Sanjana Kirodiwal

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रांझणा – 9 

Ranjhana – 9

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Ranjhana

Ranjhana By Sanjana Kirodiwal

Ranjhana – 9

शिवम् , मुरारी और राधिका तीनो नीचे जमीन पर बैठकर खाना खा रहे थे और शिवम् की आई उन्हें खाना परोस रही थी l

राजमा-चावल शिवम् को बहुत पसंद था साथ ही बूंदी का रायता , फूल गोभी की सब्जी और चपातियां भी थी l मुरारी तो बस खाने पर टूट पड़ा l बड़े बड़े निवाले मुंह में ठुसे जा रहा था जैसे इसके बाद उसे खाना मिलेगा ही नहीं l शिवम् की आई तो बस घूरे जा रही थी उसे और वो बेखबर सा खाये जा रहा था l

“आई पहले तो तुमने इसको आने से मना कर दिया और अब इसे यहाँ बैठाकर खाना खिला रही हो l ऐसा क्यों ?”,राधिका ने खाते खाते सवाल किया l

“खाना ज्यादा बन गया था , बाद में कुत्तो को डालना पड़ता तो सोचा इसे ही खिला देती हु”,आई ने मुरारी को घूरकर देखते हुए कहा

राधिका और शिवम् ने मुश्किल से अपनी हंसी रोकी l मुरारी ने सुना तो निवाला गले में ही अटक गया रोनी सी सूरत बनाकर शिवम् की तरफ देखते हुए कहा,”तुम्हरी अम्मा इनडायरेक्टली कुत्ता बोल रही हमको”

“तुमको काहे बोल रही है , तुम खाना खाओ चुपचाप से !!”,शिवम् ने घुड़क कर कहा पर मन ही मन उसे बहुत हंसी आ रही थी l शिवम् ने तो अपनी हसी रोक ली पर राधिका अपनी हंसी नहीं रोक पाई और खिलखिलाकर हंस पड़ी l राधिका को हँसते देख मुरारी को बहुत गुस्सा आया लेकिन रायते के साथ साथ वह उसे भी पि गया l

खाना खाकर मुरारी ने घर न जाकर वही शिवम् के पास रुकना ठीक समझा l घर जाकर करता भी क्या उसके विधायक चाचा उसे फिर से कही न कही किसी काम से भेज देते l पेसो की कोई कमी नहीं थी इसलिए बनारस में सब उसको सलाम ठोकते थे पर शिवम् की आई वो सरेआम उसकी इज्जत का कबाड़ा कर देती थी l

लेकिन मुरारी ने उनकी बात का कभी बुरा नहीं माना और शायद इसलिए आई भी उसे डाटने का हक़ समझती थी l आई घर के कामो में बिजी हो गयी और मुरारी शिवम् को परेशान करने में बिजी हो गया l दरअसल मुरारी शिवम् से उस लड़की के बारे में जानना चाहता था जो आज सुबह शिवम् के साथ थी l 

मुरारी – गुरु अब बता भी दो कौन थी वो ?

शिवम – अरे बताये तो है थोड़ी देर पहले तुमको मुंबई से वो , यहाँ किसी खास काम से आई है 

मुरारी – कैसा खास काम ?

शिवम् – अब ये सब वो हमे क्यों बताएंगी ?

मुरारी – तो पूछना चाहिए था ना 

शिवम् – अरे हम काहे पूछे , उनका निजी मामला है ऐसे बिना मांगे किसी की मदद करना सही थोड़े है l 

मुरारी – हां हां ठीक है , लेकिन तुम्हारी मैडम जी तो नहीं मिली ना तुम्हे 

शिवम् – मिल जाएंगे l 

मुरारी – कब ?

शिवम् – जब मिलना होगा , भोलेनाथ अब इतने निर्दयी भी नहीं है ,, का समझे ? (बैग से कपडे निकालते हुए)

मुरारी – कुछ नहीं समझे , कुछ समझना भी नहीं है साला तुम हो के एक लड़की के चक्कर में अपनी जिंदगी ख़राब किये जा रहे हो l किसी की नहीं सुननी है तुमको बस हमेशा अपने मन की करनी है l (गुस्सा होकर)

शिवम् – अरे ये अब अचानक तुमको का हो गया , इतना वायलेंट कैसे हो गए ?

