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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 45

Pakizah – 45

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 45

पाकीजा को छोड़कर भावना निचे चली गयी l
भावना को पाकीजा का इस तरफ घर आना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था l भावना झल्लाहट से भरी निचे आयी और सीधा काव्या के कमरे में आकर बैठ गयी l भावना को गुस्से में देख काव्या ने कहा ,”क्या हुआ हमारी होने वाली भाभी का चेहरा इतना लाल क्यों है ?
भावना काव्या की तरफ पलटी और कहा,”तुमसे एक बात पूछे ?


काव्या – हां पूछो
भावना – वो लड़की कौन है ?
काव्या – कौन लड़की ?
भावना – वही जो तुम्हारे भैया के साथ आयी है
काव्या – अच्छा वो , वो तो भैया की दोस्त है , बताया था न उन्होंने
भावना – अच्छा , पर मुझसे तो कभी उन्होंने इस दोस्त का जिक्र तक नहीं किया


काव्या – आप भाई पर शक कर रही है ? (भावना की आँखों में देखते हुए)
भावना – शक नहीं कर रही पर मेरा हक़ बनता है ये सब जानने का (गुस्से से)
काव्या – अच्छा इसका मतलब आपको जलन हो रही है (मुस्कुराते हुए)
भावना – मैं क्यों उस से जलने लगी ? वो है क्या हां l
भावना का गुस्सा देखकर काव्या सहम गयी और माहौल को शांत करने के लिए कहा,”रिलेक्स ! उसने कुछ कहा क्या आपसे भावना – हुंह्ह वो क्या कहेगी ?


काव्या – तो फिर आप इतना ओवर रियेक्ट क्यों कर रही है ?
भावना – मैं कहा ओवर रियेक्ट कर रही हु ? वो लड़की मुझे नहीं पसंद बस
काव्या भावना के नजदीक आयी और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,” दो दिन बाद आपकी सगाई है आपको रेस्ट करना चाहिए l वैसे भी वो सिर्फ भाई की दोस्त है और कुछ दिन के लिए यहा है फिर तो वो चली जाएगी”
“व्हाटएवर”,कहते हुए भावना पैर पटकते हुए वहा से चली गयी l


काव्या को भावना का व्यवहार कुछ अजीब लगा l भावना को भूलकर काव्या फिर से अपने काम में लग गयी l
दोपहर में सभी खाना खाने डायनिंग टेबल पर आ बैठे l रूद्र की मम्मी ने काव्या से पाकीजा को भी बुलाकर लाने को कहा l
भावना भी आकर बैठ गयी कुछ देर बाद रूद्र आया फॉर्मल कपड़ो में वह बहुत ही क्यूट लग रहा था l भावना एकटक उसे देखे जा रही थी l रूद्र आया और भावना के बगल वाली कुर्सी पर बैठ गया l भावना के मन में ख़ुशी भर गयी l वह बस रूद्र को देखे जा रही थी लेकिन रूद्र का ध्यान कही और था l


रूद्र को खोया हुआ देखकर उसके पापा को समझते देर नहीं लगी की जरूर कोई न कोई बात तो है , लेकिन उस वक्त उन्होंने सबके सामने कुछ नहीं कहा l

काव्या पाकीजा को बुलाने उसके कमरे में गयी
“सब निचे खाने पर आपका इंतजार कर रहे है , चलिए ! “,काव्या ने मुस्कुरा कर कहा l
“माफ़ कीजियेगा , हमे भूख नहीं है l”,पाकीजा ने धीरे से कहा
पाकीजा को देखकर काव्या मुस्कुरा उठी और उसके पास आकर बैठ गयी और कहने लगी ,”आपसे एक बात कहु ?
“हम्म्म कहिये !”,पाकीजा ने कहा


“रूद्र भैया मुझसे 5 साल बड़े है ! बचपन से हम दोनों साथ साथ ही रहे है इसलिए दोनों एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त है l शुरू से ही भैया बहुत कम बोलते है लेकिन उनके मन में बहुत कुछ रहता है जो बाहर नहीं आ पाता l बीते कुछ सालो में उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत उतार चढाव देखे है l वो जल्दी किसी से घुलते मिलते नहीं है पर उन्होंने आपको अपना दोस्त कहा तो इसका मतलब आप उनके लिए बहुत खास हो l दो दिन बाद भैया की सगाई भावना से है …..

