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पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 39

Pakizah – 39

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 39

शिवेन की मौत की खबर सुनकर पाकीजा बेहोश होकर गिर पड़ी l सुबह तक उसे होश आया तब तक शिवेन के मम्मी पापा भी हॉस्पिटल आ गए l अविनाश जी ने शिवेन के बारे में सुना तो दिल थामकर वही बेंच पर बैठ गए अपने इकलौते बेटे की मौत का सदमा शायद बर्दास्त नहीं कर पाए l नीलम का रो रोकर बुरा हाल था


पाकीजा को जैसे ही होश आया वह शिवेन का नाम लेकर चींख पड़ी l राघव और मयंक वही थे पाकीजा उठी और राघव से कहा ,”शिवेन जी कहा है ? कैसे है वो ? मुझे उनके पास जाना है”
“पाकीजा हिम्मत से काम लो ! शिवेन अब इस दुनिया में……………..!!”,कहते कहते राघव रुक गया उसकी आँखो से आंसू बहने लगे गला रुंध गया l


“कुछ नहीं हुआ है शिवेन जी को ,वो ठीक हो जायेंगे l एक बार मुझे उनके पास जाने दो ,, मुझे उनसे मिलने दो”,पाकीजा ने चिल्लाकर कहा और जाने लगी
राघव जानता था रूम से बाहर शिवेन के मम्मी पापा है पाकीजा को देखकर वो गुस्से में उसे कुछ कह ना दे ये सोचकर उसने पाकीजा का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खिंचा और कहा,”पाकीजा तुम्हे कही नहीं जाना है
“नहीं मैं जाउंगी मुझे शिवेन जी से मिलना है”


‘मैंने कहा ना शिवेन से नहीं मिल सकती तुम ,
“एक बार मुझे उनसे मिलने दीजिये , वो कैसे है मुझे देखना है उनको”
‘पाकीजा मेरी बात को समझो इस वक्त तुम्हारा बाहर जाना ठीक नहीं है’
“मुझे जाना है , मुझे कुछ नहीं समझना मुझे शिवेन जी से मिलना है बस”,चिल्ला पड़ी पाकीजा

“तड़ाक !!!

एक जबरदस्त थप्पड़ राघव ने पाकीजा के गाल पर मारा और कहा ,”मर चुका है तुम्हारा शिवेन , अब वो लौटकर कभी नहीं आएगा l समझ क्यों नहीं रही हो तुम ? “
पाकीजा सुन्न हो गयी उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था , आंसू उसकी आँखों से बहकर गालो पर आ गए l राघव की आँखे भी आंसुओ से भर आयी l पाकीजा राघव के पास आयी और रोते हुए कहने लगी l


“कह दीजिये की ये झूठ है l शिवेन जी हमे अकेला छोड़कर नहीं जा सकते l”
“ये सच है पाकीजा शिवेन अब हमारे बिच नहीं रहा”,मयंक ने पाकीजा के कंधे पर हाथ रखते हुए भराये गले से कहा l
पाकीजा की आँखों से आंसू झर झर बहने लगे l वो कुछ देर खामोश खड़ी रही और फिर बड़बड़ाने लगी ,”ये सब हमारी वजह से हुआ है , ना हम उनकी जिंदगी में आते ना उन्हें हमसे प्यार होता और ना ही उनकी जान जाती l

हमारी वजह से उनकी जान गयी है , हम किसी के लायक नहीं है , हमे…………हमे जीने का कोई हक़ नहीं है l शिवेन जी नहीं रहे हमे भी अब जिन्दा रहने का कोई हक़ नहीं है ……………कोई हक़ नहीं है”
कहते कहते पाकीजा ने टेबल पर रखा धारदार सामान उठा लिया l
राघव और मयंक उसकी तरफ तेजी से आये और पाकिजा के हाथ से छीनने की कोशिश करने लगे l

पाकीजा ने जब राघव की बात नहीं सुनी तो उसने एक बार फिर पाकीजा को थप्पड़ मार दिया l हथियार उसके हाथ से छूटकर निचे जा गिरा l
“पागल हो गयी ! ये क्या करने जा रही थी तुम ?”,राघव ने चिल्लाकर कहा l
“हमे मर जाने दीजिये राघव जी , हमारी वजह से शिवेन जी आज इस दुनिया मे नहीं है और इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ हम है”,पाकीजा ने राघव के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा l


