Sanjana Kirodiwal

Telegram Group Join Now

पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 6

Pakizah – 6

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Pakizah – 6

किसी अनहोनी के डर से रुद्र तुरन्त घर के लिए निकला l रास्ते भर परेशानी के भाव उसके चेहरे पर आते जाते रहे l रुद्र घर पहुचा दरवाजा खुला हुआ था रुद्र सीधा अंदर गया उसने देखा रघु कही नही है l रुद्र ने देखा घर का सारा सामान जैसे का तैसा रखा हुआ है l

रुद्र अपने कमरे में गया वहां भी सब सामान अपनी जगह पर था रुद्र बाहर आया परेशान सा वह इधर उधर देख ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने रखी स्टडी टेबल पर गयी रुद्र जल्दी से वहां आया उसने देखा टेबल पर रखे कागज अस्त व्यस्त है उसका दिल बैठा जा रहा था l रुद्र ने देखा पाकीजा के केस की फाइल वहां नही है l


रुद्र ने सारी ड्रावर को छान मारा लेकिन फ़ाइल कही नही मिली l रुद्र की नजर टेबल पर रखें एक कागज पर गयी रुद्र ने कागज उठाया

“अभी तो खेल शुरू हुआ है ! रुद्र”

रुद्र ने पढ़ा तो उसे समझते देर नही लगी कि पाकीजा केस की फ़ाइल यहां से निकाली जा चुकी है l रुद्र ने कागज को मोड़कर फेक दिया उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि आखिर उसने फाइल को लेकर इतनी लापरवाही क्यों बरती ? साथ ही उसने बिना किसी वेरिफिकेशन के रघु को काम पर रखा l
हो ना हो वो फ़ाइल रघु ने ही गायब की है पर इन सब के पीछे किसका हाथ हो सकता है l रुद्र का दिमाग झन्ना गया वह पास रखी कुर्सी पर बैठ गया और इस सब साजिश के बारे में सोचने लगा ll

पाकीजा की फ़ाइल गायब थी l
हर्षद भी कुछ बताने को तैयार नही था l
पाकीजा कुछ बोलना नही चाहती थी l

रुद्र को कुछ समझ नही आ रहा था कि वह क्या करे और फिर उसके दिमाग मे एक बात आई एक आखरी उम्मीद जो कि पाकीजा खुद थी l इस उलझी हुई गुत्थी को अब वही सुलझा सकती थी l
सारी रात रुद्र इस बारे में सोचता रहा
अगली सुबह रुद्र घर से बाहर आया गाड़ी स्टार्ट की ओर सेंट्रल जेल की तरफ निकल गया l रुद्र जेल पहुचा ओर महेश से पाकीजा से मिलने की परमिशन मांगी l महेश ने रुद्र को बैठने के लिए कहा l

रुद्र इन्वेस्टिगेशन रूम में आकर पाकीजा का इंतजार करने लगा l कुछ देर बाद पाकीजा आयी और आकर रुद्र के सामने खड़ी हो गयी रुद्र ने उसे बैठने का इशारा किया l पाकीजा सामने रखी कुर्सी पर बैठ गयी l
“पाकीजा मैं बार बार सिर्फ यहाँ तुमसे तुम्हारी कहानी जानने आया हु इसके अलावा मैं तुमसे कुछ नही चाहता”,रुद्र ने सहज भाव से कहा
“मुझे इस बारे में आपसे कोई बात नही करनी है सर”,पाकीजा ने अपनी पलके झुकाकर कहा


रुद्र – पर मैं करना चाहता हु , जानना चाहता हु तुम्हारी कहानी ! और सिर्फ तुम्हारी कहानी ही नही बहुत कुछ है जो तुम्हारी कहानी से जुड़ा है l बहुत से गुनहगारों के चेहरे सामने आ सकते है सिर्फ तुम्हारी कहानी से !
पाकीजा – मुझे बाकी सबसे कोई फर्क नही पड़ता l
रुद्र – मुझे पड़ता है , आज यहां तुम हो कल उन लोगो की वजह से कोई और यहां होगी l

