Sanjana Kirodiwal

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Haan ye Mohabbat Hai – 32 ( Love Story )

Haan Ye Mohabbat Hai – 32

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

अक्षत उस अजनबी आदमी से बराबर खेलने की बात कर चुका था। उसका ये फैसला उसकी जिंदगी में क्या मोड़ लाने वाला था ये तो खुद अक्षत भी नहीं जानता था लेकिन अब उस आदमी से डरने के बजाय अक्षत ने उसे खुला चेलेंज दे दिया। हॉस्पिटल में मिले आदमी से अक्षत कुछ जानकारी ले पाता इस से पहले ही वो आदमी भगवान को प्यारा हो गया लेकिन उस लेकिन उस आदमी का फोन अक्षत के हाथ लग गया। किसी और मुसीबत में ना पड़ने का सोचकर अक्षत अपनी गाड़ी लेकर वहा से निकल गया।

घर ना जाकर अक्षत राइजिंग हिल्स होटल के लिये निकल गया आखिर जिसने ये खेल शुरू किया था वह शख्स वही था। रास्ते भर अक्षत उस थप्पड़ के बारे में सोचता रहा जो उसे मीरा ने मारा था। मीरा का कहा एक एक शब्द अक्षत के कानो में गर्म शीशे की तरह पिघल रहा था। उसका दिल भर आया और आँखों में आँसू भर आये लेकिन अक्षत ने उन्हें बाहर आने नहीं दिया। मीरा उस पर विश्वास नहीं करेगी ऐसा उसने कभी सोचा नहीं था।

मीरा के बारे में सोचते हुए एकदम से अक्षत को अमर जी का ख्याल आया अक्षत बड़बड़ाया,”मीरा के पापा को मारने के लिये जिस आदमी को भेजा गया था वो आदमी तो ICU तक पहुंचा ही नहीं , बल्कि उस से पहले ही किसी ने वेंटिलेटर का तार निकाल दिया था,,,,,,,,,,,,,,तो क्या कोई और भी उन्हें मारना चाहता है ?”
जैसे ही अक्षत को ये ख्याल आया उसने गाड़ी को एकदम से ब्रेक लगाया और स्टेयरिंग पर हाथ मारकर कहा,”हाह ! ये ख्याल पहले मेरे दिमाग में क्यों नहीं आया ? मैं जिसके पीछे भाग रहा हूँ वो अपनी बातों से सिर्फ मुझे भटका रहा है ताकि मैं असली गुनहगार तक पहुँच ही ना पाऊ।

दुश्मन कोई और नहीं बल्कि कोई अपना है , कोई करीबी जो मुझसे और मीरा से जुड़ा है,,,,,,,,,,,,,,जो इस पूरी कहानी से जुड़ा है लेकिन वो कौन हो सकता है ? मुझे मीरा को ये सब बताना होगा पर आज जो हुआ उसके बाद क्या मीरा मेरी बात सुनेगी ?  इस वक्त मीरा मेरी किसी भी बात पर भरोसा नहीं करेगी , मेरा सच भी उसे झूठ ही लगेगा,,,,,,,,,,और मीरा को ये सब बताकर मैं उसे और परेशान करना नहीं चाहता मुझे अकेले ही इस सच्चाई का पता लगाना पडेगा”


खुद से कहते हुए अक्षत ने जैसे ही अपने बांयी तरफ देखा कुछ ही दूर उसे मंदिर दिखाई दिया। अक्षत ने गाड़ी साइड में लगाई और उतरकर मंदिर चला आया। उसने अपने चप्पल बाहर उतारे और मंदिर के अंदर चला आया। ये एक शिव मंदिर था जिसमे शिवलिंग के साथ महादेव की बड़ी सी प्रतिमा थी। अक्षत ने घंटी बजाकर महादेव के सामने सर झुकाया और हाथ जोड़कर मन ही मन उनसे प्रार्थना करने लगा


