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मैं तेरी हीर – 32

Main Teri Heer – 32

Main Teri Heer by Sanjana Kirodiwal |
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Main Teri Heer – 32

बनारस , शिवम् का घर
सारिका किचन में शिवम् के लिये चाय बना रही थी वही शिवम् अपने कमरे में तैयार हो रहा था। शिवम् ने सफ़ेद रंग का कुर्ता पहना और बाजु मोड़कर एक हाथ में घडी पहन ली। दूसरे में चाँदी का कडा था जो कभी सारिका की तरफ से तोहफे में मिला था। शिवम् ने कमरे में रखा फाइल उठाया और कमरे से बाहर आकर सारिका को आवाज लगाते हुए कहा,”सरु हमारी चाय ?”


“आपकी चाय और आपका नाश्ता,,,!!”,सारिका ने डायनिंग टेबल पर शिवम् के लिये चाय नाश्ता रखते हुए कहा
शिवम् डायनिंग के पास चला आया और कुर्सी पर बैठते हुए कहा,”सरु चाय काफी थी , नाश्ता हम बाहर कर लेते।”
“हाँ हम जानते है आजकल मुरारी के साथ मिलकर खूब जलेबी कचौड़ी खाये जा रहे है।”,सारिका ने कहा तो शिवम् ने सारिका की तरफ देखा और फिर चाय का कप उठाकर चाय पीने लगा।


“नयी फैक्ट्री का काम कैसा चल रहा है ?”,सारिका ने पूछा
“शुरुआत अच्छी हुई है बस उसे जमाने में कुछ महीने लग जायेंगे , वैसे हम सोच रहे है सारनाथ वाले फैक्ट्री में मुरारी को ही परमानेंट कर दे। हमारे लिये तो यहाँ बनारस में ही काफी काम है।”,शिवम् ने कहा
“हाँ ये सही रहेगा इस से मुरारी का बाहर निकलना भी हो जाएगा। अनु बता रही थी दिनभर घर में रहकर बस परेशान ही होते रहते है वो। हमारी तरफ से कोई मदद चाहिए तो हमे बताना,,,,,,,,!!”,सारिका ने शिवम् की प्लेट में नाश्ता परोसते हुए कहा


“नहीं सरु आप अपने ओल्ड ऐज होम का काम सम्हाले , शादी के बाद हमने आपको घर और बच्चो की जिम्मेदारियों में डाल दिया। अभी बच्चे समझदार हो गए है अपनी जिम्मेदारियां खुद सम्हाल सकते है और घर की जिम्मेदारियों के लिये आई बाबा है तो आप अपना ध्यान अपने काम में लगाए।”,शिवम् ने कहा तो सारिका हैरानी से शिवम् को देखने लगी।


शिवम् ने सारिका को प्यार और सम्मान देने में कभी कोई कमी नहीं रखी। हमेशा सारिका की भावनाओ का सम्मान किया , परवाह की लेकिन आज शिवम् के मुंह से ऐसी बाते सुनकर सारिका को ख़ुशी भी हुई और हैरानी भी। सारिका ने शिवम् के माथे को अपनी उंगलियों से छूकर देखा और कहा”आपकी तबियत ठीक है ?”
“हाँ हम बिल्कुल ठीक है सरु , आपने ऐसा क्यों पूछा ?”,शिवम् ने कहा


“बस ऐसे ही आज आपके मुँह से बड़ी प्यारी बाते निकल रही है।”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा
“मतलब आप कह रही है हम आपसे प्यार से बात नहीं करते हमेशा गुस्से में रहते है , चिड़चिड़ाते है , कठोर बातें करते है।”,शिवम् ने पूछा
सारिका शिवम् की बात का जवाब देती इस से पहले ही आई वहा आयी और कहा,”सारिका बिटिया तुम्हरा काम खत्म हो गया हो तो ओल्डएज होम चले ?”


