हाँ ये मोहब्बत है – 25
Haan Ye Mohabbat Hai – 25
चित्रा के दिल की बात जानकर सचिन का दिल टूट गया। सचिन चित्रा को दिल ही दिल में पसंद करता था लेकिन चित्रा अक्षत से मोहब्बत करने लगी है ये सुनने के बाद हैरान हो गया और कहा,”ये तुम क्या कह रही हो चित्रा ? अक्षत सर शादीशुदा है तुम उनसे मोहब्बत कैसे कर सकती हो ?”
“हाँ मैं जानती हूँ सचिन कि सर शादीशुदा है लेकिन इस दिल पर तो किसी का जोर नहीं है ना ये कब , किस से मोहब्बत कर बैठे ?”,कहते हुए चित्रा एक बार फिर पलट गयी और कहने लगी,”जब पहली बार उन्हें देखा था तभी वो मुझे बाकी मर्दो से कुछ अलग नजर आये थे।
कुछ तो बात थी उनमे जो मैं उनकी तरफ खींची चली गयी। लड़की होकर भी मैं खुद को उनके जैसा बनाना जैसा चाहती थी , उनके जैसी सोच , उनके जैसा ऐटिटूड , उनके पर्सनालिटी ,, मैं बिल्कुल उनके जैसी बनना चाहती थी। पहले लगता था ये सब मेरा वहम है लेकिन कल रात मुझे अहसास हुआ कि ये प्यार है जब मैंने उनकी गैरमौजूदगी में भी उनको अपने पास पाया। किसी इंसान का ना होकर भी अपने साथ महसूस होना,,,,,,,,,,,,,,,ऐसा तो सिर्फ मोहब्बत में होता है ना सचिन।
अक्षत सर के साथ जो कुछ हुआ उस से वो टूट गए है पर मुझे यकीन है मेरी मोहब्बत उन्हें सम्हाल लेगी बस वो इस मोहब्बत को अपना ले,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए चित्रा जैसे ही पलटी उसने देखा सचिन वहा नहीं है बल्कि सचिन उसी वक्त वहा से जा चुका था जब चित्रा ने बोलना शुरू किया था। चित्रा मुस्कुरायी और अक्षत की टेबल की तरफ आकर वहा रखे उसके नाम को उठाया और उसे अपनी साड़ी के पल्लू से करते हुए कहा,”मैं जिंदगीभर इस नाम की हिफाजत कर सकती हूँ अक्षत क्योकि ये नाम मुझे बहुत अजीज है और तुम भीं,,,,,,,,,,,,,,,,कभी सोचा नहीं था
तुम से मोहब्बत हो जाएगी लेकिन इस दिल को कैसे समझाऊ,,,,,ये दिल अब सिर्फ तुम्हारे नाम से धड़कता है। मैं तुम्हारे लौट आने का इंतजार करुँगी,,,,,,,,,,,,!!
चित्रा ने अक्षत का नाम वापस टेबल पर रखा और अपना काम करने लगी।
नीता पर चिल्लाने के बाद अक्षत अपने कमरे में चला आया और आकर बिस्तर पर बैठ गया। छवि उस से मिलने घर आयी है सुनकर ही अक्षत की आँखों के सामने अतीत की सारी बातें किसी फिल्म की भांति आँखों के सामने घूमने लगी।
छवि को इंसाफ ना दिला पाने का दुःख अक्षत को आज भी था और छवि से मिलकर वह इस दुःख को और बढ़ाना नहीं चाहता था। अक्षत को खुद पर ही गुस्सा आ रहा था। वह खुद को नहीं समझ पा रहा था उसे एक पल लगता कि जो कुछ हो रहा है उसमे सब उसकी गलती है और अगले ही पल उसे अपनी लाचारी और मजबूरिया याद आ जाती जिनके चलते उसने अपना सब कुछ खो दिया। सब विचार अक्षत के दिमाग पर हावी होने लगे , उसका सर घूमने लगा वह उठा और कमरे में यहाँ वहा चक्कर काटने लगा।
उसका सर गर्म होने लगा और दर्द से फटा जा रहा था उसने टेबल पर रखी पानी की बोतल को उठाया और
ढक्कन खोलकर पूरा पानी अपने सर पर उड़ेल लिया। थोड़ी सी राहत मिली तो अगले ही पल उसकी आँखों के सामने मीरा का चेहरा आया। गुस्से में आकर
