Sanjana Kirodiwal

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हाँ ये मोहब्बत है – 11

Haan Ye Mohabbat Hai – 11

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

खामोश बैठा अक्षत अपनी धड़कनो को सामान्य करने की कोशिश कर रहा था और सोमित जीजू उसका हाथ सहला रहे थे। कुछ देर बाद राधा कमरे में आयी उसके हाथो में खाने की प्लेट थी। राधा ने प्लेट टेबल पर रखा और अक्षत की तरफ आकर कहा,”आशु क्या हुआ बेटा ?”
राधा को वहा देखकर अक्षत बिस्तर से उठा और एकदम से राधा के सीने से आ लगा और उन्हें कसकर पकड़ लिया। अक्षत को ऐसा करते देखकर राधा ने हैरानी से सोमित जीजू को देखा और फिर अक्षत की पीठ सहलाते हुए कहा,”आशु क्या बात है बेटा ? तुम ठीक हो ना ?”


अक्षत ने कुछ नहीं कहा और राधा को और कसकर पकड़ लिया। ऐसा अक्षत बचपन में किया करता था जब वह किसी बात से बहुत डर जाया करता था। राधा ने सोमित जीजू की तरफ देखा और कहा,”सोमित जी क्या हुआ है इसे ? इसने कोई बुरा सपना देखा क्या ?”
“शायद अचानक नींद टूटने से इसे बेचैनी हो रही है। आप थोड़ी देर यही रुक जाईये।”,सोमित जीजू ने कहा  
राधा अक्षत को लेकर बिस्तर पर आ बैठी और अक्षत का सर अपनी गोद में रख लिया। अक्षत ख़ामोशी से राधा की गोद में सर रखे लेटा रहा।

आंसुओ की बुँदे आँखों के किनारो से होकर बिस्तर को भिगाने लगी। राधा ने देखा तो उदास हो गयी। उसने अक्षत को नहीं रोका ये सब देखने की अब उन्हें आदत हो चुकी थी। सोमित जीजू ने राधा से वही रुकने को कहा और खुद कमरे से बाहर चले आये।

“सोमित जी ! आईये खाना खा लीजिये,,,,,,,,,,,!!”,डायनिंग टेबल के पास बैठे विजय जी ने कहा
“मैं बाद में खा लूंगा मौसाजी , अभी भूख नहीं है। तनु मैं ज़रा बाहर लॉन में हूँ,,,,,,,,!!”,कहकर सोमित जीजू वहा से चले गए
“हम्म्म ठीक है,,,,,,!!”,दादू की प्लेट में खाना परोसते हुए तनु ने कहा
कुछ देर बाद अर्जुन भी चला आया  कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा,”आशु ने कुछ खाया ?”
“हाँ तुम्हारी माँ उसके लिए खाना लेकर गयी है।”,विजय जी ने खाते हुए कहा


“जीजू कही नजर नहीं आ रहे उन्होंने खाना खा लिया क्या ?’,अर्जुन ने निवाला तोड़ते हुए कहा
“सोमित जी बाहर है,,,,,,,,,,,शायद आज घर में हुयी बातो को लेकर थोड़ा परेशान है।”,दादू ने कहा
“परेशान होना जायज है ना दादू , ये जो कुछ हो रहा है वो हम सबको तकलीफ दे रहा है ,बस अमर अंकल जल्द से जल्द इंदौर आ जाये”,अर्जुन ने कहा  
“अर्जुन कही ये सब में अमर जी का हाथ,,,,,,,,,,,,,,,,,,माफ़ करना पर मुझे ऐसा लगता है। वो शुरू से ही अक्षत मीरा के रिश्ते के खिलाफ थे,,,,,,,,,,,!”,तनु ने कहा तो सब उसकी तरफ देखने लगे