शिवम और सारिका ने एक साथ आई को देखा। बनारसी साड़ी में लिपटी , माथे और बड़ी सी गहरी लाल बिंदी लगाए , आँखों में चमक भरे और होंठो पर मुस्कराहट सजाये आई खड़ी थी।
“आई क्या आप सारिका के साथ ओल्डऐज होम जा रही है ?”,शिवम् ने हैरानी से पूछा
“और नहीं तो का ? अरे शिवा तुम भी जाकर देखो कभी बहुते अच्छी जगह है दिल खुश हो जाएगा तुम्हरा,,,,,,,,हमरी तो कल दो सहेलिया भी बन गयी थी वहा , बस आज उन्ही से मिलने जा रहे है।

उनके लिये हमरे हाथ से बना जे अचार भी रख लिया है हमने उनको खिलाएंगे तो सब खुश हो जाएगी,,,,,,,,,,!!”,आई ने खुश होकर शिवम् को अचार के डिब्बे दिखाते हुए कहा
शिवम ने आई की बात सुनकर सारिका की तरफ देखने लगा तो सारिका ने कहा,”हमने ही आई से कहा था वो हमारे साथ ओल्डएज होम आया करे , अकेले घर पर वो बोर हो जाती है इसलिए,,,,,,,,,,,,!!


“हाँ लेकिन ये अचार के डिब्बे और ये सब ज्यादा नहीं है,,,,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा क्योकि वह अपनी आई को बहुत अच्छे से जानता था। आई मन की साफ , जिन्हे हर किसी पर अपना प्यार और अचार लुटाना पसंद था।
“शिवम् जी उनका मन है तो लेकर जाने दीजिये ना हमे कोई दिक्कत नहीं है।”,सारिका ने प्यार से कहा तो शिवम् ने हामी भर दी और नाश्ता खत्म करने लगा।

सारिका शिवम् से पहले कैसे जा सकती थी इसलिए रूककर इंतजार करने लगी। शिवम् ने देखा तो कहा,”सारिका आपको और आई को जाना है तो जाईये हम नाश्ता करके चले जायेंगे।”
“अरे कहा चले जायेंगे भैया ? हमहू तो खुद ही हिया आ रहे है।”,दरवाजे से अंदर आते हुए मुरारी ने कहा
“प्रणाम आई !”,अंदर आकर मुरारी ने आई के पैर छूकर कहा


“अरे खुश रहा मुरारी , आज का सूरज पश्चिम से निकला जो तुम हमको प्रणाम कर रहे ?”,आई ने पूछा
“अरे आई बहुते बड़ी खुशखबरी लेकर आये है सबके लिये,,,,,,,,पंडित जी ने गौरी और मुन्ना की सगाई के लिये अगले महीने की तारीख फिक्स की है तो हम सब जा रहे है इंदौर,,,,,,,,,,!!”,मुरारी ने कुर्सी खिसकाकर बैठते हुए कहा
मुरारी की बात सुनकर सभी के चेहरे ख़ुशी से चमक उठे। आई ने मुरारी के बगल में बैठते हुए कहा,”अरे वाह मुरारी जे तो बहुते ख़ुशी की बात है।

भई कोई चाहे ना चाहे हम तो अपने समधी जी के घर पूरा एक हफ्ता रुकेंगे।”
“अरे आई हम लोग वहा मुन्ना की सगाई के लिये जा रहे है इंदौर बसने के लिये नहीं,,,,,,,,,,!!”,शिवम् ने कहा
“अरे आई छोडो शिवम् भैया को जे तो जैसे जैसे उम्रदराज होते जा रहे है इनको कुछो एक्साइटमेंट ही ना रही है। हम बताते है हमरी सुनो , सब जायेंगे धूम धाम से ,, सगाई से एक दिन पहले , सगाई में वही रुकेंगे ,