अक्षत ने बोतल को जोर से साइड में फेंका। बोतल साइड टेबल पर रखी फ्रेम पर जाकर लगी जिसमे अक्षत मीरा की तस्वीर थी।
फ्रेम टेबल से नीचे आ गिरी , फ्रेम गिरने की आवाज सुनकर अक्षत ने पलटकर देखा तो पाया नीचे जमीन पर फ्रेम गिरा है और साथ ही कांच के टुकड़े भी फैले है। अक्षत टेबल की तरफ आया उसने फ्रेम को उठाया जिसमे उसकी और मीरा की मुस्कुराते हुए की तस्वीर थी। अक्षत का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने फ्रेम को साफ किया और उसे देखते हुए कहने लगा,”क्यों मीरा ? आखिर क्यों किया ये सब ? क्या कमी रही मेरी मोहब्बत में ? ये जानते हुए भी कि मेरी ये सांसे भी तुम्हारी अमानत है
तुमने मुझे खुद से इतना दूर कर दिया कि मैं तुम्हारे आस पास भी नहीं,,,,,,,,,,,तुम तो मेरी जिंदगी में कभी ना जाने के लिये आयी थी ना और देखो तुमने ही मुझे अकेला कर दिया,,,,,,,,,,,तुमने मुझे हमेशा समझा मीरा , मेरे अच्छे बुरे वक्त में हमेशा तुम मेरे साथ रही , बिना कहे मेरी तकलीफ तक समझ लेती थी तुम इस बार मेरे शब्द भी तुम्हे क्यों नहीं समझा पाए ? क्या सच में हमारी मोहब्बत इतनी कमजोर थी मीरा,,,,,,,,,,,,,,,तुम सोचती होगी मैंने तुम्हे इस घर से निकाल दिया , अपनी जिंदगी से निकाल दिया,,,,,,,,,,,,,,,नहीं मीरा ऐसा नहीं है ,
अक्षत व्यास भला अपनी मीरा को अपनी जिंदगी से कैसे निकाल सकता है ? मैंने तुम्हे इस घर से जाने को कहा क्योकि मैं नहीं चाहता था इस घर में रहकर तुम मुझे इस तरह टूटता देखो , तुम अपने गुरुर को यु बिखरता देखो,,,,,,,,,,,,,तुम गर मेरी कमजोरी हो तो तुम मेरी ताकत भी हो मीरा,,,,,,,,,,,मैं तुम्हे नहीं समझा सकता , मैं तुम्हे कभी नहीं समझा पाऊंगा कि तुम्हे तकलीफ देकर मुझे कितनी तकलीफ होती है। मैं चाहता हूँ तुम मुझसे नफरत करो , इतनी नफरत करो कि अक्षत व्यास का नाम तक तुम्हारे जहन से मिट जाये”
ये सब कहते हुए अक्षत की आँखों में ठहरी आँसू की बूंद तस्वीर पर आ गिरी , खुद को कमजोर पड़ता देखकर अक्षत ने तस्वीर को वापस टेबल पर रख दिया और जमीन पर बिखरे कांच के टुकड़े समेटने लगा। कांच के टुकड़े उठाते हुए एक बड़ा सा टुकड़ा अक्षत की हथेली में आ लगा जिस से उसकी हथेली से खून बहने लगा। अक्षत ने देखा खून ज्यादा बह रहा है तो वह उठा।
टेबल पर रखा अपना रुमाल उठाया और उसे अपनी हथेली पर लपेटकर बांधने लगा लेकिन बांध नहीं पाया तभी उसे बीते पलों का अहसास हुआ जब ऐसे ही चोट लगने पर मीरा ने उसके हाथ पर रुमाल बांधा था और साथ ही ढेर सारी नसीहते भी दी थी।
एक बार फिर मीरा का ख्याल अक्षत की सोच पर हावी होने लगा। बुझे मन से वह आकर बिस्तर पर बैठ गया और खून से भरे अपने हाथ और उसपर लिपटे रूमाल को देखने लगा। अक्षत मीरा के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। अक्षत की तंद्रा टूटी उसने अपना फोन उठाया और कान से लगाकर कहा,”हेलो,,,,,!!”
“तुमने आज का अख़बार नहीं देखा ?”,एक जानी पहचानी रोबदार आवाज अक्षत के कानो में पड़ी। अक्षत भला इस आवाज को कैसे भूल सकता था ?
