंकल , वो अपनी फॅमिली को लेकर इतना सेल्फिश हो गए कि उन्होंने छवि का केस लड़ने तक से मना कर दिया और उस केस को उस इंसान के पास भेजा जो उनका दुश्मन है “सूर्या मित्तल” अक्षत सर का ये फैसला बहुत ही बेकार है अंकल है इस से छवि को कभी इंसाफ नहीं मिल पायेगा।”


चित्रा की बात सुनकर माथुर साहब मुस्कुराने लगे। उन्हें मुस्कुराता देखकर चित्रा ने कहा,”आप मुस्कुरा क्यों रहे है ?”
“मैं बस ये सोचकर मुस्कुरा रहा हूँ चित्रा कि इतने दिनों तक अक्षत के साथ रहकर भी तुम उसे समझ नहीं पायी। अक्षत को मैं तब से जानता हूँ जब वकालत की पढाई के लिये एक बार वो अपने किसी दोस्त के साथ मेरे पास आया था। अक्षत एक बहुत ही सुलझा हुआ लड़का है वो कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिस के लिये उसे बाद में पछताना पड़े , लोग दिमाग से सोचते है लेकिन वो दिल और दिमाग दोनों से सोचता है।

अपने परिवार की सेफ्टी के लिये अगर उसने ये केस सूर्या को दिया भी है तो उसने कुछ सोचकर ही ऐसा किया होगा। इस केस के चलते वो अपनी बेटी को पहले ही खो चुका है। एक पिता के लिये अपनी औलाद को खोना उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा दर्द होता है जिसे तुम नहीं समझ पाओगी। अक्षत अभी शांत है उसने अपने कदम पीछे ले लिये लेकिन शेर अगर शांत है तो इसका मतलब ये नहीं है उसने हार मान ली हो सकता है वो अपने अगले वार की तैयारी कर रहा हो,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”


माथुर जी की बाते सुनकर चित्रा को अपनी गलती का अहसास हुआ जाने अनजाने में उसने अक्षत को लेकर एकतरफा फैसला ले लिया। वह उदासी से माथुर जी को देखने लगी तो माथुर जी ने कहा,”अक्षत को समझने की कोशिश करो चित्रा , इस वक्त वो टुटा हुआ है और उसमे सम्हालने वाला कोई उसके पास नहीं है वो पूरी तरह से टूट जाये इस से पहले उसका सम्हालना बहुत जरुरी है।”
“आज मेरे मन का बोझ हल्का हो गया अंकल , मुझे यकीन हो गया मैंने एक सही आदमी से प्यार किया है।”,चित्रा ने मुस्कुरा कर कहा


“व्हाट ? तुम किसकी बात कर रही हो चित्रा ?”,माथुर साहब ने हैरानी से पूछा
“मैं अक्षत की बात कर रही हूँ , हाँ अंकल मुझे उस से प्यार हो गया है और आपकी बातो ने मुझे इस बात की स्योरिटी दे दी कि उसे इस वक्त सच में एक सहारे की जरूरत है और उसका वो सहारा मैं बनूँगी अंकल,,,,,,,,,,,,,,मैं अक्षत को सम्हालूँगी”,चित्रा ने खोये हुए स्वर में कहा


“तुम होश में तो हो चित्रा ? क्या बोल रही हो,,,,,,,,,,,,,,,,अक्षत शादीशुदा है उसकी पहले से एक पत्नी है”,चित्रा की बात सुनकर माथुर साहब ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“हाँ सर मैं जानती हूँ और ये जानते हुए भी कि वो शादीशुदा है मुझे उन से प्यार हो गया है। आई ऍम इन लव विथ अक्षत व्यास अंकल , आई लव हिम अंकल आई लव हिम”,चित्रा ने अक्षत के बारे में सोचते हुए कहा  

माथुर साहब जहा चित्रा को समझाने आये थे वही चित्रा ने अक्षत से मोहब्बत है वाली बात कहकर माथुर जी को और परेशान कर दिया। चित्रा की आँखों में माथुर जी को अक्षत के लिये आकर्षण और बेइंतहा मोहब्बत नजर आ रही थी। माथुर जी उठे और चित्रा के सामने आकर कहा,”इस वक्त तुम से कुछ भी कहना या तुम्हे कुछ भी समझना फिजूल होगा चित्रा बेहतर होगा तुम अक्षत व्यास का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दो।”
“उनका ख्याल और वो इस दिल से इस जिंदगी में तो नहीं निकलेंगे अंकल,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,चित्रा ने विश्वास से भरकर कहा


