Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 60

Haan Ye Mohabbat Hai – 60

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

सोमित जीजू की बात से नाराज होकर दादू खाने की टेबल से उठकर चले गए। हालाँकि सब जानते थे दादू का गुस्सा बस पल भर का है। दादी माँ ने सबको खाना खाने को कहा। सोमित जीजू ने खाना खाया और किचन में राधा के पास आकर कहा,”मौसीजी ! एक प्लेट खाना लगा दीजिये।”
“वो नीचे आकर खा लेगा सोमित जी आप परेशान मत होईये।”,राधा ने बुझे स्वर में कहा


“मौसीजी ! मौसाजी के इतना सब कहने के बाद आपको लगता है वो नीचे आएगा , लाईये मैं उसके लिये खाना लेकर जाता हूँ,,,,,,,,,,!!”,सोमित जीजू ने कहा
राधा ने सुना तो सोमित जीजू की तरफ पलटी और कहने लगी,”समझ नहीं आता ये बाप बेटे के बीच की दिवार कब खत्म होगी ?”
“उसकी चिंता मत कीजिये मौसीजी , दिवार गिराने का इंतजाम मैंने कर दिया है।”,सोमित जीजू ने जल्दबाजी में कहा


“मतलब ?”,राधा ने असमझ की स्तिथि में कहा
“अरे कुछ नहीं मैं बस ये कह रहा था हम सबके प्यार और विश्वास से देखना एक दिन ये दिवार भी गिर जाएगी।”,सोमित जीजू ने बात को सम्हालते हुए कहा
राधा फीका सा मुस्कुराई और प्लेट में अक्षत के लिये खाना लगाने लगी। उन्होंने प्लेट सोमित जीजू की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”इन दिनों उसके पिता कितने  कठोर हो गए है , कोई बाप अपने बेटे के साथ ऐसा बर्ताव करता है क्या ?”


“मौसीजी ! ज्यादा मत सोचिये ,, एक बाप ने उसे फटकार लगाई तो क्या हुआ ये दुसरा बाप उसे प्यार से दो निवाले खिला देगा , आखिर वो भी तो मेरे बेटे जैसा ही है।”,सोमित जीजू ने मुस्कुराते हुए कहा
राधा ने सुना तो उसकी आँखों में नमी तैर गयी उनके अलावा भी अक्षत को समझने वाला इस घर में कोई है ये जानकर ही उनका दिल भर आया। सोमित जीजू उनकी आँखों में आयी नमी को देख ना ले सोचकर राधा पलट गयी और दुसरा काम करने लगी।

सोमित जीजू खाने की प्लेट लेकर ऊपर आये। देखा अक्षत बालकनी में खड़ा सिगरेट के कश लगा रहा है। सोमित जीजू ने हॉल में सोफे के सामने पड़ी टेबल पर खाने की प्लेट रखी और खुद अक्षत की तरफ चले आये। उन्होंने देखा अक्षत के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। बांये हाथ की कलाई में प्लास्टर बंधा था और वह दाँये हाथ से सिगरेट अपनी उंगलियों के बीच पकडे हुए था।

अक्षत को अहसास ही नहीं हुआ पिछले 10 मिनिट से सोमित जीजू उसके बगल में खड़े उसे देख रहे थे और इसी बीच अक्षत 2 सिगरेट पी चुका था और जैसे ही तीसरी सिगरेट होंठो के बीच रखी सोमित जीजू ने सिगरेट निकालकर फेंकते हुए कहा,”जिनके सीने में आग हो वो सिगरेट से दिल नहीं जलाया करते।”
सोमित जीजू के मुंह से ये बात सुनकर हैरानी से सोमित जीजू की तरफ देखा क्योकि ये बात अक्षत से मीरा ने कही थी और उसके बाद अक्षत ने कभी सिगरेट को मुंह नहीं लगाया।

