Sanjana Kirodiwal

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Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer – 18

Main Teri Heer
Main Teri Heer – Season 4

वंश ने निशि को देखा तो बस देखता ही रह गया। डार्क कलर के गाउन में वह बहुत प्यारी लग रही थी। उसके खुले बाल और काजल से सनी गहरी काली आंखे बहुत ही कातिलाना लग रही थी। वंश निशि की तरफ आते हुए लड़खड़ाया लेकिन बच गया और निशि के साथ खड़ी पूर्वी ने धीमे स्वर में निशि से कहा,”ये तो तुम पर फ्लेट हो गया है निशि,,,,,,,,,,,,!!”
“हाह कुछ भी,,,,,,,,!!”,निशि ने भी धीमे स्वर में कहा
वंश मुस्कुराते हुए निशि के पास आया लेकिन वह निशि के पास आते आते एकदम से पूर्वी की तरफ बढ़ गया और चौंकक कहा,”तुम यहाँ क्या कर रही हों ?”


“व्हाट डू यू मीन,,,,,,,,,,मुझे यहाँ निशि लेकर आयी है।”, पूर्वी ने कहा
“अरे निशि को खुद हमने बुलाया,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए वंश की नजर मुन्ना पर पड़ी उसने देखा मुन्ना उसे ही घूर रहा है तो वंश ने तुरंत अपनी बात बदलते हुए कहा,”मेरा मतलब तुम्हे यहाँ देखकर अच्छा लगा,,,,,,,,अच्छा लगा निशि को भी कम्पनी मिल जायेगी,,,,,,,,,,मुन्ना तुमने कैब बुक किया , अह्ह्ह्ह मैं कर देता हूँ”
“हाँ बिल्कुल,,,,,,,,!!”,मुन्ना ने कहा और निशि की तरफ चला आया


वंश साइड में जाकर कैब बुक करने लगा ,, बीच बीच में वह निशि को भी देख रहा था।
“हमारी बात मानने के लिये शुक्रिया,,,,,,!!”,मुन्ना ने निशि से कहा
“मुन्ना भैया कैसी बाते कर रहे है आप ? शुक्रिया बोलकर आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे है।”,निशि ने मुस्कुराते हुए कहा
“अच्छी लग रही हो”,,मुन्ना ने कहा
“आप भी बहुत हेंडसम लग रहे है और थोड़े हॉट भी,,,,,,,,!!”,निशि ने खुश होकर कहा


कुछ ही दूर खड़े वंश ने सुना तो बड़बड़ाया,”हुँह ! मुन्ना में उसे बड़ी हॉटनेस दिख रही है , मैंने भी सेम ड्रेस पहना है लेकिन नहीं तारीफ के दो शब्द नहीं निकले महारानी के मुंह से,,,,,,,,,,,,,अह्ह्ह्ह वैसे भी मुझे उसकी तारीफ की नीड तो बिल्कुल नहीं है।”
“निशि ! वैसे ये हॉटी है कौन मुझे नहीं मिलवाओगी इनसे ?”,पूर्वी ने मुन्ना पर चांस मारते हुए कहा
“ये मुन्ना भैया है , वंश के बड़े भाई इनका असली नाम,,,,,,,,,,,,!!”,निशि ने बस इतना ही कहा कि मुन्ना पूर्वी की तरफ पलटकर,”मानवेन्द्र मिश्रा”


“वाओ नाइस नेम , मायसेल्फ पूर्वी आहूजा”,पूर्वी ने अपना हाथ मुन्ना की तरफ बढाकर कहा
मुन्ना ने अपने हाथ जोड़े और कहा,”जी नमस्ते , आपसे मिलकर अच्छा लगा,,,,,,,,,,!!”
पूर्वी ने देखा तो झेंपते हुए अपना हाथ पीछे खींच लिया।
“ए मुन्ना ! चल कैब 2 मिनिट में आने वाली है , हम लोग बाहर चलते है।”,वंश ने आकर कहा तो मुन्ना उसके साथ आगे बढ़ गया।

निशि भी उनके पीछे जाने लगी तो पूर्वी ने उसकी बांह पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,”ये तुम मुझे कहा लेकर आयी हो निशि ? वंश के भाई में तो वंश से भी ज्यादा ऐटिटूड है।”
निशि हंसी और कहा,”ऐटिटूड नहीं है पूर्वी मुन्ना भैया का नेचर ही ऐसा है , वो बहुत सीधे साधे है और उनकी सगाई होने वाली है। हमने कभी उन्हें लड़कियों से ज्यादा बात करते नहीं देखा”