राघव ने पाकीजा के हाथो को थाम लिया और दुखी होकर कहा,”तुम 100 बार भी कहोगी तब भी मैं ये मानने को तैयार नहीं हु की शिवेन को तुमने मारा है l कल रात क्या हुआ मुझे सब सच सच बताओ पाकीजा ?”,
पाकीजा ने रोते हुए राघव और मयंक को सारी बात बता दी l राघव और मयंक के चेहरे पर गुस्से के भाव तैरने लगे
“उस पाटिल को तो मैं छोडूंगा नहीं”,मयंक ने गुस्से से भरकर कहा l


“पाटिल और कमिशनर के साथ मेरे डेड भी मिले हुए है l ये जानते हुए भी की शिवेन मेरा दोस्त है उन्होंने पाटिल का साथ दिया l आज उन्हें अपना डेड कहने में भी मुझे शर्म आ रही है”,राघव ने नफरत से कहा
“हमारी आँखों के सामने उन लोगो ने उन्हें मार डाला और हम कुछ नहीं कर पाए l हम उन्हें नहीं बचा पाए , हम कभी खुद को माफ़ नहीं कर पाएंगे l”,कहते कहते पाकीजा रोने लगी


राघव से पाकीजा का दर्द देखा नहीं गया तो उसने उसे सीने से लगा लिया और कहा,”शांत हो जाओ पाकीजा उन लोगो को मैं छोडूंगा नहीं जिन्होंने तुमसे तुम्हारा प्यार और हमसे हमारा दोस्त छिना है l उन गुनहगारों को मैं सजा दिलवा कर रहूंगा फिर चाहे वो मेरे डेड ही क्यों ना हो”

राघव और मयंक पाकीजा को सांत्वना देने में लगे थे तभी दरवाजा खोलकर पुलिस अंदर आयी l
“पाकीजा ! शिवेन के क़त्ल के इल्जाम में मैं आपको अरेस्ट करता हु”,इंस्पेक्टर ने कहा l
राघव मयंक और पाकीजा ने सुना तो हैरान हो गए l
“आपके पास इस बात का क्या सबुत है की शिवेन का क़त्ल पाकीजा ने किया है”,मयंक ने आगे आकर कहा


“वारदात की जगह पर चाकू मिला है जिस पर पाकीजा की उंगलियों के निशान है l”,इंस्पेक्टर ने सधी हुई आवाज में कहा
“इंस्पेक्टर सर आपको जरूर कोई ग़लतफ़हमी हुई है पाकीजा ऐसा नहीं कर सकती , वो टी शिवेन से बहुत प्यार करती है हाल ही में दोनों की शादी हुयी है l ये सब उस पाटिल की चाल है”,राघव ने कहा
“जो कुछ भी कहँना है कोर्ट में जाकर कहना , अरेस्ट हर”,इंस्पेक्टर ने साथ आयी महीला पुलिसकर्मी की तरफ देखकर कहा


पाकिजा के हाथो में हथकडिया पहना दी गयी l राघव और मयंक ने इंस्पेक्टर को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी और पाकीजा को लेकर कमरे से बाहर निकल गयी l राघव और शिवेन भी पीछे पीछे चले आये l राघव ने पाकीजा के पास आकर कहा,”डरो मत पाकीजा मैं तुम्हारे साथ हु , मैं जमानत के पेपर लेकर आता हु शिवेन को तो मैं नहीं बचा सका पर उसकी अमानत को मैं कुछ नहीं होने दूंगा”


पाकीजा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और आगे बढ गयी l उसका चेहरा भावना हीन हो गया वो कुछ महसूस ही नहीं कर पा रही थी l जिस इंसान से वह प्यार करती थी उसी के खून का इल्जाम उस पर लगाया गया है सोचकर पाकीजा का दिल टुकड़े टुकड़े हो गया l बाहर से भले वह खामोश थी पर अंदर का शोर चीख चीख कर सबसे पूछना चाहता था की आखिर क्यों ? क्यों उसकी जिंदगी में इतना दर्द लिख दिया उसके खुदा ने l


दोनों हाथो में हथकडिया पहने पाकीजा पुलिस वालो के साथ आगे बढ़ रही थी तभी नीलम उसके सामने आई पाकीजा रुक गयी नीलम ने पाकीजा को गुस्से से देखा और एक झन्नाटेदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद करते हुए कहा,”मिल गयी तेरे कलेजे को ठंडक ! क्या मिला तुझे मेरे बच्चे की जान लेकर , उसने तो तुझसे प्यार किया था न और तूने उसी की जान ले ली एक बार भी नहीं सोचा हम लोगो के बारे में l खुनी है तू मेरे बच्चे ने आखिर तेरा क्या बिगाड़ा था”