उसने सोमित जीजू की तरफ देखकर कहा,”ये लाइन ,, ये लाइन आपसे किसने कही ?”
“है हमारी भी कोई खास जो ऐसी अच्छी बाते किया करती है , वो छोडो ये बताओ तुम यहाँ क्या कर रहे हो ? और खाना खाने नीचे क्यों नहीं आये ?”,सोमित जीजू ने बात बदलते हुए कहा  
अक्षत ने गर्दन घुमाइ और सामने देखते हुए कहा,”मुझे भूख नहीं है।”


“अच्छा ! ये बाते कही और बनाना , खाना लेकर आया हूँ चलो आओ खा लो।”,सोमित जीजू ने कहा और सोफे की तरफ चले आये।
अक्षत कुछ देर बालकनी के पास रुका और फिर आकर सोफे पर बैठ गया। सोमित जीजू बगल वाले सोफे पर बैठे थे उन्होंने खाने की थाली से प्लेट हटाई और अक्षत की तरफ खिसका दी। अक्षत ने एक निवाला तोड़ा लेकिन उसे प्लेट में ही घुमाता रहा , वो निवाला उसके मुंह तक ना जा सका। उसके चेहरे पर दर्द की लकीरे उभर आयी और आँखों में नमी तैर गयी। सोमित जीजू ने देखा तो कहा,”क्या हुआ ? खाओ ना।”


“ऐसा हमेशा मेरे लिए मीरा किया करती थी , जिस रोज मैं खाना नहीं खाता था वह मेरे लिये एक प्लेट सबसे छुपकर खाना लाया करती थी। वो मेरे लिये खाना लाना कभी नहीं भूलती थी।”
कहते हुए अक्षत की आँखों में ठहरी आंसुओ की बुँदे थाली में आ गिरी। सोमित जीजू ने देखा तो उनके दिल में एक टीस उठी उन्होंने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”मीरा की बहुत याद आती है ना ?”


सोमित जीजू अक्षत के मन का हाल ना जान ले सोचकर अक्षत जल्दी जल्दी निवाले खाने लगा जिस से खाना गले में अटक गया और वह खांसने लगा। सोमित जीजू ने पास रखा पानी का गिलास उठाया और अक्षत की तरफ बढाकर कहा,”ऐसा कभी हुआ है खाना खाया हो और गले में ना लगा हो , लो पानी पी लो।”
अक्षत ने पानी का गिलास लिया और पीकर टेबल पर रख दिया। वह ख़ामोशी से खाना खाते रहा और फिर उठकर हाथ धोने चला गया। सोमित जीजू अपने सोफे से उठकर बड़े सोफे के किनारे आ बैठे।

अक्षत वापस आया तो देखा सोमित जीजू उसके सोफे पर बैठे है वह उनसे दूरी बनाकर दूसरे किनारे पर बैठ गया। दोनों कुछ देर खामोश रहे और फिर अक्षत ने कहा,”आपको पापा के खिलाफ जाकर मेरे लिए खाना नहीं लाना चाहिए,,,,,,,,,!!”
“तुम्हारे अच्छे के लिए मैं तुम्हारे खिलाफ भी जा सकता हूँ फिर मौसाजी क्या चीज है ?”,सोमित जीजू ने बेपरवाही से कहा


अक्षत मुस्कुरा दिया , इस घर में मीरा के बाद सोमित जीजू ही थे जिनसे अक्षत इतना करीब था। सोमित जीजू ने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”परेशान क्यों हो ?”
“नहीं , किसने कहा मैं परेशान हूँ ?”,अक्षत ने हड़बड़ाते हुए कहा
“आशु ! तुम परेशान हो,,,,,,,,,,,,,,,ये हाथ पर चोट कैसे लगी ?”,सोमित जीजू ने पूछा  
” फिसल गया था,,,,,,,,,,,,!!”,अक्षत ने झूठ कहा लेकिन सोमित जीजू सच जानते थे।