प्लीज़ पाकीज़ा मैं भरोसा दिलाता हु उन सबको इन सलाखों के पीछे लाऊंगा बस तुम मेरा साथ दे दो
पाकीजा – आप सिर्फ अपना वक्त बर्बाद कर रहे है सर
रुद्र – तुम्हे इंसाफ दिलाने के लिए मैं अपना सबकुछ बर्बाद कर सकता हु

पाकीजा ने देखा ये कहते हुए रुद्र की आंखों में एक अलग ही अहसास था l एक भरोसा एक अपनापन था पाकीजा उसकी आँखों मे देखती रही तो रुद्र ने कहा – एक बार मुझपर भरोसा करके देखो पाकीजा तुम्हे निराश नही करूंगा l जान बूझकर अपनी जिंदगी को नरक मत बनाओ ,,
पाकीजा का दिल किया रुद्र पर भरोसा कर ले पर अगले ही पल उसका अतीत आंखों के सामने आ गया आंखे भय और दर्द से नम हो गयी l

रुद्र उन नम आंखों को देख ना ले ये सोचकर पाकीजा ने चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया l रुद्र ने पाकीजा का उदास चेहरा देखा तो उसे बुरा लगने लगा l
एक अलग ही अहसास था उसके ओर पाकीजा के बीच ! कोई रिश्ता ना होकर भी दोनो एक दुसरे से जुड़े थे l पाकीजा को लेकर रुद्र इतना भावुक क्यों होने लगा था वह खुद नही जानता था l कुछ देर कमरे में खामोशी छाई रही और फिर रुद्र ने कहा

पाकीजा ! जानता हूं तुम्हारे साथ बहुत गलत हुआ है , शायद इतना कि अब तुम्हे किसी पर भरोसा करने से पहले 100 बार सोचना पड़े l लेकिन एक आखरी बार तुम मुझपर भरोसा कर सकती हो बदले में मुझे तुमसे कुछ नही चाहिए भरोसा रखो l तुम्हारी आजादी मेरी लाइफ का सबसे बड़ा अचीवमेंट होगा प्लीज़ पाकीजा !
पाकीजा अपनी नजर झुकाए चुपचाप सब सुनती रही l


“वैसे भी तुम मेरी आखरी उम्मीद हो , तुम्हारे केस की फ़ाइल तो मैं पहले ही खो चुका हूं”,रुद्र ने निराशा भरे स्वर में कहा l
“वो फ़ाइल खोई नही है बल्कि चुराई गयी है”,पाकीजा ने अपनी बड़ी बड़ी पलके उठाकर कहा
“तुम्हे कैसे पता ?”,रुद्र ने हैरानी से कहा
“क्योंकि वो फ़ाइल मैंने ही वहां से उठवाई है”,पाकीजा ने सधी हुई आवाज में कहा


“क्या ?……………पर क्यों ?”,रुद्र की हैरानी बरकरार थी l
“क्योंकि मैं नही चाहती आप मेरे करीब आओ , मेरी कहानी जानो “,पाकीजा ने आवाज को थोड़ा तेज करके कहा l
रुद्र बस हैरानी से पाकीजा के चेहरे को देखे जा रहा था l
“मत कीजिये सर प्लीज़ ! जो जख्म भर चुके है उन्हें फिर से हरा मत कीजिये l

मुझे कोई इंसाफ नही चाहिए , इन चार दीवारों के बाहर मेरा कोई नही है सर जिसके लिए मैं नई जिंदगी की उम्मीद रखु l मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए “,पाकीजा ने दर्दभरी आवाज में कहा
“लेकिन पाकीजा ………………..!!”,रुद्र कहते कहते रुक गया l
पाकीजा उठ खड़ी हुई और हाथ जोड़ते हुए कहा – बस सर अब ओर नही , प्लीज़ जाईये यहां से
कहते हुये पाकीजा की आंखों में नमी तैर गयी l

