हाँ ये मोहब्बत है – 29
Haan Ye Mohabbat Hai – 29
अक्षत का लायसेंस कोर्ट में कुछ महीनो के लिये रद्द हो चुका था इसलिए अक्षत ये केस नहीं लड़ सकता था पर वह चाहता था ये केस रीओपन हो और असली गुनहगार सामने आये इसलिए उसने छवि का केस अपने ही विरोधी वकील “सूर्या मित्तल” को दिया। सूर्या मित्तल इसी कोर्ट में एक होनहार वकील था जिसका शुरू से ही अक्षत से मुकाबला रहा। दरअसल सूर्या मित्तल अक्षत को अपना कॉम्पिटिशन मानता था और चाहता था एक बार वह अक्षत को हराये लेकिन ऐसा कभी नहीं हो पाया।
आज अक्षत के सबसे बड़े केस की क्लाइंट को अपने सामने बैठा देखकर सूर्या मित्तल खुश हुआ लेकिन मन ही मन अक्षत को याद भी कर रहा था। सूर्या ने छवि का केस अपने हाथ में ले लिया और जल्दी ही उसे रीओपन करने की बात कहकर छवि को घर भेज दिया। सूर्या अपनी कुर्सी पर बैठा अक्षत के बारे में सोचने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”मिस्टर व्यास ने ये केस मुझे क्यों दिया ? वो चाहता तो खुद इस केस को लड़कर खुद को सही साबित कर सकता था फिर उसने ये केस मेरे पास क्यों भेजा ?
अक्षत का स्टाफ भी इसी कोर्ट में रहकर प्रेक्टिस कर रहा है फिर उसने उन्हें ये केस क्यों नहीं दिया ? इसे मैं अक्षत की दरियादिली समझू या कोई साजिश ? अह्ह्ह लेकिन जो खुद किसी की साजिश का शिकार हुआ है वो मेरे साथ क्या धोखा करेगा ? लेकिन इस केस को रीओपन करके मैं ये साबित कर दूंगा मिस्टर व्यास कि आई ऍम द बेस्ट,,,,,,,,,,,,,,,!”
सूर्या मित्तल खुद में ही खुश होकर मुस्कुराया और फिर अपने असिस्टेंट से कहकर अक्षत व्यास के केबिन से छवि के केस से जुडी सभी फाइल्स लाने को कहा। असिस्टेंट तुरंत वहा से चला गया और अक्षत के केबिन में आया जहा सचिन और चित्रा बैठकर अपना काम कर रहे थे।
“सूर्या सर ने छवि मित्तल केस की सभी फाइल्स मंगवाई है।”,असिस्टेंट ने आकर सचिन से कहा
चित्रा और सचिन ने सूना तो दोनों हैरानी से उसे देखने लगे और फिर सचिन ने कहा,”उन्हें छवि के केस की फाइल क्यों चाहिए ?”
