मेरी आख़री मोहब्बत – 8
Meri Aakhari Mohabbat – 8
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Meri Aakhari Mohabbat – 8
विनीत को देखते ही पाखी ने अपने आंसू पोछ लिए , विनीत ने पूछा – आखिर तुम चाहती क्या हो ?
विनीत का सवाल सुनते ही पाखी की आँखे फिर भर आयी ,, वो बोलना चाहती थी , चिल्लाना चाहती थी , अब तक जो सीने में दबा रखा था वो सब बताना चाहती थी विनीत को … एक पल को पाखी को लगा की वो कुछ ना कहे क्युकी वो जानती थी विनीत उसे कभी नहीं समझेगा लेकिन आज वो बोलना चाहती थी उसने एक गहरी साँस ली और कहना शुरू किया
– क्या चाहती हु मैं तो सुनो , इज्जत चाहती हु , अपना मान सम्मान चाहती हु लौटा सकते हो मुझे ,, जबसे मैं इस घर में आयी हु कोई मुझसे सही तरीके से बात नहीं करता , किसी को मैं पसंद नहीं हु तुम्हारी माँ को भी नहीं , इन सबके बावजूद मैं हमेशा कोशिश करती हु इन सब लोगो को खुश रखने की , आपका भाई जब चाहे मुझे गलत बोल सकता है , आपकी बहन जब चाहे मुझे गलत बोलती है ….
बुरा बोलना , गलत इल्जाम लगाना इनका शौक बन चूका है !! लेकिन आप इन सब जैसे क्यों हो गए ,, मुझसे शादी करके मेरी जिंदगी बर्बाद क्यों की ,, आपको मुझसे कोई मतलब नहीं है , मेरे दुःख दर्द से आपको कोई फर्क नहीं पड़ता …आपके सामने वो आदमी मुझे छूता रहा , मुझसे सवाल करता रहां तब भी आपने कुछ नहीं कहा ,,
एक पति होने के नाते कुछ नहीं किया है आपने मेरे लिए … मैं इंसान नहीं हु क्या ? मुझे भी दर्द होता है ,, आपके पास कभी मेरे लिए वक्त नहीं रहा ,, इस घर में कोई नहीं सुनता मेरी , तो किसे जाकर बताऊ मैं अपनी तकलीफ अपनी परेशानी
आखिर ऐसा क्यों कर रहे हो आप लोग मेरे साथ
कहकर रोने लगी वो उसकी आँखे बता रही थी उसके दर्द का सबब ,, पर विनीत को कोई फर्क नहीं पड़ा न उसकी बातो से न उसके आंसुओ से !!
वो सारी रात विनीत के सामने रोती रही उसे अपना दुःख सुनाती रही पर विनीत ना जाने किस पत्थर का बना था बस उसकी बात सुनता रहा और जब पाखी का रोना सिसकियों में बदल गया तब विनीत ने कहा
“मैं तुम्हे यहाँ बीवी बनाकर नहीं , बल्कि अपनी माँ की सेवा करने के लिए लाया हु”
विनीत के मुँह से ऐसी बात सुनकर पाखी का दिल धक् से रह गया , अब तक जो कुछ हुआ था वो एक रंगीन फिल्म की तरह उसकी आँखों के सामने आने लगा , विनीत का कहा एक एक शब्द उसके कानो में गूंजने लगा !! पाखी को सब कुछ बिखरता सा नजर आने लगा ,
जो सपने उसने देखे तह वो एक एक कर उसकी आँखों के सामने टूटते नजर आने लगे ो उन टूटे हुए सपनो की कींचे उसकी आँख में चुभने लगी …. वो उठकर कमरे से बाहर आ गयी ,, मुँह धोया और वापस कमरे में जाकर लेट गयी ,,, उसकी पलके भारी होने लगी और वो कब सोई उसे खुद याद नहीं था !