“नहीं तनु अमर जी ऐसा नहीं करेंगे , वो अक्षत मीरा के रिश्ते के खिलाफ थे लेकिन मुझे नहीं लगता वो ऐसा करेंगे।”,विजय जी ने कहा
“नहीं पापा तनु दी शायद सही कह रही है। अगर ऐसा नहीं है तो फिर इतने नाजुक हालातों में मीरा को अकेला छोड़कर वह शहर से बाहर क्यों है ?”,अर्जुन ने कहा
“इस वक्त सब उलझा हुआ है अर्जुन और ऐसे नाजुक हालातो में कोई भी राय बनाना या फैसला करना सही नहीं होगा। अक्षत पहले ही मीरा को लेकर एक बहुत बड़ा गलत फैसला ले चुका है।

मैं नहीं चाहता हालात और बिगड़े,,,,,,,,,,,,इस वक्त हमे बस ये सोचना है कि अक्षत और मीरा को इस स्तिथि से बाहर कैसे निकाले”,विजय जी ने अर्जुन को समझाते हुए कहा
“विजय सही कह रहा है अर्जुन , जल्दबाजी और ग़लतफ़हमी में ऐसा कोई कदम नहीं उठाना जो अक्षत मीरा के लिये परेशानी का कारण बने।”,दादू ने कहा
विजय जी और दादू की बातें सुनकर अर्जुन खामोश हो गया। उसके बाद किसी के बीच कोई बात नहीं हुई और सब अपना अपना खाना खाने लगे।

खाना खाने के बाद नीता सभी बर्तन उठाकर रखने लगी तभी फोन बजा। नीता ने बर्तन वापस डायनिंग पर रखे और फोन की तरफ चली आयी। नीता ने फोन उठाया दूसरी तरफ निधि थी।
“हेलो भाभी ! कैसी है आप ? माँ कैसी है ? घर में सब ठीक है ना ,, मेरा मतलब अक्षत भाई कैसे है ? और मीरा , मीरा कहा है ? मैंने उसे कितने फोन किये वो मेरा फोन क्यों नहीं उठाती ?”,निधि ने एक साथ कई सवाल कर डाले


निधि के सवाल सुनकर नीता कुछ देर के लिये खामोश हो गयी और एक गहरी साँस लेकर कहा,”कुछ ठीक नहीं है निधि , अमायरा के जाने के बाद ये घर जैसे वीरान हो गया है और अब तो मीरा भी,,,,,,,,,!!”
नीता आगे कुछ कहती इस से पहले ही अर्जुन ने फोन नीता के हाथ से लिया और कहा,”हेलो निधि ! कैसी हो ? दामाद जी कैसे है ?”


“हेलो भाई , हनी ठीक है वो नक्ष को लेकर बाहर गया है ,, भाई आप बताईये ना मीरा कहा है और वो मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही ?”,निधि ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“निधि मीरा ठीक है और उसका फोन उसके पास नहीं है मैंने ही उस से लेकर साइड में रख दिया। अमायरा के जाने के बाद से वो काफी अपसेट है।”,अर्जुन सफ़ेद झूठ बोल गया
“हम्म्म मुझे लगा ही था भाई ऐसा ही कुछ होगा वरना मीरा ऐसा कभी नहीं करती। मैं एक काम करती हूँ कल हनी के साथ घर आ जाती हूँ वही आकर मीरा से मिल लुंगी। उसे थोड़ा अच्छा लगेगा,,,,,,,,,,,,!!”,निधि ने कहा


“अह्ह्ह्ह नहीं निधि ! तुम कल घर मत आओ,,,,,,,,,,,,वो एक्चुअली मीरा की तबियत ठीक नहीं है और वो काफी लो फील भी कर रही है तो वो कल अपने पापा के घर जाएगी। तुम कुछ दिन बाद घर आ जाना,,,,,,,,,,,,,,हम्म्म ये ठीक रहेगा।”,अर्जुन ने एक बार फिर निधि से झूठ कहा    
निधि अर्जुन की बातो में आ गयी और कहा,”ठीक है भाई , मैं बाद में आ जाउंगी। अक्षत भैया कैसे है ? वो ठीक तो है ना ?”