मुरारी – वायलेंट ना हो तो का करे सबके बारे में सोचते हो कभी अपने बारे में सोचा है ? तुमको तो अपने फ्यूचर की भी कोई परवाह नहीं है बस करते रहो इंतजार

शिवम् – तो तुम क्या चाहते हो ?

मुरारी – हम चाहते है उसे भूलकर तुम अब शादी कर लो , उसको आना होता तो वो अब तक आ चुकी होती l बचपन से तुम्हारे साथ रहे है यार अब चाहते है तुम्हारा भी ख्याल रखने वाली कोई हो , तुम्हे खुश देखना चाहते है यार 

शिवम् – तो क्या हम खुश नहीं है ?

मुरारी – हमसे कुछ छुपा नहीं है समझे ना तुम , लोगो को अपनी झूंठी हंसी से पागल बना सकते हो हमे नहीं 

शिवम् – मुरारी आजकल कुछ ज्यादा ही सोचने लगा है तू 

मुरारी – हां हाँ सही है , सच बात बोले ना तो खिसकने के बहाने ढूढ़ने लगते हो तुम , पर हम भी इस बार पीछा नहीं छोड़ने वाले तुम्हारा 

शिवम् – अच्छा तुम बताओ क्या करे हम ?

मुरारी – अच्छी सी लड़की देख , उसे पसंद कर और शादी कर ले , फिर तुम्हारे बच्चो के मुंह से चाचू चाचू सुनके बनारस के किसी घाट में डूब जाना है मुझे तो समझूंगा जिंदगी में कुछ अच्छा देख के मरा l 

मुरारी की बात पर शिवम् जोर जोर से हसने लगा और कहा,”और ऐसी लड़की कहा मिलेगी जो हमे पसंद करेगी l 

मुरारी – अरे वो है ना जो सुबह तुमरे साथ थी , तुम दोनों की जोड़ी भी एकदम कंटाप लग रही थी l 

शिवम् – क्या तुम कुछ भी बके जा रहे हो l 

मुरारी और शिवम् वहा खड़े बहस कर ही रहे थे की तभी राधिका वहा आयी और कहां,”भाई बाबा ने आपको दुकान बुलाया है अभी ! 

“हां आता हु”,कहकर शिवम् जाने लगा तो मुरारी ने कहा,”बाबा के नाम से बच गए लेकिन ये मत भूलना तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाले हम”

शिवम् वहा से बाहर चला गया l मुरारी जैसे ही उसके पीछे जाने लगा आई ने आवाज दी,”ऐ ! मुरारी इधर आ ,, 

“मर गए अब पता नहीं किसका गुस्सा निकालेंगी मुझपर”,बड़बड़ाते हुए मुरारी आई की तरफ गया और कहा,”हां आई !!”

“ये अचार के मर्तबान है उठाकर वहा ऊपर रख दे , ध्यान रहे एक भी गिरा तो तेरी हड्डिया तोड़ दूंगी मैं”,कहकर आई वहा से चली गयी l

“साला काम भी करो , इनकी डांट भी सुनो जिंदगी झंड हो गयी है यार सच में ,, किसी को पता चला विधायक के भतीजे होकर हम यहाँ अचार के मर्तबान उठा रहे है तो साला का इज्जत रह जाएगी हमारी बनारस में ,, पर नहीं किये तो साली डबल बेइज्जती होगी”,कहते हुए मुरारी ने निचे रखे मर्तबानो में से एक मर्तबान उठाया और ऊपर रखने लगा l

