Sanjana Kirodiwal

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“तेरे इश्क़ में” – 17

Tere Ishq Me – 17

Tere Ishq Me
Tere Ishq Me

अश्विनी के सामने पल्लवी खुद को नहीं रोक पायी और उसके सीने से लगकर रो पड़ी। 5 साल वह साहिबा से दूर रही , कभी उस से मिलने या बात करने की कोशिश तक नहीं की। पल्लवी को अहसास हुआ की साहिबा ने खुद को उस से दूर नहीं किया था बल्कि खुद पल्लवी उस से दूर चली गयी थी। उसने कभी साहिबा के बारे में , उसके हालातो के बारे में जानने की कोशिश ही नहीं की। अश्विनी के सीने से लगी पल्लवी सिसकती रही और फिर एकदम से दूर होकर कहा,”पता है अश्विनी आज उसने मुझे अपने हाथ से खाना खिलाया , वो आज भी वही साहिबा है बस मैं बदल गयी हूँ। मैं उसे खुश देखना चाहती हूँ अश्विनी , मैं चाहती हूँ वो सब भूलकर अपनी जिंदगी में आगे बढे , शादी करे , खुश रहे,,,,,,,,,,,वो अपने जीने की इच्छा खो चुकी है अश्विनी उसकी आँखों में हमेशा एक खालीपन नजर आता है। वो पहले की तरह ज्यादा बात नहीं करती बस जितना पूछो उतना जवाब देती है”
“पल्लवी शांत हो जाओ , कम से कम तुम्हे साहिबा की हालत का अंदाजा तो हुआ ,, सच कहा तुमने उस साहिबा में जिस से मैं तुम्हारे संगीत में मिला था और इस साहिबा में बहुत फर्क है। इस फर्क को सिर्फ तुम मिटा सकती हो पल्लवी , साहिबा से बात करो , एक बहन बनकर नहीं , एक माँ बनकर नहीं बल्कि एक दोस्त बनकर , वो दोस्त जो उसे समझती थी , वो दोस्त जो हमेशा उसके साथ खड़ी रहती थी।”,अश्विनी ने पल्लवी के आंसू पोछते हुए कहा
पल्लवी को धीरे धीरे समझ आ रहा था की उस से कहा गलती हुई है। उसके पास अपनी गलतियों को सुधारने का एक मौका था , साहिबा उसके साथ थी और पल्लवी इस मौके को खोना नहीं चाहती थी।
नाश्ते के बाद पल्लवी साहिबा को लेकर अपने कमरे में चली आयी। अश्विनी और ध्रुव भी वही चले आये और सब बैठकर बाते करने लगे। साहिबा 5 साल बाद उनसे मिली थी तो अश्विनी और पल्लवी के पास उस से करने के लिए बहुत सारी बाते थी। कुछ देर बाद पल्लवी उठी और कबर्ड से अपनी शादी का अल्बम निकालते हुए कहा,”तुम मेरी शादी में तो नहीं रुकी चलो ये ही देख लो”
पल्लवी साहिबा को अपनी शादी का अल्बम दिखाने लगी। ध्रुव भी वही बैठकर एलबम देखने लगा। उसने देखा सबकी फोटो अल्बम में है बस उसकी नहीं तो उसने मासूमियत से कहा,”पापा इसमें मैं क्यों नहीं हूँ ?”
साहिबा ने सूना तो मुस्कुराने लगी और कहा,”Buddy तब तुम परियो के शहर में थे”
“फिर तो आप भी वहा होंगी ना मेरे साथ”,ध्रुव ने साहिबा की ओर देखकर कहा तो साहिबा ने हैरानी से कहा,”वो कैसे ?”