सुबह उठी विनीत अब तक सो रहा था , वो चुपचाप उठकर बाथरूम की तरफ चली गयी नहाने के बाद वो घर में बने मंदिर के सामने जाकर खड़ी हो गयी और अपने हाथ जोड़ लिए
जैसे ही आँखे बंद की आंसू की दो बुँदे उसके गालो पर लुढ़क आयी ,, वो मन ही मन भगवान से प्राथना करने लगी …
“मुझे माफ़ कर देना कृष्ण भगवान , आज जो मैं करने जा रही हु मुझे शायद बहुत पहले कर देना चाहिए था “
कुछ देर बाद अपने कमरे में चली गयी ,, आज ना उसने चाय पि ना खाना खाया ,, घर के लोगो ने भी उस से कोई बात नहीं की !! ना विनीत ने , पाखी ने अपने कपडे वगैरह अलमारी में रखे और उन्हें लॉक कर चाबी अपने बैग में डाल ली , ऑफिस के लिए तैयार होने लगी … चाबी के अलावा उसने सिर्फ अपना फोन और एक पर्स रखा जिसमे 100-200 रूपये थे …
लेकर कमरे से बाहर आ गयी उसकी आँखे अब भी भीगी हुयी थी ,, उसने एक बार नजर उठा के पुरे घर को देखा जैसे आखरी बार देख रही हो और घर से बाहर आ गयी .. विनीत ने उसे ऑफिस छोड़ा और चला गया लेकिन पाखी ऑफिस ना जाकर ऑटो लेकर रेलवे स्टेशन की तरफ चली गयी …
उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये तो सिर्फ वही जानती थी !!
वो छोड़ आयी उन लोग को , उस घर को , विनीत को
वो नहीं जानती थी उसे कहा जाना है क्या करना है , बस वो वापस जाना नहीं चाहती थी उस घर में …
कुछ ही देर में वो स्टेशन पहुंच गयी और अंदर जाकर कोने में लगी एक बेंच पर बैठ गयी … उसकी आँखों में ab खालीपन पसरा था , होठो पर पपड़ी आ चुकी थी , चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे कई रातो से सोई नहीं … अजीबो गरीब ख्याल उसके दिमाग में आये जा रहे थे
तभी उसकी अंतरात्मा ने उसे झिंझोड़ा – ये क्या कर रही है तू पाखी , इस तरह भागने से क्या होगा , तेरे जाने के बाद तेरे माँ बाप कीसी को मुँह नहीं दिखा पाएंगे … लोग कीचड़ उछलेंगे उन पर ,, और कब तक भागोगी तुम्हारे अपनों ने तुम्हारे साथ जब ये किया है तो अब किसी पर कैसे भरोसा कर पाओगी ….
ये समाज नहीं जीने देगा तुझे !! कोई भी गलत कदम उठाने से पहले एक बार अपने बारे में तो सोच ! वापस जा , उस घर जहा सब तेरे अपने है , वो घर जो आज भी तेरा है
पाखी ने अपनी आँखे बंद कर ली , सुबह से शाम तक वही बैठी रही पर कोई फैसला नहीं ले पायी … फिर वापस घर की तरफ चली गयी माँ ने जब पाखी को दरवाजे पर खड़े पाया तो पाखी की हालत देख तुरंत उसे गले लगा लिया … पाखी कुछ बोल नहीं बस गले लगी रही ,
पाखी की माँ उसे अंदर ले आयी माँ को उसने सारी बात बता दी … सुनकर माँ को बहुत बड़ा धक्का सा लगा अब तक उनकी बेटी इस दर्द से गुजर रही थी वो अनजान थी ,, उन्होंने पाखी से कोई शिकायत नहीं की बस उसकी बाते सुनकर आँखे नम करती रही ,,,
पाखी को खाना खिलाया और उसका सर सहलाने लगी , उस रात पाखी माँ के पास ही सोई सारी रात वह उनसे एक छोटे बच्चे की तरह चिपकी रही , नींद उसकी आँखों से कोसो दूर थी
