Sanjana Kirodiwal

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‘एक लड़की भीगी-भागी सी’

Ik Ladki Bhigi-Bhagi Si

Ik Ladki Bhigi-Bhagi Si

शाम के 4 बजे , चित्रा ऑफिस में बैठकर अपना काम कर रही थी। फोन की रिंग बजी तो चित्रा ने फोन उठाकर कहा,”हेलो ! हां माँ कहो कैसे फोन किया ?”
‘चित्रा तुझे देखने लड़के वाले आये हुए है , जल्दी से घर आ जा’
“माँ ये रोज रोज लड़के देखने से मैं तंग आ चुकी हूँ मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी।”,चित्रा ने कुढ़ते हुए कहा
‘फालतू बातें मत करो चित्रा , एक ना एक दिन तो बेटी को शादी करके ससुराल जाना ही होता है। ये लोग अभी अभी आये है तू जल्दी से आजा वरना तेरे पापा को अच्छा नहीं लगेगा।
चित्रा आगे कुछ कहती इस से पहले ही फोन कट चुका था। चित्रा 22 साल की आत्मनिर्भर लड़की है जो की पिछले दो सालो से प्राइवेट कम्पनी में नौकरी कर रही है। घर में चित्रा के लिए इन दिनों लड़के देखे जा रहे थे और इस से वह खासा परेशान हो चुकी थी हालाँकि उसका कोई प्रेम प्रसंग नहीं चल रहा था लेकिन उसे अभी इतनी जल्दी शादी नहीं करनी थी। चित्रा ने अपना सामान बैग में रखा और बॉस से छुट्टी लेकर ऑफिस से बाहर आयी। बाहर देखा मौसम काफी खराब हो रखा था। आकाश काले पीले बादलों से घिरा हुआ था। चित्रा ने ऑटो रुकवाया और उसमे बैठते हुए कहा,”आदर्श नगर चलो भैया।”
ऑटो वाले ने मीटर चालू किया चल पड़ा ! ऑफिस से चित्रा के घर तक पहुंचने में आधे घंटे का समय लगता था
“आज तो लड़के को देखते ही ना बोल दूंगी और उसके बाद पापा से भी साफ साफ कह दूंगी की मुझे अभी शादी नहीं करनी है। रोज रोज का ये झंझट ही खत्म कर दूंगी। लड़किया बड़ी क्या होने लगती है , घरवालों को उनकी शादी की फ़िक्र पहले होने लगती है।”,चित्रा ऑटो में बैठी बड़बड़ा रही थी ! अभी कुछ ही दूर चले होंगे की बारिश शुरू हो गयी , बारिश भी इतनी तेज की उसके तेज थपेड़े चित्रा को अपने चेहरे पर महसूस हो रहे थे। बारिश बहुत तेज थी ऐसे में ऑटो का आगे बढ़ना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। इंजन में पानी जाने से ऑटो भड़भड़ा कर रुक गया। ऑटो वाले ने पलटकर चित्रा से कहा – मैडम , इंजन में पानी चला गया है। रिक्शा आगे नहीं जाएगा ऊपर से बारिश भी इतनी तेज हो रही है , आप थोड़ी देर यही आसपास में कही रुक जाओ बारिश कम हो जाये तो दुसरा ऑटो करके चली जाना।
चित्रा का दिमाग पहले से ही खराब था ऊपर से अब ऑटो खराब हो गया वह झुंझलाते हुए निचे उतरी ! ऑटो वाला धक्का मारते हुए ऑटो साइड में ले गया। चित्रा बारिश में भीगती हुई खड़े होने को जगह ढूंढने लगी और एक पेड़ के निचे आकर खड़ी हो गयी। पानी से तर बतर चित्रा बारिश को कोस रही थी तभी उसके कानो में एक आवाज पड़ी – सुनिए मैडम ! यहाँ आ जाईये , वहा पानी बहुत ज्यादा है
चित्रा ने आवाज वाली दिशा में देखा उसकी उम्र का लड़का टिन के छपरे के निचे बारिश से बचने के लिए खड़ा था। पहले तो चित्रा को अजीब लगा लेकिन बारिश पहले से तेज होती जा रही थी इसलिए चित्रा वह चली आयी उसने देखा लड़का भी बारिश में बुरी तरह भीग चुका था उसके चेहरे पर अभी भी पानी की बुँदे चमक रही थी। शर्ट शरीर से चिपक गयी थी। उसने थोड़ा साइड खिसकर चित्रा को भी वहा खड़े होने के लिए जगह दे दी।
“थैंक्यू !”,चित्रा ने कहा
“अरे इसमें थैंक्यू की क्या बात है , मैंने देखा आप भीग रही है इसलिए कह दिया। ऐसे मौसम में बाहर नहीं निकलना चाहिये”,लड़के ने कहा
“सब मेरे घरवालों की वजह से , इन माँ बाप को बच्चो की शादी करने की इतनी जल्दी क्यों होती है ? और जब सब अपनी मर्जी से करना ही है तो फिर लड़का भी खुद देख लो। मुझसे पूछने की क्या जरूरत है ? लेकिन नहीं इस बारिश में भी उन्होंने लड़के वालो को घर बुला लिया।”,चित्रा ने अपनी आपबीती उस अनजान लड़के को कह सुनाई। चित्रा की बात सुनकर लड़का मुस्कुराने लगा और कहा,”दरअसल मैं भी लड़की देखने ही जा रहा था और बारिश शुरू हो गयी , इस वजह से बाइक भी बंद पड़ गयी !”