उन्हें पता था किसी और का गुस्सा अक्षत ने फिर खुद पर निकाला है।  उन्होंने अक्षत की तरफ देखा और कहा,”क्या चल रहा है मन में ?”
अक्षत ने एक नजर सोमित जीजू को और फिर सामने देखते हुए कहने लगा,”समझ नहीं आता जिंदगी मुझसे चाहती क्या है ? समझ नहीं आता किस पर भरोसा करे और किस पर नहीं ? जो दोस्त है वो दुश्मन से भी बदत्तर होते जा रहे है और दुश्मन दोस्त बनने की कोशिश कर रहे है।

अपनों का बर्ताव गैरो जैसा हो गया है और जो गैर है वो अपना बनने का ढोंग करते नजर आ रहे है। जख्मो पर मरहम लगाने वाले हाथो में नमक लेकर घूम रहे है और जख्म देने वाले फिर से जख्म देने के इंतजार में है। कितने महीने गुजर गए लेकिन इन आँखों को वो सुकून वाली नींद नसीब नहीं हुई। पेट भरने के लिये खाना खाता हूँ लेकिन जो मन भर सके वो दो निवाले नसीब नहीं हुए , रोना चाहता हूँ लेकिन आँखों से आँसू नहीं बहते और जब मजबूत बनने का दिखावा करता हूँ तो आँखे भर आती है।

मैं समझ नहीं पा रहा हूँ मैं कैसी जिंदगी जी रहा हूँ ? मुझे कुछ नहीं चाहिए लेकिन कमी भी है , ख़ुशी क्या होती है देखे एक अरसा बीत गया,,,,,,,,,,,,,,बस इस से आगे कुछ कहा तो शायद मैं रो दूंगा।”
कहते कहते अक्षत का गला भर आया सोमित जीजू ने सूना तो उनके सीने में भी मीठा मीठा दर्द होने लगा। अमायरा और मीरा के जाने के बाद इस घर का हर सदस्य कुछ वक्त बाद अपनी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुका था लेकिन अक्षत , अक्षत आज भी वही था ,

उसी दर्द में उसी पल में जी रहा था और यही वजह थी कि अक्षत ना तो मीरा को माफ़ कर पाया ना ही उसकी यादो को दिल से निकाल पाया। सोमित जीजू ख़ामोशी से अक्षत को देखने लगे। अक्षत ने सोमित जीजू की तरफ देखा तो उन्होंने अक्षत से अपनी गोद में सर रखने का इशारा किया। हमेशा सबके सामने कठोर बनने वाला अक्षत सोमित जीजू के सामने पिघल गया


और नम आँखों के साथ अपना सर सोमित जीजू की गोद में रख दिया। सोमित जीजू अक्षत का सर सहलाने लगे। अक्षत भी अपने मन का बोझ उनके सामने हल्का करने लगा और कब बातें करते करते उसे नींद आ गयी पता ही नहीं चला।

सोमित जीजू की गोद में सर रखकर सोया अक्षत किसी मासूम बच्चे सा लग रहा था। सोमित जीजू का साथ उसे अपने पिता के साथ होने का अहसास जो दिला रहा था। अक्षत को बहुत गहरी नींद में सोया देख सोमित जीजू ने उसे उठाना ठीक नहीं समझा और वही बैठे उसके सर को सहलाते रहे। कुछ देर बाद सोमित जीजू को भी नींद आ गयी और अक्षत के सर पर हाथ रखकर वे भी अपना एक हाथ गाल से लगाकर सोफे के हत्थे से सर लगाए सो गए।

सुबह अर्जुन उठकर अपने कमरे से बाहर आया तो सोमित जीजू और अक्षत को हॉल के सोफे पर साथ सोते पाया। उन्हें साथ देखकर सहसा ही अर्जुन को अक्षत की शादी से पहले का वो पल याद आ गया जब अक्षत ऐसे ही मीरा की गोद में सर रखकर सो रहा था। अर्जुन ने अपने फोन से दोनों की एक प्यारी सी तस्वीर ली और नीचे चला आया  

