एक प्लेट बिरयानी
Ak Plate Biryani
Ak Plate Biryani Written by Sanjana Kirodiwal
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Ak Plate Biryani
हैदराबाद की गली में नुकड़ पर बने आखरी दोमंजिला मकान में अनिकेत अपनी पत्नी शाक्षी के साथ रहता था l
अनिकेत और साक्षी की शादी को अभी एक साल ही हुआ था l अनिकेत का हैदराबाद में ही बहुत बड़ा बिजनेस था l अनिकेत कम बोलने वाला सीधा साधा इंसान और वही साक्षी कानपुर से थी मुंहफट , बिंदास और किसी से ना डरने वाली l शादी के बाद अनिकेत शाक्षी को हैदराबाद ले आया l
दोनों की अरेंज मैरिज हुयी थी और इसीलिए शाक्षी अनिकेत को कभी दिल से नहीं अपना पायी l साक्षी का मानना था पहले प्यार हो और उसके बाद शादी तो जिंदगी खूबसूरत हो जाती है , जबकि अनिकेत को लगता था प्यार की कोई उम्र कोई समय नहीं होता अगर भावनाये सच्ची हो तो ये किसी भी रूप में हो सकता है l
साक्षी और अनिकेत के बिच बहुत कम बातें होती थी लेकिन दोनों एक दूसरे की पूरी इज्जत करते थे l अनिकेत अपना अधिकतर समय ऑफिस में ही गुजारता और साक्षी घर पर कभी टीवी देखकर तो अपने दोस्तों से बातें करके !!
धीरे धीरे साक्षी को लगने लगा की अनिकेत उस से प्यार नहीं करता ‘
न ही उसके साथ समय बीताता है ‘
ना ही दूसरे पतियों की तरफ उसे तोहफे देता है ‘
‘ उसे केवल अपने काम से प्यार है l ‘
‘ कही उनका अपनी सेकेरेट्री के साथ कोई चक्कर तो नहीं चल रहा l
एक बार शक का बीज साक्षी के दिमाग में घुसा तो बस पनपता ही गया l साक्षी अब किसी ना किसी बात पर अनिकेत के ऊपर शक करने लगी और शक की आग में जल जल कर खुद ही परेशान रहने लगी l एक शाम वह उदास सी बैठी थी तभी उसकी सहेली का फ़ोन आया l साक्षी ने सारी बात उसे कह सुनाई ,
बस फिर क्या था सहेली लगी साक्षी को उलटी सीधी पट्टी पढ़ाने और आखिर में कह दिया,” अगर नहीं बनती तो अपने मायके चली जा अपने आप अकल ठिकाने आ जाएगी उसकी और अगर प्यार हुआ न तो खुद चलकर आएगा तेरे पीछे”
पता नहीं क्या सोचकर साक्षी ने सहेली की बात मान ली और मन ही मन अनिकेत से दूर जाने का सोच लिया l
अगले दिन इतवार था अनिकेत की छुट्टी थी l साक्षी ने अनिकेत के लिए बिरयानी बनायी l साक्षी बेजटेरियन थी पर हर इतवार अनिकेत के लिए बिरयानी बनाया करती थी , उसने कभी अपनी बनाई बिरयानी चखी भी नहीं थी l अनिकेत नाश्ते के लिए आकर बैठा पास बैठी साक्षी ने उसकी प्लेट में बिरयानी परोसी l वह चुपचाप खाने लगा , अनिकेत को चुप देखकर साक्षी से रहा नहीं गया और मन में छुपा गुस्सा बाहर आ गया
“बस बहुत हो गया अब मैं इस घर में और नहीं रह सकती !
अनिकेत खाते खाते रुक गया और साक्षी की तरफ देखने लगा !
“शादी के बाद मेरी खुद की तो जैसे कोई लाइफ ही नहीं है l तुम्हे सिर्फ खुद से अपने काम से मतलब है l और यहाँ मैं अकेली पूरा दिन घर में रहती हु न मेरे पास कोई बात करने को होता है न ही मेरी सुनने को l मैं तुम्हारा तुम्हारे घर का सारा काम करती हु , घर सम्हालती हु ! वेजेटेरियन होकर भी तुम्हारे लिए हर इतवार बिरयानी बनाती हु , मच्छी पकाती हु l तुम्हारे उठने से लेकर तुम्हारे सोने तक तुम्हारी जरुरत का हर सामान तुम्हे वक्त पर मुहैया कराती हु ..