“क्या आप भी ? आपके घरवाले भी आपको शादी के नाम पर टॉर्चर कर रहे है ,, अरे जिसके साथ पूरी जिंदगी बितानी है उसे भला कुछ मिनिट में कैसे समझ सकते है हम लोग ?”,चित्रा ने कहा
“बात तो आपकी सही है , लेकिन क्या गारंटी है की किसी को अच्छे से जानने के बाद हम उसके साथ जिंदगी बिता सकते है ! इंसान का अच्छा और बुरा होना उसका वक्त तय करता है। परखा हुआ इंसान भी हालातों के गलत निकल जाता है”,लड़के ने कहा
उस लड़के की बातें चित्रा को बहुत प्रभावशाली लगी वह खामोश हो गयी और बारिश में भीगे अपने दुप्पटे के कोनो को हाथो से निचोड़ रही थी। उसके बाल बारिश में भीगने की वजह से उसके कंधो पर चिपक रहे थे। चित्रा उन्हें झटकने लगी तो पानी की फुहार जाकर लड़के के चेहरे पर पड़ी। उसने पहली बार चित्रा को ध्यान से देखा , सांवला रंग , पतला सांचे में ढला चेहरा , जिस पर दो छोटी छोटी प्यारी सी आँखे , गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ जिन पर बारिश के पानी की कुछ बुँदे आ ठहरी थी। चित्रा लड़के की नजरो से बेखबर अपने बालो से और कपड़ो से पानी निचोने में लगी हुई थी। बारिश अभी भी उसी लय में बह रही थी तभी किसी की आवाज लड़के के कानो में पड़ी – भैया चाय लेंगे ?
लड़के ने देखा सामने बारिश में रेन कोट पहने एक लड़का हाथ में चाय की केतली और कुछ ग्लास लिए भीगता हुआ वहा खड़ा था और आसभरी नजरो से लड़के को देख रहा था। लड़के ने चायवाले को दो चाय देने को कहा।
चायवाला ने दो ग्लासों में चाय डाली और लड़के को थमा दी ! चायवाला पैसे लेकर चला गया , लड़का ने एक ग्लास चित्रा की और बढाकर कहा,”चाय !”
चित्रा असमझ की स्थिति में थी इस तरह किसी अनजान लड़के पर भरोसा करके सही कर रही है या गलत वह नहीं समझ पा रही थी। उसे सोच में डूबा देखकर लड़के ने कहा,”ले लीजिये मौसम ठंडा है और आप पूरी तरह भीग चुकी है ऐसे में बीमार हो सकती है”
चित्रा ने ग्लास ले लिया सहसा ही उसकी उंगलिया लड़के की उंगलियों से छू गयी। चित्रा को एक खूबसूरत अहसास हुआ लड़का सामने देखते हुए चाय पिने लगा
और चाय पीते हुए कहा,”वैसे तुम्हे बारिश पसंद नहीं है ?”
“नहीं ऐसा नहीं है बचपन में बारिश बहुत पसंद थी , मम्मी के मना करने के बाद भी हम सब भाई बहन खूब भीगते थे लेकिन जैसे जैसे जिंदगी की भागदौड़ में बिजी हुए सब शौक खत्म हो गए , अब तो बारिश से चिढ होती है”,चित्रा ने चाय का घूंठ भरते हुए कहा
लड़का मुस्कुराया और कहा,”जब हमे अपनी पसंद की चीजे नहीं मिलती है तो हम उनसे चिढ़ने लगते है इस से अच्छा है ना की अपने शौक ही ज़िंदा रख ले उन्हें कभी मरने ना दे।”
“हम्म्म , सही कहा आपने। फिर आप क्यों लड़की देखने जा रहे है ?”,चित्रा ने कहा
“क्योकि मेरे माँ पापा चाहते है मैं उस लड़की से मिलू। उन्होंने मुझे जिंदगी की हर ख़ुशी दी है अपनी ख़ुशी के मैं उनका दिल नहीं दुखा सकता। अगर लड़की पसंद नहीं भी आती है या लड़की के और मेरे विचार नहीं भी मिलते है तो मैं उन्हें मना कर दूंगा , और वे लोग मेरी बात जरूर समझेंगे। इस से मेरे माँ पापा को बुरा भी नहीं लगेगा और मेरे उसूल भी कायम रह जायेंगे”,लड़के ने चित्रा के सवाल का जवाब दिया
“तो क्या दो लोगो की शादी के लिए दोनों की सोच का एक जैसा होना जरुरी है ?”,चित्रा ने नया सवाल किया