“क्या ? उसकी सगाई होने वाली है,,,,,,,,,,,,,मुझे जो भी हैंडसम मिलता है वो या तो पहले से कमिटेड होता है या उसे लड़कियों में इंट्रेस्ट नहीं होता,,,,,,,,,,क्या मैं हमेशा सिंगल रहूंगी ?”,पूर्वी ने मायूसी से कहा
“डोंट वरी ! देखना जल्दी ही तुम्हे भी कोई न कोई मिल जायेगा,,,,,,,,,,,,अब चलो”,कहते हुए निशि पूर्वी को वहा से लेकर चली गयी  

इंदौर , शक्ति का घर
देर रात शक्ति अपने घर आया। उसने कपडे बदले और आकर अपनी स्टडी टेबल पर बैठ गया। शक्ति इन दिनों इंदौर में एक बड़े केस पर काम कर रहा था जिसकी खबर डिपार्टमेंट को भी नहीं थी। हालाँकि शक्ति अब DCP बन चूका था और इसी के साथ उसकी जिम्मेदारियां भी बढ़ चुकी थी लेकिन वह अपने टारगेट को नहीं भुला। शक्ति ने अपने लेपटॉप को खोला और उसमे कुछ देखने लगा। शक्ति ने घंटेभर तक काम करता रहा लेकिन उसे वो नहीं मिला जो उसे चाहिए था।

थककर उसने लेपटॉप बंद किया और अपनी पीठ आराम कुर्सी पर लगाकर सर पीछे झुकाते हुए खुद से कहा,”एक बार हम पता लगा ले कि इन सबके पीछे कौन है तो फिर उसे कानून से कोई नहीं बचा सकता,,,,,,,,,,,,,हो ना हो इसमें किसी बड़े पॉलिटिशियन या फिर किसी ऐसे इंसान का हाथ है जिसके इशारे पर बिजनेसमैन चलते है। बस कोई एक कड़ी हमारे हाथ लग जाए फिर हम उस इंसान तक भी पहुँच जायेंगे,,,,,,,,,,,,,,,!!”


शक्ति उठा और हॉल में लगी अपने माता-पिता की तस्वीर के सामने चला आया और खुश होकर कहने लगा,”माँ-पिताजी हम DCP बन गए है , आप दोनों का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ है। माँ इन दिनों काम में इतना उलझे है कि आपसे बात करने का वक्त ही नहीं मिलता , घर से बाहर रहते रहते जब थक जाते है तो सोचते है घर जाये तब कोई अपना हो जिसकी गोद में सर रखकर सो जाये , कोई अपना हो जो दो निवाले अपने हाथ से हमे खिलाये,,,,,,,,,,,,पर जब भी आते है खुद को अकेला ही पाते है।

हाँ काशी हमारी जिंदगी में है लेकिन इस घर में तो नहीं है ना माँ,,,,,,,,,,,,,अभी बहुत जिम्मेदारियां है हम पर इसलिये काशी से शादी कर उसे यहाँ नहीं ला सकते,,,,,,,,,,,!!!”
कहते कहते शक्ति नीचे फर्श पर बैठ जाता है और अपने हाथो को पीछे रख पैर पसार कर अपनी माँ की तस्वीर को देखते हुए कहता है,”तुम हमे छोड़कर बहुत जल्दी चली गयी माँ , तुम यहाँ होती तो कितनी ही बातें है हमारे मन में जो हम तुमसे कहते,,,,,,,,,,,,,,लेकिन अब किस से कहे ,

वो बाते जो एक प्रेमिका और पत्नी नहीं समझ पाती बस माँ समझ पाती है। बहुत भूख लगी है माँ लेकिन प्यार खिलाने के लिये तुम नहीं हो,,,,,,,,!!”
कहते कहते शक्ति की आँखों में आँसू भर आये और वह पीठ के बल वही जमीन पर लेट गया। माँ की तस्वीर उसकी आँखों में आये आंसुओ को ना देख ले इसलिये उसने अपनी बाँह को आँखों पर रख लिया। कुछ देर बाद ही शक्ति ने हाथ हटाया और तस्वीर की तरफ देखकर कहा,”हाँ हाँ जानते है जब तक खाना नहीं खाएंगे तुम्हे नींद कैसे आयेगी ? जा रहे है बनाने,,,,,,,,,,,,,,,,आज हम वो दाल भात बनाएंगे जो तुमने हमे बचपन में सिखाया था।”

शक्ति उठा और वाशबेसिन के सामने आकर सबसे पहले अपना मुंह धोया और फिर किचन की तरफ चला आया। शक्ति ने कूकर में काली उड़द दाल चढ़ा दी और पतीले में चावल उबलने के लिये रख दिए। उसने साथ में आलू काटे और उनकी भुर्जी बनाने लगा। कुछ देर बाद खाना तैयार था। शक्ति ने कुकर का ढक्कन हटाया और सूंघकर देखा ये खुशबु बिल्कुल वैसी ही थी जैसी बचपन में उसकी माँ बनाया करती थी।

