Sanjana Kirodiwal

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Haan Ye Mohabbat Hai – 46

Haan Ye Mohabbat Hai – 46

Haan Ye Mohabbat Hai - Season 3
Haan Ye Mohabbat Hai – Season 3 by Sanjana Kirodiwal

दादू ने अक्षत को आवाज दी तो अक्षत उनके सामने चला आया और कहा,”हम्म्म कहिये,,,,,,,!!”
अक्षत का बदला हुआ लुक था या उसकी सख्ती अब घर में हर कोई उसके सामने ज्यादा बात नहीं करता था। दादू भी अक्षत के सामने बोल नहीं पाए तो सीढ़ियों के पास छुपे सोमित जीजू ने दादू से बोलने का इशारा किया। सोमित जीजू के इशारे दादू को कुछ समझ में आये और कुछ नहीं तो उन्होंने अकड़ के साथ कहा,”मैं शेर हूँ शेर,,,,,,,!!”
“ठीक है लेकिन ये बात आप मुझे क्यों बता रहे है ?”,अक्षत सहजता से पूछा


दादू बेचारे क्या बोलते ? वो समझ ही नहीं पाए कि वो अर्जुन और सोमित जीजू के झांसे में आ गए हैं। दादू ने एक बार फिर सीढ़ियों की तरफ देखा तो सोमित जीजू और अर्जुन ने फिर उनके इशारे को गलत ले लिया और कहा,”मुझे , मुझे शेरनी चाहिए,,,,,,,,,,,,,!!”
अक्षत ने सुना तो उसे अजीब लगा उसने सीढ़ियों की तरफ देखा तो सोमित जीजू और अर्जुन जल्दी से छुप गए। अक्षत ने दादू को देखा और कहा,”आप कहे तो मैं दादी माँ को बुला दू ?”


“अरे नहीं नहीं क्या बात कर रहा है ? तुम्हारी दादी को पता चला मैंने शराब पी है तो पूरा घर सर पर उठा लेगी,,,,,,,,,,,,!!”,दादू ने लड़खड़ाते हुए कहा
अक्षत ने उन्हें सम्हाला और कहा,”लेकिन आपने इतनी शराब क्यों पी हैं ?”
“वो दोनों ने,,,,,,,,,!!”,दादू ने कहा लेकिन आगे कुछ नहीं कहा और फिर कोई और ही बात कहने लगे,”मुझे तुमसे बात करनी थी”


“यार अर्जुंन ये दादू तो सब गड़बड़ कर देंगे,,,,,,,,,,,,,सुबह कैसे बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे और अब देखो उनकी तो साले साहब के सामने आवाज तक नहीं निकल रही।”,सोमित जीजू ने कहा
“एक काम करते है यहाँ से खिसक लेते है वरना दादू के चक्कर में हम दोनों फंस जायेंगे”,अर्जुन ने फुसफुसाते हुए कहा
आपस में तय कर दोनों चुपचाप वहा से जैसे ही खिसकने लगे अक्षत की नजर उन दोनों पर पड़ गयी और उसने कहा,”हम्म्म आप दोनों इस वक्त कहा से आ रहे है ?”


“कौन दोनों ? अच्छा मैं और जीजू वो तो हमारी कल मीटिंग है न तो बस उसी के बारे में बात कर रहे थे,,,,,,,,,,क्यों जीजू ?”,कहते हुए अर्जुन ने जैसे ही साइड में देखा पाया सोमित जीजू वहा नहीं है। अर्जुन अक्षत की तरफ पलटा तो देखा सोमित जीजू पहले से दादू के पास खड़े है उनकी बगल में , अर्जुन ने खा जाने वाली नजरो से सोमित जीजू को देखा और खुद भी उनकी तरफ चला आया।

अक्षत ने तीनो को साथ देखा तो समझ गया कि दादू की इस हालत के पीछे अर्जुन और सोमित जीजू का हाथ है लेकिन अक्षत ने उन दोनों को कुछ नहीं कहा और दादू से कहा,”आप मुझसे कुछ कहने वाले थे”
“कौन मैं ? हाँ ! मुझे तुमसे ये कहना था कि,,,,,,,,,,,,,,!!”,दादू ने इतना ही कहा कि अर्जुन बीच में बोल पड़ा,”अरे आशु ! आज कोर्ट में तेरा पहला दिन था ना तू थका हारा आया है कहा तू दादू की बातें सुन रहा है इन्हे थोड़ी चढ़ गयी है और कुछ नहीं,,,,,,,,,,,,,,,तू जा ना , अपने कमरे में जाकर आराम कर,,,,,,,,,,!!”