कहते हुए नीलम फुट फुट कर रोने लगी l राघव ने उन्हे सम्हाला पाकीजा के चेहरे पर अब भी कोई भाव नहीं थे l पुलिस उसे लेकर आगे बढ़ गयी l मैन गेट पर पहुंचे तो स्ट्रेक्चर पर किसी सीरियस पेशेंट को लाया जा रहा था l उसके चारो और घबराये हुए लोग थे l पाकीजा जैसे ही स्ट्रेक्चर के पास से गुजरी उसकी साड़ी का पल्लू हवा में उड़ता हुआ l

स्ट्रेक्चर पर लेटे उस आदमी के हाथो को छू गया l पाकीजा आगे बढ़ गयी और वार्ड बॉय तेजी से स्ट्रेक्चर सिटी हॉस्पिटल के अंदर लेकर चला गया l
पाकीजा को पुलिस जीप में बैठाकर इंस्पेक्टर ने कॉन्स्टेबल से पूछा,”क्या हुआ ये यहाँ इतनी भीड़ क्यों है ?”


“सर अभी अभी स्ट्रेचर पर जिस लेकर गए है वो कोई पुलिस वाला है , किसी ने उन पर गोली चला दी थी , ये भीड़ उन्ही के परिवार वालो की है “,कॉन्स्टेबल ने कहा
“अच्छा ठीक है , जीप में बैठो और गाड़ी को थाने ले चलो”,कहते हुए इंस्पेक्टर गाड़ी में जा पहुंचा l

धूल का गुब्बार उड़ाती जीप वहा से निकल गयी l

रूद्र ने किताब बंद कर दी l दिमाग में सेंकडो सवाल चलने लगे उसे वह दिन याद आया जब भावना की शादी वाले दिन उस पर गोली चली थी l
भावना के मंगेतर ने जैसे ही गुस्से में भावना पर गोली चलाई रूद्र बिच में आ गया l गोली सीधा उसके सीने में जा लगी l भावना की चीख सुनकर सभी वहा जमा हो गए l लड़का वहा से भाग गया l भावना के पापा और लोगो ने मिलकर रूद्र को हॉस्पिटल पहुंचाया l


इमर्जेन्सी के बाहर भीड़ जमा हो गयी l 2 घंटे की जद्दोजहद के बाद रूद्र की जान को बचाया गया लेकिन अभी भी उसकी जान को खतरा था l गोली सीने में लगी थी जिसका सीधा सीधा असर रूद्र के दिल पर हुआ l डॉक्टर बाहर आया और रूद्र के पापा से कहा,”देखिये उनकी जान तो हमने बचा ली है l उनके सीने में गोली लगी थी वो भी निकाली जा चूकी है लेकिन…………..!! “,


“लेकिन क्या डॉक्टर साहब ?”,रूद्र के पापा ने बेचैनी से कहा l
“उनकी जान को अब भी खतरा हैं , गोली उनके हार्ट के बिल्कुल करीब जाकर लगी है जिसकी वजह से वहां इंफेक्शन के चांस बहुत ज्यादा है और हार्ट के डेमेज होने का भी खतरा है l इन्हे किसी बड़े हार्ट स्पेस्लिस्ट के ट्रीटमेंट की जरूरत है जल्द से जल्द अगर इलाज नहीं हुआ तो ये कॉमा में भी जा सकते है”,डॉक्टर ने कहा


डॉक्टर की बात सुनकर रूद्र के पापा वह बेंच पर बैठ गए इकलौते बेटे पर ये कैसी मुसीबत आ गयी थी l डॉक्टर्स वहा से चले गए l रूद्र की मम्मी रोने लगी तो काव्या ने उन्हें सम्हाला पर आंसू उसकी आँखों से भी बह रहे थे , न वह रूद्र से शादी में चलने का कहती ना ये हादसा होता l
“आप चिंता मत कीजिये , रूद्र को कुछ नहीं होगा l दिल्ली में मेरे दोस्त का लड़का डॉक्टर है l हम रूद्र को वहा लेकर चलते है “,भावना के पापा ने रूद्र के पापा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा l


“कुछ भी कीजिये बस मेरे बच्चे को बचा लीजिये”,कहते हुए रूद्र के पापा रो पड़े l
रातभर सभी हॉस्पिटल में रुके l सुबह जल्दी ही काव्या , भावना और भावना की मम्मी को घर भेज दिया और रूद्र को लेकर दिल्ली के लिए निकल गए l सिटी हॉस्पिटल पहुंचकर भावना के पापा अपने दोस्त के बेटे डॉक्टर राजीव से मिले l किस्मत से राजीव उन्हें वही मिल गया रात भर से किसी केस के चलते वह हॉस्पिटल ही था l

