Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 21

Haan Ye Mohabbat Hai – 21

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

दोपहर से शाम हो गयी लेकिन लड़के अमर जी का पता नहीं लगा पाए। अमर जी फार्म हॉउस से बाहर तो निकल गए लेकिन बाहर जाने का रास्ता उन्हें भी नहीं पता था वे वही पास के जंगल में भटकते रहे। लड़को को जब अमर जी नहीं मिले तो वे वापस फार्म हॉउस लौट आये और अपने बॉस से कहा,”वो आदमी नहीं मिला भाई अपन ने सब जगह ढूंढा लेकिन उसका कोई अता-पता नहीं है।”


“नालायको एक आदमी को तुम सम्हाल नहीं पाए अब मैं उसे क्या जवाब दूंगा,,,,,,,,,,,!!”,बॉस ने इतना ही कहा कि उसका फोन बजने लगा उसने जेब से फोन
 निकालकर देखा तो उसके माथे से पसीने की बुँदे टपकने लगी।
 “क्या हुआ बॉस ? किसका फ़ोन है ?”,साथ खड़े लड़के ने पूछा


“उसी मैडम का फोन है , बता क्या जवाब दू अब मैं उसे ?”,बॉस ने गुस्से से कहा तो लड़का इधर उधर देखने लगा और फिर कहा,”लेकिन उनको सच भी तो बताना होगा ना , अगर वो बुड्ढा घर पहुँच गया तो हम सब फसेंगे,,,,,,,,,,!!”
बॉस ने फ़ोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो,,,,,!!
“मेरा फोन उठाने में तुम्हे इतनी देर क्यों लगी ? भाईसाहब कहा है ?”,दूसरी तरफ से किसी महिला की कठोर आवाज उभरी


“मैडम वो , दरअसल वो , वो आदमी यहाँ से भाग गया है,,,,,,,,,,,,,!”,बॉस ने हिम्मत करके कहा
“क्या ? और तुम लोग क्या कर रहे थे ? अगर वो आदमी नहीं मिला तो मैं तुम सबका जीना हराम कर दूंगी समझे तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मुझे वो किसी भी हाल में चाहिए,,,,,,,,,,,,,!!”,महिला ने चिल्लाकर कहा
“मेरे लड़के दोपहर से उसे ढूंढ रहे है मैडम , वो मिल जाएगा,,,,,,,,,,,,,!!”,बॉस ने सपकपाते हुए कहा
“मिल जाएगा नहीं मिल जाना चाहिए,,,,,,,,,,,!!”,कहकर महिला ने फोन काट दिया।


बॉस ने राहत की साँस ली और अपने लड़को से कहा,”मुझे किसी भी हाल में वो आदमी चाहिए , जाओ जाकर ढूंढो उसे।”

अमर जी का घर ,
फोन पर बात करते हुए सौंदर्या जैसे ही पलटी वरुण को अपने कमरे में देखकर घबरा गयी लेकिन डर अपने चेहरे पर आने नहीं दिया और कहा,”अरे वरुण तुम ! तुम मेरे कमरे में क्या कर रहे हो ?”
 “मैं बस अभी आया हूँ , आप फ़ोन पर किसी से कुछ कह रही थी,,,,,,,,,,,!!”,वरुण ने शक भरे स्वर में पूछा


“मैं , मैं , मैं तो वो मैनेजर से बात कर रही थी , ऑफिस के कामो की कुछ जरुरी फाइल्स थी कितने दिन से कह रही थी आकर घर दे जाये। अब भाईसाहब तो पता नहीं वापस कब आएंगे तो सोचा मैं उनके काम में थोड़ी मदद कर दू,,,,,,,,,,,,,,,,,क्या मैं कुछ गलत सोच रही हूँ वरुण ?”.सौंदर्या ने वरुण के पास आकर बातो को चाशनी में लपेटते हुए कहा
वरुण ने अपने कंधे से उनका हाथ हटाया और जबरदस्ती का मुस्कुराकर कहा,”जी भुआजी ! आजकल इस घर के बारे में आप कुछ ज्यादा ही अच्छा सोचने लगी है।”


