एक दर्द अपना सा – 2
Ak Dard Apna Sa – 2
Ak Dard Apna Sa – 2
देर तक सोने के बाद शाम को मेरी आँख खुली ,, मैंने बालकनी में आकर देखा हलकी बारिश हो रही थी मौसम भी काफी सुहावना था ,, एक बार फिर ना चाहते हुए भी मेरी नजर उस खिड़की की तरफ चली गयी और वही जम गयी ,, खिड़की के पास 20-21 साल की एक बेइंतहा खूबसूरत लड़की खड़ी थी , उसकी गहरी काली बड़ी बड़ी आँखों में उदासी पसरी हुयी थी ,गोल पतला सा चेहरा , जिसपर दो फूलो की पंखुड़ियों से होठ , लम्बी पतली गर्दन , कंधे पर बिखरे बाल जो की कमर तक थे मेरी नजरे जैसे उसके चेहरे पर जम सी गयी ,, वो अपने दोनों हाथो को फैलाये , बारिश की बूंदो को उनमे समटने की नाकाम कोशिश कर रही थी .. अचनाक उसने घबरा कर पीछे देखा और फिर तेजी से खिड़की बंद कर थी
वो अवनि ही थी जिसके बारे में आंटी ने सुबह बताया था ,, सच कहा था उन्होंने वो किसी परी सी खूबसरत थी … मैं काफी देर तक बंद खिड़की को देखता रहा .. और फिर निचे चला आया , अंकल के कहने पर उनके साथ बाजार की सैर करने उनके साथ चला आया ,, वो मेरी पसंद की सब्जिया फल खरीदने में लगे थे ,, उन्होंने मुझे ऊटी के बारे में बताया , वहा बहुत सी घूमने की जगहों के बारे में बताया ,, अँधेरा होने पर हम दोनों घर लौट आये ,, आंटी खाना बनाने में लग गयी और मैं अंकल के साथ हॉल में बैठकर टीवी देखने लगा ..
थोड़ी देर में आंटी में हमे खाने के लिए बुला लिया खाना खाते हुए आंटी ने मुझसे कहा – बेटा तुम चाहो तो आज रात हमारे कमरे में सो जाना …
“नहीं आंटी आप परेशान मत होईये मैं अपने कमरे में सो जाऊंगा …
आंटी ने अंकल को रात वाली सारी बाते बता दी उन्होंने भी मुझसे वही कहा जो आंटी ने कहा था ,, मेरा डर अब जा चूका था खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में चला आया और लैपटॉप पर अपनी मेल्स चेक करने लगा ,, काम में मन नहीं लगा तो मैं बाहर बालकनी में आकर खड़ा हो गया और चारो और नजर घुमाकर देखने लगा ,, सच लिखा था किताबो में ऊटी सा हसींन शहर कही नहीं रात का वक्त सड़के दूर दूर तक सुनसान , शांति इतनी की दिल की धड़कने भी साफ सुनाई दे ,,
तभी किसी ने उस कमरे की खिड़की खोली वो एक अधेड़ उम्र की महिला थी उसके हाथ में कुछ कागज थे और गुस्सा उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था ,, अगले ही पल उसने उन कागजो को खिड़की से बाहर फेका और तेजी से खिड़की बंद कर दी … कुछ समझ पाता उस से पहले हवा में उड़ता हुआ एक कागज सीधा मेरे मुंह पर आया ,, मैं उसे लेकर कमरे में आया
उस पर कविता जैसा कुछ लिखा था मैंने पढ़ना शुरू किया
“”कोई आएगा और पूछेगा मुझसे मेरे दर्द की वजह
बरसो से है हम इस उम्मीद में
ये जानते हुए भी की कोई नहीं आएगा
फिर भी ना जाने क्यों है इंतजार हमे
सांसे भी अब तो थम थम कर चलती है
ये धड़क कोई सुनता क्यों नहीं है ?
मेरी चींखों से गूंजते है मकाँ मकान) मेरे
ये तड़प कोई सुनता क्यों नहीं है ?””
पढ़कर बस इतना ही समझ सका की कोई तो है जो बहुत दर्द में है ,, बहुत अकेला बेबस और लाचार है …
क्या वो अवनि है?
ये कागज किसने लिखे है ?
वो महिला कौन थी ?