शिवम् बाहर आया तो उसके बाबा ने उसे दुकान में रुकने का कहा और खुद किसी काम से बाहर निकल गए l शिवम् आकर काउंटर के उस तरफ बैठ गया l 30 बाय 25 की उस दुकान में 5-6 टेबल और उसके आस पास कुर्सियां लगी हुयी थी l काउंटर से लेकर दांयी तरफ की दिवार तक शीशे के काउंटर में मिठाईया और बाकि सामान रखा था काउंटर के बांयी तरफ कुछ निचे भट्टी पर जलेबिया और कचोरी तलने का काम होता था जो की शिवम् के बाबा ही किया करते थे l

वो कहते है हर हाथ में एक अलग ही स्वाद होता है बस बाबा के हाथो से बनी जलेबिया इसी लिए प्रसिद्ध है बनारस में l दुकान पर 2 लड़के और भी थे जो वहा हेल्प किया करते थे l बाबा के जाने के बाद कुछ लोग आये और पुराना हिसाब किताब चूका कर गए l इक्क दुक्का लोग अभी भी वहा बैठे थे l घडी में 11 बज रहे थे l शिवम् काउंटर पर बैठा सर झुकाये बहीखाते में हिसाब-किताब लिख रहा था की तभी एक प्यारी सी आवाज उसके कानो में पड़ी,”जरा सुनिए !!

शिवम् ने जैसे ही सर उठाकर देखा हैरान रह गया सामने सरिका खड़ी थी l उसे देखते ही शिवम् हड़बड़ी में काउंटर से बाहर आया और कहा,”अरे आप यहाँ ?

“हम भी आपको यहाँ देखकर हैरान है , आप यहाँ काम करते है ?”,सारिका ने कहा 

“नहीं…………हां…………हमारा मतलब ये हमारे बाबा की दुकान है”,शिवम् ने हड़बड़ाहट में कहा

“अच्छा , हम होटल ‘बृज राम पैलेस’ में ठहरे है l वहा के मैनेजर ने हमे बताया की बनारस में आपके दुकान की जलेबिया बहुत प्रसिद्ध है बस इसलिए चले आये और इत्तेफाक से आप भी यही मिल गए”,सारिका ने मुस्कुराते हुए कहा l

“आपको जलेबिया पसंद है ?”,शिवम् ने पूछा l

“जी हां बहुत , हमारे जन्मदिन पर हमारी माँ हमेशा बनाया करती थी”,सारिका ने आँखों में चमक भरते हुए कहा

“थी ? क्या वो अब नहीं बनाती”,शिवम् ने हैरानी से कहा

“अब वो इस दुनिया में नहीं है”,सारिका ने उदास होकर कहा l

“माफ़ करना , आप खड़ी क्यों है ? आईये ना अंदर बैठिये हम अभी आपके लिए गरम गरम जलेबी और कचोरियों का इंतजाम करते है”,शिवम् ने कहा और फिर लड़के की तरफ देखकर कहा,”छोटू इनके लिए टेबल साफ कर दे”

“आईये सारिका जी”,शिवम् ने सारिका को अंदंर आने का कहां

सारिका अंदर आ गयी उसने वही हरे रंग का सूट पहना हुआ था l दुकान में बैठे लोगो की नजर सारिका पर ही थी l सब खा कम रहे थे और सारिका को देख ज्यादा रहे थे l शिवम् को उन लोगो का सारिका को यु देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था इसलिए उसने ऊँची आवाज में बिना उन लोगो की और देखे कहा,”देखकर मन भर गया हो तो थोड़ा अपना अपना पेट भी भर ले l “

शिवम् की बात सुनकर सभी झेंप गए l उसके बाद किसी ने सारिका की तरफ नहीं देखा l शिवम ने लड़के को गरम कचोरिया तलने को कहा l शिवम् ने पानी ग्लास में उड़ेला और लेकर सारिका के पास गया l सारिका ने पानी पीया शिवम् उस से कुछ पूछ पाता इस से पहले ही सारिका का फोन बजा और सारिका किसी से बात करने लगी l शिवम् वापस आकर काउंटर पर बैठ गया l न चाहते हुए भी उसकी नजर सारिका पर चली जाती l मासूम चेहरा , उदास आँखे , प्यारी सी मुस्कान इतना काफी था सारिका की तरफ खींचने के लिए l उसमे कोई बनवटीपन नहीं था