“क्योकि आप भी तो इसमें नहीं हो ना , इसलिए तो हम दोस्त बने है buddy ,, लेकिन जब हमारी शादी होगी तब हम भी किसी को नहीं बुलाएँगे”,ध्रुव ने मासूमियत से कहा।
“ध्रुव तुम साहिबा से शादी करोगे ?”,अश्विनी ने कहा
“नो पापा ये तो मुझसे कितनी बड़ी है , और ये मेरी दोस्त है”,ध्रुव ने कहा तो साहिबा उसकी बातो पर हसने लगी। उसने अल्बम का अगला पन्ना पलटा तो हाथ एक तस्वीर को छूकर गुजरा। तस्वीर पार्थ की थी जिसमे वह उदास सा खड़ा शादी देख रहा था। साहिबा की आँखों के आगे बीती रात जो हुआ वो सब आने लगा। उसे खोया हुआ देखकर पल्लवी ने कहा,”क्या हुआ कहा खोयी हो ?”
“कही नहीं”,साहिबा ने कहा और पैन पलटने लगी। दोपहर का खाना सबने साथ खाया और पल्लवी ने देखा साहिबा अब भी बहुत कम बात कर रही है लेकिन वह खुश थी की कम से कम साहिबा उसके साथ थी।

उसी शाम साहिबा को ऊटी के लिए निकलना था। उसने अपना बैग जमाया और पल्लवी के लिए खरीदा स्कार्फ लेकर उसके पास आयी और कहा,”ये मैं तुम्हारे लिए लायी थी , आई होप तुम्हे पसंद आएगा”
“पसंद क्यों नहीं आएगा तुम लायी हो , बिल्कुल पसंद आएगा,,,,,,,,,,,,,ये बहुत अच्छा है साहिबा थैंक्यू”,पल्लवी ने स्कार्फ को अपने गले में डालते हुए कहा।
“आज शाम मेरी फ्लाइट है , मुझे अब निकलना होगा”,साहिबा ने उदास मन से कहा
“कुछ दिन रुक जाओ साहिबा”,पल्लवी ने प्यार से कहा
“फिर कभी , अभी जाना जरुरी है”,साहिबा ने कहा तो पल्लवी ने उसके हाथो को थामा और कहने लगी,”मैं जानती हूँ की उन बातो को तुम अब भी भूल नहीं पायी हो , मैंने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है हो सके तो मुझे माफ़ कर देना साहिबा। मैं कभी अच्छी दोस्त नहीं बन पाई , मैने उस वक्त तुम्हारा साथ छोड़ दिया जिस वक्त तुम्हे मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी। मैं बहुत खुदगर्ज हो गयी थी साहिबा लेकिन इन 5 सालो में ऐसा एक दिन भी नहीं बीता जब मैंने तुम्हे याद ना किया हो। हर वकत मेरे जहन में बस एक ही बात चलती थी की “उस दिन मैंने तुम्हे रोका क्यों नहीं ?”,,,,,,,,,,,,,,साहिबा तुम मेरी बहुत अच्छी दोस्त हो और हमेशा रहोगे लेकिन मैंने कभी तुम्हे अपना समझा ही नहीं समझती तो शायद तुम्हे जरूर समझती , तुम्हे इस तरह अकेले भटकने नहीं देती,,,,,,,,,,,,,,मुझे माफ़ कर दो साहिबा मुझे माफ़ कर दो”
