Haan Ye Mohabbat Hai – 63
Haan Ye Mohabbat Hai – 63
अर्जुन ने सोमित जीजू साथ जो चालाकी की थी वह अर्जुन को ही उलटी पड़ गयी। कहा अर्जुन सोमित जीजू से एक तस्वीर के 5 हजार ले रहा था और कहा उसे अपनी एक तस्वीर के लिये जीजू को 10 हजार देने की नौबत आ गयी। सोमित जीजू ने अपना नाश्ता किया और अर्जुन के पीछे आते हुए कहा,”हाँ भई कैसे करोगे ? चेक या केश ? चाहो तो ऑनलाइन भी कर सकते हो,,,,,,,,,,,,स्केनर दू ?”
“क्या यार जीजू मैं सुबह बस आपसे मजाक कर रहा था , मैं आपसे ऐसी चीजों के लिये पैसे लूंगा क्या ? इतना चीप लगता हूँ क्या मैं आपको ?”,अर्जुन ने कहा
“तुम नहीं होंगे पर मैं तो हूँ,,,,,,,,,,,आइंदा से सोच के पंगा लेना मुझसे”,जीजू ने अपनी कॉलर चढ़ाते हुए कहा
“अर्जुन के सामने बड़े शेर बन रहे है आप कल शाम जब डॉक्टर ने आपकी रिपोर्ट्स देखी और आपको ढेर सारी नसीहते दी तब तो आप भीगी बिल्ली बन गए थे।
इन दिनों आपका शुगर कितना बढ़ गया है पता भी है आपको ? आज से आपका मीठा बंद , तला भुना बंद , चाय भी बंद और आज से आप रात के खाने में रोटी की जगह ओट्स खाएंगे,,,,,,,,,,,,,,समझे आप”,तनु ने सोमित जीजू को डांट लगाते हुए कहा
बेचारे सोमित जीजू कहा अर्जुन के सामने हीरो बन रहे थे और तनु ने आकर दो मिनिट में उनकी सारी हीरोगिरी निकाल दी। जिस कॉलर को सोमित जीजू ने अकड़ते हुए ऊपर किया था अब झेंपते हुए नीचे कर लिया।
अर्जुन बस उनकी इस हालत पर खीं खीं करके हंस रहा था। वह तनु के पास आया और उसके कंधो पर हाथ रखते हुए कहा,”थैंक्यू दी ! बचा लिया आपने , मैं भी जीजू को यही समझा रहा था कि आपकी उम्र हो चुकी है अब थोड़ा डायटिंग किया कीजिये और मुझ पर चढ़ गए गए।”
सोमित जीजू ने खा जाने वाली नजरो से अर्जुन को देखा लेकिन बेचारे चुप थे तनु के सामने कुछ बोलकर उन्हें अपनी शामत थोड़े बुलानी थी।
“हाँ जैसे तुम्हारी बीवी ने इनके साथ मिलकर तुम्हे फंसाया मैंने तुम्हे बचा लिया,,,,!!”,तनु ने सोमित की तरफ देखकर कहा
“लगता है मौसाजी मुझे बुला रहे है,,,,,,,,मैं अभी आया,,,,,,,,,,,,!!”,कहकर सोमित जीजू वहा से खिसक गए
नीता ने तनु की बात सुनी तो अर्जुन को देखकर अपने दाँत दिखा दिए और भाग गयी। अर्जुन भी उसके पीछे चला गया और तनु मुस्कुरा कर वहा से चली गयी।
कभी कभी तो ऐसा होता था जब इस घर में इन बच्चो की हंसी गूंजती थी वरना तो ये घर अक्सर वीरान ही नजर आता था। इन सबसे बेखबर किचन में खड़ा चीकू अपने लंचबॉक्स में खुद ही इडली रख रहा था लेकिंन जैसे ही उसने चटनी रखने की कोशिश की चम्मच उसके हाथ से छूट गया और नीचे आ गिरा।
राधा बाहर ही थी कुछ गिरने की आवाज आयी तो राधा किचन में आयी देखा प्लेटफॉर्म के पास चीकू खड़ा था। राधा ने जैसे ही चीकू को देखा चीकू ने अपना सर झुका लिया।
“चीकू ! बेटा तुम यहाँ किचन में क्या कर रहे हो ? तुम्हे कुछ चाहिए क्या ?”,राधा ने चीकू के पास आकर बड़े ही प्यार से कहा
“नहीं दादी माँ मैं तो बस अपना लंचबॉक्स पैक कर रहा था।”,चीकू ने राधा से नजरे चुराते हुए कहा
“तुम्हारा लंचबॉक्स तो नीता ने कब का पैक कर दिया बेटा फिर तुम ये इडली क्यों रख रहे हो ?”,राधा ने डिब्बे में रखी इडली देखते हुए कहा
“हाँ हाँ चीकू , नानी माँ को बताओ तुमने आज डबल डबल लंच क्यों लिया है ?”,किचन के दरवाजे पर खड़ी काव्या ने शरारत से कहा
काव्या की बात सुनकर चीकू के चेहरे पर हवइया उड़ने लगी वह कहे तो क्या कहे लेकिन चीकू डरने वालो में से नहीं था उसने राधा की तरफ पलटते हुए कहा,”दादी माँ वो एक्चुली क्या है न आज आपने इडली बहुत टेस्टी बनाई तो मैं ये अपने स्कूल के दोस्तों के लिये लेकर जा रहा था।”
काव्या ने सुना तो किचन के अंदर आते हुए कहा,”क्यों तुम्हारे दोस्त अपना लंच बॉक्स लेकर नहीं आते क्या ?”