लेकिन तुम तुमने आज तक मेरे लिए कुछ नहीं किया , कभी भूल से एक गुलाब भी लाकर नहीं दिया मुझे , कभी मुझसे प्यार की दो बात तक नहीं की l अरे ! बात करना तो दूर कभी i love you तक नहीं कहा l अब तुम ही बताओ तुम्हारे साथ इस घर में रहकर मैं क्या करू जहा प्यार है ही नहीं l या सिर्फ तुम्हारे लिए बिरयानी बनाने के लिए तुम्हारी कामवाली बाई बनकर रहु l
मैंने सही कहा था की अरेंज मैरिज में कभी प्यार हो ही नहीं सकता पर पापा ने ही कभी मेरी बात नहीं सुनी l लेकिन अब मैं यहां और नहीं रह सकती “
कहकर साक्षी अपने कमरे में चली गयी l
कमरे में आकर वह बड़बड़ाने लगी
“देखा इतना सब कहा लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ा”
‘मत पड़ने दो , मुझे भी अब यहाँ एक मिनिट नहीं रहना है’
‘प्यार तो इनको कभी मुझसे था ही नहीं वरना मुझे मनाने जरूर आते लेकिन नहीं वह बैठकर मजे से बिरयानी खा रहे है खाओ खूब खाओ कल से खुद ही बनाना अब ये सब l तभी मेरी अहमियत समझ आएगी तुम्हे’
कहते हुए साक्षी अलमारी से कपड़े निकालकर बैग में डालने लगी l
कपडे निकालते वक्त एक डायरी निचे गिरी साक्षी ने उसे उठाया और देखने लगी जैस ही उसने डायरी खोली पहले पन्ने पर कुछ लिखा था साक्षी पढ़ने लगी
“मैं जानता हु एक दिन तुम्हारे मन में मुझे छोड़ने का ख्याल जरूर आएगा पर हो सकता है ये डायरी मुझे समझने में तुम्हारी कुछ मदद करे “
साक्षी ने पढ़ा तो उसकी जिज्ञाषा आगे पढ़ने की हुयी वह डायरी लेकर बेड पर आ बैठी l और आगे पढ़ने लगी
“तुम्हे याद होगा जब मैं पहली बार तुमसे तुम्हारे शहर कानपुर में तुमसे टकराया था और तुमने गुस्से में मुझे फटकार लगायी थी तब मुझे तुम बहुत अच्छी लगी थी और मैं मुस्कुराते हुए तुम्हारी डांट सुन रहा था l उस वक्त मैं वहा शादी के लिए अपने घरवालों के साथ लड़की देखने ही आया था लेकिन तुम्हे देखने के बाद मुझे कुछ और देखने की जरुरत नहीं पड़ी l मैं जिस लड़की को देखने आया था सोचने लगा काश वो तुम ही हो और पहली बार भगवान ने मेरी सुन ली l
हां वो तुम ही थी जो चाय की ट्रे लेकर मेरे सामने आयी थी l तुम्हे देखकर लग रहा था की तुम शादी से खुश नहीं हो मैंने तुमसे बात करने की कोशिश भी की लेकिन तुमने इंकार कर दिया पर शादी के लिए हां कह दी l मैं बहुत खुश था l तुम्हे याद होगा जब मैं तुमसे बात करने के लिए तुम्हारे घर पर फोन किया करता था और तुम मेरी आवाज सुनकर फोन अपने छोटे भाई बहनो को पकड़ा देती थी , तब भी मुझे कभी बुरा नहीं लगा l
मैं तुम्हारे बारे में ज्यादा जान ही नहीं पाया और हमारी शादी हो गयी l l शादी में तुम खुश नजर आ रही थी और जब मैंने तुम्हे दुल्हन के लिबास में देखा तो मुझे उसी पल तुमसे प्यार हो गया l शादी के बाद हम हैदराबाद रहने लगे l यहाँ आने के अगले ही दिन मैंने तुम्हे किचन में देखा तुम बड़े मन से खाना बना रही थी तुम्हे देखकर मुझे बहुत ख़ुशी हुयी l