“आशु अब ठीक है थोड़ा वक्त लगेगा निधि पर धीरे धीरे सब ठीक हो जाएगा। तुम अपना और नक्ष का ख्याल रखना , मैं तुम्हे कल फोन करता हूँ”,अर्जुन ने कहा और फोन काट दिया।
पास ही खड़ी नीता हैरानी से अर्जुन की बाते सुन रही थी। जैसे ही अर्जुन ने फोन रखा नीता ने कहा,”अर्जुन तुमने निधि से झूठ क्यों कहा ?”
“इस वक्त निधि को ये सब बताना सही नहीं है नीता , इस घर में जो हालात है उनकी वजह से निधि को क्यों परेशान करना।

अगर निधि को पता चला कि सबसे अच्छी दोस्त मीरा उसके भाई से तलाक चाहती है तो क्या गुजरेगी निधि के दिल पर , उसका तो दोस्ती से भरोसा ही उठ जाएगा। तुम्हे मेरी कसम है नीता निधि से इस बारे में तुम कोई बात नहीं करोगी।”,कहते हुए अर्जुन ने नीता का हाथ अपने सर पर रख दिया
नीता फटी आँखों से अर्जुन को देखे जा रही थी।
अर्जुन ने नीता के हाथो को अपने हाथो में लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा,”नीता मैं समझ सकता हूँ अभी हालात ठीक नहीं है लेकिन हम सबको मिलकर इसे सही करना होगा।

इन परिस्तिथियों में मीरा को गलत समझना हमारी सबसे बड़ी भूल होगी नीता , हम में से कोई नहीं जानता आशु और मीरा के बीच क्या बात हुई है ? बिना सच्चाई जाने किसी को भी गलत समझना सही नहीं होगा। निधि का अभी घर आना सही नहीं रहेगा नीता , वो मेरी और अक्षत हम दोनों की बहन है। अपने भाईयो को वो इस हाल में  नहीं देख पायेगी।”
“मैं समझ रही हूँ अर्जुन लेकिन मीरा जो कर रही है क्या वो सही है ? आज देवर जी को इस घर को मीरा की जरूरत है और वो क्या कर रही है , वो हम सबको तकलीफ देकर अपने घर में खुश है।”,नीता ने तड़पकर कहा।


“नहीं नीता मीरा खुश नहीं है ,अक्षत से दूर रहकर वो खुश रह ही नहीं सकती। ये सिर्फ और सिर्फ किसी की सोची समझी चाल है जिसका पता मैं लगाकर रहूंगा।”,अर्जुन ने कहा
नीता ने आगे कुछ नहीं कहा लेकिन धीरे धीरे ही सही नीता के मन में मीरा को लेकर कड़वाहट आने लगी थी। अर्जुन की बाँह छूकर नीता वहा से चली गयी।

लॉन में पड़े झूले पर बैठे सोमित जीजू अक्षत के बारे में सोच रहे थे। सोमित जीजू अक्षत को अपनी शादी के वक्त से जानते है और तब से लेकर आज तक उन्होंने अक्षत को परेशानियों से घिरा पाया और आज अक्षत अपनी जिंदगी के सबसे बड़े दर्द से गुजर रहा था। अक्षत के बारे में सोचते सोचते सोमित जीजू की आँखे नम होने लगी। वे अक्षत को इस हाल में नहीं देख पा रहे थे।

खाली आसमान में चाँद चमक रहा था उसे देखते हुए सोमित जीजू कहने लगे,”महादेव आपको बहुत मानता है ये लड़का , आप पर बहुत भरोसा भी करता है फिर इसकी जिंदगी में इतना दर्द और तकलीफ क्यों लिखी आपने ? क्या सच में वो इस दर्द के लायक है , उसने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा , कभी किसी का बुरा नहीं किया तो फिर आज उसके साथ इतना बुरा क्यों हो रहा है महादेव ?  वो कहता है उसके पास जीने की कोई वजह नहीं है क्या सच में उसके पास अब जीने की कोई वजह नहीं बची ?