“मुझे और मीरा को शादी के बंधन  में बांधने वाले आप ही थे महादेव ,,, जब भी मैं किसी परेशानी में था  आपने हमेशा मुझे उस परेशानी से निकाल लिया। हर मोड़ , हर परेशानी में आपने मेरा साथ दिया है महादेव और इसके लिये मैं हमेशा आपका शुक्रगुजार रहूंगा लेकिन इस बार ये मुसीबते मेरी जिंदगी से कम होने का नाम नहीं ले रही। मैं जानता हूँ ये मेरी परीक्षा का समय है और मैं ख़ुशी ख़ुशी इसे पार भी कर लूंगा लेकिन मुझे लगता है तब तक मैं बहुत कुछ खो दूंगा महादेव,,,,,,,,,,,,,,,गुनहगार मेरे सामने है लेकिन मैं उन तक पहुँच नही पा रहा हूँ ,,

मुझे मंजिल पता है लेकिन कोई रास्ता नहीं दिख रहा , मुझे रास्ता दिखाईये महादेव,,,,,,,इस दुविधा से मुझे बाहर निकालिये। इस जिंदगी में मैंने सिर्फ मीरा को चाहा है महादेव और उसे वापस पाने की मैं हर कोशिश करूंगा,,,,,,,,,आज उसने थप्पड़ मारा तो दुःख नहीं हुआ लेकिन उसने मुझ पर जो अविश्वास दिखाया वो दर्द दे गया लेकिन मुझे उसका दिया दर्द भी मंजूर है महादेव,,,,,,,मैंने उसे जानबूझकर खुद से दूर किया है महादेव ,

मैं अपनी बेटी पहले ही खो चुका हूँ महादेव अब मीरा को खोना नहीं चाहता,,,,,,,,,,,,,उसे सही सलामत रखने के लिये अगर मुझे उस से दूर भी रहना पड़ा तो मैं रहूंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैं रहूंगा महादेव क्योकि मैं उस से मोहब्बत करता हूँ।” कहते हुए अक्षत की आँखों से आँसू बहने लगे वह आगे कुछ बोल ही नहीं पाया।
इस बार अक्षत ने उन आंसुओ को बहने दिया। जैसे जैसे उसकी आँखों से आँसू बहते जा रहे थे उसका मन हल्का हो रहा था। कहते है अपने इष्ट के सामने आँसू आना भी किस्मत वालो को नसीब होता है। अक्षत से जब सहा नहीं गया तो उसने अपने हाथो की उंगलियों को आपस में फसाकर हाथ जोड़े और आँखे मूँद ली।


मंदिर के पुजारी जी बाहर से लौटे उन्होंने अक्षत को रोते देखा तो महादेव के शिवलिंग से जल लाकर अक्षत के ललाट पर लगाते हुए कहा,”महादेव के सामने रोने वाले फिर जिंदगी में किसी के सामने नहीं रोते बेटा , तुम्हारा जो भी संकट है महादेव हरेंगे”
पुजारी के छूने से अक्षत ने अपनी आँखे खोली और उन्हें प्रणाम किया। पुजारी मुस्कुराये और कहा,”खुश रहो ! महादेव तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करे”


अक्षत वहा से जाने लगा तो पुजारी ने कहा,”तुम बहुत ज्यादा परेशान लग रहे हो बेटा , मैं प्रार्थना करूंगा महादेव तुम्हे जल्दी सुकून दे।  प्रार्थना करने से सब ठीक हो जाता है।”
पुजारी की बात सुनकर अक्षत को एकदम से मीरा की कही बात याद आ गयी “हम आपके लिये प्रार्थना करेंगे , प्रार्थना करने से सब ठीक हो जाता है।”


अक्षत तेज कदमो से वहा से निकल गया। वह गाड़ी में आकर बैठा और गाड़ी को वापस यू टर्न ले लिया। राइजिंग होटल ना जाकर वह वापस घर जा रहा था। अक्षत के दिमाग में इस वक्त क्या चल रहा था ये तो अक्षत ही जानता था।  