अगर भावना ने आपसे कुछ ऐसा कहा हो जिससे आपको बुरा लगा हो तो प्लीज़ उनकी कोई बात दिल पर मत लीजियेगा l वो थोड़ी मूडी किस्म की है उसका मूड हर वक्त बदलता रहता है “,काव्या ने कहा l
काव्या की बात सुनकर पाकीजा उसकी तरफ देखने लगी l पाकीजा को अपनी और देखता पाकर काव्या ने कहा,”आप इसे अपना ही घर समझो और भावना की बात पर बिल्कुल ध्यान मत देना l “
“शुक्रिया ! मुझे भावना जी की बात का बिल्कुल बुरा नहीं लगा l “,पाकीजा ने कहा


काव्या – आप बहुत अच्छा बोलती हो
पाकीजा – मैं सिर्फ अच्छा बोलती हु आप तो खुद इतनी प्यारी हो
काव्या – थैंक्यू !! लेकिन आप भी बहुत अच्छे हो
पाकीजा मुस्कुरा उठी तो काव्या भी मुस्कुराने लगी l उसने पाकीजा की तरफ अपना हाथ बढ़ाया और कहा ,” फ्रेंड्स !
पाकीजा ने हाथ बढाकर काव्या से हाथ मिलाया l


“अब चले खाना खाने ?”,काव्या ने कहा
“आप जाईये हमे अभी भूख नहीं है हम बाद में खा लेंगे”,पाकीजा ने सहजता से कहा वो नहीं चाहती थी भावना फिर से उसे देखकर कोई बखेड़ा करे l
“अच्छा ठीक है आपको फाॅर्स नहीं करेंगे l लेकिन किसी भी चीज की जरूरत हो तो आप बेझिझक मुझसे कह देना”,काव्या ने कहा


पाकीजा ने हा में अपना सर हिला दिया l काव्या जाने लगी और जाते जाते रुक गयी उसने पलटकर पाकीजा की तरफ देखा और कहा,” आपसे एक बात पूछे ?
“हां पूछिए”,पाकीजा ने मुस्कुरा कर कहा
“आपको मेरे रूद्र भैया कैसे लगे ?”,काव्या ने मुस्कराकर पूछा
“वो एक बहुत अच्छे इंसान है”,पाकीजा ने कहा


“हम्म्म्म “,कहकर काव्या मुस्कुराते हुए वहा से चली गयी l उसके दिमाग में कोई नया ही ख़याली पुलाव पक रहा था जिसकी महक उसके होठो की मुस्कान में झलक रही थी l काव्या निचे आयी और कहा
“मम्मी , वो बाद में खायेगी l अभी उन्हें भूख नहीं है”
काव्या आकर रूद्र के पास वाली कुर्सी पर बैठ गयी l
“मैं उसे लेकर आता हु , वैसे भी उसने सुबह से कुछ नहीं खाया है”,रूद्र न उठते हुए कहा


रूद्र की बात सुनकर भावना को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा उसने रूद्र का हाथ पकड़ा और वापस बैठाते हुए कहा,”its ok रूद्र उसे भूख नहीं है तो बाद में खा लेगी l “
रूद्र ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप बैठकर खाने लगा लेकिन मन पाकीजा को लेकर परेशान था l खाना मुश्किल से रूद्र के गले के निचे उतरा l पास बैठी काव्या रूद्र के चेहरे पर आते जाते भावो को देख रही थी और मन ही मन खुश भी हो रही थी l खाना खाकर रूद्र उठकर चला गया l


किचन में रूद्र की मम्मी कुछ काम कर रही थी रूद्र वहा आया और प्लेट में खाना लेकर पाकीजा के कमरे की और बढ़ गया l
“क्या मैं अंदर आ सकता हु ?”,रूद्र ने कहा
“आप अपने ही घर में इजाजत क्यों मांग रहे है ? आईये ना ! “,पाकिज ने कहा और एक तरफ खड़ी हो गयी
रूद्र ने खाने की प्लेट टेबल पर रखी और पाकिजा को बैठने का इशारा किया l खुद पाकीजा के बिलकुल सामने कुर्सी पर बैठ गया और कहा,”तुम खाना खाने निचे क्यों नहीं आयी ?


