शाह उमैर की परी – 43
Shah Umair Ki Pari – 43
Shah Umair Ki Pari – 43
दूसरी दुनिया ”ज़ाफ़रान क़बीला ” :-
”बेटा ज़ैद काफी दिन होगये है यही महल में हमेशा रहने का इरादा है या अपने घर भी चलोगे इस बड़े से महल में मेरा दम घुटता है !” शाह कौनैन ने कहा !
”अब्बा मैं कुछ कामों में मसरूफ हूँ आप नफिशा को लेकर घर चले जाए , जब से महल पर हमला हुआ है मेरी जिम्मेदारियाँ और बढ़ गयी है !” शाह ज़ैद ने कहा !
”ठीक है जैसा तुम कहो वैसे उमैर की कोई खबर मिली इंसानी दुनिया में कहा पर है वो !” शाह कौनैन ने कहा !
”अब्बा उमैर का कुछ भी पता नहीं चल पारहा है मैंने एक दो बार उसको तलाश करने की कोशिश भी थी !” शाह ज़ैद परेशान होते हुए कहते है !
”तुम रहने दो तुमसे कुछ नहीं होगा मैं ही कुछ करता हूँ तुम बस इस शहंशाह के आगे पीछे घूमते रहो !” शाह कौनैन ने डांट लगते हुए कहा !
”बेटी नफिशा चल चलते है अपने घर मेरा अब दिल नहीं चाहता यहाँ और रहने का !” शाह कौनैन ने नफिशा से कहा जो के हनीफ के साथ बागीचे में घूम रही होती है !
”क्यों दादा अब्बू यहाँ कितना आराम है हमे हमारे चारों तरफ नौकर लगे होते है घर गयी तो मुझे घर के सारे काम करने होंगे और अब तो अमायरा आपी भी नहीं होगी घर पर !” नफिशा ने मुँह बनाते हुए कहा !
”मगर नफिशा मेरी बच्ची अपने घर के कामों से कैसा घबराना अमायरा को देखो वो इस क़बीले की रानी बन चुकी है मगर अपने शौहर और परिवार के लिए अपने हाथों से खाना बनाती है तुम्हे उससे कुछ सिखना चाहिए कल को तुम्हारी भी तो शादी होगी !” शाह कौनैन ने समझाते हुए कहा ! तो नफिशा उन्हें देख कर नाक सुकड़ती है !
”दादा हुज़ूर मैं सोच रहा के मैं इस कम अक़ल से शादी के लिए मना करदूँ ? क्या पता शादी के बाद सारे काम मुझे करने पड़े घर के इसका क्या यह तो बस खुद को महारानी समझती है !” हनीफ ने नफिशा की नाक खिंचते हुए कहि !
”हाँ तो मना करदो मुझे भी तुमसे शादी नहीं करनी है !” नफिशा ने कहा !
”तुम दोनों आपसे में मत झगड़ो मैं अपने घर अकेले ही चला जाता हूँ वैसे भी एक उम्र मैंने अकेले ही काटी है ज़िन्दगी के कुछ दिन और सही !” शाह कौनैन थोड़ा उदास होकर कहते है तो नफिशा उनका हाथ थाम कर मुस्कुराते हुए घर चलने का इशारा करती है !
”बेटे अपने घर को कभी विरान नहीं छोड़ते दूसरों के घर में हमे कितना भी आराम वा अपनापन मिले आखिर के वो होता तो दूसरे का घर ही है , वो तो इरफ़ान बेटे ने रोक लिया इतने दिन वरना मैं कभी नहीं रुकता !” शाह कौनैन पुरे घर का चक्कर लगाते हुए नफीशा और हनीफ से कहते है !
”दादा हुज़ूर आप उमैर को वापस ले आओ ना उसके बिन सब सुना सा लगता है ! अब तो सब कुछ ठीक है हमारे क़बीले में वैसे सुनने में आया है के शहजादी मरयम और शहजादे अल्तमश का रिस्ता भी होने वाला है क्यों के शहजादी मरयम खुद शहजादे अल्तमश से रिश्ते के लिए अपने अब्बा से कह रही थी अब जब के सब कुछ ठीक है तो बेचारे हमारे उमैर को सजा क्यों मिले ?” हनीफ ने कहा !