“हाँ दादू तो बस ऐसे ही,,,,,,,,,,चलिए दादू मैं आपको नीचे आपके कमरे तक छोड़ देता हूँ।”,सोमित जीजू ने कहा
अर्जुन और सोमित जीजू की बाते सुनकर दादू भड़क गए और कहा,”अरे तुम कौन होते हो मुझे कमरे तक छोड़ने वाले ? मैं बूढ़ा हो गया हूँ क्या जो अपने कमरे तक नहीं जा सकता,,,,,,,,,!!”

बेचारे सोमित जीजू और अर्जुन दोनों खामोश हो गए। दादू अक्षत की तरफ पलटे और कहा,”मैं तुझसे ये कहने वाला था,,,,,,,,,,,!!”
“क्या कहने वाले थे कहिये मुझे जाना है”,अक्षत ने इस ड्रामे से परेशान होकर कहा
“यार ये दादू हमारी पोल ना खोल दे,,,,,!!”,अर्जुन ने अपनी फिंगर क्रॉस करके कहा


दादू ने अर्जुन की तरफ देखा जो कि फिंगर कोर्स करके अपने होंठो से लगाए हुए था दादू ने इसे कुछ और ही समझा और अक्षत से कहा,”आज ना तू बहुत हैंडसम लग रहा है। मुझे तुम्हे चुम्मा देना है”
“मुझे लगता है अभी आप होश में नहीं है आपको अपने कमरे में जाना चाहिए,,,,!!”,अक्षत ने दादू से कहा और फिर सोमित जीजू की तरफ देखकर उनसे कहा,”जीजू आप दादू को ले जायेंगे प्लीज”
“हाँ हाँ क्यों नहीं , दादू चलिए चलते है,,,,,,,!!”,कहते हुए सोमित जीजू दादू को लेकर वहा से चले गए।


अर्जुन भी अपने कमरे की तरफ जाने लगा तो अक्षत ने कहा,”भाई,,,,,,,,!!”
अर्जुन ने सुना तो अक्षत की तरफ पलट गया वह कुछ कहता इस से पहले अक्षत बोल पड़ा,”क्यों करते है आप लोग ऐसा ? दादू की उम्र होने लगी है ड्रिंक उनके लिये अच्छा नहीं है।”
“तो और क्या करे ? 6 महीने हो चुके है आशु,,,,,,,,,,,ज़रा देख खुद को कितना बदल गया है तू , कितने ही महीनो से तुमने फॅमिली के साथ बैठकर खाना नहीं खाया है , घरवालों के साथ हसना बोलना तो दूर तुमने अपने कमरे को ही अपनी दुनिया बना लिया है।

घर में हर कोई तुम से बात करने से डरता है ये सोचकर कि क्या पता तुम किस बात पर उन पर चिल्ला दो , तुम ऐसे तो नहीं थे आशु,,,,,,,,,,,,,,मैं मानता हूँ बीते कुछ महीने तुम्हारे और हम सब के लिये आसान नहीं थे पर क्या तुम जिंदगीभर ऐसे ही रहोगे,,,,,,,,,,,,घर में माँ के बाद एक दादू ही है जिनकी बात सुनते हो बस इसलिए दादू ने ड्रिंक की और हम उनके साथ थे। मैंने और जीजू ने दादू को पीने के लिये नहीं उकसाया बल्कि दादू खुद अपसेट थे तुम्हारे बर्ताव से जो सुबह तुमने किया,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

तुझे पता भी है तेरे इस बर्ताव से माँ को कितनी तकलीफ पहुंची। पहली बार तुमने उनका परोसा खाना नहीं खाया और इस दुःख में उन्होंने सुबह से खाना नहीं खाया,,,,,,,,,,अब भी खाया होगा या नहीं पता नहीं पर तुम्हे उस से क्या ? तुम रहो अपने झूठे घमंड में,,,,,,,,,,,,!!”
कहकर अर्जुन वहा से चला गया। उसने महसूस किया फ्लो फ्लो में वह अक्षत के सामने कुछ ज्यादा ही बोल गया।  अर्जुन की बात सुन अक्षत चुपचाप अपने कमरे में चला गया

कमरे में आकर अक्षत बिस्तर पर आ बैठा। आँखों के सामने पुरे दिन का हाल किसी फिल्म की भांति चलने लगा। कुछ देर बाद अक्षत उठा और बिना कपडे बदले ही नीचे चला आया। तनु काव्या और चीकू के साथ हॉल में बैठकर उन्हें होमवर्क करवा रही थी। अक्षत किचन की तरफ आया तो देखा राधा अंदर ही है। अक्षत किचन के दरवाजे पर चला आया और कहा,”माँ ! क्या मुझे एक कप कॉफी मिल सकती है ?”
राधा ने सुना तो उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। राधा ने पलटकर देखा किचन के दरवाजे पर अक्षत खड़ा था।