चीकू ने कुछ नहीं कहा तो राधा ने लंच बॉक्स में 4 इडली और रखते हुए कहा,”कोई बात नहीं चीकू तुम ले जा सकते हो , और दो इडली से क्या होगा ? मैंने इसमें 4 और रख दी है,,,,,,,,,,,,,आखिर 2 इडली से देवांगी का क्या होगा ?”
काव्या ने सुना तो चीकू की तरफ देखकर कहा,”मैंने किसी को कुछ नहीं बताया है।”
“दादी माँ वो सिर्फ मेरी अच्छी दोस्त है,,,,,,,,,,,!!”,चीकू ने रोनी सी सूरत बनाकर कहा
“कोई बात नहीं चीकू काव्या बस तुम्हे छेड़ रही है,,,,,,,,,,,,ये लो अपना टिफिन लो और जाओ बस आने वाली होगी।”,राधा ने लंचबॉक्स चीकू की तरफ बढाकर कहा तो चीकू और काव्या वहा से चले गए और राधा उन्हें जाते देखकर मुस्कुरा उठी। इन बच्चो में वह अक्षत और निधि के बीते बचपन को जो देख रही थी।
मीरा अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी आँखों से आँसू बहाये जा रही थी। अमायरा की याद उसे रह रह कर तकलीफ दे रही थी और ये दर्द उसके लिये और पीड़ादायक बनता जा रहा था। अमायरा के किडनेपर ने मीरा को अमायरा के कातिल की निशानी दी लेकिन निशानी में मिला वो कड़ा किसी और का नहीं बल्कि मीरा के अपने पिता का था। मीरा फैसला नहीं कर पा रही थी कि सच क्या है ? वह बैठे बैठे रोते रही।
अखिलेश उसके कमरे में आया उसने टेबल के पास पड़ी कुर्सी उठायी और मीरा के सामने रखकर उसके सामने आ बैठा। अखिलेश कुछ देर ख़ामोशी से मीरा की सिसकिया सुनता रहा और फिर एकदम से मीरा के दोनों हाथो को अपने हाथो में लिया कहने लगा,”मैडम अगर आप ऐसे कमजोर पड़ जाएगी तो इस दर्द से कभी बाहर नहीं निकल पायेगी।
कुछ तो ऐसा है जो आप अपने अंदर दबाकर बैठी है आप चाहे तो मुझसे कह सकती है मैं सब सुनूंगा लेकिन प्लीज ऐसे रोईए मत। मैं समझ सकता हूँ अमायरा के खोने का दुःख आपसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता लेकिन वो अब हमारे बीच नहीं है। आपको इन सब से बाहर निकलना ही होगा मैडम”
“अमायरा के जाने से ज्यादा दुःख हमे उसके कातिल के बारे में जानकर हो रहा है अखिलेश जी , आखिर उस छोटी सी बच्ची की इन सब में क्या गलती थी ? उसके साथ इतना बुरा क्यों किया उसने ?”,मीरा ने रोते हुए कहा
“उस से भी ज्यादा गुस्सा मुझे आपके पति पर आ रहा है , वो अमायरा को बचा सकते थे तो फिर उन्होंने क्यों नहीं बचाया ? उनके लिये अपनी वकालत , अपना करियर जरूरी था अपनी बेटी की जान से भी ज्यादा जरुरी,,,,,,,,,,,,,
उस लड़की को इंसाफ दिलाने के लिये उन्होंने अपनी बेटी को मौत के हवाले कर दिया। अगर एक अनजान लड़की को इंसाफ दिलाने के लिये वो ये सब कर सकते है तो फिर अपनी बेटी के कातिल का पता लगाने की कोशिश क्यों नहीं की उन्होंने ? आई ऍम सॉरी मैडम आप चाहे तो मुझे इन सब बातो के लिये गलत बोल सकती है , डांट सकती है लेकीन सच तो ये है कि अमायरा को बचाने की कोशिश अक्षत ने कभी की ही नहीं , अगर वो करता तो आज आपकी बेटी आपके सामने होती।”,अखिलेश ने अक्षत के खिलाफ अपने मन में भरे जहर को उगलते हुए कहा।
मीरा ख़ामोशी से उसकी बाते सुनती रही। उसकी आँखों के सामने सिर्फ अमर जी का चेहरा आ रहा था और मीरा इस पर विश्वास करना नहीं चाहती थी कि अमायरा की मौत के जिम्मेदार उसके अपने पिता है। मीरा उठी और तेज आवाज में कहा,”बस अखिलेश जी बस , बस कीजिये हम और नहीं सुन पाएंगे , हमे कुछ देर के लिये अकेला छोड़ दीजिये। आप जाईये यहाँ से,,,,,,,!!”