”सही कहा तुमने हनीफ बेटे लगता है हमारे गैर मौजूदगी में कोई हमारे घर पर आया था मुझे यहाँ दो इंसानी बू महसूस हो रही है खास कर मेरे आईने के पास से मुझे कुछ गड़बड़ होने का एहसास होरहा है !”शाह कौनैन ने आईने पर जमी धुल को हाथों से साफ़ करते हुए कहा !
Shah Umair Ki Pari – 43
शहर धनबाद में :-
”अंकल परी उठ गयी है क्या ?” आसिफ ने सुबह सुबह परी के घर आते हुए कहा !
”नहीं वो सो रही है। क्या काम है बताओ ?” हसन जी ने गुस्से से कहा !
”लो आप भूल गए? कल रात को ही तो आप को बताया था कि अच्छे से ज़हन में डाल लेना। कल हमारी शादी है और आप सुबह होते ही भूल गए ! वैसे मैं आज खुद परी को उठाऊँगा !” आसिफ कहता हुआ सीधे परी के कमरे में जाता है !
हसन जी उसे रोकने की कोशिश करते है मगर वो नहीं रुकता है और सीधा परी के कमरे में जाता है परी को बेखबर सोता देख पहले मुस्कुराता है फिर सामने पड़ी पानी की बोतल उठा कर उस पर उड़ेल देता है !
”उठ जाओ मेरी परी। आज हमारी शादी है देर तक सोते रहोगी तो तैयारियाँ कैसे होगी ?”
”आसिफ तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? यह कोई तरीका है किसी को उठाने का ?” परी ने हड़बड़ा कर हुए उठते हुए कहा !
”आज से आदत डाल लो मेरा चांद , चलो अब जा कर नहा लो फ्रेश हो जाओ जल्दी से। तुम्हे मेहँदी लगाने के लिए एक लड़की आएगी पार्लर से, शाम में वही तुम्हे मेरी दुल्हन बनाएगी। बिना कोई सवाल के चुप चाप मेरे नाम की मेहँदी लगा लेना !” आसिफ ने टॉवल से परी के चेहरे को पोछते हुए कहा !
”उससे पहले मैं एक बार उमैर से मिलना चाहती हूँ और तुम मेरे सामने उसे आज़ाद करोगे तब ही मैं तुमसे शादी करुँगी !” परी ने कहा !
”अरे जरूर मिलवाऊंगा मगर निकाह के बाद मेरी जान उस जिन को पहले आज़ाद किया तो वो हमारी शादी होने नहीं देगा। खैर छोड़ो यह सब, यह लो तुम्हारे कपड़े पहले तुम नहा लो रात में ये दुल्हन का जोड़ा पहन लेना। अब मैं चलता हूँ भाई मुझे भी तो दूल्हा बनना है जरा खुद की शक्ल ठीक करा लूँ। क्या अंकल आंटी, आप लोग ऐसे ही मुँह लटकाये बैठे रहेंगे? या अपनी बेटी की शादी का भी कोई इंतजाम करेंगे !” आसिफ हँसते हुए परी को कपड़ो का थैला थमा कर वहाँ से चला जाता है !
”इस लड़के ने तो एक दम से ही अपना रवैया बदल लिया मुझे जरा सा भी इल्म नहीं था कि यह इतना खतरनाक निकलेगा !”हसन जी ने कहा !
”अब हम क्या करेंगे ? हम तो फस गए है !” नदिया जी ने सर पर हाथ रखते हुए परेशान होकर कहा !
”आईने से मैंने कई बार उसकी बहनों को आवाज़ लगाई मगर कोई भी मुझे जवाब नहीं दे रही। न जाने आसिफ ने आईने को क्या कर दिया है? ₹ मैं उमैर की दुनिया में मदद के लिए जा भी नहीं सकती। मम्मी पापा उमैर के लिए आसिफ से मुझे शादी करनी पड़ेगी वरना ना जाने वो क्या करेगा उसके साथ ? ”परी उदास हो कर कहा !
”बेटा हमे नहीं पता था कि हम अपनी बेटी को इस तरह विदा करेंगे ! काश के हम तेरे लिए कुछ कर पाते अगर उमैर की ज़िन्दगी उसके हाथों में नहीं होती तो मैं उससे तेरी शादी कभी नहीं होने देता !” हसन जी ने परी को गले से लगते हुए कहा !