पर जब खाना खाने के लिए मैं आकर बैठ तो तुमने मेरी प्लेट में बिरयानी परोसी और चिकेन का बड़ा सा टुकड़ा साथ में रखा l तुम्हे बता दू आज से पहले मैंने कभी नॉनवेज नहीं खाया था पर तुमने इतने प्यार से बनाया था इसलिए मैंने तुम्हे मना नहीं किया l वो मेरा तुम्हारे लिए प्यार ही था l
जब एक निवाला खाया था मुझे पता चला की तुम उसमे नमक डालना भूल गयी हो l लेकिन मैंने तब भी कुछ नहीं कहा और वो सब खा लिया l पर तुम पगली निकली तुम्हे लगा मुझे बिरयानी बहुत पसंद है और तुम मुझे हर इतवार बिरयानी बनाकर खिलाने लगी l और हमेशा की तरह या तो उसमे बिलकुल नमक नहीं होता या फिर चावल कच्चे रह जाते थे पर मैंने कभी तुमसे शिकायत नहीं की क्योकि मैं जानता था तुम बड़े प्यार से वो सब मेरे लिए बनाती थी l और ये मेरा प्यार ही था की मैं उसे ंमजे लेकर खाया करता था l
तुमसे पहले लड़कियों से नजदीकियां मेरी बहुत कम रही है इसलिए मुझे अपनी भावनाये जाहिर करना नहीं आता l सिर्फ फूल , तोहफे देने का मतलब ही प्यार नहीं होता , दो लोगो के बिच अगर प्यार है तो उसे महसूस करना जरुरी है l प्यार जाहिर करने के लिए कोई शब्द नहीं बने है साक्षी ! सिर्फ i love you जैसे तीन शब्द कह देंने से प्यार नहीं हो जाता , न ही प्यार जाहिर करने के लिए कोई दिन बना है प्यार हमेशा रहता है ये कभी कम ज्यादा नहीं होता , इसलिए मैंने कभी इसे शब्दों में नहीं तोला l
मैं अपने लिए काम नहीं करता सिर्फ इसलिए करता हु ताकि तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी कर सकू l मेरे प्रोफीट का 50 % हिस्सा हमेशा तुम्हारे अकाउंट में जाता है , ताकि तुम्हे जो चाहिए तुम अपनी मर्जी से खरीद सको और तुम्हे कभी मुझसे कुछ मांगने की जरूरत ना पड़े l l ये सब सिर्फ इसलिए क्योकि मैं तुमसे प्यार करता हु और तुम्हे हमेशा खुश देखना चाहता हु l
तुमसे बहुत कम बातें करता हु क्योकि मैं नहीं चाहता मेरे मुंह से निकली किसी भी बात से तुम्हे ठेस पहुंचे l
वैसे बिरयानी अच्छी बना लेती हो तुम पर नमक डालना आज भी कई बार भूल जाती हो , साक्षी ये एक प्लेट बिरयानी ही हमारे प्यार के बिच की नींव है ! क्योकि हर इतवार मेरे लिए उसे बनाना तुम्हारा प्यार है , और बिना किसी शिकायत के खाना मेरा प्यार ही है l प्यार हर चीज में शामिल है बस जरूरत है तो उसे समझने की , पहचानने की और महसूस करने की l l
ये सब पढ़ने के बाद तुम मुझे छोड़कर जाने का सोचोगी भी नहीं लेकिन अगर फिर भी तुम जाना चाहो तो मैं तुम्हे नहीं रोकूंगा मेरे लिए तुम्हारा खुश होना ज्यादा जरुरी है l”
अनिकेत !!