इसी आवाज ने तो अक्षत से उसका सब कुछ छीन लिया था। वो आवाज सुनकर अक्षत एकदम से उठा और गुस्से से कहा,”मेरा सब कुछ तो मुझसे छीन चुके हो , अब मुझसे क्या चाहते हो तुम ?”
“तुम तो कुछ ज्यादा ही खफा हो मेरे दोस्त,,,,,,,,,,,,,तुम से छीनने को अब भी बहुत कुछ है लेकिन अभी मेरा मूड नहीं है ,, हाँ तुम चाहो तो ICU में आखरी साँस लेते अपने करीबी को जरूर बचा सकते हो,,,,,,,,,,,,,,,बेस्ट ऑफ़ लक”,दूसरी तरफ से आदमी ने कहा और फोन काट दिया।
“हेलो , हेलो,,,,,,,,,,,हेलो यू बास्टर्ड,,,,,,,,,,,हेलो”,अक्षत गुस्से से चिल्लाया लेकिन दूसरी तरफ से फोन कट चूका था। अक्षत ने नंबर वापस डॉयल किया लेकिन फोन बंद आ रहा था। अक्षत ने फोन जेब में रखा , करीबी का नाम सुनकर अक्षत को मीरा का ख्याल आया और उसने अपने दिमाग पर जोर डाला अक्षत को आदमी की कही बात याद आयी “तुमने आज का अख़बार नहीं देखा ?”
अक्षत तुरंत अपने कमरे से बाहर आया और सीधा नीचे हॉल में चला आया। उसने हॉल में यहाँ वहा देखा लेकिन उसे अख़बार नहीं मिला।
जब से अक्षत ने कोर्ट छोड़ा था व्यास हॉउस में आने वाले सुबह के हर अख़बार को रद्दी की बास्केट में डाल दिया जाता था जिस से उसमे छपने वाली कोई खबर गलती से भी अक्षत तक ना पहुँचे। अक्षत ने देखा घर में कही भी आज का अख़बार नहीं है उसने परेशान होकर इधर उधर देखा तो नजर सामने से आते रघु पर पड़ी। अक्षत ने उसे रोका और कहा,”रघु आज का पेपर कहा है ?”
“आज का पेपर मैंने यही रखा था।”,रघु ने कहा
तनु किचन से आयी उसने अक्षत को परेशान देखा तो कहा,”क्या हुआ आशु तुझे कुछ चाहिए क्या ?”
“दी आज का न्यूजपेपर कहा है ?”,अक्षत ने सवाल किया
तनु ने कुछ नहीं कहा बस रद्दी वाली टोकरी की और इशारा कर दिया। अक्षत ने रद्दी के में फेंके गए सारे अख़बार बाहर निकाले और आज का अख़बार ढूंढने लगा। कुछ देर बाद अक्षत को न्यूज पेपर मिला उसने उसे खोला तो पहले पन्ने पर लिखे अमर जी के एक्सीडेंट की खबर पढ़कर उसके होश उड़ गए। इतना बड़ा हादसा हो गया और उसे किसी ने बताया तक नहीं।
घर में भी सब लोगो को नार्मल देखकर अक्षत को और ज्यादा हैरानी हुई अगले ही पल उसे फोन पर आदमी की कही बात याद आयी “तुम चाहो तो ICU में आखरी साँस लेते अपने करीबी को जरूर बचा सकते हो,,,,,,,,,,,,,,,बेस्ट ऑफ़ लक”
अक्षत को अहसास हुआ अमर जी की जान खतरे में है। उसने हाथ में पकड़ा अख़बार फेंका और बाइक की चाबी उठाकर तेजी से वहा से बाहर चला गया।
तनु ने अक्षत को रोकने की कोशिश की लेकिन तब तक अक्षत वहा से चला गया। तनु उसे आवाज देते रह गयी।
“क्या हुआ तनु ?