“सूर्या सर इस केस को फिर से रीओपन कर रहे है। आज सुबह ही छवि दीक्षित कोर्ट आयी थी।”,असिस्टेंट ने कहा
चित्रा और सचिन ने सूना तो दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे। जहा तक चित्रा को यकीन था कि छवि अपना केस रीओपन करने जरूर आएगी लेकिन छवि अक्षत के पास न जाकर उनके विरोधी के पास गयी ये बात दोनों ही हजम नहीं कर पा रहे थे।
“ये कैसे हो सकता है ? वो केस अक्षत सर का है तो फिर सूर्या सर उसे कैसे रीओपन करवा सकते है ?”,चित्रा ने गुस्से से उठते हुए कहा
“वो मुझे नहीं पता जाकर अपने अक्षत सर से पूछो एंड प्लीज मुझे वो फाइल्स दे दो,,,,,,!!”,असिस्टेंट ने झुंझला कर कहा
“फाइल्स तो तुम्हे किसी भी कीमत पर नहीं मिलेगी जाकर कह दो अपने सूर्या सर से , जब तक अक्षत सर नहीं कहेंगे फाइल यहाँ से कही नहीं जाएगी”,सचिन ने अकड़कर कहा
“तुम्हारे अक्षत सर का लायसेंस केंसल हो चुका है तुम्हे लगता है वो कोर्ट आएंगे,,,,,,,,,,,,,,,उस लड़की को भी समझ आ गया कि तुम्हारे अक्षत सर में कोई दम नहीं है
तभी तो वो केस रीओपन करने सूर्या सर के पास आयी तुम्हारे अक्षत सर के पास नहीं गयी,,,,,,,,,,,,फाइल देनी है तो दो वरना वो मैं बाद में मुझे कोर्ट से ऑर्डर्स लेने होंगे।”,असिस्टेंट ने कहा
सचिन और चित्रा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था आखिर छवि ने ऐसा क्यों किया ? दोनों कुछ देर शांत रहे और फिर सचिन ने कहा,”ठीक है मैं फाइल तुम्हे दे दूंगा लेकिन उस से पहले मुझे सर की परमिशन लेनी होगी।”
“ठीक है फिर सब फाइल्स नींचे सूर्या सर के केबिन में भिजवा देना मैं चलता हूँ मुझे बहुत काम है।”,कहकर असिस्टेंट वहा से चला गया
“आखिर छवि ऐसा कैसे कर सकती है ?’,चित्रा ने गुस्से से कहा
“वही मैं नहीं समझ पा रहा हूँ , सूर्या सर तो अक्षत सर के दुश्मन है ,, दोनों के बीच हमेशा तनातनी रही है। अगर सूर्या सर ने इस केस को रीओपन कर दिया तो फिर अक्षत सर ये कभी साबित नहीं कर पाएंगे कि वो गलत नहीं है।”,सचिन ने निराश होकर कहा
“सूर्या सर से ज्यादा गुस्सा मुझे छवि पर आ रहा है , जब उसने मेरा साथ देने की बात कही थी तो फिट उसने अपना केस सूर्या सर को क्यों दिया ? आखिर इसके पीछे क्या वजह हो सकती है ?’,चित्रा ने कहा
“पता नहीं छवि ने ऐसा क्यों किया ? हो सकता है उसे अक्षत सर या हमारे ऊपर अब भरोसा ना रहा हो “,सचिन ने कहा
चित्रा ने कुछ नहीं कहा बस अपना बैग उठाया और वहा से जाने लगी तो सचिन ने कहा,”तुम कहा जा रही हो ?”
“छवि से मिलने , मुझे जानना है आखिर उसने ऐसा क्यों किया ?’,चित्रा ने गुस्से से कहा और वहा से चली गयी
“चित्रा रुको मैं तुम्हारे साथ आता हूँ।”,कहते हुए सचिन ने जल्दी से सब फाइल्स समेटे और केबिन बंद कर चित्रा के पीछे चला आया।
कोर्ट से बाहर आकर चित्रा ऑटो का इंतजार करने लगी। अगले ही पल सचिन बाइक लेकर आया और चित्रा से बैठने को कहा। चित्रा ख़ामोशी से सचिन को देखने लगी तो सचिन ने कहा,”और कोई तुम्हारा साथ दे ना दे मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ।”
चित्रा ने सचिन के कंधे पर हाथ रखा और उसके पीछे आ बैठी। सचिन ने बाइक आगे बढ़ा दी और दोनों चित्रा के घर के लिये निकल पड़े।
रोजाना की तरह सिंघानिया जी विक्की से मिलने सेंट्रल जेल पहुंचे। जेलर से बात करते हुए वे विक्की की सेल के सामने आये देखा विक्की वहा नहीं है। सिंघानिया जी ने जेलर की तरफ देखा तो जेलर ने कहा,”ये वक्त कैदियों के काम करने का है , विक्की शायद वही होगा। आईये चलते है।”
