Love You जिंदगी – 57
Love You Zindagi – 57
मोंटी की कॉलर पकडे नैना उसे घूरे जा रही थी और मोंटी बस रुचिका के उदास चेहरे को देख रहा था। नैना का गुस्सा कुछ कम हुआ तो उसने हताश होकर मोंटी की कॉलर छोड दी पर वहा पड़े सोफे पर बैठकर कहने लगी,”साला यही सब देखने के लिए तो तुम दोनों को एक किया था। मोंटी मैं समझ नहीं पा रही आखिर तुम दोनों एक दूसरे से चाहते क्या हो ? क्या तुम दोनों का प्यार और रिश्ता इतना कमजोर है कि इसे समझने के लिए तुम दोनों को किसी तीसरे की जरूरत पड़ रही है। गोआ में माला ने जो कहा था वो पूरा कर दिखाया,,,,,,,,,,,,,,,,,और मैंने भी इस से इसलिए पंगा ले लिया क्योकि मुझे लगा साले तू सही है लेकिन इस बार तूने मुझे,,,,,,,,,,,,,,,,अपनी दोस्त को गलत साबित कर दिया था। तूने रुचिका का दिल तोडा , उस से झूठ कहा , उसे धोखा तक दिया और ये सब छोड़ तूने उस पर हाथ कैसे उठाया तेरी ऐसी की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
कहते हुए नैना जैसे ही उठने को हुई अवि ने उसे रोक लिया तो नैना ने कहा,”ये एक लड़की पर हाथ कैसे उठा सकता है यार पडोसी ?”
“शांत हो जाओ नैना,,,,,,,,,,,,,उसे अपनी बात कहने का एक मौका तो दो”,अवि ने मोंटी की मनोस्तिथि समझते हुए कहा
नैना मोंटी के पास आयी और रुचिका की ओर इशारा करके कहा,”इसके बाप ने इसे यहाँ मार खाने के लिए नहीं भेजा है , तूने सबके सामने इस से शादी की है तू इसके साथ ऐसे पेश नहीं आ सकता। अगर कोई मिसअंडरस्टैंडिंग है तो बैठकर सॉल्व कर लो अपनी शादी का इस तरह तमाशा मत बनाओ,,,,,,,,,,,रही बात उस माला की तो उस से तो मैं निपट ही लुंगी ये सब उसी के कारण हुआ है”
“माला की इन सब में कोई गलती नहीं है नैना”,मोंटी ने एकदम से चिल्लाकर कहा तो सब उसकी तरफ देखने लगे।
मोंटी उठा और अपने होंठ पर लगे खून को साफ करते हुए वहा पड़ी कुर्सी पर आ बैठा। अवि ने रुचिका से आकर बैठने का इशारा किया और नैना को भी बैठने का कहकर खुद उसके बगल में बैठ गया। मोंटी कुछ देर खामोश रहा और फिर कहने लगा
“ये सब तब से शुरू हुआ जब मैं पहली बार माला से मिला था , उस वक्त माला नहीं जानती थी मैं शादीशुदा हूँ ना ही मैंने कभी उसके सामने अपनी पर्सनल लाइफ का जिक्र किया। माला यहाँ एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में आयी थी और उस प्रोजेक्ट पर मुझे उसके साथ काम करना था। माला की कम्पनी और टर्न ओवर काफी बड़ा था इसलिए मेरे बॉस को लालच आ गया। माला खुद भी नहीं जानती थी कि इस प्रोजेक्ट के लिए उसे टारगेट बनाया जा रहा है। वह मुझे पसंद करती थी और मेरे फ्रेंक बिहेव को उसने प्यार समझ लिया। मुझे हासिल करने के लिए उसने मेरे बॉस से हाथ मिला लिया और उनके जाल में फंसती चली गयी। मैं गोआ में हूँ ये बात सिर्फ बॉस को पता थी और उन्होंने वहा माला को भेज दिया। गोआ आकर माला को पता चला मैं शादीशुदा हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,इसके बाद वह पीछे हट गयी लेकिन बॉस ने उसे इस कदर अपने जाल में फंसा रखा था कि अपनी बातो से उसका ब्रेन वाश कर दिया और बात माला के ईगो पर आ गयी। उस रात गोआ में जब रुचिका ने मुझे माला के साथ देखा था उसी रात मुझे बॉस के इरादों का पता चला और मैं माला को समझाने चला गया लेकिन वो मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थी।