सौंदर्या ने सुना तो पलटकर मुंह बना लिया। सौंदर्या को खामोश देखकर वरुण ने कहा,”वैसे ताऊजी है कहा ? यहाँ जो कुछ हो रहा है उसके बारे में उन्हें पता भी है। उन्हें यहाँ होना चाहिए था मीरा दी के पास,,,,,,,,,,,,,!!”
“भाईसाहब अपने काम से बाहर गए है और फिर मीरा का ख्याल रखने के लिये हम सब है न”,सौंदर्या ने कहा
 वरुण कुछ दिन शांत रहा और फिर वहा से चला गया। वरुण के जाने के बाद सौंदर्या ने चैन की साँस ली और बड़बड़ाई,”ये कुछ ज्यादा ही हवा में उड़ रहा है मुझे इसे यहाँ से भेजना होगा।”


“ये अकेले में किस से बात कर रही हो सौंदर्या ?”,विवान सिंह ने कमरे में आते हुए कहा
“ओह्ह्ह भाईसाहब आप , आप कब आये ?”,सौंदर्या ने चौंकते हुए कहा
“दरअसल मैं तुम्हे ये बताने आया था कि मैं कल सुबह की फ्लाइट से वापस जा रहा हूँ , मुझे उम्मीद है आगे का काम तुम सम्हाल लोगी”,विवान सिंह ने कहा
“भाईसाहब को कैसे बताऊ बड़े भाईसाहब फार्म हॉउस में नहीं है , मुझे खुद ही ये सब सम्हालना होगा”,सौंदर्या ने मन ही मन खुद से कहा


“क्या हुआ ? कहा खोयी हो ?”,विवान सिंह ने कहा
“मैं बस सोच रही थी कि मुझे आगे क्या करना है ?”,सौंदर्या ने कहा
विवान सिंह सौंदर्या के पास आये और उसके कंधो को थामकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”सौंदर्या मुझे तुम पर पूरा भरोसा है तुम अपने शातिर दिमाग से अपनी चाल को अंजाम दे सकती हो। भाईसाहब अपने विजिट से वापस आये उस से पहले ये घर और भाईसाहब की पूरी जायदाद हमारे नाम होनी चाहिए उसके बाद कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

 मैं नहीं जानता तुम क्या करोगी और कैसे करोगी लेकिन तुम्हे अक्षत और मीरा को अलग करना ही होगा इसके बाद मीरा भी हमारी और ये दौलत भी,,,,,,,,,,,,,!!”
सौंदर्या विवान सिंह की आँखों में देखते रही उनकी आँखों में लालच की असीम चमक थी। सौंदर्या के होंठो पर मुस्कान तैर गयी और उसने हाँ में गर्दन हिला दी।
विवान सिंह कुछ देर वहा रुके और फिर वहा से चले गए। उनके जाने के बाद सौंदर्या भी तेजी से कमरे से बाहर निकल गयी। सौंदर्या घर से बाहर आयी और गाड़ी लेकर अकेले ही निकल गयी।


अपने कमरे की बालकनी में खड़े वरुण ने सौंदर्या को इतनी रात में अकेले बाहर जाते देखा तो हैरानी हुई और उसका दिमाग उलझने लगा। इन दिनों वरुण को सौंदर्या को लेकर नेगेटिव फीलिंग आने लगी थी और धीरे धीरे ही सही उसे समझ भी आ रहा था कि कही ना कही ये सब सौंदर्या भुआ से जुड़ा हुआ था। वरुण अपने कमरे में आया और कमरे में यहाँ वहा घूमते हुए बड़बड़ाने लगा,”ये सौंदर्या भुआ इतनी रात में अकेले बाहर क्यों गयी है ? इस घर में बहुत गड़बड़ चल रही है , ताऊजी इतने दिनों से घर नहीं आये है ,

मीरा दी की मैरिड लाइफ भी इतनी डिस्ट्रब हैं , डेड अपना बिजनेस छोड़कर यहाँ है और सौंदर्या भुआ उनका तो मिजाज ही काफी बदल चुका है। आखिर इन सब के पीछे क्या वजह हो सकती है ? मुझे यहाँ रूककर ये सब के बारे में पता लगाना होगा , मीरा दी और अक्षत जीजू के रिश्ते को टूटने से बचाना होगा,,,,,,,,,,,,,,,आखिर वो मेरी बहन है और हम सबकी वजह से उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ झेला है। डोंट वरी  मीरा दी मैं आपके साथ हूँ,,,,,,,,,,,,,,सौंदर्या भुआ जो खेलना चाह रही है वो मैं उन्हें खेलने नहीं दूंगा”