दोपहर होते होते अक्षत घर पहुंचा। उसने किसी से बात नहीं की और सीधा ऊपर अपने कमरे में चला आया। अक्षत ने शर्ट निकालकर फेंका और सीधा बाथरूम में चला आया। शॉवर के नीचे खड़े होकर अक्षत ने शॉवर चालू किया और अपनी आँखे मूँद ली। पानी की फुहारे अक्षत के सर से होकर पुरे बदन को भिगाने लगी। मीरा ने उस पर हाथ उठाया ये सोचकर आज उसे बहुत बुरा लग रहा था। अक्षत की आँखों के सामने बार बार वो पल आने लगा। अक्षत चाहकर भी उस ख्याल को अपने दिमाग से निकाल नहीं पा रहा था।

नहाने के बाद अक्षत को थोड़ा सही लगा उसने खुद को पोछा और कपडे बदलकर बाथरूम से बाहर चला आया। उसने कमरे की बंद पड़ी खिड़की खोल दी , ठंडी हवा का झोंका आकर अक्षत को छू गया। अक्षत आकर बिस्तर पर बैठ गया और अपने दोनों हाथो को बांधकर आज जो कुछ उस बारे में सोचने लगा। अभी कुछ ही वक्त गुजरा था कि किसी लड़की की तेज आवाज से अक्षत की तंद्रा टूटी। पहले उसे लगा तनु दी या नीता में से कोई होगा लेकिन अगले ही पल आवाज फिर आयी तो अक्षत उठा और अपने कमरे से बाहर चला आया।

अक्षत हॉल की बालकनी की तरफ आया तो उसकी भँवे तन गयी। अक्षत सीढ़ियों से होकर नीचे चला आया। हॉल में चित्रा खड़ी नीता से बहस कर रही थी। वह सचिन के साथ यहाँ अक्षत से मिलने आयी थी। सचिन अक्षत का गुस्सा जानता था इसलिए घर से बाहर ही रुक गया लेकिन चित्रा अक्षत पर गुस्सा थी इसलिए वह अंदर चली आयी और अक्षत से मिलने की जिद करने लगी लेकिन नीता ने उसे आगे जाने नहीं दिया।

अक्षत चित्रा की तरफ आया उसने उसकी बाँह पकड़ी और उसे लेकर घर से बाहर चला आया। बाहर आकर अक्षत ने चित्रा को अपने सामने किया और कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हो ? मैंने मना किया था यहाँ कोई नहीं आएगा।”
चित्रा ने सुना तो अक्षत के लिये उसका गुस्सा और बढ़ गया और उसे गुस्से से कहा,”आखिर आप खुद को समझते क्या है ? आपको लगता है आप जो कहेंगे , जो करेंगे वो सब सही है ?”


चित्रा को गुस्से में देखकर अक्षत ख़ामोशी से उसे देखने लगा। अक्षत को खामोश पाकर चित्रा को और बुरा लगा और वह कहने लगी,”मैंने सोचा नहीं था अक्षत सर आप इतने खुदगर्ज निकलेंगे,,,,,,,,,,,,,,,छवि दीक्षित का केस आप सिर्फ कुछ महीने नहीं लड़ सकते तब तक मैं सचिन इस केस को सम्हाल लेते लेकिन आपने तो हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया आपने छवि दीक्षित का केस दिया भी तो “सूर्या मित्तल” को , वो सूर्या मित्तल जो कभी आपको जीत ते हुए नहीं देख सकता , वो सूर्या मित्तल जो पुरे कोर्ट में आपका कॉम्पिटिटर है।

छवि कितनी उम्मीद के साथ आपके पास आयी थी इस केस को लेकर और आपने उसके साथ क्या किया ? गलत इंसान को इस केस में सजा दिलवाकर आप पहले ही ये केस एक बार हार चुके है और अब फिर से आप वही गलती करने जा रहे है सर,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
 चित्रा की बातें सुनकर अक्षत को गुस्सा तो आया लेकिन उसने खुद को शांत रखा और चित्रा को बोलने का मौका दिया।

चित्रा ने आगे बोलना शुरू किया,”किस्मत ने आपको खुद को सही साबित करने के लिये एक मौका और दिया था और आपने उस मोके को गवा दिया। सच तो ये है कि आप कभी चाहते ही नहीं थे छवि को इस केस में इंसाफ मिले बाकी लोगो की तरह आप भी बिक गए सर,,,,,,,,,,,,,,,,आपने भी अपना ईमान , अपनी वकालत बेच दी सर,,,,,,,,,,,!!”