मैं नहीं चाहता था माला रुचिका और मेरे बीच आये और हमारी शादीशुदा लाइफ खराब हो इसलिए गोआ से आने के बाद मैंने माला से दूरी बना ली और उसे इग्नोर करना शुरू कर दिया। माला ने अपने ईगो के चलते बॉस से कहकर मुझे ऑफिस से निकलवा दिया। मेरे बॉस की पहुँच अच्छी है इसलिए उन्होंने मेरे हर जॉब इंटरव्यू को केंसल करवा दिया। मेरे लॉन को भी रोक दिया। वो चाहते थे मैं इन सब से परेशान होकर उनकी बात मान लू और फिर से उनके लिए काम करू,,,,,,,,,,,,,,,इसी बीच रुचिका का बिहेवियर बदल गया। वो हर वक्त मुझसे कटी कटी रहने लगी,,,,,,,,,,,,,,,मैं पहले से अपनी जॉब को लेकर परेशान था उस पर रुचिका के बर्ताव से मेरा मन और खराब हो गया। रुचिका चाहती थी हम दोनों यहाँ से सब छोड़कर वापस चित्रकूट चले जाये लेकिन मैं नहीं जाना चाहता था,,,,,,,,,,,,मैं ऐसे मुंह छुपाकर नहीं जा सकता था नैना,,,,,,,,,,,,,,,,,,मैंने कुछ गलत नहीं किया , मैंने कोई चोरी नहीं की , किसी का खून नहीं किया फिर मुझे मुंह छुपाकर क्यों जाना चाहिए ?’
कहते कहते मोंटी रुक गया। अवि नैना और रुचिका तीनो ख़ामोशी से उसे सुन रहे थे। मोंटी ने एक गहरी साँस ली और आगे कहने लगा,”इस शहर में मेरे भी कुछ सपने थे , कुछ अरमान थे जिन्हे मैं पूरा करना चाहता था। रुचिका से मिलने के बाद कभी किसी और लड़की का ख्याल मेरे मन में आया ही नहीं। मैंने इसे हमेशा वैसे ही एक्सेप्ट किया जैसी ये थी कभी इसे बदलने का सोचा भी नहीं नैना फिर मैं इसे धोखा देने के बारे में कैसे सोच सकता हूँ ? हाँ मैं दो दिन पहले मॉल के बाहर माला से मिला था लेकिन तब भी मैंने उस से यही समझाया कि मैं रुचिका से बहुत प्यार करता हूँ और हमेशा उसके साथ रहना पसंद करूंगा। आज दोपहर माला यहाँ आयी थी लेकिन यहाँ वो सिर्फ मुझसे और रूचि से माफ़ी मांगने आयी थी। वो बॉस की चाल समझ चुकी थी इसलिए उसने उनकी कम्पनी के साथ सारे कॉन्ट्रैक्ट खत्म किये और हमेशा हमेशा के लिए वापस जा रही थी। जाने से पहले वो हम दोनों से मिलना चाहती थी। वह अपने किये पर शर्मिन्दा थी और ये सच था वो सच में बदल चुकी थी। मैं रूचि को ये सब समझा पाता इस से पहले ही उसने मुझे माला के साथ देखा और गलत समझ लिया। मैंने फिर भी कोशिश की मैं उसे समझा पाऊ लेकिन इसने मेरी कोई बात ही नहीं सुनी। जब इसने सबके सामने हमारे रिश्ते को लेकर गलत कहा तो गुस्से में मेरा हाथ उठ गया और मैंने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी नैना मैं ऐसा कुछ नहीं करना चाहता था लेकिन उस वक्त कुछ समझ नहीं आया और ये सब,,,,,,,,,,,,,,,आई ऍम सॉरी”