एक के बाद एक राज मेरे सामने आते जा रहे थे सवाल बहुत थे लेकिन जवाब एक भी नहीं था ,, मेरे सवालो का जवाब सिर्फ एक ही इंसान के पास था और वो थी अवनि …. लेकिन उस से मिलना नामुमकिन था … मुझे ऊटी आये अभी सिर्फ दो दीन हुए थे इतनी जल्दी मेरा कोई डिसीजन लेना शायद सही नहीं था , लेकिन बार बार वही सब सवाल मेरे जहन में आते जाते रहे नींद भी नहीं आयी उस वजह से काम में इधर से उधर चक्कर काट रह था की फिर वही पियानो की धुन बजने लगी ,,
न चाहकर भी मैं बालकनी में आ गया और उस धुन को सुनने लगा , कानो से होती हुयी वो धुन सीधा मेरे दिल में उतर रही थी और फिर वो धुन बंद हो गयी , और फिर शुरू हो गयी दिल को चिर देने वाली वो चीखे , मैं वहा से भागता हुआ उस घर के सामने जा पंहुचा .. वो चीखे , रोने की आवाजे अब भी जारी थी ,, मैंने जैसे ही उस गेट में घुसने की कोशिश की चौकीदार ने मुझे डांट कर वहा से भगा दिया …
कोई परेशानी खड़ी ना हो जाये ये सोचकर मैं वापस अपने कमरे में लौट आया , वो चीखे अब सिसकियों में बदल चुकी थी … सर दर्द से फटने लगा ..
ये सब क्या हो रहा था मेरे साथ मैं नहीं जानता था , पर इतना जरूर जान गया था की कुछ तो है जो सिर्फ मैं महसूस कर रहा था , कोई तो था जो मुझसे बहुत कुछ कहना चाहता था …
मैं बिस्तर पर लेट गया … अगली सुबह मैं तैयार होकर जैसे ही ऑफिस के लिए निकला ,, एक अधेड़ उम्र का रोबदार आदमी हाथ में बैग लिए तेज कदमो से बाहर आया ,, ड्राइवर गाडी लेकर उसके सामने आ खड़ा हुआ उस आदमी के साथ वो अधेड़ उम्र की महिला भी थी जो कल रात खिड़की पर मैंने देखि थी ,,
वो आदमी उसे कुछ कह रहा था और वो औरत नजरे झुकाये खड़ी थी ,,, पास खड़े एक नौकर ने गाड़ी का दरवाजा खोला और वो आदमी उसमे बैठकर तेजी से गाड़ी लेकर वहा से निकल गया ,, उनके जाने के बाद वो महिला उन नोकरो से कुछ कहकर अंदर चली गयी … मुझे उनकी बाते साफ सुनाई नहीं दी पर उनको देखकर मैं अंदाजा लगा चूका था की वो आदमी मिस्टर संजय मित्तल ही थे ,, और वो औरत उनकी मैड “ग्रेनी” …
मैंने घडी में समय देखा मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही थी मैं तेजी से वहा से निकल गया नए ऑफिस में आज मेरा पहला दिन था , काम और नए लोगो से जान पहचान में व्यस्त होकर मैं पिछली रातो के बारे में भूल गया था , पूरे दो दिन बाद मेरे चेहरे पर हंसी और मुस्कराहट थी ,, ऑफिस का पहला दिन अच्छा गुजरा मेरा , साथ ही मुझे उनकी तरफ से एक बाइक भी मिल गयी ताकि आने जाने में कोई असुविधा ना हो …
लंच टाइम में मैं अपना ब्लॉग चेक करने लगा , वहा बहुत से लोगो के मेसेज थे जो मुझसे कुछ लिखने को कह रहे थे , काम के चलते इन दिनों मैं कुछ नया लिख ही नहीं पाया था , मैंने जल्द ही कुछ अच्छा लिखने का वादा कर लैपटॉप बंद कर दिया .शाम को काम ख़त्म होने के बाद स्टाफ के कुछ लोगो ने बाहर घूमने और मुझे ऊटी दिखाने का प्लान बनाया ..
मैंने आंटी को फोन करके बता दिया की मैं देर से आऊंगा ,, मैं , संदीप और रमन तीनो ऑफिस से बाहर आ गए … देर तक हम लोग ऊटी की खूबसूरती का मजा लेते रहे ,, घूमते घूमते हम तीनो ऊटी के “सुसाइड पॉइंट” पहुंचे ,, वो जगह दिखने में जितनी शांत थी उतनी ही खतरनाक भी थी .. अक्सर लोग वहा अपनी जिंदगी को अलविदा कह दिया करते थे
यकायक मेरे मुंह से निकल गया – इतनी खुबसूरत जगह पर आकर लोग कैसे मर सकते है ?..