अक्षत कहा गया हैं ?”,राधा ने तनु के पास आकर पूछा
” पता नहीं मौसीजी उसने अखबार में कुछ देखा और गुस्से में घर से निकल गया।”,तनु ने घबराकर कहा
“अख़बार ? अख़बार में ऐसा क्या छपा है ?”,कहते हुए राधा ने नीचे गिरे अखबार को उठाया और देखा तो उनके चेहरे का रंग उड़ गया।
अमर जी के एक्सीडेंट की खबर देखकर राधा का सर चकराया और वो गिरने को हुई लेकिन सही मोके पर तनु ने उन्हें सम्हाल लिया और नीता को आवाज दी,”नीता ! ज़रा पानी लाना”
“मौसीजी आप ठीक है ? क्या हुआ आपको ?”,तनु ने राधा को सम्हालकर उन्हें सोफे पर बैठाते हुए कहा
“मुझे मीरा के पास जाना है , मुझे अभी उसके पास जाना है ,, मुझे मीरा के पास लेकर चलो तनु उस बच्ची को मेरी बहुत जरूरत है।”,कहते कहते राधा रोने लगी।
तनु उनके पास बैठकर उन्हें शांत करवाने लगी उसे नहीं पता था आखिर अख़बार में ऐसा क्या छपा है ?
नीता ने पानी का गिलास तनु को दिया और नीचे गिरे अख़बार को उठाकर जैसे ही रखने को हुई उसकी नजर अमर जी के एक्सीडेंट वाली खबर पर पड़ी। नीता ने उसे पढ़कर कहा,”अमर अंकल का कल रात एक्सीडेंट हो गया है और उनकी हालत बहुत क्रिटिकल है।”
तनु ने सूना तो उन्हें राधा के परेशान होने का कारण समझ आया। नीता भी आकर तनु के साथ राधा को सम्हालने लगी पर राधा बस मीरा का नाम लेकर रोये जा रही थी
छुपते छुपाते आख़िरकार अखिलेश हॉस्पिटल के अंदर पहुँच ही गया। नर्स से पता करके वह 3rd फ्लोर पर आया। उसने बेंच पर बैठी मीरा को देखा तो सीधा उसके पास चला आया और कहा,”मीरा मैडम , मीरा मैडम आप ठीक है ना ? आप चिंता मत कीजिये सब ठीक हो जाएगा , मैं आ गया हूँ ना आप बिल्कुल टेंशन मत लीजिये।”
सौंदर्या को अखिलेश बिल्कुल पसंद नहीं था उसने जब अखिलेश को वहा देखा तो कहा,”ए तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?”
“मैं,,,,,,,,,,,,,मैं यहाँ”,अखिलेश इतना ही कह पाया क्योकि सौंदर्या के सामने भला वह क्या बोलता लेकिन अगले ही पल सौंदर्या को विवान सिंह की कही बात याद आयी “ये लड़का अक्षत और मीरा को अलग करने में सबसे कारगर साबित होगा”
विवान सिंह की बात याद आते ही सौंदर्या ने तुरंत अपना लहजा बदला और कहा,”अरे मेरा मतलब तुम्हे कैसे पता चला ?”
“वो मैंने आज सुबह का अख़बार देखा उसमे सर के एक्सीडेंट की खबर छपी थी , मुझे लगा मीरा मैडम अकेली परेशान होंगी इसलिए मैं चला आया।”,अखिलेश ने माथे पर आये पसीने की बुँदे पोछते हुए कहा
“बहुत अच्छा किया जो तुम यहाँ आये , अब समझाओ अपनी मीरा मैडम को सुबह से बस रोये जा रही है। मैं ज़रा डॉक्टर से मिलकर आती हूँ।”,कहकर सौंदर्या वहा से चली गयी।
अखिलेश आकर मीरा के बगल में बैठा और मीरा को रोते देखकर उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा,”मत रोईए मैडम हम सब है ना आपके साथ , आपके पापा को कुछ नहीं होगा देखना वो जल्दी ठीक हो जायेंगे।”
मीरा इस वक्त अपने होशो हवास में नहीं थी इसलिए तो उसे अखिलेश के छूने से भी कोई ऐतराज नहीं हुआ। वह बस रोते जा रही थी और इस वक्त कमजोर पड़ चुकी थी
अखिलेश ने इसी बात का फायदा उठाया और मीरा की तरफ खिसककर मजबूती से उसका हाथ थामते हुए कहा,”बस कीजिये मैडम मैं आपको रोते हुए नहीं देख सकता”
इसे वक्त की मज़बूरी कहे या मीरा का टूट जाना रोते हुए सहसा ही उसका सर अखिलेश के कंधे से आ लगा। अखिलेश की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन उसने अपनी ख़ुशी को चेहरे से जाहिर होने नहीं दिया। वह बस मीरा का हाथ थामे बैठा रहा।