बार बार उसके दिमाग में ख्याल आते और वो नींद से जाग जाती … कभी उठकर रोने लगती …
उस रात पाखी सो नहीं पायी ,, एक अनहोनी का डर बस उसे सताए जा रहा था … अगले दिन पाखी देर तक सोती रही माँ ने भी उसे नहीं उठाया , जब वह उठी तो उसकी आँखे सूजी हुयी थी और चेहरा बिलकुल मुरझाया हुआ था ,, माँ ने उसे चाय दी और पास बैठने को कहा पाखी चुपचाप बैठकर चाय पिने लगी .. पाखी के चेहरे से पाखी का सारा दर्द साफ झलक रहा था विनीत और उसके घरवालों ने अब तक उसकी कोई सुध नहीं ली थी ,
ना ही कोई फोन किया इसी तरह एक सप्ताह गुजर गया पाखी ना किसी से बात करती ना बाहर निकलती बस अपने कमरे में खुद को कैद कर लिया और आंसू बहाती रहती .. पाखी ने बहुत कोशिश की लेकिन वो अपने दिलो दिमाग से वो सब नहीं निकाल पायी
और खासकर उस घटिया आदमी को जिसने उस से बदतमीजी की , उस एक बात ने उसपर इतना असर डाला की उसे हर आदमी से नफरत होने लगी …
एक शाम पाखी जब अपने परिवार के सभी लोगो के साथ बैठी थी तब उसके बड़े चाचा ने कहा
– पाखी के साथ बहुत गलत हुआ है मेरी तो यही राय है की इसे कुक दिन यही रहने दिया जाये , सही वक्त आने पर जब वो लोग इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हो जायेंगे तब इसे वापस भेजने की सोचेंगे !!
पाखी बस चुपचाप सुनती रही …
फिर उसने कहा – मुझे वापस नहीं जाना , मैं उस आदमी के साथ जिंदगी नहीं बिता सकती ,,, और जिस आदमी ने मेरे साथ बदतमीजी की थी उस बाबा के खिलाफ मैं केस करना चाहती हु , जब तक उसे सजा नहीं मिल जाती मैं वो सब नहीं भूल पाऊँगी
“केस-थाना करना इतना आसान नहीं है , घर परिवार की इज्जत का कुछ ख्याल करो ,, कल को तुम्हारी इज्जत भी ख़राब हो सकती है , तुम लड़की हो लड़की होने का मतलब जानती हो न तुम – माँ ने उसे समझाते हुए कहा
कोनसी इज्जत , कैसी इज्जत वो इज्जत जिसकी उन लोगो को कदर तक नहीं है , जिन्होंने मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा की मैं कहा हु , उन लोगो के लिए सोच रही है आप , अगर आप लोग मेरा साथ नहीं दे सकते तो मैं खुद करुँगी ,,, मुझे किसी की जरुरत नहीं है – कहकर पाखी उठकर बाहर चली गयी
आज उसके अपने भी उसका साथ नहीं दे रहे है , वो जानती थी की वो गलत नहीं है फिर क्यों झूठी शानो शौकत के लिए आज उसके माँ बाप ने भी उसका साथ नहीं दिया ,, उसे इंसाफ चाहिए था जो कुछ भी उसने महसूस किया था उस वक्त वो काफी था उसे तोड़न के लिए अगर कोई साथ नहीं दे रहा तो क्या हुआ वो खुद के साथ इंसाफ करके रहेगी सोचते सोचते पाखी की आँखों में आंसू आ गए ,, आखिर किस गुनाह की सजा मिल रही थी वो खुद नहीं जानती थी
कुछ दिन घर पर गुजारने के बाद पाखी ने फिर से जॉब शुरू कर दी , उसका अब सारा वक्त ऑफिस में ही गुजरता था लेकिन एक परेशानी उसे अब भी बार बार परेशान किये थी वो थी उस आदमी को जेल पहुंचना .. एक दिन हिम्मत करके पाखी पुलिस स्टेशन चली गयी .. न उसने घरवालों को बताया ना अपने साथ किसी को लेकर गयी …