खाना देखकर शक्ति की भूख बढ़ गयी और उसने प्लेट में खाना लिया और आकर एक बार फिर अपनी माँ की तस्वीर के सामने बैठ गया। कुछ देर पहले जिन बातो से शक्ति का मन उदास था अब वही शक्ति अपनी माँ की तस्वीर से अपने दिनभर का हाल बताते हुए खाना खा रहा था।  

प्रताप अपने घर के बरामदे में बैठा रात का खाना खा रहा था और पास ही खड़ा नौकर उसे खाना परोस रहा था।
“तनिक साग देओ थोड़ा,,,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने खाते हुए कहा
“जी मालिक,,,,,,!!”,कहते हुए नौकर ने प्रताप की थाली में साग परोस दिया
आज खाना अच्छा बना था इसलिए प्रताप बड़े चाव से खाना खा रहा था। नौकर ने प्रताप को अच्छे मूड में देखा तो कहा,”मालिक बुरा न माने तो एक ठो बात कहे ?”


“हम्म्म कहो”,प्रताप ने कहा
“मालिक , इह घर मा सब है किसी चीज की कोनो कमी नहीं है , पर मालिक आपको जे नहीं लगता कि अगर हमरी जगह भौजी आपको साग परोसती तो कितना अच्छा लगता , खाने का स्वाद दुगुना हो जाई”,नौकर ने खिंसयाते हुए कहा
प्रताप ने सुना तो उसने कहा,”अबे ! पगलाय गए हो का ? तुम का चाहते हो जे उम्र मा हम अब तुम्हरे लिये भौजी लेकर आये ? साले लोगो ने देखा ना तो जूता चप्पल लेकर दौड़ाय देंगे हमे पुरे बनारस मा”


नौकर ने सुना तो हैरान रह गया और कहा,”अरे नहीं नहीं मालिक हम आपकी सादी की बात नहीं कर रहे है , हम तो राजन भैया की सादी के लिये कह रहे है। का मालिक आप भी ना का सोच लिये”
“अच्छा रजनवा की सादी , हाँ जे बात तो तुमने सही कही,,,,,,,,,,,,,,हमहू भी बहुते टाइम से सोच रहे कोई अच्छी सी लड़की देखकर रजनवा की सादी करवाय दे , पर इक ठो परेशानी है।”,प्रताप ने सोच में डूबकर कहा
“का मालिक ?”,नौकर ने वही प्रताप के सामने रखी टेबल के पास बैठते हुए कहा


“तुमहू तो जानते ही हो बिरजू , रजनवा की माँ को गुजरे कितना बख्त हो गवा और उसके बाद इह घर माँ कबो कोई महिला ना रही,,,,,,,,,,,बस आदमी ही आदमी बसे रहे , तुम्ही बताओ कोई भी लड़की ऐसे घर का कैसे आयेगी जिसमे एक ठो महिला ना हो,,,,,,,,,,!!”,प्रताप ने कहा
“अरे मालिक ! आप काहे इह बारे मा सोच रहे है अरे बहुत लड़किया है जो हमारे राजन बबुआ को पसंद कर लेगी”,बिरजू ने कहा


प्रताप ने सुना तो ख़ुशी से हामी में सर हिला दिया और कहा,”बस बिरजू फिर जे दिवाली इह घर मा भी शहनाई बजवा ही देते है।”
” बहुत बढ़िया मालिक,,,,,,,,,,,,,घर मा बहु आयी है तो घर का माहौल भी थोड़ा बदल जाई है और राजन बाबा का अकेलापन भी दूर हो जाई है।”,बिरजू ने कहा
प्रताप को समझ आ गया था कि राजन को मुन्ना से दूर रखने का इस से अच्छा तरिका और कुछ हो ही नहीं सकता,,,,,,,,,,वह मुस्कुराते हुए अपना खाना खाने लगा

 शिवम् मुरारी को लेकर बाहर आया और रिक्शा रोककर उसे बैठाते हुए कहा,”थोड़ा आराम से चलाईयेगा”
“जी भैया , कहा जाना है ?”,रिक्शावाले ने शिवम् से कहा
शिवम् ने उसे अपने घर का एड्रेस बताया और चलने को कहा साथ ही वह सारिका को साथ लेकर अपनी बाइक से रिक्शा के आगे चलने लगा।


“हम उन्हें उनके घर लेकर भी जा सकते थे ना शिवम् जी , घर पर आई बाबा है वे इन्हे इस हाल में देखेंगे तो अच्छा नहीं लगेगा”,सारिका ने कहा
“आई बाबा मुरारी को कई बार इस हाल में देख चुके है सरु लेकिन अनु को इन सबकी आदत नहीं है। पिछले कुछ दिनों से वैसे भी अनु और मुरारी के बीच गलतफहमियां बढ़ रही है हम नहीं चाहते मुरारी को इस हाल में देखकर अनु परेशान हो,,,,,,,,,,,,,,,मुन्ना की सगाई से पहले हम किसी तरह का तमाशा नहीं चाहते,,,,,,!!”,शिवम् ने सहजता से कहा