अगली सुबह माधवी जी दूधवाले की आवाज सुनकर घर से बाहर आयी। उन्होंने देखा उनके घर के बाहर एक बड़ी सफेद गाड़ी खड़ी है। साथ ही गाड़ी से पीठ लगाकर विक्की खड़ा था। माधवी ने जब विक्की को अपने घर के बाहर देखा तो गुस्से से उनका चेहरा लाल हो गया और उनकी भँवे तन गयी। दरअसल विक्की यहाँ किसी और काम से कुमार के साथ आया था लेकिन माधवी को लगा विक्की यहाँ छवि के लिये आया है। उन्होंने दूध का बर्तन अंदर रखा और वापस आकर विक्की के सामने खड़ी हो गयी।

वे गुस्से से बस विक्की को घूरे जा रही थी। विक्की ने जैसे ही कुछ कहने के लिये मुंह खोला माधवी जी ने गुस्से से कहा,”मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद करके तुम्हे चैन नहीं मिला जो तुम अब यहाँ तक चले आये ,, आखिर चाहते क्या हो तुम ?”
माधवी की आवाज इतनी तेज थी कि आस पास के लोग चले आये। विक्की ने माधवी को समझाने की कोशिश करते हुए कहा,”आप मुझे गलत समझ रही है मैं यहाँ किसी काम,,,,,,,,,,,,,,!!”


“तू यहाँ किस काम से आया है हम सब जानते है,,,,,,,,,,!!”,मोहल्ले के एक लड़के ने विक्की की कॉलर पकड़ते हुए कहा
“मेरी बात सुनिए,,,,,,,,!!”,विक्की ने कहना चाहा लेकिन इतने में मोहल्ले के एक अंकल ने उसकी गर्दन दबोचते हुए कहा,”कानून तो तुझे सजा नहीं दे पाया लेकिन हम लोग तो है,,,,,,,,!!”,कहते हुए वहा जमा लड़के और अंकल विक्की पर टूट पड़े


कुछ दूर खड़ा कुमार मुस्कुराते हुए ये तमाशा देख रहा था और फिर वह घर के अंदर चला गया। शोर शराबा सुनकर छवि घर से बाहर आयी उसने जब देखा मोहल्ले के लोग विक्की को बुरी तरह से मार रहे है तो वह दौड़कर आयी और सबको विक्की से दूर करते हुए कहा,”रुक जाईये ! ये क्या कर रहे है आप लोग ? मैं कहती हूँ रुक जाईये,,,,,,,,!!”
छवि को वहा देखकर सब विक्की से दूर हो गए और एक आदमी ने माधवी से कहा,”ये लो माधवी बहन तुम्हारी अपनी बेटी खुद इस दरिंदे को बचा रही है तो हम कौन होते है इसे सजा देने वाले ? चलो रे भाई लोग”


सभी एक एक करके वहा से चले गए। सड़क पर गिरा विक्की खास रहा था छवि ने उसे देखा उसके होंठो से खून निकल आया था और कपडे भी मिटटी में हो चुके थे। छवि को विक्की की ओर देखते पाकर माधवी ने छवि का हाथ पकड़ा और उसे वहा से ले गयी। जाते जाते छवि की नजरे विक्की से जा मिली उसने पाया विक्की उसे ही देख रहा था।    

सुबह सुबह अपने कमरे में बैठी सौंदर्या डायरी के पन्ने पर कुछ लिखती और फिर पन्ना फाड़कर झुंझलाते हुए फेंक देती। ऐसा करते हुए उसने डायरी के आधे से ज्यादा पन्ने फाड़कर फेंक दिए थे जो कि कमरे में यहाँ वहा बिखरे पड़े थे। सौंदर्या के चेहरे से उसकी झुंझलाहट साफ नजर आ रही थी। मंजू सौंदर्या की चाय लेकर उसके कमरे में आयी। उसने कमरे में कागज बिखरे देखे तो कहा,”मैडम ये क्या कर रही है आप ? आपने तो पूरा कचरा फैला दिया।”