”पापा उमैर को तो मैं उसके क़ैद से रिहा करा कर रहूंगी !”परी ने रोते हुए कहा तभी दरवाज़े पर दस्तक होती है नदिया जी जाकर दरवाज़ा खोलती है तो सामने एक लड़की खड़ी होती है नदिया जी को देख कर कहती है !
”हेल्लो गुड मोरनिंग मैम मेरा नाम रीना है मुझे आसिफ सर ने मेहँदी के लिए भेजा है !”
नदिया जी परी के तरफ देखती है तो परी कहती है ” मम्मी आप इन्हे बैठाओ तब तक मैं नहा कर आती हूँ !”
परी नहा कर आती है तो नदिया जी ने शगुन के तौर पर परी को हल्का सा हल्दी लगाया क्यों की यह शादी उनके मर्ज़ी के खिलाफ होती है इसलिए वो किसी को भी दावत नहीं देते है !
”मैम सर ने कहा है की मेहँदी में उनका नाम बड़े अछरों में लिखूँ !” परी को मेहँदी लगाते हुई लड़की रीना ने कहा ! मगर परी कुछ भी जवाब नहीं देती है तो वह उसके हथेली पर बड़े शब्दों में आसिफ लिख देती है
परी का दिल तो बस गम में डूबा होता है उसे बस हर पल अपने उमैर की फिक्र सता रही होती है मगर वो कुछ नहीं कर सकती है अपने उमैर के लिए , परी के हाथों में आसिफ के नाम की मेहँदी लग चुकी होती है। शाम होते होते मेहँदी अपना रंग भी ले आती है मगर परी के ज़िन्दगी के मोहब्बत भरे रंग उड़ चुके होते है !
रीना परी को दुल्हन बनाती है लाल लहँगे में परी का खूबसूरत रंग खिल रहा होता है मगर चेहरे पर एक लम्बी उदासी छायी हुई रहती है !
”मैम जरा आप खुद को आईने में तो देखो, सच में परी लग रही हो !” रीना ने कहा तो परी एक नज़र आईने में खुद पर डालती है रोते हुए आईने पर फिर एक बार अमायरा , नफिशा को आवाज़ देती है !
”मैम क्या हुआ आप इस तरह क्यों कर रही है? क्या आप इस शादी से खुश नहीं है ?” रीना ने कहा ”वो खुश है या नहीं यह पूछने वाली तुम कौन होती हो तुम्हारा काम हो गया ना? चलो अब निकलो !” आसिफ ने कहा तो रीना वहाँ से चुप चाप चली जाती है !
”वैसे तो मैं दहेज़ के खिलाफ हूँ। मगर, परी यह आईना मैं ले लेता हूँ। तुम तो अब मेरे साथ मेरे घर पर रहोगी तो यह आईना हम वही ले चलते है !” आसिफ कहता है
”तुम्हे जो सही लगे करो तुमने जो कहा मैंने वो अब माना अब तुम उमैर को आज़ाद कर दो please !” परी ने हाथ जोड़ते हुए कहा !
”अरे मेरी जान, मेरी चंदा बहुत जल्दी रहती है तुम्हे। अभी निकाह बाकी है अच्छा बताओ कैसा लग रहा हूँ मैं? जरा इस आईने में देखते है हम साथ में कैसे लग रहे है !” आसिफ परी के साथ आईने के सामने खड़े होते हुए कहा !
”वो कारी साहब आ गये है कहा बैठाना है उन्हें बता दो !” हसन जी ने कहा !
”अंकल बाहर हॉल में बैठा कर पहले नास्ता पानी कराये। तब तक मैं जरा इस आईने को अपने कमरे में रखवा कर आता हूँ !” आसिफ कहता है फिर एक मज़दूर की मदद से आईने को अपने घर पर मगवा लेता है !
” बेटा हमे नहीं पता हम आज तुमसे क्या कहे ? मगर दुआ है के जहा रहो खुश रहो अल्लाह ने चाहा तो तुम्हारी ज़िन्दगी की परेशानियाँ जल्द ही खत्म हो जाएंगी ! ” नदिया जी ने प्यार से परी के सर पर हाथ रखते हुए कहा !
”मम्मी हमारी ज़िन्दगी में कब कुछ सही रहा है? जो आगे सही रहेगा। बाकी आगे जो होगा देखा जायेगा !” परी ने अपने आँखों से निकलते हुए आँसुओ को साफ़ करते हुए कहा !