“मुरारी भैया को ये सब नहीं करना चाहिए , कुछ वक्त बाद गौरी भी उनके साथ उसी घर में रहेगी जब गौरी ये सब देखेगी तो उस पर क्या असर पडेगा ? मुरारी भैया की छवि खराब हो जायेगी , आपको उनसे बात करनी चाहिए”,सारिका ने परेशानी भरे स्वर में कहा
“बात ? अरे मुरारी बातो से नहीं बल्कि लातों से समझेगा,,,,,,,,अभी उसे कुछ बोल नहीं सकते क्योकि होश में नहीं है लेकिन कल सुबह बात करते है उस से,,,,,,,,,,,,,,,बहुत गुंडे बन रहे है आपके मुरारी भाई,,,,,,,,,,,कल निकालते है उनकी गुंडई”,शिवम् ने थोड़ा गुस्से से कहा


शिवम् को गुस्से में देखकर सारिका ने मुरारी की साइड ना लेने में ही भलाई समझी और कहा,”लेकिन अभी घर पर आई होंगी और वो जगी होंगी उन्होंने मुरारी भैया को ऐसे देखा तो,,,,,,,,,,,,!!”
“सरु ! आपको नहीं लगता आपको मुरारी पर कुछ ज्यादा ही दया आ रही है। आपके मुरारी भैया कोई गोल्ड मैडल जीतकर नहीं आये है बल्कि इस उम्र में भंड होकर घाट पर अपने लफंडर दोस्तों के साथ घूम रहे थे। ये जब से मुरारी ने विधायकी छोड़ी है तब से पगला गया है ससुरा और कुछ नहीं,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने चिढ़ते हुए कहा


“लेकिन,,,,,,!!”,सारिका ने कहना चाहा तो शिवम् ने सारिका की बात काटते हुए कहा,”सरु बस कीजिये , घर चलते है उसके बाद बात करेंगे,,,,,,,,,,,!!”
“हम्म्म ठीक है , आप शांत हो जाईये”,सारिका ने शिवम् की पीठ सहलाते हुए कहा तो शिवम् शांत हो गया  

कुछ देर बाद रिक्शा शिवम् के घर के सामने आकर रुका। मुरारी नीचे उतरा हलाकि उसे नहीं पता था वो किसके घर आया है ? शिवम् ने रिक्शा वाले को किराया देकर भेजा और मुरारी के पास आया। घर के नौकर ने आकर मेन गेट खोल दिया। शिवम् ने उसे बाइक अंदर लेकर आने को कहा। शिवम् मुरारी को लेकर अंदर आया और दरवाजा खटखटाया। कुछ देर बाद आई ने आकर दरवाजा खोला और शिवम् सारिका के साथ मुरारी को देखकर हैरान रह गयी।


“अरे आई ! पाय लागू,,,,,,,,,तुम हमरे घर आयी धनभाग हमारे,,,,,,,,अरे तुमहू दरवाजे पर काहे खड़ी हो ? अंदर आओ ना,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने भांग के नशे में कहा
आई ने सुना तो हैरानी से शिवम् और सारिका को देखा और फिर मुरारी से कहा,”रे मुरारी ! कैसी बहकी बहकी बाते कर रहे हो ? शिवा का पीकर आया है जे मुरारिया,,,,,,,,,,,!!”


सारिका ख़ामोशी से अंदर चली गयी तो शिवम् ने कहा,”मुरारी हमे घाट पर मिला था आई , इसके कुछ दोस्तों ने भांग पीला दी इसको,,,,,,,,,,इसलिए नशे में कुछ भी बोल रहा है।”
“सत्यानाश ! अरे जे उम्र मा लोग तीर्थ जाते है मुरारी और तुमहू हो के गली के आवारा लौंडो जैसे दारू पीकर हिया हमरे सामने खड़े हो,,,,,,,,,,,,!!”,आई ने कहा
“दारू नहीं आई ठंडाई , ठंडाई पीकर आये है”,मुरारी ने अपने होंठो पर जीभ फिराते हुए कहा


“अभी एक कंटाप मारेंगे ना मुरारी तो यही के यही गर्म हो जाओगे,,,,,,,,,,,शिवा अंदर लेकर आओ जे महामूर्ति को इनसे तो हम सुबह बात करते है।”,आई ने कहा और अंदर चली गयी
शिवम् मुरारी को लेकर अंदर चला आया और उसे गेस्ट रूम में सुला दिया,,,,,,,,,,,!!”

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