तभी रमन ने कहा – अश्विन , खूबसूरत ये अभी है , कभी सुबह सुबह आकर देखना इस जगह को दुनिया की सबसे खतनाक जगहो में से है ये
थोड़ी देर वहा रुकने के बाद सभी अपने अपने घर लौट गए
मैंने भी बाइक घर की तरफ घुमा दी , मन में आया की एक बार जाकर वो जगह देखु लेकिन अंधेरा हो चूका , और अंकल आंटी इंतजार कर रहे होंगे ये सोचकर मैंने विचार दिमाग से निकाल दिया ,, पर कल सुबह जाने का सोच मैं घर आ गया ,, फ्रेश होकर मैंने उन दोनों को अपने ऑफिस के बारे में बताया और खाना खाकर वापस अपने कमरे में आ गया ,, सबसे पहले माँ पापा से बात की , उनको ऑफिस के काम और यहाँ रहने की सब बाते बताई ,, अपना ख्याल रखना बेटा कहकर उन्होंने फोन काट दिया ,,
लिखने के लिए जैसे ही लैपटॉप खोला तो वो पता चला उसकी बैटरी कम है , उसे चार्ज में लगाकर मैं बिस्तर पर लेट गया …
रात गहराती गयी ,, मैं नींद के आगोश में था रात के दूसरे पहर वो धुन मेरे कानो में पड़ी , पर आज उस धुन में कोई दर्द नहीं था , ना ही कोई तड़प थी बस कानो को सुकून पहुंचाने वाली एक खूबसूरत धुन थी ., आज वो चींखे नहीं थी , न ही सिसकिया सिर्फ मीठी स कोई धुन थी जो रोजाना से बिलकुल अलग थी .. मैं फिर नींद के आगोश में चला गया … उस रात मुझे सुकून वाली नींद आयी ,, सुबह जल्दी उठ गया तो बहुत तरोताजा महसूस कर रहा था ,, फिर मुझे याद आया की मुझे उस पॉइंट को देखने जाना है , मैं अंकल आंटी को मॉर्निग वॉक का बोलकर बाहर निकल गया , सुबह की हल्की ठण्ड में मैं हाथो को आपस में रगड़ते हुए आगे बढ़ता जा रहा था ,, वो जगह घर से ज्याद दूर नहीं थी इसलिए मैं पैदल ही निकल आया
चारो तरफ हलकी गुलाबी सुबह फैली थी , नज़ारे इतने खूबसूरत की कोई यहां एक बार आये तो यही का होकर रह जाये ,,
मैं वादियों में खोया चला जा रहा था कुछ ही देर में मैं वहा पहुंच गया ,, जैसा की रमन ने कहा था सुबह के समय वो जगह और भी खतरनाक नजर आती थी ..
मैं एक जगह जाकर रुक गया और देखा वहा गहरी खाई थी जो की पेड़ो की हरियाली से ढकी थी , पर अपने आप में बहुत गहराई लिए थी ,, कुछ चट्टानों के अलावा वहा और कुछ नहीं था मैं चारो तरफ देख ही रहा था की तभी मेरी नजर एक जगह जाकर रुक गयी ,, एक लड़की जिसका मुँह दूसरी तरफ था खाई के एकदम किनारे अकेले खड़ी थी ,, कुछ अनहोनी की आशंका से मैं उसके पास गया और उसका हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ खींचा
जब उसे देखा तो अवाक् रह गया वो कोई और नहीं अवनि ही थी , लेकिन इस तरह अकेले यहाँ ? यहाँ सुसाइड पॉइंट पर क्यों ?
वो चुपचाप आँखे फाडे मुझे देखती रही जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने बोलना शुरू किया – पागल हो गयी हो क्या ? यहाँ अकेले इस तरह क्या कर रही हो ? मैंने खाई में देखते हुए उस से कहा – कितनी गहरी खाई है , गिर जाती तो , मरने से पहले ये सोचो तुम्हारे मरने के बाद घरवालों को क्या होगा , तुम में जरा भी अकल नहीं है क्या ?
मैं गुस्से में कुछ भी बोले जा रहा था और वो मुझे घूरती हुए चुपचाप सब सुने जा रही थी .. कुछ देर वही खड़ा मैं उसे डांटता रहा .. इतने में ही वो अधेड़ उम्र का आदमी और उसकी मेड और कुछ नौकर दौड़ते हुए हमारे पास आये आते ही ग्रेनी ने अवनि को गले लगाया और कहा – ओह्ह्ह जीसस , थैंक गॉड तुम हमको मिल गया , हम तो बहुत घबरा गया था … अवनि ने बदले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी …
वो अधेड़ व्यक्ति कोई और नहीं मिस्टर संजय मित्तल थे अवनि के पिता उन्होंने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा – थैंक्यू , जेंटलमेन , इनकी जान बचाकर तुमने हम पर बहुत बड़ा अहसान किया है
“इसमें अहसान की कोई बात नहीं है सर , its माय प्लेज़र
मिस्टर मित्तल – कहा रहते हो तुम ?