पुलिस स्टेशन पहुंचते ही उसकी सारी गलतफहमियां दूर हो गयी , जैसा की उसने फिल्मो में देखा था हकीकत उस से कई ज्यादा अलग थी , उसने शिकायत दर्ज करवा दी , लेकिन एक ही बयान उसे न जाने कितनी बार देना पड़ा
थाने की महिला इंचार्ज इंस्पेक्टर शारदा थी , शरीर से हट्टी कट्टी रोबदार थी , उसे देखते ही पाखी एक पल के लिए घबरा गयी लेकिन फिर उसने पाखी से बैठने को कहा और सारी बाते पूछी बात चित के दौरान वो बार बार पाखी की आँखों में देखे जा रही थी , लेकिन पाखी सब सच सच बताती रही पाखी की बातो से इंस्पेक्टर को लगा की वो सच बोल रही है
उन्होंने पाखी से विनीत का नंबर लिया और विनीत को उसकी माँ के साथ थाने बुलवा लिया लेकिन काफी देर तक वो लोग नहीं आये तो उन्होंने वापस फ़ोन किया और सख्ती से उन दोनों को थाने में आने के लिए कहा !! लगभग 2 घंटे बाद विनीत और उसकी माँ आ गए ,,
आते ही विनीत की माँ ने पाखी को नफरत भरी निगाहो से देखा और अपनी सफाई में बड़ी बड़ी बाते करने लगी .. पाखी का साथ देने वाला वहां कोई नहीं था वो एक कोने में कड़ी बस आंसू बहाये जा रही थी ,, इंस्पेक्टर साहिबा ने पाखी के घर फोन किया पाखी के चाचा चाची और मम्मी दौड़ते हुए चले आये , आते ही उन्होंने पाखी को सम्हाला ,, वो बहुत घबराई हुयी थी
सबकी बाते सुनने के बाद इंपेक्टर ने दोनों पक्षों को बाहर बैठने को कहा
घरवाले अब पाखी के साथ थे , सब खानापूर्ति करने के बाद इंस्पेक्टर ने सिर्फ पाखी और विनीत को अंदर बुलाया लेकिन विनीत ने पाखी को बोलने का मौका ही नहीं दिया अपनी सफाई में बड़ी बड़ी ढींगे हांकने लगा … उनकी बहस घंटो चलती रही
इस बिच न जाने कितने ही इल्जाम झूठे इल्जाम पाखी पर लगे , और उसे रुलाया गया विनीत जो की उसका पति था उसके खिलाफ था , इस बात ने पाखी को बहुत दुःख पहुंचाया सुबह से शाम हो गयी पर कोई हल नहीं निकला
विनीत और पाखी में से कौन सच बोल रहा था किसी को समझ नहीं आया , दूसरा विनीत पाखी के खिलाफ था वो भी उस इंसान को बचाने के लिए जिसने पाखी से बदतमीजी की थी
इंस्पेक्टर ने विनीत को दो दिन के अंदर अंदर उस आदमी को साथ लेकर आने की वार्निंग देकर छोड़ दिया और पाखी को भी समझा कर घर भेज दिया …
पाखी घर आ गयी 2 दिन उसपर पहाड़ जैसे गुजरे और दो दिन बाद पाखी को फिर से थाने बुलाया गया !! इंस्पेक्टर ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उन सबको थाने में बने हुए क्वाटर रूम में लेकर गयी , जहा वो आदमी पहले से मौजूद था
उसे वहा देखकर पाखी को बहुत गुस्सा आया लेकिन वो शांत रही ,, पहले तो उस आदमी ने पाखी को पहचानने से साफ इंकार कर दिया और कहा की वो सब झूठ बोल रही है
लेकिन जैसे ही विनीत और उसकी माँ आये उसने डरकर सब सच उगल दिया !!
और नजरे झुकाकर बैठ गया !!