“मैडम,,,,,,,,,,,!”,अखिलेश ने जैसे ही कहना चाहा मीरा ने तड़पकर कहा,”प्लीज,,,,,,,,,,,,प्लीज जाईये।”
“ठीक है मैडम,,,,,,,,,,,,!”,अखिलेश ने कहा और वहा से चला गया।
अक्षत गाड़ी लेकर घर से निकल गया। अक्षत पहले कोर्ट आया सचिन से कुछ जरुरी डॉक्युमेंट्स लिये और फिर वहा से निकल गया। रास्ते में अक्षत की नजर बगल वाली सीट पर रखे डिब्बे पर पड़ी। उसने गाड़ी की स्पीड धीरे कर दी और डिब्बे का ढक्कन जैसे ही हटाया नारियल चटनी की खुशबु अक्षत के नाक को छूकर गुजरी। अक्षत ने डिब्बा अपनी गोद में रखा। एक हाथ से गाड़ी का स्टेयरिंग सम्हाला और दूसरे हाथ से इडली उठाकर खाने लगा। सुकून के भाव उसके चेहरे से साफ झलक रहे थे।
अक्षत गाड़ी चलाते हुए नाश्ता करता रहा। डिब्बे में सिर्फ 4 इडली रखी थी अक्षत का पेट भर गया लेकिन मन नहीं भरा आज पहली बार उसे घर पर नाश्ता ना करने का अफसोस हो रहा था। अक्षत की मंजिल अभी दूर थी इसलिए उसने डिब्बे को साइड रखा और गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी। कुछ देर बाद अक्षत सिरपुर झील पहुंचा और गाडी के बाहर आकर गाड़ी से पीठ लगाकर खड़े हो गया।
अक्षत यहाँ क्यों आया था कोई नहीं जानता था। उसने फोन पर किसी से बात की कुछ देर बाद एक बाइक वाला आकर गाड़ी के बगल में रुका अक्षत ने गाड़ी की पिछली सीट पर रखा बॉक्स उठाया और बाइक वाले लड़के को दे दिया। लड़का वहा से चला गया। अक्षत ने एक बार फिर फोन में किसी का नंबर डॉयल किया और गाड़ी के पास घूमते हुए किसी से बात करने लगा।
कुमार विक्की को लेकर घर पहुंचा। चेहरे पर मार की चोट के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे। विक्की कुमार के साथ अंदर आया। सिंघानिया जी अकेले ही डायनिंग टेबल के पास बैठे नाश्ता कर रहे थे। उन्हें देखकर विक्की सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया तो सिंघानिया जी ने कहा,”विक्की ! सुबह सुबह कहा से आ रहे हो ? आओ नाश्ता कर लो।”
विक्की ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप आकर डायनिंग टेबल के पास पड़ी कुर्सी खिसकाकर उस पर आ बैठा।
सिंघानिया जी विक्की को देखकर हैरान हुए वे विक्की से कुछ पूछते इस से पहले ही कुमार ने कुर्सी खिसकाकर वहा बैठते हुए कहा,”अंकल दरअसल विक्की मेरे साथ बाहर गया था और आते वक्त विक्की का एक छोटा सा एक्सीडेंट हो गया बस उसी में उसे ये थोड़ी सी चोट आ गयी”
“एक्सीडेंट हुआ या इसने फिर किसी से झगड़ा किया?”,सिंघानिया जी ने विक्की की तरफ देखते हुए कहा
विक्की नजरे नीचे किये बैठा था। नौकर ने उसकी प्लेट में नाश्ता परोस दिया तो विक्की चुपचाप खाने लगा।
वह सिंघानिया जी को अब और हर्ट करना नहीं चाहता था। विक्की की ख़ामोशी पर सिंघानिया जी उठे और कुमार से कहा,”कुमार समझाओ अपने दोस्त को , जिस लड़की के पीछे ये सब बर्बाद करने पर तुला है वो लड़की ही इसकी बर्बादी की जड़ है।”
सिंघानिया जी वहा से चले गए तो कुमार ने विक्की से पूछा,”अंकल किसी लड़की की बात कर रहे है ? क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई लड़की भी है ? तुमने मुझे कभी नहीं बताया।”
“तुम्हे ये सब क्यों जानना है कुमार ? और मैं तुम्हे हर बात क्यों बताऊ ? डेड मेरे केस के फैसले को लेकर परेशान है इसलिए उन्होंने ऐसा कहा तुम ज्यादा ध्यान मत दो।”,विक्की ने छवि के बारे में छुपाते हुए कहा