कहते हुए वरुण मुस्कुरा उठा। जब वरुण इंदौर आया था तब इस घर और मीरा को लेकर उसके मन में कोई भावनाये नहीं थी लेकिन धीरे धीरे उसे समझ आने लगा था और अब वह बस मीरा की मदद करना चाहता था।
अक्षत और मीरा के बारे में सोचते हुए देर रात वरुण सोने चला गया।

इंदौर से 10 किलोमीटर बाहर सुनसान सड़क पर दौड़ती कार में बैठी सौंदर्या के चेहरे पर गुस्से और परेशानी के भाव साफ नजर आ रहे थे। सड़क खाली थी इसलिए गाड़ी फुल स्पीड में भाग रही थी। अमर जी किसी भी बिजनेस ट्रिप पर नहीं गए थे बल्कि सौंदर्या ने ही एक साजिश के तहत उन्हें फार्म हॉउस पर बंदी बनाकर रखा हुआ था। ये सब सौंदर्या क्यों कर रही थी कोई नहीं जानता था लेकिन उसके इरादे बहुत खतरनाक साबित होने वाले थे। अक्षत और मीरा को तो वह पहले ही अलग कर चुकी थी लेकिन उसका खेल यही ख़त्म नहीं होता बल्कि यहाँ से उसका खेल शुरू हुआ था।

सौंदर्या तेजी से गाड़ी चला ही रही थी कि तभी कुछ दूर मदद के लिये हाथ हिलाती एक परछाई उसे दिखी लेकिन गाड़ी की स्पीड इतनी तेज थी कि गाड़ी मदद मांगने वाले उस शख्स से आगे निकल गयी। कोई सरफिरा होगा सोचकर सौंदर्या ने जैसे ही साइड मिरर में देखा उसकी आँखे चमक उठी। मदद मांगने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि अमर जी ही थे। दरअसल जंगल में भटकते हुए अमर जी सड़क किनारे आ पहुंचे किसी से मदद मिल जाये सोचकर वे हर आने जाने गाड़ी के सामने हाथ हिलाकर मदद मांग रहे थे लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।

अमर जी को देखकर सौंदर्या ने आगे जाकर गाड़ी को ब्रेक लगाया। मदद मिलने की आस में अमर जी के चेहरे पर उम्मीद की एक किरण नजर आयी। सौंदर्या ने गाड़ी को पीछे लिया लेकिन उनके दिमाग में क्या चल रहा था ये कोई नहीं जानता था। सौंदर्या ने गाड़ी को एकदम से स्पीड में पीछे लिया अमर जी कुछ समझ पाते या खुद को सम्हाल पाते इस से पहले ही गाडी ने उन्हें एक जोरदार टक्कर मारी और अमर जी हवा में उछलकर नीचे सड़क पर आ गिरे।

इतने में भी सौंदर्या का मन नहीं भरा तो उसने गाड़ी पूरी स्पीड से फिर आगे बढ़ाया और एक तेज टक्कर अमर जी को और मारी और वे लुढ़कते हुए सड़क किनारे जा गिरे। टक्कर इतनी तेज थी कि उसके बाद किसी का बचना नामुमकिन था यही अमर जी के साथ हुआ , अगले ही पल उनकी गर्दन साइड में लुढ़क गयी। सौंदर्या हल्का सा मुस्कुरायी और वहा से चली गयी।  

बिस्तर पर करवटें बदलती चित्रा को जब नींद नहीं आयी तो वह उठकर बैठ गयी। उसने घडी में समय देखा जो कि रात के 2 बजा रही थी। चित्रा उठी और किचन में चली आयी। किचन में आकर वह अपने लिये चाय बनाने लगी। चाय बनाते हुए चित्रा अक्षत के बारे में सोचने लगी। अक्षत से पहली मुलाकात से लेकर उसके साथ कोर्ट तक का सफर चित्रा की आँखों के सामने चलने लगा। चित्रा अक्षत को पसंद करने लगी थी और जब उसे पता चला अक्षत शादी-शुदा हैं उसके बाद भी उसकी भावनाये नहीं बदली। उसे हर वक्त बस अक्षत की फ़िक्र रहती थी।