राधा ने हामी में अपनी गर्दन हिला दी तो अक्षत बाहर डायनिंग के पास पड़ी कुर्सी खिसकाकर बैठ गया। राधा अक्षत के लिए कॉफी बनाने लगी। अक्षत डायनिंग के पास बैठा अपना फोन चेक करने लगा। फोन चेक करते हुए अक्षत की नजर हॉल की तरफ चली गयी। चीकू का ध्यान पढाई में कम और अक्षत की तरफ ज्यादा था। वह कभी अक्षत की तरह अपने बालों को बनाता कभी बालों में हाथ घुमाकर एक्टिंग करता। जब चीकू की नजरे अक्षत से मिली तो घबरा कर उसने जल्दी से अपना ध्यान किताब में लगा लिया।


“चीकू ! ज़रा यहाँ आना”,अक्षत ने कड़कदार आवाज के साथ कहा
बेचारा चीकू एक तो पहले से डरा हुआ था अक्षत के आवाज देने से और घबरा गया। उसने किताब के पीछे अपना चेहरा छुपा लिया। ये देखकर अक्षत ने एक बार फिर कहा,”चीकू ! मैंने कहा यहाँ आओ ,, अभी”
“चीकू ! अक्षत मामू तुम्हे बुला रहे है तुम जा क्यों नहीं रहे हो ?”,काव्या ने कहा
“तुम्हारे अक्षत मामू ने घर में अपना इतना खौफ पैदा कर रखा है किसे डर नहीं लगेगा काव्या ?”,सोमित जीजू ने आकर सोफे पर बैठते हुए कहा


“फूफाजी सिर्फ आप ही हो जो मुझे समझते हो,,,,,,,,,,,,ये काव्या दीदी तो चाहती है मेरी पिटाई हो”,चीकू ने सोमित जीजू से कहा
“चीकू ! तुम आ रहे हो या मैं वहा आउ ?”,अक्षत ने इस बार थोड़ा गुस्से से कहा
चीकू के लिये इतना काफी था। वह उठा और अक्षत के सामने सर झुकाकर खड़ा हो गया। अक्षत ने उसे देखा और कहा,”अभी कुछ देर पहले क्या कर रहे थे तुम ?”
“कुछ नहीं बस आपकी तरह बाल बना रहा था”,चीकू ने सर झुकाये झुकाये कहा


“और ऐसा क्यों कर रहे थे तुम ?”,अक्षत ने पूछा
“इस लुक में आप बहुत कूल लग रहे हो तो मुझे भी आपके जैसा दिखना था बस,,,,,,,,,,,,,,,,,आई स्वेयर मैं आपकी नक़ल नहीं कर रहा था।”,चीकू अक्षत की तरफ देखकर कहा
चीकू ने जैसे ही ये बात कही अक्षत की आँखों के सामने अमायरा का चेहरा आ गया। उसे वो पल याद आ गया जब अमायरा ने अक्षत की बांह पकड़कर मासूमियत से कहा था,”मुझे आपके जैसा बनना है पापा”


वो पल याद आते ही अक्षत की आँखों में आँसू भर आये। चीकू ने देखा तो उसके पास आया और कहा,”आई ऍम सॉरी चाचू मैं फिर से ऐसा नहीं करूंगा”
अक्षत को महसूस हुआ अमायरा के जाने के बाद उसने सच में खुद को कितना कठोर बना लिया था। घर के दोनों बच्चे जो अक्षत के सबसे ज्यादा करीब थे आज उस से खौफ खाते थे।


अक्षत ने अपनी आँखों के किनारे साफ किये और चीकू को अपने पास बुलाकर उसके बाल बनाने लगा। अक्षत ने चीकू के बालों का वैसा ही हेयर स्टाइल बनाया जैसा उसका था ये देखकर चीकू तो ख़ुशी से नाचने लगा। वह काव्या के सामने आया और अपने बालों में से हाथ घुमाकर स्टाइल मारते हुए कहा,”देखा काव्या दीदी लग रहा हूँ ना हीरो,,,,,,!!”    

“ये चमत्कार कैसे हो गया ? लगता है साले साहब को भी आजकल दौरे पड़ते है एक सेकेण्ड में खुश और एक सेकेण्ड में ज्वालामुखी,,,,,,,,,,,,कब किस पर फट जाये कौन जानता है ?”,सोमित जीजू बड़बड़ाये और वहा से चले गए।
चीकू तो बस पुरे घर में सबको अपनी नयी हेयर स्टाइल दिखाते घूम रहा था

 राधा अक्षत के लिये कॉफी ले आयी। उन्होंने कप टेबल पर रखा तो अक्षत ने कहा,” भूख लगी है खाना लगा दीजिये”
राधा आज हैरान थी। घरवालों के साथ बैठकर खाना ना खाने वाला अक्षत आज राधा से खुद खाना लगाने के लिये कह रहा था। राधा का तो ये सुनकर ही पेट भर गया। वे किचन में गयी और अक्षत के लिए खाना ले आयी। दाल , चावल , चपाती और सब्जी के साथ प्लेट में मीठा दही भी रखा था जो कि अक्षत को बहुत पसंद था। राधा ने प्लेट अक्षत के सामने रख दी और वही खड़ी हो गयी अक्षत ने एक नजर राधा को देखा और कहा,”बैठिये,,,,,,,,,,,!”