रुद्र उसकी आवाज में आये दर्द को महसूस कर सकता था वह उठा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया चलते चलते रुका तो पाकीजा ने कहा – मुझपर एक अहसान करेंगे सर
रुद्र – कहो !!
“आज के बाद यहां कभी मत आईयेगा “,कहकर पाकीजा ने अपना चेहरा घुमा लिया l रुद्र तेज कदमो से वहां से चला गया पाकीजा की आंखों से आंसू बहने लगे l बाहर खड़ा महेश सभी बातें सुन रहा था उसे पाकीजा का इस तरह बात करना बिल्कुल अच्छा नही लगा वह कमरे में आया और कहा तुम आखिर चाहती क्या हो ?

वो तुम्हारी बिना किसी स्वार्थ के मदद करना चाहता है फिर भी तुम उसे समझ नही पा रही हो l तुम्हें इंसाफ दिलाने के लिए वो किन किन मुसीबतों का सामना कर रहा है ये जानती भी हो तुम l बिना उसके बारे में जाने पहचाने तुमने उसे यहां से जाने के लिए कह दिया l कितना दुख हुआ होगा उसे ? वो सिर्फ तुम्हारी मदद करने के इरादे से यहां आया था पाकीजा लेकिन तुम्हे तो हर मर्द अब एक जैसा लगता है “


पाकीजा चुपचाप मुंह फेरे आंसू बहाती रही l पाकीजा को चुप देखकर महेश ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा – चुप क्यों हो जवाब क्यों नही देती ?
पाकीजा पलटी तो उसकी आँखों मे आंसू भरे हुए थे महेश ने देखा तो हैरानी से पूछा – तुम रो रही हो ?
पाकीजा ने अपनी आंखों से आंसू पोछे ओर कहने लगी – माफ कर दीजिए सर ! मैंने उनका दिल दुखाया लेकिन ये सब करने के पीछे बहुत बड़ी वजह है और वो है मेरा अतीत l

आज तक जिसने भी मेरी मदद करनी चाही उनके साथ उन लोगो ने बुरा बर्ताव किया मैं नही चाहती थी रुद्र सर के साथ कुछ गलत हो l मैं नही चाहती मेरी वजह से उनपर कोई मुसीबत आये l मैं इन चार दीवारों में अपनी जिंदगी काट लुंगी पर अगर मेरी वजह से रुद्र सर को कुछ हो गया तो खुद को कभी माफ नही कर पाऊंगी सर !”


पाकीजा की आंखों से आंसू बहने लगते है l महेश को कुछ समझ नही आ रहा था l
कौन सही था रुद्र जो पाकीजा को इंसाफ दिलाना चाहता था या फिर पाकीजा जो अपने अतीत के चलते रुद्र को मुसीबत में डालना नही चाहती थी l
पाकीजा वहां से चली गयी l

पुलिस स्टेशन

रुद्र पुलिस स्टेशन आता है रुद्र को देखते ही असलम उसके पास आया ओर कहा – सर एक गुड़ न्यूज है
रुद्र – क्या असलम ?
असलम – सर हर्षद बयान देने के लिए तैयार हो गया है , उसने कहा है वह सब सच बता देगा
रुद्र – आह ! इतने दिनों में ये पहली एक अच्छी खबर सुनी है
असलम – हा सर अब जल्दी इन लोगो का पर्दाफाश हो जाएगा l


रुद्र – असलम आज शाम ही हर्षद को बड़े जेल लेकर जाने का आर्डर मिला है वही पर बड़े अफसर की निगरानी में उसका बयान रिकॉर्ड किया जाएगा
असलम – ठीक है सर मैं सब तैयारी कर लूंगा
रुद्र अपने केबिन की तरफ बढ़ गया l रुद्र जब केबिन में आया तो रागिनी भी पीछे पिछे कॉफी का कप लिए केबिन में आ गयी और कॉफी रुद्र की तरफ बढ़ाकर कहा – सर कॉफी पीजिए