आप उसके हिस्से का दर्द मेरी किस्मत में लिख दो बस उसे अब और तकलीफ मत दो वो बच्चा है मेरा नहीं सहन कर पायेगा। मैं आपसे उसकी खुशियों की भीख मांगता हूँ महादेव,,,,,,,,,,,,,,मेरे आशु का दर्द कम कर दो।”
सोमित जीजू को पता भी नहीं चला ये सब कहते कहते कब उनकी आँखों में भरे उनके गालो से नीचे लुढ़क आये। तनु को सामने से आते देखकर सोमित जीजू ने जल्दी से अपने आँसू पोछे और नॉर्मल होकर बैठ गए।
“सोमित क्या हुआ ? तुम यहाँ अकेले क्यों बैठे हो ? तुमने खाना भी नहीं खाया , तुम ठीक हो ना ?”,तनु ने सोमित के कंधे पर हाथ रखकर प्यार से पूछा


“हाँ हाँ मैं ठीक हूँ मुझे क्या हुआ है ?”,सोमित जीजू ने भर्राये गले से कहा
सोमित को देखकर तनु समझ गयी की सोमित जीजू ठीक नहीं है इसलिए बिना कुछ कहे उसके बगल में आ बैठी
तनु ने अपना हाथ सोमित के हाथ पर रखा और कहा,”मैं जानती हूँ सोमित तुम आशु को लेकर परेशान हो।”
सोमित जीजू एकदम से तनु की तरफ पलटे और कहने लगे,”मैं समझ नहीं पा रहा हूँ तनु कि मैं ऐसा क्या करू जिस से उसका दर्द कम हो जाये ? मैंने आशु को कभी अपना साला नहीं माना मैंने हमेशा उसे अपना बेटा माना है। एक बाप होने के नाते मैं अपने बेटे को दर्द में कैसे देख सकता हु ?

मैं क्या करू तनु जिस से सब ठीक हो जाये। इस घर के लोगो ने हमेशा मुझे प्यार दिया , सम्मान दिया , मेरे अच्छे बुरे वक्त में इस घर के लोग हमेशा मेरे साथ खड़े रहे लेकिन मैं इस घर के लिये कुछ नहीं कर पाया। काश उस दिन मुझे पता होता और मैं मीरा को जाने से रोक पाता तो आज ये सब नहीं होता। कोई माने या न माने लेकिन मैं जानता हूँ सिर्फ मीरा ही है जो आशु को सम्हाल सकती है। उसका दर्द कम कर सकती है।

आशु को इस वक्त हम सब की नहीं तनु उसे सिर्फ मीरा की जरूरत है लेकिन वो पगला जिद कर बैठा है , इस जिद में वो सब बर्बाद कर लेगा तनु सब बर्बाद कर लेगा,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए सोमित जीजू फुट फुट कर रोने लगे ,
तनु ने सोमित को रोते देखा तो उसके गले आ लगी और उसकी पीठ सहलाने लगी। सोमित को रोते देखकर तनु की आँखों में भी आँसू भर आये। उसने अपनी आँखे मूंद ली और सोमित की पीठ थपथपाते रही।

अमर प्रताप सिंह का घर ,

खाने की टेबल पर बैठे विवान सिंह ने कहा,”सौंदर्या ! तुम्हारी भाईसाहब के मैनेजर से बात हुई ? तुमने उन्हें कल सुबह कम्पनी के बारे में बताया के नहीं ?”
“भाईसाहब ! आप खामखा परेशान हो रहे है , मेरे होते हुए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।”,सौंदर्या ने खाना खाते हुए कहा
“सौंदर्या ! पहले से सब फिक्स रहे तो अच्छा है , क्योकि हमने सूना है भाईसाहब का मैनेजर भाईसाहब के प्रति बहुत ईमानदार है।”,विवान सिंह ने चिंतित स्वर में कहा