कहते हुए पल्लवी की आँखों से आंसू बहने लगे उसने साहिबा के साथ जो किया उसका उसे बहुत दुःख था। साहिबा ने सूना तो उसकी आँखे भर आयी लेकिन उसने अपने आंसुओ को अपनी आँखों में ही रोक लिया और पल्लवी के आंसू पोछते हुए कहा,”जिंदगी जब हमे कुछ देती है तो बदले में हमसे दुगुना छीन लेती है। 5 साल पहले जो कुछ हुआ उसमे शायद तुम भी गलत नहीं थी और मैं भी,,,,,,,,,,,,,इंसान कभी गलत नहीं होता है पल्लवी , उसका नजरिया , उसकी सोच , उसके हालात उसे गलत बना देते है,,,,,,,,,,,,,मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है , तुम आज भी मेरे लिए वही पल्लवी हो जो 5 साल पहले थी ,, सिर्फ वक्त बदला है तुम्हारे लिए मेरा प्यार और भावनाये नहीं। तुम अपनी नयी दुनिया में खुश हो इस से ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए,,,,,,,,,,,अश्विनी बहुत अच्छा है उसका साथ कभी मत छोड़ना। चलती हूँ” कहकर साहिबा ने अपना बैग उठाया और कमरे के दरवाजे की तरफ बढ़ गयी।
“काश जाने से पहले एक बार तुम्हे गले लगा पाती साहिबा”,पल्लवी ने आंसुओ से भरी आँखों से साहिबा को देखते हुए मन ही मन कहा
साहिबा दरवाजे पर रुकी और वापस आकर पल्लवी को गले लगाते हुए कहा,”अनजाने में मैंने कभी तुम्हारा दिल दुखाया हो या तुम्हे ठेस पहुंचाई हो तो मुझे माफ़ कर देना पल्लवी , तुम हमेशा मेरी दोस्त रहोगी , अपना ख्याल रखना”
साहिबा के गले लगे हुए पल्लवी को वही पुराना अहसास हुआ , आज सही मायनों में उसकी दोस्त लौट आयी थी। पल्लवी ने साहिबा को कुछ देर गले लगाए रखा और फिर दूर होकर कहा,”मैं जल्द ही अश्विनी के साथ ऊटी आउंगी तुमसे मिलने”
“जरूर आना”,साहिबा ने कहा और फिर पल्लवी साहिबा का हाथ पकडे उसे बाहर ले आयी। अश्विनी और ध्रुव कबसे तैयार खड़े थे साहिबा को एयरपोर्ट छोड़ने जाने के लिए। पल्लवी ने साहिबा को एक तोहफा दिया साहिबा ने उसे बैग में रख लिया और फिर अश्विनी को साइड हग करते हुए कहा,”जब भी वक्त मिले पल्लवी और ध्रुव के साथ ऊटी जरूर आना”
“बिल्कुल साहिबा , तुम्हारी फ्लाईट का वक्त हो गया है चले”,अश्विनी ने साहिबा के बैग का हैंडल पकड़ते हुए कहा
“चलती हूँ पल्लवी”,साहिबा ने पल्लवी को देखकर कहा तो पल्लवी नम आँखों से मुस्कुरा दी। ध्रुव , पल्लवी और अश्विनी साहिबा को एयरपोर्ट छोड़ने जा रहे थे।
पल्लवी रास्तेभर साहिबा का हाथ थामे रही , उसका मन बहुत बैचैन था बार बार मन में ख्याल आ रहा था जैसे साहिबा हमेशा के लिए उस से दूर जा रही हो। साहिबा खामोश बैठी पार्थ के बारे में सोच रही थी। आज एक बार फिर वह हमेशा हमेशा के लिए उस से दूर जा रही थी। गाडी एयरपोर्ट के सामने आकर रुकी। सभी नीचे उतरे साहिबा ने सबको बाय कहा और अपना बैग लेकर वहा से अंदर चली गयी। पल्लवी ने साहिबा को जाते देखा तो उसकी आँखों में आंसू भर आये , अश्विनी ने उसे साइड हग किया और कहा,”जल्दी ही हम लोग उस से मिलने जायेंगे”