, ना ही कोई मेकअप ,, सादगी में भी वह बहुत खूबसूरत दिखाई पड़ रही थी l दुकान की खिडकी का एक दरवाजा अंदर घर की तरफ खुलता है l मुरारी ने एक एक करके सभी मर्तबान ऊपर रख दिए l एक आखरी मर्तबान को उठाकर जैसे ही रखने वाला था नजर खिड़की से होते सामने बैठी सारिका पर गयी,”ये तो वही घाट वाली लड़की है , पर ये यहाँ क्या कर रही है ? अच्छा बेटा हमे उल्लू बनाकर वहा अपना मामला सेट कर रहा है”, मुरारी बड़बड़ाया लेकिन अगले ही पल कुर्सी डगमगायी और अचार का वो आखरी मर्तबान मुरारी के हाथ से छूटकर निचे जा गिरा l

गिरने की आवाज से शिवम् की माँ दौड़ते हुए आई l टूटे हुए मर्तबान को देखते ही उबल पड़ी और कहा,”सत्यानाश जाये तेरा मुरारी , एक काम कहे थे तुमको वो भी नहीं हुआ तुमसे ध्यान कहा रहता है तुम्हारा ,, तुम ना हमारा नुकसान करने के लिए ही पैदा हुए हो कह रहे है हम l हमारी झाड़ू कहा है बताते है तुमको निचे उतरो तुम”

वह मुरारी को मारने के लिए झाड़ू उठा लाई और उसके पांव पर जमाते हुए कहा,”हम कहते है निचे उतर , पुरे 5 किलो के अचार का मर्तबान था वो अरे हमरी बहन को भिजवाने वाले थे उ हम लेकिन तुमने सब गुड़ गोबर कर दिया l अरे हम कहते है इसकी भरपाई कौन करेगा अब ? तुम के तुमरा वो चाचा ?” 

“अरे अम्मा यार मार काहे रही हो हम करते है ना भरपाई”,मुरारी ने कुर्सी से दूसरी तरफ कूदकर खुद को मार से बचाते हुए कहा l

“अच्छा इतना बड़ा हो गया तू , तू करेगा भरपाई , हमको पैसे की धौंस दिखा रहा है रुक अभी अक्ल ठिकाने लाते है तेरी”,कहकर वे मुरारी पर टूट पड़ी l पुरे घर में वह बेचारा भागता फिर रहा था l

“भैया ! जलेबिया नहीं है ,, ताजा बनानी पड़ेगी”,दुकान पर काम करने वाले छोटू ने आकर शिवम् से कहा

“ये तो लोचा हो गया , बाबा भी नहीं है और सारिका जी भी पहली बार आई है l”,शिवम् परेशान सा बड़बड़ाने लगा

“भैया का करना है , उनको जाकर मना का दे”,छोटू ने कहा

“रुक छोटू मैं बनाता हु’,शिवम् नहीं चाहता था सारिका वहा से ऐसे ही चली जाये l वह काउंटर से बाहर आया एक नजर सारिका को देखा वह अभी भी फोन पर बात करने में बिजी थी l छोटू मुंह फाड़े शिवम् को देख रहा था ये तो आज उसके लिए चमत्कार जैसा ही कुछ हो गया था l छोटू को देखकर शिवम् ने कहा,”का ऐसे काहे आँखे फाडे घर रहे हो ?”

“भैया तुम कबहू ना बनाये हो इसलिए ……………….!!”,छोटू कहते कहते रुक गया l

“ऐसा है तुम ना ज्यादा दिमाग न लगाओ और जाकर उन कस्टमर्स को बिल देकर दफा करो l हमको सब आता है अभी दिखाते है बनाकर”,कहता हुआ शिवम् कड़ाही की तरफ चला गया l

छोटू मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गया l शिवम् आकर बैठा और जलेबी बनाने वाला कपड़ा उठाया l बड़ी सावधानी से वह जलेबिया बना रहा था l उसने हमेशा अपने बाबा को बनाते देखा था बस वैसे ही बनाने की कोशिश कर रहा था l वहा बैठे हुए वह बिल्कुल अपने बाबा की तरह लग रहा था l

सारिका ने फोन रखा और छोटू से शिवम् के बारे में पूछा तो छोटू ने ऊँगली से बाहर की तरफ इशारा कर दिया l सारिका उठकर आई शिवम् को जलेबिया बनाते देख वह बहुत ज्यादा हैरान हुई और कहा,”आप ये सब बना लेते है ?

