हाँ ये मोहब्बत है – 22
Haan Ye Mohabbat Hai – 22
jk लॉन हॉस्पिटल की icu में बिस्तर पर लेटे पेशेंट को डॉक्टर्स की टीम ने चारो ओर से घेर रखा था। पेशेंट खून से लथपथ था और उसकी सांसे बहुत धीमे चल रही थी। सीनियर डॉक्टर ने पेशेंट का निरिक्षण किया और साथी डॉक्टर से कहा,”इन्हे जल्द से जल्द ऑपरेशन थियेटर में लेकर चलो इनकी तुरंत सर्जरी करनी होगी।”
“ओके डॉक्टर,,,,,,,!!”,साथी डॉक्टर ने कहा
“डॉक्टर निशा ! आप पेशेंट की फाइल रेडी करवाईये”,सीनियर डॉक्टर ने वहा से लिफ्ट की ओर बढ़ते हुए कहा
“जी सर लेकिन एक दिक्कत है सर , पेशेंट के परमिशन फॉर्म पर साइन करने वाला कोई नहीं है।”,डॉक्टर निशा ने उनके साथ चलते हुए कहा
“तो इन्हे यहाँ लेकर कौन आया ?”,सीनियर डॉक्टर ने रुककर कहा
“वार्ड बॉय ने बताया कुछ लोग इन्हे यहाँ लेकर आये और छोड़कर चले गए , डॉक्टर आशुतोष ने इन्हे एडमिट करने की परमिशन दी है।”,डॉक्टर निशा ने कहा
“ठीक है , उनसे कहिये सीधा ऑपरेशन थियेटर में आकर मुझसे मिले।”,कहकर डॉक्टर लिफ्ट के अंदर चला गया और अगले ही पल लिफ्ट बंद होकर ऊपर चली गयी
डॉक्टर निशा वहा खड़े होकर लिफ्ट को देख ही रही थी कि तभी डॉक्टर आशुतोष वहा आये और कहा,”डॉक्टर निशा , आप यहाँ खड़ी क्या कर रही है ? जल्दी चलिए पेशेंट की हालत बहुत नाजुक है।”
“सर , मेहता सर ने आपको ऑपरेशन थियेटर में मिलने को कहा है।”,डॉक्टर निशा ने कहा
“हाँ मैं वही जा रहा हूँ , आप पेशेंट के साथ जल्दी वहा पहुंचिए हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।”,कहकर डॉक्टर आशुतोष वहा से चले गए
आशुतोष अपना सफ़ेद कोट पहनते हुए ऑपरेशन थियेटर में आये। डॉक्टर मेहता वहा अपनी टीम के साथ पहले से मौजूद थे। आशुतोष के पीछे पीछे ही पेशेंट को लेकर टीम आ गयी। डॉ मेहता ने डॉ आशुतोष को देखा तो उसके पास चले आये और कहा,”डॉक्टर आशुतोष बिना पेशेंट के परमिशन फॉर्म के आपने उन्हें यहाँ एडमिट किया और तो और उन्हें ऑपरेट कर रहे है ,, आप जानते है ना ये कितना रिस्की है ,, अगर पेशेंट को कुछ हो जाता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा ?”
“डॉक्टर मेहता ! क्या आप इन्हे नहीं जानते ? ये है मिस्टर अमर प्रताप सिंह ,, प्रताप एंड प्रताप कम्पनी के मालिक इस शहर के सबसे बड़े बिजनसमेन,,,,,,,, लगता है किसी ने रंजिश के चलते इन पर हमला किया है। इस वक्त हमारे लिए इनकी जान बचाना सबसे ज्यादा जरुरी है बाकि फॉर्मेलिटी हम बाद में पूरी कर लेंगे। कम ऑन,,,,,,,,,,!!”