पल्लवी ने सूना तो अश्विनी के सीने से लगकर फफक पड़ी और कहा,”उसने जाते जाते पलटकर भी नहीं देखा अश्विनी”
“वो इसलिए क्योकि वो तुम्हारी तरह उसे भी यहाँ से जाने का उतना ही दुःख है”,अश्विनी ने कहा और फिर पल्लवी ध्रुव को लेकर घर के लिए निकल गया। साहिबा अंदर आयी उसने ऊटी के लिए फ्लाइट के बारे में जानकारी ली और टिकट लेकर वेटिंग एरिया में चली आयी। फ्लाइट में अभी थोड़ा वक्त था साहिबा सर झुकाये फर्श को देखते रही। इन कुछ दिनों में सबके साथ बिताये पल उसकी आँखों के सामने आने लगे , और आखिर में दिमाग रुक गया पार्थ पर। साहिबा चाहते हुए भी उसे अपने दिलो दिमाग से निकाल नहीं पा रही थी।

सुबह से चले वे पांचो अभी भी दिल्ली से काफी दूर थे। शाम के 7 बज रहे थे और दिल्ली पहुँचने में अभी भी 2 घण्टे लगने वाले थे। मेहुल जितना तेज गाड़ी चला सकता था उसने चलाई लेकिन मंजिल अभी भी दूर थी। पार्थ उदास सा बैठा था उसे देखकर मेहुल ने एक चाय की दुकान पर गाड़ी रोक दी और सभी नीचे उतर गए। पार्थ वही गाडी में बैठा रहा , उसे इस वक्त सिर्फ साहिबा का ख्याल था वह उसे जाने से रोकना चाहता था। प्रिया उसके लिए चाय लेकर आयी और उसकी तरफ बढ़ाकर कहा,”पार्थ चाय”
पार्थ ने चाय ली और खामोश बैठा रहा पल्लवी ने मेहुल और बाकि सबको भी आने का इशारा किया और फिर कहा,”साहिबा दिल्ली में ही है पता करने के लिए क्यों ना पल्लवी को फोन करे ?”
“हां ये सही रहेगा अगर साहिबा वहा है तो पल्लवी से कहेंगे की उसे वही रोक ले”,रुबीना ने कहा
“नहीं रुबीना इस से पल्लवी को शक हो जाएगा , प्रिया तुम सिर्फ ये पूछो की साहिबा उसके साथ है या नहीं”,लक्ष्य ने कहा
“हम्म्म मैं फोन करती हूँ”,कहते हुए प्रिया ने अपनी जेब से फोन निकाला और पल्लवी का नंबर डॉयल किया। एक दो रिंग के बाद पल्लवी ने फोन उठाया और कहा,”हेलो प्रिया , कैसी हो ?”
“मैं ठीक हूँ पल्लवी अच्छा सुनो साहिबा तुम्हारे साथ है क्या ? उसने बताया था की वह जाने से पहले तुमसे मिलकर जाएगी”,प्रिया ने पूछा
“साहिबा तो कुछ देर पहले ही निकल गयी , मैं और अश्विनी अभी अभी उसे एयरपोर्ट छोड़कर आये है ,, अब तक तो शायद उसकी फ़्लाईट जा चुकी होगी”,पल्लवी ने कहा
“ओके थैंक्स , आने के बाद तुमसे मिलती हूँ”,प्रिया ने कहा
“बाय , अपना ख्याल रखना”,कहकर पल्लवी ने फोन काट दिया।
प्रिया के चेहरे के भाव बता रहे थे की जरूर कुछ गड़बड़ हुई है। उसे खामोश देखकर पार्थ ने कहा,”क्या हुआ प्रिया दी ? साहिबा है ना वहा ?”