“बस,,,,,,,,,,,,,,बस बहुत हो गया , बहुत बोल चुकी तुम , मैंने क्या किया और क्यों किया इसकी सफाई मुझे तुम्हे देने की जरुरत नहीं है समझी तुम ? आई ऍम योर सीनियर नॉट योर फ्रेंड,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे उम्मीद मत रखना मैं तुम्हारे इस बर्ताव को बर्दास्त करूंगा।”,अक्षत ने गुस्से से तेज आवाज में कहा तो चित्रा सहम कर थोड़ा पीछे हट गयी। उसके आगे के शब्द उसके गले में ही अटक गये।
अक्षत चित्रा के थोड़ा करीब आया और उसकी आँखों में देखते हुए गुस्से से कहा,”तुम्हे सिर्फ वो एक केस दिखाई दे रहा है लेकिन मेरे लिए वो तुम सबकी बर्बादी है।

क्या तुम्हे अहसास है इस वक्त मैं किन हालातों से गुजर रहा हूँ ? मैंने अपनी बेटी को खोया है , अपनी वकालत खोयी है , अपना मान सम्मान अपनी जिंदगी का सुकून खोया और अपनी पत्नी को खो चुका हूँ,,,,,,,,,,,मेरे पास अब खोने के लिये कुछ नहीं है डीड यू नो देट ? इस केस को कौन लड़ता है आई डोंट केयर,,,,,,,,,,,,,,,मुझे इन सब से कोई मतलब नहीं है , मेरे लिये ये सब मेटर नहीं करता”
अक्षत की आवाज सुनकर तनु , नीता और राधा भी घर से बाहर चली आयी।

राधा ने अक्षत को गुस्से में देखा तो उसके पास आते हुए कहा,”आशु ! क्या बात है तुम इतना गुस्से में क्यों हो ? और ये लड़की कौन है ?”
राधा अक्षत के करीब आती इस से पहले ही अक्षत ने अपना हाथ बीच में कर के उन्हें अपने पास आने से रोक दिया और कहा,”आप लोग अंदर जाईये”
“लेकिन तुम,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने परेशानी भरे स्वर में कहा


 “मैंने कहा ना अंदर जाईये आप लोग,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने गुस्से से तेज आवाज में कहा तो बेचारी राधा भी सहम गयी। तनु उन्हें अंदर लेकर चली गयी। नीता को अक्षत का राधा पर यु चिल्लाना अच्छा नहीं लगा तो वह अक्षत को घूरते हुए वहा से चली गयी।

अक्षत चित्रा की तरफ पलटा और कहा,”मैंने जो खोया है उसका दर्द सिर्फ मैं महसूस कर सकता हूँ और ये दर्द मैं अपनी फैमिली को नहीं दे सकता। छवि जिस से चाहे उस से अपना केस लड़ने को कह सकती है मैं उसकी इस में कोई मदद नहीं कर सकता।”
“तो क्या मैं ये समझू कि द ग्रेट मिस्टर अक्षत व्यास ने हार मान ली है ? वो इंसान जो हमेशा सच का साथ देता था , इंसाफ की बातें करता था वो भी बाकि लोगो जैसा हो गया है।”,चित्रा ने तड़पकर कहा