”बेटा कारी साहब निकाह पढ़ाने आये हुए है, तुम वज़ू कर के बैठ जाओ !” हसन जी ने कहा तो परी गुसल खाने में जाकर वज़ू कर आती है फिर दो रेकात नमाज़ हाज़त पढ़ कर अपने और उमैर के लिए दुआ करती है !
कारी साहब परी और आसिफ को बारी बारी से निकाह के कलमात पढ़ा कर निकाह मुकम्मल करते है ,निकाह के होते ही परी बे इन्तहा रोने लगती है क्योंकी ना अब उसके माँ बाप का उस पर हक़ होता है ना ही उसकी मोहब्बत उमैर का। वो अब ऐसे इंसान के सरपरस्ती में आ जाती है जो उससे मोहब्बत करने का दावा तो करता है मगर हकीकत में परी को वो सिर्फ पाना चाहता था ! परी के साथ साथ नदिया जी और हसन जी भी रोने लगते है !
”अपनी परी ज्यादा दूर तो नहीं गयी है नदिया जी मगर फिर भी ऐसा लगता है वो हमसे बहुत दूर हो गयी है !” परी की विदाई के बाद हसन जी ने कहा !
”ऐसा क्यों कह रहे हो आप? बस दुआ करें उसके लिए। अल्लाह उसका नसीब अच्छा बनाये , वैसे भी इंसान की शादी इंसान से ही होनी चाहिए किसी जिन से नहीं ,आसिफ उसे पसंद करता है यह मैं और आप अच्छे से जानते है , उम्मीद है मुझे कि वो हमारी परी को खुश रखेगा !” नदिया जी ने कहा !
”मगर नदिया जी उसके लड़के पर अब मुझे भरोसा नहीं है ना जाने आगे और क्या क्या होगा ? अल्लाह ही बेहतर जनने वाला है !” हसन जी ने एक लम्बी साँस लेते हुए कहा !
आसिफ के कमरे में खिड़की पर खड़ी परी अपने घर की तरफ नम आँखों से देख रही होती है तभी आसिफ उसको पीछे से उसके कमर में हाथ देकर पकड़ते हुए कहता है ”क्या देख रही हो मेरी जान मैं तो इधर खड़ा हूँ !”
”आसिफ छोड़ो मुझे और तुम मुझसे दूर ही रहना , तुम्हे मुझसे शादी करनी थी वो हो गयी अब ख़बरदार जो मुझे छूने की कोशिश भी की तो !” परी ने खुद को आसिफ की गिरफ्त से छुड़ाते हुए कहा !
”तो क्या कर लोगी तुम? मुझे मना करोगी? भूल रही हो तुम के अब मैं तुम्हारा शौहर हूँ। मेरा हक़ बनता है तुम पर !” आसिफ ने परी की कलाई मरोड़ते हुए कहा !
”मुझ पर सिर्फ उमैर का हक़ है, था और रहेगा। उसके एलावा कोई भी मुझे नहीं छू सकता है समझे तुम !” परी ने आँखे लाल करते हुए कहा !
”बेशर्म अपने शौहर के सामने गैर मरहम की बात करती है ?” आसिफ ने परी को जोर का तमाचा मारते हुए कहा !
परी भी गुस्से में एक जोर का तमाचा आसिफ को पलट कर मारती है और कहती है ! ” जबरदस्ती के रिश्ते को तुम नाम मत दो आसिफ। तुमसे निकाह मैंने सिर्फ और सिर्फ उमैर की सलामती के लिए किया है, तुम्हे मुझे हासिल करना था सो तुमने कर लिया अब उमैर को आज़ाद कर दो !”
”तुम्हे क्या मैं शक्ल से बेवक़ूफ़ लगता हूँ? जो उस जिन को आज़ाद करूँगा? रुको मैं अभी तुम्हे उससे मिलवाता हूँ !” आसिफ हँसते हुए कहता है फिर अपने कमरे से बाहर जाता है और थोड़ी ही देर में वो बोतल लेकर आता है जिसमे उमैर अधमरा सा पड़ा होता है !
”देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लेकर आया हूँ , तुम्हारा उमैर देखो देखो बेचारे की क्या हालत हो गयी है !” आसिफ परी के सामने बोतल करते हुए कहता है ! परी जैसे ही बोतल उसके हाथ से छीनने की कोशिश करती है तो वो अपने हाथ पीछे कर देता है !