भावना के पापा ने राजीव को सारी बात बताई और मेरठ में हुए ट्रीटमेंट की फाइल उसे सौंप दी l राजीव ने रूद्र की फाइल देखी उसके माथे पर शिकन आ गयी उसने फाइल बंद करते हुए रूद्र और भावना के पापा से कहा,”घबराईये मत रूद्र को कुछ नहीं होगा”
राजीव इमर्जेन्सी वार्ड की तरफ बढ़ गया जहा रूद्र को एडमिट किया था l राजीव ने अपने सीनियर्स डॉक्टर्स से बात करके रूद्र का इलाज शुरू कर दिया l

रूद्र अपने अतीत से बाहर आया l सुबह हो चुकी थी उसने अपना फोन उठाया और राजीव को फोन लगाया
राजीव – हेलो ! गुड़ मॉर्निंग रूद्र क्या बात है आज सुबह सुबह फोन किया ? सब ठीक तो है
रूद्र – डेढ़ साल पहले मुझे क्या हुआ था राजीव ?
रूद्र के सवाल से राजीव की नींद खुल गयी वह बिस्तर पर उठ बैठा और घबराते हुए कहा,”ये आज अचानक तूम ये सब क्यों पूछ रहे हो ?


रूद्र – राजीव मुझसे कुछ मत छुपाओ सच सच बताओ मेरे साथ क्या हुआ था ? (गुस्से से चिल्लाकर)
राजीव – रूद्र शांत हो जाओ , इतना गुस्सा तुम्हारी सेहत के लिए ठीक नहीं है
रूद्र – गुस्सा ना करू तो और क्या करु ? कोई भी मुझे बताने को तैयार नहीं हर रोज मैं महसूस करता हु की कुछ तो हुआ है लेकिन क्या ? मैं जानता हु तुम्हे सब पता है इसलिए तुमसे रिक्वेस्ट करता हु राजीव प्लीज़ बताओ क्या हुआ है मेरे साथ ?


राजीव – तुम्हारा हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है रूद्र (ठन्डे स्वर में)
रूद्र के हाथ से फोन गिरते गिरते बचा उसने कहा,”ये तुम क्या कह रहे हो राजीव ? (अविश्वास प्रकट करते हुए)
राजीव – ये सच है रूद्र ! जब तुम्हे इलाज के लिए दिल्ली लाया गया था तब तुम्हारा हार्ट डेमेज होना शुरू हो चूका था l तुम्हे बचाने की हमारी सारी कोशिशे असफल थी और उसके बाद सीनियर डॉक्टर्स ने “हार्ट ट्रांसप्लांट” का सुझाव दिया ,

पर इतनी जल्दी तुमसे मैच होता हार्ट मिलना भी मुश्किल था और साथ ही तुम्हारा ब्लड ग्रुप भी बहुत रेयर था l लेकिन तुम्हारी किस्मत अच्छी थी l उसी दिन वहा एक पोस्टमार्टम था जिसका हार्ट तुमसे मैच हो रहा था और ब्लड ग्रुप भी l वो कोई ईश्वर की मर्जी ही थी जो वह इंसान मरते मरते तुम्हे जिंदगी दे गया”
रूद्र साँस रोके सब सुनता रहा और फिर कहा,”वो था कौन ?


राजीव – जिस सुबह तुम्हे हॉस्पिटल लाया गया था उसके पहली रात एक सीरियस केस आया था l एक लड़के का बेरहमी से क़त्ल किया गया था l आखरी वक्त तक वह अपनी सांसो से लड़ता रहा लेकिन हम उसे बचा नहीं पाए l उसका हार्ट तुम्हारे काम आ गया l
रूद्र – राजीव क्या तुम मुझे उसकी डिटेल्स मेल कर सकते हो ?
राजीव – गिव मी 20 मिनिट्स मैं सेंड करता हु l


रूद्र – थैंक्यू राजीव
राजीव – रूद्र !! ध्यान रहे घर में ये बात किसी को पता न चले की तुम सच जान गए हो
रूद्र – मैं ध्यान रखूंगा l बाय

रूद्र ने फ़ोन काट दिया और लेपटॉप खोलकर बेसब्री से राजीव के मेल का इंतजार करने लगा l रूद्र के लिए इंतजार करना मुश्किल हो रहा था वह बेचैनी से कमरे में चक्कर काटने लगा l 25 मिनिट बाद रूद्र को राजीव का मेल मिला l रूद्र ने जल्दी से मेल ओपन किया l रूद्र ने जैसे ही डोनर का नाम देखा उसका दिल तेजी से धड़क उठा l सामने स्क्रीन पर लिखा था

“शिवेन मल्होत्रा सन ऑफ़ अविनाश मल्होत्रा”

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Continue With Part Pakizah – 40

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