सिंघानिया जी जेलर के साथ चल पड़े। सिंघानिया जी ने देखा सभी कैदी कामो में लगे है उन्ही के बीच विक्की भी बड़े बड़े टोकरे उठाकर गाड़ियों में रख रहा था।
सिंघानिया जी ने विक्की को इस तरह मेहनत करते देखा तो उनका दिल भर आया। जिस विक्की ने अपने घर में कभी पानी का गिलास तक नहीं उठाया था आज उस विक्की को काम करते देखकर सिंघानिया जी को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।
टोकरे उठाते हुए विक्की की नजर जब सिंघानिया जी पर पड़ी तो वह उनकी तरफ चला आया और कहा,”डेड आप यहाँ ? आपको यहाँ नहीं होना चाहिए था।”
“ताकि मैं तुम्हे ये सब करते ना देख लू , तुम्हारी एक छोटी सी गलती की वजह से आज तुम्हे कितनी तकलीफ झेलनी पड़ रही है विक्की,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी मैं तुम्हारे लिये कुछ नहीं कर पा रहा हूँ।”,कहते कहते सिंघानिया जी की आँखे नम हो गयी
विक्की ने देखा तो कहा,”नो डेड ! आप मेरी फ़िक्र मत कीजिये , ये सब तो बहुत कम है मैंने छवि के साथ जो किया उसके लिये मैं इस से ज्यादा तकलीफ डिजर्व करता हूँ।”
विक्की के मुंह से छवि का नाम सुनकर सिंघानिया जी का प्यार एकदम से गुस्से में बदल गया और उन्होंने नफरत भरे स्वर में कहा,”तुमने दोबारा उस लड़की का नाम लिया , विक्की आखिर तुम्हे हो क्या गया है ? मत भूलो उसी छवि के कारण आज तुम इस हाल में हो। उस लड़की ने तुम्हारा सारा फ्यूचर बर्बाद कर दिया और तुम , तुम्हे अब भी उसकी फ़िक्र हो रही है।”
विक्की खुद नहीं जानता था उसे क्या हो गया लेकिन छवि के लिए उसकी जो नफरत थी वो धीरे धीरे हमदर्दी में बदलने लगी।
अपने पापा को गुस्से में देखकर विक्की ने कहा,”छोड़िये डेड ! क्या मैं आपसे अकेले में कुछ बात कर सकता हूँ ?”
विक्की की बात सुनकर सिंघानिया जी ने जेलर की तरफ देखा तो वे वहा से साइड में चले गए
विक्की ने सिंघानिया जी को देखा और कहा,”डेड ! मेरे यहाँ आने के बाद क्या आपसे मिलने कोई घर आया था ?”
“तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो ?”,सिंघानिया जी ने हैरानी से पूछा
“बताईये ना डेड , क्या कोई आपसे मिलने आया था ?”,विक्की ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
“नहीं , हाँ कुमार जरूर आया था उसने बताया तुम किसी आदमी से मिले थे और उसी के बहकावे में आकर तुमने ये सब,,,,,,,,,,,,,,,विक्की सच सच बताओ कौन था वो ?”,सिंघानिया जी ने पूछा
“डेड यहाँ से बाहर निकलने के बाद मैं आपको सब समझा दूंगा”,विक्की ने निराश होकर कहा
“मुझे तुम पर भरोसा है विक्की ये रेप तुमने नहीं किया है , तुम्हे फंसाया गया है। तुम बस किसी की साजिश का शिकार बने हो।”,सिंघानिया जी ने विक्की के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
विक्की को अपने पापा की आँखो में अपने लिये परवाह और भरोसा साफ नजर आ रहा था। उसने हामी में गर्दन हिला दी और फिर सिंघानिया जी के साथ बेंच पर आ बैठा। दोनों बैठकर बातें करने लगे।
आज से पहले शायद ही ऐसा हुआ होगा जब विक्की और सिंघानिया जी यू साथ बैठे हो।
अपने कमरे में बैठा अक्षत अपने लेपटॉप पर लगातार उंगलिया चलाये जा रहा था। पिछले 2 दिन अक्षत सिर्फ ये पता लगाने में जुटा था कि उसे फोन करने वाला शख्स आखिर है कौन ? अक्षत ने बहुत कोशिश की लेकिन वह नंबर का पता नहीं लगा पाया ना ही उस नंबर को ट्रेस कर पाया। अभी वह अपने लेपटॉप पर काम कर ही रहा था कि उसका फोन बजा। स्क्रीन पर एक
जाना पहचाना नाम देखकर अक्षत ने जल्दी से फोन उठाया और कहा,”कुछ पता चला ?”