डॉक्टर्स की पूरी टीम अमर जी को बचाने में जुट गयी। 6 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद अमर जी खतरे से बाहर थे लेकिन बेहोश थे। डॉ आशुतोष और डॉ मेहता ऑपरेशन थियेटर से बाहर आये।
डॉ मेहता ने डॉ आशुतोष से हाथ मिलाते हुए कहा,”गुड जॉब डॉक्टर , पेशेंट अब खतरे से बाहर है ,,,,,,,,,,,,,,ऑपरेशन बहुत क्रिटिकल था लेकिन हमने कर दिखाया , अगर ज़रा सी भी देर होती तो उनकी जान जा सकती थी।”
“थैंक्यू डॉ , आगे क्या सिचुएशन बनती है ये तो पेशेंट के होश में आने के बाद ही पता चलेगा।”,डॉ आशुतोष ने कहा
“सुबह हो चुकी है अभी मुझे निकलना होगा , पेशेंट को जैसे ही होश आ जाये आप एक बार उनकी कंडीशन के बारे में जरूर बताईयेगा”,डॉ मेहता ने कहा
“स्योर डॉ”,आशुतोष ने कहा
मेहता जी ने आशुतोष के कंधे पर हाथ रखा और वहा से चले गए। डॉ आशुतोष भी काफी थक चुके थे इसलिए वहा से सीधा अपने केबिन में चले गए और कुर्सी पर आकर बैठ गए। उन्होंने वार्ड बॉय को अंदर बुलाया और चाय भिजवाने को कहा।
रात भर से वेटिंग एरिया में बैठा आदमी उठा और रिसेप्शन पर आकर कहा,”क्या मैं डॉ आशुतोष से मिल सकता हूँ ?”
“सर अभी आपसे नहीं मिल सकते , रातभर वो OT में रहे है ,, आप उनसे दोपहर बाद मिल सकते है।”,रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने सहजता से कहा
“मेरा उनसे मिलना बहुत जरुरी है।”,आदमी ने दमदार आवाज में कहा
“देखिये सर , मैं आपको बता चुकी हूँ अभी आप उनसे नहीं मिल सकते वो बिजी है।”,लड़की ने कहा
“उनसे कहिये कल रात जिस आदमी का एक्सीडेंट हुआ था मैं उसे जानता हूँ”,आदमी ने फिर कहा
लड़की को आदमी जिद्दी लगा तो उसने डॉ आशुतोष के केबिन का नंबर डॉयल किया और कुछ देर बाद आदमी की और पलटकर कहा,”रूम नंबर 107″
“थैंक्यू !”,आदमी ने कहा और वहा से आगे बढ़ गया
आदमी डॉ आशुतोष के केबिन में आया और कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”अब कैसा है वो ?”
“तुम ? तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? मैंने तुम्हे यहाँ आने से मना किया था,,,,,,,,,,,तुम्हे यहाँ अगर किसी ने देख लिया तो परेशानी हो जाएगी। जिस आदमी को कल रात तुम्हारे आदमी लेकर आये है वो कोई आम आदमी नहीं है।”,डॉ आशुतोष ने धीमी आवाज में घबराकर कहा
“जानता हूँ , वो कोई आम आदमी नहीं है इसलिए तो उसकी जान बचाने के लिये इस शहर के बड़े से बड़े डॉक्टर को तुम्हारे सामने लाकर खड़ा कर दिया।”,आदमी ने सिगरेट जलाकर मुंह में रखते हुए कहा
“मुझे ये समझ नहीं आ रहा आखिर तुम उसे बचाना क्यों चाहते हो ? क्या रिश्ता है उस से तुम्हारा ?”,डॉ आशुतोष ने हैरानी से पूछा