“बस ऐसे ही भूख नहीं थी “,पाकीजा ने रूद्र से नजरे चुराते हुए कहा
“मेरे सामने झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं है , किसी ने कुछ कहा ?”,रूद्र ने पाकीजा की तरफ देखते हुए पूछा
“नहीं , ऐसी कोई बात नहीं है l यहाँ सब अच्छे है “,पाकीजा ने धीरे से कहा और नजर नीची कर ली
“अच्छे नहीं सब बहुत अच्छे है ये तुम्हे धीरे धीरे पता चलेगा , अब खाना खाओ “,रूद्र ने लगभग आर्डर देते हुए कहा
“हमे सच में भूख नहीं है”,पाकीजा ने कहा


“ठीक है , तुमने नहीं खाया इसलिए मैंने भी नहीं खाया l पर तुम्हे क्या फर्क पड़ता है”,रूद्र ने बच्चो की तरह मुंह बनाते हुए कहा l
“आपने खाना नहीं खाया ?”,पाकीजा ने हैरानी से रूद्र की और देखते हुए कहा
रूद्र ने मासूमियत से अपनी गर्दन ना में हिला दी l पाकीजा ने प्लेट से एक निवाला तोडा और रूद्र की तरफ बढ़ा दिया l रूद्र ने पाकीजा का हाथ पकड़ा और घुमाकर निवाला उसी को खिला दिया l रूद्र का इस तरह खुद पर हक़ जताना पाकीजा के दिल में यह अहसास भर रहा था l


“आपने क्यों नहीं खाया ?”,पाकीजा ने पूछा
“तुम खा लोगी तो मेरा पेट भी भर जायेगा”,रूद्र ने प्यार से पाकीजा की आँखों में देखते हुए कहा
“भरे हुए पेट को और कितना भरोगे भैया ?”,दरवाजे पर खड़ी काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा l
रूद्र इधर उधर देखने लगा तो काव्या अंदर आयी और पाकीजा के पास बैठते हुए कहा,”भैया आपसे झूठ बोल रहे है ये खाना खा चुके है”


पाकीजा रूद्र की तरफ देखने लगी तो रूद्र ने मासूमियत से अपने दोनों कान पकड़ लिए l रूद्र को ऐसा करते देख पाकीजा हसने लगी l काव्या और रूद्र बस हंसती हुयी पाकीजा को देख रहे थे l ये सच था की जब वो हसंती थी तो रूद्र को दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की लगती थी l उसका दिल धड़कने लगता था ऐसा लगता था जैसे वक्त थम सा गया हो l कुछ देर बाद काव्या ने कहा ,”लो मैं तो बताना ही भूल गयी मम्मा ने आपको निचे बुलाया है”
रूद्र का जाने का बिल्कुल मन नहीं था लेकिन फिर भी वह उठकर चला गया l


पाकीजा काव्या से बाते करती हुयी खाना खाने लगी l कुछ देर बाद पाकीजा जूठे बर्तनो को लेकर निचे आयी l किचन में रूद्र और उसकी मम्मी मौजूद थे पाकीजा को देखते ही रूद्र ने कहा ,”पाकीजा अंदर आओ “
पाकीजा अंदर आ गयी उसने बर्तनो को सिंक में रखा और जैसे ही धोने लगी तो रूद्र की मम्मी ने रोकते हुए कहा,”अरे ! बेटा ये क्या कर रही हु तुम ?