“साहिबा दिल्ली से ऊटी चली गयी है हमेशा हमेशा के लिए”,प्रिया ने उदास स्वर में कहा तो पार्थ का दिल टूट गया। उसकी आँखों में नमी तैर गयी , साहिबा को रोकने की हर कोशिश नाकाम होती नजर आ रही थी।
“गाईज मेरा कजिन एयरपोर्ट पर ही काम करता है क्यों ना एक बार उस से बात करके देखे ?”,लक्ष्य ने सोचते हुए कहा
“हां साहिबा पैदल जा रही है ना जो तेरा दोस्त जाकर उसे रोक लेगा,,,,,,,,,,,,,,,,स्टुपिड”,रुबीना ने लक्ष्य को घूरते हुए कहा
“कोशिश करने में क्या जाता है ? हो सकता है अभी तक साहिबा दिल्ली एयरपोर्ट पर ही हो,,,,,,,,,,,,,रुको मैं उस से बात करके देखता हूँ”,कहते हुए लक्ष्य ने अपने जेब से फोन निकाला पर अपने दोस्त को फोन लगा दिया
कुछ देर बाद उसके दोस्त ने फोन उठाया तो उसने कहा,”सुन भाई एक बहुत जरुरी काम है प्लीज तू मुझे चेक करके बता सकता है दिल्ली से चेन्नई जाने वाली अगली फ्लाइट कौनसी है ?”
“चेन्नई ? लेकिन साहिबा तो ऊटी जा रही है ना ?”,रुबीना ने बीच में कहा
“भाई जल्दी चेक कर ना प्लीज”,लक्ष्य ने रुबीना को साइड करके कहा
“लक्ष्य दिल्ली से चैन्नई के लिए अगली फ्लाइट 15 मिनिट बाद में है”,लड़के ने कहा
“उसमे “साहिबा सिंह” नाम से कोई बुकिंग है , प्लीज जल्दी देख के बता”,लक्ष्य ने जल्दबाजी में कहा
पार्थ के साथ साथ बाकी सबकी नजरे भी लक्ष्य पर ही थी। कुछ देर बाद दूसरी तरफ से लड़के ने कहा,”हां “साहिबा सिंह” नाम से बुकिंग है , 15 मिनिट बाद उनकी फ्लाइट है”
“भाई सुन मेरा एक काम कर दे , कैसे भी करके इस फ्लाइट को रोक दे प्लीज ,,, प्लीज बहुत जरुरी है किसी की जिंदगी का सवाल है”,लक्ष्य ने रिक्वेस्ट की
“सॉरी यार भाई मैं ऐसा नहीं कर सकता मेरी नौकरी चली जाएगी”,लड़के ने कहा
“भाई प्लीज यार मैं रिक्वेस्ट करता हूँ , आज अगर वो चली गयी तो सब खत्म हो जाएगा प्लीज उसे मत जाने दे”,लक्ष्य ने कहा
“आई ऍम सॉरी लक्ष्य पर मैं ये नहीं कर पाउँगा , आई ऍम रियली सॉरी”,लड़के ने कहा तो लक्ष्य का चेहरा उदासी से घिर गया। पार्थ ने देखा तो उसके हाथ से फोन लेकर उसके दोस्त से कहने लगा,”हैलो सर , प्लीज मेरा उस से मिलना बहुत जरुरी है,,,,,,,,,,,,मैं उस से बहुत प्यार करता हूँ और वो आज हमेशा हमेशा के लिए वापस जा रही है , प्लीज सर कैसे भी करके उसे रोक लीजिये,,,,,,,,,,,,,,,,इस वक्त मैं दिल्ली से दूर हूँ मुझे वहा तक पहुँचने में 2 घंटे लग जायेंगे बस तब तक आप उसे रोक लीजिये,,,,,,,,,,,,,कैसे भी करके ,, मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ प्लीज उसे मत जाने दीजिये”
पार्थ की आवाज से उसका दर्द झलक रहा था लकड़े ने कहा,”ओके सर मैं ट्राय करता हूँ”
“थैंक्यू , थैंक्यू सो मच”,पार्थ ने कहा और फोन काटकर लक्ष्य को देकर कहा,”अब बस दिल्ली पहुंचना है”
लक्ष्य आकर ड्राइवर सीट पर बैठा और बाकि सब भी जीप में आ बैठे। लक्ष्य ने जीप स्टार्ट की और फूल स्पीड में आगे बढ़ा दी। कहानी पार्थ और साहिबा की थी लेकिन ये सब भी इसमें पूरा सहयोग दे रहे थे।

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