सगाई के अगले दिन बाकि रिश्तेदारों को रवाना कर देंगे बाकि हम सब वही रुक जायेंगे ससुर जी के यहाँ
और पूरा एक हफ्ता मजे करेंगे,,,,,,,,,,,,,वहा पे बहुत बढ़िया बढ़िया घूमने की जगह है सब चलेंगे घूमने।”,मुरारी ने आई के मन का हाल समझते हुए कहा
मुरारी की आँखों में ख़ुशी चमकने लगी और उन्होंने कहा,”अरे रे मुरारी जे सरसो वाला तेल ना लगाए होते बालों में तो अभी के अभी तुमरा माथा चुम लेते इस बात पर,,,,,,,,,,,,,

कभी कभी तुम बड़ी सही बात करते हो। सारिका बिटिया चलो मार्किट चलते है।”
“अरे आई आप तो ओल्डएज होम जाने वाली थी ?”,सारिका ने पूछा
“ओल्डएज होम तो बाद में चले जायेंगे पहिले सगाई में पहनने के लिये कपडे गहने खरीद ले,,,,,,,,,,,,,चलो चलो जल्दी चलो।”,आई ने सारिका का हाथ पकड़कर जाते हुए कहा


शिवम् ने देखा आई सारिका जा चुकी है तो उसने मुरारी का कान पकड़ा और मरोडते हुए कहा,”हाँ तो का कह रहे थे तुम “उम्रदराज” तुमको हम उम्रदराज लगते है ?”
अरे अरे शिवम् भैया का कर रहे हो ? अरे हम तो बस मजाक कर रहे थे।”,मुरारी ने कहा तो शिवम् ने उसका कान छोड़ दिया और मुरारी को नाश्ता करने का कहकर खुद हाथ धोने चला गया।

मुंबई
नवीन वंश को लेकर एक बड़ी सी आलिशान बिल्डिंग के सामने पहुंचा। गार्ड ने दरवाजा खोल दिया तो नवीन गाड़ी को लेकर सीधा अंदर आ गया। गाड़ी को साइड में लगाकर नवीन नीचे उतरा और वंश भी उसके साथ गाड़ी से नीचे उतर गया। वंश ने देखा वो एक बहुमंजिला बिल्डिंग थी जो की काफी आलिशान थी और जिसके आस पास काफी स्पेस भी था और छोटे बगीचे भी थे।


“आओ वंश !”,नवीन ने कहा तो वंश की तंद्रा टूटी और उसने कहा,”सामान ?”
“पहले मैं तुम्हे तुम्हारा फ्लेट दिखा देता हूँ उसके बाद मैं सामान ऊपर मंगवा दूंगा , आओ”,नवीन ने कहा तो वंश नवीन के साथ चल पड़ा
अंदर आकर नवीन और वंश लिफ्ट के सामने चले आये। नवीन वंश के साथ लिफ्ट के अंदर आया और 10 नंबर दबा दिया। जिस से वंश समझ गया कि उसका फ्लेट इस बिल्डिंग के दसवे माले पर है।

वंश खामोशी से लिफ्ट में खड़ा था उसे अभी भी मन ही मन निशि से ना मिल पाने का मलाल था लेकिन साथ ही निशि पर थोड़ा गुस्सा भी था।
वंश को खामोश देखकर नवीन ने कहा,”आई नो निशि की वजह से तुम बहुत अपसेट हूँ। उसने जो किया उसके लिये मैं तुम से माफ़ी चाहता हूँ बेटा।

निशि हमारी इकलौती बेटी है और हमारे लाड प्यार की वजह से वो थोड़ी जिद्दी हो गयी है बस बाकि वो बुरी लड़की नहीं है। सारिका मैडम ने बहुत भरोसे के साथ तुम्हे मेरे घर भेजा लेकिन निशि की वजह से,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी बेटा।”
नवीन की बात सुनकर वंश ने कहा,”ये आप क्या कर रहे है अंकल ? आप क्यों सॉरी बोल रहे है ? निशि और मेरे बीच बस एक छोटी सी मिसअंडरस्टेंडिंग थी जो वक्त के साथ बढ़ गयी। आप फ़िक्र ना करे मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लगा उलटा मैं खुश हूँ मैं अब अपने इस नए घर में शॉर्ट्स पहन सकता हूँ।”