“तुम जाकर अपना काम करो,,,,,,,,,,,,,,सुनो”,सौंदर्या ने कहा
“जी मैडम,,,!!”,मंजू ने पलटकर कहा
“मीरा उठ गयी ?”,सौंदर्या ने पूछा
“मीरा मैडम तो कब की उठ गयी और बाहर भी चली गयी,,,,,,,,,,,!!”,मंजू ने कचरा उठाते हुए कहा
“बाहर गयी है लेकिन कहा ?”,सौंदर्या ने हैरानी से पूछा क्योकि आज से पहले मीरा सौंदर्या को बताये बिना घर से बाहर नहीं गयी थी


“मुझे नहीं पता मैडम,,,,,,,,!!”,मंजू ने कहा 
“ठीक है तुम जाओ,,,,,,!!”,सौंदर्या ने कहा
मंजू वहा से चली गई सौंदर्या सोच में पड़ गयी उसने डायरी बंद कर दी और बड़बड़ाई,”आखिर इतनी सुबह मीरा कहा गयी होगी ? कही वो अक्षत से मिलने तो नहीं गयी है , कुछ भी करके मुझे पार्टी से पहले मीरा को अक्षत से मिलने से रोकना होगा।  

वो अक्षत व्यास वैसे भी गर्म दिमाग का गुस्से वाला आदमी है एक बार उसके सामने मीरा किसी और की हो जाये तो फिर उसका सारा घमंड चूर चूर हो जाएगा।”
सौन्दर्या उठी और कमरे से बाहर चली आयी।

मीरा सुबह सुबह गाड़ी लेकर घर से निकल गयी। वह कहा जा रही है ये बात उसने किसी को नहीं बताई , सौंदर्या को भी नहीं। बीती रात ही मीरा को एक अजनबी का फोन आया था जिसने मीरा से एक जगह आने को कहा दरअसल वह मीरा को अमायरा की मौत से जुड़ा राज बताना चाहता था और मीरा यही जानने सुबह घर से निकल गयी। मीरा के जीवन में कौनसी नयी मुसीबत आने वाली थी ये तो मीरा नहीं जानती थी लेकिन अमायरा की मौत का सच वह भी जानना चाहती थी।

कुछ देर बाद मीरा की गाड़ी सिरपुर झील के पास आकर रुकी। सुबह सुबह मौसम काफी खराब था और ठंडी हवाएं चल रही थी। मीरा ने चारो तरफ देखा लेकिन वहा उसके अलावा कोई नहीं था। हवा से मीरा के बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे और साड़ी का पल्लू भी हवा में उड़ रहा था। मीरा खुद को सम्हालते हुए आगे बढ़ी। उसने आवाज दी,”कोई है,,,,,,,,,,!!”
लेकिन कोई जवाब नहीं आया इतनी सुबह मीरा के अलावा वहा कोई नहीं था। मीरा के चेहरे पर परेशानी के भाव उभर आये। अगले ही बाइक की आवाज मीरा के कानो में पड़ी।

मीरा ने जैसे ही पलटकर देखा बाइक सवार ने उसकी गाड़ी के बोनट पर एक बॉक्स रखा और बाइक लेकर वहा से चला। मीरा भागते हुए गाड़ी के पास आयी लेकिन वह आदमी वहा से जा चुका था। मीरा गाड़ी के पास आयी उसने धड़कते दिल के साथ बॉक्स को खोला। उसमे एक बहुत ही कीमती लेकिन पुराना हाथ का कड़ा रखा था। मीरा ने उस कड़े को उठाया और देखा तो आँखे हैरानी से फटी की फटी रह गयी ये कडा “अमर प्रताप सिंह” का था।

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