सौंदर्या खाना छोड़कर उनकी तरफ देखने लगी और कहा,”भाईसाहब ! पैसा फेंको तो बड़े से बड़ा ईमानदार भी घुटने तक देता है। आप बेफिक्र रहिये मैं सब सम्हाल लुंगी। हम कल ही भाईसाहब की कम्पनी में जाकर उनके शेयरस बेच देंगे।”,सौंदर्या ने आँखों में चमक भरकर कहा
“हमे ये काम जल्दी करना होगा उसके बाद हमे वापस अजमेर भी जाना है , आखिर पिताजी की पुश्तैनी हवेली का भी तो बटवारा करना है।”,विवान सिंह ने कहा


विवान की बात सुनकर सौंदर्या सोच में पड़ गयी और कहा,”उस हवेली का बटवारा नहीं हो सकता भाईसाहब ! वो हवेली बड़े भैया ने मीरा की बेटी के नाम कर दी है।”
“लेकिन मीरा की बेटी तो अब इस दुनिया में नहीं रही उस हिसाब से वो हवेली फिर से भाईसाहब के हिस्से में आती है।”,विवान सिंह ने कहा
सौंदर्या ने विवान सिंह की तरफ देखा और गंभीरता से कहा,”आपको क्या लगता है मैंने इतना बड़ा रिस्क लेकर मीरा को यहाँ कैद क्यों किया होगा ?”


“मैं कुछ समझा नहीं सौंदर्या ?”,विवान सिंह ने असमझ की स्तिथि में कहा
“भाईसाहब ने वो हवेली , ये घर और अपना सारा कारोबार मीरा के नाम करने का फैसला कर लिया है। उसी सिलसिले में तो वो शहर से बाहर गए है। इस करोडो की सम्पति की मालकिन भाईसाहब के बाद मीरा रहेगी। जब तक मीरा हमारे पास है तब तक उसका सब हमारा है।”,सौंदर्या ने आँखों में चमक भरते हुए कहा


“मान गए सौंदर्या ! मीरा को व्यास फॅमिली से दूर भी कर दिया और खुद उसकी नजरो में ऊँचे भी उठ गयी ,, भई ये दांव पेच खेलना तो कोई तुम से सीखे।”,विवान सिंह ने कहा तो सौंदर्या खिलखिलाकर हंस पड़ी


दोनों बहन-भाई बात कर ही रहे थे कि तभी वरुण गले में हेड फोन डाले वहा से गुजरा। वरुण को देखकर विवान सिंह ने कहा,”वरुण आओ बैठो खाना खाओ।”
“डेड ! आई डोंट वांट ,, मैं बाहर जा रहा हूँ।”,वरुण ने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा
“वरुण ये क्या तरिका है , बड़ो की रेस्पेक्ट करना नहीं आता तुम्हे।”,सौंदर्या ने गुस्से से धीमे स्वर में कहा


“ओह्ह्ह प्लीज भुआजी आप तो मुझे मत ही सिखाइये रिस्पेक्ट करना,,,,,,,,,,,,मैं बाहर जा रहा हूँ।”,कहते हुए वरुण ने गले में पड़े हेडफोन को कानों पर लगाया और वहा से चला गया।
“भाईसाहब ये,,,,,,,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
“जाने दो उसे , मेरे ही लाड प्यार ने उसे बिगाड़ दिया है,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,विवान सिंह ने कहा और उठकर वहा से चले गए।  

देर रात अपने कमरे में लेटी मीरा एकदम से चौंककर नींद से जागी। वह उठी और बदहवास सी कमरे में यहाँ वहा घूमने लगी। मीरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा है ? वह अक्षत से मिलना चाहती थी , उस से बात करना चाहती थी , उस से पूछना चाहती थी आखिर उसने इतना बड़ा फैसला कैसे ले लिया ? मीरा अपना फोन ढूंढने लगी टेबल के दरवार में रखा उसका फोन उसे मिल गया मीरा ने उसे ऑन किया लेकिन चार्ज ना होने की वजह से फोन बंद था।