सारिका को वहा देखकर शिवम् ने कहा,”आपके लिए बना रहे है , आप बैठिये बस तैयार होने वाली है”

“नहीं आप इतनी मेहनत कर रहे है तो हमारा भी कुछ फर्ज बनता है ना ,, एक मिनिट “,कहके सारिका अंदर गयी और काउंटर पर रखे पंखे को शिवम् के चेहरे की और मोड़ दिया l हवा लगी तो शिवम् को सुकून मिला क्योकि गर्मी की वजह से उसका हाल बुरा था l शिवम् पहली बार किसी को अपनी परवाह करते हुए देख रहा था l सारिका वापस आकर शिवम् के बिल्कुल सामने खड़ी हो गयी और उसे जलेबिया बनाते हुए देखने लगी l 

उधर घर के अंदर अच्छी खासी घमासान मची हुयी थी l

“आई काहे पिट रही हो बेचारे को”,राधिका ने बिच में आकर कहा

“काहे पिट रहे है , तुमको पता भी है का किया इसने ?”,आई ने आँखे दिखाते हुए कहा

मुरारी तो राधिका के पीछे छिपकर खड़ा हो गया l इस वक्त वही थी जो उसे बचा सकती थी राधिका ने कमर पर दोनों हाथ रखते हुए कहा,”का ? का किया इन्होने ? जरा हम भी तो सुने “

“अरे इसको वो अचार के मर्तबान ऊपर रखने को कहे थे , नीचे गिरा दिये और सारा अचार फ़ैला दिया”,आई ने गुस्से से कहा

“हां तो का हो गया और बना लेंगे अचार , इसकी जान के दुश्मन काहे बनी हो तुम ? अचार ही तो गिरा है न हम कर देंगे साफ “,राधिका ने कहा

राधिका को पहली बार अपनी साइड बोलता पाकर मुरारी की आँखों में आंसू आ गए उसने कहा,”राधिका तुम लड़की नहीं देवी हो देवी , आज से रोज देवी के मंदिर में तुमरे नाम का दीपक जलाऊंगा l आज तक हमरी इतनी परवाह किसी ने ना की”

“हा मस्का बाजी छोड़ो और बाहर का रास्ता नापो चलो तुम”,राधिका ने मुरारी को डपट दिया

“देवी बोला तो काली का रूप धर लिया”,मुरारी बड़बड़ाया

“का का बोले तुम ?”,राधिका ने आँखे दिखाते हुए कहा

“अरे हम तो इह कह रहे , छोटी बहन ही तो होती है बड़े भाईयो की हमदर्द , नई”,मुरारी ने बात पलटते हुए कहा

आई की नजरे कही और ही थी उसने सामने देखते हुए कहा,”वो सामने क्या चल रहा है”

आई की बात सुनकर मुरारी और राधिका ने उस तरफ देखा जहा शिवम् जलेबिया बना रहा था l 

“ये तो चमत्कार हो गया नई , भाई जो कभी दुकान पर बैठता नहीं था वो ये सब कर रहा है”,राधिका ने कहा

“कुछ भी कितना प्यारा लग रहा है मेरा बेटा , बिल्कुल अपने बाबा जैसा”,आई ने ख़ुशी से भरकर कहा

“पहले ये देखो वो कर क्या रहा है ?”,मुरारी ने कहा

“जलेबिया बना रहा है और क्या कर रहा है ?”,आई ने कहा

“आज से पहले कभी जलेबी बनाई है उसने , आपके लिए या राधिका के लिए l बाबा कहते रहते है पर कभी काम को हाथ लगाता है”,मुरारी ने जासूस की तरह कहा