“बहुत गहरा रिश्ता है , मेरी कहानी में उसका होना बहुत जरुरी है। वैसे उसे होश कब तक आ जाएगा ?”,आदमी ने कहा
“कुछ कह नहीं सकते , इतने बड़े ऑपरेशन के बाद मुझे नहीं लगता वो बचेगा भी,,,,,,,,,वो कोमा में भी जा सकता है।”,डॉ आशुतोष ने जैसे ही कहा
सामने बैठा आदमी उठा और उसकी कॉलर पकड़ कर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”वो किसी भी हाल में मुझे ज़िंदा चाहिए , समझे तुम”
आशुतोष ने आदमी से अपनी कॉलर छुड़ाई और कहा,”मार्किट में अगर इस बात का पता चला कि कल रात किसी ने मिस्टर अमर प्रताप सिंह को मारने की कोशिश की है तो मार्किट में तूफान आ जाएगा ,वो कोई आम आदमी नहीं है बिजनेस की दुनिया का बादशाह है।”
“वो चाहे बादशाह हो लेकिन इस वक्त उसके सारे पत्ते मेरे हाथ में है , उसे ठीक करो,,,,!!”,कहते हुए आदमी उठा और तेजी से वहा से निकल गया। आदमी के जाने के बाद आशुतोष ने चैन की साँस ली
आशुतोष के केबिन से निकल कर आदमी जैसे ही रिसेप्शन के सामने से गुजरा वहा बैठी लड़की ने कहा,”सर ! जाने से पहले इस फाइल पर एक साईंन कर दीजिये प्लीज”
आदमी रुका और रिसेप्शन पर आकर फाइल लेकर उसमे अपना नाम लिखकर चला गया। लड़की ने फाइल ली और देखा साइन की जगह लिखा था “शुभ-चिंतक”
“अजीब आदमी है,,,,!!”,लड़की ने कहा और फाइल साइड में रखकर अपना काम करने लगी
व्यास हॉउस में अब सुबह उदासीन और खामोश होने लगी थी। पहले जैसे घर में चहल पहल और हंसी ख़ुशी का माहौल होता था अब वो एकदम बदल चुका था। सुबह की चाय के बाद दादू बाहर बगीचे में आ बैठे और वहा बैठे पंछियो को दाना डालने लगे। रघु बाहर की साफ सफाई कर रहा था।
नीता और तनु रोजाना की तरह किचन में थी और राधा मंदिर में भगवान् के सामने दीपक जला रही थी। सोमित जीजू और अर्जुन अभी नाश्ते के लिये नीचे नहीं आये थे अपने अपने कमरों में थे।
अमायरा और मीरा के जाने के बाद जैसे ये घर वीरान हो गया था। चीकू और काव्या भी तैयार होकर स्कूल के लिये नीचे चले आये , अमायरा के होने पर ये दोनों बच्चे घर में धमा चौकड़ी मचाये रहते थे लेकिन अब धीरे धीरे ये भी ख़ामोशी में जीने लगे थे। चीकू तो घर का माहौल नहीं समझता था लेकिन काव्या , काव्या अब समझने लगी थी।
चीकू और काव्या नाश्ते की टेबल पर आकर बैठे और चुपचाप अपना नाश्ता करने लगे। सभी ख़ामोशी से अपने अपने कामो में लगे थे। राधा सूर्य को जल देने घर से बाहर लॉन की तरफ आयी।
सूर्य को अर्घ देकर जैसे ही जाने के लिये मुड़ी घर का मेन दरवाजा खोलकर एक महिला अंदर आयी। महिला की उम्र 50-55 के आसपास ही थी उनके पीछे 20-22 साला एक लड़की भी थी। राधा उनकी और चली आयी तो लड़की और महिला ने उन्हें नमस्ते किया और महिला ने कहा,”नमस्ते !