इंस्पेक्टर शारदा ने सबको बाहर भेजकर सिर्फ विनीत और पाखी को अंदर रखा , ताकि दोनों अपनी अपनी बात रख सके लेकिन विनित ने पाखी को बोलने का कुछ मौका ही नहीं दिया उस पर झूठे आरोप लगाता रहा उस रुलाता रहा , घंटो बहस क बाद बड़े अफसर को बुलाया गया और सारी बात बताई गयी
उन्होंने विनीत और उसकी माँ को फटकार लगायी और कहा की – फैसला लड़की पर है वो इनपर केस करना चाहती है या नहीं , आगे की कार्यवाही उसके बाद ही होगी
कहकर वो कमरे से बाहर निकल गए …
इतना सब होने के बाद भी ना विनीत की आँखों में शर्म थी ना कोई अफ़सोस वो अब भी अपने गुरुर में खड़ा था .. शारदा जी ने वक्त की नजाकत को समझते हुए पाखी को अकेले में बुलाया पाखी जाकर उसके पास बैठ गयी उन्होने प्यार से पाखी को समझाते हुए कहा
– देखो बेटा, तुम एक बहुत समझदार और बहादुर लड़की हो जिसने इन सब चीजों का सामना किया है , वरना आजकल कोई इतनी हिम्मत नहीं दिखाता ,,, तुम कहोगी तो मैं उन लोगो के खिलाफ रिपोर्ट लिख दूंगी पर उस आदमी के साथ साथ तुम्हारी सास और पति के खिलाफ भी मामला दर्ज होगा , किसी भी केस के लिए सबूत या गवाह की जरुरत होती है , पर यहाँ तो तुम्हारा पति ही तुम्हारे खिलाफ है ,
तुम केस हार जाओगी आज जो लोग तुम्हारे साथ खड़े है अदालत में कोई तुम्हारा साथ नहीं देगा ,, ना तुम्हारे पास उनके खिलाफ कोई सबूत है ,,, सोच समझ कर फैसला लो बेटा , तुम मेरी बेटी की उम्र की हो तुम्हारा दर्द मैं समझ सकती हु पर ये लोग तुम्हारे लायक नहीं है हां इन्हे वार्निंग दे सकती हु जिससे आगे ये तुम्हारे साथ ऐसी कोई हरकत ना करे …
कहकर वो भी बाहर निकल गयी पाखी कमरे में अकेली थी , उसने अपनी आँखों में आये आंसुओ को पोछा सही तो कह रही थी शारदा जी उसके पास कोई सबूत नहीं था , यहाँ तक की विनीत भी उसका साथ नहीं दे रहा था .. अकेले वो कहा तक लड़ पायेगी इन लोगो से ,, उसने सिर्फ कंप्लेंट की और उस आदमी को वार्निंग देकर छोड़ दिया गया ,,, विनीत और उसकी माँ को भी वार्निंग दी और छोड़ दिया
लेकिन विनीत पाखी को घर ले जाने की जिद करने लगा तो इंस्पेक्टर ने साफ शब्दों में कहा – लड़की की मर्जी के बिना इसे कोई कही नहीं ले जा सकता , और अगर अब तुम लोगो ने जोर जबरदस्ती की तो दोनों माँ बेटे को हवालात में डाल दूंगी
उनकी बात सुनकर विनीत अपनी माँ के साथ वहा से निकल गया
कमला जी ने पाखी को अपना नंबर देते हुए कहा – अगर कोई भी परेशानी हो तो मुझे बताना ,
पाखी मुस्कुरा दी और हाथ जोड़कर आँखों से उनका आभार प्रकट किया ,, आज पुरे दो दिन बाद वो मुस्कुरायी थी ,, सब लोग घर आ गए पाखी को लगा जैस उसके मन से बहुत बड़ा बोझ उतर गया …
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Thank God ki yeh police wali mam sahi thi…kisi ne to Pakhi ka sath diya….ab Manu kaha hai