मोंटी की बात सुनकर रुचिका को अपनी गलती का अहसास हुआ। वह उदास चेहरा लिए मोंटी को देखने लगी। अवि ने सूना तो उसे भी मोंटी के लिए बुरा लगा। अवि खुद एक लड़का था इसलिए मोंटी की भावनाओ को अच्छे से समझ सकता था। अवि ने मोंटी के हाथ पर हाथ रखा और कहा,”तुम्हे अब और सफाई देने की जरूरत नहीं है मोंटी,,,,,,,,,,,,,,,,हर बार हम मर्द गलत नहीं होते तुम्हारी दोस्त को ये समझने की जरूरत है”
अवि का इशारा नैना की तरफ था जो कि मोंटी की बात सुनने के बाद खामोश बैठी थी। नैना को मन ही मन बहुत बुरा लग रहा था पहली बार उसने अपने दोस्त को समझने में भूल जो कर दी थी। उसने एक गहरी साँस ली और कहा,”मोंटी मैं तुझे,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“नहीं नैना मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,जब अपने ही भरोसा नहीं कर रहे तो फिर मेरे सफाई देने से क्या बदल जाएगा। रूचि को अगर मुझ पर शक था या मुझसे शिकायत थी तो वो मुझसे बात करती , मुझसे पूछती लेकिन इसने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया,,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने दुखी स्वर में कहा
नैना ने सूना तो रुचिका की तरफ देखा और कहा,”अब तुम कुछ बोलोगी ? तुम शुरू से ढक्कन हो ये मुझे पता है लेकिन इतनी बड़ी हो ये आज पता चला रूचि,,,,,,,,,,,,,,,,मोंटी तुम्हारा पति बाद में है तुम्हारा दोस्त पहले था , जैसे तुम अपनी हर प्रॉब्लम मुझसे शेयर करती हो वैसे मोंटी से भी कर सकती थी ना,,,,,,,,,,,,,,,जो देखा उसे सच मान लिया और निकल पड़ी घर से,,,,,,,,,,,,!!”
“और मैं क्या करती ? और मधु ने ही कहा था मुझसे कि अगर मोंटी मुझे धोखा दे रहा है तो वो मेरी गैरमौजूदगी में माला से जरूर मिलेगा”,रुचिका ने झुंझलाकर कहा
“मधु ? अब ये मधु कौन है ?”,नैना ने हैरानी से कहा
“हमारी नेबर है और रूचि की दोस्त,,,,,,,,,,,,,,रूचि के साथ बैंक में काम करती है लेकिन मुद्दा यहाँ मधु नहीं है नैना , बात ये है कि रुचि को अब मुझ पर भरोसा नहीं रहा”,मोंटी ने रुचिका की तरफ देखकर कहा लेकिन नैना के दिमाग में ये “मधु” नाम घूमने लगा और उसने मन ही मन खुद से कहा,”हो ना हो ये आग मधु ने ही लगाईं है , मोंटी के साथ रुचिका को देख नहीं पायी होगी। बेटा मधु अगर इस कर्म कांड में तुम शामिल हो ना तो याद रखना तुम्हारी लंका लगा देनी है मैंने,,,,,,,,,,,,,,,!!”
“नैना तुम ठीक हो,,,,,,,,,,,,!!”,अवि ने नैना को चुप देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा
“मुझे कॉफी चाहिए”,नैना ने एकदम से कहा
“आर यू स्योर ?”,अवि ने पूछा क्योकि नैना को कॉफी बिल्कुल पसंद नहीं थी
“हाँ तुम्हारे हाथ से बनी बना दोगे प्लीज,,,,,,,,,,!”,नैना ने बिना किसी भाव के कहा तो अवि उठा और कहा,”रूचि क्या तुम मेरी थोड़ी हेल्प करोगी प्लीज ?”