आप शायद मुझे नहीं जानती ,, मेरा नाम माधवी है और ये मेरी बेटी है छवि,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ अक्षत व्यास से मिलने आयी हूँ।”
छवि नाम सुनते ही राधा को याद आया ये वही लड़की थी जिसका केस अक्षत हार गया था।
“जी नमस्ते ! आपकी बेटी के साथ जो कुछ भी हुआ उसमे अक्षत की कोई गलती नहीं है। उसके आखरी पल तक अपनी पूरी कोशिश की लेकिन वो ये केस हार गया , अगर आप उस से शिकायत करने आयी है तो मेरी आपसे हाथ जोड़कर गुजारिश है,,,,,,,,,आप यहाँ से चली जाईये ,
इस वक्त वो किसी से मिलने की हालत में नहीं है। कुछ वक्त पहले ही हमने अपनी बच्ची को खोया है अक्षत अभी इस दर्द से भी नहीं उबर पाया है।”,कहते हुए राधा ने अपने दोनों हाथ जोड़े और रोने लगी।
राधा नहीं चाहती थी अब अक्षत की जिंदगी में परेशानी आये। राधा की बात सुनकर माधवी उनके करीब आयी और उनके हाथो को थामते हुए कहा,”मैं आपक समझ सकती हूँ आखिर मैं भी एक माँ हूँ , मैं यहाँ अक्षत से शिकायत करने नहीं आयी बल्कि उस से माफ़ी मांगने आयी हूँ।”
“माफ़ी ?”,राधा ने नम आँखों से माधवी की ओर देखकर हैरानी से पूछा
“हाँ माफ़ी , सबकी तरह मैंने भी उसका बहुत दिल दुखाया है। मैं जान चुकी हूँ अक्षत गलत नहीं है बल्कि मेरी बेटी के लिये तो उसने अपनी बच्ची तक की जान दांव पर लगा दी। मुझे अक्षत से मिलना है मैं चाहती हूँ वो इस केस को फिर से रीओपन करे और जो असली गुनहगार है उसको सजा मिले”,माधवी ने कहा
राधा को जब पता चला कि अक्षत ने छवि के केस के लिये अमायरा की जान को दांव पर लगाया था तो उनकी हैरानी का कोई ठिकाना नहीं था।
उनकी आँखों में भरे आँसू उनके गालो पर लुढ़क आये और उन्होंने कहा,”और अब किसकी जान को दांव पर लगाना चाहती है आप ?”
“मैं ? मैं कुछ समझी नहीं,,,,,,,,,,,,,,!!”,माधवी ने हैरानी से पूछा
“आपकी बेटी के साथ जो कुछ भी हुआ उसके लिये हम सबको खेद है लेकिन उसका केस लड़ते हुए मेरा बेटा पहले ही सब कुछ खो चुका है , अपनी बच्ची , अपना काम , अपना नाम और अपने जीने की वजह भी,,,,,,,,,,उसके पास अब खोने के लिये कुछ भी नहीं है।
आप यहाँ से चली जाईये उसे और परेशान मत कीजिये। कोर्ट अपना फैसला सूना चुका है अब आप लोग मेरे बेटे को और परेशान मत कीजिये”
राधा की बाते सुनकर माधवी खामोश हो गयी। पास ही खड़ी छवि राधा के पास आयी और कहा,”आंटी मैं समझ सकती हूँ इस वक्त आप पर क्या गुजर रही है लेकिन मेरा भरोसा कीजिये आंटी इस केस को रीओपन करने से अक्षत सर को परेशानी नहीं होगी।
इस केस के रीओपन होने से अक्षत सर पर लगे झूठे आरोप हट जायेंगे और मुझे,,,,,,,,,,,,मुझे इंसाफ मिल जाएगा,,,,,,, प्लीज आंटी एक बार हमे उन से मिलने दीजिये अगर उन्होंने मना कर दिया तो हम लोग यहाँ से चले जायेंगे,,,,,,प्लीज”
“अपनी औलाद को खोने का दर्द क्या होता है इसका अहसास तुम्हे नहीं है बेटा , अक्षत अपनी बच्ची खो चूका है लेकिन मैं अपने अक्षत को खोना नहीं चाहती,,,,,,,,
,,जाओ चली जाओ यहाँ से और फिर यहाँ मत आना”,कहकर राधा जाने लगी तो छवि ने दर्दभरे स्वर में कहा,”मेरे पेट में पल रहा ये बच्चा जब इस दुनिया में आएगा और अपने पिता के बारे में पूछेगा तब इसे जवाब ना दे पाने का अहसास कितना बुरा होगा इसका अंदाजा शायद आपको नहीं है।”
छवि की बात सुनकर राधा के पैर रुक गए। वे छवि की तरफ पलटी तो उसकी आँखों से बहते आंसू देखकर उनका कलेजा कट गया आखिर थी तो वे भी माँ ही।
राधा छवि के पास आयी और कहा,”तुमने जो झेला है उसका अहसास मुझे तो क्या दुनिया की किसी भी औरत को नहीं हो सकता , तुम्हारे साथ जो हुआ बहुत बुरा हुआ लेकिन इन सब में मेरे बेटे का क्या कसूर था ? उसने तो तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिये अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया और बदले में उसे क्या मिला ?