“तुम आग से खेलने की बात कर रही हो चित्रा , इस आग में तुम अपना ही हाथ जला लोगी”,माथुर जी ने चित्रा को समझाया
 चित्रा एकदम से पलट गयी और कहा,”एवरीथिंग इस फेयर इन लव एंड वॉर”
माथुर साहब ने देखा चित्रा पूरी तरह से अक्षत के प्यार में डूबी है तो उन्होंने आगे कुछ नहीं कहा और वहा से चले गए। चित्रा ने मुस्कुराकर माथुर साहब को देखा और आराम कुर्सी पर आ बैठी और म्यूजिक चला लिया।

सोमित जीजू और अर्जुन घर चले आये। उन दोनों को अक्षत से मिलना था और ये जानना था आज हॉस्पिटल में क्या हुआ ? दोनों अपना अपना बैग लिए जैसे ही अंदर आये हॉल में बैठे विजय जी ने उन दोनों को देखकर कहा,”अरे सोमित जी , आपको और अर्जुन को तो मैंने मीरा के पास भेजा था आप दोनों इतनी जल्दी क्यों चले आये ?”
अर्जुन ने विजय जी को सारी बात बता दी।

 विजय जी को जब पता चला अक्षत आज हॉस्पिटल गया था और वहा कुछ तो ऐसा हुआ था जिस के बाद से मीरा ने व्यास फॅमिली से मिलने तक से इंकार कर दिया। विजय जी ने ऊपर की ओर देखा और गुस्से से चिल्लाये,”अक्षत , अक्षत”
विजय जी आवाज सुनकर किचन में काम कर रही तनु और नीता भी बाहर चली आयी। राधा भी हॉल में आ गयी और विजय जी को गुस्से में देखकर परेशानी के भाव उनके चेहरे पर उभर आये।

अक्षत उस वक्त अपने कमरे में ही था इसलिए विजय जी के आवाज देने पर तुरंत नीचे चला आया। सभी घरवालों को हॉल में जमा देखकर अक्षत को भी समझ नहीं आया कि विजय जी उसे क्यों बुला रहे है ? अक्षत चुपचाप उनके सामने आकर खड़ा हो गया तो विजय जी ने कठोरता से पूछा,”क्या आज तुम मीरा के पापा से मिलने हॉस्पिटल गए थे ?”
अक्षत ने कुछ नहीं कहा बस ख़ामोशी से नज़रे झुकाये खड़ा था। उसे खामोश देखकर विजय का गुस्सा और बढ़ गया और उन्होंने कहा,”जवाब दो खामोश क्यों हो ? क्या तुम वहा गए थे ?”


“हम्म्म गया था।”,अक्षत ने धीरे से कहा तो सभी घरवाले उसे देखने लगे। एक तरफ अक्षत मीरा के लिये अपनी नफरत दिखा रहा था और दूसरी तरफ वह मीरा के पापा से मिलने हॉस्पिटल गया था। घरवालों को कुछ समझ नहीं आ रहा था आखिर अक्षत के मन में चल क्या रहा है ? विजय जी आगे कुछ पूछते इस से पहले ही दरवाजे पर किसी की दस्तक हुईं 8-10 पुलिस वालो को अपने घर में देखकर सब हैरान थे।

इंस्पेक्टर हाथ में कागज लिये अंदर आया और अक्षत की तरफ इशारा करके अपने साथ आये कॉन्स्टेबल से कहा,”गिरफ्तार कर लो उसे”  
“एक मिनिट इसंपेक्टर ,, आप अक्षत को किस जुर्म में गिरफ्तार कर रहे है ,, आखिर उसने किया क्या है ?”,अर्जुन ने इंस्पेक्टर के सामने आकर पूछा
“हमारे पास इनके खिलाफ एटेम्पट टू मर्डर FIR दर्ज हुई है।

मिस्टर अक्षत व्यास ने हॉस्पिटल में अमर प्रताप सिंह को जान से मारने की कोशिश की है। हमे इन्हे गिरफ्तार करना होगा।”,इंस्पेक्टर ने कहा अक्षत ख़ामोशी से सुनता रहा उसने अपनी सफाई में कुछ नहीं कहा
राधा ने सूना तो उन्हें चक्कर आ गया और वे अपना सर पकड़कर सोफे पर आ बैठी , नीता ने उन्हें सम्हाला। इंस्पेक्टर की बात सुनकर विजय जी के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयीं , उन्होंने सोचा नहीं था अक्षत ऐसा कुछ करेगा।


सोमित जीजू ने सूना तो वे इंस्पेक्टर के पास आये और कहा,”ये FIR किसने की ?”
इसंपेक्टर ने एक नजर सबको देखा और कहा,”मीरा राजपूत सिंह ने , कॉन्स्टेबल गिरफ्तार करो इन्हे और लेकर चलो थाने।”
इंस्पेक्टर के मुंह से मीरा का नाम सुनकर सभी घरवालों के मुँह खुले के खुले रह गए और अक्षत मुस्कुरा उठा।

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