“हाँ , जिस नंबर से तुम्हे कॉल आया था उसकी लास्ट लोकेशन “लाल बाग़ चौराहा” के पास बने “राइजिंग होटल” की है ,, अभी भी यही लोकेशन आ रही है इसका मतलब वो जो कोई भी है वही है।”,अक्षत के दोस्त नवीन ने कहा
“थैंक्स यार,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने कहा
“अक्षत , तू इन सब में पुलिस की मदद क्यों नहीं ले रहा ? तेरा काम आसान हो जाएगा।”,नवीन ने कहा
“नहीं मैं पुलिस की मदद नहीं ले सकता , अगर उसे पता चला तो वो चौकन्ना हो जाएगा और मैं कभी उसे पकड़ नहीं पाऊंगा।”,अक्षत ने कहा
“हम्म्म ! पर आखिर ये है कौन और तुझसे क्या चाहता है ?”,नवीन ने पूछा
“ये जो भी है मेरा कोई बहुत करीबी है,,,,!!”,अक्षत ने खोये हुए स्वर में कहा
“तू इतना यकीन के साथ कैसे कह सकता है ?”,नवीन ने पूछा
“क्योकि इतना बड़ा जख्म कोई अपना ही दे सकता है। मेरा एक काम और करेगा ?”,अक्षत ने आसभरे स्वर में कहा
“हाँ बोलो,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा
“ये सब बाते तुम्हारे और मेरे बीच ही रहनी चाहिए , जब तक मैं इसका पता न लगा लू तब तक तुम मुझे सामने से कोई कॉल नहीं करोगे ,, मैं नहीं चाहता मेरी वजह से तुम किसी प्रॉब्लम में फंसो”,अक्षत ने कहा
“ठीक है , अपना ख्याल रखना।”,नवीन ने कहा
“हम्म्म बाय”,अक्षत ने कहा फोन काट दिया
फोन साइड में रखकर अक्षत खुद में ही बड़बड़ाने लगा,”होटल राइजिंग हिल्स , तुम्हे लगता है तुम मुझसे भाग सकते हो तो तुम्हे गलत लगता है मिस्टर स्ट्रेंजर , मैं तुम्हे हर हाल में ढूंढ लूंगा ,, ये आँख मिचोली का खेल जो तुम खेल रहे हो इसे मैं बहुत जल्दी खत्म करूंगा बस तुम इंतजार करना और दुआ करना उस ऊपर वाले से कि वो तुम्हे दर्द झेलने की ताकत दे”
अक्षत ये सब सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। अक्षत ने फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो !!”