दुनियाभर के लांछन , ताने और कभी ना भूलने वाला दर्द,,,,,,,,,,,,एक माँ होने के नाते मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करती हूँ बेटा , मेरे बेटे को उसके हाल पर छोड़ दो,,,,,,,,,,,,
वो अब इस हालत में नहीं है कि तुम्हारा केस लड़ सके तुम्हे इंसाफ दिला सके,,,,अरे वो तो खुद अपने आप से लड़ रहा है और इस लड़ाई में सिर्फ उसका नुकसान है बेटा , सिर्फ उसका नुकसान है।”
राधा एक बार फिर रोने लगी। छवि से उनका रोना नहीं देखा गया तो वह उनके सामने से हट गयी लेकिन माधवी के इरादे मजबूत थे उसे अक्षत से मिलना था और वह उस से मिलकर जाना चाहती थी।
अर्जुन और सोमित जीजू ऑफिस जाने के लिए घर से बाहर आये। सोमित जीजू ने राधा को दो अनजान महिलाओ के साथ खड़े देखा तो अर्जुन से कहा,”अर्जुन ! तुम गाड़ी निकालो मैं अभी आया।”
“ठीक है जीजू मैं बाहर आपका इंतजार करता हूँ”,कहते हुए अर्जुन ड्राइवर सीट पर आ बैठा और दूसरी साइड से निकल गया। सोमित जीजू राधा की तरफ आये उन्हें रोते देखकर सोमित जीजू ने उन्हें सम्हाला और कहा,”मौसीजी ! क्या हुआ , आप रो क्यों रही है ? और ये लोग कौन है ?”
“माधवी दीक्षित , छवि दीक्षित की माँ,,,,,,,,,,,वही छवि जिसका केस अक्षत ने लड़ा था लेकिन कोर्ट ने सही फैसला नहीं किया। मैं अक्षत से मिलकर इस केस को फिर से रीओपन करना चाहती हूँ।”,राधा कुछ बताती इस से पहले ही माधवी बोल पड़ी
उनकी बात सुनकर सोमित जीजू की आँखों के सामने सब एकदम से आ गया और उन्होंने कहा,”छवि के साथ जो कुछ भी हुआ उसका हम सबको खेद है लेकिन इसमें अक्षत की कोई गलती नहीं है अपनी बेटी को,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
सोमित जीजू अपनी बात पूरी करते इस से पहले ही माधवी जी बोल पड़ी,”मैं जानती हूँ सच क्या है और इसलिए मैं अक्षत से मिलना चाहती हूँ। मैं उसकी बेटी तो उसे नहीं लौटा सकती लेकिन वादा करती हूँ इस केस के रीओपन होने के बाद उसका काम और उसका नाम दोनों उसे वापस मिल जायेंगे। मेरी आपसे रिक्वेस्ट है एक बार हमे उनसे मिलने दीजिये”
माधवी की बातो में सोमित को सच्चाई साफ नजर आ रही थी इसलिए उन्होंने कहा,”ठीक है मैं आशु से बात करता हूँ , लेकिन अगर उसने मना किया तो आप बिना किसी बहस के यहाँ से चले जायेंगे”
“ठीक है,,,,!!”,माधवी ने विश्वास भरे स्वर में कहा
“आप लोग अंदर चलिए मैं अभी आता हूँ”,सोमित जीजू ने छवि और माधवी से कहा तो दोनों आगे बढ़ गयी