“हाँ मैं आती हूँ”,कहकर रुचिका अवि के साथ किचन एरिया की तरफ चली आयी और नैना मोंटी हॉल में रुक गए।
अवि समझ गया नैना ने उसे कॉफी बनाने क्यों भेजा वह अकेले में मोंटी से बात करना चाहती थी। जितना अच्छे से नैना मोंटी को समझा सकती थी उतना ही प्यार से बात अवि रुचिका से कर सकता था और ये टाइम सही था दोनों से अकेले में बात करने का क्योकि दोनों का रिश्ता लगभग टूटने की कगार पर था।
“अवि मैं बना देती हूँ”,रुचिका ने फ्रीज से दूध निकालते हुए कहा
“तुम्हे क्या लगता है नैना को सच में कॉफी पीनी है ? वो बस हम दोनों को वहा से भगाना चाहती थी ताकि अपने दोस्त के मन का हाल जान सके। मोंटी शायद मेरे सामने ज्यादा बोल नहीं पाता इसलिए नैना ने मुझे यहाँ भेजा,,,,,,,,,,,,,,,अब तुम बताओ क्या चल रहा है ये सब ?”,अवि ने सहजता से कहा
“मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है अवि ये सब इतनी जल्दी हुआ की समझने का वक्त ही नहीं मिला,,,,,,,,,,,,,,मोंटी की जॉब चली गयी , मेरे बैंक में भी कुछ प्रॉब्लम चल रहा था इसलिए मैं जॉब छोड़ना चाहती थी और फिर वो माला,,,,,,,,,,,सबसे ज्यादा परेशान मैं उसी के कारण थी और ये सब,,,,,,,,,,,,,,,,,माला यहाँ क्यों आयी थी मुझे सच में नहीं पता था लेकिन जब मैंने मोंटी और माला को साथ देखा तो मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ और,,,,,,,,,,,,मैंने मोंटी की बात तक नहीं सुनी , मुझे उसके साथ ऐसे पेश नहीं आना चाहिए था।”,कहते कहते रुचिका भावुक हो गयी
“मतलब तुम मानती हो कि तुम से गलती हुई है ?”,अवि ने पूछा
“हम्म्म्म,,,,,,,,,,,,,,,मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयीं , मुझे मोंटी पर भरोसा करना चाहिए था”,रुचिका कहते कहते रो पड़ी
अवि ने देखा तो रुचिका के पास आया और उसके आँसू पोछकर उसे चुप कराते हुए कहा,”अरे बस बस गलती तुम दोनों से हुई है जितना दुःख तुम्हे हो रहा है उतना ही दुःख मोंटी को भी हो रहा है,,,,,,,,,,,,,,उसे थोड़ा ज्यादा हो रहा है। देखो रुचिका हम लड़को के लिए माँ-बाप के बाद सबसे खास होती है या तो प्रेमिका या फिर वाइफ,,,,,,,,,,इसके अलावा हमारा कोई खास नहीं होता। अगर मुश्किल वक्त में हमारी लाइफ पार्टनर ही हमारा साथ ना दे , भरोसा ना करे तो हमे बुरा लगना जायज है। अब ये रोना छोडो और अपने कपकेक के लिए बढ़िया सी कॉफी बनाओ,,,,,,,,,,,,,,देखना वो तुम्हे माफ़ कर देगा,,,,,,,,,,,ही इज सच अ जेंटलमेन”
अवि की बातो से रुचिका को थोड़ी तसल्ली मिली तो वह अवि के सीने से आ लगी और कहा,”यहाँ आने के लिए थैंक्यू , अगर तुम और नैना नहीं आते तो मुझे कभी पता ही नहीं चलता मैं कितनी बड़ी ढक्कन हूँ”
“तो तुम मानती हो तुम ढक्कन हो ?”,अवि ने रुचिका को छेड़ने के लिए कहा और जवाब में रुचिका ने हल्का सा पंच अवि के सीने पर दे मारा।
“चलो कॉफी बनाते है”,अवि ने रुचिका का हाथ पकड़कर उसे गैस की तरफ ले जाते हुए कहा
मोंटी और नैना पिछले कुछ वक्त से ख़ामोश बैठे अवि और रुचिका को देख रहे थे। उन दोनों को देखते हुए नैना ने कहा,”ज्यादा मत सोच वो ऐसा बिल्कुल नहीं है,,,,,,,,,,,!!”