साक्षी ने डायरी बंद कर दी l
उसकी आंखे आंसुओ से भर आयी l उसे अपनी कही बातो का बहुत दुःख हो रहा था l सच में वह अनिकेत को समझ ही नहीं पायी l उसन डायरी वापस अलमारी में रखी और दौड़कर बाहर गयी l पर अनिकेत वहा से जा चूका था साक्षी ने प्लेट से बिरयानी का निवाला उठाकर मुंह में रखा तो उसे खुद पर हंसी आ गयी और आँखों से आंसू बहने लगे आज भी वो उसमे नमक डालना भूल गयी थी और चावल कच्चे थे l l
साक्षी ने बर्तनो को समेटा और किचन में लेजाकर रखा l कमरे में आयी और बैग में रख कपडे वापस अलमारी में जमाये l और फिर घर की साफ सफाई में लग गयी l कुछ ही घंटो में उसने सारा घर चमका डाला l शाम हो चुकी थी साक्षी की नजर दिवार पर ठीके कैलेंडर पर गयी तो वह मुस्कुरा उठी और फिर किचन में जाकर पतीले में चावल चढ़ा दिए और सब्जिया काटने लगी
सभी मसालो को अपने नाजुक हाथो से कुटकुट कर सब्जियों में डाले l और एक बार फिर बिरयानी बनायीं l सारा घर उसकी खुशबू से महक उठा l अनिकेत अभी तक घर नहीं आया था घडी में 7 बज रहे थे साक्षी अपने कमरे में गयी और अलमारी से लाल रंग की वो साड़ी निकाली जो उसने शादी की पहली रात पहनी थी l उसके चेहरे से आज सिर्फ ख़ुशी और आँखों में प्यार झलक रहा था l
खाना टेबल पर लगाकर उसने अनिकेत को फ़ोन किया और कहा,” कहाँ हो तुम ?
“मार्किट आया हु “,अनिकेत ने कहा
साक्षी – वो किसलिए ?
अनिकेत – बिरयानी मसाला लेने ! तुम चली जाओगी तो काम आएगा l
साक्षी – मैं कही नहीं जा रही , घर आ जाओ “
कहकर साक्षी ने फोन काट दिया और अनिकेत का इन्तजार करने लगी l कुछ देर बाद अनिकेत घर आया जैसे ही दरवाजा खोला घर में चारो तरफ रंग बिरंगी लाईटे लगी हुयी थी , पूरा घर जगमगा रहा था और उस रौशनी के बिच खड़ी थी साक्षी , अनिकेत ने देखा तो उसकी नजरे साक्षी पर रुक गयी l वह आगे बढ़ा और अपने घुटनो पर बैठ गया साक्षी को कुछ समझ नहीं आया l अनिकेत से पीछे से ढेर सारे लाल गुलाबो का गुच्छा साक्षी की तरफ बढ़ाते हुए कहा,
” हैप्पी मैरिज एनिवर्सरी साक्षी “
साक्षी ने मुस्कुराते हुए फूलो को लिया और अनिकेत के गले लगकर कहा,”बस अब कुछ कहने की जरुरत नहीं है मैं जान गयी की आपके जितना प्यार मुझे कोई नहीं कर सकता “
अनिकेत साक्षी को गले लगाए खड़े रहा l साक्षी ने अनिकेत का हाथ पकड़ा और उसे खाने की टेबल तक लेकर गयी उसने अनिकेत को बिठाते हुए कहा,”आज मैंने आपकी फेवरेट डिश बनाई है”
सामने रखी बिरयानी देखकर अनिकेत मुस्कुरा उठा
साक्षी ने बिरयानी प्लेट में निकाली और एक निवाला उठाकर अनिकेत को खिलाया l अनिकेत ने खाया आज पहली बार बिरयानी में नमक सही था और चावल भी सही से पके थे l अनिकेत ने साक्षी की तरफ देखकर प्यार से कहा,” आज बिरयानी की महक बहुत अच्छी है”
“ये महक बिरयानी की नहीं प्यार की है”, कहके साक्षी ने अपनी पलके झुका दी ll
घर में लगी रंगबिरंगी लाईटे एक साथ जलने बुझने लगी जैसे साक्षी की बात का समर्थन कर रही है l
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!! समाप्त !!
नोट -: “कहानी में दर्शाये गए पात्र काल्पनिक है ! कहानी का किसी व्यक्ति , वस्तु या विशेष से मिलना मात्र एक संयोग है l कहानी में लिखे सभी हिस्से लेखक की अपनी सोच है इसका किसी अन्य से को सम्बन्ध नहीं है “
धन्यवाद् !!
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Aniket na bilkul sahi kha pyaar ko samjhne ka liye gift rose yeh sab ki jarurat nhi hoti mahsus hona chahiye dono taraf se. Sakshi ko bhi samhja aa gya ki pyaar mahsus hun bhaut jaruri hai na ki gift se pyaar hota hai finally sakshi ko bhi aniket se pyaar hoo he gya. Bhaut he khubsurat story hai didi