“बिल्कुल जरुरी नहीं है , बल्कि दो अलग सोच के लोग ही हमेशा एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते है ,, मान लीजिये लड़के को डिनर में पनीर खाना पसंद है और लड़की को भी पनीर ही खाना पसंद है और दोनों शादी करते है उन्हें एक दूसरे की आदते अपनाने की जरूरत नहीं पड़ती है , लेकिन मान लीजिये एक पनीर खाने वाले लड़के की शादी आलू गोभी खाने वाली लड़की से हो जाये तो उसे आगे चलकर दो तरह का स्वाद चखने को मिलेगा। कहने का मतलब है एक जैसी सोच वाले लोग जिंदगी को एक नजरिये से देखेंगे जबकि दो विपरीत सोच वाले लोग उन्ही चीजों को दो अलग नजरिये से देखने और जिंदगी उनके लिए आसान होगी”,लड़के ने अपनी चाय खत्म करते हुए कहा
चित्रा तो बस खामोश ही हो गयी उस लड़के की सुलझी हुई बातें सीधा उसके दिल में उतर गयी। उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप चाय पीने लगी बारिश अब कुछ कुछ कम होने लगी थी , सड़को से पानी का बहाव भी कम हो चला था। जिस बारिश को चित्रा कुछ देर पहले तक कोस रही थी वह चाहती थी की थोड़ी देर बारिश और हो और उसे वहा उस लड़के के साथ रुकने का मौका मिल जाये लेकिन उसके अरमानो पानी तब फिर गया जब उसका फोन बजा। फोन घर से ही था और उसे जल्दी आने के लिए कहा जा रहा था। बारिश रुक चुकी थी लड़का वहा से निकलकर सामने खड़ी अपनी बाइक के पास आया और किक मारकर बाइक स्टार्ट करने लगा। उसे जाते देखकर चित्रा ने कहा,”सुनिए ! आपका नाम क्या है ?’
“नाम में क्या रखा है ? वैसे भी हमारी मंजिले अलग अलग है ,, बेस्ट ऑफ़ लक”,कहकर लड़का अपनी बाइक लेकर वहा से चला गया चित्रा उसे जाते हुए देखती रही। कुछ देर बाद ही उसे ऑटो मिल गया और वह घर पहुंची उसे गेट पर देखते ही उसकी माँ ने उसे पीछे के रास्ते से ऊपर कमरे में जाने को कहा और कपडे बदलकर आने को कहा। लड़के के घरवाले हॉल में बैठे चित्रा के आने का इंतजार कर रहे थे। चित्रा ने कपडे बदले और शीशे के सामने आकर अपने आधे सूखे बालो में क्लेचर डाला और दुपट्टा सर पर ओढ़कर निचे किचन में चली आयी। माँ ने उसके हाथो में चाय की ट्रे थमा दी और मेहमानो को देने को कहा। चित्रा को देखने जो लड़का आने वाला था वह भी अभी अभी ही आया था और बारिश की वजह से भीग भी चुका था। चित्रा अपनी पलके झुकाये उनके बिच आयी और सबको चाय देकर जैसे ही लड़के की और बढ़ी उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी। सामने खड़े लड़के ने भी जब चित्रा को देखा तो हैरान रह गया चित्रा के सामने खड़ा वह लड़का वही था जो कुछ देर पहले उस से बारिश में मिला था। चित्रा चाय देकर वही सोफे पर बैठ गयी। कुछ बातो के बाद लकड़े के पिता ने कहा,”भाईसाहब अगर आप कहे तो चैतन्य और चित्रा आपस में बात कर ले , वैसे भी शादी तो इन्हे करनी है हम लोग तो सिर्फ जरिया है”
उनकी बात सुनकर सब हंस पड़े चित्रा के पापा ने चित्रा की छोटी बहन को कहा तो वह चैतन्य के साथ ऊपर छत पर चली आयी। चैतन्य को वहा छोड़कर लड़की ने कहा,”आप रुकिए हम दीदी को भेजते है।”
कुछ देर बाद चित्रा वहा आयी , दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे लेकिन खामोश थे। 10 मिनिट की ख़ामोशी के बाद चैतन्य ने कहा,”तो आप ना कहने वाली है”
चित्रा ने चैतन्य की और देखा और कहा,”सोच रही हूँ हां कर दू।”
चित्रा की बात सुनकर चैतन्य मुस्कुरा उठा उसे चित्रा पसंद थी उसने चित्रा का मन टटोलते हुए कहा,”लेकिन हमारी सोच एक जैसी नहीं है”
“कोई फर्क नहीं पड़ता मैं पनीर और आलू गोभी दोनों बना लेती हु”,चित्रा ने कहा तो चैतन्य हंस पड़ा चित्रा के होंठो पर भी प्यारी सी मुस्कान तैर गयी आसमान में काले बादल फिर घिर आये और दूर कही रेडिओ पर गाना बजने लगा
“इक लड़की भीगी भागी सी
सोती रातो मे जागी सी
मिली इक अजनबी से, कोई आगे ना पिछे
तुम ही कहो ये कोई बात है।

समाप्त

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संजना किरोड़ीवाल !!

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