“मुझे रूचि पर भरोसा है,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने भी अवि और रुचिका को देखते हुए कहा
“मैं अपने बन्दे की बात कर रही हूँ,,,,,,,,,तेरी रूचि तो किसी भी चिकने चेहरे पर फिसल जाए ऐसी ढक्कन है”,नैना ने कहा तो मोंटी उसे घूरने लगा
“हाँ तुम्हारा बन्दा ही सब कुछ हो गया है अब तो तुम्हारे लिए,,,,,,,,,,,,,,,,!”,मोंटी ने मुंह बनाकर कहा तो नैना एकदम से उसकी ओर पलट गयी और आँखों में चमक भरते हुए कहा,”पता है वो जब मेरे सामने होता है ना तो मुझे बाकि सब धुंधला नजर आता है,,,,,,,,,,,,,,,,लाईक बादल जैसा”
“तेरे चश्मे का नंबर बढ़ गया है , चेक करवा लेना”,मोंटी ने इस बार भी मुंह बनाकर कहा
लेकिन नैना ने मोंटी की बात पर ध्यान ही नहीं दिया और आगे कहा,”पता है वो यहाँ तक सिर्फ मेरे लिए आया है , कल उसकी एग्जीबिशन है उसे छोड़कर,,,,,,,,,,,,,,,हाये कितना प्यार करता होगा ना ये लड़का मुझसे,,,,,,,,,,,,और मैं खामखा इसको तंग करती रहती हूँ”
“हो गया तेरा ? अपने पडोसी की तारीफ करके मेरी जान ना जला”,मोंटी ने कहा
“क्यों सड़ रहा है ? अच्छा ये बता आगे का क्या सोचा है ? लाईक जॉब तो तेरा गया और रुचिका से भी तेरी कुछ खास नहीं बन रही तो डायवोर्स,,,,,,,,,,,,,!!”,नैना ने जानबूझकर बात अधूरी छोड़ दी
“क्या बकवास कर रही है तू ? मैं ऐसा कुछ भी नहीं सोच रहा और रूचि को छोड़ने का तो बिल्कुल नहीं,,,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने थोड़ा सीरियस होकर कहा
“चल आ वहा बालकनी में चलकर बात करते है”,नैना ने उठते हुए कहा
“इस से तेरे पडोसी को प्रॉब्लम नहीं होगी ?”,मोंटी ने उठकर नैना के साथ आते हुए कहा
“मोंटी वो बहुत अंडरस्टेंडिंग है,,,,,,,,,,!!”,नैना ने किचन एरिया में खड़े अवि को देखकर कहा
“क्या बात है जहर जबान से इतनी मीठी बातें निकल रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,कुछ तो गड़बड़ है”,कहते हुए मोंटी बालकनी में आकर खड़े हो गया
नैना भी उसके बगल में खड़े हो गयी और कहा,”ये सब कब तक चलेगा मोंटी ? हाँ माना कि रूचि थोड़ी बचकाना हरकत करती है पर तू मेच्योर है यार तुझे उसे और अपनी शादीशुदा जिंदगी को संभालना चाहिए। मैं ये नहीं कह रही कि तू गलत है पर देखा जाये तो तू पूरी तरह सही भी नहीं है। तुझे रुचिका को समझना चाहिए मोंटी अब तुम दोनों बच्चे नहीं हो,,,,,,,,,,,,,,,,,एटलीस्ट तुम दोनों को अपने रिश्ते में इतना भरोसा तो रखना ही चाहिए कि तुम्हे अपने झगडे सुलझाने में किसी तीसरे की जरूरत ना पड़े। मोंटी शादी एक बहुत नाजुक रिश्ता है इसमें दरार पड़ते या टूटते देर नहीं लगती है।”
“मैं समझ रहा हूँ नैना लेकिन अगर रुचिका मुझ पर भरोसा ही नहीं करेगी तो मैं उसे कोई बात कैसे समझाऊंगा,,,,,,,,,,,,,,,,,इस बार उसने सच में मुझे हर्ट किया है नैना ? हाँ मैं मानता हूँ सिचुएशन ऐसी थी कि किसी को भी वो सब देखकर बुरा लगेगा लेकिन एक वाइफ होने के नाते उसे मुझ पर इतना भरोसा तो होना ही चाहिए,,,,,,,,,,,,,,,जैसे तुम्हे है अवि पर,,,,,,,,,,,,,,,,अब अगर मैंने रुचिका और अवि को साथ देखकर कुछ गलत सोचु तो उसमे और मुझमे क्या फर्क रह जाएगा ?”,मोंटी ने उदास होकर कहा