”ना ना अभी नहीं। अभी तो इस जिन जादे के सामने सुहागरात मनानी है मुझे !” आसिफ कहता है !
”परी परी। … उमैर आवाज़ देता है !
”उमैर कैसे हो तुम ?” परी ने पूछा !
”तुम्हारे बगैर कैसा रहूँगा मैं ? परी तुमने यह क्या कर दिया ? तुम्हे इससे शादी नहीं करनी चाहिए थी। यह अच्छा इंसान नहीं है !” उमैर ने कहा !
”उमैर मैं क्या करती? मैं मजबूर थी इसने शादी बदले तुम्हे छोड़ने का वादा किया था मुझसे इसलिए मैंने इस बदजात से शादी की !” परी ने कहा !
”परी मुझे मरने देती तुम वैसे भी मर ही रहा हूँ मैं । मगर तुम्हे इसके साथ शादी करके अपनी ज़िन्दगी बरबाद नहीं करनी चाहिए थी !” उमैर ने रोते हुए कहा !
”ऐ हेलो, दोनों बंद करो यह सब ड्रामा। तुम दोनों और प्यारे जिनि उमैर आज मैं तुम्हारे सामने ही तुम्हारी मोहब्बत के साथ वो सब करूँगा जो शायद तुम्हे बर्दास्त ना हो !” आसिफ ने कहा फिर वो बोतल को बेड के सामने ऊंची जगह पर रख देता है ! फिर परी को जबरदस्ती पकड़ कर बेड पर पटक देता है
”खब्बीस छूना भी मत उसे वरना तेरे टुकड़े टुकड़े कर दूंगा !” उमैर बोतल के अंदर से चिल्लाता रहता है।
लेकिन आसिफ पर तो एक जुनून होता है कि उसे बस उमैर को नीचा दिखाना है। मोहब्बत को शर्मसार करने में उसे वक्त नहीं लगता और परी के साथ जबरजस्ती कर उसके कपड़े नोच कर निकाल देता है।
परी का रोना, गिड़गिड़ाना किसी काम नहीं आता क्योंकि आसिफ पर बस उमैर को नीचा दिखाने का फितूर चढ़ा होता है।
“आसिफ खुदा के वास्ते मुझे छोड़ दो।”
“आज तो खुदा आकर भी कहें तो भी मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता परी। बहुत सालों से जल रहा हूँ अकेले ही इस आग में। कब से और कितनी मोहब्बत करता हूँ तुमसे…. और तुम? तुम इस जिन जादे से शादी करना चाहती थी?” आसिफ की आंखों में गुस्सा बढ़ता जाता है। गुस्से में ही वो अपने सारे कपड़े उतार फेंकता है और परी के साथ बेड पर आ जाता है।
“आसिफ़ मत करो ऐसा। मत करो।” परी गिड़गिड़ाती हुई रोती रहती है पर आसिफ हर हद पार कर देता है। बोतल में बन्द उमैर खुद को बाहर निकालने के लिए हाथ, पैर, सिर सब कुछ बोतल पर मार-मार कर लहूलुहान कर लेता है। बेहोशी चढ़ने लगती है और उमैर सब कुछ होता देखने से पहले ही बोतल में बेहोश हो जाता है।
आसिफ़ हैवानियत की सारी हदें पार कर उठता है और परी का जोड़ा उठा कर उसके ऊपर फेंकता है।
“लो संभालो अपनी इज्जत। एक बात कहूँ परी। तुम्हें मेरी मोहब्बत ही मिलनी थी। लेकिन जो गलत राह पकड़ ले उसके लिए ही खुदा आलिमों को भेजते हैं। देखो मैं आ गया, बचा लिया तुम्हें इस जिन से।” कपड़े पहनते हुए आसिफ़ परी को समझाते हुए कहता है। प्यार से आकर उसके पेशानी को ऊपर कर उसे चूमता है और बाहर निकल जाता है।
परी अपनी इज्जत को शर्मसार होने का सोच बस रोती हुई अपने कपड़े पहनती है।
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Written by – Shama Khan
“ना मोहब्बत मिली ना मिली महबूब की सलामती ,
ऐ खुदा तू ही बता मेरे रास्तों पर अब और कितने कांटे है !”