“ये आपने क्या किया सोमित जी ? आप तो जानते है ना आशु इस वक्त किसी से मिलने की हालत में नहीं है। आज वो जिस हाल में है उसकी सबसे बड़ी वजह ये केस है। पहले ही इस केस की वजह से वो अपनी जिंदगी में इतना सब झेल चुका है अब फिर से,,,,,,,,,,,,,,,आप उनसे कहिये वो अक्षत से ना मिले और यहाँ से चले जाए।”,राधा ने बेचैनी भरे स्वर में कहा
सोमित जीजू ने राधा के कंधो को अपने हाथो से पकड़ा और उनकी आँखों में देखते हुए कहा,”मौसीजी ! मेरी बात सुनिए , छवि का अक्षत से मिलना बहुत जरुरी है ,, हो सकता है उसे देखकर या इस केस को रीओपन करने के बाद अक्षत में अपनी वकालत को लेकर फिर से कोई विचार आये।
इस केस और अमायरा की मौत का आपस में कोई ना कोई कनेक्शन तो जरूर है एक बार ये केस रीओपन हुआ तो हम पता लगा लेंगे अमायरा को किसने मारा है ? भरोसा रखिये अक्षत कभी गलत फैसला नहीं लेगा”
“मैं पहले ही अपनी अमायरा और मीरा को खो चुकी हु अब अपने आशु को खोना नहीं चाहती”,राधा ने आँखों में आँसू भरकर कहा
“अब ये घर किसी को नहीं खोयेगा , मैं आपको भरोसा दिलाता हूँ बहुत जल्द इस घर की खुशिया लौट आएगी।”,सोमित जीजू ने राधा को अपने सीने से लगाते हुए कहा
कहने को सोमित जीजू इस घर के बड़े दामाद थे लेकिन बेटे का फर्ज निभाने की हर कोशिश करते थे।
देर रात घर लौटी सौंदर्या सुबह देर से उठी और उबासी लेते हुए कमरे से हॉल में चली आयी। हॉल में पड़े सोफे पर बैठते हुए सौंदर्या ने घर के नौकर को आवाज देकर कॉफी लाने को कहा। उसका सर हल्का हल्का दर्द हो रहा था जिसे सहलाते हुए सौंदर्या कल रात घटी घटना के बारे में सोचने लगी और एकदम से मुस्कुराहट उसके होंठो पर तैर गयी। नौकर कॉफी लेकर आया और टेबल पर रखते हुए कहा,”मैडम आपकी कॉफी।”
“हम्म्म्म , भाईसाहब कही दिखाई नहीं दे रहे ? अभी उठे नहीं क्या ?”,सौंदर्या ने कप उठाते हुए कहा
“छोटे साहब आज सुबह ही निकल गए थे , उन्होंने कहा उनकी फ्लाइट है और जब आप उठे तो मैं आपको ये बात बता दू”,नौकर ने अपने हाथो को बांधकर कहा
सौंदर्या ने सुना तो उन्होंने राहत की साँस ली और नौकर से जाने का इशारा कर दिया। नौकर वहा से चला गया। कॉफी पीते हुए सौंदर्या ने टेबल पर सुबह के अख़बार को उठाया और मुस्कुराते हुए जैसे ही खोला
पहले पेज पर छपी खबर देखकर उसके चेहरे पर हवाईया उड़ने लगी। उसकी धड़कने तेज हो गयी उसने जल्दी से कप नीचे रखा और अख़बार में छपी उस खबर को देखने लगी।
अखबार के पहले पन्ने पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था “कल रात शहर के सबसे बड़े बिजनेसमैन ‘अमर प्रताप
सिंह’ को कार ने बड़ी बेरहमी से मारी टक्कर”
सौंदर्या की नींद और होश उड़ाने के लिये अख़बार में छपी ये खबर काफी थी।
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संजना किरोड़ीवाल