वंश की बात सुनकर नवीन मुस्कुराने लगा। वंश में उसे एक मासूम छोटा बच्चा नजर आ रहा था। उसने वंश की पीठ थपथपा दी।
लिफ्ट दसवे माले पर आकर रुकी। नवीन वंश को लेकर बाहर आया और दोनों लॉबी में चल पड़े। फ्लेट नंबर 1010 के सामने आकर नवीन रुका। उसने जेब से फ्लेट की चाबी निकाली और दरवाजा खोलकर अंदर चला आया। वंश भी उसके पीछे पीछे अंदर आया और फ्लेट देखने लगा।

दिखने में वो 1BHK फ्लेट काफी प्यारा था साथ ही उसमे हॉल से लगकर एक बड़ी सी बालकनी थी। वंश बालकनी की तरफ आया और परदे हटा दिये वहा से बाहर का नजारा इतना प्यारा दिख रहा था कि वंश एक पल के लिये उसमे खोकर रह गया। नवीन ने देखा तो उसके पास आकर कहा,”ये हॉल है , वो वहा कॉमन वाशरूम है , उस तरफ किचन है और वो तुम्हारा बैडरूम। इस घर में तुम्हारी सुख सुविधा का सारा सामान है।

अगर तुम खुद खाना बनाना चाहो तो यहाँ राशन का सामान रखा है और तुम चाहो तो बाहर से भी मंगवा सकते हो लेकिन हाँ कभी कभी,,,,,,,,,,,,इस बिल्डिंग के सामने ही एक डी-मार्ट है वहा से तुम अपनी जरूरत का सामान
खरीद सकते हो। कभी भी कोई भी जरूरत बेझिझक मुझे फोन करना,,,,,,,,,,,,,मुझे अच्छा लगेगा।”
नवीन एक साँस में सब बोल गया ये देखकर वंश ने कहा,”अंकल , आप बिल्कुल मेरे पापा की तरह बात कर रहे हो एंड थैंक्यू इस फ्लेट के लिये ये काफी अच्छा है और यहाँ बहुत सुकून है।”


“मैं गार्ड से कहकर तुम्हारा सामान ऊपर भिजवाता हूँ। अपना ख्याल रखना,,,,,,,,,,,,,,!!”,नवीन ने कहा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया
“क्या मैं आपको छोडने नीचे तक चलूँ ?”,वंश ने कहा
“अरे नहीं तुम आराम करो।”,नवीन ने कहा और वहा से चला गया

नवीन ने नीचे आकर वंश का सामान गार्ड के साथ ऊपर भिजवा दिया। गार्ड वंश का सामान लेकर आया और बेल बजा दी। वंश ने दरवाजा खोला सामने गार्ड खड़ा था वंश ने अपना सामान अंदर रखा और गार्ड की तरफ 100 रूपये बढ़ा दिये। गार्ड ने हैरानी से वंश को देखा और कहा,”ये क्या सर ?”
“अरे आप इतनी ऊपर मेरा सामान लेकर आये है , रख लीजिये।”,वंश ने मुस्कुराते हुए कहा


गार्ड ने ख़ुशी ख़ुशी वंश से पैसे लिये और चला गया। वंश ने भी दरवाजा बंद किया और सामान लेकर अंदर चला आया। रातभर पूर्वी के घर के सामने खड़े रहने की वजह से वंश सो नहीं पाया था। वह काफी थका हुआ महसूस कर रहा था। वंश को प्यास का अहसास हुआ तो वह किचन एरिया में चला आया। वंश ने
फ्रीज खोला लेकिन वहा पानी नहीं रखा था। वंश ने गिलास उठाया और फिल्टर से पानी भरकर पीने लगा।