“रुचिका से गलती हुई है और इस बात का उसे अहसास भी है,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखना वो खुद तुम से सॉरी भी कहेगी,,,,,,,,,,,,,मैं बस ये कहूँगी मोंटी की अपने शादीशुदा रिश्ते को थोड़ा टाइम दो , एक दूसरे को थोड़ा टाइम दो और इसे समझो,,,,,,,,,,,,दुसरो की बातो में आकर तुम दोनों अपना नुकसान कर लोगे जिसके लिए तुम दोनों को जिंदगीभर पछताना पड़ सकता है”,कहते हुए नैना ने नीचे देखा तो उसकी नजर पार्किंग में खड़ी एक लड़की पर चली गयी साथ में एक लड़का भी खड़ा था और दोनों काफी क्लोज होकर बातें कर रहे थे।
मोंटी से बात करते हुए नैना का ध्यान बार बार उन दोनों पर चले जाता। जब नैना से नहीं रहा गया तो उसने बालकनी में रखे पानी के खाली बोतल को नीचे फेंक दिया जिस से घबराकर दोनों दूर हो गए।
“तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आओगी”,मोंटी ने नैना को बोतल फेंकते देख लिया था
“तुम्हारी सोसायटी में ये सब खुलेआम क्या चल रहा है ?”,नैना ने कहा
“वो मधु है और वो उसका नया बॉयफ्रेंड,,,,,,,,,,!!”,मोंटी ने कहा
“नया ?”,नैना ने मधु में दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा जो मधु का नाम कुछ देर पहले रुचिका के मुंह से सुन चुकी थी।
“हां नया क्योकि हर हफ्ते इसके बॉयफ्रेंड बदलते रहते है,,,,,,,,,,,,,,,,तुम उसे छोडो और ये बताओ वापस कब जा रही हो ?”,मोंटी ने पूछा
“तुम्हारी कॉफी,,,,,,,,,,,,!”,नैना के कुछ कहने से पहले अवि कॉफी लेकर वहा आया और कप नैना की तरफ बढ़ाते हुए कहा
नैना ने कप ले लिया तो अवि ने मोंटी की तरफ बढ़ा दिया। मोंटी ने कप लिया और कॉफी पीने लगा। नैना ने कॉफी देखकर मुंह बनाया और फिर अवि के पास आकर कॉफी वापस देकर कहा,”पडोसी इस कॉफी की जरूरत मुझसे ज्यादा तुम्हे है,,,,,,,,,,,,,,मुझे झेलते झेलते तुम काफी थक गए हो ना इस से तुम्हे थोड़ी एनर्जी मिलेगी,,,,,,,,,,,,,,एक काम करती हूँ मैं अपने हाथ से पीला देती हूँ”
नैना की बात सुनकर अवि जहा हैरान था वही मोंटी के मुंह में भरी कॉफी फनवारे के साथ बाहर आ गिरी।
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संजना किरोड़ीवाल
Next part v jldi upload kr dijiye na ab toh jaise aadat c ho gyi hai naina ki❤❤she is amazing
Nena ke coffee pilane se bahut bada jhatka laga nena ab kya karne wale hai Madhu ke sath
Naina ab Madhu ki vat lagane vali h
❤❤❤❤
Awesome lovely ❤️😘
Nice story
Very nice
Bhut hi khoobsurat part tha ma’am
Superb part… Naina baat baad m sunti h pehle tabiyat se dhoti h .. bechara monti… bina galti k pit gya…ye aag madhu ne lagai h ab Naina isi aag m usko jalayegi…