चित्रा की तंद्रा टूटी उसने चाय कप में छानी और लेकर घर के बरामदे में चली आयी जहा आराम कुर्सी पड़ी थी। चित्रा आकर उस पर बैठ गयी। उसने पास रखा म्यूजिक सिस्टम धीमी आवाज में चला दिया और चाय पीने लगी। गाना सुनते हुए चाय के हर घूंठ के साथ वह अक्षत के साथ बितायी यादों को ताजा करने लगी और सिस्टम पर बजते गाने ने उसकी भावनाओ को और मजबूत कर दिया। वो किसी हिंदी फिल्म का गाना था जो कि कुछ यू था


“तड़पाये मुझे तेरी सभी बातें , इक बार ए दीवाने , झूठा ही सही प्यार तो कर
मैं भूली नहीं हंसी मुलाकातें , बैचैन करके मुझको , मुझसे यू ना फेर नजर,,,,,,,,,,,!!


चित्रा उस गाने में इतना खो गयी की उसे याद ही नहीं रहा उसके हाथ में थामे कप में रखी चाय ठंडी हो चुकी है उसने कप साइड में रख दिया और अपनी आँखे  
 मूंदकर सर उसी आराम कुर्सी से लगा लिया। कुछ क्षण बाद चित्रा ने आँखे खोली तो पाया अक्षत ठीक उसके सामने खड़ा है। ये देखकर चित्रा का दिल ख़ुशी से खिल उठा वह मुस्कुराते हुए एकटक उसे देखते रही। अक्षत ने अपना हाथ आगे बढ़ाया तो चित्रा अपने नाजुक हाथ से उसके सख्त हाथ को थामकर आराम कुर्सी से उठ खड़ी हुई।

अक्षत उसके करीब आया और एकटक उसकी आँखों में देखता रहा। चित्रा उसकी आँखों में खो सी गयी , इतनी गहरी आँखे उसने आज से पहले कभी नहीं देखी थी। वह इन आँखों के समंदर में डूबना चाहती थी। अक्षत थोड़ा और करीब आया तो उसकी गर्म सांसे चित्रा को अपने चेहरे पर महसूस होने लगी। उसकी सांसो से आती सोंधी महक को चित्रा महसूस कर पा रही थी , अगले ही पल उसने अपनी आँखे मूंद ली और जैसे ही अपने होंठो को अक्षत के होंठो की तरफ बढ़ाया हवा का झोंका उसके होंठो को छूकर गुजरा। चित्रा ने अपनी आँखे खोली सामने कोई नहीं था


अपने घर के बरामदे में वह इस वक्त अकेली खड़ी थी। अक्षत वहा नहीं था उसने जो महसूस किया वो सिर्फ उसका वहम था लेकिन चित्रा अपने इस वहम पर मुस्कुराये बिना ना रह सकी और बुदबुदाई,”यस , आई ऍम इन लव”
वह ख़ुशी से पलटी और आकर एक बार फिर आराम कुर्सी पर बैठ गयी मौसम बदलने लगा था और हलकी बारिश के साथ ठंडी हवाएं चलने लगी। चित्रा ने  म्यूजिक सिस्टम की आवाज बढ़ा दी और आँखे बंद कर ली।

सिस्टम पर बजता गाना , बारिश की बुँदे और ठंडी हवाएं उसे अक्षत के अपने करीब होने का अहसास दिला रही थी और चित्रा अब इन अहसासों से बाहर आना नहीं चाहती थी।

अपने कमरे की खिड़की के पास खड़ी छवि बाहर गिरती बारिश की बूंदो को एकटक देख रही थी। कुछ ही दिनों में उसकी जिंदगी क्या से क्या हो गयी थी ? कितने सपने देखे थे उसने अपनी जिंदगी को लेकर लेकिन अब लगता था जैसे सब बिखर गया हो। बारिश की ठंडी फुहारे एकदम से आकर छवि के चेहरे पर पड़ी तो सिहर कर उसने अपनी आँखे मूँद ली। बंद आँखों में उसे अपना अतीत नजर आने लगा ,, अच्छा बुरा सब किसी फिल्म की तरह चल रहा था और फिर आखिर में विक्की पर आकर ठहर गया।