“हेलो मिस्टर व्यास ! मुझे लगा था इतना सब खो देने के बाद तुम शांत बैठ जाओगे लेकिन तुम तो मेरी छानबीन करने में लगे हो। वैसे क्या ही हासिल कर लोगे तुम ये पता लगाकर कि मैं इस वक्त कहा हूँ ?”,दूसरी तरफ से जानी पहचानी आवाज उभरी
“एक बार मैं तुम तक पहुँच गया तो फिर भगवान भी तुम्हे मुझसे नहीं बचा सकते”,अक्षत ने गुस्से और नफरत भरे स्वर में कहा
“ओह्ह्ह अक्षत तुम ना बच्चो वाला खेल खेल रहे हो , मैं खुद ही तुम्हे बता देता हूँ मैं इस वक्त कहा हूँ ? इस वक्त मैं लाल बंगला के पास राइजिंग होटल के 10 वे माले पर रूम नंबर 1001 में हूँ। मुझ तक पहुँचने में तुम्हे सिर्फ 45 मिनिट्स लगेंगे,,,,,,!!”,आदमी ने सधे हुए स्वर में कहा
“अगर तुम सच कह रहे हो तो 40 मिनिट के अंदर मैं तुम्हे वहा मिलूंगा”,अक्षत ने अपने बिस्तर से उठकर जूते पहनते हुए कहा और कमरे से बाहर आ गया
“मुझसे मिलने की इतनी भी क्या जल्दी है मिस्टर व्यास,,,,,,,,,,,,,,मुझ तक पहुंचने में तुम्हे 45 मिनिट्स लगेंगे और हॉस्पिटल पहुँचने में 30 मिनिट्स ,, मैंने सूना है मीरा के पापा खतरे से बाहर है तो क्यों ना हमेशा के लिये उन्हें खतरे से बाहर कर दिया जाये,,,,,,,,,,,,,,,इस दुनिया से बाहर करके , मेरे आदमी को हॉस्पिटल पहुंचने में सिर्फ 25 मिनिट्स लगेंगे अब तुम डिसाइड कर लो तुम्हे मेरी जान लेनी है या मीरा के पापा की जान बचानी है।”,आदमी ने कहा
अक्षत ने सूना तो उसके कदम वही रुक गए और एकदम से उन्हें अमर जी का ख्याल आया। अक्षत ने गुस्से से कहा,”यू बास्टर्ड ! आखिर तुम चाहते क्या हो ?”
“बता दूंगा बता दूंगा पहले तुम खुद को एक अच्छा दामाद साबित करके तो दिखा दो,,,,,,,,,,,तुम्हारे पास सिर्फ 28 मिनिट बचे है मिस्टर व्यास,,,,,,,,,,,आल द बेस्ट”,आदमी ने कहा और फोन काट दिया
“हेलो , हेलो , हेलो ,,,,,,,,,,शहहह , मुझे मीरा को ये बताना होगा”,कहते हुए अक्षत ने मीरा का नंबर डॉयल किया लेकिन एक रिंग जाने के बाद ही फोन कट गया।
“फोन काट दिया,,,,,,,,,!!”,कहते हुए अक्षत ने एक बार फिर मीरा का नंबर डॉयल किया लेकिन इस बार भी यही हुआ तो अक्षत ने झुंझलाकर कहा,”फोन उठाओ मीरा , प्लीज पिक अप द फ़ोन”
अक्षत ने तीसरी बार नंबर डॉयल किया लेकिन इस बार फोन स्विच ऑफ आया। अक्षत ने अपना हाथ झटका और फोन जेब में रख वहा से जल्दी से निकल गया। अक्षत उन फोन कॉल्स से इतना डरने लगा था कि वह राइजिंग हिल्स होटल जाने के बजाय हॉस्पिटल के लिये निकल गया।
“अरे भुआजी आप कब आयी ? और हमारा फोन आपके पास ?”,मीरा ने सौंदर्या के हाथ में अपना फोन देखकर कहा
“हाँ वो मुझे एक फोन करना था लेकिन तुम्हारा फोन बंद हो गया , शायद चार्ज नहीं है।”,सौंदर्या ने मीरा का फोन उसकी ओर बढाकर कहा।
“शायद हम चार्ज करना भूल गए , आप खड़ी क्यों है बैठिये ना”,मीरा ने कहा और वहा पड़ी बेंच पर आ बैठी। सौंदर्या भी उसके बगल में आ बैठी और मन ही मन कहने लगी,”जैसे आज ये फोन बंद हुआ है उसी तरह एक दिन उस अक्षत की भी तुम्हारी जिंदगी में नो एंट्री होगी मीरा,,,,,,,!!”
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संजना किरोड़ीवाल
Maine is story ka teeno season padha hai
Love the story
Aap kamal ki writer ho sanjana mam
Lots of appreciation..
Thanks!!
Mam Part 30 Degeye & I love this Novel ❤️❤️