“जी मैं वो इन्हे साफ……………..!!”,पाकीजा ने कहा
“नहीं बेटा हमारे घर में बेटियों से ये सब काम नहीं करवाया जाता , इन्हे वही छोड़ दो”,रूद्र की मम्मी ने प्यार से पाकीजा के गाल को छूकर कहा l
पाकीजा ने बर्तन वही छोड़ दिए l
रूद्र की मम्मी ने उसके चेहरे को अपने हाथो में लिया और कहने लगी,”कितनी प्यारी बच्ची है , तुम्हे देखकर ऐसे लगता ही नहीं है जैसे तुम अजनबी हो l

लगता है जैसे यहा से तुम्हारा कोई बहुत गहरा रिश्ता हो l यहाँ तुम्हे अच्छा तो लग रहा है न बेटा ? किसी तरह की कोई परेशानी हो तो मुझसे कह सकती हो l”
उनकी बात सुनकर पाकीजा की आँखों में आंसू भर आये
“अरे ! इतनी प्यारी आँखों में आंसू क्यों ?”,रूद्र की मम्मी ने प्यार से पूछा l


“आज से पहले हमसे किसी ने इस तरह से बात नहीं की ! “,पाकीजा ने आँखों के किनारे आये आंसुओ को पोछते हुए कहा
रूद्र की मम्मी ने उसका सर चुम लिया और कहा,”मैं तो तुमसे ऐसे ही बात करुँगी l चलो अब मुस्कुराओ
पाकीजा मुस्कुरा उठी l रूद्र वही खड़ा दोनों की बात सुन रहा था l कुछ देर बाद पाकीजा वहा से जाने लगी रूद्र भी उसके साथ साथ चलने लगा तो पाकीजा ने कहा,”शुक्रिया !!


“वो किसलिए ?”,रूद्र ने हैरानी से पूछा l
“मुझे यहाँ लाने के लिए , अगर मैं यहाँ नहीं आती तो कभी जान ही नहीं पाती की कुछ लोग इतने अच्छे भी होते है”,पाकीजा ने सहजता से कहा
“क्योकि तुम अच्छी हो , तुम्हारा मन अच्छा है l लोग इतने बुरे नहीं होते जितना कभी कभी हम समझ लेते है”,रूद्र ने कहा

दोनों साथ साथ चलते हुए बाते कर रहे थे तभी भावना आयी और कहा,”मुझे तुमसे कुछ बात करनी है” कहते हुए भावना रूद्र का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए वहा से ले गयी l रूद्र ने पलटकर पाकीजा की और देखा पाकीजा उसी जगह खड़ी रूद्र को दूर जाते हुए देखती रही l उसे लगा जैसे कोई उसके सीने से उसका दिल निकालकर ले जा रहा है पहली बार पाकीजा को रूद्र का यु दूर जाना अच्छा नहीं लग रहा था l वह ख़ामोशी से अपने कमरे की और बढ़ गयी l

भावना रूद्र के साथ अकेले में थोड़ा टाइम बिताना चाहती थी l उसने रूद्र से ड्राइव पर चलने को कहा l रूद्र का मन नहीं था लेकिन भावना बार बार फाॅर्स करने लगी रूद्र के पापा कुछ ही दूर खड़े दोनों को देख रहे थे
“देखिये ना अंकल , रूद्र मेरे साथ बाहर जाना नहीं चाहते”, भावना ने कहा
रूद्र के पापा ने रूद्र को देखा और कहा,”कोई बात नहीं बेटा , वो थका हुआ है फिर कभी चले जाना”


भावना का चेहरा उतर गया l
“कोई बात नहीं पापा मैं ले जाऊंगा “,रूद्र ने कहा और भावना से चलने का इशारा किया l दोनों गाड़ी में आ बैठे रूद्र ने गाड़ी स्टार्ट की और भावना को लेकर निकल गया l रास्ते भर रूद्र खामोश रहा भावना ही कुछ न कुछ बोलती रही और रूद्र बस हु हा में जवाब देता रहा l रूद्र चुपचाप गाड़ी चलाता रहा भावना ने म्यूजिक सिस्टम ऑन किया और अपना सर रूद्र के कंधे पर टिका दिया l