अक्षत की बाइक आकर हॉस्पिटल के बाहर रुकी भीड़ देखकर अक्षत भी हैरान था लेकिन अमर जी इतने बड़े बिजनेसमैन थे उनके लिये भीड़ होना सामान्य बात थी। अक्षत जैसे ही हॉस्पिटल के अंदर आया मीडिआ ने उसे घेर लिया और सवालो की बौछार कर दी। सब जानते थे अक्षत अमर सिंह राजपूत का दामाद है लेकिन अक्षत आगे बढ़ गया। मीडिआ के सवालो के जवाब से ज्यादा परवाह अक्षत को अमर जी की थी।
पुलिस वाले अक्षत को जानते थे इसलिए किसी ने उसे अंदर जाने से नहीं रोका। रिपेशन से जानकारी लेकिन अक्षत लिफ्ट से सीधा 3rd फ्लोर पर आया। ऊपर आकर अक्षत सीधा ICU की तरफ बढ़ गया
लेकिन कुछ ही दूर चलकर उसके कदम रुक गए बेंच पर बैठी मीरा पर उसकी नजर पड़ी , साथ में अखिलेश को देखकर अक्षत का खून खौल गया। मीरा को छूना तो दूर किसी का उसके करीब जाना भी अक्षत को बर्दास्त नहीं था।
मीरा की नजर जैसे ही अक्षत पर पड़ी उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा लेकिन साथ ही आँखों में आँसू भर आये। मीरा बेंच से उठी और खुशी और दर्द के मिले जुले भाव लेकर जैसे ही अक्षत की तरफ आयी तो अक्षत ने हाथ करके उसे वही रोक दिया। मीरा के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी और उसकी जगह दर्द और हैरानी ने ले ली। मीरा कुछ समझ नहीं पायी वह बस फटी आँखों से अक्षत को देखे जा रही थी। अक्षत को वहा देखकर अखिलेश भी चला आया और मीरा के बगल में आकर खड़े हो गया।
अब तो अक्षत का खून और खोल उठा लेकिन उसने खुद को सामान्य रखा और कहा,”मैं यहाँ तुम से मिलने नहीं आया हूँ बल्कि पापा को देखने आया हूँ , वैसे भी तुम्हे सम्हलने वाले बहुत लोग है यहाँ।”
कहते हुए सहसा ही अक्षत की जलती नजरे अखिलेश पर चली गयी।
मीरा के सामने हीरो बनने का यही सही वक्त है सोचकर अखिलेश अक्षत के सामने आया और कहा,”जबान सम्हालकर मिस्टर अक्षत व्यास , मीरा मैडम से ऐसे बात करने का हक़ तुम्हे किसने दिया ?”
अखिलेश हीरो बनना चाहता था लेकिन वह भूल गया कि उसके सामने खड़ा शख्स अक्षत व्यास है जो गुस्सा आने पर खुद का भी सगा नहीं है। अक्षत ने अखिलेश की बात सुनी बिना चेहरे पर कोई भाव लाये अपनी गर्दन हलकी सी झुकाकर अपना आई ब्रो खुजाया और खींचकर एक थप्पड़ अखिलेश के गाल पर रसीद करके कहा,”शी इज माय वाइफ”
एक थप्पड़ से ही अखिलेश के दिमाग की सारी नसे खुल गयी और वह साइड हो गया।
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संजना किरोड़ीवाल
Wow Akhilesh ko asie he ek do thappad aur maarna chaiye .
gadha kahi ka . I proud of Akasht ab bus Mira ko apna lo aapne bich ke sare galatfamiya mita do aur ek ho jao .
taki hum bhi ke saki
uffff…… kitni mohabbaht hai !!!
अक्षत ने तो अखिलेश को आईना दिखा दिया… थप्पड़ के साथ ये बोलकर ‘शी आज माई वाइफ’😂😂😂 अब तो अपना दिमाग लगाएगा अखिलेश की वो अक्षत से ना उलझे, नहीं तो फिर से चांटा तो खाएगा, साथ में बेइज्जती भी करवाएगा… मीरा को अब होश आ जाए और वो फिर से अक्षत के पास जाएं, हालांकि ऐसा होगा, जब तक सौंदर्य बुआ है उनकी जिंदगी में, बस मीरा अपने पिता को बचा ले सौंदर्य बुआ से… संजना जी आपने 23 के बाद सीधा 25 पार्ट दे दिया है…24वां पार्ट नहीं दिया आपने
That’s the real Akshat vyas, is akhilesh ko zarurat thi is thappad ki aur kya style se thappad mara hai