“लेकिन आज ये सब क्यों कर रहा है ?”,आई ने असमझ की स्तिथि में मुरारी की और देखते हुए पूछा

“लड़की का चक्कर आई , वो देखो सामने”,मुरारी ने सारिका की तरफ ऊँगली करते हुए कहा

आई की नजर सारिका पर पडी तो बस थम सी गयी l सादगी में भी वह कितनी प्यारी नजर आ रही थी l आई को पहली नजर में ही सारिका भा गयी l वह बड़बड़ाने लगी,”आह ! कितनी सुंदर लड़की है बस अब ये जल्दी से हाँ कर दे तो इसे अपने घर बहु बनाकर ले आये l

रोज नए नए पकवान बनाकर खिलाएंगे इसको , इसके बच्चे जब मुझे दादी दादी कहेंगे , आह कितना मजा आएगा पर बाल बहुत लम्बे है इसके इन्हे सुलझाने में ही इसे एक घंटा लग जाएगा पर कोई नहीं घर का काम मैं कर लुंगी लेकिन इसको राजकुमारी की तरह रखेंगे l बस अब शिवम् जल्दी से मान जाये तो इस घर में भी शहनाई बजे l “

“आई क्या बड़बड़ा रही है तू ये सब ?”,राधिका ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें झनझोड़ते हुए कहा l

“शादी के सपने देख रही है इस उम्र में , संठिया गयी है ये”,मुरारी ने दांत कुरेदते हुए कहा

राधिका ने मुरारी के कंधे पर एक मुक्का मारा और कहा,”बकवास ना करो तुम”

“अरे हम पर काहे भड़क रही हो , खुद हे पूछ लो अपनी अम्मा से l साला माँ बेटी दोनों ने पंचिंग बैग बनाया हुआ है हमरा”,मुरारी ने गुस्सा दिखाते हुए कहा

राधिका ने आई की तरफ देखा तो वह मुस्कुराती हुई सारिका को देखे जा रही थी l 

“राधिका चलो उधर ही चलके देखते है क्या मामला है”,आई ने आगे बढ़ते हुए कहा तो मुरारी और राधिका भी पीछे पीछे चल पड़े l तीनो आकर दूकान के काउंटर के पास खड़े हो गए तब तक शिवम् जलेबिया बनाकर सारिका की टेबल पर रखवा चूका था l सारिका आकर बैठ गयी और जलेबी कचोरी खाने लगी l

सच में दोनों बहुत स्वादिष्ट थे l सारिका बड़े चाव से जलेबी खा रही थी l कड़ाही के सामने से उठकर शिवम् जैसे ही अंदर आया तीनो को काउन्टर के पास खड़े देखकर चौंक गया और मन ही मन कहने लगा,”ये तीनो यहाँ क्या कर रहे है ? वो भी एक साथ साथ , अब कोनसा नया ड्रामा करने वाले है ये लोग ? बचा लेना भोलेनाथ “

शिवम ने जब तीनो की तरफ देखा तो तीनो दाँत दिखाने लगे l शिवम् बिना कुछ कहे आकर काउंटर पर बैठ गया 

“शिवम् जी , जलेबिया बहुत टेस्टी बनी है , आपके हाथो में तो जादू है”,सारिका ने पीछे पलटकर कहा

जवाब में शिवम् सिर्फ मुस्कुरा दिया l सारिका ने अपना ध्यान फिर से खाने में लगा लिया l 

“ओहो शिवम् जी”,राधिका ने जी पर कुछ ज्यादा ही जोर देकर कहा l

बेचारा शिवम् इस वक्त कुछ कहने की स्तिथि में नहीं था l शिवम् आँखों ही आँखो में उन तीनो से वहा से जाने का इशारा कर रहा था पर किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी l खाते खाते सारिका जैसे ही खांसी शिवम पानी का ग्लास उठाये उसकी और लपका लेकिन अगले ही पल उसके चेहरे के भाव बदल गए