मीरा ने उसे ऑन करने की कोशिश की लेकिन नहीं हुआ। झुंझलाकर मीरा ने फोन वापस टेबल पर रख दिया। अपने आँसू पोछते हुए बदहवास सी वह कमरे में रखे फोन के रिसीवर के पास आयी और अक्षत का नंबर डॉयल किया लेकिन मीरा की बुरी किस्मत , अक्षत का फोन आउट और रच था। मीरा ने एक बार और कोशिश की लेकिन अक्षत का फोन नहीं लगा। बेचैनी ने मीरा को घेर लिया , उसके माथे पर पसीना चमकने लगा। मीरा परेशान सी फोन का रिसीवर लेकर वही बैठे रही और एकदम से उसे घर के लेडलाइन का ख्याल आया।


मीरा ने नंबर डॉयल किया रिंग जा रही थी। मीरा मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि घर में कोई भी एक बार उस फोन को उठा ले। इसे इत्तेफाक कहे या मीरा की मोहब्बत,,,,,,,,,,,,,,,राधा के कमरे से निकलकर अक्षत अपने कमरे की तरफ जा रहा था तभी घर का लेडलाइन बजा। अक्षत ने घडी में वक्त देखा काफी रात हो चुकी थीं।  उसने देखा फोन लगातार बजते ही जा रहा है तो वह खुद फोन के पास आया और उठाकर कान से लगाते हुए कहा,”हेलो”


अक्षत की आवाज सुनकर मीरा कुछ बोल ही नहीं पायी। शब्द उसके गले में ही अटक गए और आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे।
“हेलो , कौन है ?”,अक्षत ने एक बार फिर धीमे स्वर में कहा
इतने दिनों बाद मीरा अक्षत की आवाज सुन रही थी , सुनकर उसकी रुलाई फुट पड़ी लेकिन कही उसके रोने की आवाज अक्षत तक ना चली जाए सोचकर मीरा ने अपने दुप्पटे को मुँह के सामने कर लिया।


फोन के दूसरी तरफ की ये खमोशी ना जाने क्यों अक्षत को जानी पहचानी सी लगी। वह खामोश हो गया , एकदम से उसका दिल धड़कने लगा और मन बेचैनी से घिर गया। अक्षत ने काँपते होंठो से कहा,”मीरा,,,,,,,,,,,,,,,!!”
मीरा ने जैसे ही अक्षत के होंठो से अपना नाम सूना फोन तुरंत रख दिया और फूट फूट कर रो पड़ी। वह अक्षत से ही बात करना चाहती थी और उसके सामने कुछ बोल नहीं पायी।
अक्षत ने भी फोन रखा और खुद में बड़बड़ाया,”वो कभी मुझे फोन नहीं करेगी , फिर भी मेरा दिल क्यों कह रहा है कि फोन के उस तरफ मीरा थी ?”


“आशु क्या हुआ वहा क्यों खड़ा है ?”,राधा ने अक्षत को अकेले हॉल में खड़े देखा तो उसकी तरफ आते हुए कहा
“कुछ नहीं माँ , शायद रॉंग नंबर था। आप जाकर सो जाईये।”,अक्षत ने कहा और सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया।
राधा अक्षत को जाते हुए देखते रही और फिर वहा से चली गयी।

अमर प्रताप सिंह की कम्पनी के मीटिंग रूम में बैठे सौंदर्या और विवान सिंह पेपर्स का इंतजार कर रहे थे तभी कम्पनी का मैनेजर वहा आया और कहा,”सर ये रहे कम्पनी के सभी शेयर्स के पेपर , आपने इन्हे क्यों मंगवाया ?”
विवान सिंह ने सभी पेपर्स देखे और फाइल्स मैनेजर को देकर कहा,”ये सब शेयर्स बेच दो”
मैनेजर ने सुना तो हैरानी से सौंदर्या और विवान सिंह को देखने लगा।

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