“हाँ मान ली है मैंने हार , मान ली मैंने हार क्योकि जीतकर भी मैं कुछ हासिल नहीं कर पाऊंगा,,,,,,,,,,,,,,,,हाँ हो गया हूँ मैं सेल्फिश , और मैं ऐसा ही रहूंगा,,,,,,,,,,सूना तुमने ऐसा ही हूँ मैं,,,,,,,,,,,,,,अब जाओ यहाँ से,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने चिल्लाकर कहा
सचिन चित्रा के पास आया और कहा,”चित्रा चलो यहाँ से ! आई ऍम सॉरी सर,,,,,,,,,,,,,,,चित्रा की तरफ से मैं आपसे माफ़ी मांगता हूँ”
“सचिन ! इसे यहाँ से लेकर जाओ,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने थककर थोड़ा धीमे स्वर में कहा वह अंदर ही अंदर खुद से भी एक लड़ाई जो लड़ रहा था

चित्रा नम आँखों से अक्षत को देखते रही। अक्षत ने एक नजर चित्रा को देखा और वहा से चला गया। उसे चित्रा का इस तरह घर आना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। वह अंदर आया तो राधा उसके पास आयी और घबराये हुए स्वर में कहा,”आशु , आशु क्या हुआ है तुम्हे ? वो लड़की , वो लड़की कौन थी और यहाँ क्यों आयी थी ?”
“माँ , आज के बाद वो यहाँ नहीं आएगी”,कहते हुए अक्षत ने अपनी बांह से राधा का हाथ हटाया और वहा से चला गया।


अक्षत का ये बर्ताव राधा का दिल चीरने के लिये काफी था उनकी आँखों में आँसू भर आये तनु ने देखा तो वह उनके पास आयी और कहा,”मौसीजी , मौसीजी परेशान मत होईये। इस वक्त वो बहुत ज्यादा परेशान है हमारा बार बार सवाल करना उसे चिड़चिड़ा बना देगा,,,,,,,,,,,हमे आशु को थोड़ी देर के लिये उसके हाल पर छोड़ देना चाहिए।”


“तनु ये क्या हो गया है उसे ? आज से पहले उसने ऐसा कभी नहीं किया,,,,,,,,,,,,,,पहली बार वो मुझ पर चिल्लाया है और ऐसे नजरअंदाज किया जैसे मैं उसके लिये कुछ हूँ ही नहीं,,,,,,,,,,,,,,ये मेरा आशु नहीं हो सकता तनु , ये मेरा आशु नहीं है।”,राधा ने आँखों में आँसू भरकर कहा
तनु ने देखा तो उन्हें गले लगाते हुए कहा,”सब ठीक हो जाएगा मौसी”
राधा की आँखों में ठहरे आँसू गालों पर लुढ़क आये और उन्होंने अपनी आँखे मूंद ली।

सचिन समझा बुझाकर चित्रा को वहा से ले गया। वह नहीं चाहता था अक्षत और चित्रा के बीच ग़लतफ़हमी और बढे। चित्रा अक्षत के इस बर्ताव से बहुत हर्ट थी लेकिन वह उस से मोहब्बत करने लगी थी इसलिए वह चाहकर भी अक्षत से नफरत नहीं कर पा रही थी। बाइक पर बैठे हुए चित्रा ने अपना सर सचिन की पीठ से लगा दिया। चित्रा को उदास देखकर सचिन को भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन उसने अक्षत को लेकर एक गलत शब्द नहीं कहा।

सचिन कही ना कही जानता था कि अक्षत बिना वजह इतना बड़ा फैसला नहीं लेगा। सचिन जितना अक्षत पर भरोसा करता था उतना ही उसकी इज्जत भी करता था। कोर्ट ना जाकर सचिन चित्रा के घर जाने वाले रास्ते की ओर चल पड़ा। चित्रा के घर के सामने आकर सचिन ने बाइक रोकी। चित्रा बाइक से उतरी और घर के अंदर चली गयी। ना उसने सचिन से कुछ कहा ना ही पलटकर देखा। सचिन कुछ देर वहा रुका और फिर वहा से चला गया।

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