“जी पास ही में , स्वर्ण पैलेस है उसके सामने
मिस्टर मित्तल – ओह्ह it means तुम हमारे पडोसी हो , हमारे साथ चलो हम तुम्हे घर छोड़ देंगे
ग्रेनी अवनि का हाथ पकडे आगे चल रही थी , मैं मिस्टर मित्तल के साथ उनके पीछे वो बार बार पलटकर पीछे देख रही थी , जैसे मैंने उसे बचाकर बहुत बड़ा अपराध किया हो ,, ग्रेनी उसे अपने साथ गाड़ी में ले गयी , और मैं मिस्टर मित्तल के साथ उनकी गाड़ी में आ बैठा पलक झपकते ही हम घर के सामने थे ,, मैंने गाड़ी से उतरकर उन्हें थैंक्यू कहा और जाने लगा तो उन्होंने कहा – मिस्टर अश्विन , मैं चाहता हु आज रात आप हमारे घर डिनर पर आये …
‘जरूर सर – कहकर मैं घर चला गया ,,
पहली मुलाकात में मुझे मिस्टर मित्तल बहुत भले और अच्छे इंसान लगे … घर आकर तैयार हो मैं ऑफिस चला गया शाम को ठीक 8 बजे मैं मिस्टर मित्तल के घर पहुंचा ,,
घर बाहर से जितना आलिशान दीखता था अंदर से भी उतना ही खूबसूरत और शानदार था …. पूरा घर बेशकीमती पेंटिग्स , फानूस , गलीचों से सुसज्जित था अंदर जाते ही मैंने देखा घर के बीचो बिच आलिशान सोफे लगे थे जहा मिस्टर मित्तल बैठे किसी किताब को पढ़ने में बिजी थे .. मैंने जाकर उनको हेलो बोला उन्होंने मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया और बैठने को कहा कुछ औपचारिक बातो के बाद उन्होंने मुझसे पूछा – so मिस्टर अश्विन क्या करते हो तुम
“जी मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम करता हु , बाकि पेशे से मैं एक राइटर हु , अब तक मेरी काफी किताबे मार्किट में आ चुकी है”
मिस्टर मित्तल – मैंने तुम्हे देखते ही पहचान लिया था , अश्विन बजाज ऍम आई राईट
“राइट सर”
मिस्टर मित्तल – मिस्टर अश्विन , मैंने आपकी कुछ किताबे पढ़ी है , इतनी कम उम्र में आपने इतना सब अचीव कर लिया ये आज के यूथ के लिए बहुत बड़ी बात है
“ये तो आपका बड़प्पन है सर ,, वैसे आप भी पढ़ने का शौक रखते है
मिस्टर मित्तल – ओह्ह !! हां , लेकिन मुझे सिर्फ पढ़ने का शौक है लिखने का नहीं , वैसे आप चाहे तो डिनर के बाद ऊपर जाकर मेरी लायब्रेरी देख सकते है ..
उनकी बात सुनकर हम दोनों ही हसने लगे , वो मुझसे दुगनी उम्र के थे फिर भी मेरे साथ इतना फ्रेंक होकर बात करना , उनकी ये बात मेरे दिल को छू गयी ,, अब तक मैं उनके बारे में जान चुका था वो एक बहुत ही हसमुख , और आजाद खयालो वाले इंसान थे , हमारे बिच काफी देर बातचीत का दौर चला और उसके बाद ग्रेनी ने आकर कहा ,”सर डिनर तैयार है”
वो अब भी मिस्टर मित्तल के सामने हाथ बांधे नजरे झुकाये अदब से खड़ी थी
ओके !! – मिस्टर मित्तल ने कहा और फिर मैं उनके साथ डिनर की टेबल तक चला आया मुझसे बैठने को कहकर मिस्टर मित्तल खुद बैठ गए उन्होंने ग्रेनी से अवनि को बुलाने को कहा ,, कुछ ही देर में अवनि भी आ गयी उस घुटनो तक फ्रॉक पहन रखी थी और कंधे पर खुद को शॉल से लपेट रखा था , उसके बाल कमर तक लम्बे थे वो बिलकुल मेरे सामने आकर बैठ गयी ,, उसने एक बार मुझे देखा और फिर नजरे झुकाकर बैठ गयी ,,
ग्रेनी सबको खाना परोसने लगी अवनि ने पहले ही खाना शुरू कर दिया
“अवनि ये कोई तरीका है मेहमानो के सामने इस तरह से पेश आने का – उन्होंने अपनी रोबदार आवाज में कहा
“मेहमान ये आपके है हमारे नहीं” – उसने नजरे झुकाये जवाब दिया
मिस्टर मित्तल को अवनि की इस हरकत पर गुस्सा आ गया तो उन्होंने उसे आँखे दिखाते हुए कहा “ओह्ह !! तो अब आप ये भी भूल गयी है की अपने पिता से किस तरह बात की जाती है”
मिस्टर मित्तल की इस बात पर अवनि ने खाना छोड़ दिया वो खड़ी हुयी और अपनी नजरे झुकाये हुए ही कहा – आप हमारे पिता नहीं है … कहकर वो वहा से चली गयी ..