“हाँ,,,,,,,,,,,,!!”,राधा ने कहा आज चीजे उनके विपरीत जो हो रही थी।
अक्षत के कहने पर राधा उसके बगल में पड़ी कुर्सी पर आ बैठी। अक्षत ने एक निवाला तोडा और राधा की तरफ बढ़ा दिया। राधा की आँखों में नमी तैरने लगी। “खाइये,,,,!”,अक्षत ने कहा तो राधा ने एक निवाला उसके हाथ से खा लिया।
अक्षत ने दुसरा निवाला तोड़ते हुए कहा,”मैं जानता हूँ आपके साथ साथ मैं इस घर में सबको बहुत तकलीफ दे रहा हूँ , अपनी बातो से सबका दिल दुखा रहा हूँ ,  


मैं अब वो अक्षत नहीं रहा माँ जो हुआ करता था , जिसके लिए ये घर पूरी दुनिया था इसलिए मेरी वजह से खुद को हर्ट करना बंद कीजिये। आप मेरी वजह से सुबह से भूखी है ,, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए,,,,,,,,,,,,,,मैं जानता हूँ मैं एक अच्छा बेटा नहीं बन पाया लेकिन बाकि सब तो आपके पास है न उनके लिये आपको खुश रहना है माँ,,,,,,,,,,,,,, मैं कोशिश करूंगा आज के बाद आपका दिल ना दुखाऊ”
कहते हुए अक्षत ने राधा को दुसरा निवाला भी खिला दिया।


उसकी बाते सुन राधा का कलेजा छलनी हो गया। उसने एक निवाला तोड़ा और अक्षत की तरफ बढ़ाते हुए कहा,”किसने कहा तुम अच्छे बेटे नहीं हो,,,,,,,,,,,मैंने तुम में , अर्जुन में और सोमित जी कभी कोई भेदभाव किया क्या आशु ? मैं तुम्हारी हर बात मान लुंगी सही गलत सब बस मुझसे तेरा ये खामोश रहना नहीं देखा जाता। खुद को इतना भी मत बदल आशु कि एक दिन खुद को ही ना पहचान पायें”
राधा की बातो में सच्चाई थी जिसे सुनकर अक्षत ने आगे कुछ नहीं कहा। आज बहुत दिनों बाद वह राधा के साथ ऐसे बैठ कर खाना खा रहा था इसलिए उसे इधर उधर की बाते बताने लगा

अक्षत को आज अच्छे मूड में देखकर राधा ने धीरे से कहा,”अब सब ठीक हो चुका है , तुम्हे तुम्हारी वकालत वापस मिल गयी , जिंदगी भी पहले जैसे चल पड़ी तो क्या अब मीरा इस घर में वापस आ सकती है ?”
मीरा का नाम सुनते ही अक्षत के चेहरे के भाव बदल गए। उसे एकदम से वो दर्द याद आ गया जो मीरा ने उसे दिया था। अक्षत ने गुस्से से अपने सामने पड़ी प्लेट को खिसकाया और वहा से उठकर चला गया। राधा की आँखों में फिर आँसू भर आये वह अक्षत को रोक भी नहीं पायी और अपना सर झुका लिया।

आँखों में ठहरे आँसू टप टप करके बहने लगे। किचन की तरफ जाते सोमित जीजू ने देखा तो राधा के पास चले आये और उनके कंधे पर हाथ रखकर कहा,”मौसीजी ! क्या हुआ ? आप ठीक है ना।”
राधा ने सर झुकाये हुए कहा,”मीरा का नाम लेकर शायद मैंने उसके जख्मो को फिर से कुरेद दिया,,,,,,,,,,,,,,,पर क्या मीरा इस घर में कभी नहीं आएगी ?”


सोमित जीजू ने सूना तो कुर्सी पर आ बैठे और राधा का चेहरा ऊपर उठाकर उनके आँसू पोछते हुए कहा,”किसने कहा मीरा वापस नहीं आएगी ? वो आएगी जरूर आएगी और खुद अक्षत उसे इस घर में लेकर आएगा,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे ही जैसे शादी के बाद पहली बार वो इस घर में आयी थी।”
सोमित जी की बातो में राधा को विश्वास और उम्मीद नजर आ रही थी उन्होंने नम आँखों के साथ हामी में गर्दन हिला दी

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