अँधेरा होने से पहले दोनों वापस लौट आये l रूद्र ने गाड़ी घर के पार्किंग में रोकी भावना ने देखा घर आ चूका है l उसने रूद्र को मुस्कुराकर थैंक्यू कहा l रूद्र फीका सा मुस्कुरा दिया l रूद्र गाड़ी से उतरने लगा तो भावना ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया l रूद्र हैरानी से भावना की तरफ देखने लगा l भावना रूद्र के करीब आयी और जैसे ही उसने अपने होंठो से रूद्र के होंठो को छूना चाहा रूद्र ने उसे रोक दिया
“क्या हुआ रूद्र ?”,भावना ने कहा


“भावना ! आई ऍम नॉट कम्फर्टेबल प्लीज़”,रूद्र ने कहा
“रूद्र दो दिन बाद हमारी सगाई है इसमें गलत क्या है ? इट्स नार्मल !”,भावना ने कहा
“हां जानता हु हमारी सगाई होने वाली है पर इस वक्त मैं इसके लिए तैयार नहीं हु सॉरी”,रूद्र ने कहा
“तुम बदल गए हो रूद्र ! तुम वो हो ही नहीं जो मुझसे पहली बार मिले थे l”,भावना ने कहा


“अंदर चलते है सब हमारा इंतजार कर रहे है”,कहते हुए रूद्र गाड़ी से निचे उतर गया और बिना भावना का इंतजार किये अंदर चला गया l
उदासी ने उसके चेहरे को अपनी गिरफत में लिया हुआ था l भावना भी गाड़ी से उतरकर रूद्र के पीछे पीछे अंदर आ गयी जैसे ही दोनों अंदर आये रूद्र की नजर सामने बैठी पाकीजा पर चली गयी l

सोफे पर बैठी काव्या और पाकीजा घर का एल्बम देख रही थी और मुस्कुरा रही थी l पाकीजा को देखते ही रूद्र के चेहरे की सारी उदासी गायब हो गयी और सहसा ही उसके होंठो पर मुस्कान तैर गयी l भावना ने देखा तो जल भून गयी और वहा से चली गयी l

अगली सुबह आरती के समय सभी हॉल में जमा थे रूद्र की मम्मी ने पाकीजा को भी बुला लिया l हलके गुलाबी रंग के सूट में वह बहुत ही प्यारी लग रही थी l वही भावना ने जींस और टॉप पहना हुआ था l रूद्र की मम्मी को भावना का इस तरह के कपडे पहनकर आना अच्छा नहीं लग रहा था पर वो चुप रही l आरती के बाद सभी हॉल में जमा हो गए l तभी डोरबेल बजी काव्या ने जाकर दरवाजा खोला सामने राजीव खड़ा था


“राजीव भैया आप कब आये ?”,काव्या ने राजीव के गले लगते हुए कहा l
“क्या करू दोस्त तो मेरा इतना नालायक है की खुद से बुलाएगा नहीं इसलिए मैं ही चला आया”,राजीव ने कहते हुए काव्या के कंधे पर हाथ रखा और अंदर आ गया
“अरे राजीव बेटा ! आओ”,रूद्र की मम्मी ने कहा l


“सब साइड में हो जाओ मैं सबसे पहले अपनी हों वाली भाभी से मिलूंगा जिसने इस सख्त पुलिस वाले को पिघला दिया है”,कहते हुए राजीव न सबको देखा l

राजीव की नजर पाकीजा पर पड़ी हलके गुलाबी रंग का सूट , कानो में झुमके , सलीके से कंधो पर लगा दुपट्टा l
राजीव पाकीजा की तरफ बढ़ा वह उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और कहा

“शादी मुबारक हो भाभी”

कहते हुए राजीव ने पाकीजा को गले लगाया और फिर दूर होकर रूद्र से कहा ,

” तेरी किस्मत से जलन हो रही है अब मुझे , इतनी प्यारी लड़की तेरी जिंदगी में आने वाली है l “

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