“thankyou रागिनी , तुम्हे कैसे पता मुझे कॉफी की जरूरत है”,रुद्र ने रागिनी के हाथ से कॉफी का कप लेते हुए कहा l
“सर आप जब भी बहुत ज्यादा परेशान होते है कॉफी पीते है”,रागिनी ने मुस्कुराकर कहा
“गुड़ ! काफी नोटिस करती हो तुम “,रुद्र ने अपनी कुर्सी पर बैठते हुए कहा l
“नोटिस तो सिर्फ आपको ही करती हूं सर”,रागिनी बुदबुदाई


“तुमने कुछ कहा ?”,रुद्र ने कॉफी पीते हुए कहा l
“न नही सर मैं चलती हु , एन्जॉय योर कॉफी”,रागिनी ने कहा और केबिन से बाहर निकल गयी l
केबिन से बाहर निकलते हुए रागिनी असलम से टकरा गई l असलम मुस्कुराया लेकिन रागिनी बिना उसकी तरफ ध्यान दिये वहां से चली गयी l असलम रुद्र के केबिन में आया और फिर उसके साथ हर्षद का केस डिस्कस करने लगा l

शाम 4 बजे का समय

असलम पुलिस फोर्स के साथ हर्षद को वेन में लेकर आकर बैठ गया l आगे पुलिस की गाड़ी थी जिसमे रुद्र प्रवीण ओर कुछ सिपाही ओर थे वेन के पीछे भी एक गाड़ी थी l पूरे कड़े इंतजाम के साथ हर्षद को बड़ी जेल ले जाया जा रहा था l तीनो गाड़िया जैसे ही थाने से निकली l स्टेशन में रखे फोन से किसी ने फोन किया और कहा
“सर वो लोग यहाँ से निकल चुके है , टोल नाके से जाते हुए बड़ी जेल जाएंगे”

दूसरी तरफ से कोई जवाब नही आया ओर फोन कट गया l
हर्षद को ले जाते हुए रुद्र को बहुत टेंशन थी वह सोचने लगा कि आखैर हर्षद इतनी आसानी से बयान देने को कैसे तैयार हो गया l
गाड़िया टोल नाके पहुची l टोल नाके से जैसे ही गाड़ी आगे बढ़ी सामने से आते एक ट्रक ने वेन को टक्कर मार दी l

वेन लुढ़कती हुई सड़क से कुछ दूर जा गिरी असलम बेहोश होकर एक तरफ लुढ़क गया रुद्र ने जब देखा तो गाड़ी से उतरकर वेन की तरफ गया लेकिन तब तक हर्षद वहां से निकलकर भागने लगा रुद्र ने गन निकालकर उसे रुकने को कहा लेकिन तभी एक गोली जाकर सोढ़ी हर्षद की खोपड़ी में लगी और वह वही ढेर हो गया l
रुद्र ओर साथी पुलिस वाले उस ओर भागे l रुद्र ने देखा हर्षद मर चुका है l

वहां मौजूद सभी पुलिसवालों को लगने लगा कि गोली रुद्र ने चलाई है जबकि रुद्र ने कोई गोली नही चलाई थी l
हर्षद की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया l हर्षद ओर बाकी सभी पुलिस स्टेशन लौट आये l असलम को मामूली चोट आई थी जिसके लिए इलाज के बाद उसे घर भेज दिया गया l रुद्र के खिलाफ कमिशनर ने कमेटी बिठाई l


पूरे दिन तक लगातार अफसरों से घिरा रुद्र सफाई देते देते थक गया लेकिन खुद को सही साबित नही कर पाया l आखिरकार बड़े अफसरों ने रुद्र को एक महीने के लिए उसकी ड्यूटी से बर्खास्त कर दिया l रुद्र ने कुछ नही कहा और चुपचाप अपनी वर्दी , पिस्तौल थाने में रखकर बाहर आ गया l
बाहर असलम , प्रवीण ओर रागिनी खड़े उसी का इंतजार कर रहे थे तीनो के चेहरे उदासी से घिरे हुए थे l