पानी पीते हुए वंश घुमते हुए घर देखने लगा। उस फ्लेट में बस जरूरत का सामान था बाकि पूरा घर खाली था।
पानी पीते हुए वंश निशि के बारे में सोचने लगा और मन ही मन खुद से कहा,”क्या मैं सच में इतना बुरा इंसान हूँ कि निशि मुझसे इतना गुस्सा हो गयी ? मैं मानता हूँ मैंने उसे थोड़ा परेशान किया लेकिन मैं उसे हर्ट करना नहीं चाहता था।”
“अहहहहछी,,,,,,,,,,,!!”,निशि के बारे में सोचते हुए वंश को एकदम से छींक आयी।


वंश ने गिलास सिंक में रखा और हॉल में चला आया वंश काफी थका हुआ था। वह हॉल में रखे सोफे पर आकर लेट गया। उसे थोड़ी थोड़ी देर में छींके आ रही थी साथ ही उसका सर भी हल्का हल्का दर्द कर रहा था। वंश वही सोफे पर सो गया। गर्मियों का मौसम था लेकिन वंश को ठण्ड लगने लगी थी। ठण्ड जब ज्यादा लगने लगी तो वह कमरे से चद्दर ले आया और ओढ़कर सो गया।

इंदोर , पुलिस स्टेशन
अपने केबिन में बैठा शक्ति किसी काम में बिजी था तभी उसका फोन बजा शक्ति ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ उसका दोस्त यादव था। शक्ति ने फोन उठाया और कहा,”हाँ यादव कुछ पता चला ?”
“शक्ति क्या तुम मेरे साथ कोई प्रेंक कर रहे हो ? तुमने अपनी ही गन की बुलेट मुझे भेजी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसे मैं अब क्या समझू ? क्या तुम्हे नहीं पता ये बुलेट किस गन की है ?”,यादव ने शक्ति पर गुस्सा होते हुए कहा


“क्या ? ये तुम क्या कह रहे हो ? वो बुलेट हमारी गन की कैसे हो सकती है हमारी गन तो,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”,कहते हुए शक्ति ने जैसे ही अपने ड्रॉवर को खोलकर देखा वहा से उसकी गन गायब थी। शक्ति की हैरानी का अंदाजा नहीं था। उसने फोन कान से लगाया और कहा,”यादव हम तुम्हे बाद में फोन करते है।”
शक्ति ने फोन काट दिया और अपनी गन ढूंढने लगा लेकिन उसे अपनी गन कही नहीं मिली।

गन ना मिलने से शक्ति परेशान हो गया जिस मुश्किल को वह ख़त्म करने का सोच रहा था वह बढ़ती ही जा रही थी। शक्ति समझ नहीं पा रहा था कि गोली चलाने वाला वो शख्स काशी का दुश्मन था या उसका ?
शक्ति काफी देर तक इसी कशमकश में उलझा रहा उसने मन ही मन काशी से मिलने का फैसला किया और केबिन से बाहर निकल गया। शक्ति गाड़ी लेकर अधिराज जी के घर पहुंचा लेकिन काशी घर पर नहीं थी। शक्ति ने काशी को फोन लगाया लेकिन काशी ने शक्ति का फोन नहीं उठाया और काट दिया।


“ये काशी मेरा फोन क्यों नहीं उठा रही है ?”,शक्ति खुद में ही बड़बड़ाया और एक बार फिर काशी का नंबर डॉयल किया लेकिन इस बार भी काशी ने शक्ति का फोन नहीं उठाया और काट दिया। शक्ति का काशी से मिलना बहुत जरुरी था लेकिन काशी उस से नाराज थी।

“काशी शक्ति का फोन उठा लो यार , क्यों उसे परेशान कर रही हो ?”,काशी के साथ चलते हुए गौरी ने कहा
“नहीं बिल्कुल नहीं , आजकल शक्ति कुछ ज्यादा ही भाव खाने लगा है जब देखो तब मना करता है , गुस्सा करता है ,, हमे उस से कोई बात नहीं करनी,,,,,,,,,,,,,,उसे भी तो पता चले काशी गुप्ता कौन है ?”,काशी ने गुस्से से कहा तो गौरी ने हवा में अपने हाथ उठा दिये।

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