“अह्ह्ह ठीक है मैं तुम्हे फ़ोर्स नहीं कर रहा बट जब भी तुम्हे लगे तुम्हे किसी से कुछ शेयर करना है तो रिमेम्बर आई ऍम देयर फॉर यू”,कुमार ने विक्की के हाथ पर अपना हाथ रखकर कहा और फिर खुद भी दूसरी प्लेट लेकर विक्की के साथ नाश्ता करने लगा। नाश्ता करते हुए विक्की कही खोया हुआ था।
विक्की की आँखों के सामने अब भी छवि का चेहरा आ रहा था जब वो सबके बीच उसे बचाने आयी थी। इस बीच कुमार का ध्यान नाश्ते में कम और विक्की के चेहरे पर आ रहे भावो पर ज्यादा था।
विक्की अभी नाश्ता कर ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। एक अनजान नंबर से कॉल देखकर विक्की को थोड़ा अजीब लगा उसने फोन उठाया और कान से लगाया और वह जैसे ही कुछ कहता इस से पहले दूसरी तरफ से एक आवाज आयी,”कुछ भी बोलने से पहले मैं जो कह रहा हूँ वो ध्यान से सुनो , मैं कौन हूँ ये जानना फ़िलहाल तुम्हारे लिये जरुरी नहीं है पर मैं तुम्हे उस आदमी के बारे में बता सकता हूँ जिसने तुम्हारे डेड से डील की है।”
विक्की ने सूना तो उसकी भँवे तन गयी। कुमार का पूरा ध्यान विक्की पर ही था। विक्की उठा और फोन कान से लगाए सीढ़ियों की तरफ बढ़ गया। वह कुमार के सामने किसी तरह की बात नहीं करना चाहता था। कुमार जैसे ही विक्की के पीछे आया विक्की ने पलटकर कहा,”कुमार मैं कुछ देर अकेले रहना चाहता हूँ , मैं तुम से शाम में मिलता हूँ।”
विक्की की बात सुनकर कुमार को रुकना पड़ा और विक्की सीढिया चढ़कर ऊपर चला गया लेकिन जाते जाते कुमार के चेहरे पर परेशानी के भाव छोड़ गया। विक्की को फोन करने वाला शख्स कौन था ये ना विक्की जानता था ना उसने पूछा क्योकि उसके लिए इस वक्त उस शख्स का नाम जानना जरुरी था जिसने उसकी जिंदगी में ये उथल पुथल मचा रखी थी।
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संजना किरोड़ीवाल
Bade gahre raaj chupe hai bua, Akhilesh, kumar or shubh bhi hai..
kuch to connection hai in sab ka … Meera akshat ko aalga karne k alwa bhi kuch haii.
itni nafrat… laking meera or uske akshat k samne haar hi jaoge jaldi hi..
jaise aaj akilesh ji jana pada meera kahne par..
Mujhe to rha hai ki kumar ne Uss anjan aadmi k sath deal ki hai… shayad wo Vicky se kisi baat ka badla lena chahata ho, isliye uss anjan aadmi k sath milkar Chavi rape case m Vicky ko fansa diya ho…aur Akhilesh ne bhi ussi anjan aadmi k sath Meera ko pane aur Akshat ko barbad krne k liye usse deal ki ho….dekho Akshat kaise iss case ko suljhata hai…
Ye suspense kab khulega 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔
Very nice part
Suspense din ba din baad tha hi ja raha hai samajh nahi araha hai akhir in sab ke piche kaun master mind hai jo sabke ki life me utal putal macha raha hai..aur yeah Akhilesh jab bi iss Meera se baat karne ka mauka milta hai usse Akshat ke khilaf badkane per tula hua hai…Somit Jiju kaha Arjun ko pareshan karna chaha rahe the Tanu ki wajahse kuch kar hi nahi paye aur Arjun ne is baat ka fayda utakar unko pareshan karne laga..interesting part Maam♥♥♥♥♥♥