रुद्र उनके पास आया तो असलम ने कहा – ये सब क्या हो गया सर ?
रुद्र – सच्चाई के रास्ते पर चलने वालो के साथ यही होता है असलम
प्रवीण – पर हम जानते है सर ये सब आपने नही किया ये किसी की साजिश है
रुद्र – ये बात तुम साबित कैसे करोगे ? तुम भूल गए प्रवीण कानून सिर्फ सबूत मांगता है और इस वक्त सारे सबूत मेरे खिलाफ है


रागिनी – पर सर हम लोग इस तरह आपको यहां से जाने नही देंगे
रुद्र – मैं कही नही जा रहा रागिनी ! मेरे जाने के बाद भी तुम तीनो को मेरा अधूरा छोड़ा काम पूरा करना है
असलम – आप बताइए सर हम तीनों आपके लिए क्या कर सकते है ? आपके लिए हमारी जान भी हाजिर है सर
रुद्र – असलम तुम तीनो को सावधानी से रहकर यहां होने वाली हर हरकत के बारे में बताना है


असलम – मैं आपको सारी खबर देता रहूंगा सर
रुद्र – गुड़ ! रागिनी तुम्हे अपने कंप्यूटर से यहां का नेटवर्क हैक करना है और हर आने जाने वाली कॉल मेसेज का धयान रखना है
रागिनी – स्योर सर


रुद्र – ओर प्रवीण तुम ! तुम्हे मैं एक बहुत ही खास काम देने वाला हु तुम्हे सबके बीच रहकर उस इंसान का पता लगाना है जो हमारी हर खबर बाहर पहुंचा रहा है l
प्रवीण – डन सर ! पर एक महीने आप क्या करेंगे सर
रुद्र – मैं इस एक महीने आराम करुंगा (मुस्कुराते हुए)
रुद्र को मुस्कुराते देखकर रागिनी जैसे उसमे खोकर रह गयी रागिनी को अपनी ओर देखता पाकर रुद्र ने कहा

रागिनी ! मुझे छोड़ो नेटवर्क पर ध्यान दो
रुद्र की बात से रागिनी झेंप गयी तो असलम ओर प्रवीण हसने लगे l

तीनो को वहां छोड़कर रुद्र वहां से चला गया l रुद्र घर की तरफ जा ही रहा था कि अचानक उसने गाड़ी का ब्रेक लगाया और गाड़ी को u टर्न लिया l

सेंट्रल जेल

पूरे 3 दिन बीत गए पर रुद्र नही आया l
बेंच पर बैठी पाकीजा की नजर बार बार दरवाजे की तरफ चली जाती और मायूसी से लौट आती l कही न कही पाकीजा के दिल मे रुद्र के लिए भावनाएं थी पर शायद उनसे अभी तक वह बिल्कुल अनजान थी l
“इतना परेशान क्यों हो रही है पाकीजा तूने ही तो कहा था उसे वापस यहां न आने को , फिर तुझे ही उसका इंतजार क्यों है ? भला इतने अपमान के बाद वो यहां क्यों आएगा”,पाकीजा खुद से कहने लगी


कुछ देर बाद उठकर वहां से जाने लगी तो सामने जेलर महेश मिल गया पाकीजा को उदास देखकर उसने कहा – रुद्र अब शायद यहां नही आएगा पाकीजा l
पाकीजा ने कुछ नही कहा और वहां से चली गयी l पर उसका दिल बार बार कह रहा था जैसे रुद्र यही कही है उसके आस पास ओर ना चाहते हुए भी उसकी नजर एक बार फिर गेट की तरफ चली गई
पाकीजा ने देखा तो उसका दिल तेजी से धड़क उठा कुछ ही दूर गेट पर रुद्र खड़ा था

“ये पहली बार था जब रुद्र को देखकर उसका दिल धड़का था !!”

Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6

Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6Pakizah – 6

Continue With Part Pakizah – 7

Read Previous Part Here पाकीजा – एक नापाक जिंदगी 5

Follow Me On – instagram

Sanjana Kirodiwal

pakizah - ak napak jindagi
pakizah – ak napak jindagi by Sanjana Kirodiwal

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!