मैं चुपचाप उसे जाते हुए देखता रहा
“आई ऍम सॉरी अश्विन !! – उन्होंने संकोच करते हुए कहा
“इट्स ओके सर , – मैंने उनके हाथ पर अपना हाथ रखकर अपनी पलके झपकाते हुए कहा
“थैंक्यू , प्लीज़ एन्जॉय फ़ूड
उसके बाद मेरी कुछ देर उनसे कोई बात नहीं हुयी , उन्होंने आँखों ही आँखों में ग्रेनी से कुछ इशारा किया और वो वहा से चली गयी ,, खाना खाने के बाद मैं मिस्टर मित्तल के साथ बाहर लोन में आकर बैठ गया ,, एक टेबल के पास दो कुर्सियां रखी हुयी थी , और टेबल पर शराब की कुछ बोतले और कुछ ग्लास भी थे ,, मिस्टर मित्तल और मैं कुर्सियों पर आ बैठे उन्होंने पास खड़े नौकर को ड्रिंक बनाने का आर्डर दिया
उसने दो ग्लास में शराब निकालकर उसमे बर्फ डालते हुए मिस्टर मित्तल को पकड़ा दी और खुद हाथ बांधकर खड़ा हो गया मिस्टर मित्तल ने एक ग्लास मेरी तरफ बढ़ाया
“मैं शराब नहीं पिता सर – मैंने मुस्कुराते हुए कहा
मिस्टर मित्तल – ओह्ह ! वैसे भी राइटर्स को तो सिर्फ लिखने का नशा होता है – कहकर वो हसने लगे मैं बस मुस्कुरा दिया …
अपना ड्रिंक वो एक साँस में गटक गए और फिर दूसरा ग्लास उठा लिया , इस बार वो धीरे धीरे उस ड्रिंक का मजा ले रहे थे उन्हें पिते देख मैंने उनसे कहा,”सर आप ड्रिंक कर रहे है क्या तब तक मैं आपकी लायब्रेरी देख सकता हु ?”
मिस्टर मित्तल – हां जरूर ,, फिर पास खड़े नौकर की तरफ इशारा करके कहा – इनको मेरी लायब्रेरी तक छोड़कर आओ
वो हाथ बांधे मेरे आगे आगे चलने लगा ऊपर जाकर कोने में एक बहुत बड़ा कमरा था जिसके बाहर जाकर वो रुक गया और हाथ से इशारा कर वापस चला गया …
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संजना किरोड़ीवाल
Nice story
Ur all stories are very nice and it’s attached with real life
Aapki kahaniyon ko padhkar sach much main aisa lagta hai hum usme hi kho gye hai
I really love ur stories
Kafi dino bad story padh raha hu apki sayad maja any wala ha
voo suspence story h..o like it very much.lets see kya hota h..kyunki jo hamesha dikhe vo sach ni ho sakta..granny to bhut badmash aurat lag ri h🤬🤬
Awesome
Jitna is story ko padh rhe h utna interest badh rha h, samajh nhi aa rha kaun galat h or kaun dard me h avani ya fir uske papa, nice part.
Suspense.. mujhe to yeh Mr. Mittal hi galat lag rahe hai.. but lets wait n watch..
Interesting waiting next part
Ek dum sahinjaa rahi Bhai story keep it up
Wah….Kal se chk hi nhi kiya tha apk story ka…ye story v achhi lagi…suspense Bahat he..Abni ko itna dard kyun😩😩
Nice part 👌