शिवम् के हाथ के अलावा 3 हाथ और थे जिनमे पानी के ग्लास थे l सारिका ने देखा तो चौंक गयी शिवम् के साथ साथ वे तीनो भी वही खड़े थे l शिवम ने सारिका को पानी का ग्लास दिया और उन तीनो को घुरा तो वे ग्लास टेबल पर रख इधर उधर देखने लगे l 

“ये सब ?”,सारिका ने उन्हें वहा देखकर शिवम् से कहा

“सारिका जी ये हमारी आई है आई मतलब……………..!!”,शिवम् ने कहा

“आई मतलब माँ , मॉम , मदर”,सारिका ने बात पूरी करते हुए कहा

“जी”,शिवम् ने धीरे से कहा

“लड़की समझदार दिखती है”,आई ने राधिका के कान में फुसफुसाते हुए कहा

सारिका अपनी जगह से उठी और बाहर आकर उनसे हाथ जोड़कर नमस्ते कहा l आई ने भी आशीर्वादो की बाढ़ सी लगा दी पर दिल से तो एक ही आशीर्वाद निकल रहा था की जल्दी से इस घर की बहु बनकर आ जाओ l

“सारिका जी ये हमारी छोटी बहन राधिका”,शिवम ने राधिका की तरफ इशारा करते हुए कहा

“हेलो , बहुत प्यारा नाम है आपका और आप भी बहुत प्यारी है”,सारिका ने राधिका से हाथ मिलाते हुए कहा l राधिका मुस्कुरा दी l

“और ये हमारा …………………………………..!!”,शिवम् ने इतना ही कहा की मुरारी ने शिवम् को साइड करते हुए खुद ही अपना परिचय देते हुए कहा,”और हम है मुरारी , शिवम् के लंगोटिया यार , पूरा बनारस शिवम् और हमारे चर्चो से ही फेमस है , वो का है ना चाचा विधायक है हमारे !!”

मुरारी के इस अजीबो-गरीब परिचय पर सारिका मुस्कुरा उठी l आज से पहले किसी ने उसे अपना इंट्रोडक्शन ऐसे तो बिल्कुल नहीं दिया था l सारिका को मुस्कुराते देखकर मुरारी भी मुस्कुराने लगा l बेचारा शिवम् ख़ामोशी से सब देख रहा था l आई की तो नजरे ही नहीं हट रही थी सारिका से l सारिका ने हाथ धोये और फिर पर्स से रूपये निकालकर शिवम् की और बढ़ा दिए

“अरे ! आपसे पैसे थोड़े लेंगे “,शिवम् ने कहा

शिवम् ने जैसे ही ये कहा आई , मुरारी और राधिका की गर्दन झटके से शिवम् की तरफ मुड़ी जैसे उसमे कोई स्प्रिंग लगा हो l 

“रख लीजिये प्लीज़ , वैसे भी कुछ दिन बनारस में ही है तो अबसे सुबह का नाश्ता यही करेंगे”,सारिका ने मुस्कुराकर रूपये शिवम् के हाथ में थमा दिया l

“बेटा हमारा घर सामने ही है आओ”,आई ने कहा

“माफ़ कीजियेगा आंटी , अभी हमे किसी काम से बाहर जाना है l हम फिर कभी आएंगे l अभी चलते है”,कहकर सारिका ने अपना पर्स उठाया और वहा से निकल गयी l

सारिका के जाते ही आई , मुरारी और राधिका शिवम् की और पलटे l बेचारा शिवम् जानता था अब उसकी अच्छी खातिरदारी होने वाली है l तीनो उसकी तरफ बढे तो उसने अपने कदम पीछे ले लिए लेकिन पीछे टेबल था इसलिए उसे रुकना पड़ा l शिवम् का हाथ टेबल पर रखी प्लेट से जा लगा जिसमे एक आधी जलेबी रखी हुई थी l शिवम ने उसे उठाया और खाने लगा l उसने महसूस किया बाकि दिनों के बजाय जलेबी ज्यादा मीठी थी पर शायद वो ये नहीं जानता था की

जलेबिया सारिका की जुठी थी 

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संजना किरोड़ीवाल

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