विक्की का अदालत में सबके सामने बार बार ये कहना “मैंने छवि का रेप नहीं किया है” ना जाने क्यों छवि को बैचैन करने लगा। उसने एकदम से आँखे खोली। उसने महसूस किया उसकी धड़कने काफी तेज चल रही थी। बारिश अब तेज हो चली थी , छवि ने कमरे की खिड़की बंद की और अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी। बैचैन होकर छवि करवटें बदलने लगी और फिर उठकर बैठ गयी। उसने पास ही टेबल पर रखे पानी के गिलास को उठाया और एक साँस में पी गयी।

छवि बैठकर विक्की के बारे में सोचने लगी और मन ही मन खुद से कहा,”उस इंसान ने मेरी पूरी जिंदगी खराब कर दी उसके बाद भी वह अदालत में ये कहता रहा कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया ,, क्या एक लड़की अपने साथ हुए अन्याय करने वाले को नहीं पहचानेगी,,,,,,,,,,,,,,कोर्ट ने भले तुम्हे 6 महीने की सजा दी हो लेकिन मैं तुम्हे इस गुनाह के लिये कभी माफ़ नहीं करुँगी विक्की , तुमने मेरा जिस्म ही नहीं बल्कि मेरी आत्मा , मेरे सम्मान और मेरे अतीत तक को रौंद दिया है। तुम माफ़ी के लायक नहीं हो , तुम किसी भी लड़की के लायक नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,!!”


कहते हुए छवि की आँखों में आँसू भर आये वह आज भी अपने साथ हुए हादसे को भूल नहीं पायी थी। घुटनो में सर छुपकर छवि सिसकने लगी लेकिन उसका सर सहलाने वाला या उसे कन्धा देने वाला इस वक्त कोई नहीं था। कुछ देर बाद सिसकते हुए वह वही बिस्तर किनारे खुद में सिमटकर सो गयी।  

राइजिंग हिल्स होटल के 10वे माले पर बने कमरे की खिड़की के पास खड़ा वह शख्स हाथ में शराब का गिलास लिये उसके घूंठ भर रहा था। बाहर तेज बारिश का शोर था और अंदर गहरी ख़ामोशी,,,,,,,,,गिलास में शराब खत्म होने पर आदमी टेबल की तरफ आया और वहा रखी बोतल से गिलास में शराब भरकर उसे पीते हुए वापस खिड़की के पास चला आया। आसमान में बिजली चमकने से बस उस आदमी की आँखे नजर आयी और दूसरी बार उसके सुर्ख होंठ ,

आदमी ने शराब का एक घूंठ भरा और कहने लगा,”चंद दिनों में मैंने तुम से तुम्हारा सब कुछ छीन लिया मिस्टर अक्षत व्यास , तुम्हारी फॅमिली , तुम्हारा काम , तुम्हारा प्यार और तुम्हारा नाम भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब क्या बचा है तुम्हारे पास सिर्फ सांसे,,,,,,,,,,,,,,,एक दिन मैं तुम से वो भी छीन लूंगा। पर मैं तुम्हे इतनी जल्दी मरने नहीं दूंगा। जो दर्द तुमने मुझे दिया है वो सूद समेत तुम्हे वापस भी तो चुकाना है। अभी तो ये बस शुरुआत है मिस्टर व्यास अभी तो बहुत कुछ देखना बाकि है,,,,,,,,,,,क्योकि तुम्हारी कुंडली में शनि बनकर मैं जो लौट आया हूँ।”


आदमी ने कहा और हसने लगा , उसकी बातो से उसके इरादे साफ नजर आ रहे थे कि वह सिर्फ और सिर्फ अक्षत को नुकसान पहुंचाना चाहता था। आदमी ने गिलास में भरी शराब खत्म ही की थी कि उसका फोन बजा।   
आदमी ने फोन उठाया और कुछ देर बाद कहा,”ठीक है ! तुम उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचो,,,,,,,,,,,,,,,,मैं अभी आता हूँ।”

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